इस मुस्लिम देश ने हिजाब पर लगाया बैन, अनौपचारिक रूप से घनी दाढ़ी रखने पर भी है प्रतिबंध
#tajikistan_ban_hijab
“हिजाब” एक ऐसा विषय है जिसपर दुनियाबर के देशों में बहस होती रही है। एक तरफ हिजाब को महिला की आजादी से जोड़कर देका जाता है, तो दूसरी तरफ इसे धर्म से जोड़ा जाता है। ऐसे में जब हिजाब को अधिकांश लोग धर्म से जुड़ा मानते हैं, और जहां की 95 फीसदी से ज्यादा आबादी मुस्लिम हो, वहां हिजाब का बैन हो जाना हैरान करता है। जी हां, एक मुस्लिम देश ने हिजाब को लेकर बड़ा फैसला किया है। ताजिकिस्तान ने अपने नागरिकों को हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया है।
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इस संबंध में ताजिकिस्तान की संसद के ऊपरी सदन ने 19 जून को एक विधेयक का समर्थन किया है। एशिया-प्लस की रिपोर्ट के अनुसार, यह विधेयक संसद के ऊपरी सदन मजलिसी मिल्ली के 18वें सत्र के दौरान पारित किया गया। इस बिल में 'पराये परिधानों' और दो सबसे अहम इस्लामी त्योहारों - ईद अल-फितर और ईद अल-अज़हा के दौरान बच्चों से जुड़ी एक प्रथा पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है। इस प्रथा को इदगरदक के नाम से जाना जाता है जिसके तहत इन दोनों इस्लामी त्योहारों पर बच्चे अपनी गली या गांव के घरों में जाते हैं और लोगों को त्योहार की बधाई देते हैं।
यह प्रस्ताव मजलिसी नमोयंदगोन द्वारा प्रशासनिक उल्लंघन संहिता में संशोधन को मंजूरी दिए जाने के बाद हुआ है। नए संशोधनों के मुताबिक, कानून का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। हालांकि, प्रशासनिक उल्लंघन संहिता में पहले हिजाब या अन्य धार्मिक कपड़ों को उल्लंघन के रूप में उल्लेख नहीं किया गया था।
ताजिकिस्तान में हिजाब पर आधिकारिक रोक कई सालों के अनौपचारिक प्रतिबंध के बाद आई है। देश ने अनौपचारिक रूप से घनी दाढ़ी पर भी प्रतिबंध लगा रखा है। 2007 में शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों के लिए इस्लामी परिधान और पश्चिमी शैली की मिनीस्कर्ट दोनों पर प्रतिबंध लगा दिया था और बाद में इस प्रतिबंध को सभी सार्वजनिक संस्थानों तक बढ़ा दिया था। पिछले कुछ सालों में ताजिक सरकार ने ताजिक राष्ट्रीय पोशाक पहनने को प्रोत्साहित करने के लिए एक अभियान शुरू किया है, और 2018 में सरकार की तरफ से पारंपरिक परिधान को लेकर गाइडलाइन भी जारी किया गया था। खासकर 2017 में महिलाओं के मोबाइल पर मैसेज भेजकर उन्हें पारंपरिक पोषाक पहनने के लिए प्रोत्साहित किया गया था।







दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें एक लाख के मुचलके पर जमानत देने का फैसला किया है।केजरीवाल जमानत की प्रक्रिया पूरी होने के बाद आज जेल से बाहर आ सकते हैं।हालांकि, अरविंद केजरीवाल के लिए आज का दिन काफी अहम है। उनके जेल से बाहर आने से पहले ही जांच एजेंसी ईडी बड़ा खेल कर सकती है।आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक ईडी ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ शुक्रवार सुबह दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख करेगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत प्रदान करते हुए दिल्ली राउज एवेन्यू कोर्ट ने आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले जमानत प्रदान कर दी। अवकाश न्यायाधीश नियाय बिंदु ने केजरीवाल और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दो दिनों तक सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया। इससे पहले उन्होंने दिन में दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। उन्होंने कल ही स्पष्ट किया था कि वे बहस पूरी होने के बाद तुरंत ही फैसला देगी क्योंकि यह मामला हाई प्रोफाइल है। हालांकि,सूत्रों की मानें तो अरविंद केजरीवाल के रेगुलर जमानत पर तिहाड़ जेल से बाहर आने से पहले ही ईडी आज यानी शुक्रवार को ही दिल्ली हाईकोर्ट में अपील कर जमानत को चुनौती देगी। ईडी आज इस मामले में जल्द सुनवाई का अनुरोध कर सकती है। हालांकि, राउज एवेन्यू कोर्ट की जज जस्टिस न्याय बिंदू का विस्तृत आदेश भी आज यानी शुक्रवार को ही सामने आएगा। इसका अर्थ ये है कि कोर्ट के आदेश की कॉपी आने के आने के बाद ही ईडी दिल्ली हाईकोर्ट में अपील कर सकती है। असल में अरविंद केजरीवाल की लीगल टीम की तरफ से दाखिल याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। हालांकि इससे पहले अदालत ने बुधवार को केजरीवाल की नियमित जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद कहा था कि वह फैसला सुरक्षित नहीं रखेगी। अदालत ने मुख्यमंत्री की न्यायिक हिरासत की अवधि भी बढ़ा दी थी। बता दें कि केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनावों में प्रचार किए लिए जमानत प्रदान की थी। उसके बाद दो जून को उन्होंने समर्पण कर दिया था। एक्साइज पॉलिसी के मामले में सीएम केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। वहीं लोकसभा चुनाव के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी। जिसके बाद 2 जून की शाम को उन्होंने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था।

Jun 21 2024, 15:19
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