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कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार, पॉक्सो मामले में गैर जमानती वारंट जारी

#b_s_yediyurappa_bengaluru_court_issued_a_non_bailable_arrest_warrant_pocso_case

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ पॉस्को मामले में बेंगलुरु की एक अदालत ने गुरुवार 13 जून को गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया।

पूर्व सीएम के खिलाफ एक नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी। मामला 2 फरवरी को बेंगलुरु का है। सुनवाई में शामिल नहीं होने पर बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ वारंट जारी करने के लिए पुलिस ने बुधवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। अब कोर्ट ने वारंट जारी कर दिया है।

दरअसल, कुछ महीने पहले ही एक 17 वर्षीय एक लड़की की मां ने आरोप लगाया था कि इस साल दो फरवरी को येदियुरप्पा ने अपने आवास पर मुलाकात के दौरान उनकी बेटी का यौन उत्पीड़न किया था। पुलिस ने महिला के बयान के आधार पर येदियुरप्पा के खिलाफ पॉक्सो और भारतीय दंड संहिता की धारा 354 ए (यौन उत्पीड़न) के तहत मुकदमा दर्ज किया था। मुकदमा दर्ज किए जाने के कुछ ही घंटे बाद कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक ने इस मामले को तत्काल प्रभाव से जांच के लिए सीआईडी को सौंप दिया था। एफआईआर दर्ज करवाने वाली महिला (पीड़ित की मां) की 26 मई को मौत हो गई थी। वह लंग कैंसर की मरीज थीं।

बीएस येदियुरप्पा ने मामले को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया है। उन्होंने मामले में निरोधक आदेश जारी करने का अनुरोध किया है। सुनवाई में शामिल होने के लिए नोटिस का जवाब देने वाले बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि वह सोमवार, 17 जून को सुनवाई में शामिल होंगे।

कर्नाटक के पूर्व सीएम येदियुरप्पा ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर सामने आकर जवाब दिया था और सभी आरोपों को खारिज किया था। 81 साल के हो चुके येदियुरप्पा ने कहा था कि वह इन आरोपों के मामले में कानूनी तरीके से लड़ेंगे। उन्होंने अदालत से प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया है।

जी-7 समिट में शिरकत करने के लिए पीएम मोदी इटली रवाना, इन मु्द्दों पर रहेगा फोकस

#pm_modi_leave_for_italy_to_attend_g_7_summit

दुनिया के सात सबसे अमीर मुल्कों के नेता इटली में इकट्ठा हो रहे हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 समिट में शिरकत करने के लिए गुरुवार शाम को इटली के लिए रवाना हो गए हैं।मोदी एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 14 जून को होने वाले शिखर सम्मेलन के संपर्क सत्र में भाग लेने के लिए गुरुवार को इटली रवाना हुए। तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है। इटली के अपुलिया क्षेत्र के बोर्गो एग्नाजिया के आलीशान रिसॉर्ट में 13 से 15 जून तक आयोजित होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन में चल रहे युद्ध और गाजा में संघर्ष का मुद्दा छाया रहने की संभावना है।

पीएम 14 जून को आउटरीच सत्र में भाग लेंगे, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्य सागर पर केंद्रित होगा। वह इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे।जानकारी के अनुसार, पीएम मोदी जी-7 से इतर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात कर सकते हैं। 

जी 7 यानी 'ग्रुप ऑफ़ सेवेन' दुनिया की तथाकथित सात 'अत्याधुनिक' अर्थव्यवस्थाओं की एक संस्था है जिसका ग्लोबल ट्रेड और अंतरराष्ट्रीय फ़ाइनेंशियल सिस्टम पर दबदबा है। ये सात देश हैं - कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका। 1973 के ऊर्जा संकट के जवाब में आर्थिक और वित्तीय सहयोग के लिए एक मंच के रूप में जी-7 की स्थापना की गई थी। पहला शिखर सम्मेलन 1975 में फ्रांस में आयोजित किया गया था जिसमें फ्रांस, अमेरिका, यूके, जर्मनी, जापान और इटली शामिल थे। हालांकि, 1976 में कनाडा भी शामिल हो गया जोकि जी-7 का वर्तमान स्वरूप भी है।

1997 से 2013 के बीच G7 का विस्तार G8 में हुआ। रूस को भी 1998 में इस गुट में शामिल किया गया था और तब इसका नाम जी-8 हो गया था पर साल 2014 में रूस के क्राइमिया पर कब्ज़े के बाद उसे इस गुट से निकाल दिया गया। एक बड़ी इकॉनमी और दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद चीन कभी भी इस गुट का हिस्सा नहीं रहा है। चीन में प्रति व्यक्ति आय इन सात देशों की तुलना में बहुत कम है इसलिए चीन को एक एडवांस इकॉनमी नहीं माना जाता। लेकिन चीन और अन्य विकासशील देश जी 20 समूह में हैं। यूरोपीय संघ भी जी-7 का हिस्सा नहीं है लेकिन उसके अधिकारी जी-7 के वार्षिक शिखर सम्मेलनों में शामिल होते हैं। 

पूरे साल जी-7 देशों के मंत्री और अधिकारी बैठकें करते हैं, समझौते तैयार करते हैं और वैश्विक घटनाओं पर साझे वक्तव्य जारी करते हैं। इस साल जी-7 की अध्यक्षता इटली कर रहा है।हर साल 1 जनवरी से शुरू होकर कोई एक सदस्य देश बारी-बारी से समूह का नेतृत्व संभालता है। 1 जनवरी, 2024 को इटली ने जापान के बाद अध्यक्षता संभाली और 31 दिसंबर, 2024 को इसे कनाडा को सौंप देगा।

तीसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाए गए अजित डोभाल, पीके मिश्रा भी बने रहेंगे प्रधान सचिव

#pm_modi_ajit_doval_get_third_term_as_national_security_advisor

नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में अजित डोवल को फिर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया है। अजित डोवल तीसरी बार भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाए गए हैं। मोदी सरकार के शपथ ग्रहण के बाद से यह कयास लगाए जा रहे थे कि डोभाल को फिर से यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी या कोई और इस पद पर आएगा। हालांकि, मोदी ने एक बार फिर से अपने पुराने तुरुप के इक्के पर ही भरोसा जताया है। बता दें कि रिटायर्ड आईएएस अधिकारी पीके मिश्रा को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है।

अजित डोभाल और पीके मिश्रा का कार्यकाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही पूरा होगा। इस बाबत एक लेटर जारी कर कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने अजित डोवल को एनएसए के रूप में नियुक्ति दी है। बता दें कि 10 जून से यह आदेश प्रभावी होगा।अजित डोवल की नियुक्ति को लेकर जारी किए गए लेटर में आगे कहा गया है कि उनकी नियुक्ति पीएम मोदी के कार्यकाल के साथ या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, समाप्त हो जाएगी। कार्यकाल के दौरान उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्ज दिया जाएगा। साथ ही उनकी नियुक्ति की शर्तें और नियम अलग से अधिसूचित किए जाएंगे।

2014 में सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने डोभाल को पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था। 2019 में उन्हें एक बार फिर से पांच साल के लिए इस पद पर नियुक्ति दी गई थी। ब नई सरकार में अजीत डोभाल को लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) नियुक्त किया गया है। 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी अजीत डोभाल को कूटनीतिक सोच और काउंटर टेरेरिज्म का विशेषज्ञ माना जाता है।

पिछले एक दशक में डोभाल ने मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। 2014 में, अजीत डोभाल ने इराक के तिकरित में एक अस्पताल में फंसी 46 भारतीय नर्सों की रिहाई सुनिश्चित की। वे एक शीर्ष-गुप्त मिशन पर गए और 25 जून, 2014 को इराक गए, ताकि जमीनी स्थिति को समझ सकें। 5 जुलाई 2014 को नर्सों को भारत वापस लाया गया। भारत की तरफ से सितंबर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और फरवरी 2019 में पाकिस्तान में सीमा पार बालाकोट हवाई हमले डोभाल की देखरेख में किए गए थे। उन्होंने डोकलाम गतिरोध को समाप्त करने में भी मदद की। इसके अलावा पूर्वोत्तर में उग्रवाद से निपटने के लिए निर्णायक कदम उठाए।

उधर प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह जिम्मेदारी पीके मिश्रा ही संभालते रहेंगे। केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने अजीत डोभाल और पीके मिश्रा की पुनर्नियुक्ति पर मुहर लगा दी है। आईएएस (सेवानिवृत्त) पीके मिश्रा को 10 जून 2024 से प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त किया गया। पीके मिश्रा 1972 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह पिछले 1 दशक से प्रधानमंत्री मोदी के साथ प्रधान सचिव के तौर पर काम कर रहे हैं। 

पीके मिश्रा प्रशासनिक मामले और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में नियुक्तियों का काम देखेंगे। इसके अलावा अजीत डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा, सैन्य मामले और इंटेलिजेंस की जिम्मेदारी संभालेंगे।

आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली जोशीमठ का नाम ज्योतिर्मठ करने से लोगों में खुशी की लहर, आतिशबाजी कर बांटी मिठाई

उत्तराखंड सरकार के जोशीमठ का नाम ज्योतिर्मठ करते ही ज्योतिर्मठ में भक्तों का तांता लग गया. इस दौरान मठ में मौजूद संतों और स्थानीय लोगों ने नाम परिवर्तन होने पर एक दूसरे को मिठाई खिलाई. जमकर आतिशबाजी की गई. इस दौरान लोग काफी खुश नजर आए.

जोशीमठ का नाम ज्योतिर्मठ हुआ

 इससे पूर्व कई बार स्थानीय लोग और ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य जोशीमठ का नाम परिवर्तन के पक्ष में रहे हैं. इस सम्बंध में कई बार सरकार से मांग भी की गयी थी. अब लोगों की इस मांग को मानते हुए जोशीमठ का नाम परिवर्तित कर ज्योतिर्मठ कर दिया गया है. ज्योतिर्मठ उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है.

क्या है ज्योतिर्मठ का इतिहास

 उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ की अपनी एक धार्मिक महत्ता है. आदि गुरु शंकराचार्य की तप स्थली के साथ-साथ यहां का इतिहास बहुत प्राचीन है. मान्यता है कि 8वीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य इस क्षेत्र में आए थे. उन्होंने अमर कल्पवृक्ष के नीचे तपस्या की थी. इस तपस्या के फलस्वरूप उन्हें दिव्य ज्ञान ज्योति की प्राप्ति हुई थी. दिव्य ज्ञान ज्योति और ज्योतेश्वर महादेव की वजह से इस स्थान को ज्योतिर्मठ का नाम दिया गया. लेकिन बाद में यह जोशीमठ के नाम से ही प्रचलित हो गया. इसके बाद नाम बदलने की मांग की बात प्रमुखता से उठती रही. हालांकि इस पर अमल नहीं हो सका. अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनभावनाओं को देखते हुए जोशीमठ तहसील को ज्योतिर्मठ नाम देने का फैसला किया है.

आदि शंकराचार्य की तप स्थली रहा है ज्योतिर्मठ

 इस दौरान ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के शिष्य मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी द्वारा बताया गया कि ज्योतिर्मठ का इतिहास 2500 साल पुराना है. जब ज्योतिर्मठ की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी. ये मठ हिन्दू धर्म का पवित्र स्थल है. इसे पहले से ही ज्योतिर्मठ के नाम से ही जाना जाता रहा है. पूर्व में भी कई बार नाम परिवर्तन की मांग उठाई गई थी. इस सम्बंध में नगर पालिका में कई बार प्रस्ताव भी लाये गए थे. लेकिन ये कार्य नहीं हो सका. अब उत्तराखंड सरकार ने नाम परिवर्तन कर दिया है. सरकार का ये फैसला स्वागत योग्य है. इससे पूरे जोशीमठ में खुशी का माहौल है.

अमेरिका ने रूस पर चलाया प्रतिबंधों का चाबुक, 100 मिलियन डॉलर का कारोबार होगा प्रभावित

#america_expands_sanctions_against_russia

दुनिया के दो ताकतवर देशों में शुमार अमेरिका और रूस के बीच के रिश्ते जगजाहिर है। यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद से ही मेरिका लगातार रूस को कमजोर करने की कोशिश में लगा है।अमेरिका ने रूस पर लगे प्रतिबंधों का दायरा बढ़ाते हुए 300 से अधिक नए प्रतिबंध लगाए हैं, जिनका मकसद मोटे तौर पर चीन, संयुक्त अरब अमीरात और तुर्की समेत विभिन्न देशों के व्यक्तियों व कंपनियों को रूस की सहायता करने से रोकना है। अमेरिका ने यह कदम इटली में होने वाले जी7 शिखर सम्मेलन से पहले उठाया है।बुधवार को लगाए गए प्रतिबंधों में उन चीनी कंपनियों को निशाना बनाया गया है, जो युद्ध में रूस की मदद कर रही हैं।

अमेरिकी विदेश विभाग और वित्त मंत्रालय ने बुधवार को रूस और दूसरे देशों में 300 से ज्यादा रूस से जुड़े व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाया है। अमेरिका ने इन व्यक्तियों और संस्थाओं पर रूस की ‘वॉर इकोनॉमी’ में शामिल होने का आरोप लगाया हैवित्त मंत्रालय के मुताबिक नए प्रतिबंध उन व्यक्तियों और कंपनियों पर लगाए गए हैं, जिनके ऊपर पर मॉस्को को पश्चिमी प्रतिबंधों से बचाने का शक है। विदेश मंत्रालय की सेक्रेटरी जेनेट येलेन ने कहा कि नई कार्रवाई अंतर्राष्ट्रीय उत्पादों और उपकरणों के लिए रूस के बचे रास्तों पर नकेल कसने के लिए की गई है। इस कार्रवाई में अन्य देशों पर उनकी निर्भरता भी शामिल है।

अमेरिकी विदेश विभाग के आर्थिक प्रतिबंध नीति एवं कार्यान्वयन निदेशक एरन फोर्सबर्ग ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ से कहा, “पुतिन एक बहुत ही सक्षम प्रतिद्वंद्वी हैं, जो सहयोगियों को खोजने के लिए तैयार हैं।” उन्होंने कहा कि रूस के खिलाफ प्रतिबंध निरंतर चलने वाली प्रक्रिया हैं। बुधवार को लगाए गए प्रतिबंधों में रूस और उसके युद्ध आपूर्तिकर्ताओं के बीच 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक के व्यापार को निशाना बनाया गया है। इन 300 से अधिक नए प्रतिबंधों का मुख्य उद्देश्य चीन, संयुक्त अरब अमीरात और तुर्की समेत विभिन्न देशों के व्यक्तियों व कंपनियों को रूस की सहायता करने से रोकना है।

अमेरिका के इस रुख के बाद क्रेमलिन ने कहा है कि चीन अमेरिका के ब्लैकमेल से डरेगा नहीं। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा कि अमेरिका को अपनी इन कार्रवाइयों का जवाब जरूर मिलेगा। इस बीच मॉस्को स्टॉक एक्सचेंज ने ऐलान किया कि वह नए अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से गुरुवार से अमेरिकी डॉलर और यूरो में ट्रेड नहीं करेगा।

बता दें कि अमेरिका युद्ध शुरू होने के बाद से चार हजार रूसी कंपनियों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगा चुका है, जिसका मकसद रूस को मिलने वाले धन और हथियारों पर रोक लगाना है।

कुवैत अग्निकांड: मारे गए 40 भारतीयों में से 24 केरल के, डीएनए परीक्षण से हुआ खुलासा

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कुवैत की एक बिल्डिंग बुधवार की सुबह भीषण आग की चपेट में आ गई। इस हादसे 50 से अधिक लोग काल के गाल में समा गए। इस हादसे में करीब 40 भारतीयों की मौत हो गई। इनमें से अधिकतर केरल के निवासी हैं। केरल के सरकारी अधिकारियों के अनुसार, मारे गए 40 भारतीयों में से 24 केरल से थे।घटना में सात केरलवासी गंभीर रूप से घायल हैं।

केंद्रीय मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि भारत सरकार कुवैत में दुखद आग की घटना में मारे गए लोगों के शवों को वापस लाने के लिए वायु सेना का विमान भेजेगी। मंत्री ने कहा कि कुछ शव इतने जल गए हैं कि उनकी पहचान नहीं हो पा रही है और पीड़ितों की पहचान की पुष्टि के लिए डीएनए परीक्षण किया जा रहा है।

केरल सरकार मृतकों के परिजनों को देगी 5-5 लाख

कुवैत के मंगाफ जिले में हुए भीषण अग्निकांड में जान गंवाने वाले केरल निवासियों के लिए पिनरई विजयन की सरकार ने मुआवजे की घोषणा की है।गुरुवार को आपातकालीन विशेष कैबिनेट बैठक के बाद प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 1-1 लाख रुपये की आर्थिक राहत देने का ऐलान किया है। घटना में 40 भारतीयों समेत 49 लोगों की मौत हुई है। इनमें केरल के निवासियों संख्या 24 है।

केंद्र सरकार ने भी 2-2 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया

कुवैत में मारे गे 40 भारतीयों भारतीय नागरिकों के परिजनों के लिए केंद्र सरकार ने भी प्रधानमंत्री राहत कोष से 2-2 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है।केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह कुवैत रवाना हो गए हैं। वह घायलों की मदद और मृतकों के शवों को भारत लाने के प्रयास में जुटे हैं।उन्होंने जानकारी दी कि शवों के DNA की पहचान चल रही है, जिसके बाद भारतीय वायुसेना के विमानों से उनको भारत लाया जाएगा।

बताया जा रहा है कि इस इमारत में केरल, तमिलनाडु और कुछ अन्य राज्यों के मजदूर रहते थे। इस इमारत में भी किसी चाल की तरह क्षमता से ज्यादा लोग रहते थे।बताया जा रहा है कि इस इमारत से 90 भारतीयों को बचाया गया था। 

भारत सरकार और भारतीय एंबैसी की इस हादसे पर नजर बनी हुई है। हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया था। मामले की जांच अभी जारी है।

अग्निपथ योजना को लेकर सहयोगियों के दबाव में मोदी सरकार? स्कीम की समीक्षा के लिए बनाई समिति*
#modi_3.0_review_panel_formed_regarding_agneepath_scheme
नेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में सरकार का गठन हो गया है। हालांकि, 400 पार का नारा देने वाली बीजेपी एनडीए गठबंधन के बाद भी 300 तक भी नहीं पहुंच सकी। ये बात और है कि सहयोगियों की मदद से बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन सत्ता में आ गई है। हालांकि, शपथ ग्रहण के साथ ही सरकार पर सहयोगियों का दबाव दिखने लगा है। दरअसल एनडीए के सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड के महासचिव और प्रवक्ता केसी त्यागी ने अग्निपथ स्कीन को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था की स्कीम पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। इस बीच केंद्र सरकार ने भी अग्निपथ स्कीम की समीक्षा शुरू कर दी है। केंद्र सरकार ने 10 अलग-अलग मंत्रालयों के सचिवों को अग्निपथ योजना की समीक्षा का कार्य सौंपा है। सचिवों का यह समूह अग्निपथ योजना के जरिए सैनिकों की भर्ती को और अधिक आकर्षक बनाने के तरीके सुझाएगा। इस पहल के जरिए यदि अग्निपथ योजना में कोई कमी हो तो उसे भी दूर किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि शीघ्र ही सचिवों का यह समूह अपनी रिपोर्ट सरकार को देगा। प्रधानमंत्री इन दिनों 'जी-7 शिखर सम्मेलन' में हैं। प्रधानमंत्री के वापस स्वदेश लौटने पर उनके समक्ष सचिवों के पैनल की रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सकती है। माना जा रहा है सचिवों का समूह अग्निपथ योजना के अंतर्गत वेतन भत्तों में बढ़ोतरी वह कुछ अन्य लाभ बढ़ाने का प्रस्ताव दे सकता है। हालांकि अभी इस संबंध में कोई भी औपचारिक या अनौपचारिक विचार सामने नहीं आया है। यह महत्वपूर्ण समीक्षा सरकार के प्रथम 100 दिवसीय एजेंडे में शामिल है। सचिवों का समूह 16 जून से पहले विवरण तैयार करेगा और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में एक विस्तृत प्रजेंटेशन देगा।' उन्होंने कहा कि प्रजेंटेशन 17 या 18 जून को होने की संभावना है। राज्यों सहित अन्य हितधारकों से सिफारिशों और फीडबैक की समीक्षा करने के बाद पीएमओ योजना में बदलावों पर अंतिम फैसला लेगा। इधर, भारतीय सेना ने भी अग्निपथ योजना की समीक्षा का कार्य शुरू किया है। जानकारी के मुताबिक इस पूरी प्रक्रिया पर सेना एक आंतरिक मूल्यांकन कर रही है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना अग्निवीरों की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना में बदलावों पर चर्चा कर रही है। इस चर्चा में अग्निवीरों के ट्रेनिंग पीरियड को बढ़ाना और साथ ही साथ ट्रेनिंग पूरी हो जाने के बाद मौजूदा 25 प्रतिशत अग्निवीरों को ही आगे मौका देने के नियमों में बदलाव करना शामिल है। सेना चाहती है कि अग्निवीरों की ट्रेनिंग के बाद भी अग्निवीरों की संख्या 60-70 प्रतिशत तक बरकरार रखी जाए। मौजूदा नियमों के मुताबिक, ट्रेनिंग पूरी होने के बाद अग्निवीरों का केवल 25 प्रतिशत हिस्सा ही रखा जाएगा। 75 प्रतिशत अग्निवीरों को करीब 12 लाख रुपये का भुगतान करके जाने दिया जाएगा। सेना का यह भी कहना है कि अग्निपथ योजना से पहले सैनिकों का ट्रेनिंग पीरियड 37 से 42 सप्ताह के बीच था, लोकिन अग्निवीरों के लिए यह घटाकर 24 सप्ताह कर दिया गया। इसका प्रतिकूल असर उनके ओवरऑल ट्रेनिंग में देखने को मिल रहा है। बता दें कि 2024 के आम चुनाव में बीजेपी को चुनावी नुकसान उठाना पड़ा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना था कि कई मुद्दों में अग्निपथ योजना भी एक रही, जो मोदी सरकार के लिए नुकसान साबित हुई और भाजपा को बहुमत भी हासिल नहीं हुआ। चुनाव अभियान के दौरान विपक्ष ने इस योजना के खिलाफ माहौल बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में विपक्ष का यह एजेंडा चल निकला। मतदाता इस बात को लेकर नाराज हैं कि अग्निवीरों को नौकरी की सुरक्षा की गारंटी नहीं दी गई।ऐसे में केंद्र सरकार चाहती है कि जितनी जल्दी हो सके अग्निपथ स्कीम की हर कमी को दूर कर लिया जाए। जिससे आने वाले चुनावों में इसका खामीयाजा बीजेपी को ना चुकाना पड़े।
सरकार मुफ्त में शौचालय बनाने के लिए दे रही 12000! यहां से करें अप्लाई, जानिए, पूरी डिटेल में योजना

देश में सरकार जनता के लिए कई तरह की योजना चला रही है, जिसके लाभ भी देश के करोडो लोगों को मिल रहा है आज हम एक ऐसी ही योजना की जानकारी देने जा रहे है, जिसका लाभ आप आसानी से उठा सकते हैं। दरअसल, अब सभी को अपने घर में शौचालय की जरूरत होती है। लेकिन कई लोगों की स्तिथि ऐसी नहीं होती है कि वे शौचालय बनवा लें। ऐसे में भारत सरकार इस तरह के लोगों के लिए योजना चला रही है, जिसके माध्यम से आपको 12,000 रुपये तक दे सकती है। इसके लिए आपको बस स्वच्छ भारत मिशन योजना के लिए आवेदन करने की आवश्यकता है। बता दें कि, यह योजना ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए है। SBM Yojana Online Apply करने और पैसे पाने के लिए, इस लेख को अंत तक पढ़ें। SBM Yojana Online Apply यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को इसकी शुरुआत की थी। जो कि आज भी निरंतर चल रही है हर साल कई लोग इसका लाभ ले रहे हैं। इस योजना के माध्यम से सरकार 12,000 रुपये देकर शौचालय के बिना परिवारों की मदद करता है। धन को उस व्यक्ति के बैंक खाते में दो भागों में भेजा जाता है जिसे इसकी आवश्यकता होती है। आज भी देश में कई कई गरीब परिवार ऐसे है, जिसके यहां अभी भी शौचालय नहीं है। बता दें कि, हर साल, एक निश्चित अवधि के लिए, लोग इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। अभी, आप स्वच्छ भारत मिशन पोर्टल के माध्यम से SBM Yojana Online Apply कर सकते हैं स्वच्छ भारत मिशन योजना 2024 के लिए कौन पात्र हैं? SBM Yojana Online Apply के लिए आवेदन, आपको सरकार द्वारा निर्धारित कुछ आवश्यकताओं को पूरा करने की आवश्यकता है: इस योजना के लिए आवेदन करने के लिए भारत का निवासी होना चाहिए। आपके परिवार के पास पहले से ही घर पर शौचालय नहीं होना चाहिए। गरीबी रेखा से नीचे गिरने वाले परिवार पात्र हैं। आपको आवश्यक दस्तावेज होने की आवश्यकता है। स्वच्छ भारत मिशन योजना 2024 के लिए दस्तावेज स्वच्छ भारत मिशन योजना के लिए आवेदन करने के लिए आपको निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी: आवेदक का आधार कार्ड पहचान पत्र मोबाइल नंबर फोटो बैंक खाता पासबुक स्वच्छ भारत मिशन योजना 2024 के फायदे SBM योजना उन लोगों की मदद करता है जो उन्हें एक बनाने के लिए पैसे देकर शौचालय नहीं दे सकते। सरकार इसके लिए दो भागों में 12,000 रुपये देती है। लक्ष्य लोगों को बाहर बाथरूम में जाने और हमारे पर्यावरण को साफ करने से रोकना है। यह योजना लोगों को स्वस्थ बनाती है क्योंकि यह दस्त और हैजा जैसी बीमारियों को फैलने से रोकती है। इसके अलावा, शौचालय होने का मतलब है कि महिलाएं और लड़कियां सुरक्षित और अधिक सम्मानित हैं। स्वच्छ भारत मिशन योजना 2024 के लिए आवेदन कैसे करे? SBM Yojana Online Apply प्रक्रिया में दो चरण होते हैं। प्रारंभ में, आपको पंजीकरण करना होगा, इसके बाद लॉग इन करना और आवेदन पत्र भरना होगा। यदि आप पहले से ही पंजीकृत हैं, तो आप सीधे आवेदन पत्र पर आगे बढ़ सकते हैं। यहाँ दोनों चरणों को पूरा करने के लिए एक चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका है: ऑनलाइन आवेदन करने के लिए स्वच्छ भारत मिशन की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। होमपेज मेनू पर, “Citizen Corner” पर क्लिक करें और क्लिक करें। सिटीजन कॉर्नर में ड्रॉपडाउन मेनू से, “Application Form For IHHL” चुनें। यह चयन आपको नागरिक पंजीकरण के लिए एक पृष्ठ पर ले जाएगा। “Citizen Ragistration” पर क्लिक करके आगे बढ़ें। अपना मोबाइल नंबर दर्ज करें और सत्यापन कोड प्राप्त करने के लिए “Get OTP” पर क्लिक करें। प्राप्त ओटीपी को सत्यापित करें। आवश्यक जानकारी के साथ फॉर्म भरें और इसे जमा करें। सबमिशन करने पर, आप अपना लॉगिन आईडी और पासवर्ड प्राप्त करेंगे। OTP को लॉग इन करने और सत्यापित करने के लिए अपने पंजीकृत मोबाइल नंबर का उपयोग करें। प्रदान किया गया सुरक्षा कोड दर्ज करें और “Sign-In” पर क्लिक करें। अब, आप एक नए एप्लिकेशन के लिए विकल्प देखेंगे। इस पर क्लिक करें। एप्लिकेशन फॉर्म आपकी स्क्रीन पर दिखाई देगा। सभी जानकारी भरें और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें। अंत में, आवेदन जमा करें। नोट - अधिक जानकारी के लिए भारत सरकार के अधिकृत वेबसाइट या अधिकृत अधिकारी से संपर्क करें
ब्रेकिंग: NEET के छात्रों की बड़ी जीत! 1563 छात्रों को फिर से देनी होगी परीक्षा, रद्द होंगे सभी के स्कोरकार्ड, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी

नीट यूजी रिजल्ट 2024 मामले में दायर 3 याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है। दो याचिका पर नोटिस जारी कर दिया है। वहीं तीसरी याचिका पर सुनवाई चल रही है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 1563 उम्मीदवारों के स्कोरकार्ड रद्द करने का निर्णय लिया गया है, जिन्हें ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। केंद्र ने कहा कि इन 1563 छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का विकल्प दिया जाएगा। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि काउंसलिंग चलती रहेगी और हम इसे नहीं रोकेंगे। यदि परीक्षा होती है, तो सब कुछ समग्रता से होता है, इसलिए डरने की कोई बात नहीं है। NEET-UG 2024 में ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 कैंडिडेट्स के स्कोर कार्ड रद्द किए जाएंगे। यह जानकारी केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी। उन्होंने कहा- जिनके स्कोर कार्ड रद्द होंगे, उन्हें फिर से परीक्षा देने का ऑप्शन दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में आज (13 जून) को NEET-UG 2024 रिजल्ट को चुनौती देने वाली 3 याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। ये याचिकाएं 4 जून को रिजल्ट आने के बाद दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं में मांग है कि परीक्षा में गड़बड़ी के आरोपों की जांच SIT-एक्सपर्ट कमेटी से कराई जाए। वकील जे साई दीपक ने कहा कि हम मनमाने ढंग से अनुग्रह अंक देने और अनुचित तरीके अपनाने के खिलाफ हैं। यह कहना होगा कि यह यहां लंबित याचिका के परिणामों के अधीन है अन्यथा यह असफल हो जाएगा। NTA की ओर से वकील कनु अग्ररवाल ने कहा कि 12 जून को हुई बैठक के बाद एक निर्णय लिया गया है। इससे पहले 11 जून को सुप्रीम कोर्ट ने स्‍टूडेंट शिवांगी मिश्रा और 9 अन्य छात्रों की याचिका पर सुनवाई की थी। इसे रिजल्ट की घोषणा से पहले 1 जून को दायर किया गया था। कैंडिडेट्स ने ब‍िहार और राजस्‍थान के एग्‍जाम सेंटर्स पर गलत क्‍वेश्‍चन पेपर्स बंटने के चलते हुई गड़बड़ी की शिकायत की थी और परीक्षा रद्द कर SIT जांच की मांग की गई थी।
मध्य अफ्रीका के कांगो में नदी में पलटी 270 यात्रियों से भरी नाव, 80 से ज्यादा लोगों की मौत, राष्ट्रपति ने दिए जांच के आदेश

मध्य अफ्रीका में स्थित देश कांगो की राजधानी किंशासा के पास एक नदी में 270 से ज्यादा यात्रियों को ले जा रही एक नाव पलट गई। इस हादसे में 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। यह जानकारी बुधवार को देश के राष्ट्रपति फेलिक्स त्सेसीकेदी ने दी। 150 से अधिक लोगों ने तैरकर अपनी जान बचाई। राष्ट्रपति फेलिक्स त्सेसीकेदी ने हादसे के जांच के आदेश दिए हैं। नाव टक्कर के बाद टूट गई जिसके चलते बड़ा हादसा हुआ। कांगो में लोग पैसों के आभाव में ऐसी नावों में यात्रा करते हैं जिसके चलते ओवरलोडिंग जैसी परिस्थिति अक्सर देखी गई। यह मुशी के सबसे नजदीकी शहर के पास करीब 70 किलोमीटर (43 मील) दूर है। राष्ट्रपति फेलिक्स त्सेसीकेदी ने एक्स पर पर लिखा कि डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो के माई-नडोम्बे प्रांत में मुशी शहर से 70 किलोमीटर दूर क्वा नदी पर हुई नाव दुर्घटना में 80 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारणों की जांच के आदेश दिए गए हैं, ताकि भविष्य में ऐसी आपदा फिर ना हो। आयुक्त ने बताया कि नाव, नदी के किनारे से टकरा गई और टूट गई। कांगो के अधिकारियों ने अक्सर ओवरलोडिंग के खिलाफ चेतावनी दी है और जल परिवहन के लिए सुरक्षा उपायों का उल्लंघन करने वालों को सजा देने की बात भी कही है। बता दें कि दूरदराज के इलाकों में जहां से ज्यादातर यात्री आते हैं, वहां कई लोग उपलब्ध सड़कों के कारण सार्वजनिक परिवहन का खर्च नहीं उठा पाते हैं, इसलिए नाव का विकल्प चुनते हैं।