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मालदीव ने इजराइली नागरिकों के एंट्री पर लगाया बैन, मुइज्जू के फैसले पर तेल अवीव ने कर दी भारत की तारीफ
#israeli_citizens_not_allowed_in_maldives चीन के इशारों पर काम करने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने बड़ा फैसला लिया। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने देश में इजरायली नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। गाजा में इजरायली हमले को लेकर मुस्लिम देश में बढ़ते विरोध के बीच इजरायली पासपोर्ट धारकों के प्रवेश को रोकने के लिए कानूनी संशोधन करने का फैसला लिया गया है। एशिया के छोटे से देश मालदीव ने ऐलान किया है कि वो अपनी सरहद में इजराइली नागरिकों के प्रवेश पर बैन लगाएगा। जिसके बाद इजराइल के विदेश मंत्रालय ने अपने नागरिकों को हिदायत दी है कि वे मालदीव की यात्रा करने से परहेज करें। राष्ट्रपति कार्यालय में एक आपातकाली प्रेस वार्ता में गृह मंत्री अल इहसुन ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने इजरायली पासपोर्ट पर मालदीव में प्रवेश पर प्रतिबंध के लिए कानून में बदलाव का फैसला किया है। इसकी निगरानी के लिए मंत्रियों की एक विशेष समिति गठित की गई है। मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू ने कैबिनेट की सिफारिश के बाद इजरायली पासपोर्ट पर प्रतिबंध लगाने का संकल्प लिया है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, कैबिनेट के फैसले में इजरायली पासपोर्ट धारकों को मालदीव में प्रवेश करने से रोकने के लिए आवश्यक कानूनों में संशोधन करना और इन प्रयासों की निगरानी के लिए एक कैबिनेट सब-कमिटी की स्थापना करना शामिल है। इजराइल पर यात्रा प्रतिबंध लगाने को लेकर पिछले साल इजराइल और फिलीस्तीन में जंग छिड़ने के बाद नवंबर में मालदीव के एक एमपी नशीद अब्दुल्ला ने प्रस्ताव पेश किया था।इस प्रस्ताव में सरकार से इजराइली पासपोर्ट रखने वाले नागरिकों के देश में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। अब मालदीव की सरकार ने इजराइलियों के ट्रैवल पर पाबंदी लगी दी है। मालदीव ने ये फैसला जनता में इजराइल के खिलाफ बढ़ते गुस्से के बाद लिया है। बता दें कि इजराइल की बढ़ती आक्रामकता के बाद मालदीव में कई फिलिस्तीनी समर्थित प्रदर्शन देखने मिले हैं। बता दें कि मालदीव की आबादी 5 लाख से ज्यादा है और पूरी दुनिया से हर साल करीब 17 लाख टूरिस्ट मालदीव घूमने आते हैं। इसमें इजराइल से लगभग 15,000 पर्यटक शामिल हैं। पिछले साल करीब 11 हजार इजराइली नागरिकों ने मालदीव की यात्रा की थी। मुइज्जू के प्रतिबंध के फैसले पर सोशल मीडिया पर एक बार फिर मालदीव ट्रेंड करने लगा है। इजरायली मालदीव की जमकर आलोचना कर रहे हैं। इसके साथ ही इजरायली भारत की चर्चा करने लगे हैं। सोशल मीडिया पर भारत में मौजूद शानदार बीच डेस्टिनेशन की तस्वीरें शेयर की जाने लगी हैं। पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर पांच हजार रॉकेट दागे थे। इसके साथ ही हमास के लड़ाके दक्षिणी इजरायल में घुस आए थे और लगभग 250 लोगों को बंधक बना लिया था। हमास के इस हमले में करीब 1200 लोग मारे गए थे। इसके बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ जंग शुरू कर दी। कुछ महीनों पहले इजरायल और हमास के बीच हुई सीजफायर डील में कई बंधकों को छोड़ दिया गया था, लेकिन अब भी दर्जनों बंधक हमास के कब्जे में हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू का कहना है कि जब तक हमास का खात्मा नहीं होता, तब तक जंग जारी रहेगी। वहीं, इजरायल गाजा युद्ध का दुनियाभर के देश विरोध कर रहे हैं। कोई इजरायल का साथ दे रहा है तो कोई गाजा का समर्थन कर रहा है। इस युद्ध की वजह से इजरायल को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से भी मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं।
3 जून वो तारीख जिस दिन देश में खींच गई थी लकीर, लॉर्ड माउंटबेटन ने किया था बंटवारे का ऐलान

#3_june_1947_mountbatten_plan_decided_the_fate_of_india_pakistan

करीब 300 साल तक अंग्रेजों की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी का सपना साकार हुआ था। हालांकि भारत को ये आजादी अपना एक हिस्सा गंवाने की शर्त पर मिली थी। उस शर्त ने भारत का इतिहास और भूगोल दोनों बदल दिया। वर्ष 1947 में आज ही के दिन ब्रिटिश राज में भारत के अंतिम वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन ने देश के बंटवारे का ऐलान किया था। भारत के बंटवारे की इस घटना को ‘तीन जून योजना’ या ‘माउंटबेटन योजना’ के तौर पर जाना जाता है।देश में दंगे हो रहे थे और केंद्र में कांग्रेस की अंतरिम सरकार हालात को काबू में नहीं कर पा रही थी, क्योंकि कानून एवं व्यवस्था का मामला प्रांतों के पास था। लिहाजा, राजनीतिक और सांप्रदायिक गतिरोध को खत्म करने के लिए ‘तीन जून योजना’ आई जिसमें भारत के विभाजन और भारत तथा पाकिस्तान को सत्ता के हस्तांतरण का विवरण था।

3 जून 1947 भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन था। इस दिन ब्रिटिश भारत के विभाजन और आजादी की घोषणा की गई। यह योजना भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा तैयार की गई थी। इस दिन ही लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त 1947 तय की थी।इस दिन फैसला लिया गया कि भारत को दो आजाद देश भारत और पाकिस्तान में विभाजित किया जाएगा। सिख बहुल क्षेत्रों का भविष्य जनमत संग्रह द्वारा तय किया जाएगा। पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल का विभाजन धार्मिक आधार पर होगा। सिंध को पाकिस्तान में शामिल किया जाएगा।

3 जून की योजना में कहा गया कि भारत को देशों के बंटवारे को ब्रिटेन की संसद मानेगी और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता भी देगी। दोनों देशों की सरकारों को डोमिनियन दर्जे के साथ ब्रिटिश राष्ट्रमंडल का सदस्य बनने के फैसला का अधिकार भी दिया जाएगा। प्लान में तय किया गया कि हिंदु बहुल इलाके भारत को और मुस्लिम बहुत इलाके पाकिस्तान को दे दिए जाएगे। जबकि देशके 565 रियासतों को यह आजादी दी गई कि वे भारत या पाकिस्तान में से किसी में भी शामिल हो सकते हैं।

इसी प्लान का एक सबसे अहम हिस्सा सेना का बंटवारा था। साथ ही विभाजन के इलाकों को भी मोटे तौर पर तय किया गया। इसके साथ ही दोनों देशों के विधायी अधिकार, गवर्नर जनरल की शक्तियों को भी परिभाषित किया गया था।ऐलान के बाद जुलाई के शुरू में भारतीय सेना के हर अधिकारी को एक फार्म दिया गया। उसमें हर अधिकारी से यह बताने को कहा गया था कि वह भारतीय सेना में काम करेगा या पाकिस्तानी सेना में जाना चाहेगा। इसी तरह बंटवारे के वक्त तय हुआ कि भारत की चल संपत्ति का 80 प्रतिशत भारत को मिलेगा और 20 प्रतिशत पाकिस्तान के हिस्से में जाएगा।

माउंटबेटन की इस घोषणा के बाद लाखों लोगों का विस्थापन और सांप्रदायिक हिंसा हुई। पूरा देश साम्प्रदायिक दंगों में उलझ गया। पहले से जारी राजनैतिक और तेज हो गईं। झगड़ा इसको मानने को लेकर था। बंटवारे में करीब सवा करोड़ लोग इधर से उधर हुए। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक बंटवारे के बाद जो हिंसा हुई, उसमें करीब 10 लाख लोग मारे गए। हजारों महिलाओं को अगवा कर लिया गया। उनके साथ रेप और जोर जबरदस्ती हुई।

पाक आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में निशांत अग्रवाल को आजीवन कारावास, जानिए पूरा मामला

नागपुर की एक अदालत ने सोमवार को पाकिस्तान की आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। निशांत अग्रवाल को 2018 में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में जानकारी लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अग्रवाल ब्रह्मोस एयरोस्पेस में एक वरिष्ठ सिस्टम इंजीनियर थे, जो डीआरडीओ और रूस के सैन्य औद्योगिक संघ (एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया) के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जो भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल पर काम करता था, जिसे जमीन, हवा, समुद्र और पानी के नीचे से लॉन्च किया जा सकता है।

अग्रवाल को 14 साल के कठोर कारावास (आरआई) की सजा भी भुगतनी होगी और उन पर 3,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एमवी देशपांडे ने आदेश में कहा कि अग्रवाल को आईटी अधिनियम की धारा 66 (एफ) और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराध के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 235 के तहत दोषी ठहराया गया था। 

विशेष लोक अभियोजक ज्योति वजानी ने कहा, "अदालत ने अग्रवाल को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत आजीवन कारावास और 14 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और उन पर 3,000 रुपये का जुर्माना लगाया।" अग्रवाल को पिछले अप्रैल में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने जमानत दी थी।

2018 में इस मामले ने हलचल मचा दी थी क्योंकि यह ब्रह्मोस एयरोस्पेस से जुड़ा पहला जासूसी घोटाला था। अग्रवाल दो फेसबुक अकाउंट - नेहा शर्मा और पूजा रंजन के माध्यम से संदिग्ध पाकिस्तानी खुफिया गुर्गों के संपर्क में थे। इस्लामाबाद से संचालित इन अकाउंट्स के बारे में माना जाता है कि वे पाकिस्तान के खुफिया गुर्गों द्वारा चलाए जा रहे थे।

निशांत अग्रवाल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा युवा वैज्ञानिक पुरस्कार के विजेता थे और इसलिए इस तरह की गतिविधि में उनकी भागीदारी ने उनके सहकर्मियों को चौंका दिया। उन्हें एक प्रतिभाशाली इंजीनियर के रूप में जाना जाता था, उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र से पढ़ाई की थी।

मामले की जांच करने वाले पुलिस ने कहा कि निशांत ने इंटरनेट पर अपने लापरवाह रवैये से खुद को आसान लक्ष्य बना लिया, हालांकि वह बेहद संवेदनशील काम में लगे हुए थे।

अमित शाह के खिलाफ जयराम रमेश के आरोपों पर सीईसी राजीव कुमार के कड़े शब्द*

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सोमवार, 3 जून को कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा यह आरोप लगाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के लिए मतदान पूरा होने के बाद देश भर के 150 जिलाधिकारियों को फोन किया था। उन्होंने कहा, "अफवाह फैलाना और सभी पर संदेह करना सही नहीं है।" ...क्या कोई उन सभी (जिलाधिकारियों/रिटर्निंग अधिकारियों) को प्रभावित कर सकता है? हमें बताएं कि यह किसने किया। हम उस व्यक्ति को दंडित करेंगे जिसने ऐसा किया...यह सही नहीं है कि आप अफवाह फैलाएं और सभी पर संदेह करें," राजीव कुमार ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतगणना से एक दिन पहले एक प्रेस वार्ता में कहा। राजीव कुमार ने मतगणना से पहले बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों द्वारा उठाई गई मांगों को भी स्वीकार कर लिया। "बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर विचार किया गया है। उन्होंने मांग की है कि नियंत्रण इकाइयों की गतिविधियों की सीसीटीवी कैमरे से निगरानी होनी चाहिए। ऐसा किया जाएगा," सीईसी कुमार ने कहा। विपक्ष के भारत ब्लॉक के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को चुनाव आयोग की पूर्ण पीठ से मुलाकात की और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि 4 जून को सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जाए। इससे पहले, भारत के चुनाव आयोग ने जयराम रमेश से उनके सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट के माध्यम से उनके सार्वजनिक बयान के लिए तथ्यात्मक जानकारी और विवरण मांगा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अमित शाह ने निर्धारित मतगणना (4 जून) से कुछ दिन पहले 150 डीएम को कॉल किए हैं। चुनाव निकाय ने आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए 2 जून की शाम तक जयराम रमेश से जवाब मांगा था। कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश को लिखे एक पत्र में, चुनाव आयोग ने उल्लेख किया कि "वोटों की गिनती की प्रक्रिया प्रत्येक आरओ पर डाला गया एक पवित्र कर्तव्य है, और एक वरिष्ठ, जिम्मेदार और अनुभवी नेता द्वारा इस तरह के सार्वजनिक बयान संदेह का तत्व पैदा करते हैं और इसलिए, व्यापक जनहित में संबोधित किए जाने योग्य हैं।" "हालांकि, किसी भी डीएम ने किसी भी अनुचित प्रभाव की सूचना नहीं दी है, लेकिन चुनाव आयोग ने जयराम रमेश से 150 डीएम के विवरण और जानकारी मांगी थी, जिन्हें अमित शाह ने फोन किया था। पत्र में आगे कहा गया है कि शाह ने श्री रमेश द्वारा लगाए गए आरोपों को प्रभावित किया है और उन्हें लगता है कि यह सच है, और इस तरह उन्होंने ये आरोप लगाए हैं। इससे पहले शनिवार को जयराम रमेश ने आरोप लगाया था कि "निवर्तमान गृह मंत्री डीएम/कलेक्टरों को फोन कर रहे हैं।" उन्होंने इसे "भाजपा की हताशा" बताया और कहा कि अधिकारियों को इस तरह की धमकी से दबाव में नहीं आना चाहिए। "अब तक उन्होंने 150 लोगों से बात की है। यह स्पष्ट और बेशर्मी से दी गई धमकी है, जो दिखाती है कि भाजपा कितनी हताश है। यह बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए: लोगों की इच्छा प्रबल होगी और 4 जून को श्री मोदी, श्री शाह और भाजपा सत्ता से बाहर हो जाएंगे और भारत जनबंधन विजयी होगा। अधिकारियों को किसी भी दबाव में नहीं आना चाहिए और उन्हें संविधान का पालन करना चाहिए। उन पर नजर रखी जा रही है," जयराम रमेश ने कहा। अगर एग्जिट पोल के नतीजों पर विश्वास किया जाए तो 4 जून को भाजपा सत्ता में वापस आ रही है, जबकि नरेंद्र मोदी जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले एकमात्र प्रधानमंत्री बन जाएंगे। एग्जिट पोल में 'मोदी 3.0' की भविष्यवाणी की गई थी, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी देश के विभिन्न हिस्सों में रैलियों और रोड शो के माध्यम से भाजपा के चुनावी प्रयासों का नेतृत्व कर रहे थे।
दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में के. कविता की न्यायिक हिरासत फिर बढ़ी, अब इस तारीख तक जेल में रहेंगी बीआरएस नेता


दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े ईडी मामले में बीआरएस नेता के. कविता की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। ताजा मामले में आज सोमवार को उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि खत्म होने पर बीआरएस नेता को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अदालत से के. कविता को 3 जुलाई तक न्यायिक हिरासत पर भेज दिया गया। मालूम हो कि आबकारी नीति घोटाला मामले में कविता को ईडी ने 15 मार्च और सीबीआई ने 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया था, जब वह ईडी के मामले में न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद थीं। उल्लेखनीय है कि अदालत ने 29 मई को मामले में बीआरएस नेता के खिलाफ आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के बाद वारंट जारी किया था। इससे पहले 6 मई को अदालत ने ईडी द्वारा दर्ज मामले में बीआरएस नेता की जमानत खारिज कर दी थी।जांच एजेंसी ने अदालत में कहा था कि अगर कविता को जमानत मिलती है तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकती हैं।
लोकसभा चुनाव ख़त्म होते ही, महंगाई शुरू ! 2 रुपए बढ़े अमूल दूध के दाम, टोल टैक्स की दरों में भी इजाफा

आज सोमवार (3 जून) से भारत में टोल टैक्स दरों और अमूल दूध की कीमतों में वृद्धि देखी गई है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने टोल शुल्क में 3-5 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की है, जिसे आमतौर पर थोक मूल्य सूचकांक में बदलाव को दर्शाने के लिए सालाना संशोधित किया जाता है। NHAI की तरफ से कहा गया है कि, इस साल टोल दरों के समायोजन में लोकसभा चुनावों के कारण देरी हुई थी, लेकिन अब इसे लागू कर दिया गया है। बढ़े हुए टोल शुल्क और ईंधन उत्पादों पर करों से मिलने वाले अतिरिक्त राजस्व से राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार को वित्तपोषित करने में मदद मिलेगी। इसके समानांतर, अमूल दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है, जो अधिकतम खुदरा मूल्य में 3-4 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। अमूल दूध की कीमत में यह वृद्धि फरवरी 2023 के बाद पहली है। गुजरात सहकारी दूध विपणन संघ (GCMMF) ने बताया कि कीमतों में बढ़ोतरी परिचालन और उत्पादन लागत में वृद्धि के कारण हुई है। महासंघ के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ने कहा कि किसानों को उनके उच्च उत्पादन व्यय के लिए उचित मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए यह वृद्धि आवश्यक है। कीमतों में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप, विभिन्न अमूल दूध उत्पादों के 500 मिलीलीटर की कीमत में भी वृद्धि हुई है। विशेष रूप से, 500 मिलीलीटर अमूल भैंस दूध की कीमत अब 36 रुपये, 500 मिलीलीटर अमूल गोल्ड दूध की कीमत 33 रुपये और 500 मिलीलीटर अमूल शक्ति संस्करण की कीमत 30 रुपये है। वृद्धि के बावजूद, GCMMF ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रतिशत वृद्धि अभी भी औसत मुद्रास्फीति दर से कम है।
3 जून वो तारीख जिस दिन देश में खींच गई थी लकीर, लॉर्ड माउंटबेटन ने किया था बंटवारे का ऐलान*
#3_june_1947_mountbatten_plan_decided_the_fate_of_india_pakistan
करीब 300 साल तक अंग्रेजों की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी का सपना साकार हुआ था। हालांकि भारत को ये आजादी अपना एक हिस्सा गंवाने की शर्त पर मिली थी। उस शर्त ने भारत का इतिहास और भूगोल दोनों बदल दिया। वर्ष 1947 में आज ही के दिन ब्रिटिश राज में भारत के अंतिम वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन ने देश के बंटवारे का ऐलान किया था। भारत के बंटवारे की इस घटना को ‘तीन जून योजना’ या ‘माउंटबेटन योजना’ के तौर पर जाना जाता है।देश में दंगे हो रहे थे और केंद्र में कांग्रेस की अंतरिम सरकार हालात को काबू में नहीं कर पा रही थी, क्योंकि कानून एवं व्यवस्था का मामला प्रांतों के पास था। लिहाजा, राजनीतिक और सांप्रदायिक गतिरोध को खत्म करने के लिए ‘तीन जून योजना’ आई जिसमें भारत के विभाजन और भारत तथा पाकिस्तान को सत्ता के हस्तांतरण का विवरण था। 3 जून 1947 भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन था। इस दिन ब्रिटिश भारत के विभाजन और आजादी की घोषणा की गई। यह योजना भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा तैयार की गई थी। इस दिन ही लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त 1947 तय की थी।इस दिन फैसला लिया गया कि भारत को दो आजाद देश भारत और पाकिस्तान में विभाजित किया जाएगा। सिख बहुल क्षेत्रों का भविष्य जनमत संग्रह द्वारा तय किया जाएगा। पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल का विभाजन धार्मिक आधार पर होगा। सिंध को पाकिस्तान में शामिल किया जाएगा। 3 जून की योजना में कहा गया कि भारत को देशों के बंटवारे को ब्रिटेन की संसद मानेगी और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता भी देगी। दोनों देशों की सरकारों को डोमिनियन दर्जे के साथ ब्रिटिश राष्ट्रमंडल का सदस्य बनने के फैसला का अधिकार भी दिया जाएगा। प्लान में तय किया गया कि हिंदु बहुल इलाके भारत को और मुस्लिम बहुत इलाके पाकिस्तान को दे दिए जाएगे। जबकि देशके 565 रियासतों को यह आजादी दी गई कि वे भारत या पाकिस्तान में से किसी में भी शामिल हो सकते हैं। इसी प्लान का एक सबसे अहम हिस्सा सेना का बंटवारा था। साथ ही विभाजन के इलाकों को भी मोटे तौर पर तय किया गया। इसके साथ ही दोनों देशों के विधायी अधिकार, गवर्नर जनरल की शक्तियों को भी परिभाषित किया गया था।ऐलान के बाद जुलाई के शुरू में भारतीय सेना के हर अधिकारी को एक फार्म दिया गया। उसमें हर अधिकारी से यह बताने को कहा गया था कि वह भारतीय सेना में काम करेगा या पाकिस्तानी सेना में जाना चाहेगा। इसी तरह बंटवारे के वक्त तय हुआ कि भारत की चल संपत्ति का 80 प्रतिशत भारत को मिलेगा और 20 प्रतिशत पाकिस्तान के हिस्से में जाएगा। माउंटबेटन की इस घोषणा के बाद लाखों लोगों का विस्थापन और सांप्रदायिक हिंसा हुई। पूरा देश साम्प्रदायिक दंगों में उलझ गया। पहले से जारी राजनैतिक और तेज हो गईं। झगड़ा इसको मानने को लेकर था। बंटवारे में करीब सवा करोड़ लोग इधर से उधर हुए। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक बंटवारे के बाद जो हिंसा हुई, उसमें करीब 10 लाख लोग मारे गए। हजारों महिलाओं को अगवा कर लिया गया। उनके साथ रेप और जोर जबरदस्ती हुई।
नतीजों से एक दिन पहले चुनाव आयुक्त बोले- वोटिंग का विश्व रिकॉर्ड बना, 10 हजार करोड़ रुपये पकड़े, हर राउंड का रिजल्ट डिस्प्ले होगा, जानिए बड़ी बात

लोकसभा चुनाव के सात चरणों के मतदान के बाद चार जून यानी कल मतगणना होगी। लोकसभा चुनाव की काउंटिंग से एक दिन पहले इलेक्शन कमीशन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा, ‘सोशल मीडिया में हमारे उपर मीम्स बनाए गए हैं, लापता जेंटलमैन टाइप बहुत से टैग्स हैं। हम सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे, जो सात चरणों के दौरान हुआ। इस बार हमने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। 64.2 करोड़ लोगों ने मतदान किया, जिसमें 31.2 करोड़ महिलाओं ने वोट डाला है। 

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा, कल मल्टीपार्टी मीटिंग में हमसे कुछ मांगें की गई थीं। हम सबको मानेंगे। जैसे सीसीटीवी, दिन तारीख को दिखाया जाए, हर राउंड का रिजल्ट डिस्प्ले होना चाहिए। ये सब होगा। लोग हवा चला देते हैं। फिर हमें ऐसे गुब्बारों की हवा निकालनी पड़ती है। एआरओ की टेबल पर एजेंट अलाउड हैं। यह हमें बताना पड़ा। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा- जिस तरह वोटिंग प्लानिंग से कराई, उसी तरह काउंटिंग भी मुस्तैदी से होगी। 10.50 लाख बूथ, एक हॉल में 14 टेबल। 8000 से ज्यादा उम्मीदवार हैं। 30 से 35 लाख लोग बाहर हैं। वहां माइक्रो ऑब्जर्वर होंगे। कम से कम 70 -80 लाख लोगों के बीच काम होगा। गलती हो ही नहीं सकती।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा- सभी मतदाताओं को सलाम है, वोटिंग का विश्व रिकॉर्ड बना। आयोग ने चुनाव कार्यक्रम में सेवाएं देने वालों की तारीफ की। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा, ‘हमने पूरे चुनाव में पूरी कोशिश रही कि किसी महिला के खिलाफ कुछ गलतबयानी ना हो। ऐसा हुआ तो हमने कड़े निर्देश जारी किया। इस बार जम्मू-कश्मीर में खूब वोट पड़े। घाटी में 51.05 फीसदी मतदान हुआ। अब हम जम्मू कश्मीर में चुनाव कराएंगे, जब सर्वे करने गए थे, तब पूछा था आज जवाब दे रहा हूं। 

 कहा कि हम भारत के मतदाताओं को स्टैंडिंग ओवेशन देते हैं। हमने बुजुर्गों के घर जाकर उनका वोट लिया है। 85 वर्ष से ऊपर के उम्र वाले मतदाताओं ने घर बैठे वोट दिया। 1.5 करोड़ मतदान और सुरक्षा कर्मियों की आवाजाही के लिए 135 विशेष ट्रेनों, 4 लाख वाहनों और 1692 फ्लाट्स का इस्तेमाल किया गया। 68763 मॉनिटरिंग टीमें चुनाव की निगरानी में लगी थीं। 

सोशल मीडिया ट्रोलिंग पर कहा- हमें लापता जेंटलमेन कहा गया, लेकिन इसी दौरान देश में वोटिंग का वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया। यह हमारे लोकतंत्र की ताकत है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि, ऐसा पहली बार हुआ है, जब EC लोकसभा चुनाव वोटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है। चुनाव आयुक्त राजीव कुमार मतगणना और एग्जिट पोल पर उठाए जा रहे सवालों पर बात की।

निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 में भाग लेने वाले सभी मतदाताओं का खड़े होकर अभिनंदन किया। राजीव कुमार ने कहा कि हमने 642 मिलियन मतदाताओं का विश्व रिकॉर्ड बनाया है। यह सभी जी7 देशों के मतदाताओं का 1.5 गुना और यूरोपीय संघ के 27 देशों के मतदाताओं का 2.5 गुना है। चुनाव अधिकारियों को हमारी तरफ से संदेश था कि अपना काम करना है, किसी से डरना नहीं है। इसका नतीजा है कि 10 हजार करोड़ का अमाउंट पकड़ा गया, जो 2019 में जब्त किए गए मूल्य का लगभग 3 गुना अधिक है।

चारधाम यात्रा में कम नहीं हो रही श्रद्वालुओं की भीड़, जाम हटाने में जूझता रहा प्रशासनिक अमला, 24 दिन की यात्रा में ही दिखा ऐसा हाल

चारधाम यात्रा को 24 दिन का समय पूरा हो गया है। लेकिन धामों में दर्शन के लिए श्रद्वालुओं की भीड़ कम नहीं हुई है। चारधाम यात्रा प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार अब तक 15.67 लाख श्रद्वालु चारधामों व हेमकुंड साहिब में दर्शन कर चुके हैं। यात्रा के शुरूआती 10 दिन में जहां दर्शन करने वालों की संख्या 5.69 लाख से अधिक थी।

वहीं 14 दिन में 9.97 लाख से ज्यादा ने दर्शन किए हैं। इस बार चारधाम यात्रा 10 मई और हेमकुंड साहिब की यात्रा 25 मई से शुरू हुई। चारधाम यात्रा के शुरूआती 10 दिन में केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में 5.69 लाख अधिक श्रद्वालुओं ने दर्शन किए।

धामों में दर्शन के लिए भीड़ बढ़ने और यात्रा मार्गों पर घंटों जाम लगने से सरकार व प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी। भीड़ नियंत्रित करने के लिए सरकार ने ऑफलाइन पंजीकरण पर भी रोक लगाई थी। एक जून से फिर से आफलाइन पंजीकरण खोल दिए गए। यात्रा मार्गों में अब जाम की पहली जैसी स्थिति नहीं है। लेकिन धामों में दर्शन के लिए काफी भीड़ है।

अब तक का हाल

धाम            पंजीकरण             दर्शन कर चुके

केदारनाथ        11.81 लाख              6,27,213

बदरीनाथ         11.06 लाख               3,79,042

गंगोत्री            6.48 लाख               2,75,210

यमुनोत्री           5.68 लाख              2,85,631

हेमकुंड साहिब        1.30 लाख              23,425

चौंकाने वाले नतीजों के लिए तैयार रहें”, एग्जिट पोल के आंकड़ों के बाद बोली सोनिया गांधी

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लोकसभा चुनाव के परिणाम कल यानी चार जून को जारी किए जाएंगे। इससे पहले आए एग्जिट पोल्स में मोदी सरकार की सत्ता में वापसी हो रही है। एग्जिट पोल्स के आंकड़ों पर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का बयान आया है। सोनिया ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव के असल परिणाम एग्जिट पोल के अनुमान से बिल्कुल विपरीत होंगे। हमें बस इंतजार करना होगा। बता दें कि विपक्षी गठंबधन इंडिया ने सभी एग्जिट पोल्स को झूठा बताते हुए खुद की जीत का दावा किया है। विपक्ष का कहना है कि कल हमें 295 से ज्यादा सीट मिलेंगी। सोनिया के पहले राहुल गांधी भी 295 सीटें जीतने की भविष्यवाणी कर चुके हैं।

चुनाव पूरा होने के बाद आए एग्जिट पोल में मोदी सरकार की तीसरे बार सत्ता में वापसी होने जा रही है।कांग्रेस संसदीय समिति की अध्यक्ष सोनिया गांधी से इस संबंध मे जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमें इंतजार करना होगा। बस इंतजार करें और देखें। हमें पूरी उम्मीद है कि नतीजे एग्जिट पोल के नतीजों से बिल्कुल उलट होंगे।सोनिया गांधी डीएमके कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंची थीं। यहां से निकलते वक्त उन्होंने यह टिप्पणी की। इससे पहले सोनिया गांधी ने डीएमके के दिग्गज नेता एम. करुणानिधि को उनकी 100वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी। 

बता दें कि 1 जून को लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण की वोटिंग के बाद अग्जिट पोल्स के नतीजे जारी किए गए। ज्यादातर एग्जिट पोल्स ने अनुमान जताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार सत्ता में बने रहेंगे और भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को लोकसभा चुनावों में भारी बहुमत मिल सकता है। अधिकांश ने अनुमान जताया है कि भाजपा नीत गठबंधन 350 से अधिक सीटें जीतेगा। यह आंकड़ा सरकार बनाने के लिए जरूरी 272 सीटों के बहुमत के आंकड़े से काफी अधिक है। इन्हीं पोल्स में कांग्रेस और अन्य इंडिया ब्लॉक पार्टियों को 150 के आसपास सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है।