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दिल्ली महिला आयोग के 223 कर्मचारी बर्खास्त, एलजी वीके सक्सेना के आदेश पर कार्रवाई

#delhi_women_commission_223_employees_removed

दिल्ली महिला आयोग के कर्मचारियों पर दिल्ली के उपराज्यपाल के आदेश पर बड़ा एक्शन हुआ है।उपराज्यपाल वीके सक्सेना के आदेश पर दिल्ली महिला आयोग से 223 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निकाल दिया गया है।आरोप है कि दिल्ली महिला आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने नियमों के खिलाफ जाकर बिना इजाजत इनकी नियुक्ति की थी।उपराज्यपाल के आदेश में डीसीडब्ल्यू एक्ट का हवाला दिया गया है। जिसमें बताया गया है कि आयोग में सिर्फ 40 पद ही स्वीकृत हैं। डीसीडब्ल्यू के पास ठेके पर कर्मचारी रखने का अधिकार नहीं है।

दरअसल, ये सभी कर्मचारी वे कर्मचारी हैं, जिनकी नियुक्ति दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने की थी। आरोप है कि दिल्ली महिला आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष स्वाति मलीवाल ने नियमों के विरुद्ध जाकर बिना अनुमति के इनकी नियुक्ति की थी।

अब दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली महिला आयोग से 223 कर्मचारियों की छुट्टी कर दी है।एलजी ऑफिस द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। आदेश में दिल्ली महिला आयोग एक्ट का हवाला दिया गया है, जो कहता है कि आयोग में सिर्फ 40 पद ही स्वीकृत हैं और उनके पास ठेके पर कर्मचारी रखने का अधिकार नहीं है। दिल्ली महिला आयोग डिपार्टमेंट के एडिशनल डायरेक्टर की तरफ से जारी इस आदेश में ये भी कहा गया है कि नई नियुक्तियों से पहले जरूरी पदों का कोई मूल्यांकन नहीं हुआ था और न ही अतिरिक्त वित्तीय बोझ की अनुमति ली गई थी।

बता दें कि दिल्ली महिला आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष स्वाती मालीवाल आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद हैं। इसी साल 5 जनवरी को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया था। स्वाति मालीवाल ने 9 साल तक दिल्ली महिला आयोग का नेतृत्व किया। पैनल के अध्यक्ष का पद फिलहाल खाली है।

बृजभूषण सिंह का टिकट कटना तय! इस नेता पर दांव लगाने की तैयारी में बीजेपी*
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उत्तर प्रदेश की कैसरगंज लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी का कौन उम्मीदवार होगा, इसको लेकर अभी तक पार्टी ने पत्ते नहीं खोले हैं। नामांकन अंतिम दौर में है। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा अपने पत्ते खोल सकती है।कैसरगंज को लेकर मंथन दिल्ली तक चल रहा है। प्रत्याशी तय करने में पार्टियां नफा- नुकसान पर इतनी गंभीर हैं कि नाम तय करने में पसीना छूट रहा है। इस बीच खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश की कैसरगंज लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी मौजूदा सांसद का टिकट काट सकती है।सूत्रों का दावा है कि बीजेपी की स्थानीय इकाई की ओर से बृजभूषण शरण सिंह का नाम भेजा गया है। हालांकि महिला पहलवानों के मामले के चलते बीजेपी कैसरगंज से बृजभूषण का टिकट काट सकती है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दे सकती है। यही नहीं, पार्टी उनकी पत्नी के नाम पर भी विचार कर सकती है। करण भूषण सिंह बीजेपी सांसद बृजभूषण सिंह के छोटे बेटे हैं। बड़े बेटे प्रतीक बीजेपी से विधायक हैं। सूत्रों के मुताबिक बृजभूषण शरण सिंह अपने टिकट पर अड़े हुए हैं लेकिन आलाकमान इस पक्ष में नहीं हैं।करण भूषण के नाम पर पार्टी और बृजभूषण शरण सिंह के बीच सहमति बन सकती है। जिसके बाद जल्द ही उनके नाम का एलान हो सकता हैं। दरअसल, महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न मामले में फंसने के बाद भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह मुश्‍किलों में हैं। पार्टी की ओर से कैसरगंज सीट से उन्‍हें लोकसभा चुनाव के लिए टिकट न दिए जाने को लेकर शुरुआत से ही अटकलें चल रही थीं। अब सूत्र इसकी पुष्टि कर रहे हैं और साफ कहा जा रहा है कि उन्‍हें पार्टी की तरफ से टिकट नहीं दिया जाएगा। अंतिम दौर में पहुंचे नामांकन में अब प्रत्याशी तय करना मजबूरी सा हो गया है।बुधवार को राजनीतिक गलियारों में कई नाम सामने आते रहे, यह अलग बात रही कि किसी नाम पर मुहर नहीं लग सकी। दिल्ली की बैठक का जिक्र जोरों पर रहा कि अब कर्नाटक की घटना के बाद नारी नेतृत्व के हाथ में कैसरगंज की चाभी दी जाए। इसके लिए समाजवादी घराने की बहू जो भगवा रंग धारण किए हैं का नाम भी चर्चा में रहा। वहीं स्थानीय सियासी घराने का नाम भी सुर्खियों में आया। देर शाम तक सिर्फ नामों की चर्चा रही। इसी बीच प्रदेश सरकार के एक डिप्टी सीएम का नाम भी तैरता रहा। बीजेपी के साथ समाजवादी पार्टी की ओर से भी अबतक पत्ते नहीं खोले गए हैं। सपा भी बीजेपी के कदम पर नजरे जमाए है। माना जा रहा है सपा में चार से पांच नामों को लेकर चर्चाएं ज़ोरों पर चल रही है। भाजपा के बाद सपा भी इस सीट पर अपने उम्मीदवार के नाम का एलान कर सकती है।
फिलीस्‍तीन के समर्थन में आया भारत, संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता देने की मांग पर साथ खड़ा, इजराइल को लगने वाली है मिर्ची*
#india_support_palestine_membership_at_united_nations

इजरायल और हमास के बीच जंग जारी है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र में भारत ने इजराइल फिलीस्तीन विवाद पर रुख साफ किया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत ने दो-राज्य समाधान के लिए समर्थन दोहराया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत, दो राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। तभी फिलीस्तीन के लोग सुरक्षित सीमाओं के साथ आजादी से रह सकेंगे। साथ ही इजराइल की सुरक्षा चिंताओं का भी समाधान हो सकेगा। संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, "भारत दो राज्य समाधान का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां फिलिस्तीनी लोग इजरायल की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित सीमा के भीतर एक स्वतंत्र देश में स्वतंत्र रूप से रहने में सक्षम हैं।" उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के आवेदन पर पुनर्विचार करने की बात कही। बता दें कि फिलिस्तीन ने पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए आवेदन किया था, जो अमेरिका के वीटो के चलते पास नहीं हो सका था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कंबोज ने कहा, "भारत की दीर्घकालिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए हम आशा करते हैं कि उचित समय पर इस पर पुनर्विचार किया जाएगा और संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के फिलिस्तीन के प्रयास को समर्थन मिलेगा।" उन्होंने बताया कि भारत ने इस मामले पर महासभा के दसवें आपातकालीन विशेष सत्र की पूर्ण बैठक बुलाने के महासभा के इरादे पर गौर किया है और इसमें सक्रिय रूप से भाग लेगा। 18 अप्रैल को, अमेरिका ने फ़िलिस्तीन को राज्य का दर्जा देने के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को रोकने के लिए अपनी वीटो शक्ति का उपयोग किया। 12-1 के वोट में, एक अमेरिकी वीटो और दो अनुपस्थित थे। यूएनएससी ने उस मसौदा प्रस्ताव को नहीं अपनाया जो फिलिस्तीन को पूर्ण संयुक्त राष्ट्र सदस्य राज्य के रूप में शामिल होने की अनुमति देने के लिए व्यापक संयुक्त राष्ट्र सदस्यता के साथ मतदान कराने के लिए महासभा की सिफारिश करता है। बैठक के दौरान भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कांबोज ने हमास की भी निंदा की। 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल के ऊपर हमास ने हमला किया था। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को सही नहीं ठहराया जा सकता है। आतंकवाद के खिलाफ भारत हमेशा रहा है। हम सभी बंधकों को बिना शर्त रिहाई की मांग भी करते हैं। कांबोज ने गाजा में अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानवीय कानूनों का पालन करने को कहा। बातचीत के दौरान कांबोज ने गाजा में लोगों के लिए सहायता बढ़ाने को भी कहा। उन्होंने कहा, स्थिति सुधारने के लिए लोगों की सहायता करना जरूरी है। गाजा के लोगों की मानवीय सहायता तुरंत बढ़ाए जाने की जरूरत है। उन्होंने सभी से साथ आने का आग्रह किया। कहा, हम इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों का स्वागत करते हैं। भारत ने फिलिस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान की है और आगे भी करता रहेगा।
गोल्डी बराड़ की हत्या की खबरों से अमेरिका का इनकार, जानें क्या है सच्चाई

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सिद्धू मूसेवाला के मर्डर का मास्टरमाइंड गोल्डी बराड़ जिंदा है। भारत के मोस्ट वांडेट आतंकी गोल्डी बराड़ की हत्या की खबरों को अमेरिका ने गलत बताया है। बुधवार को सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड की साजिश रचने के आरोपित आतंकी गोल्डी बराड़ की अमेरिका में हत्या की खबरें आई। हालांकि,इन खबरों पर देर रात विराम लग गया।अमेरिका में कैलिफोर्निया के फ्रेस्नो पुलिस विभाग ने गोल्डी बराड़ के मारे जाने की खबरों का खंडन किया। पुलिस ने बताया कि हत्या तो हुई है, लेकिन गोल्डी बराड़ की नहीं। बल्कि, हूबहू उसकी तरह दिखने वाले अफ्रीकी शख्स की।

बुधवार यानी 1 मई को यह खबर आग की तरह फैल गई कि मोस्ट वांटेड गैंगस्टर गोल्डी बराड़ की अमेरिका में गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। हालांकि कोई आधिकारिक पुष्टि न होने की वजह से यह महज दावा करार दिया गया। अब इस दावे की पुष्टि हो गई है। गोल्डी की जगह अमेरिका में एक अफ्रीकी शख्स की हत्या हुई है।

बताया जा रहा है कि कि अमेरिका के फेयरमोंट और होल्ट एवेन्यू में मंगलवार शाम 5:25 बजे अफ्रीकी लोगों के दो समूहों के बीच लड़ाई हुई थी। इस लड़ाई के दौरान जो शख्स नीचे गिरा उसने खुद को बचाने के लिए तमंचे से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इस घटना में दो लोगों के पेट और सीने में गोली लगी और उनकी मौत हो गई। इनमें से मारा गया एक शख्स गोल्डी बराड़ जैसा दिखता था, इसलिए वहां से गुजर रहे एक पंजाबी ने अफवाह फैला दी कि गोल्डी बराड़ की हत्या हो गई है।

बता दें, गोल्डी बराड़ मूल रूप से पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब का रहने वाला है। पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद उसका नाम मीडिया में चर्चा में है। 29 मई 2022 को पंजाब के मानसा जिले के जवाहरके गांव के पास पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या की जिम्मेदारी गोल्डी बराड़ ने ली थी। बराड़ के खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर रखा था। गोल्डी बराड़ कनाडा के ब्रैम्पटन में रह रहा था लेकिन भारत सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित कर दिए जाने के बाद वह कनाडा से भाग गया। खबर है कि गोल्डी इन दिनों अमेरिका में छिपकर रह रहा है। गोल्डी बराड़ खालिस्तानी आतंकवादी समूह बब्बर खालसा से जुड़ा है। गोल्डी बराड़ शार्प-शूटरों की आपूर्ति के अलावा सीमा पार से गोला-बारूद और विस्फोटक सामग्री की तस्करी के अलावा हत्या करने के सभी सामानों की आपूर्ति करता था।

*हाजीपुर लोकसभा सीट से आज अपना नामांकन करेंगे एनडीए से लोजपा (आर) प्रत्याशी चिराग पासवान, जनसभा में एनडीए के कई दिग्गज नेता रहेंगे मौजूद*

डेस्क ; दिवंगत पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के परंपरागत हाजीपुर लोकसभा सीट से आज उनके बेटे लोजपा (आर) सुप्रीमो चिराग पासवान अपना नामांकन पर्चा दाखिल करेंगे। बता दें लगातार दो बार जमुई से सांसद रहे चिराग पासवान के लिए यह प्रतिष्ठा की सीट है। इसके लिए उन्होंने अपने चाचा 2019 में इस सीट से विजयी रहे निवर्तमान सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस से लंबी लड़ाई के बाद यह सीट अपने हिस्से में लिया है। इस सीट पर पशुपति कुमार पारस जव लोजपा की टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की थी और उस वक्त पार्टी और परिवार एकजुट था। लेकिन रामविलास के निधन के बाद पशुपति पारस ने चिराग से संबंध तोड़ लिए और पार्टी को भी दो टुकड़ों में विभाजित कर दिया था। हालांकि,दोनों गुट एनडीए का हिस्सा हैं। हाजीपुर लोकसभा सीट से एनडीए उम्मीदवार के रूप में लोजपा रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान आज (गुरुवार, 2 मई) नामांकन करेंगे। वहीं चिराग पासवान के नामांकन के बाद एक विशाल जनसभा का आयोजन किया जाएगा। यह जनसभा हाजीपुर के सुभाष चौक स्थित संस्कृत महाविद्यालय में होगी। इस जनसभा में एनडीए के कई बड़े नेता शामिल होंगे। चिराग के नामांकन में शामिल होने के लिए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी सहित बिहार NDA के तमाम बड़े नेता हाजीपुर पहुंच चुके हैं। हाजीपुर को दिवंगत रामविलास पासवान की कर्मभूमि कहा जाता है। इस सीट से उनके पिता रामविलास पासवान चुनाव लड़ा करते थे और यह पहली बार है जब चिराग पासवान हाजीपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
अमेठी-रायबरेली को अब भी उम्मीदवार का इंतजार, अगले 24 से 30 घंटे में होगा नाम का एलान
#amethi_rae_bareli_suspense_congress_may_be_announced_candidate उत्तर प्रदेश की रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट पर नामांकन की प्रक्रिया शुरू है और पर्चा भरने की अंतिम तारीख तीन मई है। बीजेपी की तरफ से स्मृति ईरानी ने अमेठी सीट से नामांकन भी दाखिल कर दिया है। कांग्रेस से दोनों सीट पर चेहरा कौन होगा, इसका फैसला पार्टी अभी तक नहीं ले सकी है। अमेठी और रायबरेली क्षेत्र गांधी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती है, जिस पर चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेस में सस्पेंस बना हुआ है। नामांकन के लिए अब बस 2 ही दिन रह गए। ऐसे में जिले में कांग्रेस कैंप में हलचल तेज हो गई है। उम्मीद की जा रही है कि प्रत्याशी के नाम का एलान गुरुवार दोपहर तक हर हाल में हो जाएगा। उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट पर पांचवें चरण के तहत 20 मई को वोटिंग होगी। सभी की नजर अमेठी और रायबरेली से कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा पर टिकी है। माना जा रहा है कि अगले 24-30 घंटे में इन दोनों सीटों पर उम्मीदवारों का एलान कांग्रेस पार्टी कर सकती है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि कोई भी डरा हुआ नहीं है। कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति ने पार्टी अध्यक्ष को अमेठी और रायबरेली सीटों पर उम्मीदवार घोषित करने का अधिकार दे दिया है। अगले कुछ घंटों में मल्लिकार्जुन खड़गे नाम पर फैसला लेंगे और एलान भी कर देंगे। माना जा रहा था कि अमेठी से राहुल गांधी व रायबरेली से प्रियंका लड़ सकती हैं। मौके-बे-मौके कांग्रेस नेताओं ने भी यही दावे किए। चर्चा हुई कि वायनाड चुनाव के बाद राहुल व प्रियंका के नाम की घोषणा होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक दिन अचानक अमेठी में पोस्टर लग गए कि अमेठी मांगे रॉबर्ट वाड्रा। तब चर्चा हुई शायद रॉबर्ट वाड्रा चुनाव लडेंगे, फिर से चर्चा बदली कि राहुल ही आएंगे। इसके बाद फिर एकाएक चर्चा हुई कि अमेठी से प्रियंका व रायबरेली से राहुल गांधी मैदान में आएंगे, लेकिन अब इन चर्चाओं पर भी विराम लगता दिख रहा है। अब सियासी गलियारों में यह चर्चा आम हो रही है कि अमेठी व रायबरेली से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ेगा। बता दें कि अमेठी लोकसभा सीट पर गांधी परिवार के संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक सांसद रहे. लंबे समय तक यहां पर कांग्रेस का ही दबदबा रहा है। अब भी यहां की पहचान गांधी परिवार के रूप में ही होती है, लेकिन अमेठी से ज्यादा रायबरेली सीट गांधी परिवार के लिए ज्यादा अहम मानी जा रही है। मोदी लहर में अमेठी सीट कांग्रेस ने गंवा दी थी, लेकिन रायबरेली का दुर्ग बचा रहा।
*ओवैसी ही रहेंगे या बदलेगा हैदराबाद का “निजाम”, जानें इस सीट का सियासी इतिहास*
#lok_sabha_elections_2024_hyderabad_lok_sabha_seat_history
*निज़ामों का नगर हैदराबाद* *मोतियों के लिए है मशहूर* *1984 से AIMIM का है गढ़* *40 साल से ओवैसी फैमिली का कब्जा* *कुल 17 चुनावों में दस बार ओवैसी परिवार की जीत* *6 बार पिता, 4 बार बेटा बना सांसद* *क्या इस बार टूटेगा “निजामों का किला”* देश में जब लोकसभा चुनाव हो रहे हैं, ऐसे में हैदराबाद सीट का जिक्र अहम हो जाता है। ऐतिहासिक रूप से यह शहर बेहद महत्‍वपूर्ण है, तो वहीं सियासी तौर भी इसकी खासी अहमियत है। हैदराबाद को निज़ामों और मोतियों का शहर भी कहा जाता है। यह भारत के सर्वाधिक विकसित शहरों में से एक है। तेलंगाना की हैदराबाद लोकसभा सीट एक ऐसी सीट है, जिस पर न तो बीआरएस यानी भारत राष्ट्र समिति, न ही कांग्रेस और न ही बीजेपी की दाल गलती है। यहां सिर्फ और सिर्फ AIMIM यानी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन का ही सिक्का चलता है। आजादी के बाद से हैदराबाद में लोकसभा के हुए कुल 17 चुनावों में दस बार ओवैसी परिवार की जीत हुई है। सिर्फ सात बार ही अन्य को मौका मिला है। कांग्रेस को अंतिम जीत 1980 में मिली थी। 1984 में असदुद्दीन के पिता सलाहुद्दीन ओवैसी ने पहली बार कांग्रेस की जीत के सिलसिले पर ब्रेक लगाया था। उसके बाद किसी दल की दाल नहीं गली। लगातार छह चुनाव सलाहुद्दीन ने जीते और असदुद्दीन ने चार चुनाव। *हैदराबाद लोकसभा सीट का इतिहास* हैदराबाद लोकसभा सीट पर पहली बार साल 1952 आम चुनाव में वोटिंग हुई थी। उस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अहमद मोहिउद्दीन ने जीत हासिल की थी। लेकिन साल 1957 आम चुनाव में कांग्रेस ने उम्मीदवार बदल दिया। कांग्रेस ने विनायक राव कोरटकर को मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की। साल 1962 आम चुनाव में कांग्रेस के गोपालैया सुब्बुकृष्ण मेलकोटे ने जीत दर्ज की। मेलकोटे साल 1971 आम चुनाव में भी सांसद चुने गए। लेकिन इस बार मेलकोटे ने कांग्रेस की बजाय तेलंगाना प्रजा समिति के टिकट पर चुनाव लड़ा था। साल 1977 आम चुनाव में कांग्रेस के केएस नारायण को जीत मिली। जबकि साल 1980 आम चुनव में कांग्रेस (आई) के टिकट पर केएस नारायण फिर से सांसद चुने गए। उसके बाद से हैदराबाद लोकसभा सीट से लगातार ओवैसी फैमिली जीत रही है। *पिछले 40 साल से ओवैसी फैमिली का कब्जा* हैदराबाद लोकसभा सीट पर पिछले 40 साल से ओवैसी फैमिली का कब्जा है। इस फैमिली के सदस्य ने पहली बार साल 1984 में हैदराबाद लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। असदुद्दीन ओवैसी के पिता सलाहुद्दीन ओवैसी ने ये जीत हासिल की थी। उसके बाद से लगातार 6 बार उन्होंने इस सीट पर जीत दर्ज की। सलाहुद्दीन ओवैसी साल 1984, साल 1989, साल 1991, साल 1998 और साल 1999 में सांसद चुने गए। इसके बाद उनके बेटे और वर्तमान में AIMIM के अध्यक्ष असदु्द्दीन ओवैसी लगातार 4 बार से इस सीट पर सांसद चुने जा रहे हैं। ओवैसीने साल 2009 में पहली बार हैदराबाद से सांसद चुने गए थे। उसके बाद से साल 2009, साल 2014 और साल 2019 आम चुनाव में ओवैसी सांसद चुने गए। *क्या पांचवी बार जीत दर्ज करेंगे ओवैसी?* 2024 में भी ओवैसी ताल ठोंक रहे हैं। इस बार यदि परिणाम नहीं बदला तो यह उनकी लगातार पांचवी जीत होगी। पिछले दो चुनावों से भाजपा दमदारी से लड़ रही है, मगर हार का अंतर कम नहीं कर पा रही। इस बार उम्मीद के साथ माधवी को उतारा है। चेहरा नया है, लेकिन पहचान पुरानी। माधवी प्रखर हिंदू नेता के साथ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती हैं। गौशाला चलाती हैं। स्लम बस्तियों की मुस्लिम महिलाओं के सुख-दुख में खड़ी रहती हैं। आर्थिक सहायता दिलाती हैं। सनातन की प्रखर वक्ता हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं।
गैंगस्टर गोल्डी बरार की मौत! मूसेवाला मर्डर के मास्टरमाइंड को अमेरिका में मारी गई गोली

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पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के मुख्य आरोपी गैंगस्टर गोल्डी बराड़ की अमेरिका में मौत की खबर आ रही है। एक अमेरिकी न्यूज चैनल ने दावा किया कि अमेरिका के फेयरमोंट और होल्ट एवेन्यू में मंगलवार (30 अप्रैल) शाम 5:25 बजे गोल्डी बराड़ को गोलियां मारी गईं। गोल्डी बराड़ अपने एक साथी के साथ घर के बाहर गली में खड़ा था, तभी उसे गोलियों से भून दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि उसकी हत्या की जिम्मेदारी उसके विरोधी गैंग के डल्ला-लखबीर ने ली है।हालांकि गोल्डी बरार की मौत की अधिकारिक पुष्ट अभी नहीं हो सकी है।

गोल्डी बराड़ का असली नाम सतिंदरजीत सिंह है।पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद उसका नाम मीडिया में चर्चा में है। 29 मई 2022 को पंजाब के मानसा जिले के जवाहरके गांव के पास पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या की जिम्मेदारी गोल्डी बराड़ ने ली थी। गोल्डी ने हत्या की वजह भी बताई थी। गोल्डी के मुताबिक मोहाली में मिड्डूखेड़ा की हत्या में शामिल लोगों को मूसेवाला के मैनेजर ने आश्रय दिया था। बाद में मूसेवाला ने अपने मैनेजर की मदद की। इसी रंजिश में लॉरेंस गैंग ने मूसेवाला की हत्या की।

सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड का मुख्य संदिग्ध के तौर पर गोल्डी बरार की पंजाब पुलिस के साथ अन्य राज्यों की पुलिस को भी तलाश थी। गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही केंद्र सरकार की ओर से गोल्डी को आतंकवादी घोषित किया था।

बहुचर्चित सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड से पहले भी वह कई वारदात कर चुका था। चंडीगढ़ में चचेरे भाई गुरलाल बराड़ की हत्या के बाद गोल्डी बराड़ ने अपराध की दुनिया में कदम रखा।चंडीगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया फेज-1 स्थित एक क्लब के बाहर 11 अक्तूबर 2020 की रात पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) के छात्रनेता गुरलाल बराड़ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

गोल्डी बराड़ का चचेरा भाई गुरलाल बराड़ लॉरेंस बिश्नोई का सबसे करीबी था। गुरलाल बराड़ की हत्या के बाद लॉरेंस गैंग ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि अब नई जंग की शुरुआत है, सड़कों पर खून नहीं सूखेगा।

टीवी की “अनुपमा ” ने शुरू किया सियासी सफर, लोकसभा चुनाव के बीच बीजेपी मे हुईं शामिल

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छोटे पर्दे की मशहूर अभिनेत्री रुपाली गांगुली ने एक नए सफर की शुरूआत की है। अब तक टीवी पर लोगों का मनोरंजन करने वाली रूपाली गांगुली सियासी दांव-पेंच करती दिखेंगी। लोकसभा चुनाव के बीच घर घर की फेवरेट बन चुकीं रुपाली गांगुली बीजेपी में शामिल हो गई। रुपाली ने राजनीति में एंट्री की खबर विनोद तावड़े और अनिल बलूनी के साथ की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। हालांकि उन्होंने अभी तक ये साफ नहीं किया है कि वह 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ेंगी या नहीं।

भाजपा में शामिल होने के बाद रुपाली ने मीडिया से बातचीत के दौरान राजनीति में एंट्री की वजह भी बताई। रुपाली ने कहा, महाकाल और माता रानी का आशीर्वाद है कि मैं अपनी कला के जरिए कई लोगों से मिलती रहती हूं। जब मैं ये विकास का महायज्ञ देखती हूं तो मुझे लगता है कि क्यों ना मैं भी इससे भाग लूं...तो मैं यहां आ गई ताकि मैं किसी तरह मोदी के बताए रास्ते पर चलूं और किसी तरह देश सेवा में लगूं...तो मुझे आप सबका आशीर्वाद चाहिए और साथ चाहिए ताकि मैं जो भी करूं, सही करूं और अच्छा कर सकूं।

उन्होंने आगे कहा, ‘तो मुझे विनोद तावड़े जी का मार्गदर्शन मिला और मैं यहां मोदी जी के दिखाए रास्ते पर चलने और किसी तरह देश की सेवा करने आई हूं. अमित शाह जी के नेतृत्व में मैं आगे बढ़ूं और कुछ ऐसा करूं जिससे आज जो ये लोग मुझे भाजपा में शामिल कर रहे हैं, उन्हें आगे चलकर मुझ पर गर्व हो. तो आप सबका साथ चाहिए और आप सबका आशिर्वाद चाहिए कि मैं जो भी करूं अच्छा करूं और अगर गलत करूं तो आप लोग मुझे बताइएगा.’

हिंदू विवाह संस्कार है, नाच-गाने का कार्यक्रम नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं की शादी को लेकर की अहम टिप्पणी*
#supreme_court_hindu_marriage_is_a_ritual_not_an_event_of_dancing_and_singing * सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं की शादी को लेकर अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह एक संस्कार है, जिसे भारतीय समाज में पवित्र संस्था का दर्जा हासिल है। यह नाचने गाने का आयोजन नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा, हिंदू विवाह को वैध बनाने के लिए इसे उचित संस्कारों व रीतियों के साथ किया जाना चाहिए।मैरिज सर्टिफिकेट होने से शादी नहीं मानी जा सकती, जब तक सात फेरों के प्रमाण न हों। अदालत ने यह टिप्पणियां एक पत्नी की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। महिला ने तलाक कार्रवाई के ट्रांसफर की मांग की है। मुकदमा जारी रहते हुए ही, पति और पत्नी ने संयुक्त रूप से यह घोषणा कर दी कि उनकी शादी वैध नहीं है। दावा किया कि उन्होंने कोई विवाह नहीं किया है क्योंकि उन्होंने कोई रीति-रिवाज, संस्कार या अनुष्ठान नहीं किया है। हालांकि, कुछ परिस्थितियों और दबावों के कारण उन्हें शादी का रजिस्ट्रेशन कराना पड़ा। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने एक अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के आधार पर एक ऐसी शादी को रद्द कर दिया है, जिसमें मैरिज सर्टिफिकेट पर पति-पत्नी के हस्ताक्षर तो थे, लेकिन दोनों के बीच विवाह की कोई रस्म नहीं हुई थी। दोनों की शादी का रजिस्ट्रेशन घर वालों ने ‘किसी वजह से’ करा दिया था, लेकिन अब उस कपल ने सुप्रीम कोर्ट से शादी को रद्द करने की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस शादी में मैरिज सर्टिफिकेट तो बन गया है, क्योंकि उसके लिए अपील की गई थी, लेकिन शादी की प्रक्रिया ही नहीं पूरी की गई, ऐसे में इस शादी का कोई आधार ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मैरिज सर्टिफिकेट को खारिज करते हुए दोनों की शादी को रद्द कर दिया।कोर्ट ने दर्ज किए मुकदमों को भी रद्द कर दिया। *“सिर्फ रजिस्ट्रेशन कराने से शादी वैध नहीं हो जाती”* सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि युवाओं को विवाह से पहले संस्था की पवित्रता ध्‍यान में रखनी चाहिए। अदालत ने कहा कि हिंदू विवाह एक संस्कार है जिसकी अपनी पवित्रता है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, शादी कोई 'नाच-गाने' और 'खाने-पीने' का आयोजन नहीं है। अदालत ने कहा कि सिर्फ रजिस्ट्रेशन कराने से शादी वैध नहीं हो जाती। विवाह पूर्ण होने के लिए सभी रिवाजों (मंत्रोच्चार, सप्तपदी इत्यादि) का पालन जरूरी है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि सभी जोड़ों को हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 7 में बताए गए प्रचलित रीति-रिवाजों और समारोहों में सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए। वर और वधू सभी रीति-रिवाज पूरे करें, यह शादी कराने वाले पुजारी का भी दायित्व है। *“युवा जानें भारतीय समाज में विवाह कितना पवित्र”* पीठ ने कहा, यदि हिंदू विवाह रीति-रिवाज के अनुसार नहीं किया गया है, तो पंजीकरण नहीं हो सकता। वैध हिंदू विवाह के अभाव में पंजीकरण अधिकारी अधिनियम की धारा 8 के प्रावधानों के तहत ऐसी शादी को पंजीकृत नहीं कर सकता। शीर्ष कोर्ट ने कहा, युवा पुरुषों व महिलाओं से आग्रह है, वे विवाह करने से पहले गहराई से जानें कि भारतीय समाज में विवाह कितना पवित्र है।