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अमेरिका में तेज हुआ इजरायल विरोधी प्रदर्शन, हार्वर्ड विश्वविद्यालय में लगाया गया फिलीस्तीन का झंडा

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अमेरिका के विश्वविद्यालयों में फिलीस्तीनी समर्थक प्रदर्शन और तेज हो गए हैं। अमेरिका की 30 से ज्यादा यूनिवर्सिटियों में इन दिनों फिलीस्तीन के लिए प्रदर्शन चल रहे हैं। इस बीच रविवार को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में छात्रों ने फिलिस्तीनी झंडा फहराया।यूनिवर्सिटी में जॉन हार्वर्ड के स्टैच्यू के ऊपर जहां अमेरिका का झंडा फहराया जाता है, वहां रविवार को फिलिस्तीनी झंडा दिखा।

गाजा में इजरायल के हमलों के विरोध में अमेरिका में बवाल मचा हुआ है।गाजा में पैदा हुई मानवीय परिस्थितियों को लेकर अमेरिका में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। देशभर में लोग इजराइल के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। अमेरिका की शिक्षण संस्थाओं में फलस्तीनियों के समर्थन वाला आंदोलन फैलता जा रहा है।30 से ज्यादा यूनिवर्सिटियों में इन दिनों फिलीस्तीन के लिए प्रदर्शन चल रहे हैं।कई विश्वविद्यालयों और कालेजों में आंदोलन को बलपूर्वक कुचलने और सैकड़ों छात्र-छात्राओं की गिरफ्तारियां की गई हैं।न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक देशभर में अब तक 900 छात्रों को गिरफ्तार किया जा चुका है। 

इस बीच इजरायल विरोधी प्रदर्शनकारियों ने जॉन हॉवर्ड के उस मूर्ति के ऊपर फिलीस्तीन का झंडा फहराया जहाँ सिर्फ और सिर्फ अमेरिका झंडे को ही फहराने की अनुमति होती है।यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने कहा, "यह हमारी पॉलिसी के खिलाफ है। इसके लिए जिम्मेदार छात्रों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।"

इस हरकत की वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में अलग-अलग समय पर मूर्ति के हाथ में झंडा और फिर सिर के ऊपर झंडा साफ देखा जा सकता है। 

बता दें कि इस समय अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी, येल यूनिवर्सिटी इंडियाना यूनिवर्सिटी, अरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी सहित कई यूनिवर्सिटियों में फिलीस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन चल रहे हैं। हावर्ड की घटना से पहले सदर्न कैनिफोर्निया कैंपस में सैंकड़ों छात्रों ने टेंट लगाकर प्रदर्शन किया था।

लॉस एंजिल्स की यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैलिफोर्निया में रविवार को फिलिस्तीन और इजराइल समर्थक गुटों में झड़प भी हुई। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, यूनिवर्सिटी में दोनों गुटों को एक-दूसरे से दूर रखने के लिए बैरियर लगाया गया था, जिसे प्रदर्शनकारियों ने तोड़ दिया। इस दौरान विश्वविद्यालय में तोड़फोड़ भी हुई। विरोध प्रदर्शनों पर रविवार को व्हाइट हाइस के नेशनल सिक्योरिटी प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन को मामले से जुड़े अपडेट्स दिए जा रहे हैं। हालांकि, मामले को संभालने की जिम्मेदारी फिलाहल लोकल प्रशासन पर ही छोड़ी गई है।

बोस्टन की नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के कैंप उखाड़ दिए। इस दौरान 100 लोगों को हिरासत में लिया गया। अलजजीरा के मुताबिक यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने बताया कि धरने के दौरान प्रदर्शनकारियों ने 'यहूदियों की हत्या करो' के भी नारे लगाए। यह लाइन क्रॉस करने जैसा था और इसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

अमेरिका की यूनिवर्सिटीज में हो रहे प्रदर्शन कनाडा, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया तक भी पहुंच गए हैं। कनाडा की मेकगिल यूनिवर्सिटी में शनिवार को छात्रों ने गाजा में नरसंहार रोकने की मांग के साथ कैंपिंग की। वहीं सिडनी की यूनिवर्सिटी में टेंट लगे नजर आए।

सूरत के बाद इंदौर लोकसभा सीट पर भी “खेला”, आखिरी दिन कांग्रेस कांग्रेस प्रत्याशी ने नामांकन वापस लिया

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मध्य प्रदेश में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। इंदौर में कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय बाम ने अपना नामांकन वापस ले लिया।बीजेपी विधायक रमेश मेंदोला के साथ कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने नॉमिनेशन जाकर वापस लिया है। बीजेपी विधायक रमेश मेंदोला के साथ कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने नॉमिनेशन जाकर वापस लिया है। नामांकन वापस लेने के बाद अक्षय कांति बम बीजेपी में शामिल हो गए। इसके साथ ही इंदौर लोकसभा क्षेत्र से अब कांग्रेस मैदान में नहीं है।इससे यहां भाजपा की जीत का रास्ता साफ माना जा रहा है।  

कांग्रेस प्रत्याक्षी अक्षय बम सोमवार सुबह कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। उनके साथ भाजपा विधायक रमेश मेंदोला और एमआईसी मेंबर जीतू यादव थे। अक्षय ने नाम वापस लिया और फिर मेंदोला के साथ कार्यालय के बाहर निकल गए। नॉमिनेशन वापस लेने के बाद कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। वह एमपी सरकार के कद्दावर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के साथ उनकी गाड़ी में नजर आए हैं। कैलाश विजयवर्गीय ने गाड़ी में उनकी साथ सेल्फी ली है। साथ ही उसकी तस्वीर शेयर की है।

कैलाश विजयवर्गीय ने फेसबुक पर अक्षय के साथ फोटो पोस्ट करते हुए लिखा कि अक्षय का भाजपा में स्वागत है। उन्होंने लिखा, इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में भाजपा में स्वागत है। बताया जा रहा है कि इस राजनीतिक घटनाक्रम में कैलाश विजयवर्गीय की बड़ी भूमिका रही है।

दरअसल, विधानसभा चुनाव में इंदौर में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। इंदौर में किसी सीट पर कांग्रेस को जीत नहीं मिली थी। वहीं, बीजेपी के सामने चुनाव लड़ने के लिए भी कोई नहीं बचा था। इसके बाद पार्टी ने अक्षय कांति बम पर दांव लगाया था। नॉमिनेशन दाखिल करने के बाद अक्षय कांति बम लगातार चुनाव प्रचार कर रहे थे। आज नामांकन वापस लेने का आखिरी वक्त था। कलेक्ट्रेट जाकर अक्षय कांति बम ने नॉमिनेशन वापस ले लिया है।

कलेक्टर आशीष सिंह के अनुसार कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम समेत कुल तीन उम्मीदवारों ने नामांकन फार्म वापस लिए हैं। आज दोपहर तीन बजे तक नाम वापसी की प्रक्रिया जारी रहेगी। फिलहाल, इंदौर में 23 उम्मीदवार बचे हैं। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि तीन बजे तक कई और उम्मीदवार अपने नाम वापस लेंगे।

लोकसभा चुनावः दूसरे फेज में पहले से भी कम रही वोटिंग, क्या है वजह और इस ट्रेंड का किस पर पड़ेगा असर?

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देश में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं। सात चरणों में होने वाले चुनाव के दो चरण की वोटिंग पूरी हो चुकी है। कुल 543 सीटों में से 190 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। 19 अप्रैल को पहले चरण में 102 सीटों पर वोटिंग हुई। इनमें औसत मतदान 65.5% रहा, जो 2019 में इन्हीं सीटों के औसत वोटर टर्नआउट से 4.4% कम है। वहीं, 26 अप्रैल को दूसरे चरण में 88 सीटों पर 61% वोटिंग हुई, जो 2019 के मुकाबले 7% कम है। दोनों चरण में इस बार मतदान घटने का ट्रेंड साफ तौर पर दिख रहा है।गिरते वोट प्रतिशत ने सभी दलों को बेचैन कर दिया है।

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुए थे। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम रहा। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े।त्रिपुरा और मणिपुर में मतदान प्रतिशत सबसे अधिक - 75 प्रतिशत से अधिक रहा। पहले चरण में भी दोनों राज्यों में अपेक्षाकृत अधिक मतदान हुआ।

वोट करने के लिए लोगों के घरों से बाहर नहीं निकलने को लेकर राजनीतिक दलों को साथ-साथ चुनाव आयोग की भी चिंता बढ़ा दी है। खासकर हिंदी भाषी राज्यों में तो मतदाता वोटिंग को लेकर जैसे नीरस हो गए हैं। पूरे उत्तर भारत में इन दिनों मौसम का तापमान काफी बढ़ गया है। लू और गर्म हवाओं ने लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त किया हुआ है। लोगों के वोट करने को लेकर घर से बाहर नहीं निकलने की ये भी एक वजह बताई जा रही है। वहीं चुनाव में विपक्षी पार्टियों की कम सक्रियता से भी कम वोटिंग प्रतिशत को जोड़कर देखा जा रहा है।

मौसम विभाग का कहना है कि इस साल अप्रैल से जून तक देश के अधिकांश हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। विशेष रूप से मध्य भारत और पश्चिमी प्रायद्वीपीय भारत में इस बार अधिक गर्मी पड़ेगी। लोकसभा चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं। अब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को क्रमश: तीसरा, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का चुनाव होना है। इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर बना रहेगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक लोकसभा चुनाव के दौरान, लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है।

हालांकि, एक्सपर्ट का मानना है कि मौसम के साथ ही विपक्षी दलों की कम सक्रियता भी वोटिंग प्रतिशत में कमी की एक वजह है। इसके अलावा आजकल जमीन से अधिक प्रचार सोशल मीडिया पर ही चल रहा है। इससे भी वोटिंग में पहले जैसा उत्साह नहीं दिख रहा है। कई लोगों का मानना है कि बीजेपी वोटरों और कार्यकर्ताओं के बीच अति आत्मविश्वास भी कम वोटिंग की वजह हो सकता है। उनको लग रहा है कि चुनाव परिणाम तो लगभग तय ही है। दूसरी तरफ आएगा तो मोदी ही, नारे विपक्षी मतदाताओं में उत्साह कम हो सकता है। इसके अलावा राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपूत/जाट जैसे जाति समूहों का असंतोष भी कम वोटिंग की वजह हो सकती है।

अब सवाल है कि इस बार कम वोटिंग परसेंटेज से किसे नुकसान होने वाला है।कुछ जानकारों का कहना है कि कम मतदान से सत्ताधारी दलों को फायदा हो सकता है, क्योंकि लोगों की सोच होती है कि सरकार अच्छा काम कर रही है और वो बदलाव नहीं चाहते। इसीलिए वो वोट के लिए घर से बाहर नहीं निकलते।पिछले 12 में से 5 चुनावों में वोटिंग प्रतिशत कम हुए हैं और इनमें से चार बार सरकार बदली है। 1980 के चुनाव में मतदान प्रतिशत कम हुआ और जनता पार्टी को हटाकर कांग्रेस ने सरकार बनाई। वहीं 1989 में मत प्रतिशत गिरने से कांग्रेस की सरकार चली गयी। केंद्र में बीपी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी। 1991 में भी मतदान में गिरावट के बाद केंद्र में कांग्रेस की वापसी हुई। हालांकि 1999 में वोटिंग प्रतिशत में गिरावट के बाद भी सत्ता नहीं बदली। वहीं 2004 में एक बार फिर मतदान में गिरावट का फायदा विपक्षी दलों को मिला।

हांगकांग और सिंगापुर के बाद भारतीय मसालों पर अब अमेरिका भी अलर्ट, इन दो कंपनियों को लग सकता है बड़ा झटका

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भारतीय मसालों के दो सबसे पॉपुलर ब्रांड एवरेस्ट और एमडीएच को लेकर अब अमेरिका में भी सवाल खड़े हो रहे हैं।सिंगापुर और हांगकांग में कार्रवाई के बाद भारतीय मसालों पर संकट बढ़ता जा रहा है। सिंगापुर और हांगकांग ने इन मसालों में कथित तौर पर कैंसर पैदा करने वाले कीटनाशक पाए जाने की बात कही थी। इसके बाद भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने इनकी जांच के लिए देश भर से सैंपल मंगाने का आदेश दिया था। लेकिन इन मसालों का मामला थमता नहीं दिखाई दे रहा है। अब अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारी भी इस मामले में हरकत में आ गए हैं। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने दोनों भारतीय मसालों में कैंसर वाले केमिकल का पता लगाने के लिए जांच शुरू की है।

FDA के एक प्रवक्ता ने रॉयटर्स को बताया, “FDA रिपोर्टों से अवगत है और स्थिति के बारे में अतिरिक्त जानकारी इकट्ठा कर रहा है।” हांगकांग और सिंगापुर के कदमों के बाद भारत में दो सबसे लोकप्रिय मसाला ब्रांड भी गुणवत्ता मानकों के लिए भारतीय नियामक की जांच के दायरे में हैं।

हांगकांग ने इस महीने फिश करी के लिए तीन एमडीएच मसाला मिश्रण और एक एवरेस्ट मसाला मिश्रण की बिक्री निलंबित कर दी है। वहीं, सिंगापुर ने एवरेस्ट मसाला मिश्रण को वापस लेने का आदेश देते हुए कहा कि इसमें एथिलीन ऑक्साइड का उच्च स्तर है, जो इंसानों के इस्तेमाल के लिए फिट नहीं है और लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से कैंसर का खतरा है। हांगकांग ने एडीएच के मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला मिक्स पाउडर और करी पाउडर मिक्स्ड मसाला पर बैन लगाया है। जबकि सिंगापुर ने अपने नागरिकों को एवरेस्ट के फिश करी मसाला पाउडर इस्तेमाल करने से रोक दिया है। साथ कंपनी को इसे बाजार से वापस लेने का आदेश दिया है।

इस बीच खबर आई है कि भारत के पड़ोसी देश मालदीव ने भी एमडीएच और एवरेस्ट मसालों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। मालदीव फूड एंड ड्रग अथॉरिटी ने ये आदेश जारी किया है।

ईयू ने जारी की 527 प्रोडक्ट्स की लिस्ट

इस बीच यूरोपीय यूनियन ने 527 ऐसे भारतीय प्रोडक्ट्स की लिस्ट जारी की है, जिनमें एथिलीन ऑक्साइड या अन्य केमिकल्स की मौजूदगी पाई गई है. इनमें भारत से निर्यात होने वाले बादाम, मसाले, जड़ी-बूटी और यहां तक कि ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट वाले कई प्रोडक्ट्स भी मौजूद हैं। यूरोपीय यूनियन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत से मंगाए गए 527 फूड प्रोडक्ट्स में से 313 ड्राई फ्रूट्स और तिल से बने आइटम्स, 60 तरह की जड़ी-बूटियों और मसाले, 48 डायट्री फूड और सप्लीमेंट आइटम्स और बाकी 34 अन्य प्रोडक्ट्स में भी कैंसर पैदा करने वाले केमिकल मिले हैं।

भारत सरकार कर रही समीक्षा

हांगकांग और सिंगापुर के बैन और यूरोपीय यूनियन की लिस्ट जारी होने के बीच भारत सरकार पूरे मामले को लेकर सजग है। सरकार ने सख्त आदेश दिए हैं कि सिंगापुर और हांगकांग जाने वाले प्रोडक्ट्स की जांच की जाए. वहीं भारतीय मसाला बोर्ड हांगकांग और सिंगापुर के बैन की समीक्षा कर रहा है। इतना ही नहीं भारत के फूड सेफ्टी रेग्युलेटर ‘भारतीय खाद्य संरक्षा और सुरक्षा मानक प्राधिकरण’ (एफएसएसएआई) ने देशभर से अलग-अलग ब्रांड्स के मसाला प्रोडक्ट्स जारी करने शुरू कर दिए हैं। वह इन सभी का क्वालिटी चेक्स कर रहा है। एफएसएसएआई का कहना है कि वह समय-समय पर ऐसे चेक्स करता रहता है।

भारत की यात्रा रद्द कर चीन पहुंचे एलन मस्क, आखिर क्या है वजह?

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अरबपति कारोबारी एलन मस्क आज बीजिंग के दौरे पर हैं। टेस्ला सीईओ और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के मालिक एलन मस्क रविवार, 28 अप्रैल को चीन के दौरे पर रवाना हुए।हैरानी वाली बात ये है कि एलन मस्क का चीन दौरा ऐसे समय पर हो रहा है, जब कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपने भारत दौरे को टाल दिया था। उन्होंने कहा था कि टेस्ला के काम की वजह से वह भारत नहीं आ पाएंगे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा कौन सा काम था कि मस्क ने भारत दौरे को टाल कर चीन की यात्रा की है।

चीन के सरकारी चैनल सीटीजीएन के अनुसार, स्पेसएक्स और टेस्ला के प्रमुख ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए चीन परिषद (सीसीपीआईटी) के निमंत्रण पर चीन की यात्रा की है। इस दौरान उन्होंने चीन के साथ आगे के सहयोग पर चर्चा करने के लिए सीसीपीआईटी अध्यक्ष रेन होंगबिन से मुलाकात की है। बीजिंग की अपनी औचक यात्रा के दौरान अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने रविवार को चीन में टेस्ला वाहनों को कुछ संवदेनशील स्थानों पर ले जाने पर लगे प्रतिबंधों को हटाने पर चर्चा करने के लिए चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग एवं अन्य अधिकारियों से मुलाकात की। सरकारी मीडिया ने यह जानकारी दी।

हाल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में टेस्ला कार चालक सरकार से संबंधित भवनों में प्रवेश पर पाबंदी से जूझ रहे हैं क्योंकि अमेरिका के साथ सुरक्षा चिंताएं बढ़ रही हैं। संवदेनशील एवं रणनीतिक डेटा के सामने आ जाने के डर से इन कारों पर ऐसी जगहों पर प्रतिबंध है। निक्की एशिया द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में बड़ी संख्या में सभागार एवं प्रदर्शनी केंद्र टेस्ला वाहनों को अपने यहां नहीं आने दे रहे। रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले इन वाहनों पर प्रतिबंध आम तौर पर सैन्य अड्डों तक सीमित था लेकिन अब राजमार्ग संचालक, स्थानीय प्राधिकरण एजेंसी, सांस्कृतिक केंद्र भी इन वहानों पर कथित रूप से प्रतिबंध लगाते जा रहे हैं।

चीनी पीएम ने चीन-अमेरिका संबंध पर कही ये बात

मुलाकात के दौरान चीनी पीएम ली कियांग ने एलन मस्क से कहा कि चीन का विशाल बाजार विदेशी वित्तपोषित उद्यमों के लिए हमेशा खुला रहेगा। उन्होंने कहा कि चीन विदेशी वित्तपोषित उद्यमों को बेहतर कारोबारी माहौल और मजबूत समर्थन प्रदान करने के लिए बाजार पहुंच का विस्तार करने और सेवाओं में सुधार करने पर कड़ी मेहनत करेगा ताकि सभी देशों की कंपनियां शांत मन से चीन में निवेश कर सकें। ली ने कहा कि चीन में टेस्ला के विकास को चीन-अमेरिका आर्थिक सहयोग का एक सफल उदाहरण कहा जा सकता है।

एलन मस्क ने कैंसिल किया था भारत का दौरा

एलन मस्क इसी महीने 21 और 22 तारीख को भारत की यात्रा करने वाले थे और उनकी यात्रा की योजना काफी पहले तैयार की गई थी। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से भी उनकी मुलाकात प्रस्तावित थी, जिसमें वो दक्षिण एशियाई बाजार में प्रवेश करने की योजना की घोषणा करने वाले थे। एलन मस्क ने पिछले साल जून में कहा था, कि वह 2024 में भारत का दौरा करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा था, कि उन्हें विश्वास है कि इलेक्ट्रिक कार निर्माता भारत में होगा और "जितनी जल्दी संभव हो सके" भारत में फैक्ट्री लगाने की कोशिश करेगा। पीएम मोदी ने भी अरबपति कारोबारी को भारत आने का निमंत्रण भी दिया था। मस्क ने इस दौरान कहा था, कि "मैं पीएम मोदी को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं, और उम्मीद है कि हम भविष्य में कुछ घोषणा कर पाएंगे।" लेकिन, भारत का दौरा करने से ठीक एक दिन पहले एलन मस्क ने टेस्ला के लिए जरूरी काम का हवाला देकर भारत का दौरा कैंसिल कर दिया और कहा, कि वो इस साल में आगे भारत यात्रा करने के लिए उत्सुक हैं।

दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद लवली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दूसरे दल में शामिल होने पर दिया जवाब

डेस्क: कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली ने रविवार को दिल्ली के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल पार्टी की दिल्ली इकाई के प्रमुख पद से इस्तीफा दिया है और किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल नहीं हो रहे हैं। लवली ने यह स्पष्टीकरण तब दिया, जब कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान ने दावा किया कि भाजपा पूर्वी दिल्ली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से हर्ष मल्होत्रा की जगह लवली को मैदान में उतारेगी। 

आप से गठबंधन का किया जिक्र

लवली ने अपने आवास पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ‘‘मैंने केवल दिल्ली कांग्रेस प्रमुख के पद से इस्तीफा दिया है और मैं किसी भी राजनीतिक दल में शामिल नहीं हो रहा हूं।’’ उन्होंने कहा कि उनका इस्तीफा इस बात से दुखी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के दर्द को जाहिर करता है कि ‘‘पिछले सात से आठ वर्ष के दौरान वे जिन आदर्शों के लिए लड़ रहे थे’’ उनसे समझौता किया जा रहा है। 

लवली ने लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का जिक्र करते हुए कहा कि ‘‘हम साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कभी नहीं कहा कि हम उन्हें ‘क्लीन चिट’ दे रहे हैं या स्कूल और अस्पताल बनाने का श्रेय दे रहे हैं, जो वास्तविकता से कोसों दूर है।’’ 

गठबंधन के खिलाफ थी दिल्ली इकाई

लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को झटका देते हुए लवली ने ‘आप’ के साथ गठबंधन को एक कारण बताते हुए पार्टी की दिल्ली इकाई के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की दिल्ली इकाई गठबंधन के खिलाफ थी, लेकिन पार्टी आलाकमान इसके साथ आगे बढ़ा। लवली ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेजे अपने इस्तीफे में कहा है कि ‘‘दिल्ली कांग्रेस इकाई ऐसी पार्टी के साथ गठबंधन के खिलाफ थी जो कांग्रेस पार्टी के खिलाफ झूठे, मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण भ्रष्टाचार के आरोपों के आधार पर बनी (उस पार्टी के) आधे कैबिनेट मंत्री अभी भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में हैं।’’ 

उन्होंने कहा कि ‘‘इसके बावजूद, पार्टी (कांग्रेस) ने दिल्ली में ‘आप’ से गठबंधन करने का फैसला लिया। हमने पार्टी के निर्णय का सम्मान किया, मैं सुभाष चोपड़ा और संदीप दीक्षित के साथ केजरीवाल की गिरफ्तारी वाली रात को उनके आवास पर भी गया, जबकि यह इस मामले में मेरे पद के खिलाफ था।’’

कर्नाटक की राजनीति में भूचाल,पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते और हसन लोकसभा सीट से जेडीएस सांसद प्रज्वल रेवन्ना कथित सेक्स स्कैंडल में

लोकसभा चुनाव के बीच कर्नाटक की राजनीति में भूचाल आ गया है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते और हसन लोकसभा सीट से जेडीएस सांसद प्रज्वल रेवन्ना कथित सेक्स स्कैंडल में फंस गए हैं। कर्नाटक सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। इस बीच, प्रज्वल ने देश छोड़ दिया है और वह जर्मनी के फ्रैंकफर्ट चले गए हैं। 26 अप्रैल को हुए कर्नाटक के पहले फेज के मतदान से दो दिन पहले ही सोशल मीडिया पर कई वीडियोज वायरल हुए। वहीं, हसन सांसद ने भी एफआईआर दर्ज करवाते हुए कहा है कि वीडियोज में छेड़छाड़ की गई है और उनकी छवि खराब करने और वोटर्स के दिमाग में जहर भरने के लिए उसे प्रसारित किया जा रहा है। 

इंटरनेट पर वीडियोज वायरल होने के बाद राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने सिद्धारमैया से एसआईटी जांच करवाने का अनुरोध किया था। जांच का आदेश देते हुए मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "प्रज्वल रेवन्ना के अश्लील वीडियो मामले में सरकार ने एक एसआईटी बनाने का फैसला किया है। हसन जिले में अश्लील वीडियो क्लिप प्रसारित हो रहे हैं, जहां ऐसा प्रतीत होता है कि महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया गया है।" कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि महिला आयोग ने इस संबंध में मुख्यमंत्री के साथ-साथ गृह मंत्री को भी पत्र लिखा है।

इस दौरान, कांग्रेस जेडीएस पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस की महिला यूनिट की सदस्यों ने सांसद प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ रविवार को विरोध प्रदर्शन किया और उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। 33 वर्षीय जेडीएस सांसद के खिलाफ नारे लगाते हुए, प्रदर्शनकारियों ने उनके पोस्टर जलाए और मामले की गहन जांच की मांग की। रेवन्ना हसन लोकसभा क्षेत्र से एनडीए के उम्मीदवार थे, जहां 26 अप्रैल को मतदान हुआ था। हाल के दिनों में कई महिलाओं के साथ कथित तौर पर उनके कई सेक्स वीडियो वायरल हो रहे हैं। उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए एक कांग्रेस नेता ने कहा, "उन्हें (प्रज्वल रेवन्ना) कड़ी सजा दी जानी चाहिए और उन्होंने इन महिलाओं के साथ जो किया है उसके लिए उन्हें फांसी दी जानी चाहिए। इससे पूरे कर्नाटक राज्य का सम्मान कम हुआ है।"

'अन्य नेताओं को भी देना चाहिए जवाब'

डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा है कि यौन उत्पीड़न के आरोप सिर्फ कुछ हसन के नेताओं पर ही नहीं हैं। प्रधानमंत्री, विजयेंद्र, शोबक्का, अशोक, कुमारन्ना और अश्वथ नारायण को भी लोगों को जवाब देना चाहिए। आयोग ने सीएम और गृह मंत्री को एक पत्र लिखा है। मीडिया को इस पर प्रकाश डालना होगा और लोगों को इस पर चुप्पी साधे बिना बताना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार अगले कदम पर विचार करेगी। वहीं, जनता दल (सेक्युलर) नेता और पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी द्वारा मामले में शामिल होने के लगाए गए अप्रत्यक्ष आरोप पर शिवकुमार ने कहा, "उन्हें मेरा नाम सामने लाने दीजिए। मैं उन्हें बेनकाब कर दूंगा। क्या वह इस तरह की बात करके महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न को उचित ठहरा रहे हैं?" उन्होंने आगे कहा, "मुझे तब नहीं पता था कि कुमारस्वामी द्वारा प्रदर्शित पेन ड्राइव में क्या था। अब मुझे पता है कि उसमें क्या है। अब यह स्पष्ट है। मीडिया को कुमारस्वामी से पूछना चाहिए कि अब जब हसन नेताओं पर यौन उत्पीड़न के आरोप हैं तो पेन ड्राइव में क्या है।" 

अश्लील वीडियो मामले से बीजेपी ने बनाई दूरी

बीजेपी ने प्रज्वल रेवन्ना मामले से दूरी बना ली है। राज्य में बीजेपी और जेडीएस का लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन है। कांग्रेस सरकार द्वारा मामले की जांच के लिए एसआईटी के गठन की घोषणा के एक दिन बाद, बीजेपी की राज्य यूनिट के मुख्य प्रवक्ता एस प्रकाश ने कहा, "एक पार्टी के रूप में हमें वीडियो से कोई लेना-देना नहीं है और न ही हमें प्रज्वल रेवन्ना से जुड़े कथित सेक्स स्कैंडल की राज्य सरकार द्वारा घोषित एसआईटी जांच पर कोई टिप्पणी करनी है।" बीजेपी के एक अन्य प्रवक्ता डॉ. नरेंद्र रंगप्पा से जब अश्लील वीडियो पर उनकी राय मांगी गई तो उन्होंने बस इतना कहा, "कोई टिप्पणी नहीं करनी।'' बीजेपी के सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने कथित सेक्स टेप मामले पर आधिकारिक तौर पर प्रतिक्रिया नहीं देने का फैसला किया है क्योंकि राज्य में उसके कई वरिष्ठ नेता इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। बीजेपी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पार्टी का कथित सेक्स टेप से कोई लेना-देना नहीं है और वह इस समय कोई प्रतिक्रिया नहीं देगी, क्योंकि उसने ऐसे मामले से दूरी बनाए रखने का फैसला किया है जो 'शर्मिंदगी' के रूप में सामने आया है।

क्या आरक्षण का विरोध करता है RSS? मोहन भागवत ने हैदराबाद में कही ये बात

डेस्क: भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर आरक्षण को लेकर लगातार आरोप लगते रहे हैं। इस बीच एक बार फिर विपक्ष आरक्षण के मुद्दे को लेकर आरएसएस पर निशाना साधा है। तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने आरक्षण को लेकर कहा है कि आरएसएस-भाजपा आरक्षण का विरोध करते हैं। वहीं उनके इस बयान का आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हैदराबाद में ही आकर दिया है। विपक्ष के हमले के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि संगठन ने हमेशा संविधान के अनुसार आरक्षण का समर्थन किया है। 

वीडियो में किया गया झूठा दावा

बता दें कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत हैदराबाद में एक शैक्षणिक संस्थान में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वीडियो में झूठा दावा किया गया है कि आरएसएस आरक्षण का विरोध करता है। उन्होंने कहा कि जब से आरक्षण अस्तित्व में आया है, संघ ने संविधान के अनुसार आरक्षण का पूरी तरह समर्थन किया है। आरक्षण को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के बीच छिड़े बयानबाजी के बाद मोहन भागवत ने यह टिप्पणी की है। 

कांग्रेस और भाजपा में चल रही बयानबाजी

बता दें कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने शनिवार को आरोप लगाया था कि आरएसएस-भाजपा आरक्षण का विरोध करते हैं। दरअसल, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने पिछले साल नागपुर में कहा था कि जब तक समाज में भेदभाव है तब तक आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि भेदभाव समाज में व्याप्त है, भले ही यह दिखायी नहीं देता हो। 

इसके अलावा लोकसभा चुनाव में भी आरक्षण को लेकर जमकर बयानबाजी हो रही है। एक तरफ जहां विपक्ष का कहना है कि सरकार बनने के बाद एनडीए आरक्षण को समाप्त कर देगी और संविधान को बदल देगी। वहीं बीजेपी के नेता और खुद पीएम मोदी जनसभाओं में कहते नजर आ रहे हैं कि खुद बाबा साहब भी संविधान को नहीं बदल सकते।

*दिल्ली के CM केजरीवाल से मिलेंगे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, तिहाड़ जेल में इस दिन होगी मुलाकात*

डेस्क: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान तिहाड़ जेल में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करेंगे। ये मुलाकात 30 अप्रैल को होगी। मुलाकात का समय दोपहर में बताया जा रहा है। ये दूसरी बार है, जब सीएम केजरीवाल से भगवंत मान मुलाकात करेंगे। पहले हुई मुलाकात में क्या बोले थे मान? दिल्ली शराब घोटाला मामले में अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। इससे पहले जब पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, सीएम केजरीवाल से मुलाकात करने के लिए दिल्ली की तिहाड़ जेल पहुंचे थे तो अरविंद केजरीवाल को अपराधियों की वेशभूषा में भगवंत मान से मिलने दिया गया था। दोनों की मुलाकात के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। केजरीवाल से मिलकर जेल से बाहर आते वक्त भगवंत मान ने मीडिया से बात की थी और कहा था कि अरविंद केजरीवाल के साथ ऐसा सलूक किया जा रहा है, जैसे मानों वो कोई जघन्य अपराधी हों। हम दोनों की मुलाकात के दौरान बीच में शीशे की दीवार लगाई गई थी। भगवंत मान ने क्या बयान दिया था? अरविंद केजरीवाल से मिलकर बाहर आने के बाद भगवंत मान ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि मैंने 12 से 12.30 बजे तक उनसे मुलाकात की। जैसे ही वहां कुर्सी पर मुलाकात करने के लिए मैं बैठा, मुझे देखकर दुख हुआ कि उनके साथ खतरनाक अपराधियों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल का कसूर आखिर क्या है। क्या उन्होंने दिल्ली में अस्पताल बना दिए, उन्होंने मोहल्ला क्लीनिक बना दिए, स्कूल बना दिए या बिजली फ्री कर दिए, क्या यही कसूर है उनका। आप उनके साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, जैसे कि कोई बहुत बड़ा आतंकवादी पकड़ लिया है।
सीएम केजरीवाल के जेल में रहने तक टल सकता है दिल्ली मेयर का चुनाव, जानिए क्या है वजह?

डेस्क: दिल्ली शराब घोटाला केस में फंसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद हैं और उनके जेल में रहने तक दिलली में मेयर का चुनाव टल सकता है। इसकी वजह ये सामने आ रही है कि पीठासीन अधिकारी नामित करने का अधिकार भले ही उपराज्यपाल के पास है, लेकिन मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी किसे नामित करना है, इसके लिए सीएम का सुझाव जरूरी है।

उप-राज्यपाल सक्सेना ने कहा कि सीएमओ से मिली जानकारी के मुताबिक कार्यालय पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति वाली फाइल मुख्यमंत्री तक भेजने और उनसे संवाद करने में असमर्थ है। इधर, निगम सचिव कार्यालय ने जानकारी दी है कि मेयर डॉ शैली ओबरॉय जब भी चाहें मेयर चुनाव की अगली तारीख दे सकती हैं।

सीएम की राय जरूरी है

पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के बारे में 22 अप्रैल को मुख्य सचिव ने फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी थी। यह फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय ने यह कहकर वापस कर दी कि मुख्यमंत्री अभी न्यायिक हिरासत में हैं और ऐसे में मुख्यमंत्री कार्यालय इस स्थिति में नहीं है कि मुख्यमंत्री के सामने इस फाइल को भेज पाए या इस संबंध में संवाद स्थापित कर सके। डीएमसी एक्ट के सेक्शन 77A के तहत विषय से संबंधित फाइल को मुख्यमंत्री उपराज्यपाल के मुख्य सचिव को भेजते हैं। साथ ही GNCTD एक्ट भी कहता है कि किसी विषय पर सिर्फ मुख्यमंत्री की राय ही मायने रखती है।

एलजी ने दिया है ये निर्देश

बता दें कि अरविंद केजरीवाल के जेल में होने से दिल्ली के मुख्य सचिव को संबंधित फाइल एलजी कार्यालय को भेजनी पड़ी थी और पीठासीन अधिकारी नामित नहीं होने के कारण 26 अप्रैल को होने वाला मेयर का चुनाव नहीं हो पाया था। 

अब मौजूदा मेयर ही जिम्मेदारियों का निर्वहन करती रहेंगी क्योंकि उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने मौजूदा मेयर और डिप्टी मेयर को अगले चुनाव तक पद पर बने रहने के लिए कहा है।एलजी ने कहा कि मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति बेहद जरूरी होती है और पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति बिना मुख्यमंत्री की राय/सुझाव के नहीं हो सकती है।