हिमाचल की मंडी लोकसभा सीटः क्या बीजेपी लहराएगी जीत का परचम या कांग्रेस मारेगी बाजी?
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देश की सबसे हॉट सीटों में से एक
राज परिवारों की सीट रही मंडी
मंडी सीट पर कांग्रेस का रहा है दबदबा
बीजेपी और कांग्रेस में रहती है कड़ी टक्कर
17 लोकसभा चुनाव में से 11 बार कांग्रेस ने दर्ज की जीत
5 बार बीजेपी के पास गई ये सीट
इस बार बीजेपी लहराएगी परचम या कांग्रेस मारेगी बाजी
हिमाचल प्रदेश की 4 लोकसभा सीटों में से मंडी सीट पर हर किसी की नजर होती है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलती है। इस लोकसभा सीट पर 1951 से अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं जिसमें से 11 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है जबकि 5 बार ये सीट बीजेपी के पास गई है। जबकि एक बार इस सीट पर बीएलडी ने कब्जा जमाया। मंडी लोकसभा सीट राज परिवारों की सीट रही है। यहां से 1 3 बार राज परिवार के सदस्यों ने जीत दर्ज की है। साल 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां से रानी अमृत कौर ने जीत हासिल की थी। इसके अलावा यहां से ललित सेन, जोगिंदर सेन और बुशहर रिसासत के राजा वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह लोकसभा पहुंच चुके हैं। यही नहीं कुल्लू के रूपी रियासत के राजा महेश्वर सिंह भी यहां से चुनाव जीतकर लोकसभा जा चुके हैं।उन्होंने इस सीट से तीन बार चुनाव जीता था।
दो रियासतों मंडी और सुकेत के विलय के साथ मंडी जिले का गठन 1948 में किया गया। साल 1951-52 में देश के पहले आम चुनाव हुए तब मंडी नाम से लोकसभा सीट नहीं थी। पहले चुनाव में मंडी महासू नाम से सीट थी जिस पर कांग्रेस से अमृत कौर को जीत मिली थी। अगले आम चुनाव, जो 1957 में हुए, उसमें मंडी सीट अस्तित्व में आई। इस चुनाव में कांग्रेस से जोगिंदर सेन को जीत मिली। 1962 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के ललित सेन को जीत मिली। 1967 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के ललित सेन जीते।
1971 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाले वीरभद्र सिंह को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया। 1971 में हुए चुनाव में वीरभद्र ने बड़ी जीत हासिल की। आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार वीरभद्र सिंह को मंडी सीट पर हार मिली। जनता लहर में यहां से भारतीय लोक दल के गंगा सिंह ने जीत गर्ज की। तीन साल बाद हुए मध्यावधि चुनाव में दोनों उम्मीदवार फिर आमने-सामने थे। इस बार नतीजा बदल गया। वीरभद्र सिंह ने गंगा सिंह से 1977 में मिली हार का बदला ले लिया। 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां से सुखराम को अपना उम्मीदवार बनाया। सहानुभूति लहर पर सवार होकर सत्ता में आई कांग्रेस को मंडी से एक बार फिर बहुत बड़ी जीत मिली।
1989 का लोकसभा चुनाव में मंडी की राजनीति में बदलाव आया।इस चुनाव में भाजपा ने पहली बार सफलता हासिल की। पार्टी की तरफ से उतरे उम्मीदवार महेश्वर सिंह ने कांग्रेस नेता सुख राम को हरा दिया। दो साल बाद हुए 1991 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर सुखराम और महेश्वर सिंह आमने-सामने थे। इस बार सुखराम ने मंडी सीट पर कांग्रेस की वापसी कराई। 1996 में सुख राम ने मंडी सीट पर तीसरी बार जीत दर्ज की। हालांकि, घोटाले में नाम आने के बाद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया।
1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मंडी के पूर्व सांसद महेश्वर सिंह को टिकट दिया तो कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को मैदान में उतारा। 1999 के चुनाव में भी भाजपा के महेश्वर सिंह तीसरी बार मंडी सीट से जीते।
साल 2004, एक बार फिर वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह और भाजपा के महेश्वर सिंह आमने-सामने थे। इस बार प्रतिभा ने 1998 में मिली हार का बदला ले लिया। 2009 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को उतारा। नतीजे आए तो एक बार फिर कांग्रेस दिग्गज को जीत मिली। उन्होंने भाजपा के पूर्व सांसद महेश्वर सिंह को 13,997 वोटों से हराकर जीत दर्ज की। 2012 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली और वीरभद्र सिंह एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता छोड़ दी। इसके बाद 2013 में हुए उप-चुनाव में यहां से उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह फिर से जीतकर लोकसभा पहुंचीं।
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के एक बार फिर प्रतिभा सिंह को यहां से उम्मीदवार बनाया। उनके सामने थे भाजपा के रामस्वरूप शर्मा। भाजपा के राम स्वरुप शर्मा ने कांग्रेस की पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह को हरा दिया।2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर बड़ी जीत दर्ज की। भाजपा की इस सफलता में मंडी की जीत में शामिल रही, जहां दूसरी बार भाजपा से राम स्वरुप शर्मा जीते।2021 में मंडी सांसद रामस्वरूप शर्मा का निधन हो गया। इसके बाद मंडी सीट पर उप-चुनाव हुआ। इस चुनाव में भाजपा ने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) खुशाल ठाकुर को उतारा, जबकि कांग्रेस की उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह थीं। उप-चुनाव में प्रतिभा सिंह ने भाजपा के खुशाल ठाकुर को हरा दिया। इस तरह प्रतिभा तीसरी बार मंडी लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं।
अब बात 2024 के चुनाव की कर लेते हैं। इस बार भाजपा ने मंडी लोकसभा सीट से बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को अपना उम्मीदवार बनाया है। कंगना के उम्मीदवार बनने के बाद यह सीट सुर्खियों में है। वहीं, कंगना को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने विक्रमादित्य सिंह पर दांव खेला है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व सांसद प्रतिभा सिंह के पुत्र विक्रमादित्य वर्तमान में शिमला ग्रामीण से विधायक हैं। विक्रमादित्य सिंह का परिवार मंडी लोकसभा सीट का छह बार प्रतिनिधित्व कर चुका है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा की कंगना मंडी की “क्वीन” बनती हैं या विक्रमादित्य बाजी मारते हैं।
Apr 23 2024, 19:39