ईवीएम से वोटिंग के खिलाफ दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को खूब सुनाया, कहा-हमें याद है की पहले मतदान में क्या होता था
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इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 16 अप्रैल को सुनवाई हुई।इस दौरान कोर्ट ने बैलट पेपरों से वोटिंग के दौरान होने वाली समस्याओं की ओर इशारा किया। साथ ही, बूथ कैप्चरिंग की घटनाओं को भी याद दिलाया। उन्होंने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण से कहा, हम अपनी जिंदगी के छठे दशक में हैं। हम सभी जानते हैं कि जब बैलट पेपर्स से मतदान होता था, तब क्या समस्याएं होती थीं। हो सकता है आपको पता नहीं हो, लेकिन हम भूले नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े ने पैरवी की। प्रशांत भूषण एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की तरफ से पेश हुए। मामले में करीब दो घंटे सुनवाई हुई।इसमें एडवोकेट प्रशांत भूषण ने दलील दी कि VVPAT की स्लिप बैलट बॉक्स में डाली जाएं। जर्मनी में ऐसा ही होता है। उन्होंने कहा, या तो बैलेट पेपर से चुनाव हों या वोटर को वीवीपैट पर्ची बॉक्स में डालने दी जाए। जिसे बाद में गिना जाए।
इस पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि वहां के एग्जाम्पल हमारे यहां नहीं चलते।जस्टिस दत्ता ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों पर कहा, मेरे गृह राज्य पश्चिम बंगाल की जनसंख्या जर्मनी से भी अधिक है। हमें किसी पर भरोसा करने की जरूरत है। इस तरह व्यवस्था को गिराने की कोशिश न करें।
इस पर कोर्ट ने चुनाव आयोग से ईवीएम के बनने से लेकर भंडारण और डेटा से छेड़छाड़ की आशंका तक हर चीज के बारे में बताने को कहा है। बेंच ने पूछा कि क्या वोटिंग के बाद गिनती में किसी गड़बड़ी के आरोपों को खत्म करने के लिए ईवीएम की तकनीकी जांच की जा सकती है? इस पर आयोग ने कहा कि हमारा पक्ष सुने बिना ऐसे कोई संकेत कोर्ट न दे। कोर्ट ने पूछा, क्या ईवीएम में हेरफेर करने पर कड़ी सजा का कानून है? लोगों में डर होना चाहिए। आयोग ने बताया कि इसे लेकर कार्यालय संबंधी कानून हैं।
इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि आप जर्मनी की बात कर रहे हैं। यहां 98 करोड़ वोटर हैं। हमारी उम्र 60 से ऊपर है। हमें याद है कि पहले के मतदान में क्या होता था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैलट पेपर पर लौटने से भी कई नुकसान हैं। जस्टिस संजीव खन्ना ने ईवीएम को हटाने की याचिका के पक्ष में अपनी बात रख रहे प्रशांत भूषण से पूछा कि अब आप क्या चाहते हैं?
इस पर उन्होंने कहा कि पहला ये कि बैलेट पेपर पर वापस जाएं। दूसरा 100 फीसदी वीवीपैट का मिलान हो। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप चाहते हैं कि 60 करोड़ वोटों की गिनती हो। प्रशांत ने कहा कि बैलेट पैपर से वोट देने का अधिकार दिया जा सकता है। अगर ऐसा नहीं तो वीवीपैट की पर्ची मतदाताओं को दी जाए. मतदाता उसे एक बैलेट बॉक्स में डाल दे। अभी जो वीवीपैट है, उसका बॉक्स ट्रांसपेरेंट नहीं है। सिर्फ सात सेकंड के लिए पर्ची वोटर को दिखाई देती है।
Apr 17 2024, 17:16