ईरान-इजरायल के बीच बने युद्ध के हालात, जानें भारत समेत पूरी दुनिया पर क्या होगा असर
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ईरान और इजरायल के बीच युद्ध के हालात बन गए हैं। दरअसल, ईरान ने इजरायल पर शनिवार देर रात सैकड़ों ड्रोन, क्रूज मिलाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया है। इस हमले के बाद से मध्य-पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। ईरान और इजराइल के बीच युद्ध तेज होने की आशंका से पूरी दुनिया सहमी हुई है। युद्ध बढ़ने की आशंकाओं से दुनिया में महंगाई की टेंशन फिर बढ़ चुकी है। वहीं अंदेशा है कि आने वाला दिन ग्लोबल शेयर बाजार और अर्थव्यवस्थाओं के लिए अच्छा नहीं होने वाला है। साथ ही कई देशों के आयात-निर्यात कारोबार भी प्रभावित हो सकते हैं।इसके अलावा, सोने के दाम में भी उछाल आ सकता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू होता है तो आने वाला समय मुश्किल भरा हो सकता है।
ईरान और इजरायल के भू-राजनीतिक तनाव का असर पूरी दुनिया दिख सकता है, खासकर तेल की कीमतों में इजाफे के रूप में।अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का दाम पहले ही 91 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच चुका है, जो इसका पिछले 6 महीने का सबसे उच्च स्तर है। ईरान दुनियाभर के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में से एक है।ऐसे में अगर ईरान और इजरायल का तनाव युद्ध में तब्दील होता है, तो इसका ऑयल प्रोडक्शन पर सीधा असर पड़ेगा।
युद्ध की आशंका से भारत भी “भयभीत”
युद्ध की आशंका ने भारत को भी डरा दिया है। युद्ध के हालात से भारत के आर्थिक हित भी दांव पर हैं। ईरान और इजरायल के बीच युद्ध का असर आर्थिक संबंधों पर पड़ सकता है। ईरान के साथ भारत की बढ़ती आर्थिक भागीदारी, इसमें विशेषकर चाबहार बंदरगाह विकास परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। यह बंदरगाह इस क्षेत्र में व्यापार मार्गों और कनेक्टिविटी को मजबूत करने के भारत के प्रयासों का हिस्सा है। ईरान-इजरायल युद्ध की आशंका को देखते हुए इसका असर महंगाई पर भी पड़ सकता है। कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर तक पहुंचने की आशंका व्यक्त की जा रही है। पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की तेजी के पीछे यही संकट अहम माना जा रहा है। इसका असर महंगाई पर पड़ सकता है। साथ ही ग्लोबल सप्लाई चेन भी इससे प्रभावित हो सकती है।
भारत कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक
भारत कच्चे तेल का सबसे अधिक आयात और उपभोग करने वाले देशों में से एक है। ऐसे में पश्चिम एशिया के तनाव का हम पर सीधा असर पड़ेगा। हमारी तेल आपूर्ति खतरे में आ सकती है। भारत फिलहाल करीब 40 देशों से अपनी जरूरत का 90 प्रतिशत तेल आयात करता है। देश में रोजाना 50 लाख बैरल क्रूड ऑयल की खपत होती है। पिछले वित्त वर्ष यानी 2023-24 की पहली छमाही की बात करें, तो भारत ने सबसे ज्यादा कच्चा तेल रूस से खरीदा। उसके बाद इराक और सऊदी अरब का नंबर था। भारत के लिए अच्छी बात यह है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जहां अधिकतर देशों ने रूस से तेल खरीदना कम कर दिया, वहीं भारत लगातार उससे सस्ते भाव क्रूड ऑयल खरीद रहा है।
दोनों देशों के साथ कारोबार होंगे प्रभावित
भारत के दोनों ही देशों से कारोबारी संबंध है। ईरान और इजरायल के साथ पिछले साल भारत ने करीब 1.1 लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया था। ईरान के साथ भारत ने 20800 करोड़ का कारोबार किया। भारत मुख्यत: ईरान को चाय, कॉफी, बासमती चावल और चीनी का निर्यात करता है। भारत से ईरान को पिछले साल 15300 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था। वहीं, ईरान से भारत ने पेट्रोलियम कोक, मेवे और कुछ अन्य चीजें आयात की। इनका मूल्य 5500 करोड रुपये था। साल 2023 में भारत का इजरायल के साथ 89 हजार करोड रुपये का कारोबार रहा। भारत ने ईरान को 70 हजार करोड रुपये का माल और सेवाओं का निर्यात किया।
सप्लाई चेन प्रभावित होने की आशंका
ईरान-इजरायल संघर्ष से सप्लाई चेन भी प्रभावित हो सकती है, क्योंकि ईरान स्वेज नहर को बंद करने की अपनी धमकी पर कायम है। स्वेज नहर रूट से फारस की खाड़ी के देशों से खनिज तेल भेजा जाता है। वहीं भारत और अन्य एशियाई देशों से चाय, जूट, कपास, मसाले और चीनी जैसी चीजों का पश्चिमी यूरोपीय देशों के साथ उत्तरी अमेरिका में निर्यात होता है। पश्चिमी देशों भी इसी रास्ते से केमिकल, इस्पात, दवाएं और गाड़ियां और वैज्ञानिक उपकरण आदि भेजते हैं। अगर यह रूट बंद होता है, तो वैश्विक व्यापार को बड़ा झटका लगेगा। दुनियाभर में महंगाई में भीषण इजाफा भी हो सकता है।
Apr 15 2024, 13:34