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भारत ने मूल रूप से मेरी मां की जान बचाई…” शेख हसीना के बेटे वाजेद ने मोदी सरकार का जाताया आभारा

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बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर नई दिल्ली और ढाका के बीच तनाव बना हुआ है। बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) से मौत की सजा सुनाए जाने के बाद ढाका ने भारत से शेख हसीना को सौंपने की मांग की है, ताकि सजा को लागू किया जा सके। इस बीच भारत की तरफ से अपदस्थ पीएम को इस तरह सुरक्षा दिए जाने पर शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने भारत सरकार की तारीफ की है और पीएम मोदी का आभार जताया है।

भारतीय लोकतंत्र और कानून पर जताया भरोसा

अमेरिका में रह रहे वाजेद ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि मुझे लगता है कि वे (भारत सरकार) अच्छी तरह से जानते हैं कि प्रत्यर्पण अनुरोध को किस तरह से हैंडल करना है। वाजेद ने आगे कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत सरकार ऐसे किसी गैर-कानूनी अनुरोध का जवाब देगी। मुझे भारतीय लोकतंत्र और कानून के राज में उसके विश्वास पर भरोसा है।

बांग्लादेश की न्यायिक प्रक्रिया पर उठाए सवाल

शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर सजीब ने कहा, प्रत्यर्पण के लिए न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है। बांग्लादेश में एक अनिर्वाचित, असंवैधानिक और अवैध सरकार है। मेरी मां को दोषी ठहराने के लिए, उनके मुकदमे की सुनवाई तेज करने के लिए कानूनों में संशोधन किया गया। यानी इन कानूनों में अवैध रूप से संशोधन किया गया। मेरी मां को अपने बचाव पक्ष के वकील नियुक्त करने की अनुमति नहीं थी। ट्रायल से पहले ही अदालत के 17 जजों को बर्खास्त कर दिया गया, नए जज नियुक्त किए गए, जिनमें से कुछ को बेंच पर काम करने का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था और वे राजनीतिक रूप से जुड़े हुए थे। इसलिए, कोई उचित प्रक्रिया नहीं थी। प्रत्यर्पण के लिए उचित प्रक्रिया का होना आवश्यक है।

लश्कर-ए-तैयबा को लेकर बड़ा दावा

हसीना के बेटे ने कहा कि भारत को असली चिंता उनकी करनी चाहिए जो यूनुस का साथ दे रहे हैं। यह जमात-ए-इस्लामी है, जो सबसे बड़ी इस्लामिक पार्टी है। उन्होंने हजारों आतंकवादियों को रिहा किया है, जिन्हें हमारी सरकार ने दोषी ठहराया था और जेल की सजा सुनाई थी। वाजेद ने दावा किया कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा आजादी से काम कर रहा है और क्रेडिट दावा कर रहा है।

शेख हसीना को सुनाई गई मौत की सजा, मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराया

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बांग्लादेशी की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई गई है। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ चल रहे एक मामले पर सोमवार को ढाका स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-बांग्लादेश) की तरफ से फैसला सुनाया गया। ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराते हुए कहा कि वे अधिकतम सजा की हकदार हैं। इसी के साथ न्यायाधिकरण ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। पहले से ही माना जा रहा था कि उन्हें सख्त सजा दी जा सकती है।

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध और हत्या जैसे कुल 5 मामले चल रहे थे, जिस पर तीन सदस्यीय ट्रिब्यूनल ने अपना 453 पन्नों का फैसला सुना दिया है। उन्हें अलग-अलग मामलों में आईटीसी ने दोषी करार दिया है और मौत की सजा सुनाई है। ट्रिब्यूनल को जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदर लीड कर रहे थे। आईसीटी जज के मुताबिक ये मामला काफी बड़ा था, ऐसे में फैसला भी 6 भाग में सुनाया गया है।

शेख हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ फैसला

ट्रिब्यूनल ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों के पांच आरोपों पर अपना फैसला सुनाया है। ये आरोप जुलाई-अगस्त 2024 में आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन से जुड़ी अशांति से उत्पन्न हुए हैं। शेख हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ 8747 पन्नों के आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल गये थे, जिनमें पीड़ितों के बयान, जब्त किए सबूत और पीड़ितों की पूरी लिस्ट होने की बात कही गई थी। इसी आधार पर इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-बांग्लादेश ने शेख हसीना के खिलाफ फैसला सुनाया है।

शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किए

ट्रिब्यूनल ने कहा है कि हमने मानवाधिकार संगठन और अन्य संगठनों की कई रिपोर्ट्स पर विचार किया है। हमने क्रूरताओं का विवरण भी दिया है। शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किए। ट्रिब्यूनल ने फैसले में यह भी कहा है कि बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मारे गए हैं। ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा है कि अवामी लीग के कार्यकर्ता कथित रूप से सड़कों पर उतर आए और पार्टी नेतृत्व की पूरी जानकारी में सुनियोजित हमले किए।

कोर्ट ने कहा-मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ

ट्रिब्यूनल ने कहा कि राजनीतिक नेतृत्व की ओर से दिए गए सीधे आदेशों की वजह से प्रदर्शनकारियों और अन्य नागरिकों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ। मामले में अभियोजकों ने दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग की थी। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि हसीना सरकार की ओर से आदेश के बाद 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच ‘विद्रोह’ के दौरान 1,400 लोग मारे गए थे। 11 हजार से अधिक लोग हिरासत में लिए गए या गिरफ्तार किए गए थे।

हसीना ने सभी आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताया

बता दें कि कि शेख हसीना इस वक्त भारत में हैं। उन्होंने ट्रिब्यूनल में मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि उन पर लगे सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं और वे ऐसे फैसलों की परवाह नहीं करतीं। आईसीटी के फैसले से पहले अपने समर्थकों को जारी एक ऑडियो संदेश में हसीना ने कहा था कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार उनकी पार्टी को खत्म करना चाहती है। हसीना ने कहा था कि यह इतना भी आसान नहीं है। आवामी लीग जमीन से उठी पार्टी है।

यूनुस ने अमेरिका को बेच दिया बांग्लादेश…शेख हसीना का मोहम्मद यूनुस पर बड़ा हमला

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पड़ोसी देश बांग्लादेश में सियासी उथल-पुथल जारी है। इस बीच देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर बड़ा आरोप लगाया है। शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस पर हमला तेज करते हुए कहा कि वो बांग्लादेश को अमेरिका को बेच रहे हैं। वह आतंकियों के नेता हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक ऑडियो संदेश में कहा, मेरे पिता ने अमेरिका को सेंट मार्टिन द्वीप नहीं दिया था, बल्कि उन्हें इसके लिए अपनी जान देनी पड़ी। मेरे साथ भी यही हुआ। हसीना ने आगे कहा कि, मेरे मन में कभी सत्ता में बने रहने के लिए देश को बेचने का विचार नहीं आया और जिस देश के लोगों ने राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के आह्वान पर तीस लाख लोगों को आजाद कराने के लिए हथियार उठाए और संघर्ष किया और अपनी जान दे दी। उस देश की एक इंच जमीन भी किसी को देने का इरादा किसी का नहीं हो सकता। लेकिन आज कैसी विडंबना है। एक ऐसा व्यक्ति सत्ता में आया, एक ऐसा व्यक्ति जिसे पूरे देश के लोग बेहद प्यार करते हैं, एक ऐसा व्यक्ति जिसे दुनिया प्यार करती है, और आज सत्ता में आकर उस व्यक्ति का क्या हाल हो गया?

यूनुस पर आतंकियों की मदद से सरकार चलाने का आरोप

शेख हसीना ने आगे आरोप लगाया कि यूनुस आतंकवादियों की मदद से सरकार चला रहे हैं। उन्होंने कहा, यूनुस ने आतंकवादियों की मदद से सत्ता हथियाई है। सभी आतंकवादियों की मदद से। यहां तक कि जिन्हें विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रतिबंधित किया गया है, जिनसे हमने बांग्लादेश के लोगों की रक्षा की। केवल एक आतंकवादी हमले के बाद ही हमने सख्त कदम उठाए थे। कई को गिरफ्तार किया गया था। अब जेलें खाली हैं। उन्होंने सभी को रिहा कर दिया। अब बांग्लादेश में उन्हीं आतंकवादियों का राज है।

यूनुस का पद पर रहने का कोई आधार नहीं-हसीना

शेख हसीना ने आगे कहा, हमारे महान बंगाली राष्ट्र का संविधान जिसे हमने लंबे संघर्ष और मुक्ति संग्राम से हासिल किया है, इस उग्रवादी नेता को, जिसने अवैध रूप से सत्ता पर कब्जा किया है, संविधान को छूने का अधिकार किसने दिया? पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि यूनुस का मुख्य सलाहकार के पद पर रहने का भी कोई आधार नहीं है और वह अस्तित्व में नहीं है। शेख हसीना ने आरोप लगाया कि यूनुस ने अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

क्या बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग का भविष्य खत्म? पार्टी का रजिस्ट्रेशन सस्पेंड

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क्या बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग का अस्तित्व खत्म होने जा रहा है? ये सवाल इसलिए क्योंकि बांग्लादेश चुनाव आयोग (ईसी) ने शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग का राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण निलंबित कर दिया। ईसी के वरिष्ठ सचिव अख्तर अहमद ने संवाददाताओं को बताया, हमने गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुरूप बांग्लादेश आवामी लीग का पंजीकरण (राजनीतिक दल के रूप में) निलंबित कर दिया है।

बांग्लादेश चुनाव आयोग के वरिष्ठ सचिव अख्तर अहमद ने सोमवार रात करीब 9.15 बजे आयोग मुख्यालय में इसकी घोषणा की। उन्होंने बताया कि आतंकवाद विरोधी (संशोधन) अध्यादेश और आतंकवाद विरोधी अधिनियम की धारा 18(1) के तहत जारी गृह मंत्रालय के राजपत्र का हवाला देते हुए आवामी लीग का राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण निलंबित कर दिया गया है। अख्तर अहमद ने कहा, जैसा कि आपको पता है कि आज गृह मंत्रालय ने बांग्लादेश अवामी लीग और इसके संबंध और सहयोगी संगठनों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके मद्देनजर, चुनाव आयोग ने अवामी लीग के पंजीकरण को निलंबित करने का फैसला लिया है।

सोमवार को जारी गैजेट अधिसूचना के अनुसार, सरकार ने अवामी लीग और उसके सभी संबद्ध, सहयोगी और समान विचारधारा वाले संगठनों द्वारा प्रकाशन, मीडिया में उपस्थिति, ऑनलाइन और सोशल मीडिया अभियान, जुलूस, बैठकें, रैलियां और सम्मेलनों सहित सभी प्रकार की गतिविधियों पर व्यापक प्रतिबंध की घोषणा की है।

तीन दिन पहले लगे थे पार्टी की सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध

इसके पहले शनिवार को मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने तीन दिन के विरोध प्रदर्शन के बाद शनिवार रात को अवामी लीग की सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। अवामी लीग का गठन 1949 में हुआ था। पार्टी ने दशकों तक तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में बंगालियों की आजादी के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया था। इसी ने साल 1971 में मुक्ति संग्राम का नेतृत्व किया था। इस वजह से ही अलग बांग्लादेश अस्तित्व में आया था।

आवामी लीग ने सरकार के फैसले को खारिज किया

हालांकि, आवामी लीग ने सरकार के फैसले को खारिज कर दिया और घोषणा की कि वे शनिवार को अपनी गतिविधियों का संचालन ठीक से करेंगे। बयान में कहा गया, बांग्लादेश के लोग अवैध और असांविधानिक कब्जे वाली फासीवादी यूनुस सरकार की आवामी लीग की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा से हैरान और नाराज हैं। हम फासीवादी तानाशाह यूनुस सरकार के इस फैसले को घृणा के साथ खारिज करते हैं और इसकी कड़ी निंदा करते हैं और इसका विरोध करते हैं।

क्या खत्म हो जाएगा शेख हसीना का राजनीति सफर?

वहीं शेख हसीना बीते 16 सालों से अवामी लीग सरकार का नेतृत्व कर रही थी, लेकिन पिछले साल 5 अगस्त को छात्रों के नेतृत्व में हुए हिंसक विद्रोह में बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ और शेख हसीन को भारत भागना पड़ा। उनके निष्कासन के तीन दिन बाद, यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला है। तब से हसीना और उनकी पार्टी के कई नेता देश में सामूहिक हत्या और भ्रष्टाचार सहित सैकड़ों मामलों का सामना कर रहे हैं। उनकी सरकार में उनकी पार्टी के ज्यादातर नेता और मंत्री या तो गिरफ्तार हो चुके हैं या विदेश भाग गए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या शेख हसीना का राजनीति सफर खत्म होने वाला है?

आग से खेलोगे तो जल जाओगे…', किसपर भड़कीं शेख हसीना?

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर मोहम्मद यूनुस पर निशाना साधा है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग पार्टी की नेता शेख हसीना ने देश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस पर कड़ा हमला बोला है। हसीना ने यूनुस को आत्मकेंद्रित और सत्ता का भूखा इंसान बताया। यही नहीं, हसीना ने यूनुस को चेताया है कि अगर आप आग से खेलेंगे तो यह आपको भी जलाकर राख कर देगी।

8 मिनट के एक ऑनलाइन वीडियो में शेख हसीना ने कहा, यूनुस एक पैसों के लालची और सत्ता के भूखो शख्स है जो बांग्लादेश को बर्बाद करने पर तुले हुए है। उसने विदेशी ताकतों के साथ मिलकर साजिश रची है। हसीना ने यह भी आरोप लगाया कि यूनुस, बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी पार्टी के साथ मिलकर अवामी लीग के नेताओं को परेशान कर रहा है और उन्हें मार रहा है।

हसीने ने यूनुस को चेताया

हसीना ने गुस्से में पूछा, युनूस सरकार में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई से जुड़े निशान मिटाए जा रहे हैं। हमने हर जिले में मुक्ति योद्धा स्मारक बनाए थे, लेकिन उन्हें जलाया जा रहा है। आजादी के नायकों का अपमान हो रहा है। क्या यूनुस इसका जवाब दे सकेंगे? उन्होंने चेतावनी दी, यूनुस, अगर आग से खेलेंगे, तो वह आग उन्हें ही जला देगी।

अबू सईद की मौत पर उठाया सवाल

अपने भाषण में शेख हसीना ने कोटा आंदोलन के दौरान मारे गए अबू सईद की मौत को लेकर भी बड़ा दावा किया। अबू सईद को आंदोलन का हीरो माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सईद की मौत पुलिस की जानबूझकर की गई हत्या थी। शेख हसीना ने इस बात को पूरी तरह नकार दिया और कहा कि ये आरोप गलत और भड़काने वाले हैं।

यूनुस पर साजिश रचने का आरोप

शेख हसीना ने कहा, जब प्रदर्शनकारी पुलिस पर पत्थर फेंक रहे थे, तब पुलिस ने सिर्फ रबर की गोलियां चलाई थीं। अबू सईद के सिर पर पत्थर से चोट लगी थी, लेकिन सवाल ये है कि 7.62 एमएम की असली गोली कहां से आई? वो गोली किसने चलाई?

हसीना ने आरोप लगाया कि जब एक अफसर ने इस मामले की जांच शुरू की तो यूनुस ने उसे हटा दिया। उन्होंने कहा, अगर अबू सईद का शव दोबारा निकाला जाए और सही जांच हो तो पता चल जाएगा कि सारी हत्याएं एक साजिश थीं। हसीना ने साफ कहा, ना मैंने, ना अवामी लीग ने और ना ही पुलिस ने सईद को मारा, बल्कि पुलिस खुद हिंसा की शिकार थी। इसके बावजूद हिंसा करने वालों को मुआवजा दिया गया। क्या उन्हें सज़ा मिलेगी? नहीं क्योंकि ये सब यूनुस की सोची-समझी चाल थी।

बांग्लादेश बर्बादी की कगार पर पहुंच गया-हसीना

हसीना ने कहा कि यूनुस के राज में बांग्लादेश बर्बादी की कगार पर पहुंच गया और मेहनतकश बांग्लादेशियों की उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं। हजारों कारखाने बंद हो गए। अवामी लीग के नेताओं से जुड़े बिजनेस, होटल और अस्पताल तक जला दिए गए। उन्होंने कहा, टॉप डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया गया। राजनीतिक कार्यकर्ताओं को पुलिस की वर्दी दी गई है। क्या वे नौकरी के लिए योग्य हैं? किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया और बीएनपी लूटपाट में व्यस्त है।

बता दें कि शेख हसीना पिछले साल अगस्त में तख्तापलट के बाद भारत आ गई थीं। निर्वासन में रहते हुए वह सोशल मीडिया के जरिए अपनी पार्टी के नेताओं से बात करती हैं।

शेख हसीना ने भरी बांग्लादेश लौटने की हुंकार, बोलीं- मैं मरी नहीं...अल्लाह ने मुझे किसी कारण से जिंदा रखा


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पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद भी राजनीतिक अस्थिरता का दौर कायम है। इस बीच सत्ता से बेदखल हो चुकी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर हुंकार भरी है। बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने अपने समर्थकों से कहा कि वह अपने देश वापस आएंगी। बता दें कि पिछले साल अगस्त में अवामी लीग की अध्यक्ष शेख हसीना को हिंसक आंदोलन के बाद बांग्लादेश से भागकर भारत आना पड़ा था। उन्होंने फिलहाल भारत में शरण ली है।

सोशल मीडिया पर आवामी लीग के कार्यकर्ताओं से बात करते हुए हसीना ने कहा कि मैं मरी नहीं, इसका मतलब है कि मैं फिर से वापस बांग्लादेश आऊंगी। अल्लाह ने लोगों को संदेश दे दिया है। वापस आने के बाद अंतरिम सरकार और उनके लोगों को जेल से लेकर अदालत तक मैं घसीटूंगी।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस पर निशाना साधते हुए शेख हसीना ने कहा कि वह ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने कभी लोगों से प्यार नहीं किया। उन्होंने ऊंची ब्याज दरों पर छोटी रकम उधार दी और उस पैसे का इस्तेमाल विदेश में ऐशो-आराम से रहने में किया। हम तब उनके दोगलेपन को समझ नहीं पाए, इसलिए हमने उनकी बहुत मदद की। लेकिन लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने अपने लिए अच्छा किया। फिर सत्ता की ऐसी लालसा पैदा की जो आज बांग्लादेश को जला रही है।

बांग्लादेश अब एक "आतंकवादी देश" बन गया-हसीना

शेख हसीना ने आगे कहा कि बांग्लादेश अब एक "आतंकवादी देश" बन गया है। उन्होंने कहा कि "हमारे नेताओं और कार्यकर्ताओं को इस तरह से मारा जा रहा है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। अवामी लीग, पुलिस, वकील, पत्रकार, कलाकार, हर किसी को निशाना बनाया जा रहा है।" इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश में मीडिया पर भी शिकंजा कसने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, "बलात्कार, हत्या, डकैती, कुछ भी रिपोर्ट नहीं किया जा सकता। और अगर रिपोर्ट किया जाता है, तो टीवी चैनल या अखबार को निशाना बनाया जाएगा।

मैं जिंदा हूं और मैं जल्द ही बांग्लादेश आऊंगी-हसीना

बातचीत के दौरान आवामी लीग के कार्यकर्ताओं के एक सवाल के जवाब में हसीना ने कहा, अल्लाह ने मुझे किसी वजह से जिंदा रखा है और वह दिन जरूर आएगा जब न्याय होगा। मैं जिंदा हूं और मैं जल्द ही बांग्लादेश आऊंगी। आप सभी लोग धैर्य बनाकर रहें। आपके साथ न्याय होगा। जो भी लोग आपको मारने के लिए आ रहे हैं, उन्हें खोज-खोजकर लाया जाएगा।

पिता और परिवार की हत्या को याद कर हुईं भावुक

हसीना ने इस दौरान कार्यकर्ताओं से भावुक अपील करते हुए कहा कि मैं हर बार बच क्यों जाती हूं? आतंकवादियों ने मेरे पिता, माता और भाई को मार दिया, लेकिन उस वक्त भी मैं बच गई। उन्होंने आगे कहा मुझे मारने की पिछली बार भी कोशिश की गई, लेकिन मैं बच गई। अल्लाह की मर्जी क्या है, मुझे नहीं पता, लेकिन बांग्लादेश में कुछ जरूर अच्छा होने वाला है।

यूनुस ने फिर दोहराई हसीना के प्रत्यार्पण की मांग

शेख हसीना का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब बिम्सटेक की बैठक में बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हसीना को सौंपने की अपील की थी। यूनुस का कहना था कि शेख हसीना पर बांग्लादेश में गंभीर आरोप लगे हैं, इसलिए उन्हें सौंपा जाए। अगस्त 2024 में तख्तापलट के बाद शेख हसीना भारत आ गई थीं।

पीएम मोदी संग मुलाकात में मोहम्मद यूनुस ने उठाया शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा, क्या करेगा भारत

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भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तल्खी के बीच बैंकॉक की धरती पर पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच मुलाकात हुई। थाईलैंड में बिम्सटेक सम्मेलन के इतर पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई। यह बैठक इसलिए खास है, क्योंकि शेख हसीना सरकार के जाने के बाद यह दोनों देशों के बीच पहली द्विपक्षीय बैठक है। दोनों नेताओं के बीच कई कई मु्द्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान यूनुस ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण का भी मु्द्दा उठाया।

पीएम मोदी की थाईलैंड यात्रा पर ब्रीफ्रिंग देते हुए मिसरी ने कहा, 'पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर बातचीत हुई। इस बारे में मैं और कुछ नहीं कह सकता।'

बता दें कि मोहम्मद यूनुस ने पहले भारत से शेख हसीना की प्रत्यर्पण की मांग कर चुके हैं। यूनुस का कहना है कि भारत में रहकर शेख हसीना बांग्लादेश की राजनीति को अस्थिर कर रही है, जिससे वहां के लोकतंत्र को खतरा हो गया है।

वहीं, बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैठक के दौरान मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा भारत के सामने उठाया है। मोहम्मद यूनुस और पीएम मोदी की बैठक के बारे में पूछे जाने पर बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने दोनों नेताओं के बीच की इस बैठक को "बहुत उपयोगी और रचनात्मक" बताया है।

शफीकुल आलम ने कहा है कि "हमने भारत के साथ आपसी हितों के सभी मामलों पर चर्चा की है।" बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि "मुख्य सलाहकार ने बांग्लादेश के लिए महत्वपूर्ण सभी मुद्दों को उठाया। चर्चा में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण, भारत में रहते हुए उनकी तरफ से दिए जाने वाले भड़काऊ बयान, सीमा पर हत्याओं का मुद्दा, गंगा जल संधि का नवीनीकरण और लंबे समय से लंबित तीस्ता संधि पर चर्चा की गई।" उन्होंने आगे कहा कि "दोनों शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत सकारात्मक और उत्पादक रही।"

बता दें कि शेख हसीना पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में हुए एक हिंसक प्रदर्शन के बाद भागकर भारत आ गई थीं। उन्हें फिलहाल नई दिल्ली ने शरण दे रखा है। उनके खिलाफ बांग्लादेश में दर्जनों मुकदमें दर्ज किए गये हैं, जिनमें उनके ऊपर हत्या के मुकदमें भी दर्ज हैं। बांग्लादेश कई बार औपचारिक तौर पर शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर चुका है।

शेख हसीना की अवामी लीग पर बैन नहीं लगाएंगे मोहम्मद यूनुस, क्यों बदल दी चाल?

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा है कि देश छोड़कर भाग गईं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की राजनीतिक पार्टी, अवामी लीग पर कोई प्रतिबंध लगाने की योजना नहीं है। हालांकि, यह भी कहा कि हत्या और मानवता के खिलाफ अपराधों समेत अन्य अपराधों के आरोपी नेताओं को अदालत में मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। चुनाव को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस का रुख नरम पड़ता दिख रहा है।

बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार की मुहम्मद यूनुस के प्रेस विभाग ने गुरुवार को बयान में यह जानकारी दी। एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बात करते हुए मुहम्मद यूनुस ने कहा कि सरकार ने चुनावों के लिए दो संभावित समयसीमाएं निर्धारित की हैं। यूनुस ने कहा कि मतदान में देरी नहीं की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि राजनीतिक दल चुनाव से पहले केवल सीमित सुधार चाहेंगे तो मतदान दिसंबर में होगा। हालांकि, यदि वे अधिक व्यापक सुधार पैकेज का अनुरोध करते हैं, तो चुनाव अगले साल जून में हो सकते हैं।

गुरुवार को मोहम्मद यूनुस ने कंफर्ट एरो के नेतृत्व में ढाका पहुंचे 'इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप' के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात की। इस दौरान यूनुस ने कहा कि सरकार ने अवामी लीग के नेताओं को जुलाई विद्रोह के दौरान संभावित अपराधों के लिए हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में भेजने से इनकार नहीं किया है। उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से विचाराधीन है।

इससे पहले बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और विपक्षी दल बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) उन पर चुनाव लड़ने से रोक लगाने की कोशिश कर रहे थे। वहीं, पिछले साल विद्रोह करके शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंकने वाले छात्र नेताओं ने भी मांग है कि अवामी लीग को गैरकानूनी घोषित किया जाए। छात्रों की तरफ से शेख हसीना की पार्टी पर उनके 15 साल के कार्यकाल के दौरान व्यापक मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया गया है। पिछले साल के आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई का भी आरोप लगा, जिसमें 800 से अधिक लोग मारे गए थे। ऐसे में कार्यवाहक सरकार के नेता और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस का यह फैसला उन छात्र क्रांतिकारियों को नागवार गुजर सकता है।

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना का यूनुस सरकार पर फूटा गुस्सा, आतंक के आरोपों पर बढ़ी रार

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पिछले साल अगस्त में हिंसक प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा था। शेख हसीना अब भारत में रह रही हैं। उसके बाद देश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया। अब बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वर्तमान में देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर गंभीर आरोप लगाए। हसीना ने कहा कि यूनुस ने बांगलादेश को आतंकवाद और अराजकता का केंद्र बना दिया है। पांच अगस्त 2024 को छात्रों के विद्रोह के बाद हसीना की 16 साल पुरानी सरकार गिर गई और उन्हें बांग्लादेश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

यूनुस पर आतंकियों को बढ़ावा देने का आरोप

हसीना ने सोमवार को यूनुस सरकार पर हमला बोला। शेख हसीना ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को दिए एक संदेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर आतंकियों को बढ़ावा देने और अराजकता फैलाने का आरोप लगाया है। हसीना ने कहा, यूनुस ने खुद कहा था कि उसे देश चलाने का कोई अनुभव नहीं है, फिर उसे सरकार चलाने से क्यों नहीं रोका गया? उनका आरोप था कि जब छात्रों के नेतृत्व में सरकार के कोटा सुधारों के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे और कई पुलिसकर्मी मारे गए थे, तब यूनुस ने चुप्पी साधी। हसीना ने यह भी कहा कि यूनुस ने सभी जांच समितियों को खत्म कर दिया और आतंकवादियों को खुली छूट दे दी, जो देश को बर्बाद कर रहे हैं।

मैं वापस आउंगी और शहीदों का बदला लूंगी-हसीना

शेख हसीना ने यह भी कहा कि उनके खिलाफ चल रही सरकार को जल्द ही समाप्त किया जाएगा। उन्होंने पांच शहीद पुलिसकर्मियों की विधवाओं और उनके बच्चों से वर्चुअल बैठक के दौरान कहा, मैं लौटकर हमारे पुलिसकर्मियों की मौत का बदला लूंगी। उन्होंने यह भी कहा कि बांगलादेश में कुछ आतंकवादी तत्वों ने जो अराजकता फैलाई है, उसे अब खत्म करना होगा।

“हसीना को भारत से वापस लाना सबसे बड़ी प्राथमिकता”

अब शेख हसीना के पलटवार में यूनुस की अगुवाई वाली बांग्लादेश की सरकार ने भी एक स्टेटमेंट जारी किया है। इस स्टेटमेंट में कहा गया है कि शेख हसीना को भारत से वापस लाना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है, जिसे हम जरूर करेंगे।

कौन हैं कतर के अमीर शेख अल-थानी? जिनके लिए पीएम मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर पहुंच गए एयरपोर्ट

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कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी दो दिवसीय राजकीय दौरे पर भारत आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार शाम को खुद उनकी आगवानी करने इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पहुंचे। पीएम मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी की अगवानी के ले वहां मौजूद रहे। कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी जैसे ही प्लेन से नीचे उतरे, पीएम मोदी ने मुस्कराते हुए उन्हें गले लगा लिया। अमीर ने भी उतनी ही गर्मजोशी के साथ उनका साथ दिया। कतर के अमीर को एयरपोर्ट पर रेड कारपेट वेलकम देकर गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

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अमीर शेख तमीम बिन मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे और पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत करेंगे। प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि अपने भाई, कतर के शेख तमीम बिन हम्माद अल-थानी का स्वागत करने के लिए एयरपोर्ट गया। भारत में उनके सफल प्रवास की कामना करता हूं।

मंगलवार की सुबह कतर के अमीर का राष्ट्रपति भवन के परिसर में औपचारिक स्वागत किया जाएगा, जिसके बाद हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी बैठक होगी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे। बयान के अनुसार मंगलवार दोपहर को सहमति पत्रों का आदान-प्रदान होगा, जिसके बाद कतर के अमीर राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि अल-थानी पीएम मोदी के आमंत्रण पर भारत दौरे पर आए हैं।

कौन हैं अमीर तमीम बिन अल-थानी?

शेख तमीम बिन हमद अल-थानी कतर के अमीर रहे शेख हमद बिन खलीफा अल-थानी के बेटे हैं। वे दुनिया के सबसे युवा राष्ट्राध्यक्षों में से एक हैं। उन्हें 2003 में क्राउन प्रिंस नियुक्त किया गया। इसके बाद 2009 में उन्हें सेना में डिप्टी कमांडर इन चीफ का पद मिला। वे 25 जून 2013 को कतर के अमीर बने थे। उनके पास करीब 335 अरब डॉलर की संपत्ति है। वे दुनिया के 9वें सबसे अमीर शासक हैं।

खेलों में है गहरी रूचि

तमीम बिन अल-थानी का जन्म 3 जून 1980 को कतर की राजधानी दोहा में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कतर में ही प्राप्त की और उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन गए। ब्रिटेन से शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कतर की सेना में भी अपनी सेवाएं दीं। तमीम खेलों में गहरी रुचि रखते हैं। 2006 में कतर में आयोजित एशियन गेम्स के सफल आयोजन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस आयोजन ने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई। उनकी नेतृत्व क्षमता का एक और उदाहरण 2022 फीफा वर्ल्ड कप का कतर में सफल आयोजन रहा।

भारत ने मूल रूप से मेरी मां की जान बचाई…” शेख हसीना के बेटे वाजेद ने मोदी सरकार का जाताया आभारा

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बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर नई दिल्ली और ढाका के बीच तनाव बना हुआ है। बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) से मौत की सजा सुनाए जाने के बाद ढाका ने भारत से शेख हसीना को सौंपने की मांग की है, ताकि सजा को लागू किया जा सके। इस बीच भारत की तरफ से अपदस्थ पीएम को इस तरह सुरक्षा दिए जाने पर शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने भारत सरकार की तारीफ की है और पीएम मोदी का आभार जताया है।

भारतीय लोकतंत्र और कानून पर जताया भरोसा

अमेरिका में रह रहे वाजेद ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि मुझे लगता है कि वे (भारत सरकार) अच्छी तरह से जानते हैं कि प्रत्यर्पण अनुरोध को किस तरह से हैंडल करना है। वाजेद ने आगे कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत सरकार ऐसे किसी गैर-कानूनी अनुरोध का जवाब देगी। मुझे भारतीय लोकतंत्र और कानून के राज में उसके विश्वास पर भरोसा है।

बांग्लादेश की न्यायिक प्रक्रिया पर उठाए सवाल

शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर सजीब ने कहा, प्रत्यर्पण के लिए न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है। बांग्लादेश में एक अनिर्वाचित, असंवैधानिक और अवैध सरकार है। मेरी मां को दोषी ठहराने के लिए, उनके मुकदमे की सुनवाई तेज करने के लिए कानूनों में संशोधन किया गया। यानी इन कानूनों में अवैध रूप से संशोधन किया गया। मेरी मां को अपने बचाव पक्ष के वकील नियुक्त करने की अनुमति नहीं थी। ट्रायल से पहले ही अदालत के 17 जजों को बर्खास्त कर दिया गया, नए जज नियुक्त किए गए, जिनमें से कुछ को बेंच पर काम करने का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था और वे राजनीतिक रूप से जुड़े हुए थे। इसलिए, कोई उचित प्रक्रिया नहीं थी। प्रत्यर्पण के लिए उचित प्रक्रिया का होना आवश्यक है।

लश्कर-ए-तैयबा को लेकर बड़ा दावा

हसीना के बेटे ने कहा कि भारत को असली चिंता उनकी करनी चाहिए जो यूनुस का साथ दे रहे हैं। यह जमात-ए-इस्लामी है, जो सबसे बड़ी इस्लामिक पार्टी है। उन्होंने हजारों आतंकवादियों को रिहा किया है, जिन्हें हमारी सरकार ने दोषी ठहराया था और जेल की सजा सुनाई थी। वाजेद ने दावा किया कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा आजादी से काम कर रहा है और क्रेडिट दावा कर रहा है।

शेख हसीना को सुनाई गई मौत की सजा, मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराया

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बांग्लादेशी की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई गई है। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ चल रहे एक मामले पर सोमवार को ढाका स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-बांग्लादेश) की तरफ से फैसला सुनाया गया। ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराते हुए कहा कि वे अधिकतम सजा की हकदार हैं। इसी के साथ न्यायाधिकरण ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। पहले से ही माना जा रहा था कि उन्हें सख्त सजा दी जा सकती है।

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध और हत्या जैसे कुल 5 मामले चल रहे थे, जिस पर तीन सदस्यीय ट्रिब्यूनल ने अपना 453 पन्नों का फैसला सुना दिया है। उन्हें अलग-अलग मामलों में आईटीसी ने दोषी करार दिया है और मौत की सजा सुनाई है। ट्रिब्यूनल को जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदर लीड कर रहे थे। आईसीटी जज के मुताबिक ये मामला काफी बड़ा था, ऐसे में फैसला भी 6 भाग में सुनाया गया है।

शेख हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ फैसला

ट्रिब्यूनल ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों के पांच आरोपों पर अपना फैसला सुनाया है। ये आरोप जुलाई-अगस्त 2024 में आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन से जुड़ी अशांति से उत्पन्न हुए हैं। शेख हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ 8747 पन्नों के आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल गये थे, जिनमें पीड़ितों के बयान, जब्त किए सबूत और पीड़ितों की पूरी लिस्ट होने की बात कही गई थी। इसी आधार पर इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-बांग्लादेश ने शेख हसीना के खिलाफ फैसला सुनाया है।

शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किए

ट्रिब्यूनल ने कहा है कि हमने मानवाधिकार संगठन और अन्य संगठनों की कई रिपोर्ट्स पर विचार किया है। हमने क्रूरताओं का विवरण भी दिया है। शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किए। ट्रिब्यूनल ने फैसले में यह भी कहा है कि बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मारे गए हैं। ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा है कि अवामी लीग के कार्यकर्ता कथित रूप से सड़कों पर उतर आए और पार्टी नेतृत्व की पूरी जानकारी में सुनियोजित हमले किए।

कोर्ट ने कहा-मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ

ट्रिब्यूनल ने कहा कि राजनीतिक नेतृत्व की ओर से दिए गए सीधे आदेशों की वजह से प्रदर्शनकारियों और अन्य नागरिकों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ। मामले में अभियोजकों ने दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग की थी। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि हसीना सरकार की ओर से आदेश के बाद 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच ‘विद्रोह’ के दौरान 1,400 लोग मारे गए थे। 11 हजार से अधिक लोग हिरासत में लिए गए या गिरफ्तार किए गए थे।

हसीना ने सभी आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताया

बता दें कि कि शेख हसीना इस वक्त भारत में हैं। उन्होंने ट्रिब्यूनल में मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि उन पर लगे सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं और वे ऐसे फैसलों की परवाह नहीं करतीं। आईसीटी के फैसले से पहले अपने समर्थकों को जारी एक ऑडियो संदेश में हसीना ने कहा था कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार उनकी पार्टी को खत्म करना चाहती है। हसीना ने कहा था कि यह इतना भी आसान नहीं है। आवामी लीग जमीन से उठी पार्टी है।

यूनुस ने अमेरिका को बेच दिया बांग्लादेश…शेख हसीना का मोहम्मद यूनुस पर बड़ा हमला

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पड़ोसी देश बांग्लादेश में सियासी उथल-पुथल जारी है। इस बीच देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर बड़ा आरोप लगाया है। शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस पर हमला तेज करते हुए कहा कि वो बांग्लादेश को अमेरिका को बेच रहे हैं। वह आतंकियों के नेता हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक ऑडियो संदेश में कहा, मेरे पिता ने अमेरिका को सेंट मार्टिन द्वीप नहीं दिया था, बल्कि उन्हें इसके लिए अपनी जान देनी पड़ी। मेरे साथ भी यही हुआ। हसीना ने आगे कहा कि, मेरे मन में कभी सत्ता में बने रहने के लिए देश को बेचने का विचार नहीं आया और जिस देश के लोगों ने राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के आह्वान पर तीस लाख लोगों को आजाद कराने के लिए हथियार उठाए और संघर्ष किया और अपनी जान दे दी। उस देश की एक इंच जमीन भी किसी को देने का इरादा किसी का नहीं हो सकता। लेकिन आज कैसी विडंबना है। एक ऐसा व्यक्ति सत्ता में आया, एक ऐसा व्यक्ति जिसे पूरे देश के लोग बेहद प्यार करते हैं, एक ऐसा व्यक्ति जिसे दुनिया प्यार करती है, और आज सत्ता में आकर उस व्यक्ति का क्या हाल हो गया?

यूनुस पर आतंकियों की मदद से सरकार चलाने का आरोप

शेख हसीना ने आगे आरोप लगाया कि यूनुस आतंकवादियों की मदद से सरकार चला रहे हैं। उन्होंने कहा, यूनुस ने आतंकवादियों की मदद से सत्ता हथियाई है। सभी आतंकवादियों की मदद से। यहां तक कि जिन्हें विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रतिबंधित किया गया है, जिनसे हमने बांग्लादेश के लोगों की रक्षा की। केवल एक आतंकवादी हमले के बाद ही हमने सख्त कदम उठाए थे। कई को गिरफ्तार किया गया था। अब जेलें खाली हैं। उन्होंने सभी को रिहा कर दिया। अब बांग्लादेश में उन्हीं आतंकवादियों का राज है।

यूनुस का पद पर रहने का कोई आधार नहीं-हसीना

शेख हसीना ने आगे कहा, हमारे महान बंगाली राष्ट्र का संविधान जिसे हमने लंबे संघर्ष और मुक्ति संग्राम से हासिल किया है, इस उग्रवादी नेता को, जिसने अवैध रूप से सत्ता पर कब्जा किया है, संविधान को छूने का अधिकार किसने दिया? पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि यूनुस का मुख्य सलाहकार के पद पर रहने का भी कोई आधार नहीं है और वह अस्तित्व में नहीं है। शेख हसीना ने आरोप लगाया कि यूनुस ने अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

क्या बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग का भविष्य खत्म? पार्टी का रजिस्ट्रेशन सस्पेंड

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क्या बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग का अस्तित्व खत्म होने जा रहा है? ये सवाल इसलिए क्योंकि बांग्लादेश चुनाव आयोग (ईसी) ने शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग का राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण निलंबित कर दिया। ईसी के वरिष्ठ सचिव अख्तर अहमद ने संवाददाताओं को बताया, हमने गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुरूप बांग्लादेश आवामी लीग का पंजीकरण (राजनीतिक दल के रूप में) निलंबित कर दिया है।

बांग्लादेश चुनाव आयोग के वरिष्ठ सचिव अख्तर अहमद ने सोमवार रात करीब 9.15 बजे आयोग मुख्यालय में इसकी घोषणा की। उन्होंने बताया कि आतंकवाद विरोधी (संशोधन) अध्यादेश और आतंकवाद विरोधी अधिनियम की धारा 18(1) के तहत जारी गृह मंत्रालय के राजपत्र का हवाला देते हुए आवामी लीग का राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण निलंबित कर दिया गया है। अख्तर अहमद ने कहा, जैसा कि आपको पता है कि आज गृह मंत्रालय ने बांग्लादेश अवामी लीग और इसके संबंध और सहयोगी संगठनों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके मद्देनजर, चुनाव आयोग ने अवामी लीग के पंजीकरण को निलंबित करने का फैसला लिया है।

सोमवार को जारी गैजेट अधिसूचना के अनुसार, सरकार ने अवामी लीग और उसके सभी संबद्ध, सहयोगी और समान विचारधारा वाले संगठनों द्वारा प्रकाशन, मीडिया में उपस्थिति, ऑनलाइन और सोशल मीडिया अभियान, जुलूस, बैठकें, रैलियां और सम्मेलनों सहित सभी प्रकार की गतिविधियों पर व्यापक प्रतिबंध की घोषणा की है।

तीन दिन पहले लगे थे पार्टी की सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध

इसके पहले शनिवार को मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने तीन दिन के विरोध प्रदर्शन के बाद शनिवार रात को अवामी लीग की सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। अवामी लीग का गठन 1949 में हुआ था। पार्टी ने दशकों तक तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में बंगालियों की आजादी के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया था। इसी ने साल 1971 में मुक्ति संग्राम का नेतृत्व किया था। इस वजह से ही अलग बांग्लादेश अस्तित्व में आया था।

आवामी लीग ने सरकार के फैसले को खारिज किया

हालांकि, आवामी लीग ने सरकार के फैसले को खारिज कर दिया और घोषणा की कि वे शनिवार को अपनी गतिविधियों का संचालन ठीक से करेंगे। बयान में कहा गया, बांग्लादेश के लोग अवैध और असांविधानिक कब्जे वाली फासीवादी यूनुस सरकार की आवामी लीग की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा से हैरान और नाराज हैं। हम फासीवादी तानाशाह यूनुस सरकार के इस फैसले को घृणा के साथ खारिज करते हैं और इसकी कड़ी निंदा करते हैं और इसका विरोध करते हैं।

क्या खत्म हो जाएगा शेख हसीना का राजनीति सफर?

वहीं शेख हसीना बीते 16 सालों से अवामी लीग सरकार का नेतृत्व कर रही थी, लेकिन पिछले साल 5 अगस्त को छात्रों के नेतृत्व में हुए हिंसक विद्रोह में बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ और शेख हसीन को भारत भागना पड़ा। उनके निष्कासन के तीन दिन बाद, यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला है। तब से हसीना और उनकी पार्टी के कई नेता देश में सामूहिक हत्या और भ्रष्टाचार सहित सैकड़ों मामलों का सामना कर रहे हैं। उनकी सरकार में उनकी पार्टी के ज्यादातर नेता और मंत्री या तो गिरफ्तार हो चुके हैं या विदेश भाग गए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या शेख हसीना का राजनीति सफर खत्म होने वाला है?

आग से खेलोगे तो जल जाओगे…', किसपर भड़कीं शेख हसीना?

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर मोहम्मद यूनुस पर निशाना साधा है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग पार्टी की नेता शेख हसीना ने देश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस पर कड़ा हमला बोला है। हसीना ने यूनुस को आत्मकेंद्रित और सत्ता का भूखा इंसान बताया। यही नहीं, हसीना ने यूनुस को चेताया है कि अगर आप आग से खेलेंगे तो यह आपको भी जलाकर राख कर देगी।

8 मिनट के एक ऑनलाइन वीडियो में शेख हसीना ने कहा, यूनुस एक पैसों के लालची और सत्ता के भूखो शख्स है जो बांग्लादेश को बर्बाद करने पर तुले हुए है। उसने विदेशी ताकतों के साथ मिलकर साजिश रची है। हसीना ने यह भी आरोप लगाया कि यूनुस, बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी पार्टी के साथ मिलकर अवामी लीग के नेताओं को परेशान कर रहा है और उन्हें मार रहा है।

हसीने ने यूनुस को चेताया

हसीना ने गुस्से में पूछा, युनूस सरकार में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई से जुड़े निशान मिटाए जा रहे हैं। हमने हर जिले में मुक्ति योद्धा स्मारक बनाए थे, लेकिन उन्हें जलाया जा रहा है। आजादी के नायकों का अपमान हो रहा है। क्या यूनुस इसका जवाब दे सकेंगे? उन्होंने चेतावनी दी, यूनुस, अगर आग से खेलेंगे, तो वह आग उन्हें ही जला देगी।

अबू सईद की मौत पर उठाया सवाल

अपने भाषण में शेख हसीना ने कोटा आंदोलन के दौरान मारे गए अबू सईद की मौत को लेकर भी बड़ा दावा किया। अबू सईद को आंदोलन का हीरो माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सईद की मौत पुलिस की जानबूझकर की गई हत्या थी। शेख हसीना ने इस बात को पूरी तरह नकार दिया और कहा कि ये आरोप गलत और भड़काने वाले हैं।

यूनुस पर साजिश रचने का आरोप

शेख हसीना ने कहा, जब प्रदर्शनकारी पुलिस पर पत्थर फेंक रहे थे, तब पुलिस ने सिर्फ रबर की गोलियां चलाई थीं। अबू सईद के सिर पर पत्थर से चोट लगी थी, लेकिन सवाल ये है कि 7.62 एमएम की असली गोली कहां से आई? वो गोली किसने चलाई?

हसीना ने आरोप लगाया कि जब एक अफसर ने इस मामले की जांच शुरू की तो यूनुस ने उसे हटा दिया। उन्होंने कहा, अगर अबू सईद का शव दोबारा निकाला जाए और सही जांच हो तो पता चल जाएगा कि सारी हत्याएं एक साजिश थीं। हसीना ने साफ कहा, ना मैंने, ना अवामी लीग ने और ना ही पुलिस ने सईद को मारा, बल्कि पुलिस खुद हिंसा की शिकार थी। इसके बावजूद हिंसा करने वालों को मुआवजा दिया गया। क्या उन्हें सज़ा मिलेगी? नहीं क्योंकि ये सब यूनुस की सोची-समझी चाल थी।

बांग्लादेश बर्बादी की कगार पर पहुंच गया-हसीना

हसीना ने कहा कि यूनुस के राज में बांग्लादेश बर्बादी की कगार पर पहुंच गया और मेहनतकश बांग्लादेशियों की उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं। हजारों कारखाने बंद हो गए। अवामी लीग के नेताओं से जुड़े बिजनेस, होटल और अस्पताल तक जला दिए गए। उन्होंने कहा, टॉप डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया गया। राजनीतिक कार्यकर्ताओं को पुलिस की वर्दी दी गई है। क्या वे नौकरी के लिए योग्य हैं? किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया और बीएनपी लूटपाट में व्यस्त है।

बता दें कि शेख हसीना पिछले साल अगस्त में तख्तापलट के बाद भारत आ गई थीं। निर्वासन में रहते हुए वह सोशल मीडिया के जरिए अपनी पार्टी के नेताओं से बात करती हैं।

शेख हसीना ने भरी बांग्लादेश लौटने की हुंकार, बोलीं- मैं मरी नहीं...अल्लाह ने मुझे किसी कारण से जिंदा रखा


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पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद भी राजनीतिक अस्थिरता का दौर कायम है। इस बीच सत्ता से बेदखल हो चुकी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर हुंकार भरी है। बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने अपने समर्थकों से कहा कि वह अपने देश वापस आएंगी। बता दें कि पिछले साल अगस्त में अवामी लीग की अध्यक्ष शेख हसीना को हिंसक आंदोलन के बाद बांग्लादेश से भागकर भारत आना पड़ा था। उन्होंने फिलहाल भारत में शरण ली है।

सोशल मीडिया पर आवामी लीग के कार्यकर्ताओं से बात करते हुए हसीना ने कहा कि मैं मरी नहीं, इसका मतलब है कि मैं फिर से वापस बांग्लादेश आऊंगी। अल्लाह ने लोगों को संदेश दे दिया है। वापस आने के बाद अंतरिम सरकार और उनके लोगों को जेल से लेकर अदालत तक मैं घसीटूंगी।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस पर निशाना साधते हुए शेख हसीना ने कहा कि वह ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने कभी लोगों से प्यार नहीं किया। उन्होंने ऊंची ब्याज दरों पर छोटी रकम उधार दी और उस पैसे का इस्तेमाल विदेश में ऐशो-आराम से रहने में किया। हम तब उनके दोगलेपन को समझ नहीं पाए, इसलिए हमने उनकी बहुत मदद की। लेकिन लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने अपने लिए अच्छा किया। फिर सत्ता की ऐसी लालसा पैदा की जो आज बांग्लादेश को जला रही है।

बांग्लादेश अब एक "आतंकवादी देश" बन गया-हसीना

शेख हसीना ने आगे कहा कि बांग्लादेश अब एक "आतंकवादी देश" बन गया है। उन्होंने कहा कि "हमारे नेताओं और कार्यकर्ताओं को इस तरह से मारा जा रहा है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। अवामी लीग, पुलिस, वकील, पत्रकार, कलाकार, हर किसी को निशाना बनाया जा रहा है।" इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश में मीडिया पर भी शिकंजा कसने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, "बलात्कार, हत्या, डकैती, कुछ भी रिपोर्ट नहीं किया जा सकता। और अगर रिपोर्ट किया जाता है, तो टीवी चैनल या अखबार को निशाना बनाया जाएगा।

मैं जिंदा हूं और मैं जल्द ही बांग्लादेश आऊंगी-हसीना

बातचीत के दौरान आवामी लीग के कार्यकर्ताओं के एक सवाल के जवाब में हसीना ने कहा, अल्लाह ने मुझे किसी वजह से जिंदा रखा है और वह दिन जरूर आएगा जब न्याय होगा। मैं जिंदा हूं और मैं जल्द ही बांग्लादेश आऊंगी। आप सभी लोग धैर्य बनाकर रहें। आपके साथ न्याय होगा। जो भी लोग आपको मारने के लिए आ रहे हैं, उन्हें खोज-खोजकर लाया जाएगा।

पिता और परिवार की हत्या को याद कर हुईं भावुक

हसीना ने इस दौरान कार्यकर्ताओं से भावुक अपील करते हुए कहा कि मैं हर बार बच क्यों जाती हूं? आतंकवादियों ने मेरे पिता, माता और भाई को मार दिया, लेकिन उस वक्त भी मैं बच गई। उन्होंने आगे कहा मुझे मारने की पिछली बार भी कोशिश की गई, लेकिन मैं बच गई। अल्लाह की मर्जी क्या है, मुझे नहीं पता, लेकिन बांग्लादेश में कुछ जरूर अच्छा होने वाला है।

यूनुस ने फिर दोहराई हसीना के प्रत्यार्पण की मांग

शेख हसीना का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब बिम्सटेक की बैठक में बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हसीना को सौंपने की अपील की थी। यूनुस का कहना था कि शेख हसीना पर बांग्लादेश में गंभीर आरोप लगे हैं, इसलिए उन्हें सौंपा जाए। अगस्त 2024 में तख्तापलट के बाद शेख हसीना भारत आ गई थीं।

पीएम मोदी संग मुलाकात में मोहम्मद यूनुस ने उठाया शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा, क्या करेगा भारत

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भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तल्खी के बीच बैंकॉक की धरती पर पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच मुलाकात हुई। थाईलैंड में बिम्सटेक सम्मेलन के इतर पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई। यह बैठक इसलिए खास है, क्योंकि शेख हसीना सरकार के जाने के बाद यह दोनों देशों के बीच पहली द्विपक्षीय बैठक है। दोनों नेताओं के बीच कई कई मु्द्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान यूनुस ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण का भी मु्द्दा उठाया।

पीएम मोदी की थाईलैंड यात्रा पर ब्रीफ्रिंग देते हुए मिसरी ने कहा, 'पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर बातचीत हुई। इस बारे में मैं और कुछ नहीं कह सकता।'

बता दें कि मोहम्मद यूनुस ने पहले भारत से शेख हसीना की प्रत्यर्पण की मांग कर चुके हैं। यूनुस का कहना है कि भारत में रहकर शेख हसीना बांग्लादेश की राजनीति को अस्थिर कर रही है, जिससे वहां के लोकतंत्र को खतरा हो गया है।

वहीं, बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैठक के दौरान मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा भारत के सामने उठाया है। मोहम्मद यूनुस और पीएम मोदी की बैठक के बारे में पूछे जाने पर बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने दोनों नेताओं के बीच की इस बैठक को "बहुत उपयोगी और रचनात्मक" बताया है।

शफीकुल आलम ने कहा है कि "हमने भारत के साथ आपसी हितों के सभी मामलों पर चर्चा की है।" बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि "मुख्य सलाहकार ने बांग्लादेश के लिए महत्वपूर्ण सभी मुद्दों को उठाया। चर्चा में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण, भारत में रहते हुए उनकी तरफ से दिए जाने वाले भड़काऊ बयान, सीमा पर हत्याओं का मुद्दा, गंगा जल संधि का नवीनीकरण और लंबे समय से लंबित तीस्ता संधि पर चर्चा की गई।" उन्होंने आगे कहा कि "दोनों शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत सकारात्मक और उत्पादक रही।"

बता दें कि शेख हसीना पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में हुए एक हिंसक प्रदर्शन के बाद भागकर भारत आ गई थीं। उन्हें फिलहाल नई दिल्ली ने शरण दे रखा है। उनके खिलाफ बांग्लादेश में दर्जनों मुकदमें दर्ज किए गये हैं, जिनमें उनके ऊपर हत्या के मुकदमें भी दर्ज हैं। बांग्लादेश कई बार औपचारिक तौर पर शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर चुका है।

शेख हसीना की अवामी लीग पर बैन नहीं लगाएंगे मोहम्मद यूनुस, क्यों बदल दी चाल?

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा है कि देश छोड़कर भाग गईं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की राजनीतिक पार्टी, अवामी लीग पर कोई प्रतिबंध लगाने की योजना नहीं है। हालांकि, यह भी कहा कि हत्या और मानवता के खिलाफ अपराधों समेत अन्य अपराधों के आरोपी नेताओं को अदालत में मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। चुनाव को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस का रुख नरम पड़ता दिख रहा है।

बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार की मुहम्मद यूनुस के प्रेस विभाग ने गुरुवार को बयान में यह जानकारी दी। एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बात करते हुए मुहम्मद यूनुस ने कहा कि सरकार ने चुनावों के लिए दो संभावित समयसीमाएं निर्धारित की हैं। यूनुस ने कहा कि मतदान में देरी नहीं की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि राजनीतिक दल चुनाव से पहले केवल सीमित सुधार चाहेंगे तो मतदान दिसंबर में होगा। हालांकि, यदि वे अधिक व्यापक सुधार पैकेज का अनुरोध करते हैं, तो चुनाव अगले साल जून में हो सकते हैं।

गुरुवार को मोहम्मद यूनुस ने कंफर्ट एरो के नेतृत्व में ढाका पहुंचे 'इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप' के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात की। इस दौरान यूनुस ने कहा कि सरकार ने अवामी लीग के नेताओं को जुलाई विद्रोह के दौरान संभावित अपराधों के लिए हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में भेजने से इनकार नहीं किया है। उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से विचाराधीन है।

इससे पहले बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और विपक्षी दल बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) उन पर चुनाव लड़ने से रोक लगाने की कोशिश कर रहे थे। वहीं, पिछले साल विद्रोह करके शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंकने वाले छात्र नेताओं ने भी मांग है कि अवामी लीग को गैरकानूनी घोषित किया जाए। छात्रों की तरफ से शेख हसीना की पार्टी पर उनके 15 साल के कार्यकाल के दौरान व्यापक मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया गया है। पिछले साल के आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई का भी आरोप लगा, जिसमें 800 से अधिक लोग मारे गए थे। ऐसे में कार्यवाहक सरकार के नेता और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस का यह फैसला उन छात्र क्रांतिकारियों को नागवार गुजर सकता है।

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना का यूनुस सरकार पर फूटा गुस्सा, आतंक के आरोपों पर बढ़ी रार

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पिछले साल अगस्त में हिंसक प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा था। शेख हसीना अब भारत में रह रही हैं। उसके बाद देश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया। अब बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वर्तमान में देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर गंभीर आरोप लगाए। हसीना ने कहा कि यूनुस ने बांगलादेश को आतंकवाद और अराजकता का केंद्र बना दिया है। पांच अगस्त 2024 को छात्रों के विद्रोह के बाद हसीना की 16 साल पुरानी सरकार गिर गई और उन्हें बांग्लादेश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

यूनुस पर आतंकियों को बढ़ावा देने का आरोप

हसीना ने सोमवार को यूनुस सरकार पर हमला बोला। शेख हसीना ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को दिए एक संदेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर आतंकियों को बढ़ावा देने और अराजकता फैलाने का आरोप लगाया है। हसीना ने कहा, यूनुस ने खुद कहा था कि उसे देश चलाने का कोई अनुभव नहीं है, फिर उसे सरकार चलाने से क्यों नहीं रोका गया? उनका आरोप था कि जब छात्रों के नेतृत्व में सरकार के कोटा सुधारों के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे और कई पुलिसकर्मी मारे गए थे, तब यूनुस ने चुप्पी साधी। हसीना ने यह भी कहा कि यूनुस ने सभी जांच समितियों को खत्म कर दिया और आतंकवादियों को खुली छूट दे दी, जो देश को बर्बाद कर रहे हैं।

मैं वापस आउंगी और शहीदों का बदला लूंगी-हसीना

शेख हसीना ने यह भी कहा कि उनके खिलाफ चल रही सरकार को जल्द ही समाप्त किया जाएगा। उन्होंने पांच शहीद पुलिसकर्मियों की विधवाओं और उनके बच्चों से वर्चुअल बैठक के दौरान कहा, मैं लौटकर हमारे पुलिसकर्मियों की मौत का बदला लूंगी। उन्होंने यह भी कहा कि बांगलादेश में कुछ आतंकवादी तत्वों ने जो अराजकता फैलाई है, उसे अब खत्म करना होगा।

“हसीना को भारत से वापस लाना सबसे बड़ी प्राथमिकता”

अब शेख हसीना के पलटवार में यूनुस की अगुवाई वाली बांग्लादेश की सरकार ने भी एक स्टेटमेंट जारी किया है। इस स्टेटमेंट में कहा गया है कि शेख हसीना को भारत से वापस लाना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है, जिसे हम जरूर करेंगे।

कौन हैं कतर के अमीर शेख अल-थानी? जिनके लिए पीएम मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर पहुंच गए एयरपोर्ट

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कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी दो दिवसीय राजकीय दौरे पर भारत आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार शाम को खुद उनकी आगवानी करने इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पहुंचे। पीएम मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी की अगवानी के ले वहां मौजूद रहे। कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी जैसे ही प्लेन से नीचे उतरे, पीएम मोदी ने मुस्कराते हुए उन्हें गले लगा लिया। अमीर ने भी उतनी ही गर्मजोशी के साथ उनका साथ दिया। कतर के अमीर को एयरपोर्ट पर रेड कारपेट वेलकम देकर गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

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अमीर शेख तमीम बिन मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे और पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत करेंगे। प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि अपने भाई, कतर के शेख तमीम बिन हम्माद अल-थानी का स्वागत करने के लिए एयरपोर्ट गया। भारत में उनके सफल प्रवास की कामना करता हूं।

मंगलवार की सुबह कतर के अमीर का राष्ट्रपति भवन के परिसर में औपचारिक स्वागत किया जाएगा, जिसके बाद हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी बैठक होगी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे। बयान के अनुसार मंगलवार दोपहर को सहमति पत्रों का आदान-प्रदान होगा, जिसके बाद कतर के अमीर राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि अल-थानी पीएम मोदी के आमंत्रण पर भारत दौरे पर आए हैं।

कौन हैं अमीर तमीम बिन अल-थानी?

शेख तमीम बिन हमद अल-थानी कतर के अमीर रहे शेख हमद बिन खलीफा अल-थानी के बेटे हैं। वे दुनिया के सबसे युवा राष्ट्राध्यक्षों में से एक हैं। उन्हें 2003 में क्राउन प्रिंस नियुक्त किया गया। इसके बाद 2009 में उन्हें सेना में डिप्टी कमांडर इन चीफ का पद मिला। वे 25 जून 2013 को कतर के अमीर बने थे। उनके पास करीब 335 अरब डॉलर की संपत्ति है। वे दुनिया के 9वें सबसे अमीर शासक हैं।

खेलों में है गहरी रूचि

तमीम बिन अल-थानी का जन्म 3 जून 1980 को कतर की राजधानी दोहा में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कतर में ही प्राप्त की और उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन गए। ब्रिटेन से शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कतर की सेना में भी अपनी सेवाएं दीं। तमीम खेलों में गहरी रुचि रखते हैं। 2006 में कतर में आयोजित एशियन गेम्स के सफल आयोजन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस आयोजन ने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई। उनकी नेतृत्व क्षमता का एक और उदाहरण 2022 फीफा वर्ल्ड कप का कतर में सफल आयोजन रहा।