ऋषिकेश एम्स में पहली बार हुई दुर्लभ सर्जरी, बना ऐसा करने वाला देश का पहला सरकारी स्वास्थ्य संस्थान
यदि किसी नवजात बच्चे का सिर जन्म के समय से ही टेढ़ा-मेढ़ा अथवा अविकसित स्थिति में है तो घबराइए नहीं, एम्स ऋषिकेश में इसका इलाज उपलब्ध है।
स्प्रिंग असिस्टेड क्रिनियोप्लास्टी तकनीक के माध्यम से संस्थान ने डेढ़ माह के एक बच्चे के सिर को नया आकार प्रदान किया है। दावा है कि भारत में एम्स ऋषिकेश ही एकमात्र सरकारी स्वास्थ्य संस्थान है, जहां इलाज की यह सुविधा उपलब्ध है।
स्वास्थ्य सुविधाओं और इलाज की नवीनतम तकनीकों के मामले में एम्स ऋषिकेश लगातार नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। हाल ही में यहां एक ऐसे नवजात बच्चे के सिर की सर्जरी की गई है जिसका सिर गोल आकार में न होकर बेडौल किस्म का था। यह बच्चा हरिद्वार का रहने वाला है और इसका जन्म भी एम्स ऋषिकेश में ही हुआ है।
न्यूनतम चार महीने के शिशु की ही की जाती है सर्जरी
संस्थान के प्लास्टिक सर्जरी और पुनर्निमाण विभाग ने न्यूरो सर्जरी और एनेस्थेसिया विभाग के साथ टीमवर्क से यह चमत्कार कर दिखाया है। आमतौर पर यह सर्जरी न्यूनतम चार महीने के शिशु की ही की जाती है। लेकिन इतनी छोटी उम्र के बच्चे के सिर की सर्जरी कर उसके बेडौल सिर को सामान्य आकार देने का यह पहला मामला है। मेडिकल क्षेत्र में इस तकनीक को स्प्रिंग असिस्टेड क्रिनयोप्लास्टी कहा जाता है।
बर्न एवं प्लास्टिक चिकित्सा विभाग की सर्जन डा. देवब्रती चटोपाध्याय ने बताया कि स्प्रिंग असिस्टेड क्रिनियोप्लास्टी, शैशव अवस्था से बच्चे के असामन्य (संकीर्ण, लंबा, तिरछा अथवा बेडौल) सिर के आकार को सुविकसित करने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया मस्तिष्क की क्षति को बेहतर ढंग से बचाने और अविकसित सिर की मरम्मत करने में विशेष कारगर है।
डा. देवब्रती ने बताया कि इसे कपालीय स्प्रिंग सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है। टीम में शामिल रहे न्यूरो सर्जन और न्यूरो सर्जरी विभाग के हेड प्रो. रजनीश अरोड़ा ने बताया कि इस बच्चे का सिर का साइज बहुत छोटा और बेडौल किस्म का था। यदि यह सर्जरी नहीं की जाती तो उम्र बढ़ने पर उसके सिर और मस्तिष्क का विकास नहीं हो पाता है।
उन्होंने बताया कि चूंकि यह सिर (कपाल) के उस भाग को भी प्रभावित करती है जहां हमारा मस्तिष्क अथवा दिमाग होता है, इसलिए यह सर्जरी बेहद संवेदनशील और जोखिम भरी थी। चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने इसे तकनीक युक्त सर्जरी के क्षेत्र में मील का पत्थर बताया और सर्जरी में शामिल रहे चिकित्सकों की टीम की सराहना की।
क्या है स्प्रिंग्स असिस्टेड क्रियोनेप्लास्टी
बर्न एवं प्लास्टिक शल्य चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डा. विशाल मागो बताते हैं कि नवजात बच्चों के सिर की सर्जरी की यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें खोपड़ी के अंतर को चौड़ा करने के लिए सिर में छोटे चीरे लगाकर वहां स्टेनलेस स्टील स्प्रिंग्स फिट कर दी जाती है। ताकि मस्तिष्क को बढ़ने के लिए जगह मिल सके।
स्प्रिंग खुलने पर कुछ महीनों बाद वहां नई हड्डी बन जाती है और शिशु के सिर को एक नया स्वरूप मिल जाता है। इस सर्जरी में सिर की त्वचा को घुलनशील टांकों से बंद कर दिया जाता है और बाद में टांके हटाने की जरूरत नहीं पड़ती है।






दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल गिरफ्तारी के बाद से ही अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल के जरिए अपना मैसेज लोगों तक पहुंचा रहे हैं। अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने गुरुवार 4 अप्रैल को एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस की और तिहाड़ जेल में बंद मुख्यमंत्री का संदेश पढ़ा। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने सभी विधायकों को एक संदेश भेजा है। बता दें कि आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की तिहाड़ जेल से रिहाई के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपना ये संदेशा भेजा है। सुनीता केजरीवाल ने आज गुरुवार को प्रेस वार्ता कर सीएम केजरीवाल का तिहाड़ जेल से आम आदमी पार्टी (आप) विधायकों को भेजा गया संदेश पढ़ा।सुनीता ने बताया कि सीएम केजरीवाल ने कहा, मैं जेल में हूं इस वजह से मेरे किसी दिल्लीवासी को किसी तरह की तकलीफ नहीं होनी चाहिए। सभी विधायक हर दिन अपनी विधानसभा में जाएं और इलाकों का दौरा करें। लोगों की समस्याओं का हल करें। मैं केवल सरकारी विभागों से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने की बात नहीं कर रहा, हमें लोगों की बाकी समस्याएं भी दूर करनी हैं। दिल्ली की दो करोड़ जनता मेरा परिवार है। उन्होंने कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।' बता दें कि दिल्ली सीएम की पत्नी सुनीता केजरीवाल इससे पहले भी उनका संदेश साझा कर चुकी हैं। शराब नीति घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग में एक अप्रैल को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की रिमांड खत्म होने पर ईडी ने उन्हें राउव एवेन्यू कोर्ट में पेश कर रिमांड की मांग की।इस पर अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजे दिया। इसके बाद सोमवार शाम को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया।

तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पद से हटाने के लिए दाखिल दूसरी जनहित याचिका को भी दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इससे पहले भी हाईकोर्ट केजरीवाल को सीएम पद से हटाने वाली एक जनहित याचिका खारिज कर चुका है। इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि ये कार्यपालिका से जु़ड़ा मामला है। शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करने वाली एक और याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा है कि इस बारे में कदम उठाना एलजी और राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र में है। ऐसे में इस तरह का आदेश हम नहीं दे सकते। हालांकि, कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा, कई बार राष्ट्रीय हित, निजी हित से बड़े होते हैं, लेकिन यह निर्णय उनका (केजरीवाल) है। हिंदू सेना नामक संगठन के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दायर याचिका में दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी का हवाला देते हुए उन्हें सीएम पद से हटाने की मांग की गई थी। हालांकि, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि यह केजरीवाल का निजी फैसला होगा कि उन्हें मुख्यमंत्री बने रहना है या नहीं। फिर भी, पीठ ने एक सूक्ष्म संकेत जरूर दिया। इसमें टिप्पणी की गई कि "कभी-कभी, व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित के अधीन करना पड़ता है लेकिन यह उनका (केजरीवाल का) निजी फैसला है। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम कैसे कह सकते हैं कि सरकार काम नहीं कर रही है। एलजी फैसला लेने में सक्षम हैं। उन्हें हमारी सलाह की जरूरत नहीं है। वो कानून के मुताबिक काम करेंगे। इस मामले में एलजी या राष्ट्रपति ही सक्षम हैं। जब कोर्ट ने इस मामले में कोई आदेश देने से इनकार कर दिया तो याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वो इसे वापस लेना चाहते हैं और एलजी के पास अपनी दरख्वास्त देंगे। बता दें कि अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। वह फिलहाल 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में रहने वाले हैं। हालांकि दिल्ली सीएम केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट ने बुधवार को उनकी याचिका पर 3 घंटे तक चली सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। आज कोर्ट इस बात का फैसला कर सकता है कि केजरीवाल को जमानत दी जाए या फिर उन्हें अभी न्यायिक हिरासत में ही रहना होगा।
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में बंद है। शराब नीति घोटाला मामले में ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया है। केवल केजरीवाल ही नहीं आप के कई बड़े नेता इस आरोप में सलाखों के पीछे हैं। यहीं नहीं विपक्षी पार्टियों के कई बड़े नेता जांच की “आंच” झेल रहे हैं। इसके बाद से केंद्र की मोदी सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लग रहा है। यही नहीं, विपक्ष आरोप लगाता है कि मोदी सरकार एजेसियों के जरिए विपक्षी नेताओं को प्रताड़ित करती है और जब वे भाजपा में शामिल हो जाते हैं तो उनके खिलाफ दर्ज केस खारिज कर दिए जाते हैं। इस बीच एक रिपोर्ट सामने आई है, जो इन आरोपों पर मुहर लगाने का काम कर रही है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में है कि 2014 के बाद से कथित भ्रष्टाचार के लिए विपक्ष के 25 नेता जो केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का सामना कर रहे थे, बीजेपी में शामिल हुए और उनमें से 23 को राहत मिल गई। उनके खिलाफ जांच या तो बंद हो गई या ठंडे बस्ते में चली गई। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट है कि 2014 के बाद जिन प्रमुख राजनेताओं का जिक्र किया जा रहा है, वे विपक्षी दलों से बीजेपी में शामिल हो गए थे। *3 पर दर्ज केस बंद, 20 मुकदमे ठंडे बस्ते में* रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी में आए ये नेता कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी जैसे दलों को छोड़कर आए हैं। इसमें सबसे ज्यादा कांग्रेस के 10 नेता रहे, जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के केस थे, लेकिन फिर वो बीजेपी में शामिल हो गए। दूसरे नंबर पर एनसीपी और शिवसेना है, जिसके 4 नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा। तृणमूल कांग्रेस से 3, टीडीपी से 2 और समाजवादी पार्टी एवं वाईएसआरसीपी से एक-एक नेता बीजेपी में शामिल हुए। 25 में से 23 नेताओं को बीजेपी ज्वाइन करने के बाद राहत मिली है। इन 23 नेताओं में से 3 पर दर्ज केस बंद कर दिए गए हैं, जबकि 20 अन्य लोगों पर दर्ज मुकदमे ठंडे बस्ते में चले गए हैं। 25 नेताओं में से 6 नेता लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले ही बीजेपी में शामिल हुए हैं। इन नेताओं पर जांच एजेंसियों की कार्रवाई ठंडी पड़ गई है। *किन-किन बड़े नेताओं को मिली राहत?* रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 और 2023 की राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान केंद्रीय कार्रवाई का एक बड़ा हिस्सा महाराष्ट्र पर केंद्रित था। 2022 में एकनाथ शिंदे गुट ने शिवसेना से अलग होकर बीजेपी के साथ नई सरकार बना ली। एक साल बाद अजित पवार गुट एनसीपी से अलग हो गया और सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन में शामिल हो गया। अजीत पवार और प्रफुल्ल पटेल के मामले भी बंद हो गए हैं। कुल मिलाकर महाराष्ट्र के 12 प्रमुख राजनेता 25 की सूची में हैं, जिनमें से 11 नेता 2022 या उसके बाद बीजेपी में चले गए, जिनमें एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के चार-चार शामिल हैं। इनमें से कुछ मामले गंभीर हैं। जुलाई, 2023 में अजित पवार ने एनसीपी तोड़कर भाजपा के साथ सरकार बनाई और जनवरी, 2024 में महाराष्ट्र सहकारी बैंक में अनियमितता को लेकर उनके खिलाफ दर्ज मामला बंद कर दिया गया।प्रफुल्ल पटेल (एनसीपी) के खिलाफ दर्ज एयर इंडिया विमान खरीद में घोटाले से संबंधित मामला पिछले महीने बंद कर दिया गया।शारदा चिट फंड घोटाले में आरोपी असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा 2015 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए। तब से जांच ठंडे बस्ते में है। इसी तरह पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी दिसंबर, 2020 में तृणमूल कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए और तब से नारदा स्टिंग मामले में उनके खिलाफ जांच ठंडे बस्ते में है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के खिलाफ भी मामले अटके हुए हैं। चव्हाण इस साल बीजेपी में शामिल हो गए, जबकि आदर्श हाउसिंग मामले में सीबीआई और ईडी की कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट की रोक लगी हुई है। *केवल दो मामलों में जांच जारी* 25 मामलों में से केवल दो में कार्रवाई नहीं रुकी। इनमें से केवल दो मामले ऐसे में जिनमें नेताओं को बीजेपी में शामिल होने के बाद भी ईडी की तरफ से मामले में कोई ढील नहीं दी गई है। इनमें पूर्व कांग्रेस सांसद ज्योति मिर्धा और पूर्व टीडीपी सांसद वाईएस चौधरी शामिल हैं, जो अब बीजेपी का हिस्सा हैं। दोनों नेताओं के बीजेपी में शामिल होने के बाद भी ईडी द्वारा ढील दिए जाने का कोई सबूत नहीं है। कम से कम अभी तक तो कोई सबूत नहीं मिला। *विपक्ष पर जांच एजेंसियों का ताबड़तोड़ एक्शन पहली बार नहीं* यह नई परंपरा नहीं है। 2009 में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के वर्षों में द इंडियन एक्सप्रेस की एक जांच में फाइल नोटिंग से पता चला कि सीबीआई ने बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा के मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में अपना रुख बदल दिया था, जब दोनों नेताओं को सत्तारूढ़ यूपीए के साथ अच्छे संबंध हो गए थे।
Apr 04 2024, 16:21
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
0- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
16.1k