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रामायण और रामचरितमानस के 10 बड़े अंतर, वाल्मीकि कृत रामायण और तुलसीदास कृत रामायण में है कई बड़े अंतर*

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प्रस्तुति :- विजय रजक(सराईकेला)

प्रथम काल का अंतर : महर्षि वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना प्रभु श्रीराम के जीवन काल में ही की थी। राम का काल 5114 ईसा पूर्व का माना जाता है, जबकि गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरित मानस को मध्यकाल अर्थात विक्रम संवत संवत्‌ 1631 अंग्रेंजी सन् 1573 में रामचरित मान का लेखन प्रारंभ किया और विक्रम संवत 1633 अर्थात 1575 में पूर्ण किया था।

 एक शोध के अनुसार रामायण का लिखित रूप 600 ईसा पूर्व का माना जाता है।

दृतीय भाषा का अंतर : 

महर्षि वाल्मीकि जी ने रामायण को संस्कृत भाषा में लिखा गया था जबकि तुलसीदासजी ने रामचरित मानस को अवधी में लिखा गया है। हालांकि रामचरितमानस की भाषा के बारे में विद्वान एकमत नहीं हैं। कोई इसे अवधि मानता है तो कोई भोजपुरी। कुछ लोक मानस की भाषा अवधी और भोजपुरी की मिलीजुली भाषा मानते हैं। मानस की भाषा बुंदेली मानने वालों की संख्या भी कम नहीं है।

 

तृतीय कथा के आधार में अंतर :

 महर्षि वाल्मीकि जी ने श्रीराम के जीवन को अपनी आंखों से देखा था। उनकी कथा का आधार खुद राम का जीवन ही था जबकि तुलसीदासजी ने रामायण सहित अन्य कई रामायणों को आधार बनाकर रामचरितमानस को लिखा था। यह भी कहते हैं कि उनकी सहायता हनुमानजी ने की थी। 

 

4.श्लोक और चौपाई :

 रामायण को संस्कृत काव्य की भाषा में लिखा गया जिसमें सर्ग और श्लोक होते हैं, जबकि रामचरित मानस के दोहो और चौपाइयों की संख्या अधिक है। रामायण में 24000 हजार श्लोक और 500 सर्ग तथा 7 कांड है। रामचरित मानस में श्लोक संख्या 27 है, चौपाई संख्या 4608 है, दोहा 1074 है, सोरठा संख्या 207 है और 86 छन्द है।

5. रामायण से ज्यादा प्रचलित है रामचरित मानस : 

वर्तमान में वाल्मीकि कृत रामायण को पढ़ना और समझना कठिन है क्योंकि उसकी भाषा संस्कृत है जबकि रामचरित मानस को वर्तमान की आम बोलचाल की भाषा में लिखा गया है। जनामनस की इस भाषा के कारण ही रामचरित मानस का पाठ हर जगह प्रचलित है।

 

6.राम के चरित्र का अंतर : 

वाल्मीकि कृत रामायण में राम को एक साधारण लेकिन उत्तम पुरुष के रूप में चित्रित किया है, जबकि रामचरित मानस में पात्रों और घटनाओं का अलंकारिक चित्रण किया गया है। इस चरित्र चित्रण में तुलसीदास ने हिन्दी भाषा के अनुप्रास अलंकार, श्रृंगार, शांत और वीररस का प्रयोग मिलेगा। 

इसमें तुलसीदासजी ने भगवान राम के हर रूप का चित्रण किया गया है। रामचरित मानस में राम ही नहीं रामायण के हर पात्र को महत्व दिया गया है। सभी के चरित्र का खुलासा हुआ है। तुलसीदासजी ने राम के चरित को एक महानायक और महाशक्ति के रूप में चित्रित किया।

7. घटनाओं में अंतर : 

वाल्मीकि कृत रामायण और गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस में घटनाओं में कुछ अंतर मिलेगा। जैसे श्रीराम और सीता जनकपुरी में बाग में एक दूसरे को देखते हैं तब सीताजी शिवजी से प्रार्थना करती हैं कि श्रीराम से ही उनका विवाह हो यह प्रसंग तुलसीकृत रामचरित मानस में है वाल्मीकि रामायण में नहीं।

धनुष प्रसंग भी तुलसीकृत रामचरित मानस में भिन्न मिलेगा। अंगद के पैर का नहीं हिलना, हनुमानजी का सीना चीरकर रामसीता का चित्र दिखाना, अहिरावण का प्रसंग यह तुलसीकृत रामचरित मानस में ही मिलेगा। वाल्मीकि रामायण में इंद्र के द्वारा भेजे गए मातलि राम कोय बताते हैं कि रावण का वध कैसे करना है जबकि तुलसीकृत रामचरित मानस में यह प्रसंग नहीं मिलता। रावण के वध के लिए ह्रदय में उस समय वार करना जब रावण अति पीड़ा से सीताजी के बारे में विचार न कर रहा हो यह विभीषण द्वारा बताया जाना भी तुलसीकृत रामचरितमानस में है जबकि रामायण में नहीं। 

 

वाल्मीकि रामायण में रावण इत्यादि की तप साधना के बारे में विस्तार से वर्णन है जबकि तुलसीकृत रामायण में नहीं। विश्वामित्र द्वारा दशरथ से राम को राक्षसों के वध के लिए मांगने का प्रसंग भी तुलसीकृत रामायण में भिन्न मिलेगा। विश्वामित्रजी से बला और अतिबला नमक विद्या की प्राप्ति का वर्णन भी तुलसीकृत रामायण में नहीं मिलेगा। ताड़का वध प्रसंग प्रसंग भी थोड़ा अलग है।

कैकेयी द्वारा वरदान का वर्णन भी भिन्न मिलेगा। जब भरत श्री रामचन्द्रजी को लेने वन में जाते हैं तो वहां राजा जनक भी पधारते हैं। जनक का उल्लेख तुलसीकृत रामायण में नहीं मिलेगा। इसी तरह और भी कई प्रसंग है जो या तो तुलसीकृत रामचरित मानस में नहीं हैं और है तो भिन्न रूप में।

दरअसल, गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरित मानस को लिखने के पहले उत्तर और दक्षिण भारत की सभी रामायणों का अध्ययन किया था। उन्होंने रामचरित मानस में उसी प्रसंग को रखा जो कि महत्वपूर्ण थे। कहते हैं कि रामायण में जो वाल्मीकि नहीं लिख पाए उन्होने वह आध्यात्म रामायण में लिखी थी। तुलसीदानसजी ने कुछ प्रसंग आध्यात्म रामायण से भी उठाएं थे। 

 

8. रामायण और रामचरित मानस का अर्थ : 

रामायण का अर्थ है राम का मंदिर, राम का घर, राम का आलय या राम का मार्ग, जबकि रामचरित मानस का अर्थ राम के रचित्र का सरोवर। राम के मन का सरोवर। रामररित मानस को राम दर्शन भी कहते हैं। मंदिर में जाने के जो नियम है वही सरोवर में स्नान के नियम है। मंदिर जाने से भी पाप धुल जाते हैं और पवित्र सरोवर में स्नान करने से भी।

9. ऋषि और भक्त की लिखी रामायण :

 महर्षि वाल्मीकि प्रभु श्रीराम के प्रशंसक जरूर थे लेकिन वे भक्त तो भगवान शिव के थे। उन्होंने शिव की मदद से ही इस रामायण को लिखा था, जबकि तुलसीदासजी प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त थे और उन्होंने स्वप्न में भगवान शिव के आदेश से रामभक्त हनुमान की मदद से रामचरित मानस को लिखा था।

 

10. कांड : रामचरित मानस में आखिरी से पहले काण्ड को लंकाकाण्ड कहा गया जबकि रामायण में आखिरी से पहले काण्ड को युद्धकाण्ड कहा गया। कहते हैं कि उत्तरकांड को बाद में जोड़ा गया था।

दस सालों में अर्थव्यवस्था कांटों से भरी झाड़ी से सही-सलामत निकलकर भविष्योन्मुखी सुधारों की राह पर आगे बढ़ा:-वित्त मंत्री


नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि सरकार ने पिछले दस साल में देश की अर्थव्यवस्था को कांटों में फंसी साड़ी की तरह सही-सलामत निकालकर भविष्योन्मुखी सुधारों की राह पर चलाने का प्रयास किया है.

 वित्त मंत्री सीतारमण ने राज्यसभा में श्वेत पत्र पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस सरकार को जो अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी, उसके बारे में विपक्ष द्वारा बड़े-बड़े दावे किए गए. उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष के लोग भी कहते हैं कि अटल बिहार वाजपेयी सरकार से जो विरासत संप्रग सरकार को मिली, उसी कारण उसके पहले पांच वर्ष में अर्थव्यवस्था बहुत अच्छी रही.

उन्होंने कहा कि पहले ही इस बात को स्पष्ट किया जा चुका है कि यदि यह श्वेत पत्र पहले लाया जाता तो लोगों एवं निवेशकों का अपने देश, अर्थव्यवस्था और संस्थानों पर विश्वास डोलने लगता। 

उन्होंने कहा कि प्रश्न किया जाता है कि यह श्वेत पत्र अभी क्यों लाया गया? उन्होंने कहा कि एक निर्वाचित सरकार के नाते उनका यह दायित्व है कि वह संसद के दोनों सदनों के माध्यम से जनता को यह जानकारी दें कि अर्थव्यवस्था की स्थिति दस वर्ष पहले क्या थी और आज वह किस स्तर पर पहुंच गयी है.

सीतारमण ने कहा, 'हम दो पटरियों पर चल रहे थे. एक थी- अर्थव्यवस्था को दुरूस्त करना, पूर्व के गलत कामों को सही करना, अड़चनों को दूर करना और इनके साथ ही भविष्योन्मुखी सुधारों की ओर भी ध्यान देना...' उन्होंने कहा कि 1991 में आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया शुरू हुई थी लेकिन उसे 2004 के बाद पूरा नहीं किया गया, आगे नहीं बढ़ाया गया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सुधारों विशेषकर भविष्योन्मुखी सुधारों पर जोर दिया.

वित्त मंत्री ने एक तमिल कहावत का उदाहरण देते हुए कहा कि 2014 में जो अर्थव्यवस्था उनकी सरकार को मिली थी, उसकी तुलना कांटेदार झाड़ी में फंसी साड़ी से की जा सकती है जिसे कांटों से सही सलामत निकालने की चुनौती रहती है. उन्होंने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को उस कांटेदार झाड़ी से निकाला. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की यह ‘हालात’ थी कि यह विश्व की पांच कमजोर अर्थव्यवस्था में एक थी और आज सरकार के प्रयासों के कारण यह विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी है.

सीतारमण ने कहा कि आज अर्थव्यवस्था की जो स्थिति है, उसके आधार पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्वास के साथ यह कह रहे हैं कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश होगा.

तेलंगाना सरकार ने 2024-25 के लिए 2.75 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया*

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हैदराबाद : तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने शनिवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 2,75,891 करोड़ रुपये के कुल व्यय के साथ लेखानुदान बजट पेश किया. बजट में राजस्व व्यय 2,01,178 करोड़ रुपये और पूंजीगत व्यय 29,669 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. भट्टी ने बजट भाषण में कहा कि बजट सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्रदान करने की भावना से प्रस्तावित किया गया है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार की योजनाएं बहुत अच्छी थीं. 

उन्होंने कहा कि यह समृद्ध राज्य पिछले शासकों के प्रशासन के कारण वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहा था. इससे पता चला है कि हम पिछली सरकार के कर्ज से उबरकर विकास में संतुलित वृद्धि का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ेंगे.

सशक्तीकरण के वादे: तेलंगाना के शासन में प्रगति के लिए एक दृष्टिकोण

उपमुख्यमंत्री मंत्री भट्टी ने आश्वासन दिया कि उनकी सरकार चुनाव में किये गये वादे के अनुसार छह गारंटियों के कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ने कहा कि उसने सत्ता में आने के 48 घंटों के भीतर दो गारंटी लागू की है और जल्द ही वह दो और गारंटी देगी, 200 यूनिट से कम बिजली मुफ्त और 500 रुपये में गैस. छह गारंटी के लिए 53 हजार 196 करोड़ रुपये आवंटित करने की घोषणा की गयी है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने घोषणा की है कि वह जल्द ही दो लाख ऋण माफी को लागू करने की प्रक्रियाओं को अंतिम रूप देगी. वहीं रयथब्रोसा के तहत सभी पात्र किसानों को 15,000 प्रति एकड़ प्रदान किया जाएगा, जिसे पिछली सरकार के तहत लागू किया गया था. उन्होंने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि राज्य में प्रधानमंत्री फसल भीम योजना के आधार पर फसल बीमा योजना प्रदान की जाए. उन्होंने स्पष्ट किया कि नकली बीजों को रोकने के लिए सरकार सख्त कदम उठाएगी. बजट में कृषि विभाग के लिए 19 हजार 746 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है. सरकार ने आश्वासन दिया है कि शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के साथ-साथ एससी, एसटी, बीसी और अल्पसंख्यकों के लिए छात्रवृत्ति समय पर प्रदान की जाएगी ताकि गरीब छात्र भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें. वित्त मंत्री भट्टी ने घोषणा की है कि तेलंगाना में हर मंडल के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों वाले पब्लिक स्कूल स्थापित किए जाएंगे. 

यह घोषणा की गई है कि आईटीआई को औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम लागू किए जाएंगे। स्किल यूनिवर्सिटी स्थापित करने की दिशा में कदम उठाने की घोषणा की गयी है. इसके अलावा सरकार ने घोषणा की है कि वह सिंचाई परियोजनाओं को उच्च प्राथमिकता दे रही है. उन्होंने कहा कि वह कम लागत पर अधिक खेती योग्य क्षेत्र उपलब्ध कराने के लिए सुनियोजित योजना के साथ काम करेंगे. भट्टी ने घोषणा की है कि सरकार लंबित परियोजनाओं से छुटकारा पाने के लिए सिंचाई क्षेत्र को 28 हजार 24 करोड़ रुपये आवंटित करेगी.

बजट आवंटन इस प्रकार है

छह गारंटियों के लिए 53,196 करोड़

कृषि के लिए 19.746 करोड़

आईटी विभाग के लिए 774 करोड़

नगर निगम विभाग को 11,692 करोड़ रु

शिक्षा क्षेत्र के लिए 21,389 करोड़

मूसी परियोजना के लिए 1,000 करोड़

चिकित्सा क्षेत्र के लिए 11,500 करोड़

अनुसूचित जाति कल्याण विभाग को 21,874 करोड़

हाउसिंग सेक्टर के लिए 7,740 करोड़

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को 2,262 करोड़ रुपये

वित्त मंत्री के भाषण की अन्य मुख्य बातें

दो माह में 'प्रजावाणी' को मिले 43,054 आवेदन

14,951 मकानों के लिए आए

आवेदनों की जांच के लिए कलेक्टरों और विभागाध्यक्षों को निगरानी की जिम्मेदारी

सरकार की पहली प्राथमिकता छह गारंटी लागू करना है

हम महालक्ष्मी योजना के लिए आरटीसी को प्रति माह 300 करोड़ रुपये का भुगतान कर रहे हैं

हम आरोग्यश्री को आवश्यक धनराशि प्रदान करेंगे

गृहज्योति के माध्यम से सभी पात्रों को 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली

जल्द ही हम 500 रुपए में गैस सिलेंडर उपलब्ध कराएंगे

दावोस यात्रा के माध्यम से, रुपये का निवेश। राज्य को 40 हजार करोड़ रुपये आयेंगे

पीएम मित्रा की निधि से काकतीय मेगा टेक्सटाइल पार्क का और विकास

एक यथार्थवादी बजट पेश किया गया है : सीएम रेवंत रेड्डी

सीएम रेवंत रेड्डी ने साफ कर दिया है कि अगर विपक्षी विधायक आगे आएंगे और उन्हें उनका शासन पसंद आएगा तो उन्हें शामिल किया जाएगा. सीएम ने याद दिलाया कि जग्गारेड्डी ने कहा था कि 20 विधायक कांग्रेस में शामिल होंगे. इसलिए अन्य पार्टी विधायकों को शामिल करने के बारे में जग्गारेड्डी से ही पूछने का सुझाव दिया गया है. सीएम ने खुलासा किया कि वे सचिवालय, अमरुला ज्योति और अंबेडकर प्रतिमा की संरचनाओं की समीक्षा करेंगे. उन्होंने कहा कि राशि आवंटन और खर्च की जांच कराई जाएगी. सीएम रेवंत रेड्डी ने कहा कि उन्होंने पिछली सरकार की तरह झूठे बजट के बजाय वास्तविक बजट पेश किया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि वह मेदिगड्डा में हुई अनियमितताओं पर कानूनी मुकदमा चलाएंगे और अपने विधायकों के साथ-साथ विपक्षी दलों को भी मेदिगड्डा ले जाएंगे. उन्होंने भरोसा जताया कि अधूरी परियोजनाएं पूरी होंगी. उन्होंने कहा कि परियोजनाओं में हुई अनियमितता की कानूनी जांच के बाद ही कार्रवाई की जाएगी.

कांग्रेस केवल नाम बदलने वाली है, गेम चेंजर नहीं : बीआरएस नेता के कविता

बीआरएस नेता और एमएलसी कविता ने विधानसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए लेखानुदान बजट पर प्रतिक्रिया करते हुए बजट में पूर्ण आवंटन की कमी की आलोचना की. उन्होंने कहा कि बजट में चुनावी वादों का जिक्र नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि बजट बैठकें पिछली सरकार की आलोचना के लिए आयोजित की गई थीं. कविता ने टिप्पणी की कि योजनाओं के पुराने नामों को नए नाम दिए गए हैं और कांग्रेस सरकार केवल नाम बदलने वाली है, गेम चेंजर नहीं.

पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह, नरसिम्हा राव और वैज्ञानिक MS स्वामीनाथन को भारत रत्न

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नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने पूर्व पीएम नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया है. पीएम मोदी ने खुद सोशल मीडिया 'एक्स' पर इसकी जानकारी दी है. इससे पहले बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर और पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को भी भारत रत्न देने की घोषणा की है.पीएम मोदी ने सोशल मीडिया 'एक्स' पोस्ट करते हुए लिखा कि हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है.

 यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है. उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की. वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे. हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है.'

पीएम मोदी ने आगे कहा कि यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे पूर्व प्रधान मंत्री श्री पीवी नरसिम्हा राव गरू को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में, नरसिम्हा राव गारू ने विभिन्न क्षमताओं में भारत की बड़े पैमाने पर सेवा की. उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद और विधानसभा सदस्य के रूप में किए गए कार्यों के लिए समान रूप से याद किया जाता है. उनका दूरदर्शी नेतृत्व भारत को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने, देश की समृद्धि और विकास के लिए एक ठोस नींव रखने में सहायक था.

उन्होंने लिखा कि प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव गारू का कार्यकाल महत्वपूर्ण उपायों द्वारा चिह्नित किया गया था जिसने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया, जिससे आर्थिक विकास के एक नए युग को बढ़ावा मिला. इसके अलावा, भारत की विदेश नीति, भाषा और शिक्षा क्षेत्रों में उनका योगदान एक ऐसे नेता के रूप में उनकी बहुमुखी विरासत को रेखांकित करता है, जिन्होंने न केवल महत्वपूर्ण परिवर्तनों के माध्यम से भारत को आगे बढ़ाया बल्कि इसकी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को भी समृद्ध किया.

वहीं, पीएम मोदी ने एक और ट्वीट किया कि यह बेहद खुशी की बात है कि भारत सरकार कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में उनके उल्लेखनीय योगदान की मान्यता में डॉ एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है. उन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.' चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद करने और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए. 

हम एक प्रर्वतक और संरक्षक के रूप में उनके अमूल्य कार्य को भी पहचानते हैं और कई छात्रों के बीच सीखने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करते हैं.उन्होंने कहा कि डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल परिवर्तन किया है भारतीय कृषि ने देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि को भी सुनिश्चित किया. वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैं हमेशा उनकी अंतर्दृष्टि और इनपुट को महत्व देता था.'

वहीं, पूर्व पीएम चौ. चरण सिंह के पोते और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने इस पर खुशी व्यक्त की है. उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि दिल जीत लिया.इसके अलावा पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी प्रसन्नता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि मैं इस फैसले से खुश हूं और इसका स्वागत करती हूं.पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न दिए जाने पर बीआरएस एमएलसी और उनकी बेटी सुरभि वाणी देवी ने कहा कि यह बहुत खुशी का पल है. उन्होंने कहा कि देर से ही सही, लेकिन बहुत अच्छा फैसला है. आज पूरा तेलंगाना राज्य खुश है. उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को धन्यवाद भी दिया।

भारत रत्न से सम्मानित होने पर एमएस स्वामीनाथन की बेटी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि उन्हें गर्व और खुशी है कि उनके पिता को यह पुरस्कार मिला है. इसे किसानों और आम लोगों के लिए काम करने की मान्यता के तौर पर देखा जा रहा है. 

वह पुरस्कारों के पीछे नहीं थे. डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने मीडिया से कहा कि अगर उनके पिता को जीवित रहते यह सम्मान मिला होता तो उन्हें ज्यादा खुशी होती.

नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने पूर्व पीएम नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया है. पीएम मोदी ने खुद सोशल मीडिया 'एक्स' पर इसकी जानकारी दी है. इससे पहले बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर और पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को भी भारत रत्न देने की घोषणा की है.पीएम मोदी ने सोशल मीडिया 'एक्स' पोस्ट करते हुए लिखा कि हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है.

 यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है. उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की. वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे. हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है.'

पीएम मोदी ने आगे कहा कि यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे पूर्व प्रधान मंत्री श्री पीवी नरसिम्हा राव गरू को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में, नरसिम्हा राव गारू ने विभिन्न क्षमताओं में भारत की बड़े पैमाने पर सेवा की. उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद और विधानसभा सदस्य के रूप में किए गए कार्यों के लिए समान रूप से याद किया जाता है. उनका दूरदर्शी नेतृत्व भारत को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने, देश की समृद्धि और विकास के लिए एक ठोस नींव रखने में सहायक था.

उन्होंने लिखा कि प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव गारू का कार्यकाल महत्वपूर्ण उपायों द्वारा चिह्नित किया गया था जिसने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया, जिससे आर्थिक विकास के एक नए युग को बढ़ावा मिला. इसके अलावा, भारत की विदेश नीति, भाषा और शिक्षा क्षेत्रों में उनका योगदान एक ऐसे नेता के रूप में उनकी बहुमुखी विरासत को रेखांकित करता है, जिन्होंने न केवल महत्वपूर्ण परिवर्तनों के माध्यम से भारत को आगे बढ़ाया बल्कि इसकी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को भी समृद्ध किया.

वहीं, पीएम मोदी ने एक और ट्वीट किया कि यह बेहद खुशी की बात है कि भारत सरकार कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में उनके उल्लेखनीय योगदान की मान्यता में डॉ एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है. उन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.' चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद करने और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए. 

हम एक प्रर्वतक और संरक्षक के रूप में उनके अमूल्य कार्य को भी पहचानते हैं और कई छात्रों के बीच सीखने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करते हैं.उन्होंने कहा कि डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल परिवर्तन किया है भारतीय कृषि ने देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि को भी सुनिश्चित किया. वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैं हमेशा उनकी अंतर्दृष्टि और इनपुट को महत्व देता था.'

वहीं, पूर्व पीएम चौ. चरण सिंह के पोते और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने इस पर खुशी व्यक्त की है. उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि दिल जीत लिया.इसके अलावा पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी प्रसन्नता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि मैं इस फैसले से खुश हूं और इसका स्वागत करती हूं.पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न दिए जाने पर बीआरएस एमएलसी और उनकी बेटी सुरभि वाणी देवी ने कहा कि यह बहुत खुशी का पल है. उन्होंने कहा कि देर से ही सही, लेकिन बहुत अच्छा फैसला है. आज पूरा तेलंगाना राज्य खुश है. उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को धन्यवाद भी दिया।

भारत रत्न से सम्मानित होने पर एमएस स्वामीनाथन की बेटी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि उन्हें गर्व और खुशी है कि उनके पिता को यह पुरस्कार मिला है. इसे किसानों और आम लोगों के लिए काम करने की मान्यता के तौर पर देखा जा रहा है. 

वह पुरस्कारों के पीछे नहीं थे. डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने मीडिया से कहा कि अगर उनके पिता को जीवित रहते यह सम्मान मिला होता तो उन्हें ज्यादा खुशी होती.

सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बहाल करने वाली एक्ट को केंद्र सरकार द्वारा अस्वीकार करने पर उठाया सवाल


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का अल्पसंख्यक दर्जा बहाल करने के लिए एएमयू एक्ट में 1981 में किए गए संशोधन को केंद्र सरकार द्वारा अस्वीकार करने पर सवाल उठाया। 

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कानूनी संशोधन को सरकार कैसे अस्वीकार कर सकती है। सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ की अगुवाई कर रहे प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार यह कैसे कह सकती है कि वह संशोधन की वैधता को स्वीकार नहीं करती।

चीफ जस्टिस ने कहा कि वह ये नहीं सुन सकते कि संसद ने जो संशोधन किये हैं उसे भारत सरकार स्वीकार नहीं करती। सरकार को संशोधन स्वीकार करना होगा। उसके पक्ष में खड़ा होना होगा। सरकार के पास विकल्प है वह चाहे तो संशोधन को बदल दें। लेकिन विधि अधिकारी ये नहीं कह सकते कि वह संसद के द्वारा किये गए संशोधन को स्वीकार नहीं करते। कोर्ट ने कहा नि:संदेह संसद सर्वोच्च है उसकी विधाई शक्ति सर्वोच्च है। वह जब चाहे कानून संशोधित कर सकती है।

'संशोधनों को करना चाहिए स्वीकार '

हालांकि कोर्ट द्वारा केंद्र के स्टैंड पर सवाल उठाए जाने पर केंद्र सरकार की पैरोकारी कर रहे सालिसिटर जनरल तुषार मेहता लगातार कहते रहे कि वह यहां सात सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष संवैधानिक सवाल का जवाब दे रहे हैं। मेहता ने कहा कि सरकार इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के साथ हैं उसे सही मानती है, जिसमें हाई कोर्ट ने 1981 के एएमयू एक्ट में किए गए संशोधन को रद कर दिया था। मेहता ने कहा कि एक विधि अधिकारी होने के नाते उन्हें जो दृष्टिकोण सही प्रतीत होता है वह कहना उनका अधिकार है। उन्होंने कोर्ट के समक्ष आपातकाल के दौरान किये गए कानूनी संशोधनों का हवाला भी दिया और कहा कि क्या विधि अधिकारी होने के चलते उन्हें उन संशोधनों को स्वीकार करना चाहिए।

'संविधान में हुआ था 44वां संशोधन'

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने उनकी दलीलें काटते हुए कहा इसीलिए संविधान में 44वां संशोधन हुआ था और जो आपातकाल के दौरान हुआ था उसे सुधारा गया था। मेहता ने कहा कि वह भी यही कह रहे हैं कि कोर्ट इस गलती को ठीक करे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप हमारी ही बात सिद्ध कर रहे हैं कि गलती सुधारने की शक्ति निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की संस्था के पास है। कोई हमेशा यह नहीं कह सकता कि आपातकाल में हमने जो किया था वह गलत था और वह हमेशा उसे सुधार सकते हैं।

'कपिल सिब्बल ने बीच में किया हस्तक्षेप'

इस दौरान एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे की मांग कर रहे ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बीच में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि उन्हें याद है आपातकाल के दौरान वे तत्कालीन अटार्नी जनरल के साथ कोर्ट में थे और उस वक्त अटार्नी जनरल ने आपातकाल के समय किये गए संशोधनों का कोर्ट में बचाव किया था। सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ आजकल एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुनवाई कर रही है।

कानून में किये गए संशोधनों का दिया गया हवाला

बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान न साबित करने के लिए 1920 के एएमयू एक्ट और समय समय पर उस कानून में किये गए संशोधनों का हवाला दिया। कहा 1951, 1965 और 1981 में हुए विभिन्न संशोधन हुए थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय पीठ के अजीज बाशा फैसले में एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान न मानने की दी गई व्यवस्था के बाद एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा बहाल करने वाले 1981 में हुए कानून संशोधन का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा संशोधन उन्होंने पहली बार देखा है जिसमें कानून की प्रस्तावना में संशोधन करके ऐतिहासिक तथ्य को ही बदल दिया गया है।

'60 साल बाद बदल दिये गए ऐतिहासिक तथ्य' 

60 साल बाद ऐतिहासिक तथ्य बदल दिये गए। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इसे दूसरे ढंग से भी देखा जा सकता है कि कानून की प्रस्तावना में संशोधन करके उसे ऐतिहासिक तथ्यों के अनुकूल किया गया है। तभी पीठ के दूसरे न्यायाधीश संजीव खन्ना ने मेहता से सवाल किया कि 1981 का कानून संशोधन संसद ने किया था, आप उसे स्वीकार करते हैं कि नहीं। मेहता ने जैसे ही नहीं, में जवाब दिया जस्टिस चंद्रचूड़ ने आपत्ति उठाते हुए उनसे सवालों की झड़ी लगा दी और कहा कि आप संसद के द्वारा किये गए संशोधन को कैसे अस्वीकर कर सकते हैं।

'अगले मंगलवार को फिर होगी बहस'

मामले में अगले मंगलवार को फिर बहस होगी। बुधवार को केंद्र सरकार ने कोर्ट द्वारा कल पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए बताया कि 1920 से 1950 से एएमयू और बीएचयू दोनों को एक - एक लाख रुपये सालाना सरकारी मदद मिलती थी कभी कभी दो लाख भी मिलती थी। यह भी बताया कि इस समय एएमयू को 1500 करोड़ की सालाना मदद मिलती है जबकि 30-40 करोड़ एएमयू अपनी तरफ से फीस आदि से जुटाता है। कोर्ट ने अभी यह तय नहीं किया है कि वह 1981 के कानून की वैधानिकता पर विचार करके फैसला देगा कि नहीं आज कोर्ट ने इस संबंध में पक्षकारों से विचार की चर्चा करते हुए इस संबंध में संकेत जरूर दिये।

बजट 2024: आगामी वित्त वर्ष 2024-25 में सामाजिक सरोकार पर सरकार करेगी अधिक खर्च, पीएम आवास और आयुष्मान भारत पर रहेगा फोकस

नई दिल्ली। आगामी वित्त वर्ष 2024-25 में सामाजिक सरोकार पर सरकार अधिक खर्च करने जा रही है। आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, पेयजल जैसी अन्य सामाजिक सेवाओं से जुड़े मदों में सरकार चालू वित्त वर्ष की तुलना में पांच प्रतिशत अधिक राशि का आवंटन कर सकती है। चालू वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में सरकार ने सामाजिक सेवाओं से जुड़े मदों में 22.4 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया था।

6.6 लाख करोड़ का आवंटन

वित्त वर्ष 2013-14 में सामाजिक सेवाओं से जुड़े मदों में सिर्फ 6.6 लाख करोड़ का आवंटन किया गया था। इस हिसाब से वित्त वर्ष 2013-14 से लेकर चालू वित्त वर्ष में सामाजिक सरोकार से जुड़े मदों में सालाना 14.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही। आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक, आयुष्मान भारत मिशन के साथ स्वच्छता अभियान, पीएम आवास, पेयजल सुविधा जैसी स्कीम पर फोकस से व्यक्तिगत रूप से स्वास्थ्य पर होने वाले जेब से बाहर (आउट ऑफ पाकेट) खर्च में वित्त वर्ष 2014 से वित्त वर्ष 2019 के दौरान 16 प्रतिशत की कमी आई है।

40 प्रतिशत से अधिक लोगों के पास अपना घर नहीं

स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च के लिए कर्ज में कमी से लोगों की आय बढ़ी है और इससे ग्रामीण खपत में बढ़ोतरी हुई।सूत्रों के मुताबिक, आयुष्मान भारत में अभी पांच लाख रुपए तक के हेल्थ इंश्योरेंस का कवर दिया जाता है जिसे बढ़ाकर 7.5 लाख रुपए तक किया जा सकता है। सभी को आवास मुहैया कराने पर सरकार का विशेष जोर रह सकता है। नीति आयोग के मुताबिक, अब भी 40 प्रतिशत से अधिक लोगों के पास अपना घर नहीं है।

जीडीपी को बढ़ाने में मिलेगी मदद

आर्थिक जानकारों के मुताबिक, सामाजिक सरोकार जैसे मदों में खर्च की बढ़ोतरी से लोगों के जीवन स्तर को ऊपर ले जाने में मदद मिलती है जिससे लोगों की उत्पादकता बढ़ती है और देश के जीडीपी को बढ़ाने में मदद मिलती है। इसलिए सरकार का फोकस इस दिशा में है।

मनरेगा के मद में भी बढ़ोतरी संभव

चालू वित्त वर्ष के बजट के आरंभ में मनरेगा के मद में सिर्फ 60,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था जिसे पूरक अनुमोदन में बढ़ाकर 74,500 करोड़ कर दिया गया। लेकिन मनरेगा के मद में होने वाले खर्च को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के आखिर तक इस मद में 98,000 करोड़ तक खर्च होने का अनुमान है। आगामी वित्त वर्ष के लिए सरकार इस खर्च को देखते हुए ही मनरेगा के मद में आवंटन करेगी।

अयोध्या के नए राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए केंद्र सरकार की कैबिनेट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का किया अभिनंदन,

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की ओर से कैबिनेट के सामने पेश प्रस्ताव में इसे भारत की आत्मा की प्राण प्रतिष्ठा बताया गया।

नई दिल्ली। अयोध्या के नए राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए कैबिनेट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अभिनंदन किया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की ओर से कैबिनेट के सामने पेश प्रस्ताव में इसे भारत की आत्मा की प्राण प्रतिष्ठा बताया गया। कठिन अनुष्ठान के साथ प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के सफल आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी को युग प्रवर्तक बताया गया।

प्राण प्रतिष्ठा के साथ नए युग की शुरुआतः अनुराग ठाकुर

कैबिनेट में पारित प्रस्ताव की जानकारी देते हुए सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि जनता के बीच लोकप्रियता को देखते हुए प्रधानमंत्री जननायक तो पहले से हैं, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा के साथ नए युग की शुरुआत के बाद नवयुग प्रवर्तक के रूप में सामने आए हैं।कैबिनेट में बैठे मंत्रियों ने प्राण प्रतिष्ठा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि हजार सालों तक बरकरार रहने वाले मंदिर निर्माण और इससे हजार सालों तक देश को दिशा मिलने का काम होने के बाद हुई हुई कैबिनेट की पहली बैठक को भी सहस्त्राब्दी की कैबिनेट (कैबिनेट ऑफ मिलेनियम) कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

कैबिनेट ने पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया

कैबिनेट के सदस्यों ने कहा कि हम सिर्फ मंत्री के रूप में नहीं, बल्कि भारत के एक सामान्य नागरिक रूप में आभार व्यक्त करते हैं। अनुराग ठाकुर के अनुसार प्रस्ताव में कहा गया है कि प्राण प्रतिष्ठा के दौरान उमड़ा जनसैलाब और उनके भावनाओं का उभार अद्वितीय था। आपातकाल के खिलाफ आंदोलन के दौरान आम लोगों के बीच एकता जरूर देखी गई थी, लेकिन वह एकता सिर्फ एक तानाशाह के खिलाफ और प्रतिरोधी आंदोलन की थी। भगवान राम के लिए उभरा जन सैलाव एक नए युग के प्रवर्तन का संकेत है।

प्रस्ताव में राम जन्मभूमि आंदोलन की चर्चा

प्रस्ताव के अनुसार राम जन्मभूमि आंदोलन स्वतंत्र भारत का एकमात्र आंदोलन था, जिसमें पूरे देश के लोग एकजुट हुए थे और करोड़ों भारतीयों की भावनाएं जुड़ी हुई थी। प्राण प्रतिष्ठा के दिन भावनाओं का ज्वार भी इसी से जुड़ा है। राम को भारत की नियति बताने वाले प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन का उल्लेख करते हुए प्रस्ताव में कहा गया कि इस नियति का वास्तव में मिलन 22 जनवरी को हुआ है।इसके बाद हुई पहली बैठक में शामिल होने पर मंत्रियों ने खुद को सौभाग्यशाली बताया और कहा कि ऐसा सौभाग्य कई जन्मों में एक बार मिलता है। प्रस्ताव में कहा गया कि स्वतंत्र भारत में होने वाली कैबिनेट की बैठकों में ही नहीं, बल्कि अंग्रेजी शासन काल में वायसराय की एक्जीक्यूटिव कौंसिल की बैठकों में भी ऐसा अवसर नहीं आया होगा।

टाटा समूह ने यू.के. के वेल्स स्थित पोर्ट टैलबोट स्टील प्लांट को की बंद करने की घोषणा, कामगारों में हड़कंप, 3000 लोग होंगे बेरोजगार


नई दिल्ली। बड़ी खबर आ रही है, टाटा समूह ने यू.के. के वेल्स में स्थित पोर्ट टैलबोट स्टील प्लांट बंद करने की घोषणा कर दी। अब टाटा समूह की घोषणा के बाद यू.के. की स्टील इंडस्ट्री में हड़कंप मच गया है।

 टाटा की घोषणा से एक तरफ जहां इस स्टील यूनिट में काम करने वाले 3000 वर्करों की जॉब पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ यू.के. के सामने स्टील का बड़ा संकट खड़े होने का भी खतरा है।

बता दें कि, पोर्ट टैलबोट में स्थित टाटा के यह प्लांट ब्लास्ट फर्नैस प्लाट है, जिसमें कोयले की मदद से कच्चे माल को पिघला कर स्टील का निर्माण किया जाता है और यदि टाटा अपना यह प्लांट बंद कर देता है, तो जी-20 देशों में सिर्फ यू.के. एक ऐसा देश होगा, जहां कच्चे माल से स्टील का निर्माण नहीं हो सकेगा।

टाटा यू.के. में स्टील के निर्माण के लिए पर्यावरण के लिहाज से सुरक्षित विकल्पों पर विचार कर रहा है। इस प्रक्रिया में बहुत कम वर्करों की जरूरत पड़ती है। इस मामले में टाटा के अधिकारियों और ट्रेड यूनियन के कर्मचारियों के बीच लंदन में एक मीटिंग भी हुई है।

हालांकि टाटा ने इस प्लांट को बंद करने की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की है, लेकिन अपने फैसले के बारे में प्रशासन को अवगत करवा दिया गया है।

बताते चलें कि, टाटा के यू.के. स्थित इस प्लांट आप्रेशन्स के जरिए कंपनी को वित्त वर्ष 2023-24 की जुलाई सितंबर तिमाही में 6511 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। कंपनी द्वारा एक्सचेंज को दी गई जानकारी में यह बताया गया है कि इस घाटे में 6358 करोड़ रुपए की बड़ी हिस्सेदारी इंपेयरमैंट चार्जिज की है।

यह चार्ज इस प्रोजैक्ट की डी कार्बोनाइजेशन के लिए लगाए गए हैं। कंपनी ने इलैक्ट्रिक आर्क इंडैक्शन पर आधारित प्रोजैक्ट का विश्लेषण किया है। कंपनी का कहना है कि नई टैक्नोलोजी के जरिए स्टील के निर्माण में खर्चा भी कम होगा और प्रदूषण से भी बचा जा सकेगा।

इस बीच लेबर पार्टी एम.पी. स्टीफन किनोक ने टाटा से अपील की है कि वह अपने फैसले के बारे में पुनर्विचार करे और ट्रेड यूनियनों से इस मामले में दोबारा बातचीत करे। उन्होंने कहा कि टाटा स्टील को सरकार ने इन 3000 नौकरियों के गठन के लिए ही 500 मिलियन पौंड की सहायता की थी और टाटा का इस तरीके से प्लांट बंद करने का फैसला ठीक नहीं है।

इस बीच वेल्स के फर्स्ट मिनिस्टर मार्क ड्रैकफर्ड ने इस मामले में तुरन्त ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सूनक को दखल देने की मांग की है और साथ ही उनसे मीटिंग के लिए समय भी मांगा है।

उन्होंने कहा कि वेल्स में इस तरीके स्टील प्लांट का बंद होना यू.के. की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करेगा। मैंने इस मामले में जल्दी से जल्दी प्रधानमंत्री ऋषि सूनक से चर्चा के लिए समय मांगा है।

नीति आयोग द्वारा दिये गए रिपोर्ट, कि 9 साल में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने किया खारिज, कहा यह झूठ

नई दिल्ली। कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने बुधवार को देश में बहुआयामी गरीबी को लेकर नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने इसे गलत बताया।

एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने नीति आयोग की उस रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि पिछले नौ सालों में लगभग 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है।

नीति आयोग की रिपोर्ट फर्जी है- कांग्रेस

उन्होंने कहा, "नीति आयोग की रिपोर्ट फर्जी है। यह रिपोर्ट झूठ है। नीति आयोग कोई स्वतंत्र संस्था नहीं है। नीति आयोग प्रधानमंत्री के लिए चीयरलीडर और ढोल बजाने वाला है। नीति आयोग द्वारा दिए गए आंकड़ों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। सभी विशेषज्ञों ने इसकी आलोचना की है।"

आयोग की रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी

कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि आयोग की रिपोर्ट को लेकर पार्टी प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले नौ सालों में भारत में कम से कम 24.82 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।

क्या कहती है नीति आयोग की रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बहुआयामी गरीबी में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है, जो 2013-14 में 29.17 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 11.28 प्रतिशत हो गई है। इसमें 17.89 फीसदी अंक की कमी आई है।

यूपी में नौ सालों में 5.94 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले

उत्तर प्रदेश में पिछले नौ सालों के दौरान 5.94 करोड़ लोगों के गरीबी से बाहर निकलने के साथ ही गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। इसके बाद बिहार में 3.77 करोड़, मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ और राजस्थान में 1.87 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं।

कांग्रेस के 65 सालों के गरीबी हटाओ नारे खोखले- चंद्रशेखर

वहीं, केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कांग्रेस पर हमला करते हुए एक कार्यक्रम में कहा, "कांग्रेस के 65 सालों के गरीबी हटाओ के खोखले नारों के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने केंद्रित, मेहनती, दृढ़, भ्रष्टाचार मुक्त शासन और 'गरीब कल्याण' नीतियों के जरिए 25 करोड़ भारतीयों को गरीबी से बाहर निकाला है।

23 और 24 जनवरी को तमिलनाडु के महाबलीपुरम में होने वाली राज्यों के सचिवों के सम्मेलन में जल प्रबंधन पर होगी चर्चा

नई दिल्ली। क्या राज्यों के स्तर पर ऐसी एकल नियामक संस्था की जरूरत है जो भूजल के साथ-साथ नदियों-तालाबों की निगरानी और पानी की कीमत जैसे विषयों पर निर्णय करने में सक्षम हो।

 बर्बाद हो जाने वाले पानी के फिर से इस्तेमाल को कैसे बढ़ावा दिया जाए, पानी का बजट निर्धारण और प्रबंधन कैसे बेहतर हो... ऐसे तमाम सवालों पर केंद्र और राज्यों के बीच अगले सप्ताह अहम बातचीत होने वाली है। 

23 और 24 जनवरी को तमिलनाडु के महाबलीपुरम में जलशक्ति मंत्रालय का राष्ट्रीय वाटर मिशन राज्यों के सचिवों का एक सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है, जिसमें 21 सिफारिशों पर विचार होगा। इस सम्मेलन में चर्चा के लिए जो मसला सबसे अहम है वह है जल प्रशासन और पानी की गुणवत्ता।

वाटर गर्वेनेंस को लेकर प्रजेंटेशन प्रस्तावित

2047 के दीर्घकालिक लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने पानी के उपयोग की दक्षता बढ़ाने को अपनी प्राथमिकता बनाया है। इसके लिए जल प्रशासन सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि पानी को लेकर जो तमाम सुधार आगे बढ़ाए जा रहे हैं, उनके लिए मौजूदा ढांचे से बात बनने वाली नहीं है। इस सम्मेलन में वाटर गर्वेनेंस को लेकर एक प्रजेंटेशन भी प्रस्तावित है। पानी के लिए बजटिंग और मैनेजमेंट (आपूर्ति और मांग, दोनों स्थितियों में) ऐसा विषय है जिस पर राज्यों को एक राय पर लाना आसान नहीं है।

पानी के उपयोग को लेकर सिफारिश

केंद्र सरकार के सूत्रों के अनुसार, हाल ही में ब्यूरो आफ वाटर यूज इफिशिएंसी की जो रिपोर्ट आई, उसकी कई सिफारिशों से राज्यों ने असहमति जताई है। इसके चलते रिपोर्ट पर बने एक्शन प्लान में केवल उन्हीं विषयों को शामिल किया गया है जिन पर राज्यों को कोई आपत्ति नहीं है। असहमति के बिंदुओं में कृषि के लिए पानी के उपयोग को लेकर सिफारिश भी है। पानी की सबसे अधिक खपत कृषि और उद्योगों में होती है, लेकिन ज्यादा बातें घरेलू उपयोग को सीमित करने पर केंद्रित होती हैं। कृषि में पानी का इस्तेमाल एक राजनीतिक मुद्दा है, जिस पर आम सहमति कायम करना आसान नहीं है।

जल स्त्रोतों के बेहतर आकलन में मिलेगी मदद

केंद्र सरकार के अधिकारियों का मानना है कि पानी का शुल्क वसूलना अहम मसला है, लेकिन यह अच्छी बात है कि इसे लेकर समझबूझ बढ़ रही है और राज्य भी अपनी जिम्मेदारी समझ रहे हैं। महाबलीपुरम में इस पर विस्तृत चर्चा होगी। इसी से संबंधित विषय जियो सेंसिंग, जियो मैपिंग और रिमोट सेंसिंग का इस्तेमाल है। इससे जल स्त्रोतों के बेहतर आकलन और नियोजन में मदद मिलेगी। चर्चा के अन्य बिंदुओं में जलाशयों और नदियों तथा अन्य स्त्रोतों की सफाई भी शामिल है। पिछली बैठक में इसको लेकर काम तेज करने की सिफारिश की गई थी।

प्रगति की समीक्षा

सम्मेलन में अब तक हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी। ब्यूरो की एक अन्य अहम सिफारिश यह भी थी कि किसी अन्य इस्तेमाल के मुकाबले स्टोर किए जा सके पेयजल को सबसे अधिक प्राथमिकता मिलनी चाहिए। खासकर उन क्षेत्रों की पहचान की जानी चाहिए जो पेयजल के लिहाज से बेहद खराब स्थिति में हैं। इन्हें वाटर ग्रिट से जोड़ने की जरूरत है।