बेरोजगारी के कारण होने वाली खुदकुशीयों में भी भारत अपना एक अलग कृतिमान स्थापित कर रहा है-रामकिशोर पटेल
विश्वनाथ प्रताप सिंह
प्रयागराज- किसी देश की अर्थव्यवस्था अगर उसे देश के लोगों को उनकी सही काबिलियत का आकलन करके रोजगार देने में सक्षम नहीं है तो निश्चित तौर पर उसे देश को अपनी आर्थिक नीतियों में सुधार करने की अत्यंत आवश्यकता है। 7 दशकों से आजादी का जश्न मनाते हम शायद इस बात को अब अनदेखा करने लगे हैं कि इस समय देश की आबादी का 60% हिस्सा बेरोजगार हैं और बेरोजगार होने से तात्पर्य है कि वह लोग जिनके अंदर काम करने की काबिलियत है उन्हें व्यवस्था की दुर्दशा के कारण रोजगार नहीं मिल पा रहा है।
समझिए कि जिस देश में गांधी स्वराज की संकल्पना करते थे और जिस देश को पिछले 7 दशकों से आई सभी सरकारी विश्व गुरु बनाने का ख्वाब देख रही है। वह देश अपनी आर्थिक नीतियों के बेहद कमजोर होने के कारण विश्व पटल पर अपनी छवि का प्रदर्शन करते हुए यह बात कह रहा है की सबसे ज्यादा बेरोजगार लोगों वाले देश में भारत शीर्ष पर पहुंचने के बहुत करीब है जिस देश में हर रोज करीब 500 नौकरियां समाप्त हो रही हैं और स्वरोजगार के अवसर हर दिन तेजी से कम होते जा रहे हो तो उसे देश को सोचना और समझना शुरू कर देना चाहिए की अर्थव्यवस्था में चूक कहां हुई।
CMIE ने 2017 के शुरुआती 4 महीना में एक सर्वे किया था जिसमें यह पता चला कि जनवरी से अप्रैल के महीने में करीब 15 लाख लोगों ने अपनी नौकरी कमाई वही सर्वे पर नजर डाली जाए तो यह ज्ञात होता है कि बेरोजगारी के कारण होने वाली खुदकुशीयों में भी भारत अपना एक अलग कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।इसकी एक मुख्य वजह मानी जाती है कि भारत में इंजीनियर और पीएचडी की पढ़ाई करने वाले हजारों ऐसे छात्र है जो चौथी श्रेणी की नौकरी के लिए आवेदन करते हैं। जिसका अर्थ है यह निकलता है कि दुनिया को कदमों में झुकने के लिए भारत अब विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है जैसे तमाम दावे सिर्फ और सिर्फ एक बी बुनियादी बयान है जो सत्ता की लालसा में आकर भारतीय राजनेता पिछले सात दशकों से देते आ रहे हैं लेकिन वास्तविकता और सामाजिक सच्चाई से इसका कोई लेना-देना नहीं है और यकीन मानिए भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार अपराध और तमाम ऐसी सामाजिक गतिविधियों इसी बेरोजगारी के कोख से पनपती हैं । हमें और आपको परेशान करने के लिए तत्पर रहती हैं।
Feb 11 2024, 09:54