*महामंडलेश्वर स्वामी रामकृष्ण दास महराज कोल्हू नाथ खालसा ने कहा, प्रयागराज का महाकुंभ का आयोजन होगा ऐतिहासिक*
प्रयागराज। महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 श्री रामकृष्णदास जी महाराज , कोल्हू नाथ खालसा रामानंद मार्ग( अ) महावीर मार्ग से दक्षिण,श्री प्रयागराज माघ महापर्व पर कहते है कि मानव जीवन का परम एवं चरम लक्ष्य है, अमृत्तव की प्राप्ति अनादि काल से अमृत के लिए विमुख मनुष्य इस अमृत की खोज में सतत् प्रयत्नशील है, और क्यों न हो उसे जो स्वतह प्राप्त है किंतु अपने द्वारा की गई भूल के कारण ही मानव उससे वंचित है। पुराण, इतिहास, ऋषि और महर्षि उसी परम लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में अग्रसर होने के लिए निरंतर पद प्रदर्शक की भूमिका का निर्वाहन करते आए हैं।
महामंडलेश्वर स्वामी रामकृष्ण दास महराज कोल्हू नाथ खालसा ने कहा कि मनुष्य के मन में अचेतन और दैवी , आसुरी दोनों शक्तियां विद्यमान रहती है, जो अवसर पाकर उदित हो उठती है , फल स्वरुप देवी एवं आसुरी प्रवृत्ति वाले मनुष्य में सदैव संघर्ष होते रहते है परंतु आसुरी प्रवृत्तियां चाहे जितनी भी प्रबल क्यों न हो, अंत में विजयश्री दैवी प्रवृत्ति वालों का ही वरण करती है क्योंकि हमारी संस्कृति का ध्रुव सत्य सिद्धांत है।
उन्होंने कहा कि सत्यमेव जयते" पुराणवर्णित देवा सूर संग्राम एवं समुद्र मंथन द्वारा अमृत प्राप्ति की आख्यान से स्पष्ट होता है कि भगवान ने स्वयं मोहिनी रूप धारण कर दैवी प्रवृत्ति वाले देवताओं को अमृत पान कराया था, उक्त आख्यान के परिप्रेक्क्षमें भारतवर्ष में प्रति द्वादश वर्ष में हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन, और नासिक में,महाकुंभ पर्व का आयोजन होता रहता है।
महामंडलेश्वर स्वामी रामकृष्ण दास महराज कोल्हू नाथ खालसा ने कहा कि 2024/ 2025 में प्रयागराज में महाकुंभ लगने जा रहा हैं, अब तक के इतिहास में सबसे बड़ा महाकुंभ होगा जिसमें अभी से,समस्त अधिकारी गण अपने-अपने विभागीय,कार्यों में लग गए है। माघ मेला, महाकुंभ में जाने वाला मनुष्य स्नान एवं सत्कर्मों के फलस्वरूप अपने पापों को नष्ट-भ्रष्ट कर संसार में सुबृष्टि प्रदान करता है। जैसे गंगा जी अपने तटों को काटती हुई प्रवाहित होती हैं। जो भी प्राणी माघ मेला में कल्पवास करता है,उस प्राणी का समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं, माघ महीने में गंगा जी का दर्शन हो जाए तब भी शास्त्र में मुक्ति लिखी गई है, "गंगे तव दर्शनार्थ मुक्ति" माघ पर्व में इसी महत्ता से अविभूत होकर समस्त भारतीय अपनी आस्था को हृदय में संजोए हुए, अमृत की लालसा में श्री प्रयागराज में पहुंचते हैं। विश्व के विपुल जन समुदाय को देखते हुए, ऐसा प्रतीत होता है कि मानव अव्यक्त कि,ही अभिव्यक्ति हुई है।
महामंडलेश्वर स्वामी रामकृष्ण दास महराज कोल्हू नाथ खालसा ने कहा कि अमृत के अभिलाषी श्री प्रयागराज में माघ महापर्व को,साधारण जनमानस भी इस महापर्व के महत्तता से वंचित न रहे, इस अभाव की पूर्ति की दिशा में प्रस्तुत लेखनी किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति करना है। उसमें भी प्रमाणिकता की कसौटी पर खड़ा उतरना भी जरूरी है, किंतु संसार के समस्त शुभ कार्य भगवान की अहेतु की कृपा से संभव होती है। मनुष्य तो एक निमित्त मात्र है। ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, स्कंदपुराण, शिवपुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण, महाभारत में भी माघ मेले और महाकुंभ महापर्व का उल्लेख आया है।
Feb 01 2024, 10:36