*माघ मेले में पहली बार लगेगा बीकानेर का खालसा*
प्रयागराज। धर्म नगरी तीर्थराज प्रयागराज के संगम तट पर माघ मेला शुरू हो गया है। गंगा-यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी में साधु- संतों के साथ प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु डुबकी लगा रहे हैं। खास बात यह है कि प्रयागराज बीकानेर वालों के लिए खालसा लगाने की स्वीकृति मिल गई है। रामझरोखा कैलाशधाम की ओर से यहां अब हर वर्ष माघ मेले में एक माह के लिए बीकानेर वाले महात्यागी नगर खालसा की शुरूआत की गई है।
रामझरोखा कैलाशधाम के पीठाधीश्वर राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज ने बताया कि इस पवित्र स्थान पर खाक चौक व्यवस्था समिति द्वारा मेले में बीकानेर को पहली बार खालसा (कैम्प) लगाने की अनुमति मिली है। महंत भगवानदासजी ने बताया कि राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदास जी महाराज के प्रयासों से बीकानेर के श्रद्धालुओं के लिए सरकार ने खालसे की अनुमति प्रदान की और अब यहां पूरे माह अन्नक्षेत्र चलता रहेगा । बीकानेर से आने वाले श्रद्धालुओं को रहने-खाने की सुविधा नि:शुल्क प्रदान की जाएगी। यहां एक माह तक निरन्तर कीर्तन व कथा का आयोजन होगा। राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदासजी महाराज ने बताया कि गुरुवार को गुरुदेव रामदासजी महाराज के सान्निध्य में खालसा भूमि पर ध्वजारोहण हुआ। इस दौरान खाक चौक व्यवस्था समिति के महामंत्री महामंडलेश्वर संतोषदास, दिगम्बर अखाड़े के मंत्री वैष्णवदासजी महाराज के निर्देशन में ध्वजारोहण पूर्ण विधिविधान से किया गया।
कार्यक्रम में महामंडलेश्वर स्वामी रामतीर्थ दास महराज, महंत गोपालदासजी महाराज, महंत शशिकांतजी, महंत हिटलर बाबा, महंत भगवानदासजी, महंत राघवदासजी, महंत पुरुषोत्तमदासजी, महंत हनुमानदासजी, महंत संतोषदासजी जम्मूवाले, महंत संतदासजी, महंत बालकदासजी महाराज, महंत राघवेन्द्रदासजी महाराज, महंत रामेश्वरदासजी महाराज उपस्थित रहे। इस दौरान बीकानेर से नेमचंद भाटी, उत्तम भाटी, दिशांत सोनी तथा प्रयागराज के बोनी शर्मा व यश ने व्यवस्थाएं संभाली।
राष्ट्रीय संत श्रीसरजूदास जी महाराज ने बताया कि पौष पूर्णिमा पर स्नान पर्व के साथ संगम की रेती पर एक महीने का कल्पवास प्रारंभ हो गया है। श्रद्धालु नियम संयम का पालन करते हुए मोक्ष की कामना करेंगे। माघ में हर साल लाखों श्रद्धालु एक महीने तक मोह-माया त्याग कर तंबुओं की नगरी में कल्पवास करते हैं। दुनिया में कल्पवास सिर्फ प्रयागराज में त्रिवेणी के तट पर होता है। पौराणिक मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन से तैंतीस करोड़ देवी-देवता भी संगम की रेती पर एक महीने तक विराजमान हो जाते हैं।
Jan 25 2024, 20:43