बिलकिस केस के 11 दोषियों में से तीन पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की मांग
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बिलकिस बानो मामले के तीन दोषी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. तीनों ने आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की मांग की। गोविंदभाई नाई, रमेश रूपाभाई चंदना और मितेश चिमनलाल भट ने अलग-अलग कारणों से समय बढ़ाने की अपील की है। तीनों दोषियों की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा।बता दें कि इससे पूर्व 8 जनवरी को इस मामले के 11 दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था और दो सप्ताह के अंदर ही दोषियों को जेल भेजने का निर्देश दिया था।दोषियों को 21 जनवरी तक सरेंडर करना होगा।
दोषियों के वकील ने कहा कि समर्पण करने का समय रविवार को समाप्त हो रहा है। अदालत से गुजारिश है कि आवेदनों को जल्द सूचीबद्ध कर सुनवाई करे। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि तीन आवेदन हैं जिनमें कहा गया है कि आत्मसमर्पण करने और जेल में रिपोर्ट करने के लिए समय बढ़ाने की मांग हैं, लेकिन बेंच का पुनर्गठन होना है। रविवार को समय समाप्त होने के कारण रजिस्ट्री पीठ के पुनर्गठन के लिए सीजेआई से आदेश मांगेगी। पीठ ने कहा कि ऐसे में अदालत कल मामले पर सुनवाई करेगी, जब सीजेआई पीठ का पुनर्गठन करेंगे।
बता दें कि साल 2002 में हुए दंगों के दौरान बिलकिस बाने को साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था। साथ ही उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या भी की गई थी। इसी मामले में 11 दोषियों की सजा में राज्य सरकार ने कटौती की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए नया आदेश जारी किया था। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि सजा में छूट का गुजरात सरकार का आदेश बिना सोचे समझे पारित किया गया और पूछा कि क्या ‘‘महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध के मामलों में सजा में छूट की अनुमति है’’, चाहे वह महिला किसी भी धर्म या पंथ को मानती हो।
सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में 11 को दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इनमें से एक दोषी ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर रिमिशन पॉलिसी के तहत उसे रिहा करने की मांग की थी। गुजरात हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार से फैसला लेने के लिए कहा था। इसके बाद गुजरात सरकार ने रिहाई पर फैसला करने के लिए कमेटी का गठन किया था। कमेटी की सिफारिश पर गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोर्दहिया, बकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना को रिहा किया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई के फैसले को रद्द कर दिया है।
Jan 18 2024, 13:17