क्या है अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक दर्जा विवाद? सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा किसी खास मजहब का नहीं
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं, इस पर विवाद चल रहा है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई।अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे के जटिल मुद्दे पर सुनवाई शुरू करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई शिक्षण संस्थान किसी कानून द्वारा विनियमित है। महज इसलिए उसका अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा समाप्त नहीं हो जाता।वहीं, केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि राष्ट्रीय चरित्र को देखते हुए एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता है।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर बहस के दौरान केंद्र सरकार ने ब्रिटिश राज की याद दिलाई। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एक राष्ट्रीय संस्थान है। शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपनी लिखित दलील में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि विश्वविद्यालय हमेशा से राष्ट्रीय महत्व का संस्थान रहा है, यहां तक कि स्वतंत्रता से पहले भी यह राष्ट्रीय महत्सव का ही थी। इसकी स्थापना 1875 में हुई थी। स्थापना के समय बने दस्तावेजों में ही इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान ही बताया गया है। केंद्र सरकार ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी किसी धर्म विशेष का विश्वविद्यालय नहीं है और ना ही हो सकता क्योंकि राष्ट्रीय महत्व रखने वाला कोई संस्थान अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता।
केंद्र सरकार का पक्ष सुनने के बाद सीजेआ डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी टिप्पणी दी। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अल्पसंख्यक का दर्जा तभी दिया जा सकता है, जब संस्थान किसी अल्पसंख्यक द्वारा स्थापित किया गया हो? क्या ऐसा कानून नहीं है कि केवल अपने समुदाय के छात्रों को ही यूनिवर्सिटी-स्कूल या कॉलेज में दाखिला दें? किसी भी समुदाय के स्टूडेंट को दाखिला दे सकते हैं? अनुच्छेद 30 स्थापना, प्रशासन और संचालन की बात करता है, लेकिन इसका कोई स्पष्ट मानक नहीं है, जो 100% प्रशासित करने का अधिकार देता हो। आज भारतीय समाज में कुछ भी निरंकुश नहीं है। मानव जीवन का हर पहलू किसी न किसी तरह से नियमों के अधीन होता है।
बता दें कि पिछले कई दशकों से संस्थान के अल्पसंख्यक दर्जे का मुद्दा कानूनी विवाद में फंसा है। साल 2006 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाया था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। इसके विरोध में याचिका दायर की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे के विवादास्पद मुद्दे को सात जजों की पीठ के पास भेज दिया था। दरअसल, यूपीए की केंद्र सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2006 के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। उसी को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी हाईकोर्ट के फैसले को अलग से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। वर्ष 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार की ओर से एक पत्र में कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान है, इसलिए वह अपनी दाखिला नीति में परिवर्तन कर सकता है। तत्कालीन केंद्र सरकार के अनुमति के बाद विश्वविद्यालय ने एमडी–एमएस के विद्यार्थियों के लिए प्रवेश नीति बदलकर आरक्षण प्रदान किया।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इस फैसले के खिलाफ डॉक्टर नरेश अग्रवाल व अन्य इलाहाबाद हाई कोर्ट चले गए, वहां पीठ का फैसला अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के खिलाफ आया। हाई कोर्ट का फैसला अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के खिलाफ था। उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली, जहां आदेश दिया गया कि जब तक कोई फैसला नहीं मिलता तब तक यथा स्थिति बनी रहेगी।
Jan 11 2024, 10:24