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ईवीएम और वीवीपैट को लेकर जयराम रमेश को चुनाव आयोग की दो टूक, कहा-इसे जोड़ने का फैसला यूपीए सरकार में ही हुआ

#ec_response_to_congress_leader_jairam_ramesh_letter_on_evm_vvpat

चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश को उस चिट्टी का जवाब दिया है, जिसमें ईवीएम को लेकर संदेह जताया गया था।चुनाव आयोग ने ईवीएम और वीवीपैट पर कांग्रेस को पत्र लिखा है और उनकी तमाम च‍िंताओं को किया खारिज कर द‍िया है। आयोग ने कहा है क‍ि कांग्रेस के नए पत्र में कुछ नया नहीं है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने कहा कि जहाँ तक सवाल वीवीपैट का है तो इसे जोड़ने का फैसला 2013 में यूपीए सरकार के दौरान ही हुआ था। आयोग आज भी उसी के तहत करवाई करता है, जिसमें 5 वीवीपैट के साथ मिलान करने का प्रावधान है। चुनाव आयोग ने इसे लेकर एक डेलीगेशन से भी मिलने से इनकार कर दिया है।

दरअसल, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने चुनाव आयोग को पत्र लिखते हुए ईवीएम को लेकर कई शंकाएं ज़ाहिर की थीं। जयराम रमेश ने इसे लेकर डेलीगेशन से मिलने के लिए वक़्त भी माँगा था। इस चिट्ठी का चुनाव आयोग ने जवाब दे दिया है। चुनाव आयोग ने कहा कि जयराम रमेश की चिट्ठी के जवाब में चुनाव आयोग ने कहा है कि उनके सारे सवालों के जवाब चुनाव आयोग के वेबसाइट में मौजूद हैं। आयोग के मुताबिक़ जयराम रमेश ने कोई नई जानकारी नहीं माँगी है. न ही किसी विशेष केस का उल्लेख किया है।

चुनाव आयोग ने जयराम रमेश को अपने पत्र में जवाब दिया है क‍ि ईवीएम और वीवीपीएटी के मुद्दे पर चुनाव आयोग पहले ही अपना स्टैंड बता चुका है। चुनाव आयोग ने जयराम रमेश को अपने पत्र में जवाब में कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने ईवीएम और वीवीपीएटी के मुद्दे पर पहले ही फैसला सुना चुका है। हालांकि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ईवीएम और वीपीपीईटी के मुद्दे पर अपना जवाब दाखिल कर चुकी है। चुनाव आयोग ने जयराम रमेश को अपने पत्र में कहा की उनके द्वारा खुद सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम और वीवीपीएटी के मुद्दे पर जो याचिका दाखिल की गई थी वह अभी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है।

बता दें कि 19 दिसंबर को “इंडिया” गठबंधन के बड़े नेताओं की हुई चौथी बैठक में इवीएम-वीवीपैट मुद्दे पर चर्चा की गई थी। इसके बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मुख्य चुनाव आयुक्त को एक लेटर लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि वीवीपैट से जुड़े कुछ सवालों के बारे में स्पष्टीकरण हासिल करने के लिए विपक्षी नेता चुनाव आयोग से मिलने का काफी वक्त से प्रयास कर रहे हैं। रमेश ने लिखा कि मैं एक बार फिर भारतीय पार्टी नेताओं की 3-4 सदस्यीय टीम को आपसे और आपके सहयोगियों से मिलने और वीवीपैट पर अपना दृष्टिकोण रखने के लिए कुछ मिनट का समय देने का अवसर देने का अनुरोध करता हूं।

स्वाति मालीवाल बनेगी सांसद, आप ने राज्यसभा के लिए किया नॉमिनेट, जानें और किन नामों को मिली मंजूरी

#aapnominatesdcwchiefswatimaliwalforrajyasabha

आम आदमी पार्टी इन दिनों मुश्किलों में घिरी है। हालांकि आप ने आगामी राज्यसभा चुनावों के लिए अपने प्रत्याशियो के नामों का ऐलान कर दिया है।आम आदमी पार्टी ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को संसद के उच्च सदन यानि राज्यसभा भेजने का फैसला किया है।वहीं, राज्यसभा सांसद संजय सिंह पर फिर भरोसा जताया गया है।इसके अलावा पार्टी ने अपने मौजूदा राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता को दोबारा राज्यसभा भेजने का फैसला किया है।

राज्यसभा के लिए 19 जनवरी को होने वाले चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने तीन सीटों पर उम्मीदवार के नामों का ऐलान कर दिया है। अरविंद केजरीवाल ने अपने मौजूदा राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और एनडी गुप्ता को दोबारा से राज्यसभा भेजने की घोषणा की है जबकि सुशील गुप्ता को दूसरा मौका नहीं दिया गया। सुशील गुप्ता की जगह स्वाति मालीवाल को टिकट दिया गया है।

कौन हैं स्वाति मालीवाल?

स्वाति मालीवाल उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से हैं। एमिटी इंटरनेशनल स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने जेएसएस एकेडमी ऑफ टेक्निकल एजुकेशन से इनफॉर्मेशन टेक्नॉलोजी में ग्रेजुएशन पूरा किया।एमएनसी में नौकरी भी लग गई। हालांकि कुछ समय बाद स्वाति ने नौकरी छोड़कर परिवर्तन नाम के एनजीओ के साथ काम करना शुरू कर दिया। इसके बाद स्वाति मालीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सलाहकार के रूप में काम किया। स्वाति एंटी करप्शन आंदोलन में मेंबर भी रही हैं। जुलाई 2015 में स्वाति को दिल्ली महिला आयोग की चीफ बनाया गया। 31 साल की उम्र में स्वाति मालीवाल ने दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष का कमान संभाला था, तब दिल्ली की जनता उनके नाम से भले ही वाकिफ न हो, लेकिन आज हर दिल्ली वासी को उनका नाम कंठस्थ है।

तीनों सीटों पर “आप” की जीत तय

दिल्ली से राज्य सभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होना है। माना जा रहा है कि तीनों सीटें इस बार भी आम आदमी पार्टी के नाम हो सकती हैं। इसकी वजह है कि विधानसभा की 70 सीटों में से 62 सीटों पर आम आदमी पार्टी के विधायक हैं। वहीं, आठ सीटों पर बीजेपी विधायक हैं। ऐसे में तीनों सीटों पर बड़े बहुमत के कारण राज्य सभा के लिए आम आदमी पार्टी के तीनों उम्मीदवार जीत सकते हैं। दिल्ली निर्वाचन आयोग की तरफ से राज्य सभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। यह चुनाव 19 जनवरी को होना है। चुनाव परिणाम की घोषणा भी इसी दिन होगी।

बांग्लादेश में विपक्ष ने किया चुनाव का बहिष्कार, शेख हसीना की चौथी बार ताजपोशी महज़ औपचारिकता?

#bangladesh_election_sheikh_hasina_expected_to_win_fourth_term

बांग्लादेश में सात जनवरी को आम चुनाव होने वाले हैं। लेकिन प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने इन चुनावों में हिस्सा नहीं लेने का फ़ैसला किया है। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि यह फर्जी चुनाव है जहां कोई भी उम्मीदवार जीते, जीत अंतत: शेख हसीना ही की होनी है। चुनाव में विपक्ष के बहिष्कार के चलते प्रधानमंत्री शेख हसीना को चौथी बार सत्ता हासिल करना महज़ औपचारिकता माना जा रहा है। ऐसे में सवाल है कि क्यों ऑपोजिशन का सबसे महत्त्वपूर्ण खेमा बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी चुनाव नहीं लड़ रही।

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी यानी बीएनपी देश की मुख्य विपक्षी पार्टी है। बीएनपी और उसके समर्थक पार्टियों का कहना है कि शेख हसीना की सरकार ना तो निष्पक्ष है और ना ही पारदर्शी। बीएनपी ने आम चुनाव में धांधली और वोटिंग के दौरान हेरफेर के आरोप लगाए हैं। विपक्षी दल बीएनपी के वाइस चैयरमैन तारिक रहमान ने इस चुनाव को शेख हसीना के शासन को मजबूत करने के लिए रचा गया 'दिखावा' बताया है। चुनाव में भाग ना लेने के फैसले पर रहमान ने कहा कि जिस चुनाव के नतीजे पहले से तय हों, उसमें हिस्सेदारी का कोई मतलब नहीं है। चुनाव पारदर्शी तरीके से नहीं हो रहे हैं, ऐसे में उनकी नेता खालिदा जिया और पार्टी के बाकी नेताओं ने बहिष्कार का फैसला लिया है।

आरोप हैं कि चुनाव सिर्फ दिखावे के लिए लड़ा जा रहा है जहां जीते कोई भी, सत्ता शेख हसीना ही की बनती दिख रही है। उसकी वजहें ये हैं कि करीब 220 सीटों पर शेख हसीना के समर्थक नेता ही आमने सामने हैं। यहां बहुत संभव है कि जीतने और हारने वाला हसीना की आवामी लीग का ही हो। ऐसे में विपक्ष का आरोप है कि चुनाव का कोई मतलब नहीं।

बीएनपी और उनके सहयोगी दलों की मांग है कि जब तक नया चुनाव न हो जाए, शेख हसीना को प्रधानमंत्री का पद छोड़ देना चाहिए। विपक्षी पार्टियों की मांग है कि एक अंतरिम सरकार की देखरेख में चुनाव हो और नतीजों के बाद नई सरकार बने। आवामी लीग की मौजूदा सरकार इसके पक्ष में नहीं है।

रहमान की पार्टी बीएनपी ने बीते साल, 2023 में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग करते हुए करीब महीने तक विरोध प्रदर्शन किए। ये विरोध प्रदर्शन कई शहरों में हिंसक भी हुए और इनमें कम से कम 11 लोग मारे गए और बीएनपी के हजारों समर्थकों को गिरफ्तार किया गया। प्रदर्शन के बावजूद बीएनपी की शेख हसीना के इस्तीफे और कार्यवाहक सरकार की अगुवाई में चुनाव की बात को नहीं माना गया। जिसके बाद बीएनपी चुनाव से हट गई। 

शेख हसीना 2009 से बांग्लादेश की सत्ता में हैं, उन पर 2014 और 2018 के चुनाव में भी धांधली के आरोप लगे बावजूद इसके वो सत्ता पाने में सफल रहीं। इस बार भी उनपर आरोप लग रहे हैं, हालांकि आवामी लीग की चौथी मर्तबा जीत तय है, अगर कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो।इसके लिए हसीना में पूरे इंतजाम किए हैं। दरअसल बांग्लादेश में कुल कुल 300 सीटें हैं। 2018 में 290 सीटें 3 पार्टियों ने जीती थीं- अवामी लीग, बीएनपी और जातीयो पार्टी (जापा)। बीएनपी इस बार नहीं लड़ रही। सत्ताधारी अवामी लीग 298 सीटों पर लड़ रही है। उसके ही 185 नेता बतौर आजाद उम्मीदवार मैदान में हैं। एक अवामी लीग नेता ने बताया कि 90 सीटों पर ये उम्मीदवार भारी हैं। ये खुद को हसीना का वफादार बताते हैं। ऐसे में लोग मानने लगे हैं कि जीते कोई भी, सत्ता का कंट्रोल हसीना के पास ही रहेगा क्योंकि करीब 220 सीटों पर पहले, दूसरे, तीसरे नंबर का कैंडिडेट हसीना समर्थक ही है। तीसरी पार्टी जापा की भूमिका तो और भी चौंकाने वाली है। यह पहले अवामी लीग से गठबंधन करने वाली थी। फिर 16 दिसंबर को अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया, लेकिन इसके बड़े नेता रैलियों में खुद को अवामी लीग से जुड़ा बता रहे हैं।

रूस-युक्रेन और इजराइल-हमास के बाद एक नए युद्ध की आहट! उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया की तरफ दागे 200 गोले

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दुनिया पहले से ही दो युद्धों की मार झेल रही है। रूस-युक्रेन और इजराइल-हमास के बीच युद्ध जारी है और इसका अंत होते नहीं दिख रहा। इसी बीच एक और फ्रंट पर संघर्ष की स्थिति बनती दिख रही है।दरअसल, उत्तर कोरिया अपने सबसे बड़े दुश्मन साउथ कोरिया को आंखें दिखा रहा है।उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच का विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है और कोरियाई प्रायद्वीप में जंग की स्थिति बनती दिख रही है। दक्षिण कोरिया पर शुक्रवार की सुबह लगातार 200 से अधिक तटीय तोपखाने गोले दागे गए हैं। दक्षिण कोरिया की सेना ने कहा कि उत्तर कोरिया ने उनपर गोले दागे हैं। 

दक्षिण कोरिया ने इस हमले की निंदा की है और इसे उकसाने वाली हरकत बताया है। साउथ कोरिया ने राजधानी सियोल से लगभग 115 किमी पूर्व में स्थित येओनप्योंग द्वीप पर रह रहे अपने नागरिकों से यह जगह खाली करने को कहा है। योनपेयोंग द्वीप पर 2000 लोग रहते हैं। बेंगनीओंग आईलैंड को भी खाली करने को कहा गया है। अभी तक इस मिसाइल हमले से किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक यह गोले दक्षिण कोरिया के क्षेत्र में नहीं गिरे हैं। गोलो दागे जाने की वजह से इलाके में हड़कंप मच गया।

पिछले 77 सालों में उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच हमेशा दुश्मनी की कार्रवाइयां चलती रही हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब कोरिया को जापान के नियंत्रण से अलग कराया गया तो ये अमेरिका और सोवियत संघ के सियासी दांवपेंच के बीच फंस गया। इसी के चलते 1948 में ये दो देशों में टूटा। 1950 में इन दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। 2010 में, उत्तर कोरियाई तोपखाने ने येओनपयोंग द्वीप पर कई राउंड गोलीबारी की, जिसमें दो नागरिकों सहित चार लोगों की मौत हो गई, यह 1953 में कोरियाई युद्ध समाप्त होने के बाद से अपने पड़ोसी पर सबसे भारी हमलों में से एक था।

इसरो की एक और बड़ी कामयाबी, फ्यूल सेल तकनीक का सफल परीक्षण, जानें भविष्य के मिशनों के लिए क्यों है खास

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भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो एक के बाद एक नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। चंद्रयान मिशन, आदित्य मिशन के बाद इसरो ने अंतरिक्ष में अपने ईंधन सेल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।इसरो के भविष्य के मिशन और डाटा इकट्ठा करने के लिहाज से यह फ्यूल सेल तकनीक बेहद अहम है। इस तकनीक की मदद से ईंधन रिचार्ज किया जा सकता है और इससे कोई उत्सर्जन भी नहीं होता। अंतरिक्ष में ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और पीने के पानी के लिए यह तकनीक सबसे आदर्श है। 

इसरो ने शुक्रवार को फ्यूल सेल फ्लाइट का सफल परीक्षण किया है। इसरो ने अंतरिक्ष में 100 वॉट श्रेणी के पॉलीमर इलेक्ट्रोलाइट मेंब्रेन फ्यूल सेल पर आधारित पावर सिस्टम (एफसीपीएस) का सफल परीक्षण किया।इसरो के अनुसार उसने 1 जनवरी को पीएसएलवी-सी 58 रॉकेट पर लॉन्च किए गए अपने कक्षीय प्लेटफॉर्म, पीओईएम 3 में 100 डब्‍ल्‍यू श्रेणी के पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन ईंधन सेल आधारित पावर सिस्टम (एफसीपीएस) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इसरो ने कहा कि प्रयोग का उद्देश्य अंतरिक्ष में पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन ईंधन सेल संचालन का आकलन करना और भविष्य के मिशनों के लिए सिस्टम के डिजाइन की सुविधा के लिए डेटा एकत्र करना है।

इस परीक्षण के दौरान हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैस की मदद से हाई प्रेशर वेसल में 180 वॉट ऊर्जा उत्पन्न की गई। इसरो ने बताया कि फ्यूल सेल तकनीक की मदद से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैस से ऊर्जा उत्पन्न की गई। इसरो ने कहा, हाइड्रोजन ईंधन सेल शुद्ध पानी और गर्मी के साथ-साथ हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों से सीधे बिजली का उत्पादन करते हैं। यह एक विद्युत जनरेटर है, जो पारंपरिक जनरेटर में नियोजित दहन प्रतिक्रियाओं के विपरीत, बैटरी की तरह इलेक्ट्रोकेमिकल सिद्धांतों पर काम करता है।

फ्यूल सेल तकनीक एक इलेक्ट्रिक जेनरेटर है, जो इलेक्ट्रोकेमिकल सिद्धांत पर काम करता है। खासकर गगनयान मिशन में जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में रहकर कई दिनों तक परीक्षण करेंगे तो उस स्थिति में फ्यूल सेल तकनीक की मदद से ही इलेक्ट्रिक पावर, पीने का पानी और ऊर्जा पैदा की जाएगी।

दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती इकॉनमी बन चुका है भारत, संघर्ष कर रहा चीन, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र (UN) के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग द्वारा प्रकाशित विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं 2024 रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है और 2024 में इसकी वृद्धि 6.2 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। हालांकि, UN की रिपोर्ट में भारत की वृद्धि दर 2024 में 6.2 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है, लेकिन यह 2023 के अनुमानित 6.3 प्रतिशत से थोड़ा कम है। संयुक्त राष्ट्र (UN) की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल की वृद्धि को मजबूत घरेलू मांग और विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि से समर्थन मिलेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि, चीन को संघर्षरत संपत्ति क्षेत्र से प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, हालांकि सरकार के नेतृत्व वाले बुनियादी ढांचे के निवेश आंशिक रूप से निजी निवेश में कमी की भरपाई कर रहे हैं। इसके विपरीत, भारत ने सरकारी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और बहुराष्ट्रीय निवेशों से प्रेरित होकर 2023 में मजबूत निवेश प्रदर्शन दर्ज किया। 2023 की तीसरी तिमाही में, विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक - आर्थिक गतिविधि का एक प्रमुख संकेतक - भारत को छोड़कर दुनिया की सभी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे मजबूत स्थिति में था। विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में निवेश अधिक लचीला रहा है। दक्षिण एशिया, विशेषकर भारत में निवेश 2023 में मजबूत रहा है।

संयुक्त राष्ट्र ने अपनी स्टडी के आधार पर कहा है कि, भारत बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती रुचि से लाभान्वित हो रहा है, जो विकसित अर्थव्यवस्थाओं की आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण रणनीतियों के संदर्भ में देश को एक प्रमुख वैकल्पिक विनिर्माण आधार के रूप में देखते हैं। दक्षिण अफ्रीका और भारत सहित कई बड़े विकासशील देशों में जहां पर्याप्त पूंजी प्रवाह प्राप्त हुआ, शीर्ष 10 प्रतिशत की आय हिस्सेदारी में वृद्धि हुई। जलवायु परिवर्तन से संबंधित घटनाओं का 2023 में इस क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता रहा। जुलाई और अगस्त के दौरान सूखा काफी बढ़ गया, जिससे भारत, नेपाल और बांग्लादेश के अधिकांश हिस्से प्रभावित हुए, जबकि पाकिस्तान में औसत से अधिक वर्षा दर्ज की गई थी।

UN की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में, अगस्त चार दशकों में सबसे शुष्क महीनों में से एक था, जिससे सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में प्रमुख फसलों के उत्पादन पर असर पड़ा। लंबे समय तक बने रहने वाले जोखिमों और अनिश्चितताओं की पृष्ठभूमि में, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 2023 में अनुमानित 2.7 प्रतिशत से धीमी होकर 2024 में 2.4 प्रतिशत होने का अनुमान है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि, वैश्विक मंदी के दौर में भी भारत पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा और उसकी वृद्धि मजबूत रहेगी।

दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती इकॉनमी बन चुका है भारत, संघर्ष कर रहा चीन, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र (UN) के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग द्वारा प्रकाशित विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं 2024 रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है और 2024 में इसकी वृद्धि 6.2 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। हालांकि, UN की रिपोर्ट में भारत की वृद्धि दर 2024 में 6.2 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है, लेकिन यह 2023 के अनुमानित 6.3 प्रतिशत से थोड़ा कम है। संयुक्त राष्ट्र (UN) की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल की वृद्धि को मजबूत घरेलू मांग और विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि से समर्थन मिलेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि, चीन को संघर्षरत संपत्ति क्षेत्र से प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, हालांकि सरकार के नेतृत्व वाले बुनियादी ढांचे के निवेश आंशिक रूप से निजी निवेश में कमी की भरपाई कर रहे हैं। इसके विपरीत, भारत ने सरकारी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और बहुराष्ट्रीय निवेशों से प्रेरित होकर 2023 में मजबूत निवेश प्रदर्शन दर्ज किया। 2023 की तीसरी तिमाही में, विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक - आर्थिक गतिविधि का एक प्रमुख संकेतक - भारत को छोड़कर दुनिया की सभी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे मजबूत स्थिति में था। विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में निवेश अधिक लचीला रहा है। दक्षिण एशिया, विशेषकर भारत में निवेश 2023 में मजबूत रहा है।

संयुक्त राष्ट्र ने अपनी स्टडी के आधार पर कहा है कि, भारत बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती रुचि से लाभान्वित हो रहा है, जो विकसित अर्थव्यवस्थाओं की आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण रणनीतियों के संदर्भ में देश को एक प्रमुख वैकल्पिक विनिर्माण आधार के रूप में देखते हैं। दक्षिण अफ्रीका और भारत सहित कई बड़े विकासशील देशों में जहां पर्याप्त पूंजी प्रवाह प्राप्त हुआ, शीर्ष 10 प्रतिशत की आय हिस्सेदारी में वृद्धि हुई। जलवायु परिवर्तन से संबंधित घटनाओं का 2023 में इस क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता रहा। जुलाई और अगस्त के दौरान सूखा काफी बढ़ गया, जिससे भारत, नेपाल और बांग्लादेश के अधिकांश हिस्से प्रभावित हुए, जबकि पाकिस्तान में औसत से अधिक वर्षा दर्ज की गई थी।

UN की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में, अगस्त चार दशकों में सबसे शुष्क महीनों में से एक था, जिससे सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में प्रमुख फसलों के उत्पादन पर असर पड़ा। लंबे समय तक बने रहने वाले जोखिमों और अनिश्चितताओं की पृष्ठभूमि में, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 2023 में अनुमानित 2.7 प्रतिशत से धीमी होकर 2024 में 2.4 प्रतिशत होने का अनुमान है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि, वैश्विक मंदी के दौर में भी भारत पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा और उसकी वृद्धि मजबूत रहेगी।

11 प्रदेशों ने नहीं भेजा मदरसों में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम बच्चों का डाटा ! NCPCR ने थमाया नोटिस, स्कूलों में भर्ती कराने का आदेश

 राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने मदरसे में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम बच्चों की पहचान करने के अपने निर्देश के अनुपालन में देरी के लिए 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) के मुख्य सचिवों (CS) को तलब किया है। NCPCR उनका डेटा चाहता है, ताकि उन्हें मदरसों से निकालकर स्कूलों में प्रवेश दिलाया जा सके। लगभग एक साल पहले एनसीपीसीआर ने यह कहते हुए कार्रवाई का आदेश दिया था कि मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों का दाखिला कराना संविधान के अनुच्छेद 28(3) का खुला उल्लंघन है। 

हरियाणा, मध्य प्रदेश, गोवा, तेलंगाना, झारखंड, केरल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, मेघालय और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सीएस को समन जारी किया गया है। केंद्रीय निकाय ने कहा कि अनुच्छेद शैक्षणिक संस्थानों को माता-पिता की सहमति के बिना बच्चों को धार्मिक शिक्षण में भाग लेने के लिए बाध्य करने से रोकता है। इसमें कहा गया है कि संस्थान के रूप में मदरसे मुख्य रूप से बच्चों को मजहबी शिक्षा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं और यह पता चला है कि सरकार द्वारा वित्त पोषित या मान्यता प्राप्त मदरसे बच्चों को मजहबी शिक्षा के साथ-साथ कुछ औपचारिक शिक्षा भी प्रदान करते हैं।

NCPCR के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो के अनुसार, बाल अधिकार निकाय पिछले एक साल से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) से मदरसों में जाने वाले या मदरसों में रहने वाले हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम बच्चों की पहचान करने और उन्हें स्थानांतरित करने और स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए कह रहा है। पैनल ने आगे अनुरोध किया कि सभी सरकारें और क्षेत्र "सभी गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों की मैपिंग करके वहां नामांकित बच्चों को बुनियादी शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था करें।"

हरियाणा, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिवों को 12 जनवरी को बाल अधिकार आयोग के सामने पेश होने के लिए बुलाया गया है, जबकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के शीर्ष नौकरशाहों को 15 जनवरी को बुलाया गया है। झारखंड के मुख्य सचिव को 16 जनवरी को बुलाया गया है, जबकि कर्नाटक और केरल के मुख्य सचिवों को 17 जनवरी को बुलाया गया है। मध्य प्रदेश, मेघालय और तेलंगाना के मुख्य सचिवों को 18 जनवरी को बुलाया गया है।NCPCR ने पहले अनुरोध किया था कि राज्य उन सभी सरकारी वित्त पोषित और मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच करें जो गैर-मुस्लिम युवाओं को अनुमति देते हैं। बाल संरक्षण आयोग ने अनुरोध किया था कि जांच में युवाओं को स्कूलों में प्रवेश देने से पहले उनका भौतिक सत्यापन शामिल हो।

इस साल ख़त्म होगा मनमोहन सिंह, अश्विनी वैष्णव समेत 68 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल, अकेले भाजपा के 60 सदस्य

इस साल 68 राज्यसभा सदस्य उच्च सदन में अपना कार्यकाल पूरा करेंगे, जिनमें 60 भाजपा के भी शामिल हैं। इनमें से 57 सदस्यों का कार्यकाल अप्रैल में पूरा हो जाएगा। इस साल जिन सदस्यों की सीटें खाली होंगी उनमें शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मडाविया, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत अन्य दिग्गज शामिल हैं।

महत्वपूर्ण बात यह है कि दिल्ली में तीन सीटों के लिए चुनाव बुलाया गया है, क्योंकि आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता संजय सिंह, नारायण दास गुप्ता और सुशील कुमार गुप्ता 27 जनवरी को अपना कार्यकाल पूरा करने वाले हैं। सिक्किम में बुलाया गया जहां SDF सदस्य हिशे लाचुंगपा 23 फरवरी को अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। अप्रैल में कुल 57 सदस्य सेवानिवृत्त होंगे। जिन नेताओं का कार्यकाल इस महीने खत्म होगा उनमें मनमोहन सिंह, मडाविया, भूपेन्द्र यादव और अश्विनी वैष्णव समेत अन्य शामिल हैं।

विशेष रूप से, उत्तर प्रदेश में दस सीटों के साथ सबसे अधिक सीटें होंगी, इसके बाद छह-छह सीटों के साथ बिहार और महाराष्ट्र होंगे। पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में पांच-पांच सीटें खाली होंगी, इसके बाद गुजरात और कर्नाटक में चार-चार सीटें खाली होंगी। तेलंगाना, ओडिशा, केरल और आंध्र प्रदेश में तीन सीटें खाली होंगी, जबकि राजस्थान और झारखंड में दो-दो नेता अपनी सीटें खाली करेंगे। छत्तीसगढ़, हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में इस साल एक-एक सीट खाली रहेगी। जबकि कांग्रेस तेलंगाना और कर्नाटक से अपने सदस्यों को राज्यसभा भेजने पर विचार करेगी। यहां तक कि एक नेता तेलंगाना से सेवानिवृत्त होंगे, जबकि चार नेता कर्नाटक से सेवानिवृत्त होंगे।

महाराष्ट्र में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में फूट के कारण राज्यसभा की लड़ाई पर सबकी निगाहें होंगी। इसी तरह कर्नाटक से सेवानिवृत्त होने वालों में केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता राजीव चंद्रशेखर, और तीन कांग्रेस सदस्य एल हनुमंथैया, जी सी चंद्रशेखर और सैयद नासिर हुसैन शामिल हैं।

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह फिर से जाएंगे राज्यसभा, पढ़िए, कोर्ट ने जेल से नामांकन दाखिल करने पर दिया ये फैसला

 दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपित आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सदस्य संजय सिंह इस बार जेल से ही राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन फार्म भरेंगे। राउज एवेन्यू कोर्ट ने संजय सिंह के आवेदन पर सुनवाई के बाद उन्हें नामांकन जेल से नामांकन फार्म भरने की अनुमति दे दी है।

27 जनवरी को खत्म हो रहा संजय सिंह का कार्यकाल

27 जनवरी को संजय सिंह की सदस्यता समाप्त हो रही है। आप सांसद ने अनुमति के लिए दो आवेदन दाखिल किए थे। पहले आवेदन में संजय सिंह ने राज्यसभा सचिवालय द्वारा जारी नो ड्यूज प्रमाणपत्रों पर हस्ताक्षर करने और दूसरे आवेदन में नामांकन पत्र भरने और दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने की अनुमति मांगी थी।

जेल से नामांकन दाखिल करने की मिली अनुमति

प्रवर्तन निदेशालय द्वारा आवेदनों का विरोध न किए जाने पर विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने दोनों आवेदनों को अनुमति दे दी। कोर्ट ने साथ ही जेल प्रशासन को नांमांकन फार्म समेत अन्य सामग्री उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

खास बात है कि संजय सिंह के अलावा दिल्ली से राज्यसभा सांसद सुशील कुमार गुप्ता और नारायण दास गुप्ता का छह साल का कार्यकाल 27 जनवरी को समाप्त हो रहा है। सभी सांसद आम आदमी पार्टी के हैं।

9 जनवरी है नामांकन की आखिरी तारीख

नामांकन प्रक्रिया 2 जनवरी को अधिसूचना जारी होने के साथ शुरू होगी और 9 जनवरी पर्चा दाखिल करने की आखिरी तारीख होगी। मतदान सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक होगा और वोटों की गिनती शाम 5 बजे से शुरू होगी। चुनाव आयोग ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को राज्यसभा में तीन सीटें आवंटित की गई हैं।