ब्रिक्स में शामिल नहीं होगा अर्जेटीना, सदस्यता दिए जाने से सिर्फ तीन दिन पहले क्यों बदला फैसला?
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अर्जेंटीना ने ब्रिक्स में शामिल होने से इनकार कर दिया है। अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली ने नए सदस्य देशों की सूची से अर्जेंटीना का नाम हटा लिया है। इसके लिए उन्होंने भारत सहित दूसरे ब्रिक्स लीडर्स को पत्र लिखा है। अपनी चिठ्ठी में अर्जेंटीना के राष्ट्रपति ने अर्जेंटीना को ब्रिक्स में शामिल करने की शुरू हुई प्रक्रिया को बंद करने का आग्रह किया है। माइली ने अपने पत्र के जरिए कहा है कि अर्जेंटीना के लिए फिलहाल ब्रिक्स का सदस्य बनना सही नहीं है, लेकिन हम ट्रेड और इनवेस्टमेंट फ्लो बढ़ाने के लिए इस संगठन के साथ द्विपक्षीय संबंध बनाए रखना चाहते हैं।
जेवियर माइली ने ब्रिक्स सदस्यों- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं को लिखे अपने पत्र में कहा है कि संगठन में शामिल होने का फैसला पिछली सरकार ने लिया था। इस फैसले से वह सहमत नहीं हैं और उन्होंने पिछली सरकार द्वारा लिया गया फैसला पलट दिया है।
अर्जेंटीना उन छह देशों में से एक है, जिन्हें अगले साल के पहले दिन यानी एक जनवरी को पूर्ण सदस्यता दी जानी है। पूर्ण सदस्यता दिए जाने से सिर्फ तीन दिन पहले अर्जेंटीना की सरकार ने ये बड़ा फैसला लेते हुए ब्रिक्स देशों को झटका दिया है। 1 जनवरी 2024 को जिन 6 नए देशों को ब्रिक्स का सदस्य बनाना था, वो हैं- अर्जेंटीना, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब, इजिप्ट और यूएई। पर अब अर्जेटीना के हाथ पीछे खींच लेने के बाद कुल पांच ही नए देश ब्रिक्स का हिस्सा बनेंगे। इस तरह ब्रिक्स में शामिल होने वाले देशों की कुल संख्या 10 हो जाएगी।
इसी साल अगस्त महीने में छह देशों के समूह ब्रिक्स ने यह तय किया था कि वह छह और देशों को अपने साथ जोड़ेगा यानी उन्हें ब्रिक्स का सदस्य बनाएगा। ब्रिक्स की ये कोशिश खासकर रही है कि वह पश्चिम के प्रभाव वाले ग्लोबल ऑर्डर को तोड़े और एक मजबूत विकल्प के तौर पर खुद को खड़ा करे।
बता दें कि दक्षिणपंथी माइली ने अपने चुनाव अभियान के दौरान ही ब्रिक्स को कम्युनिस्टों का संगठन कहते हुए इसकी मजाक उड़ाई थी। अर्जेटीना के राष्ट्रपति ने अपनी चुनावी सभाओं में भी कहा था कि वह अगर देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचते हैं तो ब्रिक्स में अर्जेटीना को नहीं शामिल होने देंगे। अर्जेटीना का कहना है कि नई सरकार के बाद उसकी विदेश नीति भी पहले के मुकाबले बदली है। अपने चुनावी कार्यक्रमों के दौरान जेवियर मिली ने कहा था कि अर्जेंटीना का हित अमेरिका और इजराइल के साथ है, लिहाजा वह कम्युनिस्टों के साथ नहीं जा सकते। ऐसा कहते हुए वह चीन को लेकर बहुत आक्रामक दिखे थे। उनका हालिया फैसला भी उनके इसी स्टैंड से जोड़कर देखा जा रहा है।
क्या है ब्रिक्स?
ब्रिक्स दुनिया की पाँच सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है। ब्रिक्स अंग्रेज़ी के अक्षर B R I C S से बना वो शब्द है, जिसमें हर अक्षर एक देश का प्रतिनिधित्व करता है। ये देश हैं ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ़्रीका। ये वो देश हैं जिनके बारे में कुछ जानकारों का मानना है कि साल 2050 तक वे विनिर्माण उद्योग, सेवाओं और कच्चे माल के प्रमुख सप्लायर यानी आपूर्तिकर्ता हो जाएंगे। उनका मानना है कि चीन और भारत विनिर्माण उद्योग और सेवाओं के मामले में पूरी दुनिया के प्रमुख सप्लायर हो जाएंगे जबकि रूस और ब्राज़ील कच्चे माल के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता हो जाएंगे।एक ब्रिटिश अर्थशास्त्री जिम ओ'निल ने दुनिया के सबसे ताक़तवर निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स में काम करने के दौरान यह शब्द गढ़ा था। तब यह शब्द BRIC था। जब 2010 में दक्षिण अफ़्रीका को भी इस समूह से जोड़ा गया तो यह BRICKS हो गया।ओ'निल ने इस शब्दावली का प्रयोग सबसे पहले वर्ष 2001 में अपने शोधपत्र में किया था।पहली बार 2006 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में जी-8 समूह के शिखर सम्मेलन के साथ ही ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन यानी ब्रिक के नेताओं ने पहली बार मुलाक़ात की थी। सितंबर 2006 में जब न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान इन देशों के विदेश मंत्रियों की औपचारिक बैठक हुई तो इस समूह को ब्रिक का नाम दिया गया।
Dec 31 2023, 13:40