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आतंकियों और अपराधियों के बीच सांठगांठ पर अमेरिका ने किया अलर्ट, भारत ने एक उच्च स्तरीय जांच पैनल का किया गठन

#conspiracy_to_kill_sikh_extremist_in_america_india_formed_high_level_committee 

पिछले हफ्ते अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ ने दावा किया था कि अमेरिका की धरती पर पन्नूं को मारने के प्रयास को नाकाम किया गया है और उसने इस साजिश में शामिल होने का आरोप भारत पर लगाया था। इसके बाद खुद अमेरिका ने संगठित अपराधियों, हथियारबंद हमलावरों और आतंकियों के बीच सांठगांठ का इनपुट भी भारत सरकार को दिया था। अब भारत ने अमेरिकी धरती पर एक सिख चरमपंथी को मारने की साजिश से संबंधित आरोपों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बुधवार को कहा कि भारत ने मामले के सभी प्रासंगिक पहलुओं पर गौर करने के लिए 18 नवंबर को एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है। पन्नू एक सिख चरमपंथी है जिसके पास अमेरिका और कनाडा की नागरिकता है। भारतीय जांच एजेंसियों को आतंकवाद के विभिन्न आरोपों में उसकी तलाश है।

बागची ने कहा, हम पहले ही कह चुके हैं कि द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग पर अमेरिका के साथ चर्चा के दौरान, अमेरिकी पक्ष ने संगठित अपराधियों, बंदूक चलाने वालों, आतंकवादियों और अन्य लोगों के बीच सांठगांठ से संबंधित कुछ जानकारी साझा की थी।उन्होंने कहा, हमने यह भी संकेत दिया था कि भारत ऐसी सूचनाओं को गंभीरता से लेता है क्योंकि वे हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों पर भी प्रभाव डालती हैं और संबंधित विभाग पहले से ही इस मुद्दे की जांच कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, इस संदर्भ में यह सूचित किया जाता है कि 18 नवंबर को भारत सरकार ने मामले के सभी प्रासंगिक पहलुओं पर गौर करने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है।

दरअसल, पिछले हफ्ते ब्रिटेन के एक दैनिक अखबार ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से दावा किया था कि अमेरिका की धरती पर पन्नूं को मारने के प्रयास को नाकाम किया गया है और उसने इस साजिश में शामिल होने का आरोप भारत पर लगाया था।रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिकी-कनाडाई नागरिक गुरुपतवंत सिंह पन्नू को मारने की साजिश रची गईय़ वह सिख फॉर जस्टिस का जनरल काउंसिल है और भारत ने उसे आतंकवादी नामित किया हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया कि जब सितंबर के महीने में नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया, तो उस वक्त वहां हिस्सा लेने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी पहुंचे।उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष इस मुद्दे को उठाया था।

मोदी सरकार का बड़ा फैसला, 5 साल के लिए बढ़ी गरीब कल्याण अन्न योजना

#garib_kalyan_anna_yojana_extended_for_5_years 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं। मोदी सरकार ने गरीब कल्याण अन्न योजना को 5 साल के लिए बढ़ा दिया है।इसके अलावा ड्रोन सखी योजना को भी मंजूरी दी गई है।इस योजना के तहत महिलाओं को ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। 

सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट की बैठक के दौरान लिए गए फैसले की जानकारी दी। अनुराग ठाकुर ने बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अगले 5 साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया गया है। इससे 81 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। भारत सरकार इस योजना के लिए 11 लाख 80 हजार करोड़ रुपए का खर्च करेगी।उन्होंने ये भी कहा कि पिछले 5 वर्षों में करीब 13.50 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं।

बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत 30 जून 2020 को की गई थी। योजना के तहत गरीब लोगों को हर महीने 5 किलो चावल या गेंहूं बिना किसी शुल्क के मिलता है। केंद्र सरकार समय-समय पर इस योजना को आगे बढ़ाती रही है। इससे पहले इस योजना को साल 2023 तक के लिए बढ़ाया गया था। हालांकि, छ्त्तीसगढ़ चुनाव प्रचार के समय पीएम मोदी ने इस योजना को आगे बढ़ाने की बात कही थी। अब इसका आधिकारिक ऐलान हो गया है।

इसके अलावा आज कैबिनेट की बैठक में ड्रोन सखी योजना को भी मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत महिलाओं को ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। ड्रोन के माध्यम से खेतों में पेस्टिसाईट का छिड़काव किया जाएगा।अनुराग ठाकुर ने बताया है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन प्रदान करने की योजना को मंजूरी दी है। कृषि उपयोग के लिए किसानों को किराये की सेवाएं प्रदान करने के लिए 2023-24 से 2025-2026 के दौरान 15,000 चयनित महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन प्रदान किए जाएंगे।ड्रोन उड़ाने वाली महिला को 15 हजार प्रति माह और सहयोगी को 10 हजार प्रतिमाह मानदेय दिया जाएगा। यह योजना 2026 तक जारी रहेगी और इसमें कुल खर्च 1261 करोड़ रुपये होंगे।

इसके अलावा कैबिनेट की बैठक में 16वें वित्त आयोग को मंत्रिमंडल ने टर्म ऑफ रिफ्रेंस का अनुमोदन दिया। सूचना प्रसारण मंत्री ने बताया कि 16वें वित्त आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस में केंद्र और राज्य सरकार के बीच करों से प्राप्त होने वाली राशि का विभाजन तय किया जाना है। राज्यों को दिए जाने वाले अनुदान का भी निर्धारण किया जाएगा। नगरपालिका और पंचायत की आय बढ़ाने को भी शर्तों में शामिल किया गया है। 16वां वित्त आयोग अक्टूबर 2025 तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगा और इसकी सिफारिशें एक अप्रैल 2026 से 31 मार्च 2031 तक लागू रहेगा।

राहुल द्रविड़ ही रहेंगे हेड कोच, बीसीसीआई ने किया एलान, वर्ल्ड कप हारने के बावजूद बड़ा फैसला

#rahul_dravid_will_remain_the_coach_of_the_indian_team_bcci_announced

राहुल द्रविड़ टीम इंडिया के कोच बने रहेंगे। बीसीसीआई ने इसका ऐलान कर दिया है। यह कदम जून 2024 में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप के लिहाज से अहम माना जा रहा है।राहुल द्रविड़ की अगुवाई में टीम इंडिया वर्ल्ड कप 2023 नहीं जीत सकी। इसके बावजूद बीसीसीआई ने उन्हें दोबारा हेड कोच बना दिया है। बीसीसीआई ने उनके अलावा टीम इंडिया के दूसरे सपोर्ट स्टाफ का भी कॉन्ट्रैक्ट बढ़ा दिया है।

वनडे विश्व कप का फाइनल 19 नवंबर को खेला गया था। इसमें टीम इंडिया का मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से हुआ, लेकिन वहां उसे हार का सामना करना पड़ा। बड़ी बात ये है कि उसी दिन टीम इंडिया के हेड कोच रहे राहुल द्रविड़ का भी कार्यकाल समाप्त हो गया था। इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि राहुल द्रविड़ आगे भी हेड कोच बने रहेंगे या फिर बीसीसीआई किसी नए दिग्गज को कोच बनाएगा। लेकिन इस पर से पर्दा हट गया है। बीसीसीआई ने अब ऐलान किया कि टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़ ही रहेंगे।वहीं, कोचिंग स्टाफ में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका मतलब है कि द्रविड़ मुख्य कोच रहेंगे। विक्रम राठौर बल्लेबाजी कोच, पारस म्हाम्ब्रे गेंदबाजी और टी दिलीप फील्डिंग कोच के पद पर बने रहेंगे।

बीसीसीआई द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गाय कि हाल ही में संपन्न विश्व कप के बाद अनुबंध की अवधि समाप्त होने के बाद बीसीसीआई ने राहुल द्रविड़ के साथ सार्थक चर्चा की और सर्वसम्मति से कार्यकाल को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। बोर्ड भारतीय टीम को तैयार करने में द्रविड़ की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करता है और उनकी असाधारण व्यावसायिकता की सराहना करता है। बोर्ड एनसीए के प्रमुख और स्टैंड-इन हेड कोच के रूप में उनकी अनुकरणीय भूमिकाओं के लिए वीवीएस लक्ष्मण की भी सराहना करता है। अपनी प्रसिद्ध ऑन-फील्ड साझेदारियों की तरह द्रविड़ और लक्ष्मण ने भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ाने में मिलकर काम किया है।

राहुल द्रविड़ ने हेड कोच की जिम्मेदारी दोबारा मिलने पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि वो बीसीसीआई के शुक्रगुजार हैं कि उनपर दोबारा भरोसा जताया गया है। राहुल द्रविड़ ने कहा कि बीसीसीआई ने हमेशा से उनके प्लान और विजन का समर्थन किया है। राहुल द्रविड़ ने साथ ही अपने परिवार को भी शुक्रिया कहा जिन्होंने उनके लिए काफी बलिदान दिए हैं। राहुल द्रविड़ ने कहा कि वर्ल्ड कप के बाद उनके सामने नई चुनौतियां हैं और वो उनका सामना करने के लिए तैयार हैं।

इजराइल-हमास संघर्ष के बीच युद्ध विराम के फैसले का भारत ने किया स्वागत, बंधकों की बिना शर्त रिहाई की अपील

इजराइल और हमास के बीच संघर्ष विराम चार दिन के बाद दो दिन और बढ़ गया है। भारत ने जंग के बीच युद्ध विराम के फैसले का स्वागत किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भारत ने अंतरराष्ट्रीय एकजुटता दिवस के अवसर पर फिलिस्तीनी नागरिकों के साथ दीर्घकालिक संबंधों की पुष्टि की। बता दें, युद्ध में करीब 15 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, पिछले पांच दिनों से दोनों पक्षों ने सीजफायर घोषित कर दिया है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि 29 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय एकजुटता दिवस है। इस अवसर पर भारत फिलिस्तीनी लोगों के साथ दीर्घकालिक संबंधों की पुष्टि करता है। हम फिलिस्तीनी लोगों के शांति और समृद्धि का समर्थन करते हैं। मध्य-पूर्व में स्थिति तनावग्रस्त है इस्राइल-हमास युद्ध के कारण बड़ी मात्रा में नागरिक जीवन की हानि हो रही है। महिलाओं-बच्चों सहित अन्य लोग संकट में है। यह अस्वीकार्य है। हम नागरिकों की मौत की कड़ी निंदा करते हैं। हम उन तमाम फैसलों का स्वागत करते हैं, जिससे क्षेत्र में तनाव कम हो सके।

कंबोज ने आगे कहा कि युद्ध के दौरान दोनों पक्षों ने सीजफायर का सम्मान किया। सीजफायर की घोषणा मानवीय संकट को कम करने के लिए स्वागत योग्य है। भारत आंतकवाद और नागरिकों को बंधक बनाने की कार्यवाही की निंदा करता है। बंधकों और उनके परिजनों के प्रति हमारी संभावनाएं हैं। बंधकों की रिहाई हो रही है, यह सुकून देता है। हालांकि, कंबोज ने शेष बंधकों की बिना शर्त रिहाई का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत आंतकवाद के खिलाफ सख्त है। युद्ध की शुरुआत होते ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शांति स्थापित करने के लिए तमाम प्रयास किए। पीएम मोदी और जयशंकर ने कूटनीति और बातचीत के लिए ढेरों कोशिशें की। हमारे नेताओं ने मानवीय सकंट पर हमेशा चिंता जाहिर की। 

भारत की मदद का किया जिक्र  

कंबोज ने महासभा में बताया कि भारत ने सिर्फ चिंता ही जाहिर नहीं की, बल्कि गाजा में राहत सामाग्री भी भिजवाई। भारत ने अपनी ओर से गाजा में 70 टन मानवीय सहायता भेजा। इसमें 16.5 टन तो सिर्फ दवाइयां और चिकित्सा सुविधाएं शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत ने हमेशा इस्राइल फलस्तीन मुद्दे पर बातचीत के माध्यम से दो-राज्य समाधान का समर्थन किया है। भारत एक संप्रभु और स्वतंत्र फलस्तीन की कामना करता है, जो सुरक्षित हो और आंतकियों से मुक्त हो।

उत्तरकाशी में मजदूरों के सफल रेस्क्यू पर दुनियाभर में जय-जयकार, जानें विदेशी मीडिया में क्या-क्या कहा गया?

#global_media_described_uttarakhand_tunnel_rescue_operation

उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया गया है।71वें दिन सुरंग से बाहर आते ही श्रमिकों का सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जोरदार स्वागत किया।एक तरफ इस रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद जहां भारतीय लोगों ने राहत की सांस ली और सरकार को धन्यवाद दिया। वहीं, 400 से अधिक घंटे के बाद इस रेस्क्यू पर विदेशी मीडिया की खास नजर रही।विदेशी मीडिया में इस रेस्क्यू ऑपरेशन चर्चा में है। भारतीय मजदूरों के हौसले और रेस्क्यू टीम के कौशल की जमकर तारीफ हो रही है।

मजदूरों का जीवट और रेस्क्यू टीम के समर्पण से सफल हुआ अभियान-बीबीसी

इस अभियान की वैश्विक मीडिया ने सराहना की है। साथ ही पूरी दुनिया में इसका सीधा प्रसारण देखने को मिला। बीबीसी की ओर से लगातार इससे जुड़ा अपडेट दिया जा रहा था। उसने अपनी खबर में लिखा, 'सुरंग के बाहर, पहले व्यक्ति के निकलने की खबर के साथ ही जश्न का माहौल हो गया।' बीबीसी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह की सुरंग से बाहर निकले मजदूरों से मिलने की तस्वीर पोस्ट की।बीबीसी ने इस ऑपरेशन की तारीफ करते हुए लिखा कि मजदूरों का जीवट और रेस्क्यू टीम के समर्पण ने जटिल लग रहे मिशन को सफल बनाया।

सीएनएन ने ऐसे की सराहना

सीएनएन ने खबर दी है, 'घटनास्थल के वीडियो फुटेज में उत्तराखंड राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उन श्रमिकों से मिलते हुए दिखाया गया है जिन्हें खुशी के माहौल के बीच सुरंग से निकाला गया था।' सीएनएन ने कहा कि श्रमिकों को बचाने के अभियान में कई रुकावटें भी आई जब मलबे में खुदाई के लिए इस्तेमाल की जा रही भारी मशीनें खराब हो गईं और उसके बाद मलबे में आंशिक रूप से हाथों से खुदाई करनी पड़ी और अन्य जोखिमपूर्ण तरीकों का इस्तेमाल करना पड़ा।

यह इंसानी हौसले की मशीनों पर जीत है- द गार्जियन

ब्रिटेन के प्रमुख द गार्जियन अखबार ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में कहा कि यह इंसानी हौसले की मशीनों पर जीत है। रिपोर्ट में कहा गया कि मानव श्रम ने मशीनरी पर विजय प्राप्त की है. जब मजदूरों तक पहुंचने के लिए ऑगर मशीन खराब हो गई तब अंतिम 12 मीटर मलबे को मैन्युअल तरीके से साफ किया गया. फिर पाइप के जरिए सभी मजदूरों को बाहर निकाला गया।

भारत के हालिया इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और जटिल बचाव अभियान- वाशिंगटन पोस्ट

वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा-बचाव अभियान केवल कुछ दिनों तक चलने की उम्मीद थी। इसके बजाय, उन 41 निर्माण श्रमिकों तक पहुंचने में 17 दिन लग गए, जो इस महीने की शुरुआत में उत्तरी भारत में भूस्खलन के कारण एक पहाड़ी सुरंग ढह जाने से फंस गए थे।कष्टदायी इंतजार आखिरकार मंगलवार रात को खत्म हुआ और सभी को जिंदा बाहर निकाला गया। लेकिन खुशी और राहत से परे, यह सवाल बना हुआ है कि जो भारत के हालिया इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और जटिल बचाव अभियानों में से एक बन गया।

बचाए गए लोगों का हीरो के रूप में स्वागत किया गया- डॉन

पाकिस्तानी न्यूज बेवसाइट डॉन ने लिखा-मंगलवार को जब बचावकर्मियों ने हिमालयी सड़क सुरंग से सभी 41 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला तो भारतीय कामगारों का जोरदार जयकारों और फूलों की मालाओं से स्वागत किया गया। विशेष रूप से स्ट्रेचर पर 57 मीटर (187 फीट) स्टील पाइप के माध्यम से खींचे जाने के बाद बचाए गए लोगों का मुस्कुराहट के साथ हीरो के रूप में स्वागत किया गया, जहां राज्य के अधिकारियों ने उनके परिवारों को गले लगाने से पहले उनका स्वागत किया।

17 दिनों बाद आखिरकार 41 परिवारों के लिए आई खुशखबरी

बता दें कि 17 दिनों से मजदूर टनल में फंसे हुए थे और उनके परिवारों की जान सांसत में थी। लगातार कोशिश और मुश्किलों के बाद भी रेस्क्यू टीम ने ऑपरेशन पूरा कर दिखाया। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सभी मजदूरों को राज्य सरकार की ओर से एक लाख रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है।

राहुल द्रविड़ को बीसीसीआ ने दिया बड़ा ऑफर, फिर बन सकते हैं भारतीय टीम के कोच

#bcci_offered_rahul_dravid_to_extend_his_contract_as_team_india_coach

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) राहुल द्रविड़ को एक बार फिर दो साल के लिए अनुबंध बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है।वनडे वर्ल्ड कप 2023 के बाद राहुल द्रविड़ का भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच के रूप में कार्यकाल समाप्त हो गया था। ऐसे में बीसीसीआई टीम इंडिया के नए कोच की तलाश में जुटा हुआ है।राहुल द्रविड़ के बाद भारतीय टीम का नया हेड कोच कौन होगा उसकी चर्चाएं जोरों पर है। लेकिन इस बीच एक बड़ी अपडेट सामने आई है। बीसीसीआई ने राहुल द्रविड़ को आगे के लिए भी कोच बने रहने के लिए अप्रोच किया है।

विश्व कप की समाप्ति के बाद द्रविड़ का कार्यकाल समाप्त हो गया था और उन्हें बोर्ड ने तब तक कोई नया ऑफर नहीं दिया था। राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के प्रमुख वीवीएस लक्ष्मण ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जारी पांच टी20 मैचों की सीरीज में कोच की भूमिका निभा रहे हैं। अब बोर्ड ने द्रविड़ को अनुबंध बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है।ईएसपीएनक्रिकइंफो के मुताबिक, बीसीसीआई ने पिछले हफ्ते द्रविड़ से संपर्क किया था। इस दौरान कार्यकाल बढ़ाने को लेकर बात हुई। हालांकि, अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि द्रविड़ ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया है या नहीं। 

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, बीसीसीआई सचिव जय शाह ने पिछले सप्ताह द्रविड़ से चर्चा की है। नए अनुबंध की बारीकियों पर अभी काम किया जाना बाकी है, लेकिन बीसीसीआइ चाहता है कि द्रविड़ टेस्ट टीम के साथ दक्षिण अफ्रीका जाएं। अनुबंध पर काम किया जाएगा लेकिन टेस्ट सीरीज महत्वपूर्ण है और भले ही राहुल टी-20 सीरीज के लिए नहीं जाते हैं तो वह वनडे सीरीज से टीम के साथ जुड़ सकते हैं।

हालांकि अभी राहुल द्रविड़ की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या राहुल द्रविड़ एक बार फिर भारतीय कोच के रूप में नज़र आते या नहीं और अगर वो कोच नहीं बनते हैं, तो फिर किसे भारतीय कोचिंग की बागडोर दी जाएगी।

बता दें कि राहुल द्रविड़ 2021 में रवि शास्त्री के बाद टीम इंडिया के कोच बने थे। राहुल द्रविड़ के कार्यकाल में टीम इंडिया तीन में से दो आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल और एक के सेमीफाइनल में पहुंची है। हालांकि भारतीय टीम आईसीसी ट्रॉफी अपने नाम नहीं कर सकी। भारत को 2022 के टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में इंग्लैंड को हाथों हार झेलनी पड़ी थी। इसके बाद वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल 2023 में इंडिया को ऑस्ट्रेलिया ने मात दी। फिर अब कुछ दिन पहले ही ऑस्ट्रेलिया ने वनडे वर्ल्ड कप 2023 के फाइनल में भारत को हराया।

टनल से निकाले गए मजदूरों से पीएम मोदी ने की बात, जानें अभी कहां और कैसे हैं सभी?

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उत्तराखंड की सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को 17 दिनों के संघर्ष के बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है।सुरंग से निकाले जाने के बाद सभी मजदूरों को चिन्यालीसौड़ में बनाए गए अस्पताल ले जाया गया। यहां पर मजदूर 48 घंटों तक डॉक्टरों की निगरानी में रहेंगे। इसी के बाद उन्हें उनके परिजनों से मिलने भेजा जाएगा।इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टनल से बाहर आए 41 मजदूरों से फोन पर बात की। श्रमिकों से फोन पर बातचीत कर उनके स्वास्थ्य और कुशलक्षेम की जानकारी ली और इनका हौसला भी बढ़ाया। साथ ही पीएम मोदी ने रेस्क्यू ऑपरेशन को सफल बनाने वाले जवानों की सराहना की।

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मजदूरों की तारीफ की और कहा, ‘आप सबपर बाबा केदारनाथ की कृपा रही। संकट में आपने एक-दूसरे का हौसला बढ़ाया। आपके परिवारों ने भी हमारा साथ दिया। ये रेस्क्यू ऑपरेशन मानवता और टीम वर्क का अद्भूत मिसाल है।उन्होंने कहा कि 16 दिन सुरंग में रहना बहुत हिम्मत की बात है, लेकिन आप लोगों ने हिम्मत बनाए रखी। 

पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फोन कर शुभकामनाएं दीं और श्रमिकों के बारे में मुख्यमंत्री से जानकारी ली।पीएम ने मुख्यमंत्री से जाना कि सुरंग से निकालने के बाद श्रमिकों के स्वास्थ्य देखभाल, घर छोड़ने व परिजनों आदि के लिए क्या व्यवस्थाएं की गई हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि सभी श्रमिकों को सुरंग से निकालने के बाद सीधे चिन्यालीसौड़ स्थित अस्पताल ले जाया गया है, जहां उनकी जरूरी स्वास्थ्य जांच आदि की जाएंगी। साथ ही अवगत कराया कि श्रमिकों के परिजनों को भी फिलहाल चिन्यालीसौड़ ले जाया गया जहां से उनकी सुविधा के अनुसार राज्य सरकार उनको घर छोड़ने की पूरी व्यवस्था करेगी।

उत्तरकाशी हादसा:- अब तक उत्तरकाशी के टनल में फंसे 10 मज़दूर निकाले गए। अपनो का चेहरा देख कर परिजन फफक कर रो पड़े

(डेस्क न्यूज़)

उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे की सफलता और मज़दूरों के पुनर्जन्म के बाद सभी फंसे मज़दूरों के परिजनों के चेहरे खिल उठे। राज्य सरकार और केंद्र सरकार की आपसी सामंजस्य और बचाव कार्य में लगे पूरी टीम की यह सफलता पुरे

देश के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

आज 17 वें दिन आखिरकार रेस्क्यू में सफलता मिल ही गई। सभी 41 मजदूरों ने जिंदगी की ये जंगजीत ली। रेस्क्यू टीमों के काफी मशक्कत के बाद सभी मजदूरों को टनल से सुरक्षित बाहर निकाला जा रहा है. अभी तक 10 मजदूर टनल से बाहर निकाले जा चले है। बता दें कि हेलीपैड पर 41 एंबुलेंस को भी तैनात कर दिया गया है।

फिलहाल एक-एक कर सभी मजदूरों को एबुलेंस से अस्पताल लाया जा रहा है। इनमें से जिन मजदूरों की हालत ज्यादा खराब दिखाई देगी, उसे एयरलिफ्ट कर ऋषिकेश एम्स लाया जाएगा। टनल के पास मजदूरों के परिजनों भी मौजद हैं अपनों का चेहरा देखते ही वह बिलख-बिलख कर रो पड़े।

दरअसल, उत्तरकाशी में चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर दिवाली के दिन ढह गया था, जिससे मलबे के दूसरी ओर 41 मजदूर फंस गए थे. इन्हीं मजदूरों को निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा था. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद समय-समय पर उत्तरकाशी पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा ले रहे थे। साथ ही मजदूरों ढांढस बंधा रहे थे कि जल्द ही उन्हें टनल से बाहर निकाल लिया जाएगा। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए थे. वह रेक्स्यू ऑपरेशन को लेकर सीएम धामी से अपडेट लेते रहते थे।

उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में पिछले 17 दिनों से यह रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा था। समय बीतने के साथ-साथ लोगों के अंदर एक डर भी था कि इतने दिन बीत जाने के बाद भी मजदूर अभी तक बाहर नहीं आ पाए हैं। देशवासी मजदूरों के सही सलामत बाहर निकलने की दुआ-प्रार्थना कर रहे थे। फिलहाल अब मजदूर सुरंग से बाहर आ चुके हैं तो सभी ने राहत की सांस ली है. सुरंग से निकाले जाने के बाद मजदूरों की मेडिकल जांच और देखभाल के लिए चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बेड वाला एक अस्पताल तैयार किया गया है

बता दें कि सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने थाईलैंड और नॉर्वे के एक्सपर्ट की भी मदद ली थी। इसके साथ कई और इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट भी मजदूरों को निकालने में अपना अनुभव साझा कर रहे थे, लेकिन इन सबके बावजूद रेस्क्यू टीम के सामने कई चुनौतियां आईं।जानकारी के मुताबिक, टनल में 8 राज्यों के 41 मजदूर फंसे हुए थे. इसमें उत्तराखंड के दो, हिमाचल प्रदेश का एक, उत्तर प्रदेश के आठ, बिहार के पांच, पश्चिम बंगाल के तीन, असम के दो, झारखंड के 15 और ओडिशा के पांच मजदूर थे।

ब्रेकिंग्: उत्तरकाशी के टनल में फंसे मज़दूरों का रेस्क्यू शुरू, विजय नामक मज़दूर निकाले गए बाहर

उत्तरकाशी: (डेस्क )आज 17 वें दिन उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे 41 मज़दूरों को निकालने का काम शुरू हो गया है। विजय नामक एक मज़दूर को बाहर निकाला गया जिसे तत्काल एम्बुलेंस से अस्पताल भेजा गया। उम्मीद है 2 घंटे के अंदर सभी मज़दूरों का रेस्क्यू कर लिया जाएगा।

समाचार लिखे जाने तक एक मज़दूर बाहर निकले जा चुके है जो ठीक हैं।बाकी मज़दूरों के हालात भी ठीक हैं।

आज सुरंग में ब्रेकथ्रू हुआ और स्केप टनल के जरिए मजदूरों को बाहर निकालने के लिए स्केप टनल बन गई है।

यह1 :57 मिनट पर पहला ब्रेकथ्रू हुआ था सुरंग का पहला

रस्सी, सीढ़ी और स्ट्रेचर के साथ NDRF की टीम सुरंग के अंदर पहुंची और बताया सभी मज़दूर सुरक्षित है।

सभी मज़दूरों की 'स्थिति अच्छी है और सभी सलामत हैं सभी मजदूर' - यह बचाव कार्य में शामिल कर्मचारी ने दी जानकारी

उत्तरकाशी। बचाव कार्य में शामिल एक कर्मचारी ने कहा, स्थिति अच्छी है और सभी लोग कुशल मंगल हैं।

क्या है 'रैट होल माइनिंग'? सुरंग में फंसे मजदूरों के लिए साबित हुआ वरदान, जिसपर 9 साल पहले लगा था बैन

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उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में 41 मजदूर 12 नवंबर से फंसे हैं। उन्हें बचाने का काम जारी है। पहाड़ का सीना चीर कर उत्तराखंड में ऑल वेदर रोड बनाने के मिशन में जुटे ये 41मजदूर किसी भी वक्त टनल से बाहर आ सकते हैं।जिसका पूरा देश शिद्दत से इंतजार कर रहा है। दरअसल, दिवाली के दिन हुए हादसे के बाद से लगातार टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने की जंग जारी थी। बीते दिनों में हर तरह की तकनीक और मशीनों का इस्तेमाल किया गया, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिल पाई थी। 41 श्रमिकों को निकालने के लिए अब ‘रैट होल माइनिंग’ के जानकारों की सेवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। जो काफी कारगार साबित हुई है।

सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में 12 नवंबर से फँसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए ‘रैट होल माइनिंग’ का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें 12 लोगों की एक टीम है, जो देसी तरीक़े से उस सुरंग तक पहुँचने की कोशिश कर रही है, जहाँ पहुँचने में उच्च तकनीक वाली ‘ऑगर’ मशीन सफल नहीं हो पाई। ताजा जानकारी के मुताबिक खुदाई का काम पूरा हो चुका है और टनल में पाइप आर पार हो चुका है।एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के कुछ जवान अंदर गए हैं।अब अब खुशखबरी मिलने ही वाली है। इससे पहले, एक भारी और शक्तिशाली 25 टन वजनी अमेरिकी ऑगर मशीन से सुरंग में क्षैतिज ड्रिलिंग की जा रही थी लेकिन शुक्रवार को उसके कई हिस्से मलबे में फंसने के कारण काम में व्यवधान आ गया. लेकिन इससे पहले उसने मलबे के 47 मीटर अंदर तक ड्रिलिंग कर दी थी।

क्या है 'रैट होल माइनिंग'?

अब सवाल ये उठता है कि यह 'रैट होल माइनिंग' तकनीक क्या है जो इस बचाव प्रयास में सबसे बड़ी उम्मीद की किरण बन कर उभरी। रैट-होल माइनिंग मेघालय में काफी प्रचलित है। यह माइन‍िंग का एक तरीका है जिसका इस्‍तेमाल करके संकरे क्षेत्रों से कोयला निकाला जाता है। 'रैट-होल' टर्म जमीन में खोदे गए संकरे गड्ढों को दर्शाता है। यह गड्ढा आमतौर पर सिर्फ एक व्यक्ति के उतरने और कोयला निकालने के लिए होता है। एक बार गड्ढे खुदने के बाद माइनर या खनिक कोयले की परतों तक पहुंचने के लिए रस्सियों या बांस की सीढ़ियों का उपयोग करते हैं। फिर कोयले को गैंती, फावड़े और टोकरियों जैसे आदिम उपकरणों का इस्‍तेमाल करके मैन्युअली निकाला जाता है। रैट-होल माइनिंग मुख्‍य रूप से दो तरह की होती है। एक है साइड कटिंग प्रोसीजर। दूसरी कहलाती है बॉक्‍स कटिंग। साइड कटिंग में संकरी सुरंगें बनाई जाती हैं। पहाड़ों के ढलान पर इन्‍हें बनाया जाता है। फिर इन टनल में में वर्कर जाकर कोयले की परत को तलाशते हैं। बॉक्‍स कटिंग तरीके में 10 से 100 वर्गमीटर तक की एक ओपनिंग बनाई जाती है। उसके बीच से 100 से 400 फीट गहरा एक वर्टिकल गड्ढा खोदा जाता है। एक बार कोयले की परत मिल जाने के बाद चूहे के बिल के आकार की सुरंगें हॉरिजॉन्‍टल रूप से खोदी जाती हैं। इसके जरिये श्रमिक कोयला निकालते हैं।

विवादित क्यों है यह पद्धति?

इस तरीके में खदानें आमतौर पर अनियमित होती हैं। इनमें उचित वेंटिलेशन, संरचनात्मक सहायता या श्रमिकों के लिए सुरक्षा गियर जैसे सुरक्षा उपायों का अभाव होता है। इस तरीके से होने वाली खुदाई से सुरक्षा को खतरा है। ऐसा इसलिए क्योंकि खनिक सुरक्षा उपाय किए बिना गड्ढे में उतर जाते थे और कई बार हादसों का शिकार हो जाते थे। ऐसे कई मामले भी आए जहां बरसात में रैट होल माइनिंग के कारण खनन क्षेत्रों में पानी भर गया, जिसके चलते श्रमिकों की जानें गईं।यही कारण है इस पद्धति से होने वाली खुदाई पर पाबंदी लगा दिया गया है।

9 साल पहले बैन की गई प्रक्रिया

साल 2024 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मजदूरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस विधि पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, इसके बाद भी कई इलाकों में रैट होल माइनिंग जारी है, जो कि अवैध माना जाता है। मेघालय में सबसे ज्यादा रैट होल माइनिंग होती है, जिसके कारण न जाने कितने ही मजदूरों को अपनी जान गंवानी पड़ जाती है

कैसे हुआ था हादसा?

सिलक्यारा बचाव अभियान में लगातार विफल होते विकल्पों के बीच सोमवार को रैट माइनर्स की टीम को तैनात किया गया। ऑगर मशीन के फेल होने के बाद हाथ से खोदाई कराने का फैसला किया गया। श्रमिकों की कुशल टीम रैट होल माइनिंग पद्धति का इस्तेमाल करके हाथ से मलबा हटाने का काम किया। दरअसल, 12 नवंबर 2023 की अल सुबह 05.30 बजे सिलक्यारा से बड़कोट के बीच बन रही निर्माणाधीन सुरंग में धंसाव हो गया। सुरंग के सिल्क्यारा हिस्से में 60 मीटर की दूरी में मलबा गिरने के कारण यह घटना हुई।41 श्रमिक सुरंग के अंदर सिलक्यारा पोर्टल से 260 मीटर से 265 मीटर अंदर रिप्रोफाइलिंग का काम कर रहे थे, तभी सिलक्यारा पोर्टल से 205 मीटर से 260 मीटर की दूरी पर मिट्टी का धंसाव हुआ और सभी 41 श्रमिक अंदर फंस गए।घटना की सूचना तुरंत राज्य और केंद्र सरकार की सभी संबंधित एजेंसियों को दी गई और उपलब्ध पाइपों के जरिए सुरंग में फंसे हुए श्रमिकों को ऑक्सीजन, पानी, बिजली, पैक भोजन की आपूर्ति के साथ बचाव कार्य शुरू किया गया। फंसे हुए श्रमिकों से वॉकी-टॉकी के माध्यम से भी संचार स्थापित किया गया है। श्रमिकों को शीघ्र बचाव के लिए कई बीते 16 दिनों में कई उपाय किए गए हैं।अब बस सभी के सुरक्षित निकल आने का इंतजार है।