अब काशी की तरह 'मथुरा' में भी बनेगा बांके बिहारी कॉरिडोर ! योगी सरकार को इलाहबाद HC की हरी झंडी, कहा- धर्मस्थल देश की धरोहर
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा शुरू की गई बांके बिहारी कॉरिडोर परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना का लक्ष्य भगवान श्री कृष्णा की नगरी मथुरा के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के चारों ओर एक गलियारा बनाना है। अदालत के फैसले से गलियारे की प्रगति में बाधक बन रहे अतिक्रमणों को हटाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
परियोजना
बता दें कि, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की याद दिलाने वाली बांके बिहारी कॉरिडोर परियोजना, उत्तर प्रदेश सरकार की एक रणनीतिक पहल है। अदालत ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि परियोजना के क्रियान्वयन के दौरान आगंतुकों को असुविधा का सामना न करना पड़े।
कानूनी पृष्ठभूमि
अनंत शर्मा और मधुमंगल दास सहित पुजारियों ने गलियारे को अनावश्यक बताते हुए इसका विरोध करते हुए एक जनहित याचिका (PIL) दायर की थी। उन्होंने आग्रह किया कि चढ़ावे और दान से प्राप्त धनराशि को कॉरिडोर परियोजना में नहीं लगाया जाना चाहिए। इस याचिका के जवाब में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था। जिसके बाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कॉरिडोर को जरूरी बताया। कोर्ट ने 8 नवंबर 2023 को अपने आदेश में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और अब इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है। उच्च न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गलियारे के पूरा होने के दौरान आगंतुकों को कोई असुविधा न हो। इस मामले में अगली सुनवाई 31 जनवरी, 2024 को होनी है।
हाई कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि मंदिरों और तीर्थस्थलों का उचित प्रबंधन जनता से संबंधित विषय हैं। कोर्ट ने धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को देश की धरोहर के बराबर बताया, जहां जाने के बाद लोगों के भीतर अच्छे मनोभाव उत्पन्न होते हैं। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी की आपत्ति के कारण मानव जीवन को प्रभावित नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कॉरिडोर के निर्माण में टेक्निकल एक्सपर्ट की सहयता लेने की भी सलाह दी है, ताकि काम और बेहतर तरीके से पूर्ण हो।
Nov 21 2023, 18:44