क़तर में भारत के 8 पूर्व नौसेना अधिकारियों को मौत की सज़ा सुनाई गई ,इजरायल के लिए जासूसी का है झूठा आरोप
दिल्ली:- क़तर की एक अदालत ने 26 अक्टूबर, 2023 को भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को मौत की सज़ा सुनाई. ये अधिकारी कतर की एक कंपनी में काम करते थे. कतर की इस्लामी सरकार ने इन पर जासूसी का आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. ये गिरफ्तारी 30 अगस्त, 2022 को हुई थी।
ये सभी पूर्व अधिकारी वहाँ की अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज (ADGTCS) नाम की कंपनी के लिए काम कर रहे थे। कतर सरकार ने इन भारतीयों पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया था। हालाँकि, इन अधिकारियों का साफ कहना है कि इस्लामी सरकार द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह मनगढंत है।
कतर की अदालत के इस फैसले पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि कतर के इस फैसले से भारत हैरान है और वो पीड़ितों को हरसंभव कानूनी मदद देने के साथ इस फैसले को चुनौती देंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा, “मौत की सजा के फैसले से हम गहरे सदमे में हैं और विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं।”
मंत्रालय ने आगे कहा गया है, “हम इस मामले को बहुत महत्व देते हैं और इस पर करीब से नजर रख रहे हैं। हम सभी को कांसुलर और कानूनी मदद देना जारी रखेंगे। हम फैसले को कतर के अधिकारियों के सामने भी उठाएँगे। हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं। हम सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं।”
गौरतलब है कि कतर में आठ महीने पहले भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को कथित जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अगस्त 2022 से पनडुब्बी कार्यक्रम को लेकर कथित जासूसी के आरोप में ये सभी कतर की जेल में है।
हालाँकि, कतर की तरफ से इन लोगों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की कोई जानकारी नहीं दी गई। उन्हें जेल में भी अकेला रखा गया है।
इन लोगों को कांसुलर पहुँच दी गई है। भारत सरकार उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है। इन का पहला ट्रायल मार्च में शुरू हुआ था। हिरासत में लिए गए पूर्व अधिकारियों में से एक की बहन मीतू भार्गव ने अपने भाई को वापस लाने के लिए सरकार से मदद माँगी थी।
8 जून को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में दखल देने की अपील की थी। उन्होंने लिखा था, “ये पूर्व नौसेना अधिकारी देश का गौरव हैं और मैं फिर से हमारे माननीय प्रधानमंत्री से हाथ जोड़कर अनुरोध करती हूँ कि अब वक्त आ गया है कि उन सभी को बगैर किसी देरी के तुरंत भारत वापस लाया जाए।”
इसमें उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी टैग किया गया था। गौरतलब है कि नौसेना में अहम भारतीय युद्धपोतों की कमान संभाल चुके ये सभी सम्मानित आठ पूर्व अधिकारी कतर निजी फर्म ADGTCS काम करते थे। यह कंपनी कतर के सशस्त्र बलों और सुरक्षा एजेंसियों को ट्रेनिंग और उससे जुड़ी सेवाएँ देती है।
कतर में इन पूर्व अधिकारियों की जमानत याचिकाएँ कई बार खारिज कर दी गईं। सजा पाने वालों में नौसेना के पूर्व अधिकारियों में कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश शामिल हैं।
हिरासत में लिए में लिए गए रिटायर्ड कमांडर पूर्णेंदु तिवारी अल दहरा कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर थे। उन्होंने भारतीय नौसेना में सर्विस करते हुए कई युद्धपोतों की कमान संभाली थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में एक भारतीय पत्रकार और उसकी पत्नी को इस मामले में रिपोर्टिंग करने के कारण कतर छोड़ने का आदेश दिया गया था।
Oct 30 2023, 11:11