शरद पूर्णिमा पर लग रहा है चंद्र ग्रहण का साया, जानें इस बार खीर का भोग लगाएं या नहीं?
नयी दिल्ली : आज शरद पूर्णिमा है, और इस दिन साल का अंतिम चंद्रग्रहण भी लग रहा है. शरद पूर्णिमा के दिन को विशेष माना जाता है, क्योंकि इस दिन, चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और अमृत की बरसात करता है. इसलिए इस दिन खीर बनाने और चंद्रमा की रौशनी में रखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.
इस मौके पर, खीर को एक प्रसाद के रूप में भी ग्रहण करने की प्रथा है, ऐसा माना जाता है कि यह आरोग्य को बढ़ावा देता है और चंद्रमा के प्रतिकूल प्रभाव से मुक्ति प्रदान करता है. हालांकि, इस बार शरद पूर्णिमा के साथ चंद्र ग्रहण भी होने वाला है, जिससे दुविधा की स्थिति पैदा हो रही है.
चंद्रग्रहण मेष राशि में लगने जा रहा है. मंत्रालय के वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य द्वारा बताया गया है कि चंद्रग्रहण मेष राशि में लगने वाला है. इस दिन शरद पूर्णिमा भी मनाई जाती है, और शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाने का विशेष महत्व होता है. खीर बनाने से पहले,आप जो दूध लाते हैं, उसे सूतक शुरू होने से पहले तुलसी के पत्ते डालकर रख दें.चंद्रग्रहण से पहले, यानी सूतक काल में, अगर आप खीर को चंद्रमा की रौशनी में रखते हैं, तो ध्यान दें कि आप उसे इतनी ही बनाएं. जो ग्रहण शुरु होने से पहले खत्म हो जाए, क्योंकि ग्रहण शुरु होने के बाद वह दूषित हो जाएगी. शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का अड़ंगा, दान करें ये 5 फल, चंद्र दोष होगा दूर
सूतक काल का यह है समय :
उन्होंने बताया कि सूतक काल के पहले ही खीर बनाकर मंदिर या देवता स्थल पर रखें और भगवान को भोग लगाएं. ग्रहण काल में कोई भी खाद्य पदार्थ में दोष लग जाता है, इसलिए उसका सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसी स्थिति में सूतक काल के पहले, उसका सेवन कर लेना चाहिए.
चंद्र ग्रहण का सूतक 28 अक्टूबर के शाम को 4 बजकर 5 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा, जबकि ग्रहण रात्रि 01:05 बजे से प्रारंभ होगा और मोक्ष रात 02.23 बजे होगा.
जानिए क्या है महत्व :
शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी का विशेष महत्व है, और कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी में कुछ खास तत्व मौजूद होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए शुद्ध और सकारात्मक होते हैं. इस दिन, चंद्रमा पृथ्वी के बेहद करीब होता है, जिससे चंद्रमा की रोशनी का पॉजिटिव प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है.
आर्थिक संपदा के लिए शरद पूर्णिमा को रात्रि जागरण का विधान शास्त्रों में बताया गया है, और इसी कारण को-जागृति या कोजागरा की रात भी कही जाती है. को-जागृति और कोजागरा का अर्थ होता है कि कौन जाग रहा है, और यह एक महत्वपूर्ण पूजा और जागरण की रात होती है.
Oct 28 2023, 15:17