पटना में "बिज़्म वाहदत" का कार्यक्रम हुआ आयोजित, देश-विदेश के कई जानी-मानी हस्तियों ने कार्यक्रम में किया शिरकत
पटना : इमाम अस्र एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट पटना की ओर से पैगंबर मुहम्मद मुस्तफा और इमाम जाफ़र सादिक जन्म के अवसर पर मीतन् दरबार बैंकेट हॉल पटना सिटी में "बिज़्म वाहदत" का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें शहर और शहर के बाहर के सम्मानित और मशहूर हस्तियों ने भाग लिया और अपनी बहुमूल्य राय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत इफ्तिखार हसन द्वारा पवित्र कुरान के पाठ से हुई, उसके बाद मौलाना उरूज हसन आबिदी ने बेहद खूबसूरत और मनमोहक आवाज में पैगम्बरे इस्लाम की शान में नात पेश किया।
इस अवसर पर मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी हैदराबाद से मुख्य अतिथि के रूप में आए कुलपति प्रोफेसर ऐनुल हसन ने अपने संबोधन में कहा कि आपस मे एकता स्थापित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और व्यवहार्य बिंदु यह है कि यदि समाज में न्याय स्थापित हो जाए तो यह राष्ट्र समृद्ध होगा। यदि समाज पैगम्बर के आदर्श पर चले तो इसे तरक़्क़ि रोका नहीं जा सकता। उन्होंने कह कि हम दूसरों की बातों में क्यूँ आ जाते हैं? अपनी अक़्ल के तराजू में तोलें और देखें कि क्या हमारे रसूल ने अपने वाचन् में अन्य राष्ट्रों, धर्मों और पंथों के लोगों से असहमत थे या उन्होंने अपने ज्ञान, नैतिकता और व्यवहार से उन्हें अपना बना लिया था।
चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, पटना के कुलपति प्रो. फैजान मुस्तफा ने अपने संबोधन में कहा कि बादशाहत नहीं, बल्कि खिलाफत है। इस्लाम में बादशाहत नहीं, बल्कि खिलाफत है। बादशाहत और खिलाफत में हमेशा मतभेद रहे हैं। लेकिन धीरे-धीरे यह खिलाफत बादशाहत और राजतंत्र में बदल गया, जिसके कारण मुसलमानों के बीच युद्ध होने लगे और दैवीय खिलाफत का दृष्टिकोण बदल गया।
ईरान से आए मौलाना शफी हैदर रिजवी ने कहा कि आयतुल्लाह सिस्तानी और इमाम खुमाइनी का हमेशा यही संदेश रहा है कि सभी मुसलमान एकजुट हैं. वे न केवल भाई हैं, बल्कि एक-दूसरे की आत्मा भी हैं। इस्लाम अतिवाद का धर्म नहीं है, अन्यथा ईश्वर ने कुरान में सूरह काफीरून नाज़िल ना किया होता। हमें साम्प्रदायिकता और धार्मिक मतभेदों से ऊपर उठकर एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए।
मुफ्ती मुहिबुल्लाह मिस्बाही ने कहा कि अल्लाह के रसूल के उपदेश में सबसे महत्वपूर्ण किरदार आपसी एकता और भाईचारा है। जहां एकता है वहां विकास और जीवन है और जहां कलह है वहां भ्रष्टाचार, विनाश और मृत्यु है।
मौलाना मुजीबुल हक एमादी ने कहा कि हमें धार्मिक मतभेदों को दूर रखना चाहिए और पैगंबर के जीवन के तरीके को अपनाना चाहिए। हमें प्रगति भी तभी मिलेगी जब हम सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक शिक्षा के क्षेत्र में एकजुट होंगे।
कार्यक्रम में शामिल अतिथियों को शॉल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। पिछले साल के शिक्षक एवं छात्र छात्राओं को शॉल और मेडल देकर प्रोत्साहित किया गया।
पटना से मनीष प्रसाद
Oct 04 2023, 14:18