मुजफ्फरनगर थप्पड़ कांड पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, आईपीएस अधिकारी से जांच कराने के आदेश,कहा-धर्म के नाम पर बच्चे के साथ ऐसा होना बहुत गलत
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उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के गांव खुब्बापुर स्थित नेहा पब्लिक स्कूल में छात्र की पिटाई कराने का मामला अभी सुर्खियों में बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरनगर में शिक्षिका के निर्देश पर सहपाठियों द्वारा एक छात्र को कथित तौर पर थप्पड़ मारने के मामले में सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने घटना की जांच सीनियर आईपीएस अधिकारी की निगरानी में कराने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि धर्म के नाम पर एक बच्चे के साथ ऐसा होना बहुत गलत है।
बता दें कि 24 अगस्त को खुब्बापुर गांव के नेहा पब्लिक स्कूल में शिक्षिका तृप्ता त्यागी ने एक बच्चे को दूसरे बच्चों से थप्पड़ मरवाया था। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई थी। इस मामले की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट मे चली। जस्टिस अभय एस ओक और पंकज मिथल की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। बच्चे को थप्पड़ से मरवाने के मामलो को कोर्ट ने गंभीरता से लेते हए कहा कि धर्म के आधार पर किसी बच्चे के साथ ऐसा करना गलत है।
कोर्ट ने दिए ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि मामले की जांच की निगरानीके लिए 1 सप्ताह के भीतर किसी आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति की जाए। साथ ही इस मामले में किन धाराओं को लगाया जाएगा, यह देखना भी उस आईपीएस अधिकारी का काम होगा। साथ ही जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दी जाए और गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पीड़ित बच्चे की शिक्षा की व्यवस्था दूसरे स्कूल में की जाए तथा थप्पड़ मारने वाले सभी बच्चों की काउंसलिंग कराई जाए।
कोर्ट ने यूपी सरकार को बताया विफल
पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का पालन करने में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से विफलता का मामला है, जो जाति, पंथ या लिंग के आधार पर किसी भी भेदभाव के बिना 14 साल तक के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने से संबंधित है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की घटना से राज्य की अंतरात्मा को झकझोक देना चाहिए। अगर किसी छात्र को केवल इस आधार पर दंडित करने की मांग की जाती है कि वह किसी विशेष समुदाय से है तो कोई गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी जा सकती।
चार सप्ताह के अंदर पेश करें रिपोर्ट
पीठ ने इस घटना को 'गंभीर' बताते हुए राज्य सरकार से राज्यभर के स्कूलों में आरटीई कानून लागू करने पर चार सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा। आने वाली 25 सितंबर तक यूपी सरकार को इसका जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है ।अदालत महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें मामले में तेजी से जांच की मांग की गई थी।
क्या है पूरा मामला
खुब्बापुर गांव के स्कूल में शिक्षिका तृप्ता त्यागी ने पांच का पहाड़ा नहीं सुनाने पर 24 अगस्त को अल्पसंख्यक समुदाय के यूकेजी के छात्र की सहपाठियों से पिटाई करा दी थी। इसी दौरान जातीय टिप्पणी का भी आरोप है। प्रकरण के दौरान पीड़ित छात्र के चचेरे भाई ने वीडियो बना लिया था। वीडियो के वायरल होते ही देशभर से प्रतिक्रियाएं आने लगीं और शिक्षिका की गिरफ्तार की मांग उठने लगी। आरोपी शिक्षिका पर केस दर्ज हो चुका है। वहीं, इस संबंध में राज्य शिक्षा विभाग ने स्कूल को नोटिस भी भेजा था।
Sep 25 2023, 19:42