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यूपी के पीलीभीत की दलित बस्ती में आरएसएस की शाखा का बसपा नेताओ ने किया विरोध, स्वयंसेवक से की मारपीट, आरएसएस का ध्वज फेंकने का आरोप

यूपी के पीलीभीत में संघ की शाखा लगाने गए स्वयंसेवकों के साथ मारपीट का आरोप लगा है। यही नहीं है कि आरोप है कि संघ का ध्वज उतार कर फेंक दिया गया। पुलिस ने स्वयंसेवक की तहरीर के आधार पर बसपा के विधानसभा अध्यक्ष नागेंद्र गौतम, सर्वेश व एक अज्ञात के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। हालांकि दूसरे पक्ष का कहना है कि उसकी तहरीर ही नहीं ली गई। थाने में पुलिस के सामने ही उनके साथ आरएसएस व भाजपा कार्यकर्ताओं ने गाली गलौज व अभद्रता की। मामले में पुलिस जांच कर रही है।

दरअसल कोतवाली जहानाबाद क्षेत्र के गांव रम्पुरा मिश्र देवस्थान पर दलित बस्ती के समीप संघ की शाखा का संचालन स्वयंसेवक देवेश कर रहे थे। आरोप है कि तभी गांव निवासी बसपा के विधानसभा अध्यक्ष नागेंद्र गौतम व सर्वेश ने आकर संघ का ध्वज उतार कर फेंक दिया।

वहीं दूसरे पक्ष बहुजन समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष भगवान सिंह गौतम का आरोप है कि बसपा के विधानसभा अध्यक्ष ने केवल अन्य महापुरुषों के बारे में जानकारी देने के लिए संघ के लोगों से कहा था लेकिन संघ के लोग आरएसएस का प्रचार कर रहे थे साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि धर्म परिवर्तन कराने की भी संघ के लोगों की आशंका थी।

केदारनाथ धाम में भूमि का अधिकार समेत अन्य मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे तीर्थ पुरोहित, यात्रियों को हो रही काफी परेशानी

केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार से आरपार की लड़ाई का मन बना लिया है। धाम में तीर्थपुरोहितों ने भू-स्वामित्व का अधिकार देने समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन किया जो सोमवार (18 सितंबर) से आमरण अनशन में बदल गया।

दरअसल, केदारनाथ आपदा से प्रभावित तीर्थ पुरोहितों को भूमिधर अधिकार के तहत भवन देने समेत कई मांगों को लेकर केदारनाथ धाम में दुकानें, होटल और लॉज तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों के आंदोलन के चलते 16 सितंबर को पूर्ण रूप से बंद रहे। इस दौरान तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन कर एक दिवसीय धरना भी दिया। जिससे धाम पहुंचने वाले यात्रियों को खाने, पीने एवं रहने की खासी दिक्कतें उठानी पड़ी। वहीं मांगों पर उचित कार्यवाही न होने के चलते तीर्थपुरोहितों का यह धरना आज से आमरण अनशन में बदल गया। बता दें, धरने पर बैठे लोगों का कहना है कि, वर्ष 2013 की आपदा में केदारनाथ धाम में जो भवन बहे थे और उनके स्थान पर निर्माण हुए भवनों को उन्हें सौंपा जाए। तीर्थ पुरोहितों को केदारनाथ में भूमि का अधिकार मिले। आपदा से पहले उन्हें भूमि का अधिकार था, लेकिन आपदा के बाद से अभी तक उन्हें भूमि का अधिकार नहीं मिल पाया है।

वरिष्ठ तीर्थपुरोहित व केदारसभा के सदस्य उमेश पोस्ती ने कहा कि आपदा में अपने भवन, भूमि खो चुके लोगों को भूस्वामित्व देने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन सरकार उनकी कोई सुध नहीं ले रही है। केदारनाथ में 24 घंटे तक व्यापारिक गतिविधियां बंद रखने के बाद भी सरकार की ओर से अपना पक्ष नहीं रखा गया है। उन्होंने पुनर्निर्माण के तहत केदारनाथ में बनाए जा रहे तीन से चार मंजिला भवनों को लेकर भी नाराजगी जताई। कहा, सरकार केदारनाथ को जोशीमठ बनाने का काम कर रही है।

केदार सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने कहा कि, जब तक मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं की जाती आंदोलन जारी रहेगा। धरना देने वालों में अंकित सेमवाल, कुंवर शुक्ला, संतोष त्रिवेदी, जगदीश तिनसोला, प्रदीप शर्मा, रमाकांत शर्मा, पंकज शुक्ला, बृजेश पोस्ती, विमल शुक्ला, देवेंद्र शुक्ला, लक्ष्मण तिवारी, प्रवीण तिवारी आदि थे। चारधाम तीर्थ महापंचायत के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि केदार सभा के बैनर तले चार सूत्री मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो चारों धामों में आंदोलन किया जाएगा।

खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या मामले में भारत का कनाडा को करारा जवाब, कहा- आतंकवादियों और चरमपंथियों को बचाने की कोशिश

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कनाडा ने सोमवार को भारत के एक टॉप डिप्‍लोमैट को निकाल दिया। कनाडा ने अपनी धरती पर खालिस्तान समर्थक आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच के बीच ही यह कदम उठाया। साथ ही उसने भारत को इसके लिए दोष दिया है। कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार के एजेंट्स और खालिस्तानी आतंकी की हत्या के बीच एक लिंक होने की बात कही है। भारत ने मंगलवार को कनाडा के इन आरोपों को खारिज कर दिया। इसके जवाब में अब भारत सरकार की तरफ से बयान जारी कर कनाडा को लताड़ लगाई गई है।

निज्‍जर प्रतिबंधित खालिस्‍तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) से जुड़ा था। वह गुरपतवंत सिंह पन्नून के बाद संगठन में नंबर दो था। जुलाई 2020 में भारत ने उसे 'आतंकवादी' घोषित किया था।इस साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। निज्जर की हत्या के बाद कनाडा में ये बातें उठी कि उसकी हत्या भारतीय एजेंट्स ने की। लेकिन भारत अपने ऊपर लगने वाले इन आरोपों को खारिज कर चुका है।इसी क्रम में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्‍तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्‍जर की हत्‍या के लिए भारत पर निशाना साधा है। इसके साथ ही ट्रूडो ने एक टॉप भारतीय डिप्‍लोमैट को भी अपने देश से निष्कासित कर दिया है।

कनाडा ने क्या आरोप लगाया?

दरअसल, कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने आरोप लगाया कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या के तार भारत सरकार के साथ जुड़े हुए हो सकते हैं। कनाडाई संसद को संबोधित करते हुए ट्रूडो ने कहा कि कनाडाई खुफिया एजेंसियों ने सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद आरोपों की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की जमीन पर कनाडाई नागरिक की हत्या के पीछे विदेशी सरकार का होना बिल्कुल भी स्वाकार्य योग्य नहीं है। ये हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है।

कनाडा के आरोपों पर भारत ने क्या कहा?

कनाडा की तरफ से भारत पर लगाए गए आरोपों का मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब दिया है।विदेश मंत्रालय ने मंगलवार सुबह एक बयान जारी कर कहा कि कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का संसद में दिए गए बयान को देखा गया है। उनके विदेश मंत्री के बयान को भी सुना गया है। हम कनाडाई पीएम और विदेश मंत्री के आरोपों को खारिज करते हैं। कनाडा में होने वाली किसी भी हिंसा में भारत सरकार पर शामिल होने का आरोप लगाना बेहद ही बेतुका और राजनीति से प्रेरित है। बयान में आगे कहा गया कि ठीक ऐसे ही आरोप हमारे प्रधानमंत्री के सामने कनाडाई प्रधानमंत्री ने लगाए। हमने उसे भी सिरे से खारिज कर दिया था। हम कानून के राज को लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं।

मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि इस तरह के निराधार आरोप खालिस्तानी आतंकियों और चरमपंथियों से ध्यान भटकाने वाले हैं। कनाडा में इन्हें आश्रय दिया जा रहा है, जबकि ये भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा बने हुए हैं। कनाडा सरकार इस मुद्दे पर शांत रही है, जो हमारे लिए चिंता की बात है। कनाडाई नेताओं ने भी इन चरमपंथियों के प्रति सहानुभूति दिखाई है, जो चिंता का विषय है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडा में हत्या, मानव तस्करी और संगठित अपराध सहित कई अवैध गतिविधियां कोई नई बात नहीं है। हम भारत सरकार को इस तरह के मामलों से जोड़ने की किसी भी कोशिश को अस्वीकार करते हैं। हम कनाडा सरकार से उसकी जमीन पर एक्टिव सभी भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ त्वरित और प्रभावी कानूनी कार्रवाई करने की गुजारिश करते हैं।

आज आखिरी बार पुरानी संसद में फोटो सेशन के लिए जुटे सांसद, नए भवन में थोड़ी देर में शुरू होगी कार्यवाही

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संसद के विशेष सत्र का आज दूसरा दिन है। आज से संसद की कार्यवाही नए संसद भवन में आयोजित की जाएगी। इससे पहले सांसद फोटो सत्र के लिए पुराने संसद भवन में पहुंचे हैं। फोटो सेशन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान की प्रति लेकर नए भवन में प्रवेश करेंगे। इस दौरान, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी नए भवन के सेंट्रल हॉल में अपना संबोधन देंगे।

नए भवन तक पैदल जाएंगे पीएम मोदी और सांसद

पुरानी संसद में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की ज्वॉइंट फोटो शूट होगा। ग्रुप में तीन अलग-अलग फोटो ली जाएंगी। पहली फोटो में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य तो दूसरे फोटो में सभी राज्यसभा सदस्य मौजदू रहेंगे। तीसरी फोटो में सिर्फ लोकसभा के सदस्य होंगे। सुबह 11 बजे पीएम मोदी संसद के सेंट्रल हॉल पहुंचेंगे। प्रधानमंत्री के साथ वरिष्ठ मंत्री और लोकसभा और राज्यसभा के सांसद होंगे। इस दौरान सेंट्रल हॉल में एक कार्यक्रम होगा जिसमें 2047 तक भारत को समृद्ध राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया जाएगा। पीएम सेंट्रल हॉल से संविधान की कॉपी लेकर नए भवन तक पैदल जाएंगे। सभी एनडीए सांसद पीएम मोदी के पीछ पीछे चलेंगे।ठीक डेढ़ बजे नए संसद भवन में कार्यवाही शुरू हो जाएगी। वहीं राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 2:15 बजे से शुरू होगी। 

सांसदों को संविधान की एक प्रति भेंट की जाएगी

नई संसद बिल्डिंग में पहली बैठक के दौरान जब सांसद संसद भवन में प्रवेश करेंगे तो उन्हें उपहार स्वरूप 75 रुपये का चांदी का एक सिक्का भी दिया जाएगा सभी सांसदों को भारत के संविधान की एक प्रति भी भेंट स्वरूप दी जाए।नए संसद भवन में प्रवेश के लिए सभी सांसदों को नया पहचान पत्र भी जारी किया जाएगा. इसमें संविधान की कॉपी, नए संसद को लेकर स्मारक सिक्का और डाक टिकट होगा।

नए भवन में शिफ्ट होने के बाद होगा पीएम समेत इन नेताओं का अभिभाषण

नए संसद भवन में शिफ्ट होने के बाद लोकसभा में नए स्पीकर ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी बोलेंगे। वहीं सेंट्रल हॉल में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता अधीर रंजन, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, सांसद मेनका गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और झारखंड मुक्ति मोर्चा अध्यक्ष और झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन अपनी बात रखेंगे।

तमिलनाडु में जुदा हुए बीजेपी और एआईएडीएमके के रास्ते, जानें क्यों टूटा गठबंधन

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लोकसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु में बीजेपी को झटका लगा है। तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी और ऑल इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके)की राहें अलग हो गई हैं। एआईएडीएमके नेता डी जयकुमार ने सोमवार को जानकारी दी कि बीजेपी के साथ फिलहाल कोई गठबंधन नहीं है। चुनावी समझौते पर कोई भी निर्णय केवल चुनाव के दौरान ही तय किया जाएगा। इस दौरान डी जयकुमार ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई कुप्पुसामी पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बीजेपी के कार्यकर्ता तो गठंबधन में रहना चाहते हैं लेकिन अन्नामलाई के दिमाग में कुछ और ही खिचड़ी पक रही है।

एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेता डी जयकुमार ने 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों से पहले राजनीतिक गठबंधन पर स्पष्टीकरण देते हुए सोमवार को संवाददाताओं से कहा, "गठबंधन के बारे में हम चुनाव के दौरान ही फैसला करेंगे।यह मेरा निजी विचार नहीं है। यह हमारी पार्टी का रुख है।

डी जयकुमार ने कहा, पार्टी अब तमिलनाडु में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई कुप्पुसामी के साथ किसी भी तरह का गठबंधन की इच्छा नहीं रखती है। उन्होंने कहा कि अन्नामलाई पिछले काफी समय से एआईएडीएमके के नेताओं के खिलाफ बयान दे रहे हैं। बीजेपी के कार्यकर्ता एआईएडीएमके के साथ गठबंधन में रहना चाहते हैं लेकिन उनके प्रदेश अध्यक्ष को कुछ और ही मंजूर है। अन्नामलाई कुप्पुसामी, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के योग्य नहीं हैं। हम अपने नेताओं की और आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।

डी जयकुमार ने कहा कि अन्नामलाई पहले भी हमारी नेता जयललिता के बारे में बहुत कुछ बोल चुके हैं। उस वक्त भी हमने अन्नामलाई के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था। उन्हें गठबंधन की मर्यादा में रहकर काम करने की जरूरत थी लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया। वह अन्ना, पेरियार और महासचिव की लगातार आलोचना कर रहे हैं। अन्नामलाई का इस तरह का व्यवहार पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता को बर्दाश्त नहीं है। हमें अब चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी करनी है, इसलिए हमने अभी से पार्टी का रुख साफ कर दिया है।

जयकुमार ने कहा, इस फैसले से हम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हमें अपनी जीत का पूरा भरोसा है। बीजेपी यहां कदम नहीं रख सकती। बीजेपी को अपना वोट बैंक पता है। वो हमारी वजह से जाने जाते हैं।

पीएम मोदी की तारीफ करना छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को पड़ा भारी, खड़गे ने लगाई क्लास, मांगनी पड़ी माफी

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14 सितंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ के रायगढ़ पहुंचे थे। मंच पर प्रदेश सरकार की ओर से डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव भी थे। इस सरकारी कार्यक्रम में मंच साझा करते हुए अपने सम्बोधन में सिंहदेव प्रधानमंत्री की तारीफ कर गए। इसके बाद प्रदेश में सियासी बवाल शुरू हो गया।टीएस सिंहदेव को पीएम मोदी की तारीफ़ करना भारी पड़ गया। इसके लिए टीएस सिंह देव को हैदराबाद में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की विस्तारित बैठक माफी मांगनी पड़ी।सूत्रों के मुताबिक सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने टीएस सिंह देव की क्लास लगा दी। इस दौरान सिंहदेव ने अपनी गलती मानीं और आगे से ऐसा नहीं करने का वचन दिया।

अंग्रेजी अखबार द हिंदू में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, हैदराबाद में आयोजित कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य के नाते आमंत्रित किया गया था।बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने टीएस सिंह देव को फटकार लगाने के अंदाज में पूछा कि आपने उनकी तारीफ की क्या वो लोग हमारे किसी काम की सराहना करते हैं? खरगे ने कहा, ‘‘यह ध्यान रखें कि अपनी वाहवाही के लिए ऐसा कुछ न करें, जिससे पार्टी का नुकसान हो। अनुशासन के बगैर कोई नेता नहीं बनता। हम खुद अनुशासन में रहेंगे, तभी लोग हमारा अनुकरण करेंगे, हमारी बात मानेंगे।

सूत्रों के मुताबिक खरगे की नाराजगी भांपते हुए टीएस सिंह देव ने खेद जताते हुए माफी मांगी। इसपर खड़गे ने कहा माफी तो ठीक है, लेकिन डैमेज तो हो ही गया है। उप मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता होने के नाते आपकी बात को लोगों ने गंभीरता से लेंगे।इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने अन्य नेताओं को सिंहदेव का उदाहरण देते हुए चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा अन्य नेता भी इस बात का ध्यान रखें।

इससे पहले विवाद बढ़ता देख और लगातार आ रही प्रतिक्रियाओं के बीच अब शनिवार को सिंहदेव की सफाई सामने आई, उन्होंने अपना पक्ष ट्वीट किया।टीएस सिंहदेव ने लिखा- हमारे प्रदेश, पूरे देश में सदा अतिथि सत्कार की परंपरा रही है। एक शासकीय मंच पर, प्रधानमंत्री जी की गरिमा को ध्यान में रखते हुए कुछ बातें कही गईं थी। मंच के माध्यम से मैं आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में नहीं पड़ना चाहता था। और, मेरा वक्तव्य केवल अपने विभाग की माँगों से संबंधित था।

ये मामला गुरुवार का है, जब रायगढ़ में एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के लिए कई विकास योजनाओं की घोषणा की थी।इस कार्यक्रम में राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में टीएस सिंहदेव शामिल थे। उन्होंने "छत्तीसगढ़ को बहुत सारी चीजें देने" के लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया था। उन्होंने कहा था, "हमने हमेशा केंद्र सरकार के मार्गदर्शन में काम किया है और मैं यह कहने से नहीं चूकना चाहता कि मेरे अनुभव में मुझे कोई भेदभाव महसूस नहीं हुआ… राज्य में, जब हमने केंद्र सरकार से कुछ मांगा तो केंद्र ने कभी भी मदद से इनकार नहीं किया। मेरा मानना है कि आगे चलकर, राज्य सरकार और केंद्र सरकार सभी क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगी और देश और राज्य को आगे ले जाएंगी।

संसद के विशेष सत्र के बीच मोदी कैबिनेट की बैठक, हो सकता है बड़ा ऐलान, टिकी देशभर की निगाहें

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केंद्र सरकार द्वारा बुलाए गए संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र का आज से आगाज हो गया है। वहीं, संसद के विशेष सत्र के बीच आज शाम 6:30 बजे केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं। हालांकि, इस बैठक के उद्देश्य बारे में कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंत्रियों के साथ एक बैठक कर रहे हैं। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी के कमरे में यह बैठक जारी है। इस मीटिंग से पहले प्रह्लाद जोशी केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से बारी-बारी से मुलाकात की। प्रह्लाद जोशी के कमरे में धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, अनुराग ठाकुर, अर्जुन राम मेघवाल और वी मुरलीधरन बैठक में मौजूद हैं।

संसद के विशेष सत्र के लिए सरकार ने अब तक जिन एजेंडों को सार्वजनिक किया था, उनको लेकर राजनीतिक गलियारों में कोई विशेष उत्सुकता नहीं देखी जा रही थी। विपक्ष का संदेह था कि डाक विधेयक और प्रेस और पत्र-पत्रिका विधेयक जैसे मुद्दे इतने महत्त्वपूर्ण नहीं हैं कि इसके लिए सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाती। उसे लगता है कि सरकार अपने किसी छिपे एजेंडे को लेकर सामने आ सकती है। ऐसे में आज शाम होने वाली कैबिनेट की बैठक में सबकी निगाहें लगी हुई हैं।दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष सत्र की शुरुआत के पहले मीडिया को दिए संबोधन में ऐतिहासिक निर्णय लेने की बात कहने से यह चर्चा और तेज हो गई है कि आखिर सरकार कौन से ऐतिहासिक विधेयक सामने ला सकती है।

बता दें कि संसद के विशेष सत्र के पहले दिन पीएम मोदी ने कहा कि आज से आरंभ हो रहा संसद का सत्र छोटा है लेकिन समय के हिसाब से ‘बहुत बड़ा’, ‘मूल्यवान’ और ‘ऐतिहासिक निर्णयों’ का है। सत्र के पहले दिन संसद भवन परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस सत्र की एक विशेषता ये है कि 75 साल की यात्रा अब नये मुकाम से शुरू हो रही है। सदन में विभिन्न दलों की ओर से हंगामा किए जाने की ओर इशारा करते हुए पीएम मोदी ने कहा, रोने धोने के लिए बहुत समय होता है, करते रहिए लेकिन जीवन में कुछ पल ऐसे भी होते हैं जो उमंग से भर देते हैं, विश्वास से भर देते हैं। मैं छोटे सत्र को इसी रूप में देखता हूं।

'मनमोहन सिंह मौन नहीं थे, बात कम और काम ज्यादा करते थे, लोकसभा में बोले अधीर रंजन चौधरी

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को यूपीए के दस वर्षों के कार्यकाल के दौरान काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। उनकी हमेशा शांत रहने वाली छवि ने कहीं न कहीं उन्हें एक कमजोर प्रधानमंत्री के तौर पर खड़ा कर दिया। गंभीर से गंभीर राजनीतिक मसले पर चुप्‍पी साधे रहने के चलते मनमोहन सिंह को असफल प्रधानमंत्री करार दिया गया। जहां कम बोलने के कारण उन्हें ‘मौनी बाबा’ की उपाधि मिली तो वहीं अपने रोबोटिक शैली वाली चाल के लिए उन्‍हें स्‍टेच्‍यू भी कहा गया। आज एक बार फिर संसद के विशेष सत्र के दौरान मनमोहन सिंह की चुप्पी का जिक्र हुआ। केंद्र सरकार द्वारा बुलाए गए पांच दिवसीय विशेष सत्र की आज से शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के बाद कांग्रेस पार्टी के सासंद अधीर रंजन चौधरी ने संसद भवन की पुरानी यादों का जिक्र किया। इस दौरान उन्होंने भी पंडित जवाह लाल नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और मनोमहन सिंह तक कई पूर्व प्रधानमंत्रियों को याद किया।

मनमोहन सिंह पर बात करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा,'हमारे मनमोहन सिंहजी को कहा जाता था कि वह मौन रहते हैं, वह मौन नहीं रहते थे। बल्कि काम ज्यादा और बात कम करते थे। जब जी-20 का सम्मेलन हुआ करता था, उस समय भी उन्होंने कहा था कि यह हमारे देश के लिए अच्छा है।

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने आगे कहा, चंद्रयान को लेकर चर्चा चल रही थी, मैं कहना चाहता हूं कि 1946 में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में परमाणु अनुसंधान समिति का गठन किया गया था। वहीं से हम आगे बढ़े और 1964 में इसरो का विकास किया।

उन्होंने आगे कहा,'जब यह खबर मिल रही है कि आज इस सदन का अंतिम दिवस है तो सही मायनों में भावुक होना तो स्वाभाविक है। ना जाने कितने दिग्गजों और देशप्रेमियों ने देश के लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए यहां योगदान दिया है। बहुत सारे हमारे पूर्वज इस दुनिया को छोड़कर चले गए। उनकी याद हम करते रहेंगे।यह सदन जरूर कहेगा। जिंदगी में कितने दोस्त आए और कितने बिखर गए। कोई दो रोज के लिए आया तो किसी ने चलते ही सांस भर ली।लेकिन जिंदगी का नाम दरिया है। वह तो बस बहती रहेगी। चाहे रास्ते में फूल गिरे या पत्थर। उसी तरह हमारी यह सदन की कार्यवाही है, जो चलती आ रही है।

इस विशेष सत्र में महिला आरक्षण पर बिल ला सकती है सरकार, जानें राज्यसभा से पास होने के बावजूद क्यों अटक गया था ये बिल?

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संसद के विशेष सत्र शुरू के साथ ही एक बार फिर महिला आरक्षण पर सुगबुगाहट तेज हो गई है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार महिला आरक्षण बिल ला सकती है। संसद के विशेष सत्र में बुधवार को बिल पेश हो सकता है। सरकार की ओर से इस सत्र में चार बिलों को सूचीबद्ध किया गया है।हालांकि विपक्ष की ओर से महिला आरक्षण विधेयक पर जोर दिया जा रहा है।मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि इन्‍हीं पांच दिनों में महिला आरक्षण बिल को पास करा लिया जाए। इसे लेकर, हैदराबाद में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में बकायदा प्रस्ताव पारित किया गया है।

दरअसल, सोमवार से शुरू हुए सत्र से ठीक एक दिन पहले सरकार ने सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया। इसमें विपक्षी गठबंधन INDIA समेत एनडीए के नेताओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान महिला आरक्षण बिल को लेकर चर्चा हुई, जिसे पास कराने को लेकर न सिर्फ इंडिया नेताओं ने हामी भरी, बल्कि एनडीए नेता भी इसके समर्थन में नजर आए। इससे ही साफ हो गया था कि इस बिल को बेहद ही आसानी से संसद से पास करवाया जा सकेगा।

27 साल से अटका है महिला आरक्षण विधेयक

बता दें कि करीब 27 साल से लंबित महिला आरक्षण विधेयक अटका पड़ा है। महिलाओं को सदन में 33 फीसदी आरक्षण देने से जुड़ा बिल आखिरी बार मई 2008 को संसद में पेश किया गया था। तब की यूपीए सरकार ने अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम में महिला बिल को शामिल किया था और इसी वादे को पूरा करते हुए राज्यसभा में 6 मई 2008 को बिल पेश किया गया। फिर 9 मई 2008 को इसे कानून और न्याय से संबंधित स्थायी समिति के पास भेज दिया गया।स्थायी समिति ने लंबी चर्चा के बाद 17 दिसंबर 2009 को अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की और इसे पास करने की सिफारिश की। 2 महीने बाद फरवरी 2010 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस सिफारिश को अपनी मंजूरी दे दी। हालांकि संसद में समाजवादी पार्टी, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने इसका जमकर विरोध किया। जिसके बाद यह बिल अटकता चला गया।

लोकसभा से नहीं हो सका था पास

आखिरकार बिल पेश होने के करीब 2 साल बाद संसद की ऊपरी सदन ने 9 मई 2010 को अपने यहां पास कर दिया। लेकिन राज्यसभा के बाद जब यह बिल लोकसभा पहुंचा तो कभी यह बिल यहां पास ही नहीं हो सका।दरअसल, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस की ओर से इस बिल का समर्थन किया जाता रहा है लेकिन अन्य क्षेत्रीय दलों के भारी विरोध और पिछड़े वर्गों की महिलाओं के लिए भी आरक्षण की मांग समेत कुछ चीजों पर विरोध के चलते इस पर आम सहमति कभी नहीं बन सकी। साथ ही महिला आरक्षण बिल का विरोध करने वाले दलों की ओर से कहा गया कि इस आरक्षण का फायला सिर्फ शहरी क्षेत्र की महिलाओं को ही मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं की फायदा नहीं होगा और उनकी हिस्सेदारी नहीं हो पाएगी।

विधायी सदनों में महिलाओं की स्थिती

वर्तमान लोकसभा में 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो कुल संख्या 543 के 15 प्रतिशत से भी कम हैं। बीते साल दिसंबर में सरकार द्वारा संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्यसभा में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करीब 14 प्रतिशत है। इसके अलावा 10 राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है, इनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और पुडुचेरी शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा महिला विधायक

पिछले साल दिसंबर में जारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में है जहां पर 14.44 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 13.7 फीसदी और झारखंड में 12.35 फीसदी महिला विधायकों के साथ देश में सबसे आगे चल रहे हैं।

विशेष सत्र में पीएम मोदी ने किया नेहरू, शास्त्री, इंदिरा से लेकर नरसिम्हा राव तक का जिक्र, बताया संसद ने 75 साल में क्या-क्या देखा

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आज से संसद का विशेष सत्र शुरू हो गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सदन को संबोधित किया।पीएम मोदी ने नए सदन में जाने से पहले उन प्रेरक पलों, इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ियों का स्मरण किया।अपने संबोधन में पीएम मोदी ने पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री से लेकर इंदिरा गांधी और नरसिम्हा राव की सरकार को याद किया और उनकी जमकर तारीफ की।पुरानी संसद में अपने आखिरी भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी ने कई बातों का जिक्र किया। पीएम मोदी पुराने संसद भवन को विदा देते हुए देश के भविष्य का जिक्र करते हुए कहा कि इस सदन ने देश को आगे बढ़ाने वाले फैसले किए। 

पीएम मोदी ने कहा कि नई संसद में सबके विश्वास को लेकर जाने का समय है। उन्होंने कहा कि जो नया विश्वास पाया है उसको लेकर जाने का है। बहुत सी ऐसी बाते हैं जो सदन में हर किसी की ताली की हकदार है लेकिन शायद राजनीति उसमें भी आड़े आ गई। नेहरू के योगदान का गौरवगान इस सदन में होता है तो कौन सदस्य होगा जिसको ताली बजाने का मन नहीं करेगा। लेकिन उसके बावजूद भी देश के लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी है कि हम सब अपने आंसुओं को देखें।पीएम मोदी ने पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू की तारीफ में कहा कि इस सदन में पूर्व पीएम की 'स्ट्रोक ऑफ मिड नाईट की गूंज' सभी को प्रेरित करती रहेगी। पीएम ने कहा कि नेहरू जी ने बाबा साहब आंबेडकर को अपनी सरकार में मंत्री के रूप में शामिल किया था। वह देश में बेस्ट प्रैक्टिसेज लाने पर जोर दिया करते थे। फैक्ट्री कानून में अंतरराष्ट्रीय सुझावों को शामिल करने का फायदा आज तक देश को मिल रहा है। पीएम ने कहा कि नेहरू जी की सरकार में ही बाबा आंबेडकर वॉटर पॉलिसी भी लाए थे।

शास्त्री जी और इंदिरा गांधी का जिक्र

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सन 1965 की जंग में लाल बहादुर शास्त्री जी ने इसी संसद से देश और देश के वीर जवानों को प्रेरित किया था। पीएम ने कहा कि इसी संसद से शास्त्री जी ने देश में हरित क्रांति की नींव रखी थी।बांग्लादेश की मुक्ति का आंदोलन और उसका समर्थन भी इसी सदन में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में किया गया। इसी सदन में देश के लोकतंत्र पर आपातकाल के रूप में हुआ हमला भी देखा था।

नरसिम्हा राव की सरकार के पुरानी आर्थिक नीतियों को छोड़ने का जिक्र

पीएम मोदी ने कहा कि नरसिम्हा राव की सरकार ने हिम्मत के साथ पुरानी आर्थिक नीतियों को छोड़कर नई राह पकड़ने का फैसला किया था, जिसका आज देश को परिणाम मिल रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इसी सदन में देखा सर्व शिक्षा अभियान, आदिवासी कार्यलय मंत्रालय, नॉर्थ ईस्ट का मंत्रालय अटल जी ने बनाया। परमाणु परीक्षण भारत की ताकत का परिचायक बन गया। 

तमाम उतार-चढ़ाव देखे हैं इस सदन ने-पीएम

पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लोकतंत्र ने तमाम उतार-चढ़ाव देखे हैं और ये सदन, लोकतंत्र की ताकत हैं और लोकतंत्र का साक्षी है। इसी सदन में चार सांसदों वाली पार्टी सत्ता में होती थी और 100 सांसदों वाली पार्टी विपक्ष में होती थी। इसी सदन में एक वोट से सरकार गिरी थी। जब नरसिम्हा राव घर जाने की तैयारी कर रहे थे लेकिन इसी सदन की ताकत से वह अगले पांच साल के लिए देश के प्रधानमंत्री बने। 2000 की अटल जी की सरकार में तीन राज्यों का गठन हुआ। जिसका हर किसी ने उत्सव मनाया, लेकिन एक राज्य तेलंगाना के गठन के समय खून-खराबा भी देखा।