भारत के बाद जापान का मिशन मून, लॉन्च किया गया एक्स-रे टेलिस्कोप वाला रॉकेट
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भारत के ताबड़तोड़ चांद और सूर्य मिशन के बाद अब जापान ने अपना मिशन मून लॉन्च कर दिया है। आज सुबह जापान की अतंरिक्ष एजेंसी जापान एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने अपना मून मिशन ‘मून स्नाइपर’ लॉन्च किया। तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से H-IIA रॉकेट के जरिए यह लॉन्चिंग की गई।जापान के स्थानीय समयानुसार सुबह 8.42 बजे यह अंतरिक्ष यान लॉन्च हुआ।जापान की अंतरिक्ष एजेंसी को पिछले महीने एक हफ्ते में तीन बार अपना यह मिशन टालना पड़ा था। इसके पीछे का कारण खराब मौसम था। बार-बार खराब मौसम के चलते जापान को मून मिशन की लॉन्चिंग की तारीख को बदलना पड़ा, लेकिन आखिरकार जापान ऐसा करने में सफल रहा।
चार से छह महीने में चंद्रमा की सतह पर पहुंचने की उम्मीद
रायटर्स के मुताबिक जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी ने कहा कि रॉकेट ने योजना के अनुसार दक्षिणी जापान के तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी और स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (SLIM) को सफलतापूर्वक छोड़ा। जापानी एयरोस्पेश एक्सप्लोरेशन एजेंसी द्वारा लॉन्च किया जाने वाले मून मिशन ‘मून स्नाइपर’ में रॉकेट एक लैंडर को ले जाएगा। इसके चार से छह महीने में चंद्रमा की सतह पर पहुंचने की उम्मीद है। जापानी एजेंसी ने बताया कि लॉन्च के करीब 13 मिनट बाद रॉकेट ने एक्स-रे इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी मिशन नामक एक उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया, जो आकाशगंगाओं के बीच स्थित चीजों की गति और संरचना को मापेगा।
ब्रह्मांड की उत्पति की खोज करेगा ये मिशन
जापान ने अपने इस मून मिशन को खास तौर पर ब्रह्मांड के निर्माण की जांच के लिए डिजाइन किया है। एजेंसी ने आगे कहा कि इससे मिली जानकारी यह अध्ययन करने में मदद करेगी कि आकाशीय पिंडों का निर्माण कैसे हुआ। साथ ही उम्मीद है कि ब्रह्मांड का निर्माण कैसे हुआ इस रहस्य को सुलझाने में भी मदद मिल सकती है। इसमें एक एक्स-रे इमेजिंग उपग्रह भी होगा। इसके अलावा एक स्मार्ट लैंडर भी भेजा गया है। यह चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने की कोशिश करेगा। जापानी अंतरिक्ष एजेंसी मून स्नाइपर को एच2ए रॉकेट के जरिए चांद पर भेज रही है। मून स्नाइपर में हाई टेक्नोलॉजी के कैमरे लगे हुए हैं, जो चांद को समझने के लिए काम करेगा।
एक लंबा लूपिंग और कम ईंधन खर्च वाला मार्ग अपनाएगा
SLIM एक छोटा अंतरिक्ष यान है, जिसकी ऊंचाई 2.4 मीटर, लंबाई 2.7 मीटर और चौंड़ाई 1.7 मीटर है। उड़ान भरने के दौरान इसका वजन 700 किग्रा था। लेकिन इसमें वजन का 70 फीसदी हीस्सा ईंधन था। जबकि चंद्रयान तीन मिशन का कुल वजन 3900 किग्रा था। जिसमें 2148 किग्रा प्रोपल्शन मॉड्यूल, 1752 लैंडर और 26 किग्रा का रोवर शामिल था। SLIM चंद्रमा तक एक लंबा लूपिंग और कम ईंधन खर्च करने वाला मार्ग अपनाएगा, जिससे इसे चांद की कक्षा में पहुंचने में तीन से चार महीने लगेंगे।
इसरो ने दी बधाई
वहीं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 'स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून' (SLIM) के सफल लॉन्च पर जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए) को गुरुवार को बधाई दी। अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने कहा कि वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय के एक और सफल चंद्र मिशन के लिए बहुत-बहुत बधाई।
...तो चांद पर जाने वाला पांचवा देश बन जाएगा जापान
बता दें कि अब तक भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा की सतह पर अपने अंतरिक्ष यान उतारने सक्षम रहे हैं और भारत दक्षिणी ध्रुव पर ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है। जापान अगर कामयाब हुआ तो वह चांद पर जाने वाला पांचवा देश बन जाएगा।
Sep 07 2023, 16:35