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देश में पहली बार नहीं उठी INDIA का नाम भारत रखने की मांग, 2012 में कांग्रेस भी ला चुकी है बिल, पढ़िए, पूरी रिपोर्ट

देश में इस समय देश का ही नाम बदलने की चर्चा सबसे तेज है. इस चर्चा को हवा दी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के निमंत्रण पत्र ने. दरअसल G-20 समिट के लिए 9 सितंबर को होने वाले रात्रि भोज के लिए जो निमंत्रण पत्र राष्ट्रपति भवन की ओर से देश के नेताओं को भेजे गए हैं, उनमें सामान्य रूप से उपयोग होने वाले 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' शब्द को बदला गया है. इस बार के निमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट ऑफ भारत शब्द का उपयोग किया गया है. अब पूरा विवाद इसी पर है. वही ऐसे में अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि संसद के विशेष सत्र में INDIA का नाम परिवर्तित कर भारत किया जा सकता है. विपक्षी सदस्यों ने इस पर नाराजगी जताई एवं कुछ नेताओं ने कहा कि सत्तारूढ़ दल I.N.D.I.A. गठबंधन से चिंतित है. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कहा, पूरा देश मांग कर रहा है कि हमें 'इंडिया' की जगह 'भारत' शब्द का उपयोग करना चाहिए. 'इंडिया' शब्द अंग्रेजों द्वारा हमें दी गई एक गाली है. 'भारत' शब्द हमारी संस्कृति का प्रतीक है. मैं चाहता हूं कि हमारे संविधान में परिवर्तन हो तथा इसमें 'भारत' शब्द जोड़ा जाए. 

कैसे बदल सकते हैं देश का नाम?

यहां आपको यह भी जान लेना आवश्यक है कि देश का नाम बदलने की प्रक्रिया क्या है? इस चर्चा के बीच हमने लोकसभा के पूर्व महासचिव, संविधान के विशेषज्ञ एवं सीनियर एडवोकेट पीडीटी आचारी से पूछा कि आखिर इसकी प्रक्रिया क्या है? आचारी के अनुसार, सरकार यदि संविधान में संशोधन कर 'इंडिया दैट इज भारत शैल बी यूनियन ऑफ स्टेट्स' को बदल कर केवल भारत करना चाहती है तो संविधान के अनुच्छेद 1 और 52 में प्रेजिडेंट ऑफ इंडिया, वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया जैसे पदनाम उनके ऑफिस को इंगित करते हैं.

संविधान में हिंदी अनुवाद में नहीं है INDIA का जिक्र

हालांकि संविधान के आधिकारिक हिंदी अनुवाद में इन पदनाम का जिक्र भारत के राष्ट्रपति, भारत के उपराष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश आदि के रूप में ही किया गया है. यानी संविधान को यदि हिंदी भाषा में पढ़ेंगे तो उसमें इंडिया का जिक्र नहीं है केवल भारत ही है. यदि सरकार इसमें केवल भारत को ही मान्यता देना चाहती है तो तय प्रक्रिया के अनुसार, संविधान में परिवर्तन कर ऐलान करना होगा INDIA को भारत के नाम से बुलाया जाएगा. 

50 फीसदी राज्यों की सहमति जरूरी

अनुच्छेद 3 एवं 239AA जैसे कई अनुच्छेद हैं, जिनमें परिवर्तन के लिए प्रदेशों की सम्मति आवश्यक नहीं है. किन्तु संविधान में उन अनुच्छेदों का स्पष्ट जिक्र है जिनमें संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों से अलग-अलग दो तिहाई बहुमत से पारित होना जरुरी है. बहुमत के लिए सदन की कुल संख्या का स्पष्ट बहुमत यानी आधे से अधिक और उपस्थित सदस्यों का दो तिहाई बहुमत से पारित होना जरुरी है. तत्पश्चात, आधे से अधिक यानी कुल प्रदेशों में से 50 प्रतिशत से एक अधिक प्रदेशों की सहमति जरुरी होती है.

कैसे तय हुआ देश का आधिकारिक नाम?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 के अनुसार, 'इंडिया, जो कि भारत है, प्रदेशों का एक संघ होगा.' अनुच्छेद 1 को लेकर पहले संविधान सभा में चर्चा की गई है एवं 2012 और 2014 में निजी सदस्य बिल भी पेश किए गए हैं. संविधान सभा ने तत्कालीन मसौदा संविधान के अनुच्छेद 1 पर व्यापक रूप से बहस की थी. बता दें कि संविधान सभा के सदस्य एच. वी. कामथ ने 18 सितंबर 1949 को बहस आरम्भ की तथा अनुच्छेद 1 में संशोधन का प्रस्ताव रखा था, जिसमें भारत या वैकल्पिक रूप से हिंद को देश के प्राथमिक नाम के रूप में रखा गया तथा अंग्रेजी भाषा में इंडिया को नाम के रूप में प्रस्तावित किया गया.

वही संसदीय रिकॉर्ड से पता चलता है कि कामथ ने इस बात पर जोर दिया था कि भारतीय गणराज्य को उचित नाम देने के लिए कई सुझाव दिए गए थे तथा उन्होंने भारत, हिंदुस्तान, हिंद एवं भारतभूमि या भारतवर्ष के प्रमुख सुझावों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि जो लोग भारत या भारतवर्ष या भारतभूमि का दावा करते हैं, वे इस तथ्य पर अपना रुख रखते हैं कि यह इस भूमि का सबसे प्राचीन नाम है. कामथ ने भारत नाम की उत्पत्ति के बारे में विस्तार से बताया, किन्तु अंबेडकर ने उन्हें बीच में रोकते हुए पूछा कि क्या इन सबका पता लगाना जरुरी है. इस पर कामथ ने जवाब दिया कि सदन के कामकाज को नियंत्रित करना अंबडेकर का काम नहीं है. वही चर्चा के चलते सेठ गोविंद दास ने अनुच्छेद 1 में शब्दों का विरोध किया तथा कहा कि 'इंडिया, यानी भारत' किसी देश के नाम के लिए सुंदर शब्द नहीं हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि 'भारत को विदेशों में भी इंडिया के नाम से जाना जाता है.' दास ने विस्तार से बताया कि इंडिया शब्द हमारी प्राचीन पुस्तकों में नहीं प्राप्त होता है. इसका प्रयोग तब आरम्भ हुआ जब यूनानी भारत आए. उन्होंने वेदों, उपनिषदों, ब्राह्मणों एवं महाभारत का हवाला देते हुए कहा था कि हमें उनमें भारत नाम का उल्लेख मिलता है. उन्होंने ह्वेन-त्सांग नाम के चीनी यात्री को भी उद्धृत किया तथा अपनी यात्रा पुस्तक में इस देश का संदर्भ भारत के रूप में दिया. उनका विचार था कि हमें अपने देश को ऐसा नाम देना चाहिए जो हमारे इतिहास एवं हमारी संस्कृति के अनुरूप हो. उन्होंने 'भारत माता की जय' का नारा बुलंद करके महात्मा गांधी के नेतृत्व में हमारी स्वतंत्रता की लड़ाई की तरफ रुख किया.

वही भारत नाम के एक अन्य प्रस्तावक कल्लूर सुब्बा राव थे, जिन्होंने कहा कि वह दिल से भारत नाम का समर्थन करते हैं, जो कि प्राचीन है. उन्होंने कहा कि भारत नाम ऋग्वेद (ऋग् 3, 4, 23.4) में है. संसदीय रिकॉर्ड में उन्हें इस तरह उद्धृत किया गया है, 'इंडिया नाम सिंधु (सिंधु नदी) से आया है तथा अब हम पाकिस्तान को हिंदुस्तान कह सकते हैं क्योंकि सिंधु नदी वहीं है.' सिंध हिंद बन गया है. जैसा कि संस्कृत में स का उच्चारण ह के रूप में किया जाता है. यूनानियों ने हिंद को इंड के तौर पर उच्चारित किया. तत्पश्चात, यह अच्छा और उचित है कि हम भारत को भारत के तौर पर संदर्भित करें. बता दे कि बी.एम गुप्ते, राम सहाय, कमलापति त्रिपाठी एवं हरगोविंद पंत अन्य संविधान सभा सदस्य थे जिन्होंने भारत का नाम भारत रखे जाने का पुरजोर समर्थन किया. तो वहीं एक अन्य सदस्य कमलापति त्रिपाठी ने कहा, 'यदि हमारे सामने जो प्रस्ताव पेश किया गया है, उसमें वह शब्द आवश्यक होते तो 'भारत यानी इंडिया' शब्द का उपयोग करना अधिक उचित होता.' जब कामथ के संशोधन को मतदान के लिए रखा गया, तो सभी तर्क गिर गए. सभा हाथ उठाकर विभाजित हो गई. भारत के पक्ष में 38 वोट पड़े तथा 'भारत यानी इंडिया' के पक्ष में 51. प्रस्तावित संशोधन पराजित हो गया और 'इंडिया, दैट इज भारत' बरकरार रहा.

2012 में कांग्रेस ने पेश किया 'भारत' नाम रखने का विधेयक

9 अगस्त 2012 को कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य शांताराम नाइक ने राज्यसभा में एक निजी विधेयक पेश किया. 

उन्होंने तीन परिवर्तनों का प्रस्ताव रखा: 

1) संविधान की प्रस्तावना में 'इंडिया' शब्द के स्थान पर 'भारत' शब्द रखा जाए. 

2) 'इंडिया, दैट इज भारत' वाक्यांश के स्थान पर एकल शब्द 'भारत' रखा जाए. 

3) संविधान में जहां भी 'इंडिया' शब्द आता है, वहां 'भारत' शब्द रख दिया जाए. 

इस विधेयक की वजहों के बारे में कहा गया कि INDIA एक क्षेत्रीय अवधारणा को दर्शाता है, जबकि 'भारत' केवल क्षेत्रों से कहीं अधिक का प्रतीक है. जब हम अपने देश की सराहना करते हैं तो हम 'भारत माता की जय' बोलते हैं, न कि 'INDIA की जय.' इसे बदलने के लिए कई आधार हैं. यह नाम देशभक्ति की भावना भी पैदा करता है तथा इस देश के लोगों में जोश भर देता है. इस सिलसिले में; "जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़ियाँ बनाती हैं बसेरा वो भारत देश है मेरा", एक लोकप्रिय शब्द है गाना प्रासंगिक है.

2014 में, योगी आदित्यनाथ ने संविधान में 'इंडिया' शब्द को 'हिंदुस्तान' से बदलने के लिए लोकसभा में एक निजी विधेयक भी पेश किया था. विधेयक में संविधान में जहां कहीं भी इंडिया शब्द आता है, उसकी जगह पर हिंदुस्तान शब्द का प्रस्ताव दिया गया. उनके विधेयक में अनुच्छेद 1 में संशोधन करने का प्रस्ताव था. इस विधेयक की वजहों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश का प्राचीन एवं पारंपरिक नाम भारत और हिंदुस्तान है. ये दोनों नाम ब्रिटिश-पूर्व काल में प्रचलित थे. ब्रिटिश शासन की स्थापना के पश्चात् अंग्रेजों ने 'इंडिया' नाम का प्रयोग किया जो उनके अपने देश में प्रचलित था. संविधान निर्माताओं ने देश के प्राचीन नाम 'भारत' को मान्यता दी तथा उसे संविधान में उचित स्थान दिया. उन्होंने कहा था अंग्रेजी नाम की लोकप्रियता की वजह से हमारे देश का पारंपरिक नाम 'हिन्दुस्तान' छूट गया है. यह विधेयक हमारे देश का नामकरण 'इंडिया, दैट इज भारत' से बदलकर 'भारत, दैट इज हिंदुस्तान' करके संविधान में संशोधन होना चाहिए. योगी द्वारा लाए गए विधेयक में कहा गया था कि इंडिया शब्द गुलामी के प्रतीक को दर्शाता है तथा इस तरह यह हमारे संविधान से निकाले जाने योग्य है.

पीएम मोदी को लिखे सोनिया गांधी के पत्र का प्रह्लाद जोशी ने दिया जवाब, कहा-आप संसद के कामकाज का राजनीतिकरण कर रहीं हैं

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कांग्रेस संसदीय दल की चेयरमैन सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है। सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र को लेकर पीएम को पत्र लिखा है। सोनिया ने अपनी चिट्ठी में विशेष सत्र का एजेंडा ना बताने पर आपत्ति जताई है तो वहीं अपनी ओर से नौ मांग भी रखी हैं।अब सोनिया गांधी की चिट्ठी का सरकार की ओर से जवाब दिया गया है। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है, आपका परंपराओं की तरफ ध्यान नहीं है

प्रह्लाद जोशी ने जवाब में आगे संसदीय परंपराओं का उल्लेख किया। उन्होंने लिखा- शायद आपका परंपराओं की ओर ध्यान नहीं है। संसद सत्र बुलाने से पहले न कभी राजनीतिक दलों से चर्चा की जाती है और न कभी मुद्दों पर चर्चा की जाती है। राष्ट्रपति द्वारा सत्र बुलाए जाने के बाद और सत्र शुरू होने से पहले सभी दलों के नेताओं की बैठक होती हैं। इस बैठक में संसद में उठाए जाने वाले मुद्दों और कामकाज पर चर्चा होती है।

अनावश्यक विवाद उत्पन्न करने का प्रयास- प्रह्लाद जोशी

प्रह्लाद जोशी ने लिखा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप संसद के कामकाज का भी राजनीतिकरण और अनावश्यक विवाद उत्पन्न करने का प्रयास कर रही है। आप जानती है कि अनुच्छेद 85 के तहत संवैधानिक जनादेश का पालन करते हुए संसद सत्र नियमित तौर पर आयोजित किए जाते हैं। पूर्ण रूप से स्थापित प्रक्रिया का पालन करते हुए ही संसदीय कार्य संबंधी मंत्रिमंडल समिति के अनुमोदन के बाद राष्ट्रपति ने 18 सितंबर से शुरू होनेवाले संसद सत्र को बुलाया है।

सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार- प्रह्लाद जोशी

जोशी ने कहा कि मैं यह भी बताना चाहूंगा कि हमारी सरकार किसी भी मुद्दे पर हमेशा चर्चा करने के लिए तैयार रहती है। वैसे तो आपने जिन मुद्दों का उल्लेख किया है, वह सभी मुद्दे अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कुछ ही समय पूर्व मानसून सत्र के दौरान उठाए गए थे और सरकार द्वारा उन पर जवाब भी दिया गया था।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि संसद की गरिमा बनी रहेगी- प्रह्लाद जोशी

उन्होंने आगे कहा कि सत्र की कार्यसूची हमेशा की तरह स्थापित आचरण के अनुसार उचित समय पर जारी की जाएगी। मैं यह भी फिर से ध्यान दिलाना चाहता हूं कि हमारी संसदीय कार्यप्रणाली में चाहे सरकार किसी भी दल की रही हो, आज तक संसद बुलाने के समय कार्यसूची पहले से कभी भी परिचालित नहीं की गई।उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि संसद की गरिमा बनी रहेगी और इस मंच का उपयोग राजनीतिक विवादों के लिए नहीं किया जाएगा। इसके अतिरिक्त मैं आगामी सत्र को सुचारू रूप से चलाने में आपके पूर्ण सहयोग की अपेक्षा करता हूं, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय हित में सार्थक परिणाम सामने आ सके।

सोनिया में पीएम को पत्र में क्या लिखा

बता दें कि इससे पहले सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी है।उन्होंने इस खत में लिखा है कि पहली बार संसद सत्र का एजेंडा विपक्ष से शेयर नहीं किया गया।आम तौर पर विशेष सत्र से पहले बातचीत होती है और आम सहमति बनाई जाती है। इसका एजेंडा भी पहले से तय होता है और सहमति बनाने की कोशिश होती है।यह पहली बार है कि कोई बैठक बुलाई जा रही है और एजेंडा तय नहीं है, न ही सहमति बनाने का प्रयास किया गया।वहीं, सोनिया गांधी ने इस चिट्ठी में कुल 9 मुद्दे सामने रखे हैं। इनमें आर्थिक स्थिति, महंगाई, बेरोजगारी के मसले पर चर्चा की मांग की है। किसानों को लेकर सरकार ने जो वादे किए, एमएसपी की गारंटी दी उसपर अभी तक क्या हुआ है। सोनिया गांधी ने अडानी मामले में जेपीसी की जांच की मांग की है, इनके अलावा जातीय जनगणना को तुरंत कराए जाने की अपील की गई है।पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्र द्वारा संघीय ढांचे, राज्य सरकारों पर किए जा रहे हमले, हिमाचल प्रदेश में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है। इनके अलावा देश में सांप्रदायिक तनाव, मणिपुर हिंसा और चीन द्वारा लद्दाख में घुसपैठ के मुद्दे को सामने रखा है।

*दिल्ली की सड़कों पर भी अपनी ही गाड़ी से चलेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति, किसे किले से कम नहीं बाइडन की कार ‘द बीस्ट’

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भारत के नई दिल्‍ली में जी-20 शिखर सम्‍मेलन का आयोजन होने वाला है। इसमें कई देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के साथ ही अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन भी शिरकत करने नई दिल्‍ली पहुंच रहे हैं।बाइडेन कल यानी 7 सितंबर को नई दिल्ली पहुंच जाएंगे। बाइडेन दुनिया की उन हस्तियों में शामिल हैं, जिन्हें सबसे ज्यादा सुरक्षा मिलती है। अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ खुद उनकी टीम भी मौजूद रहती है और उनके हर दौरे से पहले तमाम चीजों को देखा जाता है। जानते हैं कि अमेरिका से भारत तक जो बाइडेन की सुरक्षा आखिर कैसी होगी।

दिल्ली में भी व्हाइट हाउस के ही गार्ड्स करेंगे निगेहबानी

अमेरिका के राष्ट्रपति करीब 3 दिन तक दिल्ली में होंगे। इस दौरान उनकी सुरक्षा के लिए कई तरह के इंतजाम किए गए हैं।इस तीन दिन के दौरे के लिए पिछले कई हफ्तों से तैयारी हो रही है। जब जो बाइडेन नई दिल्ली में होंगे, तब उनकी पूरी सुरक्षा व्हाइट हाउस के ही गार्ड्स के हाथ में होगी।अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी गाड़ी से ही चलेंगे, इसके अलावा कंट्रोल रूम से हर एक गतिविधि पर नज़र रखी जाएगी। अमेरिका के राष्ट्रपति जहां भी जाते हैं वहां उनकी खुद की सुरक्षा होती है। ऐसा ही जी-20 के लिए भी किया जा रहा है। नई दिल्ली में एक कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है, जहां से जो बाइडेन के पूरे रूट पर नज़र रखी जाएगी।

एयरफोर्स वन प्लेन उड़ता हुआ किला

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन 7 सितंबर को भारत पहुंचेंगे। उनके आने से पहले हवाई सुरक्षा और साथ में ज़मीनी सुरक्षा की पूरी तैयारी हो गई है। प्रेसिडेंट जो बाइडेन एयरफ़ोर्स वन एयरक्राफ्ट से भारत आएंगे। यह एयरफ़ोर्स वन 4 हज़ार स्क्वायर फिट भारी-भरकम प्लेन है और तीन मंज़िला एयरक्राफ़्ट है। एयरफोर्स वन 747-200 बी सीरीज का एयरक्राफ्ट है जो उड़ता हुआ किला है जिसे भेदना बेहद मुश्किल है। इसमें हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता है। अगर कोई अटैक होता है तो ये इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स के द्वारा उसको विफल कर सकता है। एयरफोर्स वन के अंदर प्रेजिडेंट सुईट ,कांफ्रेंस रूम ,मेडिकल फैसिलिटी, 100 -150 लोगों की क्षमता है। इस प्लेन में राष्ट्रपति के साथ सीनियर एडवाइजर से लेकर सीक्रेट सर्विस एजेंट्स की टीम साथ रहती है।

दिल्ली में अपनी गाड़ी से ही चलेंगे बाइडन

अमेरिकी राष्ट्रपति दिल्ली में अपनी गाड़ी से ही चलेंगे, जिसे द बीस्ट कहा जाता है। राष्‍ट्रपति जो बाइडेन की ‘द बीस्ट’ में बख्तरबंद बाहरी हिस्सा, बख्तरबंद खिड़कियां, टॉप-स्पेक कम्‍युनिकेशंस सिस्‍टम और केवलर-रीइनफोर्स्‍ड टायर्स होते हैं। अमेरिकी राष्‍ट्रपति की इस कार में आमतौर पर 9 खास सुरक्षा सुविधाएं होती हैं। किसी तरह की दुर्घटना की स्थिति में इसमें राष्‍ट्रपति के ब्‍लड ग्रुप वाले रक्‍त की आपूर्ति करने की व्‍यवस्‍था रहती है। साथ ही इसमें ऑक्‍सीजन आपूर्ति की सुविधा भी दी गई है। इसे ‘रोलिंग बंकर’ भी कहा जाता है। इस कार पर किसी धमाके का भी कोई असर नहीं होता है। कहा जाता है कि ये कार क्षुद्रग्रह के टकराव में भी सुरक्षित रह सकती है।

दिल्ली की सड़कों पर सबसे बड़ा गाड़ियों का काफिला बाइडन का ही होगा

माना ये जा रहा है कि दिल्ली की सड़कों पर सबसे बड़ा गाड़ियों का काफिला अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का ही होगा।जी 20 शिखर सम्मेलन के आयोजन स्थल प्रगति मैदान के भारत मंडपम तक जाने वाले हर देश के प्रमुख के काफिले में 14 से ज्यादा कारें नहीं होंगी, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति के काफिले को इस मामले में थोड़ी छूट मिल सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति के काफिले में चलने वाली कारों की संख्या 15 से 25 तक हो सकती है।

राष्ट्रपति से पहले पहुंचे यूएस सीक्रेट सर्विस के एजेंट

अमेरिकी राष्ट्रपति के किसी देश की यात्रा से कई हफ्ते पहले यूएस सीक्रेट सर्विस के एजेंट वहां पहुंच जाते हैं। यहां वो सुरक्षा को लेकर हर पहलू की जांच करते हैं। इस टीम में प्रेसिडेंट स्टाफ और बाकी सुरक्षाबल मौजूद होते हैं। एयरपोर्ट से लेकर जिस होटल में राष्ट्रपति ठहरते हैं, उसमें ये एजेंट्स पहुंचते हैं। उस देश में होने वाली हर गतिविधियों पर उनकी नजरें होती हैं और वो किसी भी तरह की सुरक्षा चूक नहीं होने देते हैं।राष्ट्रपति के किसी देश में आने से पहले ये एजेंट्स उस देश की सुरक्षा एजेंसियों से सभी तरह की जानकारी लेते हैं। इस दौरान ऐसे लोगों और संगठनों की पहचान की जाती है, जिनसे राष्ट्रपति को खतरा हो सकता है। इसके साथ ही उस पूरे रूट को बम स्क्वॉड चेक करता है, जिससे राष्ट्रपति गुजरते हैं।

घोड़ों को नहीं मिल रही घास और गधे खा रहे हैं च्वयनप्राश!', पढ़िए, राजस्थान के हनुमानगढ़ में बीजेपी की जनसभा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने और क्या

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केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की विरोधी भी प्रशंसा करते हैं। नितिन गडकरी अपने बेबाक बयानों को लेकर भी ख़बरों में रहते हैं। अफसरों को खरी-खरी सुनाने एवं नेताओं को भी सीख देने को लेकर वह ख़बरों में रहते हैं। अब उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह कह रहे हैं कि घोड़ों को नहीं मिल रही घास तथा गधे खा रहे हैं च्वयनप्राश!

राजस्थान के हनुमानगढ़ में बीजेपी की जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बीजेपी की सरकार बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार को वापस लाना है। राजस्थान की तकदीर को बदलना है। अपने संबोधन के चलते नितिन गडकरी ने गधे एवं घोड़े का जिक्र किया, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है। नितिन गडकरी ने कहा, ‘एक शायर बहुत बड़ी शायरी बोलते थे। यह मैं किसी को कह नहीं रहा हूं। वह बोलते थे इधर गधे उधर गधे, सब तरफ गधे ही गधे। अच्छे घोड़े को नहीं है घास, गधे खा रहे च्यवनप्राश। समझने वाले को इशारा बहुत होता है।’ अब नितिन गडकरी का यह वीडियो वायरल हो रहा है तथा लोग इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

वही एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने लिखा, ‘गडकरी जी आप डरो नहीं खुल कर भी बोल सकते हो..आपका संकेत समझ आ गया।’ विजय प्रताप सिंह ने लिखा, ‘ये किस गधे की बात हो रही है? 2024 दूर नहीं है, अब तो खुल कर बोलिये।’ सोहिल अहमद ने लिखा, ‘गडकरी साहब, आपसे आपके ही पार्टी के नेता नाराज हो जायेंगे।’ एक अन्य ने लिखा, ‘अब तो नितिन गडकरी जी मैदान में उतर गए हैं, अब अशोक गहलोत जी की खैर नहीं है।’ आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर इस वीडियो को साझा कर कह रहे हैं कि नितिन गडकरी ने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर हमला बोल दिया है तो वहीं भाजपा के समर्थकों के अनुसार, यह बयान राजस्थान कांग्रेस के नेताओं के लिए था। हालांकि नितिन गडकरी ने किसी व्यक्ति, पार्टी का नाम ना लेकर सोशल मीडिया पर एक बहस छेड़ दी है।

श्री बदरीनाथ धाम में श्री कृष्ण जन्माष्टमी की धूम, फूलों से सजा बदरीनाथ मंदिर; उमड़ी भक्तों की भीड़, नागनाथ मंदिर में लगेगा भव्य मेला

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श्री बदरीनाथ धाम में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व से पूर्व श्री बदरीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर बदरीनाथ मंदिर में भजन कीर्तन संध्या भी होगी। श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि जन्माष्टमी हेतु मंदिर समिति ने व्यापक तैयारियां की है। श्री बदरीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया है।

जन्माष्टमी को देखते हुए हजारों तीर्थयात्री श्री बदरीनाथ धाम पहुंच रहे हैं। बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी,श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार, मंदिर अधिकारी, प्रभारी अधिकारी बदरीनाथ धाम राजेंद्र चौहान, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र प्रसाद भट्ट सहित अधिकारी- कर्मचारी, तीर्थपुरोहितगण व तीर्थयात्री मौजूद रहेंगे।

नागनाथ मंदिर में लगेगा भव्य मेला

जन्माष्टमी के पर्व पर पोखरी विकासखंड के नागनाथ मंदिर में लगेगा भव्य मेला । जिसको लेकर क्षेत्र के नागरिकों ने मंदिर में तैयारियां पूर्ण कर ली है। बताया कि यह मेला कल,आज से आयोजित होगा। पुराण के अनुसार नागनाथ नागवंशीय राजाओ की राजधानी होने के कारण इस क्षेत्र का नाम नागनाथ पड़ा।कहा जाता है कि इस क्षेत्र में पुष्कर नाग ने तपस्या की थी। इसलिए इस क्षेत्र के पर्वत का नाम पुष्कर पर्वत पड़ा है। इसी पर्वत की गोद में नागनाथ स्वामी का मंदिर स्थित है। बताया जाता है कि उन्नीसवीं सदी में मंदिर का निर्माण हुआ है।मंदिर में लक्ष्मी स्वरूप विष्णु की मूर्ति और नाग छड़ियां विराजमान है।

जन्माष्टमी पर विराजमान होती है मूर्ति

मंदिर के पुजारी जानकी प्रसाद सती बताते है, कि चोरी के भय से मूर्ति को वे घर में रखते है, और जन्माष्टमी के पर्व पर मंदिर में विराजमान करते है। साथ ही नाग की मूल प्रतिमा (नाग छड़ी) को जन्माष्टमी की सुबह ढोल नगाड़ो के साथ संपूर्ण ग्रामवासी नंगे पांव मंदिर में विराजमान कर दिनभर भजन कीर्तन संध्या का आयोजन किया जाता है। व पर्व के समापन के बाद नागछड़ी को गांव में वापस ले जाकर पूजा अर्चना की जाती है।

नौ सितंबर को हिमालय दिवस की 14वीं वर्षगांठ: टूट रहा पहाड़ का सब्र, चुनौतियां बरकरार, सामूहिक सहभागिता की है दरकार

इस वर्ष नौ सितंबर को हम हिमालय दिवस की 14वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं, लेकिन हिमालय की सुरक्षा से जुड़े तमाम संकल्प आज भी अधूरे हैं। नौ सितंबर 2010 में जब प्रदेश में हिमालय दिवस मानने की शुरूआत हुई थी, सरकार ने भी इसमें रुचि दिखाई, लेकिन बात बहुत आगे नहीं बढ़ पाई।

हिमालय दिवस पर साल-दर-साल लिए गए संकल्प आज भी अधूरे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो जब तक हिमालय के प्रति सामूहिक सहभागिता सामने नहीं आएगी, तब तक इन संकल्पों को पूरा नहीं किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों से उत्पन्न आपदाएं एक वैश्विक चिंता के रूप में उभरी हैं, जो जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर रही हैं।

हिमालय एक प्रतिष्ठित प्राकृतिक खजाना होने के साथ कई देशों के लिए संसाधनों का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है। प्रदेश में हिमालय दिवस की पहल करने वाले पर्यावरणविद डॉ. अनिल प्रकाश जोशी का कहना है कि हिमालय दिवस की अवधारणा का उद्देश्य इसके पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए जागरूकता और सामूहिक भागीदारी को बढ़ावा देना था, लेकिन अभी हम लक्ष्य से दूर हैं।

हिमालय केवल बर्फ के पहाड़ की शृंखलाभर नही

देश को पानी हवा व मिट्टी की आपूर्ति करने में हिमालय की महत्वपूर्ण भूमिका है तो जैव विविधता का भी यह अमूल्य भंडार है। जोशी के अनुसार, हिमालय केवल बर्फ के पहाड़ की शृंखलाभर नहीं, बल्कि यह स्वयं में एक सभ्यता को समेटे हुए है। ऐसी एक नहीं, अनेक विशिष्टताओं के बावजूद हिमालय और यहां के निवासियों को वह अहमियत अभी तक नहीं मिल पाई, जिसकी अपेक्षा की जाती है।

हिमालय और आपदा थीम पर मनाया जाएगा इस वर्ष हिमालय दिवस

इस बार हिमालय दिवस ””हिमालय और आपदा”” थीम पर मनाया जा रहा है। आपदाओं में दो महत्वपूर्ण हिस्से हैं, जिसमें से एक हिस्सा स्थानीय है, जिसके लिए हम विकास की योजनाओं को दोषी ठहरा सकते हैं। दूसरा हिस्सा धरती पर बढ़ते तापमान का है, जिसका सीधा असर हिमालय के जलवायु परिवर्तन पर पड़ता है। इस बार हिमाचल में आई आपदा और इससे पहले उत्तराखंड में आई आपदाएं इस ओर इशारा करती हैं कि बदलती जलवायु ने हिमालय के तामक्रम में बड़ी चोट की है।

इसलिए मनाया जाता है हिमालय दिवस

उत्तराखंड प्रदेश में नौ सितंबर 2010 को हिमालय दिवस मनाने की शुरूआत हेस्को के माध्यम से हुई थी। यह दिन हिमालय के महत्व को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। लोग हिमालय को समझे और उसका आदर करते हुए उसके साथ जिएं, तभी वह सुरक्षित रह सकता है।

हिमालयी क्षेत्र के लिए बने व्यापक नीति

पर्यावरणविद का कहना कि हिमालयी क्षेत्र देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 16.3 प्रतिशत क्षेत्र में विस्तार लिए हुए है। इसके अंतर्गत उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा व मिजोरम और केंद्र शासित राज्य लद्दाख व जम्मू-कश्मीर हैं। हिमालय सबकी आवश्यकता है। यह ठीक रहेगा तो सभी के हित सुरक्षित रहेंगे। इसी दृष्टिकोण के आधार पर हिमालय क्षेत्रों के लिए व्यापक नीति बनाने पर जोर दिया जा रहा है।

मंत्रियों को मोदी मंत्रःसनातन पर सख्ती से दें जवाब, इंडिया बनाम भारत पर बोलने से बचें

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सनातन धर्म और इंडिया बनाम भारत को लेकर देश में चल रहे विवाद के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मंत्रियों को कुछ मंत्र दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्री परिषद की बैठक में बुधवार को भारत और इंडिया विवाद पर मंत्रियों को कुछ न बोलने की हिदायत दी है। सूत्रों ने ये जानकारी दी। साथ ही शर्तों के साथ प्रधानमंत्री ने सनातन धर्म विवाद पर बोलने की छूट दी है।

देशभर में सनातन विवाद पर चल रही बहस के बीच बुधवार को पीएम मोदी ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है। सूत्रों के हवाले से बताया गया कि पीएम मोदी ने मंत्रियों को हिदायत दी है कि इस विवाद पर ज्यादा बोलने से बचें. हालांकि उन्होंने कहा कि सनातन पर सरकार के मंत्री बोंलेगे, इसका उचित और समुचित जवाब देना चाहिए, लेकिन भाषा संयमित हो। साथ ही पूरे तथ्यों के साथ जवाब दिए जाने चाहिए। यह भी बताया गया कि पीएम मोदी ने देश का नाम बदलने पर भी ज्यादा ना बोलने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि केवल अधिकृत लोग ही इस विवाद पर बोलें।

तमिलनाडु के युवा कल्याण एवं खेल मंत्री उदयनिधि ने दो सितंबर को चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में सनातन धर्म को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस संक्रमण, डेंगू और मलेरिया से करते हुए इसे खत्म किए जाने की वकालत की थी। उदयनिधि ने कहा था, सनातन धर्म लोगों को धर्म और जाति के आधार पर विभाजित करता है। सनातन धर्म का समूल नाश दरअसल मानवता और समानता को बनाए रखने के हित में होगा। उनकी इस टिप्पणी की तीखी आलोचना हुई थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस से इस बयान की निंदा करने की मांग की है। हालांकि, उदयनिधि ने बाद में दावा किया था कि उन्होंने सनातन धर्म के अनुयायियों के खिलाफ हिंसा का कोई आह्वान नहीं किया है।

पीएम मोदी ने मंत्रियों को दी 'जी-20 इंडिया' एप डाउनलोड करने की सलाह, 24 भाषाओं में करेगा काम

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9-10 सितंबर को भारत की अध्यक्षता में जी 20 शिखर सम्मेलन आयोजित होने वाला है। केन्द्र से लेकर दिल्ली सरकार तक तैयारियों में जुटी है। इससे पहले भारत सरकार ने G20 इंडिया ऐप लॉन्च किया है। विदेश मंत्रालय ने 'जी20 इंडिया' नामक मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया। यह ऐप भारत की G20 अध्यक्षता तक काम करेगा। पीएम मोदी ने बुधवार को सभी मंत्रियों को जी20 इंडिया मोबाइल ऐप डाउनलोड करने की सलाह दी। इस ऐप के जरिए मंत्रियों को विदेशी प्रतिनिधियों के साथ निर्बाध रूप से बातचीत करने में मदद मिलेगी।

पीएम मोदी ने बुधवार को नई दिल्ली में महत्वपूर्ण जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले मंत्रिपरिषद की बैठक के इसी दौरान उन्होंने सभी मंत्रियों को एप डाउनलोड करने की सलाह दी। काउंसिल ऑफ मनिस्टर मीटिंग में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने G-20 पर प्रेजेंटेशन दी। इस दौरान पीएम मोदी ने सभी मंत्रियों से समय का विशेष ध्यान देने के लिए कहा है। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने कहा कि जिन मंत्रियों की जी-20 समिट में ड्यूटी लगी है, वे वीवीआईपी कल्चर से दूर रहें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काउंसिल ऑफ मनिस्टर मीटिंग में मंत्रियों को राजधानी दिल्ली में रहने की सलाह दी।

इस ऐप से मिलेगी ये मदद

'जी20 इंडिया'ऐप के जरिए यूजर्स को जी-20 से संबंधित सभी जानकारियां हासिल होगी। इसमें जी20 इंडिया 2023 इवेंट के लिए एक कैलेंडर,मीडिया और जी20 के बारे में डिटेल में जानकारी होगी। बता दें कि यह ऐप भारत की जी 20 अध्यक्षता तक काम करेगा। इस ऐप पर आम लोगों को वर्चुअल जानकारी मिल जाएगी। ये उन लोगों के लिए फायदेमेंद है जो जी20 से जुड़ी हर पल की अपडेट देखना चाहते हैं। 

मोबाइल में नेविगेशन की सुविधा है, जो विदेशी प्रतिनिधियों को एक स्थान से दूसरे स्थान और भारत मंडपम तक जाने में मदद करेगी। वहीं, जी-20 इंडिया एप के जरिए भारतीय मंत्री विदेशी प्रतिनिधियों के साथ भाषा के साथ-साथ संचार बाधाओं को भी दूर किया जा सकता है। जी-20 इंडिया मोबाइल एप में ऐसी सेवाएं उपलब्ध हैं, जिसे लोग 24 भाषाओं में एक्सेस कर सकते हैं

हजारों लोग कर चुके डाउनलोड

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार (5 सितंबर) तक वैश्विक स्तर पर 15000 से अधिक मोबाइल ऐप डाउनलोड किए जा चुके है। जी 20 इंडिया मोबाइल ऐप प्रतिनिधियों को सभी जी 20 देशों की भाषाओं में विदेशी प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने में मदद करेगा।

भारत पूरी तरह से तैयार

भारत 9-10 सितंबर तक नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए विश्व नेता नई दिल्ली पहुंचेंगे। शिखर सम्मेलन नई दिल्ली के प्रगति मैदान में अत्याधुनिक भारत मंडपम कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया जाएगा। गौरतलब है कि भारत ने पिछले साल 1 दिसंबर को जी20 की अध्यक्षता संभाली थी और देश भर के 60 शहरों में जी20 से संबंधित लगभग 200 बैठकें आयोजित की गईं थीं।

नए संसद भवन में होगा विशेष सत्र, गणेश चतुर्थी के दिन होगी शिफ्टिंग

#specialsessionofparliamentwillheldinnewbuildingfrom19_sept

मोदी सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। अब खबरें आ रही हैं कि संसद का विशेष सत्र नए संसद भवन में होगा।समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सत्र 18 सितंबर को पुरानी बिल्डिंग में शुरू होगा, लेकिन 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के मौके पर नए संसद भवन में शिफ्ट होगा। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2020 में नई संसद की आधारशिला रखी थी। वहीं, इसी साल 28 मई को नए संसद भवन का इनॉगरेशन किया था। नए संसद के इनॉगरेशन पर तमिलनाडु से आए संतों ने पीएम मोदी को सेंगोल सौंपा था। इसके बाद पीएम ने सेंगोल को सदन में स्पीकर की कुर्सी के बगल में स्थापित किया था।नया संसद भवन कई अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है और पुराने संसद भवन की अपेक्षा काफी बड़ा भी है। त्रिभुज के आकार में बना यह संसद भवन चार मंजिल का है। इसके तहते 64,500 वर्गमीटर क्षेत्र में निर्माण किया गया है। 

क्यों बनाई गई नई बिल्डिंग

मौजूदा संसद भवन को 95 साल पहले 1927 में बनाया गया था। मार्च 2020 में सरकार ने संसद को बताया था कि पुरानी बिल्डिंग ओवर यूटिलाइज्ड हो चुकी है और खराब हो रही है। इसके साथ ही लोकसभा सीटों के नए सिरे से परिसीमन के बाद जो सीटें बढ़ेंगीं, उनके सांसदों के बैठने के लिए पुरानी बिल्डिंग में पर्याप्त जगह नहीं है। इसी वजह से नई बिल्डिंग बनाई गई है।

अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है नया भवन

यह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है, जो सदस्यों को अपने कार्यों को बेहतर ढंग से करने में मदद करेगा। नए संसद भवन से 888 सदस्य लोकसभा में बैठ सकेंगे। संसद के वर्तमान भवन में लोकसभा में 543 जबकि राज्यसभा में 250 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए संसद के नवनिर्मित भवन में लोकसभा में 888 सदस्यों और राज्यसभा में 384 सदस्यों की बैठक की व्यवस्था की गई है। दोनों सदनों का संयुक्त सत्र लोकसभा चैंबर में होगा।

4 मंजिला बिल्डिंग, भूकंप का असर नहीं

64 हजार 500 वर्ग मीटर में बना नया संसद भवन 4 मंजिला है। इसमें 3 दरवाजे हैं, इन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है। सांसदों और वीआईपीज के लिए अलग एंट्री है। नया भवन पुराने भवन से 17 हजार वर्ग मीटर बड़ा है। नए संसद भवन पर भूकंप का असर नहीं होगा। इसकी डिजाइन एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार की है। इसके आर्किटेक्ट बिमल पटेल हैं।

एक देश, एक चुनाव' के लिए गठित समिति की पहली बैठक आज, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के घर पर होगा मंथन

#firstmeetingofonenationoneelectionscommitteetoday 

एक देश-एक चुनाव के लिए केंद्र सरकार की तरफ से गठित की गई कमेटी की आज पहली बैठक होगी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के घर पर उनकी अध्यक्षता में इस अहम मुद्दे पर मंथन होगा। केंद्र सरकार ने अध्ययन के लिए शनिवार को आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति की अधिसूचना जारी की थी। यह समिति इस विषय पर गहन विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद ही यह तय किया जाएगा कि आने वाले समय में क्या सरकार देश में एक देश एक चुनाव करवा पाएगी या नहीं।

आठ सदस्यीय समिति में ये लोग शामिल

कानून मंत्रालय के मुताबिक, इस समिति का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे। समिति में गृहमंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हैं। वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी आमंत्रण के बावजूद इस समिति में शामिल होने से इनकार कर चुके हैं।वहीं, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में उच्च स्तरीय समिति की बैठकों में भाग लेंगे।

'एक देश, एक चुनाव' की संभावनाएं तलाशेगी समिति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी उच्चस्तरीय समिति एकसाथ चुनाव आयोजित कराने के बारे में संभावनाएं तलाशेगी और सिफारिशें करेगी। समिति संविधान, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और किसी भी अन्य कानून एवं नियमों की पड़ताल करेगी तथा विशिष्ट संशोधनों की सिफारिश करेगी, क्योंकि एकसाथ चुनाव कराने के उद्देश्य से इनमें संशोधन की आवश्यकता होगी। समिति इस बात की भी पड़ताल और सिफारिश करेगी कि क्या संविधान में संशोधन के लिए राज्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी। समिति त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव या दलबदल अथवा एकसाथ चुनाव की स्थिति में ऐसी किसी अन्य घटना जैसे परिदृश्यों का विश्लेषण और संभावित समाधान भी सुझाएगी।

आजादी के बाद लागू था वन नेशन, वन इलेक्शन

वन नेशन, वन इलेक्शन या एक देश-एक चुनाव का मतलब हुआ कि पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हों। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।