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सूर्य की सतह का अध्ययन आसपास की परिस्थितियां की जानकारी के साथ पांच साल तक रोजाना 1440 तस्वीर भेजेगा आदित्य L1

चांद के रहस्यों से पर्दा उठाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सूर्य के रहस्यों को दुनिया के सामने लाने की तैयारी कर ली है। आज भारत अपना पहला सूर्य मिशन लॉन्च कर दिया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य-एल1 मिशन लॉन्च करने जा रहा है। भारत आज पहला सूर्य मिशन आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से लॉन्च किया। इसरो के मुताबिक, इस मिशन को आज यानी 2 सितंबर की सुबह 11.50 पर लॉन्च किया गया।

चंद्र विजय करने के बाद से चांद की कई खूबसूरत तस्वीरें चंद सेकंड में ही हमारे पास आने लगी थी, ऐसे ही लोगों को इंतजार है कि वो पास से सूर्य की तस्वीरें ले सकें। गौरतलब है कि आदित्य एल-1 का पहला पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) लक्षित ऑर्बिट में पहुंचकर रोजाना एक हजार से अधिक तस्वीरें भेजेगा, जो अध्ययन में मददगार साबित होंगे।

केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र से पहले जारी किया नया आदेश, इन अफसरों को दिल्ली में ही रहने को कहा

 केंद्र सरकार ने संसद के विशेष सत्र से पहले अपनी सरकार के संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव, सचिव को दिल्ली में रहने को बोला है। दरअसल, सरकार ने 18 सितंबर से आरम्भ होकर 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है। ये सत्र G20 शिखर सम्मेलन के कुछ ही दिन बाद होगा। तथा ये सत्र केवल 5 दिनों का होगा। 

विशेष सत्र के एजेंडे के रूप में तो अभी कुछ भी नहीं बताया गया है, मगर संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया, अमृत काल के बीच आयोजित होने वाले इस विशेष सत्र के चलते संसद में सार्थक चर्चा को लेकर आशान्वित हैं। दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 85 (Article 85) में संसद का सत्र बुलाने का प्रावधान है। इसके तहत सरकार को संसद के सत्र बुलाने का अधिकार है। संसदीय मामलों की मंत्रिमंडल समिति फैसला लेती है जिसे राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक रूप दिया जाता है, जिसके माध्यम से सांसदों (संसद सदस्यों) को एक सत्र में बुलाया जाता है। वैसे तो सरकार के पास कई बिल हैं, मगर कुछ हैं जिन्हें लेकर मोदी सरकार की खास दिलचस्पी को समझा जा सकता है। ऐसा ही एक बिल यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर है। राजनीतिक तौर पर देखें तो UCC बिल भी केंद्र में सत्ताधारी भाजपा के लिए धारा 370 तथा मंदिर मुद्दे जैसा ही है। और उसी के आगे जनसंख्या नियंत्रण बिल का भी नंबर आता है। दोनों ही एक ही लाइन की राजनीति को साधने के साधन हैं। 

UCC को लेकर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने अब तक जो कुछ कहा है उससे यही समझ आया है कि इसे पहले भाजपा शासित प्रदेशों में ही प्रयोग के रूप में लागू किया जाएगा। उत्तराखंड में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस पर तेजी से काम भी चल रहा है। जहां तक जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे के सवाल हैं, भाजपा की राज्य सरकारें इस पर अपने अपने तरीके से बहुत आगे बढ़ चुकी हैं। इसे भी एक बिल का जामा पहनाया जा सकता है। लंबे वक़्त से महिला आरक्षण बिल लाये जाने की भी मांग होती रही है, जिसे लेकर सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी की ओर से पीएम मोदी को पत्र भी लिखे जा चुके हैं। विशेष सत्र में ये बिल लाये जाने की भी संभावना व्यक्त की जा रही है।

G20 Summit 2023: दिल्ली की हुई “किलेबंदी”, वीवीआपी मेहमानों की सुरक्षा का अचूक इंतजाम, जानें डिटेल में

#g20_summit_2023_india_tight_security

दिल्ली में इन दिनों जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियां जोर शोर से हो रही हैं। प्रशासन जी-20 शिखर सम्मेलन के मौके पर राजधानी में आने वाले विदेशी मेहमानों और वीवीआईपीस् की सुरक्षा में प्रशासन किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहता। इसलिए राजधानी दिल्ली में अगले हफ्ते होने जा रहे जी-2- सम्मेलन के लिए सिक्योरिटी के कड़े इंतजाम किए गए हैं। जमीन से लेकर आसमान तक हर जगह सुरक्षाबलों कड़ी निगरानी होगी।

अर्धसैनिक बलों के जवानों को भी सुरक्षा में तैनात किया गया

देश की राजधानी दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन की सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन की योजना महीनों से तैयार की जा रही है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए दिल्ली पुलिस मुख्य रूप से प्रमुख नोडल एजेंसी है। लेकिन सभी अर्धसैनिक बलों के जवानों को भी सुरक्षा में तैनात किया गया है।सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ के रक्षकों की पचास टीमें तैयार की गई हैं जिसमें लगभग 1000 जवान शामिल होंगे।इसके अलावा 300 बुलेटप्रुफ वाहनों को भी तैयार किया जा रहा है।कार्यक्रम स्थल के आसपास 500 से ज्यादा स्पेशल कमांडो की तैनाती रहेगी।

VVIP एयरक्राफ्ट की थ्री लेयर सिक्योरिटी होगी

G20 शिखर सम्मेलन में आ रहे अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों के राष्ट्राध्यक्षों के विमान पालम टेक्निकल एरिया में पार्क किए जाएंगे। बाकी देशों के राष्ट्राध्यक्षों के एयरक्राफ्ट IGI एयरपोर्ट पर एकांत जगह में तय की गई पार्किंग में खड़े किए जाएंगे। इन तमाम एयरक्राफ्ट की सुरक्षा कमांडोज़ के हाथों में होगी।सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि यूं तो दिल्ली एयरपोर्ट के अलावा जयपुर, लखनऊ, चंडीगढ़ और हिंडन एयरबेस के अलावा एक अन्य एयरपोर्ट को भी बैकअप के लिए रखा गया है।अधिकारियों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के एयरफोर्स-वन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के रॉयल एयर फोर्स Voyager समेत तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्षों के विमानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी CISF को सौंप दी गई है। इसके कमांडो हर वक्त इनकी हिफाजत में तैनात रहेंगे। पालम टेक्निकल एरिया में एयरफोर्स भी इनकी निगरानी करेगी। एक तरह से इन VVIP एयरक्राफ्ट की थ्री लेयर सिक्योरिटी होगी। जिससे की इनके आसपास कोई अवांछनीय तत्व न फटक सके। तमाम एयरक्राफ्ट के दिल्ली लैंड करने के बाद इनकी टंकियां फुल कर दी जाएंगी। इसके लिए एयरक्राफ्ट को कहीं जाने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि वह जहां पार्क होंगे, वहीं उनमें फ्यूल भरा जाएगा। एयरपोर्ट के अंदर एयरक्राफ्ट की सुरक्षा और ग्राउंड हैंडलिंग के लिए लगाए जा रहे तमाम कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन किया जा रहा है। ताकि इस मामले में कहीं कोई चूक या लापरवाही ना रह जाए।

'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के समर्थन में आए पंडित धीरेन्द्र शास्त्री, बोले- 'ये हमारा सौभाग्य है...'


बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का समर्थन किया है। सतना से दिल्ली जाते समय उन्होंने कहा- ''राजनीति के मामले में उनका ज्ञान अनुभव सूक्ष्म और शून्य है फिर भी आर्थिक सुधार जैसे भी हो सके होना चाहिए। बहुत कम व्यय में चुनाव हों, उसी धनराशि को निर्धन लोगों में लगाया जाए। हमारे क्षेत्र में पिछड़े लोग बहुत हैं, बहुत अच्छे अस्पताल नहीं हैं, उसमें लगाया जाए तो निश्चित तौर पर बड़ा अच्छा होगा।''

धीरेंद्र शास्त्री ने RSS प्रमुख मोहन भागवत के हिन्दू राष्ट्र वाले मुद्दे पर कहा कि यदि संघ लग गया है तो भारत को हिन्दू राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि ये हमारा एवं समूचे राष्ट्रवासियों का सौभाग्य है तथा भारत में रहने वाले हिंदुओं का सौभाग्य है कि इस देश का सबसे बड़ा संघ भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का दिव्य संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। अब संघ ने कह दिया तो हिन्दू राष्ट्र बनने ही वाला है। हिन्दू राष्ट्र बनकर रहेगा।

बता दें कि, बागेश्वर धाम सरकार एवं कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शुक्रवार को सतना जिले के मैहर स्थित मां शारदा शक्तिपीठ पहुंचे थे। यहां उन्होंने माई शारदा की पूजा अर्चना की थी। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की एक झलक पाने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। उनके साथ सेल्फी लेने वालों में भीड़ सी इकट्ठा हो गई थी। आलम यह रहा था भीड़ को नियंत्रण में करने के लिए सुरक्षाकर्मियों को पसीना आ गया था।

भारत-पाकिस्तान मैच में अगर बारिश ने डाली अड़चन और मैच रद्द हुआ तो तो क्या होगा? यहां जानिए

एशिया कप 2023 में आज (शनिवार) भारत एवं पाकिस्तान के बीच महामुकाबला खेला जाएगा। दोंनों टीमों के बीच यह भिड़ंत कैंडी के पल्लेकेले अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम में होगी। दुनियाभर के क्रिकेट प्रशंसक इस मुकाबले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। किन्तु इस मुकाबले पर बारिश का बड़ा खतरा मंडरा रहा है, जोकि प्रशंसकों के लिए बिल्कुल भी अच्छी खबर नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत-पाकिस्तान मैच के दिन कैंडी में वर्षा के साथ-साथ बिजली गिरने की भी संभावना है। वर्षा के कारण मैच के रद्द होने की भी संभावना बनती नजर आ रही है।

मौसम विभाग के मुताबिक, कैंडी में भारत बनाम पाकिस्तान बहुप्रतीक्षित मैच के चलते बारिश की संभावना वर्तमान में तकरीबन 70 प्रतिशत है। वेदर डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, दोपहर में 2:30 बजे (मैच शुरू होने से आधा घंटा पहले) लगभग 55 प्रतिशत बारिश की उम्मीद है। इस के चलते तापमान 27 के आसपास रह सकता है। वहीं इस के चलते थंडरस्ट्रोम के आने के भी आसार हैं। इसके लगभग 1 घंटे के बाद बारिश की संभावना कुछ कम होकर 50 प्रतिशत के करीब पहुंच सकती है। हालांकि इसके आगे बारिश की संभावना कम होती नजर आ रही है। इस के चलते 15 से 20 किमी प्रति घंट की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं। वहीं आर्द्रता लगभग 85 प्रतिशत हो सकती है। अंततः मैच में देरी हो सकती है तथा यदि बारिश जारी रही तो मैच रद्द होने की संभावना है।

यदि भारत बनाम पाकिस्तान मैच रद्द हो गया तो क्या होगा?

यदि मैच में बारिश खलल डालती है तो परिणाम के लिए दोनों टीमों का कम से कम 20 ओवर खेलना आवश्यक है। यदि बारिश मैच की पहली पारी के दौरान ही होती है तथा जारी रहती है तो पूरा मैच धुल जाएगा। यदि बारिश दूसरी पारी के 20 ओवर के पश्चात् होती है तो डकवर्थ लुईस नियम का उपयोग होगा तथा मैच का परिणाम आएगा। यदि बारिश से मैच धुल जाता है तो दोनों टीमों के बीच एक-एक अंक बांट दिए जाएंगे। बता दें कि पाकिस्तान पहले ही नेपाल के खिलाफ मैच जीत चुका है तथा उसके पास तीन अंक हैं। ऐसे में एक अंक लेकर भी टीम सुपर-4 के लिए क्वालिफाई कर जाएगी। वहीं, भारत को सुपर-4 के लिए क्वालिफाई करने के लिए नेपाल के खिलाफ 4 सितंबर को होने वाले मैच में किसी भी कीमत पर जीत या ड्रॉ आवश्यक होगी।

पिच रिपोर्ट

पल्लेकेले इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम की पिच पर बल्लेबाज एवं गेंदबाज दोनों को लिए सहायक है। इस पिच पर नई गेंद से तेज गेंदबाजों को स्विंग और उछाल मिलती है। ऐसे में मैच के शुरुआती ओवर्स में सलामी बल्लेबाजों को सम्भल कर खेलना होगा। इस पिच पर जैसे जैसे गेंद पुरानी होती जाएगी बल्लेबाजों के लिए रन बनाना सरल हो जाएगा। वहीं स्पिनर्स को भी मिडिल ओवर्स में सहायता मिल सकती है। बांग्लादेश-श्रीलंका मैच के चलते स्पिनरों को अच्छी खासी मदद मिली थी तथा भारत-पाकिस्तान मैच में भी स्पिनर्स का प्रभाव देखने को मिल सकता है।

भारत बनाम पाकिस्तान हेड टु हेड

बता दें कि अब तक भारत तथा पाकिस्तान के बीच 132 एक दिवसीय मुकाबले खेले जा चुके हैं, जिसमें पाकिस्ताने 73 एवं भारत ने 55 में जीत दर्ज की है। वहीं दोनों के बीच कुल 4 वनडे मैच बेनतीजा रहे हैं।

एशिया कप 2023: भारत-पाकिस्तान की टीम

भारत:

 रोहित शर्मा (कप्तान), विराट कोहली, शुभमन गिल, श्रेयस अय्यर, केएल राहुल, सूर्यकुमार यादव, तिलक वर्मा, ईशान किशन, हार्दिक पंड्या, रवींद्र जडेजा, अक्षर पटेल, शार्दुल ठाकुर, कुलदीप यादव, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज, प्रसिद्ध कृष्णा, संजू सैमसन (बैक अप)

पाकिस्तान: अब्दुल्ला शफीक, फखर जमान, इमाम-उल-हक, बाबर आजम (कप्तान), सलमान अली आगा, इफ्तिखार अहमद, तैयब ताहिर, सऊद शकील, मोहम्मद रिजवान, मोहम्मद हारिस, शादाब खान, मोहम्मद नवाज, उसामा मीर, फहीम अशरफ, हारिस रऊफ, मोहम्मद वसीम, नसीम शाह और शाहीन अफरीदी।

आज होगा सबसे बड़ा घमासान, चार साल बाद टकराएंगे भारत-पाकिस्तान

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एशिया कप 2023 का आगाज तो 30 अगस्त से ही हो चुका है। लेकिन, उसका सबसे बड़ा मुकाबला अब होगा। आज एशिया कप 2023 का तीसरा मुकाबला भारत और पाकिस्तान के बीच खेला जाएगा। चार साल बाद भारत और पाकिस्तान के बीच महामुकाबला खेला जाएगा। ये दोनों टीमें इससे पहले वनडे एशिया कप में 2018 में और वनडे फॉर्मेट में चार साल पहले 2019 के विश्व कप में आपस में टकराए थे। टीम इंडिया ने पाकिस्तान पर इन पिछले वनडे मुकाबलों में अपनी श्रेष्ठता जरूर दर्ज की, लेकिन शनिवार को एक बार फिर ये दोनों टीमें एशिया कप में जब आमने-सामने होंगी तो परिस्थितियां पांच साल के मुकाबले बदली होंगी।

कब और कहां खेला जाएगा मैच?

भारत और पाकिस्तान के बीच महामुकाबला पल्लेकल के पल्लेकल इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेला जाएगा। भारतीय समनुसार, मुकाबले की शुरुआत दोपहर 3:00 से होगी। जबकि टॉस 2:30 बजे फेंका जाएगा।भारत-पाक मुकाबले को भारत में टीवी पर स्टार स्पोर्ट्स नेटवर्क के ज़रिए लाइव प्रसारित किया जाएगा। मुकाबले की लाइव स्ट्रीमिंग डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर होगी, जहां आप मोबाइल के ज़रिए मुकाबले को फ्री में लाइव देख पाएंगे।

भारत की संभावित प्लेइंग 11 भारतीय टीम की कमान रोहित शर्मा के हाथों में है।इसके अलावा शुभमन गिल, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, ईशान किशन, हार्दिक पांड्या, रवींद्र जडेजा, कुलदीप यादव, मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज टीम में शामिल हो सकते हैं।

पाकिस्तान (प्लेइंग-11 का एलान हो चुका)

वहीं, पाकिस्तानी टीम के कप्तान बाबर आजम हैं। इसके अलावा फखर जमान, इमाम उल हक, मोहम्मद रिजवान (विकेटकीपर), अगहा सलमान, इफ्तिखार अहमद, शादाब खान, मोहम्मद नवाज, शाहीन अफरीदी, नसीम शाह, हारिस रऊफ टीम में हैं।

विराट कोहली से फिर उम्मीदें

भारत और पाकिस्तान पिछली बार मेलबर्न में टी-20 विश्व कप के दौरान आपस में खेले थे, जहां विराट कोहली हारिस की दो गेंदों पर दो छक्के लगाकर भारत को जीत की ओर ले गए थे। पाकिस्तान के खिलाफ कोई भी मुकाबला हो, विराट कोहली खुद को विशेष रूप से तैयार करके आते हैं। वह कह भी चुके हैं कि अगर आपको पाकिस्तानी गेंदबाजों का सामना करना है तो अपनी सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजी का प्रदर्शन करना होगा। पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए पिछले तीन टी-20 मैचों में विराट ने 35, 60 और 82 रन की पारियां खेली हैं। शनिवार को भी उनके बल्ले पर पाकिस्तानी गेंदबाजों की विशेष निगाहें होंगी।

भारत से पहले भी कई देश भेज चुके हैं सूर्य मिशन, नासा का पार्कर सोलर प्रोब सूरज के अध्यय के लिए साबित हुआ है मील का पत्थर

#these_countries_have_sent_solar_missions_before_india 

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) अब सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य एल-1 मिशन लॉन्च करने जा रहा है।आज यह मिशन लॉन्च किया जाएगा। आदित्य-एल1 भारत का पहला जबकि दुनिया का 23 वां सौर मिशन है। जी हां, भारत से पहेल कई देशों ने सूरज का अध्ययन करने के लिए अपने मिशन भेजे हैं। सूर्य के अध्ययन के लिए अब तक केवल अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, यूरोपीय स्पेस एजेंसी और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर ने अलग अलग और संयुक्त अंतरिक्ष अभियान भेजे हैं। जिनमें कई अलग-अलग देशों को सफलता भी मिली है। 

पहले जानते हैं कि भारत के आदित्य-एल1 मिशन के बारे में। आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला मिशन है। इसके साथ ही इसरो ने इसे पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन कहा है। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है। आदित्य एल-1 सौर कोरोना (सूर्य के वायुमंडल का सबसे बाहरी भाग) की बनावट और इसके तपने की प्रक्रिया, इसके तापमान, सौर विस्फोट और सौर तूफान के कारण और उत्पत्ति, कोरोना और कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट, वेग और घनत्व, कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र की माप, कोरोनल मास इजेक्शन (सूरज में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोट जो सीधे पृथ्वी की ओर आते हैं) की उत्पत्ति, विकास और गति, सौर हवाएं और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन करेगा।

सबसे पहले और सबसे ज्यादा मिशन भेजे हैं नासा ने

सूर्य को जानने के लिए नासा ने तीन मुख्य मिशन भेजे हैं- सोहो (सोलर एंड हेलियोस्फ़ेरिक ऑब्जर्वेटरी), पार्कर सोलर प्रोब और आइरिस (इंटरफ़ेस रिजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ़)।इसके अलावा नासा ने कई अन्य सूर्य मिशन भेजे हैं, जिनमें एस, विंड, हिनोड, सोलर डायनामिक्स ऑब्ज़र्वेटरी और स्टीरियो शामिल हैं।सोहो मिशन को नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने संयुक्त रूप से लॉन्च किया था। पार्कर सोलर प्रोब चार साल से सूर्य की सतह के सबसे क़रीब चक्कर लगा रहा है। आइरिस (इंटरफ़ेस रिजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ) सूर्य के सतह की हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें ले रहा है।सूर्य के अध्ययन में अभी तक सबसे बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ है नासा का पार्कर सोलर प्रोब मिशन, जो सूर्य के सबसे क़रीब पहुंचने वाला एकमात्र अंतरिक्षयान है।

नासा का पार्कर सोलर प्रोब मिशन

नासा ने अगस्त 2018 में पार्कर सोलर प्रोब लॉन्च किया। उसके तीन साल बाद ही इसने अपने मकसद में क़ामयाबी हासिल कर ली। नासा ने 14 दिसम्बर 2021 में एलान किया कि पार्कर सोलर प्रोब सूर्य के ऊपरी वायुमंडल से होकर गुजरा था, जिसे कोरोना कहते हैं। उसने वहां आवेशित कणों के नमूने लिये और सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र की जानकारी जुटाई। नासा ने दावा किया कि इतिहास में ये पहली बार हुआ कि किसी अंतरिक्ष यान ने सूर्य को ‘टच’ किया था। नासा कहना है कि इस अंतरिक्ष यान ने 28 अप्रैल 2021 को आठवां फ्लॉयबॉय किया (सूर्य के सबसे क़रीब उड़ान) और इसी दौरान उसने कोरोना (सौर आभा मंडल) में प्रवेश किया। इस मिशन ने जो डेटा जुटाया है उससे पता चलता है कि सोलर विंड में आड़े तिरछे जो आकार हैं, जिन्हें स्विचबैक्स कहते हैं, वे अपवाद नहीं बल्कि कॉमन हैं।

नासा का ईएसए के साथ सोलर आर्बिटर मिशन

फरवरी 2020 में नासा ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के साथ मिलकर सोलर ऑर्बिटर लॉन्च किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि सूर्य ने पूरे सौर मंडल में लगातार बदलते अंतरिक्ष वातावरण को कैसे बनाया और नियंत्रित किया। इसे 9 फ़रवरी 2020 में अंतरिक्ष में छोड़ा गया था और सात साल तक इसके काम करते रहने की संभावना है।सोलर आर्बिटर ने 30 मार्च 2022 को सूर्य के सबसे नजदीक (सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी के एक तिहाई दूरी पर) एक वीडियो बनाया है जिसे यूरोपीयन स्पेस एजेंसी ने जारी भी किया है।स्पेस एजेंसी के मुताबिक ये सूर्य के दक्षिणी ध्रुव से लिया गया है।ये अंतरिक्ष यान सूर्य और पृथ्वी की दूरी की एक चौथाई दूरी पर आम तौर पर चक्कर लगा रहा है। सोलर ऑर्बिटर 2025 में ग्रह शुक्र के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल करके अपने कक्ष में थोड़ा झुकेगा ताकि अंतरिक्ष यान के उपकरण सूर्य के ध्रुवों का अध्ययन कर सके।ये अंतरिक्ष यान सूर्य की अत्यधिक गर्मी को सहने लायक बनाया गया है। इससे सूर्य के सबसे अंदरूनी हिस्सों का अध्ययन किया जाना ताकि उसके बारे में बेहतर समझदारी हासिल की जा सके और उन चीजों के अनुमान भी लगाए जा सकें, जिनसे पृथ्वी पर जीवन संभव है। 

जापान का सूर्य मिशन

जापान की जापान एयरोस्पेस एक्स्प्लोरेशन एजेंसी ने 1981 में अपना पहला सौर अवलोकन उपग्रह, हिनोटोरी लॉन्च किया था। इसका उद्देश्य कठोर एक्स-रे का उपयोग करके सौर ज्वालाओं का अध्ययन करना था। जापान एयरोस्पेस एक्स्प्लोरेशन एजेंसी के अन्य सौर मिशनों की बात करें तो, 1991 में लॉन्च किया गया योहकोह (SOLAR-A) है, 1995 में एसओएचओ (नासा और ईएसए के साथ) और 1998 में NASA के साथ ट्रांजिएंट रीजन और कोरोनल एक्सप्लोरर (TRACE)। 2006 में हिनोड (SOLAR-B) मिशन लॉन्च किया गया था, जो परिक्रमा करने वाली सौर वेधशाला योहकोह (SOLAR-A) का अगला चरण था। जापान ने इसे अमेरिका और ब्रिटेन के साथ मिलकर लॉन्च किया था। वेधशाला उपग्रह हिनोड का उद्देश्य पृथ्वी पर सूर्य के प्रभाव का अध्ययन करना है। 

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का मिशन

अक्तूबर 1990 में, ईएसए ने सूर्य के ध्रुवों के ऊपर और नीचे अंतरिक्ष के वातावरण का अध्ययन करने के लिए यूलिसिस लॉन्च किया था। नासा और और जापान एयरोस्पेस एक्स्प्लोरेशन एजेंसी के सहयोग से लॉन्च किए गए सौर मिशनों के अलावा, ईएसए ने अक्तूबर 2001 में Proba-2 लॉन्च किया था। प्रोबा-2, प्रोबा श्रृंखला का दूसरा मिशन है। प्रोबा-2 पर चार प्रयोग थे, जिनमें से दो सौर अवलोकन प्रयोग थे। ईएसए के आगामी सौर मिशन प्रोबा-3 और स्माइल हैं जिन्हे क्रमशः 2024 और 2025 में लॉन्च किया जाएगा।

चांद के बाद इसरो ने किया सूरज का रूख, श्रीहरिकोटा से आदित्य L1 की लॉन्चिंग आज, पूरे देश में किए जा रहे हवन और यज्ञ

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चंद्रयान-3 की सफलता के कुछ दिन बाद भारत शनिवार को अपने पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल-1’ को लॉन्च करेगा। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो आज 11.50 बजे आदित्य एल1 सैटेलाइट को लॉन्च करेगा। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्चिंग होगी। आदित्य एल1 लॉन्च होने के 4 महीने बाद अपनी जगह पर पहुंचेगा। आदित्य एल 1 की लॉन्चिंग देखने बड़ी संख्या में लोग श्रीहरिकोटा पहुंच रहे हैं।वहीं दूसरी ओर आदित्य एल 1 की सफल लॉन्चिंग के लिए देशभर में लोग प्रार्थना कर रहे हैं।

पीएसएलवी रॉकेट की मदद से आदित्य एल1 अपने डेस्टिनेशन के लिए उड़ान भरेगा। मिशन की लॉन्चिंग के लिए पीएसएलवी रॉकेट के एक्सएल वर्जन का इस्तेमाल किया जाएगा। आदित्य एल 1 को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर (930,000 मील) दूर अंतरिक्ष के एक क्षेत्र में लैंग्रेज बिंदु-1 पर स्थापित किया जाएगा। यहां से भारत लगातार सूरज पर नजर रख सकेगा। ये सोलर एक्टिविटी अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन करेगा।

ऐसे चलेगा मिशन

इसरो का पीएसएलवी-सी 57 रॉकेट आदित्य-एल 1 को धरती की निचली ऑर्बिट में पहुंचाएगा। फिर इस मिशन की ऑर्बिट को ज्यादा वलयाकार बनाया जाएगा और फिर ऑन-बोर्ड प्रपल्शन के जरिये इसे एल 1 पॉइंट की ओर धकेला जाएगा। चार-पांच बार ऑर्बिट में उछाल के बाद एल1 की ओर बढ़ते हुए यह मिशन पृथ्वी के गुरुत्व बल के दायरे से बाहर चला जाएगा। इसके बाद क्रूज फेज शुरू होगा और यान एल1 के इर्दगिर्द बड़े हालो ऑर्बिट में पहुंचेगा। यह सबसे मुश्किल फेज़ है, क्योंकि यहां गति को कंट्रोल नहीं किया गया तो यह सीधे सूर्य की ओर चला जाएगा और खाक हो जाएगा। 

डेस्टिनेशन तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे

सूर्य मिशन को अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे। आदित्य-एल1 पेलोड कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, गतिशीलता और अंतरिक्ष मौसम की समस्याओं को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी देगा।

रोज 1,440 फोटो भेजेगा

आदित्य-L1 मिशन ऑब्जर्वेटरी क्लास मिशन है। यह पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित ऑब्जर्वेटरी (वेधशाला) होगी। अभी तक हम सूरज की स्टडी धरती पर लगाई दूरबीनों से कर रहे हैं। ये दूरबीनें कोडईकनाल या नैनीताल के ARIES जैसी जगहों पर लगी हैं, लेकिन हमारे पास स्पेस में टेलीस्कोप नहीं हैं। धरती की दूरबीन से हम सूरज की दिख रही सतह ही देख पाते हैं, सूरज का ऐटमॉस्फियर नहीं दिखता, जो धरती के वातावरण से काफी अलग है। सूरज के आउटर ऐटमॉस्फियर को कोरोना कहा जाता है। वह बेहद गर्म होता है। कोरोना गर्म क्यों होता है, इसकी इसकी पूरी जानकारी नहीं है। कोरोना को पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान ही देखा जा सकता है। अब हम कोरोनाग्राफ जैसा एक टेलिस्कोप VELC इस मिशन के साथ भेज रहे हैं, जो कोरोना पर 24 घंटे निगाह रखेगा और ग्राउंड स्टेशन पर रोज 1,440 फोटो भेजेगा।

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक बोले- यह बहुत चुनौतीपूर्ण

आदित्य एल-1 मिशन पर पद्म श्री से सम्मानित और इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मायलस्वामी अन्नादुराई ने कहा कि एल-1 बिंदु तक पहुंचना, उसके चारों ओर एक कक्षा बनाना और बहुत सटीक खोज आवश्यकताओं के साथ पांच वर्षों तक जीवित रहना तकनीकी रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण है। यह वैज्ञानिक रूप से फायदेमंद होने वाला है, क्योंकि सात उपकरण वहां जो हो रहा है उसकी गतिशीलता और घटनाओं को समझने की कोशिश करेंगे।

आदित्य-L1 मिशन के लॉन्च से पहले मंदिर में पहुंचे इसरो चीफ एस सोमनाथ, बोले- जल्द करेंगे चंद्रयान-4 की घोषणा

डेस्क: चंद्रमा पर फतह हासिल करने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब सूर्य मिशन की ओर बढ़ रहा है। आदित्य-L1 नाम का ये सूर्य मिशन श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से लॉन्च होने वाला है। इस मिशन का काउंटडाउन शुरू हो चुका है और इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 2 सितंबर सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा। मिशन के लॉन्च होने से पहले इसरो प्रमुख एस सोमनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंचे और इसरो के आगामी मिशन के बारे में जानकारी दी।

पूरी हो गई तैयारी

लॉन्च से पहले तिरूपति जिले के चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुंचे इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने आदित्य L1 के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, "आज से आदित्य L1 का काउंटडाउन शुरू हो रहा है और यह कल सुबह 11.50 बजे के आसपास लॉन्च होगा। आदित्य L1 उपग्रह सूर्य का अध्ययन करने के लिए है। L1 बिंदु तक पहुंचने में इसे 125 दिन लगेंगे। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण लॉन्च है।

चंद्रयान-4 की घोषणा जल्द

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने आदित्य L1 के अलावा भारत के आगामी अंतरिक्ष मिशन के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारा अगला प्रक्षेपण गगनयान अक्टूबर के पहले सप्ताह तक होगा। उन्होंने कहा कि हमने अभी तक चंद्रयान-4 को लेकर फैसला नहीं किया है, हम जल्द ही इसकी घोषणा करेंगे।

बेगूसराय में सड़क हादसे में महिला की मौत

बेगूसराय में तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने एक महिला को कुचल दिया। जिससे महिला की घटनास्थल पर ही दर्दनाक मौत हो गई। घटना के बाद परिजनों में कोहराम मच गया। मामला बीरपुर थाना क्षेत्र के असुरारी स्थित सुल्तानपुर टोला की है।

मृत महिला की पहचान बीरपुर थाना क्षेत्र के सहूरी गांव के रहने वाले शंकर पासवान की पत्नी रीता देवी के रूप में की गई है। परिजनों ने बताया कि मृतक रीता अपने माएके असुरारी जा रही थी। तभी रास्ते में ही तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने रीता देवी को कुचल दिया।

परिजनों ने बताया कि काफी देर तक वह घर वापस नहीं लौटी तो उसे ढूंढने के लिए गए तो पता चला कि सड़क दुर्घटना में रीता देवी की मौत हुई है। घटना की सूचना वीरपुर थाना पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची बीरपुर थाने की पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बेगूसराय सदर अस्पताल भेज दिया और आगे की कार्रवाई में जुटी हुई है। इस घटना के बाद परिजनों में कोहराम मच गया।

बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट