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गौरव का पल, भारत की 'चन्द्रविजय' ! ISRO ने की चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग, ये उपलब्धि पाने वाला दुनिया का पहला देश बना हिंदुस्तान

ISRO ने बुधवार को शाम को विश्वभर में इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंड कर चुका है, जो भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। भारत चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर आसानी से अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बन गया है। 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और ISRO के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिकों की 4 साल की कड़ी मेहनत और लगन आखिर रंग ले ही लाई और अब पूरी दुनिया ही नहीं चांद भी भारत की मुठ्ठी में है।  

अब ISRO ने चांद पर तिरंगा लहरा दिया है। अब बच्चे केवल चंदा मामा नहीं बुलाएंगे। चांद की तरफ देख कर अपने भविष्य के सपने को भी देखेंगे। करवा चौथ की छन्नी से भारतीय स्त्री केवल चांद को ही नहीं, बल्कि भारत की बुलंदी भी दिखेगी। Chandrayaan-3 ने चांद की दक्षिणी सतह पर अपने कदम रख दिए हैं। बीते चार वर्षों से ISRO के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिक जो मेहनत कर रहे थे, वो पूरी हो चुकी है। भारत का नाम अब विश्व के उन 4 देशों में जुड़ गया है, जो सॉफ्ट लैंडिंग में एक्सपर्ट हैं। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के पीछे वैज्ञानिकों की मेहनत के साथ ही लगभग 140 करोड़ लोगों की प्राथनाएं भी कबूल हो गई हैं।  

बता दें कि, दुनिया में अब तक चांद पर महज तीन देश सफलतापूर्वक उतर पाए थे। अमेरिका, रूस (तब सोवियत संघ) और चीन। लेकिन, ये भी दक्षिण ध्रुव पर नहीं उतरे थे। भारत के चंद्रयान-3 को सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता पाई है, तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन चुका है। वहीं, दक्षिणी ध्रुव के इलाके में लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश बनकर इतिहास रच दिया है।

चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग सफल, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत बना पहला देश, विश्वभर में रच दिया इतिहास

चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) बुधवार शाम चंद्रमा की सतह पर उतर गया। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल ने शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग की।

चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग सफल हो गई है। दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बन गया है। इसी के साथ भारत ने इतिहास रच दिया है। चांद की सतह से 50 मीटर से कम दूरी पर चंद्रयान-3। किसी भी वक्त लैंड कर सकता है।

लैंडिंग स्थल की ओर उतरना शुरू 

चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल विक्रम ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग स्थल की ओर उतरना शुरू कर दिया है।

पीएम मोदी वर्चुअली जुड़े 

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जोहान्सबर्ग से वर्चुअली जुड़ गए हैं। जानकारी के मुताबिक, लैंडर मॉड्यूल चांद की सतह से सिर्फ दो किलोमीटर की दूरी पर है।

लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की सतह की तस्वीरें साझा कीं 

 चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की सतह की तस्वीरें साझा कीं। इसरो का कहना है कि चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह से 17.8 किमी की ऊंचाई पर है।

लैंडिंग की आधी प्रक्रिया पूरी

 ISRO ने बताया कि चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम का पावर डिसेंट चरण शुरू हो गया है। लैंडिंग की आधी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। जानकारी के मुताबिक, स्वचालित लैंडिंग अनुक्रम (एएलएस) शुरू होने के बाद चंद्रयान -3 लैंडर विक्रम की ऊंचाई कम हो रही है और पावर डिसेंट चरण जारी है। एएलएस की शुरुआत के बाद लैंडर मॉड्यूल में कोई जमीनी हस्तक्षेप नहीं है।

चंद्रयान 3 : चंद्रमा पर लहराया भारत का तिरंगा, मिशन सफल, पूरे देश में झूम उठे लोग

 अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने अपना परचम लहराया। चन्द्रमा के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग ने एक नया इतिहास रच दिया है। इसके साथ ही पूरा देश खुशी से झूम उठा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसरो के वैज्ञानिकों के साथ सारे देश को बधाई दी है। 

चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) बुधवार शाम चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। ऐसा होने पर भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। सिर्फ भारतवर्ष ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया इस ऐतिहासिक पल का टकटकी लगाए इंतजार कर रही है। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है।

पावर डिसेंट शुरू

चंद्रयान-3 की लैंडिंग थोड़ी देर में हांगी। पावर डिसेंट शुरू हो गया है। अब मिशन की रफ्तार को कम किया जा रहा है। पहले चरण की प्रक्रिया 11 मिनट की है। लैंडिंग की 20 फीसदी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

एस सोमनाथ बेंगलुरु के मिशन कंट्रोल कॉम्प्लेक्स में मौजूद 

 इसरो प्रमुख एस सोमनाथ चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग देखने के लिए बेंगलुरु के मिशन कंट्रोल कॉम्प्लेक्स में मौजूद हैं।

धर्मान्तरण कानून के बाद अब NEP 2020 रद्द करेगी कर्नाटक सरकार, अपनी अलग 'शिक्षा नीति' बनाएगी कांग्रेस !

 कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ बैठक के बाद, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि राज्य सरकार, केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (NEP 2020) को खत्म करके एक नई शिक्षा नीति बनाएगी। नीति और बैठक में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों और अन्य अधिकारियों ने भाग लिया। डीके शिवकुमार ने कहा कि, हमने अपने घोषणापत्र में NEP 2020 को बंद करने का फैसला किया है। 

कांग्रेस नेता शिवकुमार ने आगे कहा कि तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों ने पहले ही इस नीति को रद्द कर दिया है और कहा कि सरकार राज्य के लिए नई शिक्षा नीति पर काम करने के लिए एक नई समिति का गठन करेगी। डिप्टी सीएम ने कहा कि, 'कर्नाटक में अच्छे मानव संसाधन हैं और यह एक ज्ञान केंद्र है। हमारे पास गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रणाली की अपनी प्रणाली है। इसलिए हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति को खत्म कर रहे हैं। हमें कोई नागपुर शिक्षा नीति नहीं चाहिए। हम एक सप्ताह के भीतर एक नई समिति बना रहे हैं और वे इस पर गौर करेंगे।' इससे पहले एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक ट्वीट में डीके शिवकुमार ने दावा किया था कि कर्नाटक में शिक्षा प्रणाली "देश के लिए एक मॉडल" है। उन्होंने कहा था कि, 'कर्नाटक में शिक्षा प्रणाली देश के लिए एक मॉडल है। यही कारण है कि बैंगलोर आज आईटी राजधानी है। हमारी शिक्षा प्रणाली के कारण राज्य के कई लोग विदेशों में अच्छे पदों पर हैं।' कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने पिछले हफ्ते की शुरुआत में कहा था कि राज्य में अगले शैक्षणिक वर्ष से NEP रद्द कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार द्वारा लागू की गई NEP अगले शैक्षणिक वर्ष से पूरी तरह से रद्द कर दी जाएगी।

सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि, 'कुछ आवश्यक तैयारी करने के बाद NEP 2020 को समाप्त करना होगा। चुनाव परिणाम आने और सरकार बनने तक शैक्षणिक वर्ष शुरू हो चुका था, इसलिए वर्ष के मध्य में छात्रों को असुविधा से बचने के लिए एनईपी को इस वर्ष भी जारी रखा गया है।' उन्होंने कहा कि NEP का छात्रों, अभिभावकों और व्याख्याताओं और शिक्षकों ने एक साथ विरोध किया है। इस साल की शुरुआत में जुलाई में, कर्नाटक के प्राथमिक शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने कहा था कि राज्य शिक्षा विभाग ने केंद्र की NEP 2020 को नहीं अपनाने का फैसला किया है, बल्कि राज्य शिक्षा नीति (SEP) को लागू करेगा।

बता दें कि जुलाई 2020 में लॉन्च की गई NEP 2020 भारत में स्कूल से डॉक्टरेट स्तर तक शिक्षा क्षेत्र में एक आदर्श बदलाव के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों का एक सेट प्रदान करती है। नई शिक्षा नीति 2020 भारत की शिक्षा नीति है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित किया गया था। सन 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला नया बदलाव था। यह नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है। 

क्या बोले केंद्रीय शिक्षा मंत्री

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कांग्रेस सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि, 'शिक्षा प्रगति का प्रतीक होनी चाहिए न कि राजनीतिक मोहरा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को बंद करने के कर्नाटक के मुख्यमंत्री के राजनीतिक रूप से प्रेरित फैसले के बारे में जानकर निराशा हुई। हमारी शिक्षा प्रणाली को विकास की जरूरत है, न कि प्रतिगमन की। एनईपी वर्षों के विचार-विमर्श का परिणाम था, जो सभी की आकांक्षाओं को दर्शाता था। कांग्रेस का यह निर्णय उसके सुधार विरोधी, भारतीय भाषा विरोधी और कर्नाटक विरोधी चरित्र को उजागर करता है। कर्नाटक ऐसे नेतृत्व का हकदार है जो प्रगति और समावेशिता को महत्व देता है, न कि क्षुद्र राजनीति को। आइए छात्रों को पहले रखें और क्षुद्र राजनीति बंद करें।'  

धर्मान्तरण कानून भी ख़त्म कर चुकी है कांग्रेस सरकार 

बता दें कि, राज्य की कांग्रेस सरकार पहले ही धर्मान्तरण कानून रद्द कर चुकी है, वो भी ऐसे समय में जब देश के विभिन्न हिस्सों से डरा-धमकाकर, लालच देकर, ब्रेनवाश करके, प्रेम जाल में फंसाकर लोगों का धर्मांतरण करने की घटनाएं लगातार सामने आ रहीं हैं। यहाँ तक कि, गेमिंग एप के जरिए छोटे-छोटे बच्चों का भी ब्रेनवाश कर उनका धर्मान्तरण किया जा रहा है, लेकिन उससे रक्षा करने का कानून अब कर्नाटक में हट चुका है। यानी एक तरह से अब कर्नाटक में धर्मान्तरण की खुली छूट है। वहीं, राज्य के पशुपालन मंत्री वेंकटेश ने गौहत्या रोकने वाले कानून की भी समीक्षा करने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि, 'जब भैंस काटी जा सकती है, तो गाय क्यों नहीं।' उन्होंने कहा था कि, हम चर्चा करेंगे और इस पर फैसला लेंगे। ऐसे में लोग सवाल कर रहे हैं कि, क्या अब राज्य सरकार गौहत्या की भी छूट देने जा रही है ?

चंद्रयान-3 को लेकर भारत में दिख रहा गजब का उत्साह, पूरी दुनिया की नजर भी टिकी, विक्रम की सफल लैंडिंग के लिए मंदिर से लेकर मस्जिद तक कामना

चंद्रयान-3 को लेकर जहां पूरे देश में उत्साह नजर आ रहा है, वहीं पूरी दुनिया की नजरें भी इस मिशन पर टिकी हैं। लैंडिंग का वक्त जैसे-जैसे करीब आ रहा है, वैसे ही लोगों की धड़कनें भी तेज हो रही हैं। विक्रम की सफल लैंडिंग के लिए मंदिर से लेकर मस्जिद तक कामना की जा रही है। 23 अगस्त को शाम छह बजकर चार मिनट पर विक्रम के चांद की सतह को छूने की संभावना है। लैंडिंग का सीधा प्रसारण भी होगा ताकि लोग इस अद्भुत नजारे को देख सकें।

भारत के तीसरे चंद्र मिशन की सफलता के लिए उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कामाख्या मंदिर में हवन का आयोजन किया गया। धार्मिक अनुष्ठान के दौरान काफी संख्या में लोग मौजूद रहे और सॉफ्ट लैंडिंग की कामना की। सोमवार को भी आगरा में भी चंद्रयान की सफलता के लिए पूजा का आयोजन किया गया था। पूरे भारत में लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इसरो का यह मिशन सफल हो और इसके लिए देशभर में विशेष तौर पर हवन किए जा रहे हैं।

ईदगाह में दोपहर की नमाज में मांगी विशेष दुआ

चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए मंगलवार को लखनऊ के ईदगाह में में हुई जोहर (दोपहर की नमाज) में दुआ मांगी गई। ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि दारुल उलूम फरंगी महल के बच्चों ने खास तौर से सफल लैंडिंग के लिए हुई दुआ में शामिल हुए। नमाज के दुआ के साथ ही इसरों के सभी वैज्ञानिकों को मुबारक बाद दी गई। मौलाना ने कहा कि हम सब दुआएं कर रहे हैं कि हमारे वैज्ञानिक सफल हों।

चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर उतरने का बेसब्री से इंतजार : विलियम्स

चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की बहुप्रतीक्षित लैंडिंग को लेकर भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने उत्साह जताया। विलियम्स ने कहा कि वह विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग को लेकर रोमांचित हैं। वह प्रज्ञान रोवर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की खोज का इंतजा कर रही हैं। नासा के अंतरिक्ष यात्री ने अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र को आकार देने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका की भी सराहना की। विलियम्स ने कहा, "चंद्रमा पर उतरने से हमें अमूल्य जानकारियां मिलेगी। भारत अंतरिक्ष अन्वेषण और चंद्रमा पर स्थायी जीवन की खोज में सबसे आगे है। यह वास्तव में रोमांचक समय है। वह इस प्रयास को चंद्रमा की संरचना और इतिहास की हमारी समझ में एक महत्वपूर्ण कदम मानती हैं।

लाइव प्रसारण के लिए छात्रों को प्रोत्साहित करें शिक्षण संस्थान : यूजीसी

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों से कहा है कि वे 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर लैंडिंग की लाइव स्ट्रीमिंग देखने के लिए छात्रों एवं शिक्षकों को प्रोत्साहित करें। यूजीसी के सचिव मनीष जोशी ने इस संबंध में 21 अगस्त को सभी विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों से आग्रह किया है। इसमें कहा गया है कि छात्रों और शिक्षक संकाय के लिए एक विशेष सभा का आयोजन किया जाए जिससे वे भी इस गौरवशाली क्षण का हिस्सा बन सकें। इस ऐतिहासिक पल के गवाह छात्र भी बन सकें इसके लिए यूजीसी ने एक कदम उठाया है।

सोने से बनाया चंद्रयान-3 का मॉडल डिजाइन

 कोयंबटूर के एक कलाकार ने 4 ग्राम सोने का उपयोग करके चंद्रयान-3 का 1.5 इंच लंबा मॉडल डिजाइन किया। मारियाप्पन नाम के कलाकार ने कहा कि उन्होंने चंद्रयान परियोजना में शामिल सभी वैज्ञानिकों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए यह मॉडल बनाया है। उन्होंने कहा कि चार ग्राम सोने का उपयोग करके मॉडल को डिजाइन किया है। इसे डिजाइन करने में 48 घंटे लगे हैं।

यूपी के सभी सरकारी स्कूलों में होगा सीधा प्रसारण

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की कि 'चंद्रयान -3' द्वारा चंद्रमा पर उतरने का पूरे राज्य में सीधा प्रसारण किया जाएगा। यूपी सरकार ने राज्य सरकार के शिक्षा मंत्रालय के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा, 23 अगस्त को शाम 5.27 बजे चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग प्रक्रिया का सीधा प्रसारण इसरो की वेबसाइट, यूट्यूब चैनल और डीडी नेशनल पर किया जाएगा। स्थिति को देखते हुए शाम 5.15 बजे से 6.15 बजे तक स्कूलों एवं शिक्षण संस्थानों में विशेष बैठकें आयोजित कर लाइव प्रसारण की व्यवस्था की जाए।

हेट स्पीच मामले में सपा नेता आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, अब नहीं देना पड़ेगा वॉयस सैंपल, निचली अदालत के आदेश पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश पर बुधवार को अंतरिम रोक लगा दी, जिसके तहत समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खान को 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती के खिलाफ कथित तौर पर नफरत भरा भाषण देने और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के मामले में आवाज का नमूना देने का निर्देश दिया गया था।

आजम की आवाज का नमूना 2007 में रामपुर के टांडा इलाके में एक जनसभा में उनके द्वारा दिए गए भाषण से मिलान के लिए मांगा गया था। इस भाषण को एक सीडी में रिकॉर्ड किया गया था। न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति पी के मिश्रा की पीठ ने इस मामले में आजम की ओर से दायर याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया।

पीठ ने कहा, ''प्रतिवादी को नोटिस जारी करें। इस बीच, निचली अदालत के 29 अक्टूबर 2022 के उस आदेश पर अंतरिम रोक रहेगी, जिसे उच्च न्यायालय ने 25 जुलाई 2023 को बरकरार रखा था।''

 आजम ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 25 जुलाई के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था। उच्च न्यायालय ने आजम की याचिका का निपटारा करते हुए मामले में रामपुर की अदालत का फैसला बरकरार रखा था। धीरज कुमार शील नाम के एक व्यक्ति ने 2007 में आजम के खिलाफ टांडा पुलिस थाने में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण)अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज कराई थी।

शील ने सपा नेता पर नफरत भरा भाषण देने और बसपा अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। रामपुर में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) और 171-जी (चुनाव के संबंध में गलत बयान देना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

पुलिस ने आजम के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की प्रासंगिक धाराएं भी लगाई थीं।

देशभर में सड़क हादसों पर लगेगी लगाम, एक अक्टूबर से होगा चालू, सरकार ने लॉन्च किया भारत NCAP, यहां डिटेल में जानिए, कैसे करेगा काम

 केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह के दौरान भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम यानी भारत NCAP को लॉन्च किया। इस कार्यक्रम में सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल विजय कुमार सिंह के साथ सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन भी उपस्थित थे। 'भारत NCAP' का लक्ष्य देश में उपलब्ध मोटर वाहनों की दुर्घटना सुरक्षा की तुलना करने के लिए उपभोक्ताओं को सशक्त बनाकर भारत में मोटर वाहनों के सुरक्षा मानकों को 3.5 टन तक बढ़ाना है। यह कार्यक्रम 1 अक्टूबर, 2023 से पूरी तरह से चालू हो जाएगा।

बता दें कि, अभी तक, भारत में कारों को भारतीय मानकीकृत क्रैश टेस्ट रेटिंग तंत्र की अनुपस्थिति में ग्लोबल NCAP रेटिंग प्रणाली का पालन करना पड़ता था। भारत NCAP के परीक्षण प्रोटोकॉल को मौजूदा भारतीय नियमों को ध्यान में रखते हुए वैश्विक प्रोटोकॉल के साथ जोड़ा जाएगा। वाहन निर्माता अपनी कारों का परीक्षण भारत की घरेलू परीक्षण सुविधाओं में करा सकेंगे। निर्माताओं या आयातक को वाहन को चयनित परीक्षण एजेंसी को भेजना होगा, जो वाहन का मूल्यांकन करेगी और मूल्यांकन रिपोर्ट नामित एजेंट को सौंपेगी। परीक्षणों में कारों के प्रदर्शन के आधार पर, उन्हें वयस्क यात्रियों (AOP) और बाल यात्रियों (COP) की सुरक्षा के लिए ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड (AIS) 197 द्वारा स्टार रेटिंग से सम्मानित किया जाएगा।

इसके बाद उपभोक्ता सुरक्षा के आधार पर खरीदारी का निर्णय लेने के लिए इन रेटिंगों की तुलना करने में सक्षम होंगे। चूंकि सुरक्षित कारों की मांग बढ़ने की उम्मीद है, इसलिए निर्माता यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि उनकी कारों की सुरक्षा अच्छी हो। यह न केवल घरेलू बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने में मदद करेगा, बल्कि भारतीय कारों को वैश्विक बाजार में बेहतर प्रतिस्पर्धा करने और निर्यात क्षमता बढ़ाने में भी मदद करेगा।

भारत NCAP के लॉन्च के दौरान गडकरी ने कहा कि लोग गुणवत्ता के प्रति जागरूक हैं। वर्तमान में, सुरक्षा के संबंध में लोगों में उल्लेखनीय स्तर की सावधानी है, साथ ही प्रदूषण के बारे में भी गहरी चिंता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि यदि कोई नया विकल्प सामने आता है, तो उसके अनुरूप विकल्प उपलब्ध होंगे, और लोग इसके लिए तैयार रहेंगे तथा ऐसे विकल्पों को अपनाएंगे। गडकरी ने कहा कि बाजार का ध्यान लागत के बजाय गुणवत्ता पर है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि वह लागत के महत्व को पहचानते हैं, लेकिन साथ ही, लोग गुणवत्ता, मॉडल और डिजाइन के बारे में सतर्क रहते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जो कंपनियां उन्नत तकनीक का उपयोग करके सराहनीय डिजाइन और मॉडल तैयार करती हैं, उनकी बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि देखी जा सकती है।

डिटेल में पढ़िए, आखिर क्यों चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के लिए चुना गया आज का ही दिन

चंद्रयान-3 की लैंडिंग कि प्रतीक्षा लगभग समाप्त होने को है। ISRO यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने संभावनाएं जताई हैं कि 23 अगस्त को शाम लगभग 6 बजे चंद्रयान 3 चांद की सतह पर लैंड कर सकता है। वही चंद्रमा पर उतरने के साथ ही भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश और चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस एवं चीन ऐतिहासिक करिश्मे को अंजाम दे चुके हैं। 

लैंडर मॉड्यूल (विक्रम) की सॉफ्ट लैंडिंग का अर्थ 6000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति को शून्य पर ले आना। इस के चलते विक्रम स्वयं को 90 डिग्री लंबवत स्थिति में चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। वही अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर लैंडिंग के लिए 23 अगस्त का दिन ही क्यों चुना गया? दरअसल, चंद्रमा पर 14 दिनों का दिन और 14 दिनों का रात होता है। अभी चंद्रमा पर रात है तथा 23 को सूर्योदय होगा। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान दोनों सोलर पैनल के उपयोग से ऊर्जा प्राप्त कर सकेंगे। लैंडर अभी चांद की कक्षा में क्षैतिज रूप से चक्कर लगा रहा है। उतरने से पहले इसे 90 डिग्री पर सीधा किया जाएगा। लैंडर चांद पर लैंडिंग करने के लिए उसी प्रकार बढ़ेगा, जैसे रॉकेट का साथ धरती से उड़ा था।

वही इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया, चंद्रयान-3 को इस प्रकार बनाया गया है कि यदि सारे सेंसर फेल हो जाए, तब भी यह लैंडिंग करेगा। दोनों इंजन बंद होने पर भी लैंडिंग में सक्षम रहेगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में बने गड्ढे हमेशा अंधेरे में रहते हैं। 30 किलोमीटर की ऊंचाई से सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया आरम्भ होगी। इसके चलते लैंडर की रफ्तार को नियंत्रित करना बड़ी चुनौती होगी। इसरो के अनुसार, लैंडिंग से पहले सुरक्षित तथा खतरा-मुक्त क्षेत्रों का पता लगाने के लिए लैंडिंग साइट की इमेजिंग की जाएगी। लैंडर क्षैतिज स्थिति में चंद्रमा की तरफ उतरेगा तथा इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग तथा कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी), बेंगलुरु में एमओएक्स के वैज्ञानिक फाइन ब्रेकिंग के लिए कमांड तैनात करेंगे। लैंडर की स्थिति को ऊर्ध्वाधर में बदल दिया जाएगा तथा उस स्थिति में, यह चंद्रमा पर मंडराएगा, तस्वीरें लेगा, लैंडिंग क्षेत्र का सर्वेक्षण करेगा तथा सुरक्षित लैंडिंग स्थान पर निर्णय लेगा।

मिजोरम में दर्दनाक हादसा, निर्माणाधीन रेलवे पुल गिरने से 17 मजदूरों की मौत, अन्य कई अभी भी लापता

 मिजोरम में बुधवार (23 अगस्त) को दर्दनाक हादसा हो गया। यहां एक निर्माणाधीन रेलवे पुल के गिरने से कम से कम 17 मजदूरों की मौत हो गई है। घटनास्थल पर कई अन्य लोगों के फंसे होने की आशंका है। जहां घटना हुई है वह जगह राजधानी आइजोल से करीब 21 किलोमीटर दूर सुबह 10 बजे के करीब हुई। घटना के समय सभी मजदूर पुल का काम कर रहे थे।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, मलबे से अब तक 17 शव बरामद किए जा चुके हैं। कई अन्य अभी भी लापता हैं।

देर से सही, पर मणिपुर में उग रहा 'शांति' का सूरज, 3 महीने तक चली हिंसा के बाद जानिए कैसे हैं हालात

देर से ही सही, लेकिन बीते 3 महीनों तक रुक-रूककर हिंसा की आग में झुलसे उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर से सुकून देने वाली ख़बरें सामने आने लगी हैं। म्यांमार से 212 विस्थापित मैतेई को सुरक्षित वापस लाने की खबर और राज्य सरकार द्वारा प्रभावित लोगों को नामित केंद्रों पर पुनर्वास करने के प्रयास से मणिपुर के लोगों में आशा की किरण जगी है। ये 212 लोग लगभग 500 मैतेई लोगों के समूह में से थे, जो भारत के मोरेह से भाग गए हैं और म्यांमार के सागांग क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में शरण लेने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर गए थे। जातीय संघर्ष भड़कने के बाद मोरेह शहर में लगभग 4500 मैतेई लोगों के घरों को आग लगा दी गई और उन पर बुलडोज़र चला दिया गया। मोरेह, जो म्यांमार के साथ सीमा साझा करता है, राज्य की राजधानी से लगभग 110 किमी दूर स्थित है।

अल्पसंख्यक तमिल और गोरखा हिंदू

बता दें कि, मणिपुर में जारी संघर्ष ने अन्य हिंदू समुदायों को काफी हद तक प्रभावित किया है। मैतेई के अलावा, मोरेह में तमिल और अन्य कुकी बहुल क्षेत्रों में गोरखा, कुकी उग्रवादी संगठनों/भीड़ की निरंतर अधीनता से जूझ रहे हैं। तमिल संगम मोरेह के महासचिव केबीएस मनियम के अनुसार, महानगरीय सीमावर्ती शहर में समुदाय के 3500 लोग और 354 घर हैं। हिंसा के पहले दिन 3 मई को कुकी भीड़ ने तमिल हिंदू और तमिल मुसलमानों के 45 घरों को आग लगा दी और नष्ट कर दिया। मणिपुर में नेपाली भाषी गोरखा को मूल निवासी माना जाता है। उनकी उत्पत्ति का पता राजा चिंगलेन नोंगड्रेनखोमाबा के शासनकाल में लगाया जा सकता है, जिन्हें गंभीर सिंह के नाम से भी जाना जाता है, जिन्होंने 1824 में 16 वीं सिलहट स्थानीय बटालियन के जवानों को मणिपुर लेवी में शामिल किया था। विशेष रूप से एक गोरखा, मेजर सूबेदार निरंजन, जिन्होंने बीर के साथ अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, टिकेंद्रजीत और जनरल गंभीर सिंह को 8 जून 1847 को फाँसी दे दी गई।  

मणिपुर में एक अन्य हिंदू समुदाय गोरखा की आबादी लगभग 64,000 है। भारतीय गोरखा परिसंघ ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंपे ज्ञापन में कहा है कि कांगपोकपी (कुकी बहुल) जिले के 154 गोरखा गांव कुकी उग्रवादियों के कब्जे में हैं। संघर्ष शुरू होने के बाद कुकी बहुल इलाकों में गोरखा लोग जबरन वसूली और अत्याचार का शिकार हो गए हैं। ज्ञापन में आगे कहा गया है कि, 'सनातन हिंदू गोरखा समुदाय वसुधैव कुटुंबकम के मूल्य में विश्वास करता है। वर्तमान जातीय संघर्ष ने शांति और शांति को भंग कर दिया है, क्योंकि कुकी द्वारा भारी जबरन वसूली और उनकी अन्य मांगें, साथ ही गोरखाओं के झुंडों को जबरदस्ती ले जाने जैसी गतिविधियां वर्तमान समय के सामान्य मामले बन गए हैं।'

इससे यह भी पता चला कि सभी कुकी उग्रवादी समूह, जो केंद्र और राज्य सरकारों के साथ ऑपरेशन सस्पेंशन (SOO) के तहत हैं, अत्याधुनिक हथियारों की खरीद में शामिल हैं। हिंसा से प्रभावित नेपाली भाषी गोरखा समुदाय सुरक्षित क्षेत्रों में भाग गए हैं। लंदन स्थित इंटरनेशनल गोरखा फोरम (IGF) ने भी मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में गोरखा समुदाय से "असहनीय और अस्वीकार्य" जबरन वसूली के लिए कुकी उग्रवादियों की कड़ी निंदा की है। गोरखा समुदाय की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए IGF मीडिया संयोजक, भारत बेलबेस ने मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में लगातार नकदी और वस्तुओं की उगाही, लूट और उत्पीड़न के लिए सक्रिय कुकी उग्रवादियों की निंदा की, जो मणिपुर में शांतिप्रिय गोरखा समुदाय की तटस्थता के लिए सीधा खतरा पैदा करते हैं। IGF ने उचित सीमा तक पहुंच चुके कुकी उग्रवादियों को आपसी आस्थाओं का सम्मान करने और गोरखा की तटस्थता को कमजोरी की निशानी के रूप में न लेने की चेतावनी भी दी है।

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ समय से तलहटी में भारी गोलीबारी की सूचना नहीं मिली है। घाटी के कई इलाके शांतिपूर्ण बने हुए हैं। हालाँकि, 21 अगस्त को दोपहर करीब 2 बजे संदिग्ध कुकी आतंकवादियों और एक अज्ञात सशस्त्र समूह के बीच भारी फायरिंग शुरू हो गई, जब कुकी आतंकवादियों ने इंफाल पूर्व के सबुंगखोक खुनौ की ओर गोलीबारी की थी। 20 अगस्त को, कुकी उग्रवादियों ने शाम करीब 5.10 बजे कासोम तम्पाक और ग्वालताबी के बीच स्थित एक पहाड़ी के ऊपर से चंदोनपोकपी गांव की ओर गोलीबारी शुरू कर दी थी। कामजोंग जिले के अंतर्गत थवई गांव में, कथित तौर पर कुकी सशस्त्र समूह से जुड़े कम से कम तीन आतंकवादी 19 अगस्त को सुबह लगभग 5 बजे अज्ञात हथियारबंद लोगों के साथ गोलीबारी के दौरान मारे गए थे।

बता दें कि, घाटी क्षेत्रों में, मैतेई महिलाओं ने आंदोलन के अहिंसात्मक रूपों का सहारा लिया है। थवाई मीरेल महिला विंग ने 21 अगस्त से एक रिले सामूहिक भूख हड़ताल शुरू की है। इस तरह की लोकतांत्रिक पहल को कई लोगों ने शांति की दिशा में एक कदम के रूप में अच्छी तरह से स्वीकार किया है। कुकी समुदाय भी अलग राज्य की अपनी पिछली मांग से थोड़ा पीछे हटता दिख रहा है। और, 29 अगस्त से शुरू होने वाले मणिपुर विधान सभा के प्रस्तावित सत्र के साथ, मणिपुर के लोग चल रहे जातीय संघर्ष के दीर्घकालिक समाधान और राज्य में सामान्य स्थिति की वापसी की उम्मीद कर रहे हैं।