सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीड़िता को दी गर्भपात की अनुमति, कहा-शादी से पहले 'मां' बनना, मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
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सुप्रीम कोर्ट ने एक रेप पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है। गर्भपात की अनुमति के लिए दायर की गई याचिका को गुजरात हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था, ऐसे में उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने कहा है कि अगर भ्रूण जीवित पैदा होता है तो सरकार प्रयास करे कि वह जिंदा रह सके।
सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीड़िता को गर्भपात कराने की अनुमति तो दे दी और इसके साथ ही बड़ी टिपण्णी भी की है। कोर्ट ने कहा कि गर्भावस्था किसी परिवार के लिए ख़ुशी का स्त्रोत होता है, लेकिन कई बार यह बेहद ही दुखी करने वाला होता है।कोर्ट ने कहा कि भारतीय समाज में, विवाह संस्था के भीतर, गर्भावस्था एक जोड़े और समाज के लिए बेहद ही खुशी का पल होता है। लेकिन शादी के बिना या महिला के बिना मर्जी के होने पर उसके मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। इसलिए इस मामले में कोर्ट महिला के गर्भपात की अनुमति देता है।
भ्रूण जिंदा मिलने पर कोर्ट का ये आदेश
पीठ ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट के मद्देनजर हम पीड़िता को गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देते हैं। आगे कहा कि यदि भ्रूण जीवित पाया जाता है, तो अस्पताल भ्रूण के जीवित रहने को सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक सहायता देगा। यदि यह जीवित रहता है, तो राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएगा कि बच्चे को गोद लिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट की भी आलोचना
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता से जुड़े एक मामले में आदेश देने पर गुजरात हाईकोर्ट को फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट की आलोचना करते हुए कहा था कि बहुत कीमती वक्त बर्बाद हो गया है। ऐसे मामलों में फौरन फैसला होना चाहिए।
यह है मामला
बता दें, एक दुष्कर्म पीड़िता ने गर्भपात कराने की इजाजत मांगी थी, जिस पर गुजरात हाईकोर्ट ने शनिवार को उसे राहत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को आज के लिए सूचीबद्ध किया था। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को एक विशेष बैठक में पीड़िता की गर्भावस्था को समाप्त करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसकी दोबारा मेडिकल जांच का आदेश दिया था और अस्पताल से 20 अगस्त तक रिपोर्ट मांगी थी।
गुजरात की दुष्कर्म पीड़िता 25 साल की है। पीड़िता का दावा है कि 04 अगस्त को उसे अपनी गर्भ का पता चला। जिसके बाद उसने 07 अगस्त को कोर्ट में अर्जी लगाआ थी। कोर्ट ने बोर्ड बनाया और 11 अगस्त को रिपोर्ट आई। बोर्ड हमारी दलील के समर्थन में था। लेकिन गुजरात हाई कोर्ट ने सरकार की नीति के हवाले देकर अर्जी को खारिज कर दी थी।
Aug 21 2023, 13:58