विश्व जनसंख्या दिवस: जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रति जागरूकता के लिए साइकिल रैली का आयोजन
गया। प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस का थीम ‘लैंगिक समानता की शक्ति को उजागर करना, हमारी दुनिया की अनंत संभावनाओं को अनलॉक करने के लिए महिलाओं और लड़कियों की आवाज का उपर उठाना‘ है.
संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1989 में इस दिवस को मनाने का निर्णय लिया गया था. इस दिवस के मौके पर मंगलवार को आमजन में जनसंख्या के बढ़ते दबाव तथा परिवार नियोजन के फायदों के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से सदर अस्पताल परिसर में जागरूकता सह साइकिल रैली तथा परिवार नियोजन मेला का आयोजन किया गया. साइकिल रैली को सिविल सर्जन डॉ रंजन कुमार सिंह, जिला पार्षद मीणा कुमारी, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक मनीष कुमार, डॉ उदय मिश्र, डॉ प्रियंका कुमारी एवं पीएसआई इंडिया के प्रोग्राम मेनेजर अजय कुमार ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
इस रैली में स्थानीय कॉलेज की छात्राओं सहित आशा कार्यकर्ता एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने भाग लिया. रैली में शामिल छात्राओं तथा अन्य लोगों ने परिवार नियोजन से सम्बंधित नारे का प्ले कार्ड भी प्रदर्शित किया. वहीं अस्पताल परिसर में परिवार नियोजन मेला उद्धाटन का सिविल सर्जन डा रंजन कुमार सिंह, सीडीओ डॉ पंकज कुमार सिंह तथा अस्पताल उपाधीक्षक डा चंद्रशेखर प्रसाद ने संयुक्त रुप से फीता काटकर किया तथा सारथी रथ को भी रवाना किया गया.
पुरुषों की सहभागिता बढ़ाने पर दिया बल
सिविल सर्जन ने कहा कि परिवार नियोजन का सीधा और सकारात्मक असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है. परिवार नियोजन में पुरुष और महिलाओं की सहभागिता समान रूप से होने पर बच्चे भी स्वस्थ्य होते हैं. पुरुषों को परिवार नियोजन को लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है. पुरुष सुखी, संपन्न और संगठित परिवार के लिए परिवार नियोजन के महत्व को समझें. परिवार नियोजन न सिर्फ जन्म—दर में कमी लाती है बल्कि माताओं के स्वास्थ्य में सुधार, परिवार के जीवन स्तर को उपर उठाने, शिक्षा में इजाफा आदि में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है. बताया कि सारथी रथ की मदद से जिले में परिवार नियोजन के फायदों की जानकारी लोगों को दी जायेगी. पीसीआई प्रोग्राम मैनेजर ने बताया कि शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कॉपर टी सहित अन्य अस्थायी साधनों की सेवा सुनिश्चित की गयी है. साथ ही आशा कार्यकर्ता घर घर घूमकर योग्य दम्पति से संपर्क कर परिवार नियोजन की आवश्यक सेवाएं मुहैया करा रही है.
क्या कहता है नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे का आंकड़ा
एनएफएचएस 5 की रिपोर्ट के मुताबिक कंट्रासेप्टिव प्रीवेंलेंस रेट यानि परिवार नियोजन साधनों के इस्तेमाल का दर में जिला का स्थान चौथे नंबर पर है. जिला में 15 से 49 वर्ष आयुवर्ग की 53 फीसदी महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों का इस्तेमाल करती हैं. एनएफएचएस 4 की तुलना में एनएफएचएस 5 में महिला बंध्याकरण की संख्या में दस फीसदी का इजाफा हुआ है. वर्तमान में जिला में महिला बंध्याकरण 41.5 प्रतिशत है. दो प्रतिशत महिलाएं गर्भनिरोध के लिए गोली का इस्तेमाल करती हैं. एनएफएचएस 4 में कंडोम इस्तेमाल करने वाले पुरुषों का आंकड़ा 1.1 प्रतिशत था जबकि एनएफएचस 5 में कंडोम इस्तेमाल करने वाले पुरुषों की संख्या 4.4 प्रतिशत हो गयी है.
Jul 12 2023, 13:58