पूर्व सांसद डॉ० मोनाजिर हसन ने जदयू के प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा, लगाया यह गंभीर आरोप
पटना : जदयू के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद डॉ. मोनाजिर हसन ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस बात की जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी है।
उन्होने प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है, मैं डॉ मोनाजिर हसन जद (यू) की प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र देने का आज ऐलान कर रहा हूँ। इसकी सुचना मैंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपना त्याग पत्र भेज चुका हूँ। मेरे इस्तीफा देने के पीछे मुख्य कारण है कि पार्टी अपने मूल सिद्धांतो से भटक गयी है और ऐसा प्रतीत होता है की पार्टी को हमारे जैसे निष्ठावान कार्यकर्ताओं की जरूरत ही नहीं है। चंद स्वार्थी लोगो ने पार्टी को अपने वश में कर लिया है जो पार्टी को दीमक की तरह चाट रहे हैं।
उन्होंने आगे लिखा है कि हजारो कार्यकर्ताओ के बलिदान से जिस पार्टी का निर्माण किया गया था उसी पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को अपमानित और पार्टी विरोधी ताकतों को सम्मानित किया जा रहा है। पार्टी के 90 प्रतिशत कार्यकर्ता आज घुटन महसूस कर रहे हैं। इधर राष्ट्रीय जनता दल में भी मुसलमानों के लिए कोई जगह नहीं बच गयी है। उसे न तो मंच पे जगह दी जा रही है और न ही सरकार, संगठन में हिस्सेदारी दी जा रही है। अगर कोई हिस्सेदारी दी भी गई है तो वो भी खरीद-फरोत के माध्यम से ही। जैसा की आम चर्चा में भी है कि राज्यसभा की कुछ सीटें पैसों के लेन-देन से ही संभव हो पाया है।
जैसा की बीते दिनों बिहारशरीफ में दंगाइयों के द्वारा ऐतिहासिक मदरसा अजीजिया को जला दिया गया और मुसलमानों के मसीहा होने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव आज की तारीख तक जायजा लेने वहा नहीं पहुंच पाए। प्रभावित लोगों को मुवावजा तो दूर की बात है। जिनकी दुकाने जली, रोजी रोजगार छीने गये उन्हें सरकार ने अभी तक एक धेला तक नहीं दिया। माय समीकरण सिर्फ कहने भर ही है। सच तो ये है की मुसलमानों को महागठबंधन में सम्मान नहीं मिल रहा है। जैसे इफ्तार पार्टी में मुस्लिम नेताओं को फ्रंट में जगह तक नहीं दी गयी, लगभग 18 प्रतिशत आबादी का सिर्फ इन्हें वोट चाहिए मुस्लिम नेता नहीं ।
मोनाजिर हसन ने राजद पर गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा है कि राजद का अपने पूर्व सांसद स्व० मोहम्मद शहाबुद्दीन के साथ कैसा व्यवहार रहा ये जग जाहिर है। उनका जनाजा तक पार्टी ने बिहार लाने का प्रयास नहीं किया। दो दिनों तक उनका पार्थिव शारीर दिल्ली के अस्पताल में पड़ा रहा और इस बीच उनके परिवार वालो ने काफी मुस्तकत की, लेकिन तथाकथित सेक्ल्युरिजम का ढोंग करने वाले झांकने तक नहीं गये। आखिरकार उन्हें दिल्ली कि ही मिट्टी में सुपुर्दे ए खाक कर दिया गया। यहां तक की उनकी पूर्ण तिथि (1 मई) में राजद ने उन्हें याद तक नहीं किया, बिराज ए अकीदत के बतौर राजद ने उनकी तस्वीर पर एक फूल भी चढ़ाना गवारा नहीं समझा।
मुसलमानों को आज सबसे अधिक नुकसान धर्मनिरपेक्ष दलों से ही पहुंचा है। इनका काम सिर्फ भाजपा से डराना रह गया है। डर की राजनीति से मुसलमान को बाहर निकलना होगा। आज महागठबंधन में बड़े-बड़े मुस्लिम नेता हाशिये पर डाल दिए गए हैं। लोकसभा, विधानसभा चुनाव में समुचित हिस्सेदारी नहीं दी जा रही है। मुस्लिम संगठन ठप पड़े हैं। अल्पसंख्यक आयोग बिहार, उर्दू अकादमी, उर्दू परामर्शदात्री समिति, मदरसा एजुकेशन बोर्ड वर्षों से रिक्त है उर्दू और मुस्लिम समाज के विकास से जुड़े संस्थानों में चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हो रही है। यही मुसलमानों की हमदर्द सरकार है? मुस्लिम मंत्रियो का कोई वजूद नहीं है, जिन मुस्लमान को बिहार सरकार में मंत्री बनाया गया उस विभाग का कोई अस्तित्व ही नहीं है। केवल नाम का मंत्री बना कर मुसलमानों को बेवकूफ़ बनाने का काम किया गया है।
वहीं पार्टी की अनदेखी और पार्टी के द्वारा अपमानित करना मेरी तीन दशक की राजनीती और प्रतिष्ठा के खिलाफ है। ऐसे पार्टी में रहने का कोई मतलब नहीं, जंहा आपकी राजनीती शक्खसियत की कोई कद्र न हो, जबकि मुझे अपने राजनीती सफ़र में एक बार बेगुसराय लोकसभा से सांसद एवं चार बार मुंगेर विधानसभा से विधायक निर्वाचित होने के साथ दो-दो बार बिहार सरकार में मंत्री बनने का मौका भी मिला।
बिहार एवं देशहित में बहुत जल्द ही मैं अपने समर्थको के साथ विचार-विमर्श कर कोई ठोस निर्णय लूंगा और समर्थको की जो राय होगी वही मुझे स्वीकार होगा।
May 29 2023, 09:51