कर्नाटक में नहीं चला मोदी का मैजिक, क्या हैं बीजेपी की हार के कारण ?
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कर्नाटक की जनता ने अपना “किंग” चुन लिया है। राज्य में कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है।मतदाताओं ने अपने 38 सालों के रिवाज को बरकरार रखते हुए बीजेपी को बड़ा झटका दिया है।कर्नाटक में साल 1985 के बाद से लगातार पांच साल से ज्यादा कोई भी पार्टी सरकार में नहीं रही है।मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि इसपर मंथन किया जाएगा।पार्टी हार के कारणों पर मंथन करती रहेगी, उससे पहले हम जानते हैं बीजेपी के हाथ से कर्नाटक के जाने का कारण।
बजरंग बली वाला मुद्दा नहीं आया काम
राज्य में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से प्रचार अभियान की अगुवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे थे। उन्होंने प्रचार के दौरान भगवान बजरंग बली का अपमान को प्रमुख मुद्दा बनाया। प्रधानमंत्री मोदी की औसतन हर दिन तीन से चार चुनावी सभाएं होती थीं और इस दौरान पार्टी का मुख्य मुद्दा बजरंग बली के इर्द-गिर्द बना रहा। हालांकि परिणाम के रुझान को देखते हुए ये साफ लग रहा है कि बीजेपी का बजरंग बली वाला मुद्दा कर्नाटक की जनता पर कुछ खास असर नहीं कर पाया है। वहीं,कांग्रेस ने डैमेज कंट्रोल कर अपनी मंशा साफ कर दी
भ्रष्टाचार ने तोड़ा भरोसा
बीजेपी पर 40 फीसदी कमीशन की सरकार का आरोप चस्पा होते दिखा है। बीजेपी एक तरफ इश्वरप्पा की पीठ थपथपाते दिखी, वहीं येदियुरप्पा को स्टार कैंपेनर बना पार्टी की रणनीति को लेकर कन्फ्यूज नजर आई। दरअसल कांट्रेक्टर एसोसिएशन, स्कूल एसोसिएशन और लिंगायत मठ द्वारा सरकार पर गंभीर कमीशन खोरी का आरोप पार्टी के लिए हानिकारक साबित हुआ है। इसलिए बीजेपी राज्य में अपने कैंपेन को मजबूत आधार देकर भी जीत में तब्दील करने में नाकामयाब रही है। वासवराज बोम्मई पर ‘पेसीएम’ का आरोप चस्पा हो चुका था। लेकिन बीजेपी के शीर्ष नेताओं द्वारा उन्हें सीएम के उम्मीदवार के रूप में इंडोर्स करना भी बीजेपी के खिलाफ गया है। कांग्रेस की ओर से ‘पेसीएम’ कैंपेन चलाए जाने के बाद बीजेपी एमएलए के पास से आठ करोड़ बरामद होना बीजेपी के खिलाफ जोरदार माहौल बनाने में कामयाब साबित हुआ है।
येदियुरप्पा, शेट्टार, सावदी को नजरअंदाज करना पड़ा भारी
कर्नाटक में बीजेपी को खड़ा करने में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने जो भूमिका निभाई, वो किसी से छिपी नहीं है। लेकिन इस बार येदियुरप्पा को कर्नाटक चुनाव में लगभग साइड लाइन कर दिया गया। वहीं, जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी का बीजेपी ने टिकट काटा, तो दोनों कांग्रेस में शामिल हो गए। येदियुरप्पा, शेट्टार, सावदी तीनों ही लिंगायत समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं, जिन्हें नजर अंदाज करना बीजेपी को महंगा पड़ गया।
हिजाब का मुद्दा नहीं आया काम
कर्नाटक में चुनाव से एक साल पहले ही बीजेपी सरकार ने शैक्षणिक परिसरों में हिजाब पहनकर आने पर बैन लगा दिया था। सरकार के इस कदम पर राज्य में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन किए गए। वहीं जब चुनाव नजदीक आए तो बीजेपी ने हिजाब और हलाल के मुद्दे से पूरी तरह किनारा कर दिया। प्रचार के दौरान पार्टी ने कहीं भी हिजाब या हलाल का जिक्र नहीं किया, क्योंकि बीजेपी पहले ही मान चुकी थी हिजाब जैसे मुद्दों से पार्टी को नुकसान ही होगा।
May 13 2023, 18:21