*आडंबर नहीं भाव से मिलते हैं भगवान: स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती*
लखनऊ। जानकीपुरम विस्तार में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का छठा दिन भगवान के प्रति गोपियों के अप्रतिम प्रेम के नाम रहा। कथा व्यास स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती जी महाराज ने भगवान कृष्ण की अनेक लीलाओं का विशद वर्णन कर प्रेम की महत्ता का प्रतिपादन किया।
उद्धव गोपी संवाद का सजीव खाका खींच महाराज श्री ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।महाराज श्री ने कहा कि भगवान कृष्ण ने अपनी लीलाओं से सदैव यह संदेश दिया कि हमें वर्तमान का प्रत्येक क्षण जीते हुए न तो अतीत का पश्चाताप हो और न भविष्य का भय।
उन्होंने प्रेस के अद्भुत स्वरूप का दिग्दर्शन कराया जिसमें आज तक आकण्ठ डूब कर अश्रु बहाता है उनका हर कार्य संसार को कोई न कोई संदेश देने वाला है। उन्होंने कभी भी संघर्षों से मुंह नहीं मोड़ा और उनका डटकर मुकाबला किया।उनको जानने और पाने के लिए उनमें डूबना होता है।
गोपियों ने सिद्ध कर दिया कि भगवान आडंबरों के नहीं,भाव के भूखे हैं।ज्ञानाडंबर में सने उद्धव को तमाम प्रयासों से जो अप्राप्य है वहीं गोपियों की प्रेम गली में नर्तन करते दिखता है।
कंस वध के अलावा जरासंध और कालयवन के विरुद्ध उन्होंने लकीरों को मिटाकर रणछोड़ कहलाना स्वीकार किया परन्तु आततायियों के विनाश को सुनिश्चित किया। कथा के उत्तरार्ध में स्वामी जी ने कृष्ण और रुक्मिणी विवाह की विस्तृत चर्चा की।
इस मौके पर प्रस्तुत झांकी ने श्रोताओं को उस कालक्रम से इस तरह जोड़ दिया कि हर व्यक्ति स्वयं को उक्त विवाह का साक्षी अनुभव कर रहा था।पूरा पाण्डाल कुछ क्षणों के लिए वैवाहिक लोकाचारों का केंद्र बन गया। अपने को जनाती/बाराती समझ श्रोता झूम झूम कर हर्ष प्रदर्शन करने लगे।
गोपी गीतों और भ्रमर गीतों से शुरू आज की कथा विवाह गीतों एके लालित्य पर समाप्त हुई।कल कथा का अंतिम दिन है। इसके बाद दो दिनों तक इसी स्थान पर विराट संत सम्मेलन व भंडारा आयोजित होगा।
Apr 26 2023, 19:17