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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, 2026 में GDP में 6.3-6.8% वृद्धि का अनुमान

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बजट से एक दिन पहले शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 को पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया तो लोकसभा अध्यक्ष ने लोकसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी। राज्यसभा में भी वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही भी स्थगित कर दी गई।

सर्वेक्षण में FY26 के लिए भारत की GDP वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। जीएसटी संग्रह में 11 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है, जो 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यह सर्वेक्षण नीतिगत सुधारों और आर्थिक स्थिरता की दिशा में सरकार के प्रयासों को रेखांकित करता है। सरकार का अनुमान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के 6.5% अनुमान के करीब है, लेकिन विश्व बैंक के 6.7% अनुमान से कम है।

सर्वे के मुताबिक, जीएसटी संग्रह में भी उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है। 2024-25 के लिए जीएसटी संग्रह 11% बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, पिछले तीन महीनों में राजस्व वृद्धि में मंदी देखी गई है, जिसके कारण वित्त वर्ष 26 के अनुमानों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सरकार ने नीतिगत ठहराव को दूर करने और आर्थिक सुधारों को गति देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

क्या है आर्थिक सर्वेक्षण

आर्थिक सर्वेक्षण सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के लिए प्रस्तुत किया जाने वाला एक वार्षिक दस्तावेज है। यह दस्तावेज अर्थव्यवस्था की अल्पकालिक से मध्यम अवधि की संभावनाओं का भी अवलोकन प्रदान करता है। आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है।

कल होगा बजट पेश

शनिवार को वित्त मंत्री सीतारमण मोदी 3.0 सरकार का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी, जिसमें आयकर स्लैब में बदलाव, बुनियादी ढांचा क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा, ग्रामीण विकास और शिक्षा क्षेत्र के लिए बड़े आवंटन की उम्मीदें हैं। बजट दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए नीतिगत बढ़ावा दे सकता है, जिसकी शहरी मांग में कमी और कमजोर मुद्रा के कारण मुद्रास्फीति के जोखिम के बीच चार साल में सबसे धीमी वृद्धि दर दर्ज होने की उम्मीद है।

मनमोहन स‍िंह ने वित्त मंत्री बनकर ऐसे पलट दी बाजी, देश को गंभीर आर्थिक संकट से निकालने में निभाई अहम भूमिका

#manmohan_singh_mortgage_gold_when_the_treasury_was_empty_after_becoming_finance_minister 

देश में आर्थिक सुधारों का सूत्रपात करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। वह 92 साल के थे और उन्होंने गुरुवार रात एम्स में अंतिम सांस ली। देश को गंभीर आर्थिक संकट से निकालने में मनमोहन सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। मनमोहन सिंह ने 24 जुलाई 1991 को ऐसा बजट पेश किया था जिसने हमेशा के लिए देश की दिशा और दशा को बदल दिया था।

साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन स‍िंह को आर्थिक उदारीकरण के जनक के रूप में जाना जाता है। 1991 में जब मनमोहन स‍िंह ने व‍ित्‍त मंत्री के तौर पर अपना कार्यभार संभाला तो देश गहरे आर्थ‍िक संकट से गुजर रहा था। देश के खजाने में महज 89 करोड़ डॉलर की व‍िदेशी मुद्रा रह गई थी। इससे केवल दो हफ्ते का आयात का खर्च चल सकता था। ऐसे समय में व‍ित्‍त मंत्रालय की बागडोर संभालने वाले मनमोहन स‍िंह ने अपने फैसलों से आर्थ‍िक मोर्चे पर देश को मजबूत क‍िया।

तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने देश के कठ‍िन आर्थ‍िक पर‍िस्‍थ‍ित‍ि में होने के दौरान काफी उम्‍मीद के साथ मनमोहन सिंह को व‍ित्‍त मंत्रालय की जि‍म्‍मेदारी सौंपी थी। इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव रहे पीसी अलेक्जेंडर के कहने पर नरसिम्हा राव ने मनमोहन स‍िंह को व‍ित्‍त मंत्री बनाया था। ज‍िस समय देश के पास 89 करोड़ डॉलर का व‍िदेशी मुद्रा भंडार बचा तो उन्‍हें कई कठोर फैसले लेने पड़े। उस दौर में देश को अपने आयात का खर्च पूरा करने के ल‍िए अपना सोना विदेश में गिरवी रखना पड़ा था। उस दौर में डॉ. सिंह ने वित्त मंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान 1991 में आर्थिक उदारीकरण को शुरू क‍िया और मुश्‍क‍िल में फंसी अर्थव्यवस्था को बाहर न‍िकालने में कामयाब हुए।

साल 1991 में प्रधानमंत्री बनने से दो दिन पहले नरसिंह राव को कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा ने एक नोट दिया था जिसमें बताया गया था कि भारत की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। 20 जून, 1991 की शाम नवनियुक्त प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से उनके कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा मिले और उन्हें 8 पेज का एक टॉप सीक्रेट नोट दिया। इस नोट किन कामों को प्रधानमंत्री को तुरंत तवज्जो देनी चाहिए, उनका जिक्र था। जब राव ने वो नोट पढ़ा तो हक्का-बक्का रह गए। उन्होंने चंद्र से पूछा-.'क्या भारत की आर्थिक हालत इतनी खराब है ?' चंद्रा का जवाब था, 'नहीं सर, वास्तव में इससे भी ज्यादा खराब है।' उस समय भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की हालत इतनी खराब थी कि वो अगस्त, 1990 तक यह 3 अरब 11 करोड़ डॉलर ही रह गया था।जनवरी, 1991 में भारत के पास मात्र 89 करोड़ डॉलर की विदेशी मुद्रा रह गई थी जिससे महज दो सप्ताह के आयात का खर्चा ही जुटाया जा सकता था। 1990 के खाड़ी युद्ध के कारण तेल की कीमतों में तिगुनी वृद्धि हुई थी। कुवैत पर इराक के हमले की वजह से भारत को अपने हज़ारों मज़दूरों को वापस भारत लाना पड़ा थ। नतीजा ये हुआ था कि उनकी ओर से भेजी जाने वाली विदेशी मुद्रा पूरी तरह से रुक गई थी। ऊपर से भारत की राजनीतिक अस्थिरता और मंडल आयोग की सिफारिशों के खिलाफ उभरा जन आक्रोश अर्थव्यवस्था को कमजोर किए जा रहा था। देश को इस कठिन हालात से बाहर लाने के लिए उस समय देश के प्रधानमंत्री रहे पीवी नरसिम्हा राव ने डॉ. मनमोहन सिंह को चुना था।

डॉ. सिंह ने 24 जुलाई 1991 को ऐतिहासिक बजट को पेश करते हुए फ्रांसीसी विद्वान विक्टर ह्यूगो को उद्धृत करते हुए कहा था कि दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया हो। उससे पहले भारत की क्लोज इकॉनमी में सरकार ही सब कुछ तय करती थी। किस सामान का उत्पादन कितना होगा, उसे बनाने में कितने लोग काम करेंगे और उसकी कीमत क्या होगी, सब सरकार तय करती है। इस सिस्टम को लाइसेंस परमिट राज कहा जाता था।

1991 के बजट ने लाइसेंस परमिट राज से देश को मुक्ति दिला दी। देश में खुली अर्थव्यवस्था का रास्ता साफ हुआ। इसमें प्राइवेट कंपनियों को कई तरह की छूट और प्रोत्साहन दिए गए। सरकारी निवेश कम करने और खुले बाजार को बढ़ावा देने का फैसला किया गया। इस बजट ने देश की तस्वीर बदलकर रख दी। कंपनियां फलने-फूलने लगीं और करोड़ों नई नौकरियां मार्केट में आईं। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनमी बनकर उभरा है। अमेरिका समेत दुनिया के कई देश जहां मंदी की आशंका में जी रहे हैं, वहीं भारत की इकॉनमी तेजी से आगे बढ़ रही है।

मनमोहन स‍िंह ने वित्त मंत्री बनकर ऐसे पलट दी बाजी, देश को गंभीर आर्थिक संकट से निकालने में निभाई अहम भूमिका*
#manmohan_singh_mortgage_gold_when_the_treasury_was_empty_after_becoming_finance_minister
देश में आर्थिक सुधारों का सूत्रपात करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। वह 92 साल के थे और उन्होंने गुरुवार रात एम्स में अंतिम सांस ली। देश को गंभीर आर्थिक संकट से निकालने में मनमोहन सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। मनमोहन सिंह ने 24 जुलाई 1991 को ऐसा बजट पेश किया था जिसने हमेशा के लिए देश की दिशा और दशा को बदल दिया था। साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन स‍िंह को आर्थिक उदारीकरण के जनक के रूप में जाना जाता है। 1991 में जब मनमोहन स‍िंह ने व‍ित्‍त मंत्री के तौर पर अपना कार्यभार संभाला तो देश गहरे आर्थ‍िक संकट से गुजर रहा था। देश के खजाने में महज 89 करोड़ डॉलर की व‍िदेशी मुद्रा रह गई थी। इससे केवल दो हफ्ते का आयात का खर्च चल सकता था। ऐसे समय में व‍ित्‍त मंत्रालय की बागडोर संभालने वाले मनमोहन स‍िंह ने अपने फैसलों से आर्थ‍िक मोर्चे पर देश को मजबूत क‍िया। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने देश के कठ‍िन आर्थ‍िक पर‍िस्‍थ‍ित‍ि में होने के दौरान काफी उम्‍मीद के साथ मनमोहन सिंह को व‍ित्‍त मंत्रालय की जि‍म्‍मेदारी सौंपी थी। इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव रहे पीसी अलेक्जेंडर के कहने पर नरसिम्हा राव ने मनमोहन स‍िंह को व‍ित्‍त मंत्री बनाया था। ज‍िस समय देश के पास 89 करोड़ डॉलर का व‍िदेशी मुद्रा भंडार बचा तो उन्‍हें कई कठोर फैसले लेने पड़े। उस दौर में देश को अपने आयात का खर्च पूरा करने के ल‍िए अपना सोना विदेश में गिरवी रखना पड़ा था। उस दौर में डॉ. सिंह ने वित्त मंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान 1991 में आर्थिक उदारीकरण को शुरू क‍िया और मुश्‍क‍िल में फंसी अर्थव्यवस्था को बाहर न‍िकालने में कामयाब हुए। साल 1991 में प्रधानमंत्री बनने से दो दिन पहले नरसिंह राव को कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा ने एक नोट दिया था जिसमें बताया गया था कि भारत की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। 20 जून, 1991 की शाम नवनियुक्त प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से उनके कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा मिले और उन्हें 8 पेज का एक टॉप सीक्रेट नोट दिया। इस नोट किन कामों को प्रधानमंत्री को तुरंत तवज्जो देनी चाहिए, उनका जिक्र था। जब राव ने वो नोट पढ़ा तो हक्का-बक्का रह गए। उन्होंने चंद्र से पूछा-.'क्या भारत की आर्थिक हालत इतनी खराब है ?' चंद्रा का जवाब था, 'नहीं सर, वास्तव में इससे भी ज्यादा खराब है।' उस समय भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की हालत इतनी खराब थी कि वो अगस्त, 1990 तक यह 3 अरब 11 करोड़ डॉलर ही रह गया था।जनवरी, 1991 में भारत के पास मात्र 89 करोड़ डॉलर की विदेशी मुद्रा रह गई थी जिससे महज दो सप्ताह के आयात का खर्चा ही जुटाया जा सकता था। 1990 के खाड़ी युद्ध के कारण तेल की कीमतों में तिगुनी वृद्धि हुई थी। कुवैत पर इराक के हमले की वजह से भारत को अपने हज़ारों मज़दूरों को वापस भारत लाना पड़ा थ। नतीजा ये हुआ था कि उनकी ओर से भेजी जाने वाली विदेशी मुद्रा पूरी तरह से रुक गई थी। ऊपर से भारत की राजनीतिक अस्थिरता और मंडल आयोग की सिफारिशों के खिलाफ उभरा जन आक्रोश अर्थव्यवस्था को कमजोर किए जा रहा था। देश को इस कठिन हालात से बाहर लाने के लिए उस समय देश के प्रधानमंत्री रहे पीवी नरसिम्हा राव ने डॉ. मनमोहन सिंह को चुना था। डॉ. सिंह ने 24 जुलाई 1991 को ऐतिहासिक बजट को पेश करते हुए फ्रांसीसी विद्वान विक्टर ह्यूगो को उद्धृत करते हुए कहा था कि दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया हो। उससे पहले भारत की क्लोज इकॉनमी में सरकार ही सब कुछ तय करती थी। किस सामान का उत्पादन कितना होगा, उसे बनाने में कितने लोग काम करेंगे और उसकी कीमत क्या होगी, सब सरकार तय करती है। इस सिस्टम को लाइसेंस परमिट राज कहा जाता था। 1991 के बजट ने लाइसेंस परमिट राज से देश को मुक्ति दिला दी। देश में खुली अर्थव्यवस्था का रास्ता साफ हुआ। इसमें प्राइवेट कंपनियों को कई तरह की छूट और प्रोत्साहन दिए गए। सरकारी निवेश कम करने और खुले बाजार को बढ़ावा देने का फैसला किया गया। इस बजट ने देश की तस्वीर बदलकर रख दी। कंपनियां फलने-फूलने लगीं और करोड़ों नई नौकरियां मार्केट में आईं। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनमी बनकर उभरा है। अमेरिका समेत दुनिया के कई देश जहां मंदी की आशंका में जी रहे हैं, वहीं भारत की इकॉनमी तेजी से आगे बढ़ रही है।
बेंगलुरु में दो नए शहरों की घोषणा: KWIN V/S SWIFT City, जानें क्या हैं समानताएं और अंतर


बेंगलुरु : हाल ही में कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु में एक और नए शहर को बसाने की घोषणा कर दी है। बेंगलुरु के इलेक्ट्रॉनिक सिटी के तर्ज पर ही अब SWIFT City को बसाया जाएगा। बेंगलुरु को देश की सिलीकॉन सिटी कहा जाता है। कर्नाटक को सिलीकॉन स्टेट बनाने के उद्देश्य से ही बेंगलुरु में इन नए शहरों को बसाया जा रहा है, ताकि नए-नए औद्योगिक घरानों, स्टार्टअप आदि को बेंगलुरु के लिए आकर्षित किया जा सकें।

इससे पहले इसी साल सितंबर में कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु में एक और शहर KWIN City को बसाने की घोषणा की थी। ऐसे में आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि KWIN और SWIFT City में क्या अंतर होगा? या बेंगलुरु में बसाए जाने वाले दोनों नए शहरों KWIN और SWIFT City में समानताएं क्या होने वाली हैं?

KWIN City bangalore PC : AI

तो चलिए पता लगाते हैं, बेंगलुरु में बसाए जाने वाले KWIN और SWIFT City की क्या विशेषताएं हैं और दोनों में क्या-क्या अंतर होगा?

क्या है KWIN और SWIFT City?

KWIN City - नॉलेज (Knowledge), वेलबिइंग (Wellbeing), इनोवेशन (Innovation)

SWIFT City - स्टार्टअप (Startup), वर्कस्पेसेस (Workspaces), इनोवेशन (Innovation), फाइनेंस (Finance), टेक्नोलॉजी (Technology)

क्या होगी लोकेशन?.

KWIN City बेंगलुरु से करीब 60 किमी की दूरी पर बसाया जाएगा। जानकारी के अनुसार इसे कर्नाटक सरकार डोड्डास्पेटे और डोड्डाबल्लपुर के बीच बसाना चाहती है, जो सैटेलाइट टाउन रिंग रोड पर मौजूद है। बेंगलुरु का केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (KIA) से मात्र 1 घंटे की दूरी पर मौजूद होने की वजह से उम्मीद की जा रही है कि यहां निवेशक आसानी से मिल जाएंगे।

वहीं दूसरी ओर SWIFT City सारजापुर के पास बसाने की योजना है। इसे NH44 और NH48 के पास बसाया जाएगा, जहां से आईटी हब पास में होंगे। बेहतर यातायात के लिए यहां पर 150 मीटर चौड़ी सड़क बनायी जाएगी जो नए-नए स्टार्टअप्स को यहां आने के लिए आकर्षित करेगी।.

दो अलग-अलग नए शहरों को बसाने की वजह और अंतर?

कर्नाटक सरकार ने कुछ महीनों के अंतराल में ही बेंगलुरु में दो अलग-अलग शहरों को बसाने की घोषणा की है। इन दोनों शहरों को बसाने की वजहें ही इन दोनों शहरों में सबसे बड़ा अंतर साबित होने वाला है। इसके साथ ही दोनों शहरों के आकार में भी बहुत बड़ा, लगभग दोगुना का फर्क है। दोनों शहरों में कौन से मुख्य अंतर है, आइए जान लें 

KWIN City को मुख्य रूप से शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों, शोध केंद्र, वैश्विक स्वास्थ्य केंद्रों आदि को आकर्षित करने और उनका हब बनाने के लिए बसाने की योजना है।

वहीं SWIFT City को कर्नाटक का औद्योगिक विकास करने के लिए बसाया जाएगा। दावा किया जा रहा है कि कर्नाटक को बतौर सिलीकॉन स्टेट एक नयी पहचान दिलाएगा।

KWIN City को 2000 एकड़ के क्षेत्र में जबकि इससे ठीक आधे यानी 1000 एकड़ के क्षेत्र में बसाया जाएगा SWIFT City।

SWIFT City में स्टार्टअप, औद्योगिक वर्कप्लेस, लोगों के रहने के लिए घर और बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल आदि बनाए जाएंगे। 

वहीं KWIN City शैक्षणिक केंद्रों का हब होगा। उम्मीद की जा रही है कि KWIN City राज्य के GDP को बढ़ाने में भी मददगार साबित होगी।

क्या होगी KWIN और SWIFT City की विशेषताएं?

KWIN City की विशेषताओं की बात करें तो इसे 2000 एकड़ के विशाल क्षेत्र में बसाने की योजना बनायी गयी है। 

यह मुख्य रूप से शिक्षा, शोध और स्वास्थ्य के हब के तौर पर बसाया जाएगा। कर्नाटक के मंत्री एमबी पाटिल ने संभावना जाहिर की थी कि KWIN City को बसाने से लगभग ₹40,000 करोड़ के निवेश की संभावना है और लगभग 80,000 रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। इसे बेंगलुरु के इंटरनेशनल एयरपोर्ट को ध्यान में रखते हुए मुख्य शहर से महज 60 किमी की दूरी पर बसाया जाएगा।

वहीं SWIFT City को विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ 1000 एकड़ के क्षेत्र में बसाया जाएगा। इसे IT हब को ध्यान में रखते हुए बसाया जा रहा है। यह स्टार्टअप, कंपनियां छोटे-मध्यम आकार के वर्कप्लेस लीज पर, खरीद सकती हैं या फिर शेयरिंग मॉडल पर ले सकती हैं। 

नेशनल हाईवे के पास होने की वजह से सड़क मार्ग से यातायात को सुगम बनाने के लिए SWIFT City में लगभग 150 मीटर चौड़ी सड़क बनाने की योजना है।

कनाडा की वित्त मंत्री ने दिया इस्तीफा, क्या ट्रूडो भी छोड़ेंगे प्रधानमंत्री का पद?

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कनाडा में एक बड़ा राजनीतिक भूचाल आया है। वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जस्टिन ट्रूडो से टकराव के चलते ही देश की उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने सोमवार को पद से इस्तीफा दे दिया। दोनों के बीच ट्रंप के संभावित टैरिफ को लेकर मतभेद था। उन्होंने उसी दिन पद से इस्तीफा दिया, जब उन्हें संसद में बजट पेश करना था।

फ्रीलैंड ने जाते-जाते प्रधानमंत्री ट्रूडो के नाम एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने लिखा, ‘आप मुझे वित्त मंत्री के तौर पर देखना नहीं चाहते। बेहतर यही है कि मैं ईमानदारी से मंत्रीमंडल से बाहर हो जाऊं।’ इस पत्र में फ्रीलैंड ने बताया है कि पिछले हफ्ते ट्रूडो ने उन्हें वित्त मंत्री के पद से हटाने की कोशिश की थी और उन्हें मंत्रिमंडल में कोई अन्य भूमिका देने की पेशकश की थी। उन्होंने अपने इस्तीफे में कहा कि मंत्रिमंडल छोड़ना ही एकमात्र ईमानदार और व्यावहारिक रास्ता है।

अपने पत्र में फ्रीलैंड ने कहा कि कनाडा गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है और उन्होंने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस धमकी का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कनाडाई उत्पादों पर 25 फीसदी शुल्क लगाने की बात की थी। फ्रीलैंड ने लिखा, हमें अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत रखना होगा, ताकि हम किसी संभावित शुल्क युद्ध के लिए तैयार रह सकें।

फ्रीलैंड ने यह भी कहा, हमें प्रांतीय क्षेत्रीय प्रमुखों के साथ ईमानदारी और विनम्रता के साथ काम करना चाहिए, ताकि प्रतिक्रिया देने वाली कनाडा की सच्ची टीम का निर्माण हो सके। कनाडा के सभी 13 प्रांतों के प्रमुख अभी टोरंटों में 'काउंसिल ऑफ द फेडरेशन' की बैठक में हैं, जिसकी अध्यक्षता ओंटारियों के मुख्यमंत्री डग फोर्ड कर रहे हैं। उनके इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ फाइनेंशियल पॉलिसीज को लेकर उनके मतभेद खुलकर सामने आ गए।

इस इस्तीफ़े को ट्रूडो के लिए एक अप्रत्याशित झटका माना जा रहा है। ट्रूडो पहले ही कनाडा में अल्पमत सरकार चला रहे हैं।समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़ लिबरल पार्टी के नेता ट्रूडो पहले ही सर्वेक्षणों में कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता पीएर पॉलिवेयर से 20 फ़ीसदी पीछे चल रहे हैं।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ वरिष्ठ कैबिनेट सहयोगी के त्यागपत्र को साल 2015 में सत्ता संभालने के बाद ट्रूडो के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया जा रहा है। ये ट्रूडो कैबिनेट के किसी सदस्य का पहला खुला विरोध और इस क़दम के बाद सत्ता पर उनकी पकड़ ढीली पड़ने के आसार हैं।

क्रिस्टिया फ्रीलैंड के उपप्रधानमंत्री का पद छोड़ने के बाद ट्रूडो पर हमले बढ़ गए हैं। कई विपक्षी दलों ने ट्रूडो से इस्तीफ़े की मांग की है।ट्रूडो के सहयोगी रहे कनाडा की एनडीपी पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने भी प्रधानमंत्री से इस्तीफ़ा मांगा है।एक्स पर पोस्ट किए अपने संदेश में जगमीत सिंह ने कहा, "आज मैं ट्रूडो से इस्तीफ़े की मांग करता हूँ। अब उन्हें जाना होगा। इस वक़्त कनाडा के लोग महंगाई से परेशान हैं। लोगों को अपनी बजट के हिसाब से घर तक नहीं मिल रहे हैं। ट्रंप ने 25 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाने की बात की है। इस सब के बीच लिबरल पार्टी कनाडा के लोगों के लिए लड़ने के बजाय आपस में लड़ रही है।"

సంచలన నివేదిక... ఫేక్ లోన్ యాప్‌లను ఇన్‌స్టాల్ చేయడంలో భారతీయులదే అగ్రస్థానం..

ఈ రోజుల్లో నకిలీ యాప్స్‌ కుప్పలు తెప్పలుగా పుట్టుకొస్తున్నాయి. నకిలీ యాప్స్‌ వల్ల వ్యక్తిగత డేటా ప్రమాదంలో పడిపోతుంది. సైబర్‌ నేరగాళ్లు నకిలీ యాప్స్‌ను సృష్టించి వ్యక్తిగత డేటా దొంగిలించడంతో పాటు నిలువునా దోచుకుంటున్నారు. ఈ నేపథ్యంలో ప్రైవేట్ ఏజెన్సీ McAfee కీలక నివేదికను విడుదల చేసింది. ఈ నివేదికల ప్రకారం.. నకిలీ రుణ యాప్‌లను ఇన్‌స్టాల్ చేయడంలో భారతీయులు ప్రపంచంలోనే అగ్రగామిగా ఉన్నారని స్పష్టం చేసింది. చాలా మంది త్వరగా రుణం పొందవచ్చని భావించి వేరే వాటి వైపు చూడకుండా ఈ యాప్‌లను ఇన్‌స్టాల్ చేస్తారు. కానీ ఈ అప్లికేషన్‌లు వినియోగదారుల వ్యక్తిగత సమాచారాన్ని, బ్యాంకింగ్ డేటాతో సహా ఎలాంటి అనుమతి లేకుండా దొంగిలిస్తాయి. అత్యంత ప్రమాదకరమైన 15 అప్లికేషన్లను 8 మిలియన్ల మంది డౌన్‌లోడ్ చేసుకున్నారని మెకాఫీ గుర్తించింది.

చాలా మంది వ్యక్తులు గూగుల్‌ ప్లే స్టోర్ నుండి యాప్‌ని ఇన్‌స్టాల్ చేసుకుంటున్నారు. అయితే ఈ యాప్‌లు గూగుల్ ప్లే స్టోర్ నుండి తొలగించినప్పటికీ మెజారిటీ ఇప్పటికీ అప్లికేషన్‌ను ఉపయోగిస్తున్నట్లు McAfee కనుగొంది. ఇది వినియోగదారులను ఎక్కువ ప్రమాదంలో పడేస్తుంది.

ఈ యాప్‌లు ఎందుకు ప్రమాదకరమైనవి?

ఈ అప్లికేషన్‌లను ఇన్‌స్టాల్ చేస్తున్నప్పుడు వినియోగదారు యాప్‌లకు అనేక అనుమతులు ఇస్తారు. ఈ విధంగా ఈ అప్లికేషన్‌లు మీ స్మార్ట్‌ఫోన్‌లోని సందేశాలు, కెమెరా, మైక్రోఫోన్, స్థానంతో సహా అన్ని ముఖ్యమైన సమాచారాన్ని యాక్సెస్ చేయగలవు. ఈ అప్లికేషన్‌లు వినియోగదారుకు తెలియకుండానే OTPతో సహా ముఖ్యమైన సమాచారాన్ని కూడా దొంగిలించగలవు.

అయితే ఈ యాప్‌లు యూజర్‌లు గూగుల్‌ భద్రతా ప్రమాణాలకు అనుగుణంగా ఉన్నాయని కూడా తెలియజేస్తాయి. అందుకే చాలా యాప్‌లు ఇప్పటికీ ప్లే స్టోర్‌లో అందుబాటులో ఉన్నాయి. ఈ యాప్‌లను హ్యాకర్లు ప్రైవేట్ చిత్రాలను మార్ఫ్ చేయడానికి, ఇతర వినియోగదారులను బెదిరించడానికి ఉపయోగిస్తారు.

ఈ ప్రమాదకరమైన యాప్‌లు మీ ఫోన్‌లో ఉన్నాయో లేదో తనిఖీ చేయండి:

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అదే సమయంలో ఆన్‌లైన్ మోసాలు, సైబర్ నేరాలు పెరుగుతున్నాయని గూగుల్ ఇటీవల తన వినియోగదారులను హెచ్చరించింది. సాంకేతికత అభివృద్ధి చెందుతున్నందున మోసగాళ్ళు వేగంగా వినియోగదారులను మోసగిస్తున్నారు. ఇలాంటి స్కామ్‌లలో చాలా మంది బలవుతున్నారు. మరింత భద్రత కల్పించేందుకు గూగుల్ ప్రత్యేక భద్రతా వ్యవస్థను కూడా ప్రవేశపెడుతోంది.

Martand Jyotish Anusandhan Kendra: Varanasi's Premier Astrology Center Led by Renowned Astrologer Dr. Mukesh Kumar Dubey (Guru Ji)

Varanasi, Uttar Pradesh – Martand Jyotish Anusandhan Kendra is Varanasi's leading astrology center, dedicated to providing accurate and transformative astrological guidance. Under the skilled leadership of Dr. Mukesh Kumar Dubey (Guru Ji), the center has gained fame for its precise predictions and comprehensive astrological services. It offers specialized astrology services that cater to various aspects of life.

About Martand Jyotish Anusandhan Kendra

Located in the heart of Varanasi, Martand Jyotish Anusandhan Kendra is committed to improving clients' lives through its services. The center offers horoscope analysis, Vastu consultation, marriage matching, and personalized astrological remedies. It provides clarity and solutions for career, relationships, health, and personal growth.

Achievements and Recognitions

Martand Jyotish Anusandhan Kendra has been recognized as a "Best astrologer in Varanasi" on platforms like 3BestRated, Justdial, and others. This acknowledgment highlights the center's commitment to excellence and customer satisfaction.

Additionally, the center has been honored with prestigious awards like the Kashi Ratna Award and has held prominent roles, such as the presidency of Banaras Rotary Club.

The expert astrologers at Martand Jyotish Anusandhan Kendra emphasize that many modern-day problems can be effectively resolved through astrology, which is also scientifically validated.

About Dr. Mukesh Kumar Dubey (Guru Ji)

Dr. Mukesh Kumar Dubey (Guru Ji) is renowned for his accurate predictions and profound astrological knowledge. His predictions have not only proven to be precise but have also transformed the lives of thousands.

Dr. Dubey holds a Ph.D. in Astrology from the globally recognized Banaras Hindu University and has over 30 years of experience in the field. He has successfully addressed the issues of clients not only from Varanasi but also from across India and abroad.

Core Services

Martand Jyotish Anusandhan Kendra specializes in the following services:

Horoscope Analysis: In-depth study of birth charts to understand personality traits and future trends.

Vastu Consultation: Solutions for homes and offices to ensure harmony and prosperity.

Marriage Matching: Comprehensive compatibility assessment for marital and business relationships.

Astrological Remedies: Customized solutions to resolve life challenges.

Personal Consultation: Expert guidance on career, health, finance, and relationships.

Why Choose Martand Jyotish Anusandhan Kendra?

The center has consistently delivered life-changing results, combining expertise with compassion. Dr. Dubey's profound understanding of astrology and his client-centric approach make Martand Jyotish Anusandhan Kendra a trusted name in astrology.

For more visij : https://kashimartandjyotish.com/

क्या है कॉप 29, भारत ने क्यों खारिज किया नया जलवायु वित्त समझौता*
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कोयला, तेल और गैस उत्पादन के परिणामस्वरूप हर साल अरबों टन कार्बनडाइऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ा जाता है। मानवीय गतिविधियों के कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जिसके कम होने के कोई संकेत नहीं हैं। जलवायु परिवर्तन हमारे समय का सबसे बड़ा संकट है और यह हमारी आशंका से भी कहीं ज़्यादा तेज़ी से हो रहा है। पिछले चार साल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहे। दुनिया का कोई भी कोना जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी परिणामों से अछूता नहीं है। बढ़ते तापमान के कारण पर्यावरण क्षरण, प्राकृतिक आपदाएँ, मौसम की चरम सीमाएँ, खाद्य और जल असुरक्षा तेजी से बढ़ रही है। इसी बीच हाल ही में अजरबैजान के बाकू में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप-29) का आयोजन किया गया। इस दौरान भारत ने 'ग्लोबल साउथ' के लिए 300 अरब अमेरिकी डॉलर के नए जलवायु फंडिंग पैकेज को रविवार को खारिज कर दिया। कहा कि यह पैकेज बहुत कम है। समझौते को मंजूरी से पहले भारत को बात रखने का मौका नहीं दिया गया। अजरबैजान के बाकू में आयोजित कॉप 29 सम्मेलन में 300 अरब डॉलर वार्षिक क्लाइमेट फाइनेंस का लक्ष्य तय किया गया, जिससे विकासशील देशों को मदद मिल सके। लेकिन यह समझौते पर भी विवादों के बादल छा गए। भारत ने इसे एक “दृष्टि भ्रम” बताते हुए कहा कि इससे असली जलवायु समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। दरअसल, विकासशील देशों ने इसके लिए कम से कम एक ट्रिलियन डॉलर (1000 अरब डॉलर) की मांग की थी। भारत ने कॉप-29 के अध्यक्ष पद व संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन अधिकारी पर समझौते को थोपने और आपत्ति दर्ज करने का मौका नहीं देने का आरोप लगाया। इस बीच जलवायु कार्यकर्ताओं ने कॉप-29 के आयोजन स्थल के बाहर सम्मेलन के अंतिम दिन भी प्रदर्शन जारी रखा। कार्यकर्ताओं की मांग है कि जलवायु समस्याओं को देखते हुए वित्त बढ़ाया जाना चाहिए। *भारत ने जलवायु वित्त पैकेज पर क्या कहा* आर्थिक मामलों के विभाग की सलाहकार चांदनी रैना ने यहां संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के समापन सत्र में भारत की ओर से कड़ा बयान देते हुए इस प्रस्ताव को अपनाने की प्रक्रिया को ''अनुचित'' और ''पहले से प्रबंधित'' करार दिया तथा कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में भरोसे की चिंताजनक कमी को दर्शाती है।विकासशील देशों के लिए यह नया जलवायु वित्त पैकेज या नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (एनसीक्यूजी) 2009 में तय किए गए 100 अरब अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य का स्थान लेगा। समझौते पर वार्ता के बाद जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश विभिन्न स्रोतों- सार्वजनिक और निजी, द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय तथा वैकल्पिक स्रोतों से कुल 300 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष मुहैया कराने का लक्ष्य 2035 तक हासिल करेंगे। वित्तीय मदद का 300 अरब अमेरिकी डॉलर का आंकड़ा उस 1.3 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से बहुत कम है, जिसकी मांग 'ग्लोबल साउथ' देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पिछले तीन साल से कर रहे हैं। *विकसित देश ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार* भारतीय आर्थिक सलाहकार रैना ने कहा, विकसित देश ऐतिहासिक रूप से जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार रहे हैं। उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे विकासशील व निम्न आय वाली अर्थव्यवस्थाओं को वित्त, प्रौद्योगिकी तथा क्षमता निर्माण सहायता प्रदान करें, ताकि उन्हें गर्म होती दुनिया से निपटने में मदद मिल सके। उन्होंने 2009 में 100 अरब डॉलर के पैकेज का एलान किया था। वर्ष 2020 तक पैकेज के सिर्फ 70 प्रतिशत लक्ष्य को ही हासिल किया सका और वह भी कर्ज की शक्ल में। 300 अरब डॉलर से विकासशील देशों का कुछ नहीं होने वाला। भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद अब विकसित देशों पर जलवायु वित्त को बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। *इन देशों ने किया भारत का समर्थन* संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में वैश्विक दक्षिण के लिए 300 अरब डॉलर के नए जलवायु वित्त पैकेज पर भले ही सहमति बन गई हो, लेकिन बड़ी संख्या में देशों की प्रतिक्रियाओं से पता चलता है कि इससे हर कोई खुश नहीं है। अल्प विकसित देशों (एलडीसी) समूह के अध्यक्ष इवांस नेजेवा ने इसे निराशाजनक बताया। वहीं, नाइजीरिया, मलावी और बोलीविया ने भी भारत का समर्थन किया है। नाइजीरिया की वार्ताकार नकिरुका मडुकेवे ने कहा कि जलवायु फंडिंग पैकेज 'मजाक' है। गरीब देशों के संघ एलडीसी के अध्यक्ष इवांस नजेवा ने पैकेज को निराशाजनक करार देते हुए कहा कि पृथ्वी की सेहत सुधारने का मौका गंवा दिया। वहीं अफ्रीकी वार्ताकारों के समूह के अध्यक्ष ने कहा कि यह समझौता 'कड़वे मन से' किया गया। *क्या है COP 29 में तय समझौता?* संयुक्त राष्ट्र के अंतिम आधिकारिक मसौदे के अनुसार, कॉप 29 का मुख्य उद्देश्य जलवायु से जुड़ी पिछली फाइनेंस योजना को तीन गुना बढ़ाना था। पहले हर साल 100 अरब डॉलर (₹8.25 लाख करोड़) की योजना थी, जिसे अब 300 अरब डॉलर (24.75 लाख करोड़ रुपये) किया गया है। समझौते के मुताबिक, साल 2035 तक यह प्रयास किया जाएगा कि सार्वजनिक और निजी स्रोतों से विकासशील देशों को कुल 1.5 ट्रिलियन डॉलर (123.75 लाख करोड़ रुपये) तक की वित्तीय सहायता मिले। इसके अलावा, 1.3 ट्रिलियन डॉलर (1,07,25,000 करोड़ रुपये) विशेष रूप से अनुदानों और सार्वजनिक निधियों के रूप में कमजोर देशों के लिए सुनिश्चित किए जाएंगे।
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने नगरीय प्रशासन विभाग के विभागीय पोर्टल को किया लॉन्च

रायपुर-     उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने मुंगेली के डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के नए विभागीय पोर्टल www.cguadfinance.in को लॉन्च किया। उन्होंने पोर्टल का शुभारंभ करते हुए कहा कि इससे शहरी प्रशासन और विकास के कार्यों को ज्यादा पारदर्शी बनाने, निर्माण कार्यों के प्रभावी व त्वरित मॉनिटरिंग तथा उनकी प्रगति की समीक्षा में सहूलियत होगी। यह पोर्टल प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के ‘डिजिटल इंडिया’ और 2047 तक विकसित भारत के विजन की दिशा में बड़ा कदम है। इससे हम पेपरलेस प्रशासन और डिजिटल सशक्तिकरण की ओर तेजी से आगे बढ़ेंगे।

विभाग द्वारा इस पोर्टल को विशेष रूप से नगरीय निकायों में संचालित महत्वपूर्ण योजनाओं व कार्यों की समीक्षा एवं मॉनिटरिंग के लिए विकसित किया गया है। यह पोर्टल निकायों के कार्यों की निगरानी को सरल और प्रभावी बनाएगा। इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि योजनाओं का पूरा लाभ नागरिकों तक पहुंचे। यह पोर्टल डिजिटल इंडिया का दायरा बढ़ाने के साथ ही विभाग को आधुनिक कार्यप्रणाली से जोड़ता है। इस पोर्टल के उपयोग से न केवल विभाग की दक्षता बढ़ेगी, बल्कि कार्यों की त्वरित मॉनिटरिंग में भी हो सकेगी। पोर्टल की लॉन्चिंग के दौरान मुंगेली के कलेक्टर राहुल देव और पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल सहित जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक और स्थानीय नागरिक बड़ी संख्या में मौजूद थे।

पोर्टल से इन कार्यों में मिलेगी मदद

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के नए शुरू हुए पोर्टल www.cguadfinance.in से विभागीय प्रक्रियाएं डिजिटल और पेपरलेस होंगी, जिससे संसाधनों और समय की बचत होगी। इससे विभाग और नगरीय निकायों की कार्यप्रणाली अधिक पारदर्शी और प्रभावी होगी। इस पोर्टल के माध्यम से अधोसंरचना मद और 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत स्वीकृत कार्यों की प्रगति की मॉनिटरिंग एवं निकायों को जारी राशि की समीक्षा की जाएगी। इससे कार्यों को समय-सीमा में पूर्ण कराने में सहायता मिलेगी जिसका लाभ निकायों के रहवासियों को मिलेगा। पोर्टल से विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की समीक्षा के साथ ही निकायों के आय-व्यय, संपत्ति कर और अन्य करों की वसूली की स्थिति की जानकारी मिलेगी। इसके माध्यम से विभाग के न्यायालयीन प्रकरणों और उनके समाधान की प्रगति की ट्रैकिंग भी की जाएगी।

Crypto king Mr "Gajanan S Kalaburgi joins the elite Billionaire Club crypto Family

Gajanan S. Kalburgi is one of the flamboyant founders and chairman of Ramsena Coin Ltd and CricCoin Ltd, recently added to the billionaires club. Being in London, UK, Kalburgi's ventures have not only changed the face of cryptocurrency but have also rewritten the book on how industries approach innovation, investment, and technology.

Under the visionary leadership of Gajanan S. Kalburgi, Ramsena Coin has acquired a market valuation of USD 1.34 billion as the trailblazer in the cryptocurrency industry. It differs from other coins in that it pioneers the integration of real estate; in fact, it is the first coin in the world to enable real estate transactions. This innovative feature of Ramsena Coin has captured the attention of investors and industry leaders alike, making Ramsena Coin a game-changer in both the crypto space and the real estate space.

The other venture of Gajanan S. Kalburgi, CricCoin, though valued smaller at USD 200 million, has equally ambitious goals. He has combined the world of sports with cryptocurrency and leveraged this increasingly substantial cricket fan base to provide it with an innovative investment option. Once again, in this endeavor, Kalburgi has invariably grasped and leveraged emerging trends armed with his entire career in finance and technology.

Gajanan S. Kalburgi is a great entrepreneur who was equipped with a wonderful background in finance and technology, through which he gained heights of success. His full-fledged journey from being a young investor to becoming a billionaire was due to his hard commitments toward innovation, along with great work ethics and strategic thinking skills. He has always been there to predict market trends, making him seize opportunities that others may not be able to see.

Gajanan S. Kalburgi's influence stretches beyond cryptocurrencies. He has now entered the petroleum sector and pushed Ramsena Coin into a field that has billions of dollars' worth of assets associated with cryptocurrency. This is a bold move on his part, showing a desire to create diversification in his portfolio and build a solid financial ecosystem around Ramsena Coin.

Even in his entertainment industry ventures via CricCoin and Legendary Man Entertainment, Gajanan S. Kalburgi's business acumen can be demonstrated. He has been pioneering innovation in blockchain for over twenty years and consolidates his efforts with initiatives such as the Superstar's Cricket League—a venture that highlights his passion for balancing technology with entertainment and community building through sports.

Gajanan S. Kalburgi is a Mithibai College alumnus who obtained his degree in Business Administration and Management. Educated, he has been able to take practical inputs on real-life challenges to come up with strategies that will put his companies at the top rung of their respective industries. Film production, video editing, and new media-related skills have also significantly helped him to be at the top of the entertainment lists.

With such achievements, Gajanan S. Kalburgi becomes part of the list of billionaires. His story inspires upcoming entrepreneurs to pursue their dreams. Innovation, adaptability, and forward-thinking have been essential in today's rapidly moving business environment, which can be exemplified by the journeys of Ramsena Coin and CricCoin, both of which he pioneered. Kalburgi will continue to be the true innovative leader of this world, and the two industries, cryptocurrency and entertainment, are promising a lot for their developments.

For more information and to follow Gajanan S. Kalburgi’s journey, visit his Instagram and LinkedIn

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, 2026 में GDP में 6.3-6.8% वृद्धि का अनुमान

#financeministertabledtheeconomicsurveyin_parliament

बजट से एक दिन पहले शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 को पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया तो लोकसभा अध्यक्ष ने लोकसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी। राज्यसभा में भी वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही भी स्थगित कर दी गई।

सर्वेक्षण में FY26 के लिए भारत की GDP वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। जीएसटी संग्रह में 11 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है, जो 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यह सर्वेक्षण नीतिगत सुधारों और आर्थिक स्थिरता की दिशा में सरकार के प्रयासों को रेखांकित करता है। सरकार का अनुमान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के 6.5% अनुमान के करीब है, लेकिन विश्व बैंक के 6.7% अनुमान से कम है।

सर्वे के मुताबिक, जीएसटी संग्रह में भी उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है। 2024-25 के लिए जीएसटी संग्रह 11% बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, पिछले तीन महीनों में राजस्व वृद्धि में मंदी देखी गई है, जिसके कारण वित्त वर्ष 26 के अनुमानों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सरकार ने नीतिगत ठहराव को दूर करने और आर्थिक सुधारों को गति देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

क्या है आर्थिक सर्वेक्षण

आर्थिक सर्वेक्षण सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के लिए प्रस्तुत किया जाने वाला एक वार्षिक दस्तावेज है। यह दस्तावेज अर्थव्यवस्था की अल्पकालिक से मध्यम अवधि की संभावनाओं का भी अवलोकन प्रदान करता है। आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है।

कल होगा बजट पेश

शनिवार को वित्त मंत्री सीतारमण मोदी 3.0 सरकार का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी, जिसमें आयकर स्लैब में बदलाव, बुनियादी ढांचा क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा, ग्रामीण विकास और शिक्षा क्षेत्र के लिए बड़े आवंटन की उम्मीदें हैं। बजट दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए नीतिगत बढ़ावा दे सकता है, जिसकी शहरी मांग में कमी और कमजोर मुद्रा के कारण मुद्रास्फीति के जोखिम के बीच चार साल में सबसे धीमी वृद्धि दर दर्ज होने की उम्मीद है।

मनमोहन स‍िंह ने वित्त मंत्री बनकर ऐसे पलट दी बाजी, देश को गंभीर आर्थिक संकट से निकालने में निभाई अहम भूमिका

#manmohan_singh_mortgage_gold_when_the_treasury_was_empty_after_becoming_finance_minister 

देश में आर्थिक सुधारों का सूत्रपात करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। वह 92 साल के थे और उन्होंने गुरुवार रात एम्स में अंतिम सांस ली। देश को गंभीर आर्थिक संकट से निकालने में मनमोहन सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। मनमोहन सिंह ने 24 जुलाई 1991 को ऐसा बजट पेश किया था जिसने हमेशा के लिए देश की दिशा और दशा को बदल दिया था।

साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन स‍िंह को आर्थिक उदारीकरण के जनक के रूप में जाना जाता है। 1991 में जब मनमोहन स‍िंह ने व‍ित्‍त मंत्री के तौर पर अपना कार्यभार संभाला तो देश गहरे आर्थ‍िक संकट से गुजर रहा था। देश के खजाने में महज 89 करोड़ डॉलर की व‍िदेशी मुद्रा रह गई थी। इससे केवल दो हफ्ते का आयात का खर्च चल सकता था। ऐसे समय में व‍ित्‍त मंत्रालय की बागडोर संभालने वाले मनमोहन स‍िंह ने अपने फैसलों से आर्थ‍िक मोर्चे पर देश को मजबूत क‍िया।

तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने देश के कठ‍िन आर्थ‍िक पर‍िस्‍थ‍ित‍ि में होने के दौरान काफी उम्‍मीद के साथ मनमोहन सिंह को व‍ित्‍त मंत्रालय की जि‍म्‍मेदारी सौंपी थी। इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव रहे पीसी अलेक्जेंडर के कहने पर नरसिम्हा राव ने मनमोहन स‍िंह को व‍ित्‍त मंत्री बनाया था। ज‍िस समय देश के पास 89 करोड़ डॉलर का व‍िदेशी मुद्रा भंडार बचा तो उन्‍हें कई कठोर फैसले लेने पड़े। उस दौर में देश को अपने आयात का खर्च पूरा करने के ल‍िए अपना सोना विदेश में गिरवी रखना पड़ा था। उस दौर में डॉ. सिंह ने वित्त मंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान 1991 में आर्थिक उदारीकरण को शुरू क‍िया और मुश्‍क‍िल में फंसी अर्थव्यवस्था को बाहर न‍िकालने में कामयाब हुए।

साल 1991 में प्रधानमंत्री बनने से दो दिन पहले नरसिंह राव को कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा ने एक नोट दिया था जिसमें बताया गया था कि भारत की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। 20 जून, 1991 की शाम नवनियुक्त प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से उनके कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा मिले और उन्हें 8 पेज का एक टॉप सीक्रेट नोट दिया। इस नोट किन कामों को प्रधानमंत्री को तुरंत तवज्जो देनी चाहिए, उनका जिक्र था। जब राव ने वो नोट पढ़ा तो हक्का-बक्का रह गए। उन्होंने चंद्र से पूछा-.'क्या भारत की आर्थिक हालत इतनी खराब है ?' चंद्रा का जवाब था, 'नहीं सर, वास्तव में इससे भी ज्यादा खराब है।' उस समय भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की हालत इतनी खराब थी कि वो अगस्त, 1990 तक यह 3 अरब 11 करोड़ डॉलर ही रह गया था।जनवरी, 1991 में भारत के पास मात्र 89 करोड़ डॉलर की विदेशी मुद्रा रह गई थी जिससे महज दो सप्ताह के आयात का खर्चा ही जुटाया जा सकता था। 1990 के खाड़ी युद्ध के कारण तेल की कीमतों में तिगुनी वृद्धि हुई थी। कुवैत पर इराक के हमले की वजह से भारत को अपने हज़ारों मज़दूरों को वापस भारत लाना पड़ा थ। नतीजा ये हुआ था कि उनकी ओर से भेजी जाने वाली विदेशी मुद्रा पूरी तरह से रुक गई थी। ऊपर से भारत की राजनीतिक अस्थिरता और मंडल आयोग की सिफारिशों के खिलाफ उभरा जन आक्रोश अर्थव्यवस्था को कमजोर किए जा रहा था। देश को इस कठिन हालात से बाहर लाने के लिए उस समय देश के प्रधानमंत्री रहे पीवी नरसिम्हा राव ने डॉ. मनमोहन सिंह को चुना था।

डॉ. सिंह ने 24 जुलाई 1991 को ऐतिहासिक बजट को पेश करते हुए फ्रांसीसी विद्वान विक्टर ह्यूगो को उद्धृत करते हुए कहा था कि दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया हो। उससे पहले भारत की क्लोज इकॉनमी में सरकार ही सब कुछ तय करती थी। किस सामान का उत्पादन कितना होगा, उसे बनाने में कितने लोग काम करेंगे और उसकी कीमत क्या होगी, सब सरकार तय करती है। इस सिस्टम को लाइसेंस परमिट राज कहा जाता था।

1991 के बजट ने लाइसेंस परमिट राज से देश को मुक्ति दिला दी। देश में खुली अर्थव्यवस्था का रास्ता साफ हुआ। इसमें प्राइवेट कंपनियों को कई तरह की छूट और प्रोत्साहन दिए गए। सरकारी निवेश कम करने और खुले बाजार को बढ़ावा देने का फैसला किया गया। इस बजट ने देश की तस्वीर बदलकर रख दी। कंपनियां फलने-फूलने लगीं और करोड़ों नई नौकरियां मार्केट में आईं। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनमी बनकर उभरा है। अमेरिका समेत दुनिया के कई देश जहां मंदी की आशंका में जी रहे हैं, वहीं भारत की इकॉनमी तेजी से आगे बढ़ रही है।

मनमोहन स‍िंह ने वित्त मंत्री बनकर ऐसे पलट दी बाजी, देश को गंभीर आर्थिक संकट से निकालने में निभाई अहम भूमिका*
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देश में आर्थिक सुधारों का सूत्रपात करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। वह 92 साल के थे और उन्होंने गुरुवार रात एम्स में अंतिम सांस ली। देश को गंभीर आर्थिक संकट से निकालने में मनमोहन सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। मनमोहन सिंह ने 24 जुलाई 1991 को ऐसा बजट पेश किया था जिसने हमेशा के लिए देश की दिशा और दशा को बदल दिया था। साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन स‍िंह को आर्थिक उदारीकरण के जनक के रूप में जाना जाता है। 1991 में जब मनमोहन स‍िंह ने व‍ित्‍त मंत्री के तौर पर अपना कार्यभार संभाला तो देश गहरे आर्थ‍िक संकट से गुजर रहा था। देश के खजाने में महज 89 करोड़ डॉलर की व‍िदेशी मुद्रा रह गई थी। इससे केवल दो हफ्ते का आयात का खर्च चल सकता था। ऐसे समय में व‍ित्‍त मंत्रालय की बागडोर संभालने वाले मनमोहन स‍िंह ने अपने फैसलों से आर्थ‍िक मोर्चे पर देश को मजबूत क‍िया। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने देश के कठ‍िन आर्थ‍िक पर‍िस्‍थ‍ित‍ि में होने के दौरान काफी उम्‍मीद के साथ मनमोहन सिंह को व‍ित्‍त मंत्रालय की जि‍म्‍मेदारी सौंपी थी। इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव रहे पीसी अलेक्जेंडर के कहने पर नरसिम्हा राव ने मनमोहन स‍िंह को व‍ित्‍त मंत्री बनाया था। ज‍िस समय देश के पास 89 करोड़ डॉलर का व‍िदेशी मुद्रा भंडार बचा तो उन्‍हें कई कठोर फैसले लेने पड़े। उस दौर में देश को अपने आयात का खर्च पूरा करने के ल‍िए अपना सोना विदेश में गिरवी रखना पड़ा था। उस दौर में डॉ. सिंह ने वित्त मंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान 1991 में आर्थिक उदारीकरण को शुरू क‍िया और मुश्‍क‍िल में फंसी अर्थव्यवस्था को बाहर न‍िकालने में कामयाब हुए। साल 1991 में प्रधानमंत्री बनने से दो दिन पहले नरसिंह राव को कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा ने एक नोट दिया था जिसमें बताया गया था कि भारत की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। 20 जून, 1991 की शाम नवनियुक्त प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से उनके कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा मिले और उन्हें 8 पेज का एक टॉप सीक्रेट नोट दिया। इस नोट किन कामों को प्रधानमंत्री को तुरंत तवज्जो देनी चाहिए, उनका जिक्र था। जब राव ने वो नोट पढ़ा तो हक्का-बक्का रह गए। उन्होंने चंद्र से पूछा-.'क्या भारत की आर्थिक हालत इतनी खराब है ?' चंद्रा का जवाब था, 'नहीं सर, वास्तव में इससे भी ज्यादा खराब है।' उस समय भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की हालत इतनी खराब थी कि वो अगस्त, 1990 तक यह 3 अरब 11 करोड़ डॉलर ही रह गया था।जनवरी, 1991 में भारत के पास मात्र 89 करोड़ डॉलर की विदेशी मुद्रा रह गई थी जिससे महज दो सप्ताह के आयात का खर्चा ही जुटाया जा सकता था। 1990 के खाड़ी युद्ध के कारण तेल की कीमतों में तिगुनी वृद्धि हुई थी। कुवैत पर इराक के हमले की वजह से भारत को अपने हज़ारों मज़दूरों को वापस भारत लाना पड़ा थ। नतीजा ये हुआ था कि उनकी ओर से भेजी जाने वाली विदेशी मुद्रा पूरी तरह से रुक गई थी। ऊपर से भारत की राजनीतिक अस्थिरता और मंडल आयोग की सिफारिशों के खिलाफ उभरा जन आक्रोश अर्थव्यवस्था को कमजोर किए जा रहा था। देश को इस कठिन हालात से बाहर लाने के लिए उस समय देश के प्रधानमंत्री रहे पीवी नरसिम्हा राव ने डॉ. मनमोहन सिंह को चुना था। डॉ. सिंह ने 24 जुलाई 1991 को ऐतिहासिक बजट को पेश करते हुए फ्रांसीसी विद्वान विक्टर ह्यूगो को उद्धृत करते हुए कहा था कि दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया हो। उससे पहले भारत की क्लोज इकॉनमी में सरकार ही सब कुछ तय करती थी। किस सामान का उत्पादन कितना होगा, उसे बनाने में कितने लोग काम करेंगे और उसकी कीमत क्या होगी, सब सरकार तय करती है। इस सिस्टम को लाइसेंस परमिट राज कहा जाता था। 1991 के बजट ने लाइसेंस परमिट राज से देश को मुक्ति दिला दी। देश में खुली अर्थव्यवस्था का रास्ता साफ हुआ। इसमें प्राइवेट कंपनियों को कई तरह की छूट और प्रोत्साहन दिए गए। सरकारी निवेश कम करने और खुले बाजार को बढ़ावा देने का फैसला किया गया। इस बजट ने देश की तस्वीर बदलकर रख दी। कंपनियां फलने-फूलने लगीं और करोड़ों नई नौकरियां मार्केट में आईं। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनमी बनकर उभरा है। अमेरिका समेत दुनिया के कई देश जहां मंदी की आशंका में जी रहे हैं, वहीं भारत की इकॉनमी तेजी से आगे बढ़ रही है।
बेंगलुरु में दो नए शहरों की घोषणा: KWIN V/S SWIFT City, जानें क्या हैं समानताएं और अंतर


बेंगलुरु : हाल ही में कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु में एक और नए शहर को बसाने की घोषणा कर दी है। बेंगलुरु के इलेक्ट्रॉनिक सिटी के तर्ज पर ही अब SWIFT City को बसाया जाएगा। बेंगलुरु को देश की सिलीकॉन सिटी कहा जाता है। कर्नाटक को सिलीकॉन स्टेट बनाने के उद्देश्य से ही बेंगलुरु में इन नए शहरों को बसाया जा रहा है, ताकि नए-नए औद्योगिक घरानों, स्टार्टअप आदि को बेंगलुरु के लिए आकर्षित किया जा सकें।

इससे पहले इसी साल सितंबर में कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु में एक और शहर KWIN City को बसाने की घोषणा की थी। ऐसे में आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि KWIN और SWIFT City में क्या अंतर होगा? या बेंगलुरु में बसाए जाने वाले दोनों नए शहरों KWIN और SWIFT City में समानताएं क्या होने वाली हैं?

KWIN City bangalore PC : AI

तो चलिए पता लगाते हैं, बेंगलुरु में बसाए जाने वाले KWIN और SWIFT City की क्या विशेषताएं हैं और दोनों में क्या-क्या अंतर होगा?

क्या है KWIN और SWIFT City?

KWIN City - नॉलेज (Knowledge), वेलबिइंग (Wellbeing), इनोवेशन (Innovation)

SWIFT City - स्टार्टअप (Startup), वर्कस्पेसेस (Workspaces), इनोवेशन (Innovation), फाइनेंस (Finance), टेक्नोलॉजी (Technology)

क्या होगी लोकेशन?.

KWIN City बेंगलुरु से करीब 60 किमी की दूरी पर बसाया जाएगा। जानकारी के अनुसार इसे कर्नाटक सरकार डोड्डास्पेटे और डोड्डाबल्लपुर के बीच बसाना चाहती है, जो सैटेलाइट टाउन रिंग रोड पर मौजूद है। बेंगलुरु का केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (KIA) से मात्र 1 घंटे की दूरी पर मौजूद होने की वजह से उम्मीद की जा रही है कि यहां निवेशक आसानी से मिल जाएंगे।

वहीं दूसरी ओर SWIFT City सारजापुर के पास बसाने की योजना है। इसे NH44 और NH48 के पास बसाया जाएगा, जहां से आईटी हब पास में होंगे। बेहतर यातायात के लिए यहां पर 150 मीटर चौड़ी सड़क बनायी जाएगी जो नए-नए स्टार्टअप्स को यहां आने के लिए आकर्षित करेगी।.

दो अलग-अलग नए शहरों को बसाने की वजह और अंतर?

कर्नाटक सरकार ने कुछ महीनों के अंतराल में ही बेंगलुरु में दो अलग-अलग शहरों को बसाने की घोषणा की है। इन दोनों शहरों को बसाने की वजहें ही इन दोनों शहरों में सबसे बड़ा अंतर साबित होने वाला है। इसके साथ ही दोनों शहरों के आकार में भी बहुत बड़ा, लगभग दोगुना का फर्क है। दोनों शहरों में कौन से मुख्य अंतर है, आइए जान लें 

KWIN City को मुख्य रूप से शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों, शोध केंद्र, वैश्विक स्वास्थ्य केंद्रों आदि को आकर्षित करने और उनका हब बनाने के लिए बसाने की योजना है।

वहीं SWIFT City को कर्नाटक का औद्योगिक विकास करने के लिए बसाया जाएगा। दावा किया जा रहा है कि कर्नाटक को बतौर सिलीकॉन स्टेट एक नयी पहचान दिलाएगा।

KWIN City को 2000 एकड़ के क्षेत्र में जबकि इससे ठीक आधे यानी 1000 एकड़ के क्षेत्र में बसाया जाएगा SWIFT City।

SWIFT City में स्टार्टअप, औद्योगिक वर्कप्लेस, लोगों के रहने के लिए घर और बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल आदि बनाए जाएंगे। 

वहीं KWIN City शैक्षणिक केंद्रों का हब होगा। उम्मीद की जा रही है कि KWIN City राज्य के GDP को बढ़ाने में भी मददगार साबित होगी।

क्या होगी KWIN और SWIFT City की विशेषताएं?

KWIN City की विशेषताओं की बात करें तो इसे 2000 एकड़ के विशाल क्षेत्र में बसाने की योजना बनायी गयी है। 

यह मुख्य रूप से शिक्षा, शोध और स्वास्थ्य के हब के तौर पर बसाया जाएगा। कर्नाटक के मंत्री एमबी पाटिल ने संभावना जाहिर की थी कि KWIN City को बसाने से लगभग ₹40,000 करोड़ के निवेश की संभावना है और लगभग 80,000 रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। इसे बेंगलुरु के इंटरनेशनल एयरपोर्ट को ध्यान में रखते हुए मुख्य शहर से महज 60 किमी की दूरी पर बसाया जाएगा।

वहीं SWIFT City को विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ 1000 एकड़ के क्षेत्र में बसाया जाएगा। इसे IT हब को ध्यान में रखते हुए बसाया जा रहा है। यह स्टार्टअप, कंपनियां छोटे-मध्यम आकार के वर्कप्लेस लीज पर, खरीद सकती हैं या फिर शेयरिंग मॉडल पर ले सकती हैं। 

नेशनल हाईवे के पास होने की वजह से सड़क मार्ग से यातायात को सुगम बनाने के लिए SWIFT City में लगभग 150 मीटर चौड़ी सड़क बनाने की योजना है।

कनाडा की वित्त मंत्री ने दिया इस्तीफा, क्या ट्रूडो भी छोड़ेंगे प्रधानमंत्री का पद?

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कनाडा में एक बड़ा राजनीतिक भूचाल आया है। वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जस्टिन ट्रूडो से टकराव के चलते ही देश की उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने सोमवार को पद से इस्तीफा दे दिया। दोनों के बीच ट्रंप के संभावित टैरिफ को लेकर मतभेद था। उन्होंने उसी दिन पद से इस्तीफा दिया, जब उन्हें संसद में बजट पेश करना था।

फ्रीलैंड ने जाते-जाते प्रधानमंत्री ट्रूडो के नाम एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने लिखा, ‘आप मुझे वित्त मंत्री के तौर पर देखना नहीं चाहते। बेहतर यही है कि मैं ईमानदारी से मंत्रीमंडल से बाहर हो जाऊं।’ इस पत्र में फ्रीलैंड ने बताया है कि पिछले हफ्ते ट्रूडो ने उन्हें वित्त मंत्री के पद से हटाने की कोशिश की थी और उन्हें मंत्रिमंडल में कोई अन्य भूमिका देने की पेशकश की थी। उन्होंने अपने इस्तीफे में कहा कि मंत्रिमंडल छोड़ना ही एकमात्र ईमानदार और व्यावहारिक रास्ता है।

अपने पत्र में फ्रीलैंड ने कहा कि कनाडा गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है और उन्होंने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस धमकी का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कनाडाई उत्पादों पर 25 फीसदी शुल्क लगाने की बात की थी। फ्रीलैंड ने लिखा, हमें अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत रखना होगा, ताकि हम किसी संभावित शुल्क युद्ध के लिए तैयार रह सकें।

फ्रीलैंड ने यह भी कहा, हमें प्रांतीय क्षेत्रीय प्रमुखों के साथ ईमानदारी और विनम्रता के साथ काम करना चाहिए, ताकि प्रतिक्रिया देने वाली कनाडा की सच्ची टीम का निर्माण हो सके। कनाडा के सभी 13 प्रांतों के प्रमुख अभी टोरंटों में 'काउंसिल ऑफ द फेडरेशन' की बैठक में हैं, जिसकी अध्यक्षता ओंटारियों के मुख्यमंत्री डग फोर्ड कर रहे हैं। उनके इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ फाइनेंशियल पॉलिसीज को लेकर उनके मतभेद खुलकर सामने आ गए।

इस इस्तीफ़े को ट्रूडो के लिए एक अप्रत्याशित झटका माना जा रहा है। ट्रूडो पहले ही कनाडा में अल्पमत सरकार चला रहे हैं।समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़ लिबरल पार्टी के नेता ट्रूडो पहले ही सर्वेक्षणों में कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता पीएर पॉलिवेयर से 20 फ़ीसदी पीछे चल रहे हैं।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ वरिष्ठ कैबिनेट सहयोगी के त्यागपत्र को साल 2015 में सत्ता संभालने के बाद ट्रूडो के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया जा रहा है। ये ट्रूडो कैबिनेट के किसी सदस्य का पहला खुला विरोध और इस क़दम के बाद सत्ता पर उनकी पकड़ ढीली पड़ने के आसार हैं।

क्रिस्टिया फ्रीलैंड के उपप्रधानमंत्री का पद छोड़ने के बाद ट्रूडो पर हमले बढ़ गए हैं। कई विपक्षी दलों ने ट्रूडो से इस्तीफ़े की मांग की है।ट्रूडो के सहयोगी रहे कनाडा की एनडीपी पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने भी प्रधानमंत्री से इस्तीफ़ा मांगा है।एक्स पर पोस्ट किए अपने संदेश में जगमीत सिंह ने कहा, "आज मैं ट्रूडो से इस्तीफ़े की मांग करता हूँ। अब उन्हें जाना होगा। इस वक़्त कनाडा के लोग महंगाई से परेशान हैं। लोगों को अपनी बजट के हिसाब से घर तक नहीं मिल रहे हैं। ट्रंप ने 25 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाने की बात की है। इस सब के बीच लिबरल पार्टी कनाडा के लोगों के लिए लड़ने के बजाय आपस में लड़ रही है।"

సంచలన నివేదిక... ఫేక్ లోన్ యాప్‌లను ఇన్‌స్టాల్ చేయడంలో భారతీయులదే అగ్రస్థానం..

ఈ రోజుల్లో నకిలీ యాప్స్‌ కుప్పలు తెప్పలుగా పుట్టుకొస్తున్నాయి. నకిలీ యాప్స్‌ వల్ల వ్యక్తిగత డేటా ప్రమాదంలో పడిపోతుంది. సైబర్‌ నేరగాళ్లు నకిలీ యాప్స్‌ను సృష్టించి వ్యక్తిగత డేటా దొంగిలించడంతో పాటు నిలువునా దోచుకుంటున్నారు. ఈ నేపథ్యంలో ప్రైవేట్ ఏజెన్సీ McAfee కీలక నివేదికను విడుదల చేసింది. ఈ నివేదికల ప్రకారం.. నకిలీ రుణ యాప్‌లను ఇన్‌స్టాల్ చేయడంలో భారతీయులు ప్రపంచంలోనే అగ్రగామిగా ఉన్నారని స్పష్టం చేసింది. చాలా మంది త్వరగా రుణం పొందవచ్చని భావించి వేరే వాటి వైపు చూడకుండా ఈ యాప్‌లను ఇన్‌స్టాల్ చేస్తారు. కానీ ఈ అప్లికేషన్‌లు వినియోగదారుల వ్యక్తిగత సమాచారాన్ని, బ్యాంకింగ్ డేటాతో సహా ఎలాంటి అనుమతి లేకుండా దొంగిలిస్తాయి. అత్యంత ప్రమాదకరమైన 15 అప్లికేషన్లను 8 మిలియన్ల మంది డౌన్‌లోడ్ చేసుకున్నారని మెకాఫీ గుర్తించింది.

చాలా మంది వ్యక్తులు గూగుల్‌ ప్లే స్టోర్ నుండి యాప్‌ని ఇన్‌స్టాల్ చేసుకుంటున్నారు. అయితే ఈ యాప్‌లు గూగుల్ ప్లే స్టోర్ నుండి తొలగించినప్పటికీ మెజారిటీ ఇప్పటికీ అప్లికేషన్‌ను ఉపయోగిస్తున్నట్లు McAfee కనుగొంది. ఇది వినియోగదారులను ఎక్కువ ప్రమాదంలో పడేస్తుంది.

ఈ యాప్‌లు ఎందుకు ప్రమాదకరమైనవి?

ఈ అప్లికేషన్‌లను ఇన్‌స్టాల్ చేస్తున్నప్పుడు వినియోగదారు యాప్‌లకు అనేక అనుమతులు ఇస్తారు. ఈ విధంగా ఈ అప్లికేషన్‌లు మీ స్మార్ట్‌ఫోన్‌లోని సందేశాలు, కెమెరా, మైక్రోఫోన్, స్థానంతో సహా అన్ని ముఖ్యమైన సమాచారాన్ని యాక్సెస్ చేయగలవు. ఈ అప్లికేషన్‌లు వినియోగదారుకు తెలియకుండానే OTPతో సహా ముఖ్యమైన సమాచారాన్ని కూడా దొంగిలించగలవు.

అయితే ఈ యాప్‌లు యూజర్‌లు గూగుల్‌ భద్రతా ప్రమాణాలకు అనుగుణంగా ఉన్నాయని కూడా తెలియజేస్తాయి. అందుకే చాలా యాప్‌లు ఇప్పటికీ ప్లే స్టోర్‌లో అందుబాటులో ఉన్నాయి. ఈ యాప్‌లను హ్యాకర్లు ప్రైవేట్ చిత్రాలను మార్ఫ్ చేయడానికి, ఇతర వినియోగదారులను బెదిరించడానికి ఉపయోగిస్తారు.

ఈ ప్రమాదకరమైన యాప్‌లు మీ ఫోన్‌లో ఉన్నాయో లేదో తనిఖీ చేయండి:

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అదే సమయంలో ఆన్‌లైన్ మోసాలు, సైబర్ నేరాలు పెరుగుతున్నాయని గూగుల్ ఇటీవల తన వినియోగదారులను హెచ్చరించింది. సాంకేతికత అభివృద్ధి చెందుతున్నందున మోసగాళ్ళు వేగంగా వినియోగదారులను మోసగిస్తున్నారు. ఇలాంటి స్కామ్‌లలో చాలా మంది బలవుతున్నారు. మరింత భద్రత కల్పించేందుకు గూగుల్ ప్రత్యేక భద్రతా వ్యవస్థను కూడా ప్రవేశపెడుతోంది.

Martand Jyotish Anusandhan Kendra: Varanasi's Premier Astrology Center Led by Renowned Astrologer Dr. Mukesh Kumar Dubey (Guru Ji)

Varanasi, Uttar Pradesh – Martand Jyotish Anusandhan Kendra is Varanasi's leading astrology center, dedicated to providing accurate and transformative astrological guidance. Under the skilled leadership of Dr. Mukesh Kumar Dubey (Guru Ji), the center has gained fame for its precise predictions and comprehensive astrological services. It offers specialized astrology services that cater to various aspects of life.

About Martand Jyotish Anusandhan Kendra

Located in the heart of Varanasi, Martand Jyotish Anusandhan Kendra is committed to improving clients' lives through its services. The center offers horoscope analysis, Vastu consultation, marriage matching, and personalized astrological remedies. It provides clarity and solutions for career, relationships, health, and personal growth.

Achievements and Recognitions

Martand Jyotish Anusandhan Kendra has been recognized as a "Best astrologer in Varanasi" on platforms like 3BestRated, Justdial, and others. This acknowledgment highlights the center's commitment to excellence and customer satisfaction.

Additionally, the center has been honored with prestigious awards like the Kashi Ratna Award and has held prominent roles, such as the presidency of Banaras Rotary Club.

The expert astrologers at Martand Jyotish Anusandhan Kendra emphasize that many modern-day problems can be effectively resolved through astrology, which is also scientifically validated.

About Dr. Mukesh Kumar Dubey (Guru Ji)

Dr. Mukesh Kumar Dubey (Guru Ji) is renowned for his accurate predictions and profound astrological knowledge. His predictions have not only proven to be precise but have also transformed the lives of thousands.

Dr. Dubey holds a Ph.D. in Astrology from the globally recognized Banaras Hindu University and has over 30 years of experience in the field. He has successfully addressed the issues of clients not only from Varanasi but also from across India and abroad.

Core Services

Martand Jyotish Anusandhan Kendra specializes in the following services:

Horoscope Analysis: In-depth study of birth charts to understand personality traits and future trends.

Vastu Consultation: Solutions for homes and offices to ensure harmony and prosperity.

Marriage Matching: Comprehensive compatibility assessment for marital and business relationships.

Astrological Remedies: Customized solutions to resolve life challenges.

Personal Consultation: Expert guidance on career, health, finance, and relationships.

Why Choose Martand Jyotish Anusandhan Kendra?

The center has consistently delivered life-changing results, combining expertise with compassion. Dr. Dubey's profound understanding of astrology and his client-centric approach make Martand Jyotish Anusandhan Kendra a trusted name in astrology.

For more visij : https://kashimartandjyotish.com/

क्या है कॉप 29, भारत ने क्यों खारिज किया नया जलवायु वित्त समझौता*
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कोयला, तेल और गैस उत्पादन के परिणामस्वरूप हर साल अरबों टन कार्बनडाइऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ा जाता है। मानवीय गतिविधियों के कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जिसके कम होने के कोई संकेत नहीं हैं। जलवायु परिवर्तन हमारे समय का सबसे बड़ा संकट है और यह हमारी आशंका से भी कहीं ज़्यादा तेज़ी से हो रहा है। पिछले चार साल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहे। दुनिया का कोई भी कोना जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी परिणामों से अछूता नहीं है। बढ़ते तापमान के कारण पर्यावरण क्षरण, प्राकृतिक आपदाएँ, मौसम की चरम सीमाएँ, खाद्य और जल असुरक्षा तेजी से बढ़ रही है। इसी बीच हाल ही में अजरबैजान के बाकू में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप-29) का आयोजन किया गया। इस दौरान भारत ने 'ग्लोबल साउथ' के लिए 300 अरब अमेरिकी डॉलर के नए जलवायु फंडिंग पैकेज को रविवार को खारिज कर दिया। कहा कि यह पैकेज बहुत कम है। समझौते को मंजूरी से पहले भारत को बात रखने का मौका नहीं दिया गया। अजरबैजान के बाकू में आयोजित कॉप 29 सम्मेलन में 300 अरब डॉलर वार्षिक क्लाइमेट फाइनेंस का लक्ष्य तय किया गया, जिससे विकासशील देशों को मदद मिल सके। लेकिन यह समझौते पर भी विवादों के बादल छा गए। भारत ने इसे एक “दृष्टि भ्रम” बताते हुए कहा कि इससे असली जलवायु समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। दरअसल, विकासशील देशों ने इसके लिए कम से कम एक ट्रिलियन डॉलर (1000 अरब डॉलर) की मांग की थी। भारत ने कॉप-29 के अध्यक्ष पद व संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन अधिकारी पर समझौते को थोपने और आपत्ति दर्ज करने का मौका नहीं देने का आरोप लगाया। इस बीच जलवायु कार्यकर्ताओं ने कॉप-29 के आयोजन स्थल के बाहर सम्मेलन के अंतिम दिन भी प्रदर्शन जारी रखा। कार्यकर्ताओं की मांग है कि जलवायु समस्याओं को देखते हुए वित्त बढ़ाया जाना चाहिए। *भारत ने जलवायु वित्त पैकेज पर क्या कहा* आर्थिक मामलों के विभाग की सलाहकार चांदनी रैना ने यहां संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के समापन सत्र में भारत की ओर से कड़ा बयान देते हुए इस प्रस्ताव को अपनाने की प्रक्रिया को ''अनुचित'' और ''पहले से प्रबंधित'' करार दिया तथा कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में भरोसे की चिंताजनक कमी को दर्शाती है।विकासशील देशों के लिए यह नया जलवायु वित्त पैकेज या नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (एनसीक्यूजी) 2009 में तय किए गए 100 अरब अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य का स्थान लेगा। समझौते पर वार्ता के बाद जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश विभिन्न स्रोतों- सार्वजनिक और निजी, द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय तथा वैकल्पिक स्रोतों से कुल 300 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष मुहैया कराने का लक्ष्य 2035 तक हासिल करेंगे। वित्तीय मदद का 300 अरब अमेरिकी डॉलर का आंकड़ा उस 1.3 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से बहुत कम है, जिसकी मांग 'ग्लोबल साउथ' देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पिछले तीन साल से कर रहे हैं। *विकसित देश ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार* भारतीय आर्थिक सलाहकार रैना ने कहा, विकसित देश ऐतिहासिक रूप से जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार रहे हैं। उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे विकासशील व निम्न आय वाली अर्थव्यवस्थाओं को वित्त, प्रौद्योगिकी तथा क्षमता निर्माण सहायता प्रदान करें, ताकि उन्हें गर्म होती दुनिया से निपटने में मदद मिल सके। उन्होंने 2009 में 100 अरब डॉलर के पैकेज का एलान किया था। वर्ष 2020 तक पैकेज के सिर्फ 70 प्रतिशत लक्ष्य को ही हासिल किया सका और वह भी कर्ज की शक्ल में। 300 अरब डॉलर से विकासशील देशों का कुछ नहीं होने वाला। भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद अब विकसित देशों पर जलवायु वित्त को बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। *इन देशों ने किया भारत का समर्थन* संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में वैश्विक दक्षिण के लिए 300 अरब डॉलर के नए जलवायु वित्त पैकेज पर भले ही सहमति बन गई हो, लेकिन बड़ी संख्या में देशों की प्रतिक्रियाओं से पता चलता है कि इससे हर कोई खुश नहीं है। अल्प विकसित देशों (एलडीसी) समूह के अध्यक्ष इवांस नेजेवा ने इसे निराशाजनक बताया। वहीं, नाइजीरिया, मलावी और बोलीविया ने भी भारत का समर्थन किया है। नाइजीरिया की वार्ताकार नकिरुका मडुकेवे ने कहा कि जलवायु फंडिंग पैकेज 'मजाक' है। गरीब देशों के संघ एलडीसी के अध्यक्ष इवांस नजेवा ने पैकेज को निराशाजनक करार देते हुए कहा कि पृथ्वी की सेहत सुधारने का मौका गंवा दिया। वहीं अफ्रीकी वार्ताकारों के समूह के अध्यक्ष ने कहा कि यह समझौता 'कड़वे मन से' किया गया। *क्या है COP 29 में तय समझौता?* संयुक्त राष्ट्र के अंतिम आधिकारिक मसौदे के अनुसार, कॉप 29 का मुख्य उद्देश्य जलवायु से जुड़ी पिछली फाइनेंस योजना को तीन गुना बढ़ाना था। पहले हर साल 100 अरब डॉलर (₹8.25 लाख करोड़) की योजना थी, जिसे अब 300 अरब डॉलर (24.75 लाख करोड़ रुपये) किया गया है। समझौते के मुताबिक, साल 2035 तक यह प्रयास किया जाएगा कि सार्वजनिक और निजी स्रोतों से विकासशील देशों को कुल 1.5 ट्रिलियन डॉलर (123.75 लाख करोड़ रुपये) तक की वित्तीय सहायता मिले। इसके अलावा, 1.3 ट्रिलियन डॉलर (1,07,25,000 करोड़ रुपये) विशेष रूप से अनुदानों और सार्वजनिक निधियों के रूप में कमजोर देशों के लिए सुनिश्चित किए जाएंगे।
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने नगरीय प्रशासन विभाग के विभागीय पोर्टल को किया लॉन्च

रायपुर-     उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने मुंगेली के डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के नए विभागीय पोर्टल www.cguadfinance.in को लॉन्च किया। उन्होंने पोर्टल का शुभारंभ करते हुए कहा कि इससे शहरी प्रशासन और विकास के कार्यों को ज्यादा पारदर्शी बनाने, निर्माण कार्यों के प्रभावी व त्वरित मॉनिटरिंग तथा उनकी प्रगति की समीक्षा में सहूलियत होगी। यह पोर्टल प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के ‘डिजिटल इंडिया’ और 2047 तक विकसित भारत के विजन की दिशा में बड़ा कदम है। इससे हम पेपरलेस प्रशासन और डिजिटल सशक्तिकरण की ओर तेजी से आगे बढ़ेंगे।

विभाग द्वारा इस पोर्टल को विशेष रूप से नगरीय निकायों में संचालित महत्वपूर्ण योजनाओं व कार्यों की समीक्षा एवं मॉनिटरिंग के लिए विकसित किया गया है। यह पोर्टल निकायों के कार्यों की निगरानी को सरल और प्रभावी बनाएगा। इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि योजनाओं का पूरा लाभ नागरिकों तक पहुंचे। यह पोर्टल डिजिटल इंडिया का दायरा बढ़ाने के साथ ही विभाग को आधुनिक कार्यप्रणाली से जोड़ता है। इस पोर्टल के उपयोग से न केवल विभाग की दक्षता बढ़ेगी, बल्कि कार्यों की त्वरित मॉनिटरिंग में भी हो सकेगी। पोर्टल की लॉन्चिंग के दौरान मुंगेली के कलेक्टर राहुल देव और पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल सहित जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक और स्थानीय नागरिक बड़ी संख्या में मौजूद थे।

पोर्टल से इन कार्यों में मिलेगी मदद

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के नए शुरू हुए पोर्टल www.cguadfinance.in से विभागीय प्रक्रियाएं डिजिटल और पेपरलेस होंगी, जिससे संसाधनों और समय की बचत होगी। इससे विभाग और नगरीय निकायों की कार्यप्रणाली अधिक पारदर्शी और प्रभावी होगी। इस पोर्टल के माध्यम से अधोसंरचना मद और 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत स्वीकृत कार्यों की प्रगति की मॉनिटरिंग एवं निकायों को जारी राशि की समीक्षा की जाएगी। इससे कार्यों को समय-सीमा में पूर्ण कराने में सहायता मिलेगी जिसका लाभ निकायों के रहवासियों को मिलेगा। पोर्टल से विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की समीक्षा के साथ ही निकायों के आय-व्यय, संपत्ति कर और अन्य करों की वसूली की स्थिति की जानकारी मिलेगी। इसके माध्यम से विभाग के न्यायालयीन प्रकरणों और उनके समाधान की प्रगति की ट्रैकिंग भी की जाएगी।

Crypto king Mr "Gajanan S Kalaburgi joins the elite Billionaire Club crypto Family

Gajanan S. Kalburgi is one of the flamboyant founders and chairman of Ramsena Coin Ltd and CricCoin Ltd, recently added to the billionaires club. Being in London, UK, Kalburgi's ventures have not only changed the face of cryptocurrency but have also rewritten the book on how industries approach innovation, investment, and technology.

Under the visionary leadership of Gajanan S. Kalburgi, Ramsena Coin has acquired a market valuation of USD 1.34 billion as the trailblazer in the cryptocurrency industry. It differs from other coins in that it pioneers the integration of real estate; in fact, it is the first coin in the world to enable real estate transactions. This innovative feature of Ramsena Coin has captured the attention of investors and industry leaders alike, making Ramsena Coin a game-changer in both the crypto space and the real estate space.

The other venture of Gajanan S. Kalburgi, CricCoin, though valued smaller at USD 200 million, has equally ambitious goals. He has combined the world of sports with cryptocurrency and leveraged this increasingly substantial cricket fan base to provide it with an innovative investment option. Once again, in this endeavor, Kalburgi has invariably grasped and leveraged emerging trends armed with his entire career in finance and technology.

Gajanan S. Kalburgi is a great entrepreneur who was equipped with a wonderful background in finance and technology, through which he gained heights of success. His full-fledged journey from being a young investor to becoming a billionaire was due to his hard commitments toward innovation, along with great work ethics and strategic thinking skills. He has always been there to predict market trends, making him seize opportunities that others may not be able to see.

Gajanan S. Kalburgi's influence stretches beyond cryptocurrencies. He has now entered the petroleum sector and pushed Ramsena Coin into a field that has billions of dollars' worth of assets associated with cryptocurrency. This is a bold move on his part, showing a desire to create diversification in his portfolio and build a solid financial ecosystem around Ramsena Coin.

Even in his entertainment industry ventures via CricCoin and Legendary Man Entertainment, Gajanan S. Kalburgi's business acumen can be demonstrated. He has been pioneering innovation in blockchain for over twenty years and consolidates his efforts with initiatives such as the Superstar's Cricket League—a venture that highlights his passion for balancing technology with entertainment and community building through sports.

Gajanan S. Kalburgi is a Mithibai College alumnus who obtained his degree in Business Administration and Management. Educated, he has been able to take practical inputs on real-life challenges to come up with strategies that will put his companies at the top rung of their respective industries. Film production, video editing, and new media-related skills have also significantly helped him to be at the top of the entertainment lists.

With such achievements, Gajanan S. Kalburgi becomes part of the list of billionaires. His story inspires upcoming entrepreneurs to pursue their dreams. Innovation, adaptability, and forward-thinking have been essential in today's rapidly moving business environment, which can be exemplified by the journeys of Ramsena Coin and CricCoin, both of which he pioneered. Kalburgi will continue to be the true innovative leader of this world, and the two industries, cryptocurrency and entertainment, are promising a lot for their developments.

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