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पंजाब सीएम भगवंत मान के दिल्ली आवास पर चुनाव आयोग की रेड, जानें क्या है पूरा मामला

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दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी पारा चढ़ा हुआ है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इस बीच बीजेपी की शिकायत पर दिल्ली में पंजाब के मुख्यमंत्री के रिहायशी कपूरथला हाउस में चुनाव आयोग की टीम तलाशी लेने पहुंची है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि पंजाब से भारी मात्रा में पैसा और शराब लाकर कपूरथला हाउस में डंप की जा रही है। केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू ने भी इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई थी।

बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग के एक अधिकारी दिल्ली पुलिस के जवानों और अधिकारियों के साथ कपूरथला हाउस के बाहर खड़े हैं। उन्हें अंदर जानें नहीं दिया गया है। मान के घर पहुंचे रिटर्निंग ऑफिसर ओपी पांडे ने कहा, हमें पैसे बांटने की शिकायत मिली है। हमें 100 मिनट में शिकायत का निपटारा करना है। हमारी फ्लाइंग स्क्वॉयड टीम यहां आई थी, जिसे अंदर नहीं जाने दिया गया। मैं उनसे अनुरोध करने आया हूं कि हमें एक कैमरापर्सन के साथ अंदर जाने दिया जाए। पैसे बांटने की शिकायत cVIGIL ऐप पर मिली थी।

मान के घर पर चुनाव आयोग के रेड की खबर पर आम आदमी पार्टी भड़क गई है। वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी ने एक्स पर ट्वीट कर लिखा, "दिल्ली पुलिस भगवंत मान जी के दिल्ली के घर पर रेड करने पहुंच गई है। भाजपा वाले दिन दहाड़े पैसे, जूते, चद्दर बांट रहे हैं- वो नहीं दिखता। बल्कि एक चुने हुए मुख्यमंत्री के निवास पर रेड करने पहुंच जाते हैं। वाह री भाजपा! दिल्ली वाले 5 तारीख़ को जवाब देंगे!"

वहीं, रेड पर आप ने भी अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा- हार सामने देख, कांप उठी भाजपा। भाजपा की दिल्ली पुलिस पंजाब के सीएम भगवंत मानजी के दिल्ली के घर पर रेड करने पहुंच गई है। भाजपा वाले दिन दहाड़े पैसे, जूते, चादर बांट रहे हैं, मगर पुलिस और चुनाव आयोग की आंखों पर तो भाजपाई पट्टी बंधी है।

दिल्ली में अमित शाह ने जारी किया बीजेपी का संकल्प पत्र पार्ट-3, बोले-केजरीवाल जैसा झूठ बोलने वाला नहीं देखा

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दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को बीजेपी के संकल्प पत्र का तीसरा भाग जारी किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम जो भी वादा करते हैं उसे पूरा करते हैं, दूसरों की तरह सिर्फ वादा नहीं करते हैं। इस दौरान अमित शाह ने आम आदमी पार्टी की सरकार और अरविंद केजरीवाल पर भी जमकर हमला बोला।

अमित शाह ने कहा, आज दिल्ली चुनाव के लिए बीजेपी संकल्प का अंतिम हिस्सा प्रस्तुत कर रहा हूं। अन्य पार्टी का नाम नहीं लूंगा। हमारा पार्टी जो वादे करती है पूरा करती है। हम सिर्फ वादे नहीं करते किसी से। हमने बहुत लोगों से सुझाव मांगा था जिसके बाद ये तैयार किया गया है।

इस दौरान गृह मंत्री ने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि केजरीवाल बड़ी सफाई से झूठ बोलते हैं। केजरीवाल ने स्कूल-मंदिरों के पास शराब की दुकान खुलवाईं। करोड़ों रुपये का अपना घर बनाया। मोहल्ला क्लीनिक में मेडिकल टेस्ट के नाम पर घोटाला किया। दिल्ली का प्रदूषण वो कम नहीं कर पाए। उन्होंने कोई भी वादा पूरा नहीं किया। 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल ऐसी सरकार चला रहे हैं, जो वादे करते हैं, उन्हें पूरा नहीं करते हैं और फिर से झूठ के एक बहुत बड़े पुलिंदे और भोले से चेहरे के साथ जनता के सामने उपस्थित होते हैं। मैंने अपने राजनीतिक जीवन में इतनी सफाई से झूठ बोलने वाला व्यक्ति नहीं देखा है।

नए घोषणा पत्र में किए गए वादे

• 1700 अनधिकृत कॉलोनियों को संपूर्ण मालिकाना हक देंगे।

• 13000 सील दुकानों को दोबारा खोला जाएगा।

• शरणार्थी कॉलोनियों को भी मालिकाना हक देने का काम करेंगे।

• पाकिस्तान से आए हुए सभी शरणार्थियों को मालिकाना हक देंगे।

• दिल्ली के युवाओं के 50 हजार सरकारी नौकरियां देंगे।

• 20 हजार करोड़ के निवेश के माध्यम से इंटीग्रेटेड पब्लिक नेटवर्क बनाएंगे।

• टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए यूपी और हरियाणा सरकार के साथ मिलकर कॉरिडोर बनाए।

• यमुना रिवर विकास फ्रंट बनाएंगे जो साबरमती के तरह होगा।

• 13000 बसों को ई बस में कन्वर्ट करके दिल्ली को 100 प्रतिशत ई बस सेवा देंगे।

• ग्रीक वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड बनाएंगे।

• टेक्सटाइल वर्कर्स को भी हम वित्तीय लाभ देंगे, 10 लाख का बीमा और 5 लाख दुर्घटना बीमा देंगे।

दिल्ली में चुनाव से पहले पूर्वांचली वोटर्स पर बीजेपी और आप आमने-सामने, जानें किन सीटों पर पूर्वांचलियों का दबदबा

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दिल्ली में वोटर लिस्ट के नाम पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के नेता लगातार आपस में भिड़े हुए हैं। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि नई दिल्ली विधानसभा सीट पर बड़ी संख्या में फर्जी वोटरों को जोड़ा जा रहा है। केजरीवाल ने कहा है, एक लाख की छोटी सी विधानसभा सीट है, उसमें पिछले 15 दिन में 13 हजार नए वोटर बनने की एप्लिकेशन कहां से आ गई? जाहिर तौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार से ला लाकर, आस-पास के स्टेट से लाकर फर्जी वोट बनवा रहे हैं ये लोग। आम आदमी के इस आरोप को बीजेपी ने पूर्वांचली वोटरों से अपमान से जोड़ा है।

भाजपा का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल ने पूर्वांचली वोटर का अपमान किया है। इसे लेकर दिल्ली में शुक्रवार को खूब बवाल हुआ। भाजपा ने केजरीवाल का घेराव किया। इस दौरान खूब गहमागहमी दिखी। भाजपा ने अरविंद केजरीवाल के बयान पर यह प्रदर्शन किया।

दिल्ली में वोटर लिस्ट और पूर्वांचलियों पर पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के नेता लगातार आपस में भिड़े हुए हैं। दिल्ली में पूर्वांचली वोटर सियासी लिहाज से काफी अहम हैं। पूर्वी यूपी और बिहार के वोटरों को पूर्वांचली वोटर कहते हैं। उनकी तादाद दिल्ली में अच्छी खासी है। आंकडों में देखें तो करीब 25 से 30 फीसदी पूर्वांचली वोटर दिल्ली में रहते हैं।25 से 30 फीसदी वाले ये पूर्वांचली वोटर्स दिल्ली की कई सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करते हैं।

पहले भी यूपी-बिहार पर कर चुके हैं टिप्पणी

केजरीवाल की जुबान से पहली बार बिहार-यूपी को केंद्र कर प्रतिकूल प्रभाव वाली टिप्पणी नहीं निकलती है। इससे पहले 2019 में भी केजरीवाल ने कुछ ऐसा कह दिया था, जिससे काफी बवेला मचा था। पहली बार केजरीवाल ने कहा था कि बिहार जैसे राज्यों से लोग 500 रुपये का टिकट लेकर दिल्ली आ जा रहे हैं और 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज कराते हैं। उनके इस बयान पर भाजपा और जेडीयू ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की थी।केजरीवाल अब कह रहे हैं कि भाजपा बिहार-यूपी से लोगों को दिल्ली लाकर वोटर बनवा रही

दिल्ली की पूर्वांचल बहुल सीट

दिल्ली देश की राजधानी होने के साथ-साथ प्रवासियों का शहर कहा जाता है। दिल्ली की आबादी में करीब 40 फीसदी प्रवासी ही हैं जो उत्तर प्रदेश, बिहार और देश के अलग अलग राज्यों में रोज़गार की तलाश में आते हैं। पूर्वांचली लगभग 70 सीटों में आधे पर जीत हार में फर्क डालते हैं। बुराड़ी, लक्ष्मी नगर, पड़पड़गंज, राजेंद्र नगर, बादली, मॉडल टाउन, घोंडा, करावल नगर, किराड़ी, रिठाला, छतरपुर, द्वारका, पालम, विकासपुरी, बदरपुर, संगम विहार और जनकपुरी दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में वो प्रमुख सीटे हैं जहां पर पूर्वांचली वोटर जिधर जाता है उसी की जीत तय मानी जाती है।

दिल्ली में पूर्वांचल का प्रभाव

दिल्ली में बसे पूर्वांचल के लोग तकरीबन दो दर्जन सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं। यही वजह है कि बिहार मूल की राजनीतिक पार्टियां भी दिल्ली चुनाव में ताल ठोंकने के लिए बेचौन दिखती हैं। जेडीयू और आरजेडी के अलावा एलजेपी भी पिछले चुनावों में किस्मत आजमा चुकी हैं। इस बार भी तीनों पार्टियों ने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने तो बाजाप्ता प्रेस कांफ्रेंस कर दिल्ली में एनडीए के बैनर तले चुनाव लड़ने की बात कुछ ही दिनों पहले कही थी।

दिल्ली में कब होगा विधानसभा चुनाव, आज दो बजे चुनाव आयोग करेगा तारीखों का एलान

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दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी, 2025 तक का है। इससे पहले दिल्ली विधानसभा का गठन करने के लिए चुनाव होने हैं। इसके लिए दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की ओर से तैयारियां की जा रही हैं। चुनाव आयोग आज (मंगलवार) 2 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा, जिसमें वो दिल्ली में चुनाव की तारीख का ऐलान करेगा।चुनाव आयोग की ओर से विज्ञान भवन में केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव के शेड्यूल की घोषणा को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई है।

एक ही चरण में चुनाव होने की उम्मीद

दिल्ली चुनाव एक ही चरण में होने की उम्मीद है। संभवतः फरवरी के दूसरे हफ्ते के आसपास चुनाव हो। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की देखरेख में यह अंतिम चुनाव हो सकता है. वह 18 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

दिल्ली में कुल एक करोड़ 55 लाख 24 हजार 858 वोटर

इस बार भी दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा सकता है। सोमवार को ही चुनाव आयोग ने अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी है। इस चुनाव में दो लाख के करीब मतदाता 18 से 19 वर्ष के हैं। वह पहली बार विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इस सूची में कुल एक करोड़ 55,24,858 मतदाता हैं।

1,67,329 नए मतदाता जुड़े

चुनाव आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली में एक महीने में 29 अक्तूबर से 28 नवंबर तक 1,35,089 मतदाताओं ने फार्म- 6 और 83,825 ने फार्म 8 के तहत मतदाता सूचियों में नाम जुड़वाने, पता बदलने, नाम को सूची से हटाने और आपत्तियां और सुझाव के लिए आवेदन किया। चुनाव आयोग के संबंधित अधिकारियों ने सभी आवेदनों को 24 दिसंबर तक सुलझा दिया। इस तरह से अंतिम मतदाता सूची जारी होने तक 3,08,942 नए नाम मतदाता सूचियों में जुड़े। 1,41,613 नाम हटाए गए। इस दौरान कुल 1,67,329 मतदाता नए जुड़े।

चुनाव आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची कांग्रेस, नियमों में बदलाव की मांग

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कांग्रेस चुनाव आयोग के नियमों में बदलाव को लेकर केंद्र सरकार के हालिया फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। दरअसल, केन्द्र की मोदी सरकार ने सीसीटीवी कैमरे और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ-साथ उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोकने के लिए चुनाव से संबंधित नियम में बदलाव किया है, ताकि उनका दुरुपयोग रोका जा सके। अब कांग्रेस ने हाल ही में किए गए इन संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस संबंध में मंगलवार को एक याचिका दायर की। जयराम रमेश ने याचिका दायर करने की जानकारी एक्स पर दी। जयराम रमेश ने याचिका दायर करने के बाद एक्स पर लिखा, "निर्वाचनों का संचालन नियम 1961 में हाल के संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की गई है। चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है। इस पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी है, इसलिए इसे एकतरफा और सार्वजनिक विचार-विमर्श के बिना इतने महत्वपूर्ण नियम में इतनी निर्लज्जता से संशोधन करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। उस परिस्थिति में तो विशेष रूप से नहीं जब वह संशोधन चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने वाली आवश्यक जानकारी तक सार्वजनिक पहुंच को समाप्त करता है। चुनावी प्रक्रिया में सत्यनिष्ठा तेजी से कम हो रही है। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसे बहाल करने में मदद करेगा।"

सरकार ने किन नियमों को बदला?

चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93 अनुबंधों के मुताबिक, चुनाव से संबंधित सभी 'कागजात' सार्वजनिक निरीक्षण के लिए रखे जाएंगे। यानी ये सार्वजनिक स्तर पर उपलब्ध होंगे। अब केंद्र सरकार ने इस नियम में संशोधन किया है। इसके तहत अब नियम 93 की शब्दावली में 'कागजातों' के बाद 'जैसा कि इन नियमों में निर्दिष्ट है' शब्द जोड़े गए हैं।

चुनाव आयोग से मशवरे के बाद केंद्रीय कानून और विधि मंत्रालय की तरफ से किएगए बदलावों के बाद अब चुनाव संबंधी सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक निरीक्षण के लिए नहीं रखा जाएगा। अब आम जनता सिर्फ उन्हीं चुनाव संबंधी दस्तावेजों को देख सकेगी, जिनका जिक्र चुनाव कराने से जुड़े नियमों में पहले से तय होगा।

इसका क्या असर होने वाला है?

चूंकि नामांकन फार्म, चुनाव एजेंट की नियुक्ति, परिणाम और चुनाव खाता विवरण जैसे दस्तावेजों का जिक्र चुनाव संचालन नियमों में किया गया है, इसलिए इन्हें सार्वजनिक निरीक्षण के लिए बरकरार रखा जाएगा। हालांकि, आदर्श आचार संहिता अवधि के दौरान सीसीटीवी कैमरा फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज चुनाव संचालन नियमों के दायरे में नहीं आते हैं। ऐसे में यह दस्तावेज जनता की पहुंच से दूर हो जाएंगे।

लोकसभा में पेश हुआ एक देश एक चुनाव बिल, विपक्ष ने किया विरोध, जेपीसी में भेजेगी सरकार

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वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक आज लोकसभा में पेश हो गया है।केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मंगलवार को लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। इसके बाद, विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए इसे संसद की संयुक्त समिति को भेजा जा सकता है।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कुछ सदस्यों ने बिल के इंट्रोडक्शन पर आपत्ति की है जो ज्यादातर लेजिस्लेटिव पर ही है। एक विषय आया कि आर्टिकल 368 का ये उल्लंघन करता है। ये आर्टिकल संविधान में संशोधन की प्रक्रिया बताता है और संसद को शक्ति देता है। एक विषय आया अनुच्छेद 327 सदन को विधानमंडलों के संबंध में चुनाव के प्रावधान का अधिकार देता है। इसमें कहा गया है कि संविधान के प्रावधान के तहत विधानमंडल के किसी भी चुनाव के संबंध में प्रावधान कर सकती है। ये संवैधानिक है। सभी आवश्यक मामले इसमें शामिल हैं। अनुच्छेद 83 सदनों की अवधि और राज्यों के विधानमंडल के चुनाव की अवधि को पुनर्निधारित किया जा सकता है। संविधा के सातवें अनुच्छेद के प्रावधान का उल्लेख करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि ये केंद्र को शक्ति प्रदान करता है। ये संविधान सम्मत संशोधन है।

जेपीसी में जाएगा वन नेशन वन इलेक्शन बिल

वन नेशन,वन इलेक्शन बिल पर जारी विरोध के बीच विपक्ष ने मांग की कि बिल को जेपीसी में भेजा जाएगा। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बिल को जेपीसी को भेजा जाएगा। जेपीसी में सारी चर्चा होगी। जेपीसी के रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट फिर से चर्चा करेगी। अगर मंत्री जी(अर्जुन राम मेघवाल) ये बताते हैं तो इसे जेपीसी के पास भेजा जा सकता है। तब मेघवाल ने कहा कि रूल 74 के तहत सरकार जेपीसी का प्रस्ताव लाएगी। सरकार की तरफ से ये मंशा भी है।

टीडीपी ने की 'अटूट' समर्थन देने की घोषणा

चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी ने लोकसभा में पेश किए गए एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक को ‘अटूट’ समर्थन देने की घोषणा की है। वहीं शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट ने भी इस बिल का समर्थन किया। वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक का कांग्रेस और सपा ने विरोध किया है। इसके अलावा टीएमसी और डीएमके ने भी बिल का विरोध किया है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, शिवसेना यूबीटी, एआईएमआईएम, सीपीएम और एनसीपी शरद पवार ने बिल का विरोध किया है। टीडीपी ने बिल का समर्थन किया है।

सत्ता को केंद्रीकृत करने का प्रयास है- सुप्रिया सुले

एनसीपी (एसपी)सांसद सुप्रिया सुले ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने “वन नेशन, वन इलेक्शन” विधेयक का विरोध किया है और इसे संघवाद और संविधान की कीमत पर सत्ता को केंद्रीकृत करने का प्रयास बताया है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह इस विधेयक को तुरंत वापस ले या आगे के परामर्श के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेज दे।

असदुद्दीन ओवैसी ने जमकर किया वन नेशन वन इलेक्शन बिल का विरोध

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन बिल का मैं विरोध करता हूं। ये बिल लोकतांत्रिक स्वराज के अधिकारों का उल्लंघन करता है। राज्य विधानसभा का कार्यकाल 5 साल का नहीं होगा। ये अपने आप में संविधान का उल्लंघन है। संघवाद के प्रिसिंपल के खिलाफ है ये बिल।

आप ने दिया कांग्रेस को जोर का झटका, केजरीवाल ने कांग्रेस संग गठबंधन की अटकलों पर लगाया विराम

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दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की अटकलों को अरविंद केजरीवाल ने खारिज किया है। केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी दिल्ली अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन की संभावना नहीं है।

दरअसल, न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से दावा किया था कि आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात अंतिम चरण में है। गठबंधन में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के अलावा इंडिया गठबंधन के कुछ अन्य दलों को भी शामिल करने की बात सामने आई। कहा जा रहा था कि कांग्रेस को 15 सीटें और अन्य इंडिया गठबंधन सदस्यों को 1 या 2 सीटें मिल सकती हैं। बाकी सीटों पर आम आदमी पार्टी खुद चुनाव लड़ेगी।

एएनआई के दावे पर अरविंद केजरीवाल ने खंडन किया है। केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक पर एनआई के पोस्ट पर जवाब देते हुए कहा, 'आम आदमी पार्टी दिल्ली में इस चुनाव में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के साथ गठबंधन को कोई संभावना नहीं है।'

आप-कांग्रेस गठबंधन की लग रहीं थी अटकलें

बता दें कि मंगलवार को आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन की सुगबुगाहट शुरू हुई थी। सूत्रों के हवाले से ये खबर सामने आई थी कि दिल्ली कांग्रेस के नेता आप के साथ गठबंधन करना चाहते हैं। इसके बाद आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के नेता पहुंचे शरद पवार के घर पहुंचे। जिसके बाद ये कयास लगने और तेज हो गए कि दिल्ली में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो सकता है।

कांग्रेस के पास अकेले लड़ने की “ताकत” नहीं

इससे पहले भी अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के साथ गठबंधन से इनकार कर चुके हैं।आम आदमी पार्टी भले ही दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनों से लगातार इनकार कर रही है, लेकिन कांग्रेस अपने सियासी ताकत को समझ रही हैं। कांग्रेस के नेता मान रहे हैं कि अकेले चुनाव लड़ने पर कोई लाभ नहीं होने वाला है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि मुस्लिम और दलित दोनों ही कांग्रेस से छिटक गया है और अपने-अपने कारणों से आम आदमी पार्टी के पास जा चुका है। कांग्रेस के कमजोर होने का सबसे बड़ी वजह यही रही और अब इसके चलते ही कांग्रेस के नेता भी दबी जुबान से मान रहे हैं कि बिना गठबंधन के कोई हल नहीं निकलने वाला, क्योंकि दिल्ली की चुनावी लड़ाई अब बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच केंद्रित हो गई है।

केजरीवाल के लिए आसान नहीं दिल्ली चुनाव

वैसे इस बार दिल्ली विधानसभा का चुनाव अरविंद केजरीवाल के लिए काफी मुश्किल भरा माना जा रहा है। ऐसे में चौथी बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने की रेस में पार्टी को इस बार कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले पांच सालों में पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे, उन्हें जेल भी जाना पड़ा और केजरीवाल को सीएम पद से इस्तीफा देकर अतिशी को कमान सौंपनी पड़ी। ऐसे में आम आदमी पार्टी एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को नजरअंदाज नहीं कर रही है।

एलन मस्क ने क्यों की भारत में चुनाव की तारीफ, जानें क्या कहा?

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माइक्रा ब्‍लॉगिंग साइट के मालिक और दुनिया के सबसे अमीर बिजनेस मैन एलन मस्क ने भारत की चुनाव व्यवस्था की तारीफ की है। यही नहीं मस्क ने अमेरिका की चुनावी प्रक्रिया पर सवाल भी उठाए हैं।मस्क ने कहा है कि भारत ने एक ही दिन में 64 करोड़ वोट गिनकर चुनाव का फैसला सुना दिया। वहीं अमेरिका के कैलिफोर्निया में अभी भी 5 नवंबर को हुए चुनावों के लिए गिनती जारी है। बता दें कि भारत में 23 नवंबर को महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा समेत 13 राज्यों में विधानसभा उप-चुनावों की गिनती हुई। जिसको लेकर मस्क ने ये टिप्पणी की।

एलन मस्क ने भारत के इलेक्‍शन सिस्‍टम का जिक्र अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान कैलिफोर्निया में वोटों की गिनती 18 दिन बाद भी खत्‍म नहीं होने के संदर्भ में किया। मस्क सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट का जवाब दे रहे थे। इस न्‍यूज को शेयर करते हुए उन्‍होंने लिखा “भारत ने एक दिन में 640 मिलियन वोट कैसे गिने”। यूजर द्वारा किए गए पोस्ट के कैप्‍शन में कैलिफोर्निया के नतीजों पर कटाक्ष करते हुए लिखा गया, “इस बीच भारत में, जहां धोखाधड़ी चुनावों का प्राथमिक लक्ष्य नहीं है” पोस्ट का हवाला देते हुए, मस्क ने कहा, “भारत ने 1 दिन में 640 मिलियन वोट गिने। कैलिफोर्निया अभी भी वोटों की गिनती कर रहा है।” एलन मस्‍क ने एक्स पर एक अन्य पोस्ट का जवाब दिया जिसमें कहा गया था, “भारत ने एक ही दिन में 640 मिलियन वोटों की गिनती की। कैलिफोर्निया अभी भी 15 मिलियन वोटों की गिनती कर रहा है…18 दिन बाद।

यूएस में वोटों की गिनती में क्यों लगता है समय?

बता दें कि अमेरिका में ज्यादातर वोटिंग बैलेट पेपर या ईमेल बैलेट से होती है। 2024 के राष्ट्रपति चुनावों में सिर्फ 5% क्षेत्रों में वोटिंग के लिए मशीन का उपयोग किया गया था। ऐसे में यहां काउंटिंग में काफी समय लगता है। कैलिफोर्निया अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य है। यहां 3.9 करोड़ लोग रहते हैं। 5 नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनावों में 1.6 करोड़ लोगों ने वोट डाले थे। मतदान के दो हफ्ते बाद भी अभी तक लगभग 3 लाख वोटों की गिनती होना बाकी है। अमेरिका में हर साल वोटों की गिनती में हफ्ते लग जाते हैं।

रद्द होगी मनसे की मान्यता? महाराष्ट्र में करारी हार के बाद बढ़ी राज ठाकरे के मुश्किलें

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महाराष्ट्र में मिली करारी हार के बाद राज ठाकरे की टेंशन बढ़ गई है। राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) को इस विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। उनके बेटे अमित ठाकरे तक माहिम विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरो पर है कि चुनाव आयोग राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की मान्यता रद्द कर सकती है

चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक अगर किसी पार्टी का एक विधायक चुना जाता है और उसे कुल वोट का 8% वोट मिल जाए, तो उसकी मान्यता बनी रहती है। अगर 2 विधायक चुने जाते हैं और कुल वोट का 6% वोट मिले, अगर 3 विधायक और कुल वोट का 3% वोट मिले, तो ही चुनाव आयोग की शर्तें पूरी होती हैं और पार्टी की मान्यता बनी रहती है। ये शर्तें पूरी नहीं होने पर मान्यता रद्द की जा सकती है।

मनसे को कितने % वोट मिले?

इस चुनाव में मनसे को सिर्फ 1.55 वोट मिले हैं और एक भी सीट नहीं मिली है। महाराष्ट्र चुनाव में मनसे की जमानत जब्त हो गई। राज ठाकरे की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे सहित 125 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन एक भी सीट पर मनसे का खाता नहीं खुला।

इस बीच राज ठाकरे ने आज अपने घर पर पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है। बैठक में चुनाव में खराब प्रदर्शन और आगे की रणनीति पर चर्चा हो सकती है।

किसे कितनी सीटें मिली?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की भाजपा को 132, एनसीपी को 41 और शिवसेना को 57 सीटों (कुल 230) पर जीत हासिल हुई है। वहीं, महाविकास अघाड़ी की शिवसेना (यूबीटी) को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद चंद्र पवार) को 10 (कुल 46) सीटों पर जीत मिली है। बाकी की 12 सीटें अन्य दलों या फिर निर्दलीय ने जीती हैं।

जो काम किया है जनता ने उस पर वोट दिया, मिलकर तय करेंगे सीएम” शिंदे के बयान के क्या हैं मायने?*

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रुझानों में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को बंपर बहुमत मिलता दिख रहा है। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनने की राह पर है और चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, पार्टी 131 सीटों पर आगे चल रही है। इससे साफ है कि महाराष्ट्र की जनता ने एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व पर विश्वास किया है। महायुति गठबंधन के लिए जहां रुझान खुश करने वाले हैं, लेकिन साथ ही महायुति गठबंधन में सीएम पद को लेकर भी पेच फंसता दिख रहा है।

बीजेपी का टेंशन बढ़ाने वाला बयान

महाराष्ट्र में आ रहे चुनावी परिणामों के बीच एकनाथ शिंदे ने प्रतिक्रिया दी है। सीएम शिंदे ने कहा है कि महाराष्ट्र की जनता ने कामों पर मुहर लगा दी है। हमने ढ़ाई साल सिर्फ महाराष्ट्र की जनता के लिए काम किया है, जिसका नतीजा अब सामने आ गया है।

इसी के साथ मुख्यमंत्री शिंदे ने यह कहकर बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है कि ज्यादा सीट जीतने वाली पार्टी के पास ही मुख्यमंत्री का पद हो, यह जरूरी नहीं है। शिंदे ने कहा है कि हम मिलकर तय करेंगे। अभी कुछ भी फाइनल नहीं है।

साथ बैठकर सीएम पद को लेकर फैसला करेंगे-शिंदे

शिंदे ने आगे कहा कि पीएम मोदी हैं, जेपी नड्डा जी हैं, हम सभी साथ मिलकर फैसला करेंगे। एकनाथ शिंदे ने कहा कि जिस तरह से महायुति ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा है उसी तरह सभी एक साथ बैठकर सीएम पद को लेकर फैसला करेंगे।

क्या इस बार भी बीजेपी शिंदे को देगी सीएम की कुर्सी?

बता दें कि 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत किया था, उस वक्त उनके पास सिर्फ 40 विधायक थे। बीजेपी के पास 105 विधायकों का समर्थन था, लेकिन मुख्यमंत्री की कु्र्सी पार्टी ने शिंदे को दे दी।

अभी जो चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। उसमें बीजेपी 130 से ज्यादा सीटों पर बढ़त में है। शिंदे की पार्टी 50 के करीब सीटें जीतती नजर आ रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या 2022 की तरह ही बीजेपी इस बार शिंदे को सीएम की कुर्सी दे देगी?

दरअसल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना ने भी बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है। इससे साफ है कि सीएम पद को लेकर महायुति में खूब माथापच्ची होगी।

पंजाब सीएम भगवंत मान के दिल्ली आवास पर चुनाव आयोग की रेड, जानें क्या है पूरा मामला

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दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी पारा चढ़ा हुआ है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इस बीच बीजेपी की शिकायत पर दिल्ली में पंजाब के मुख्यमंत्री के रिहायशी कपूरथला हाउस में चुनाव आयोग की टीम तलाशी लेने पहुंची है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि पंजाब से भारी मात्रा में पैसा और शराब लाकर कपूरथला हाउस में डंप की जा रही है। केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू ने भी इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई थी।

बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग के एक अधिकारी दिल्ली पुलिस के जवानों और अधिकारियों के साथ कपूरथला हाउस के बाहर खड़े हैं। उन्हें अंदर जानें नहीं दिया गया है। मान के घर पहुंचे रिटर्निंग ऑफिसर ओपी पांडे ने कहा, हमें पैसे बांटने की शिकायत मिली है। हमें 100 मिनट में शिकायत का निपटारा करना है। हमारी फ्लाइंग स्क्वॉयड टीम यहां आई थी, जिसे अंदर नहीं जाने दिया गया। मैं उनसे अनुरोध करने आया हूं कि हमें एक कैमरापर्सन के साथ अंदर जाने दिया जाए। पैसे बांटने की शिकायत cVIGIL ऐप पर मिली थी।

मान के घर पर चुनाव आयोग के रेड की खबर पर आम आदमी पार्टी भड़क गई है। वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी ने एक्स पर ट्वीट कर लिखा, "दिल्ली पुलिस भगवंत मान जी के दिल्ली के घर पर रेड करने पहुंच गई है। भाजपा वाले दिन दहाड़े पैसे, जूते, चद्दर बांट रहे हैं- वो नहीं दिखता। बल्कि एक चुने हुए मुख्यमंत्री के निवास पर रेड करने पहुंच जाते हैं। वाह री भाजपा! दिल्ली वाले 5 तारीख़ को जवाब देंगे!"

वहीं, रेड पर आप ने भी अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा- हार सामने देख, कांप उठी भाजपा। भाजपा की दिल्ली पुलिस पंजाब के सीएम भगवंत मानजी के दिल्ली के घर पर रेड करने पहुंच गई है। भाजपा वाले दिन दहाड़े पैसे, जूते, चादर बांट रहे हैं, मगर पुलिस और चुनाव आयोग की आंखों पर तो भाजपाई पट्टी बंधी है।

दिल्ली में अमित शाह ने जारी किया बीजेपी का संकल्प पत्र पार्ट-3, बोले-केजरीवाल जैसा झूठ बोलने वाला नहीं देखा

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दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को बीजेपी के संकल्प पत्र का तीसरा भाग जारी किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम जो भी वादा करते हैं उसे पूरा करते हैं, दूसरों की तरह सिर्फ वादा नहीं करते हैं। इस दौरान अमित शाह ने आम आदमी पार्टी की सरकार और अरविंद केजरीवाल पर भी जमकर हमला बोला।

अमित शाह ने कहा, आज दिल्ली चुनाव के लिए बीजेपी संकल्प का अंतिम हिस्सा प्रस्तुत कर रहा हूं। अन्य पार्टी का नाम नहीं लूंगा। हमारा पार्टी जो वादे करती है पूरा करती है। हम सिर्फ वादे नहीं करते किसी से। हमने बहुत लोगों से सुझाव मांगा था जिसके बाद ये तैयार किया गया है।

इस दौरान गृह मंत्री ने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि केजरीवाल बड़ी सफाई से झूठ बोलते हैं। केजरीवाल ने स्कूल-मंदिरों के पास शराब की दुकान खुलवाईं। करोड़ों रुपये का अपना घर बनाया। मोहल्ला क्लीनिक में मेडिकल टेस्ट के नाम पर घोटाला किया। दिल्ली का प्रदूषण वो कम नहीं कर पाए। उन्होंने कोई भी वादा पूरा नहीं किया। 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल ऐसी सरकार चला रहे हैं, जो वादे करते हैं, उन्हें पूरा नहीं करते हैं और फिर से झूठ के एक बहुत बड़े पुलिंदे और भोले से चेहरे के साथ जनता के सामने उपस्थित होते हैं। मैंने अपने राजनीतिक जीवन में इतनी सफाई से झूठ बोलने वाला व्यक्ति नहीं देखा है।

नए घोषणा पत्र में किए गए वादे

• 1700 अनधिकृत कॉलोनियों को संपूर्ण मालिकाना हक देंगे।

• 13000 सील दुकानों को दोबारा खोला जाएगा।

• शरणार्थी कॉलोनियों को भी मालिकाना हक देने का काम करेंगे।

• पाकिस्तान से आए हुए सभी शरणार्थियों को मालिकाना हक देंगे।

• दिल्ली के युवाओं के 50 हजार सरकारी नौकरियां देंगे।

• 20 हजार करोड़ के निवेश के माध्यम से इंटीग्रेटेड पब्लिक नेटवर्क बनाएंगे।

• टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए यूपी और हरियाणा सरकार के साथ मिलकर कॉरिडोर बनाए।

• यमुना रिवर विकास फ्रंट बनाएंगे जो साबरमती के तरह होगा।

• 13000 बसों को ई बस में कन्वर्ट करके दिल्ली को 100 प्रतिशत ई बस सेवा देंगे।

• ग्रीक वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड बनाएंगे।

• टेक्सटाइल वर्कर्स को भी हम वित्तीय लाभ देंगे, 10 लाख का बीमा और 5 लाख दुर्घटना बीमा देंगे।

दिल्ली में चुनाव से पहले पूर्वांचली वोटर्स पर बीजेपी और आप आमने-सामने, जानें किन सीटों पर पूर्वांचलियों का दबदबा

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दिल्ली में वोटर लिस्ट के नाम पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के नेता लगातार आपस में भिड़े हुए हैं। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि नई दिल्ली विधानसभा सीट पर बड़ी संख्या में फर्जी वोटरों को जोड़ा जा रहा है। केजरीवाल ने कहा है, एक लाख की छोटी सी विधानसभा सीट है, उसमें पिछले 15 दिन में 13 हजार नए वोटर बनने की एप्लिकेशन कहां से आ गई? जाहिर तौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार से ला लाकर, आस-पास के स्टेट से लाकर फर्जी वोट बनवा रहे हैं ये लोग। आम आदमी के इस आरोप को बीजेपी ने पूर्वांचली वोटरों से अपमान से जोड़ा है।

भाजपा का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल ने पूर्वांचली वोटर का अपमान किया है। इसे लेकर दिल्ली में शुक्रवार को खूब बवाल हुआ। भाजपा ने केजरीवाल का घेराव किया। इस दौरान खूब गहमागहमी दिखी। भाजपा ने अरविंद केजरीवाल के बयान पर यह प्रदर्शन किया।

दिल्ली में वोटर लिस्ट और पूर्वांचलियों पर पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के नेता लगातार आपस में भिड़े हुए हैं। दिल्ली में पूर्वांचली वोटर सियासी लिहाज से काफी अहम हैं। पूर्वी यूपी और बिहार के वोटरों को पूर्वांचली वोटर कहते हैं। उनकी तादाद दिल्ली में अच्छी खासी है। आंकडों में देखें तो करीब 25 से 30 फीसदी पूर्वांचली वोटर दिल्ली में रहते हैं।25 से 30 फीसदी वाले ये पूर्वांचली वोटर्स दिल्ली की कई सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करते हैं।

पहले भी यूपी-बिहार पर कर चुके हैं टिप्पणी

केजरीवाल की जुबान से पहली बार बिहार-यूपी को केंद्र कर प्रतिकूल प्रभाव वाली टिप्पणी नहीं निकलती है। इससे पहले 2019 में भी केजरीवाल ने कुछ ऐसा कह दिया था, जिससे काफी बवेला मचा था। पहली बार केजरीवाल ने कहा था कि बिहार जैसे राज्यों से लोग 500 रुपये का टिकट लेकर दिल्ली आ जा रहे हैं और 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज कराते हैं। उनके इस बयान पर भाजपा और जेडीयू ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की थी।केजरीवाल अब कह रहे हैं कि भाजपा बिहार-यूपी से लोगों को दिल्ली लाकर वोटर बनवा रही

दिल्ली की पूर्वांचल बहुल सीट

दिल्ली देश की राजधानी होने के साथ-साथ प्रवासियों का शहर कहा जाता है। दिल्ली की आबादी में करीब 40 फीसदी प्रवासी ही हैं जो उत्तर प्रदेश, बिहार और देश के अलग अलग राज्यों में रोज़गार की तलाश में आते हैं। पूर्वांचली लगभग 70 सीटों में आधे पर जीत हार में फर्क डालते हैं। बुराड़ी, लक्ष्मी नगर, पड़पड़गंज, राजेंद्र नगर, बादली, मॉडल टाउन, घोंडा, करावल नगर, किराड़ी, रिठाला, छतरपुर, द्वारका, पालम, विकासपुरी, बदरपुर, संगम विहार और जनकपुरी दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में वो प्रमुख सीटे हैं जहां पर पूर्वांचली वोटर जिधर जाता है उसी की जीत तय मानी जाती है।

दिल्ली में पूर्वांचल का प्रभाव

दिल्ली में बसे पूर्वांचल के लोग तकरीबन दो दर्जन सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं। यही वजह है कि बिहार मूल की राजनीतिक पार्टियां भी दिल्ली चुनाव में ताल ठोंकने के लिए बेचौन दिखती हैं। जेडीयू और आरजेडी के अलावा एलजेपी भी पिछले चुनावों में किस्मत आजमा चुकी हैं। इस बार भी तीनों पार्टियों ने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने तो बाजाप्ता प्रेस कांफ्रेंस कर दिल्ली में एनडीए के बैनर तले चुनाव लड़ने की बात कुछ ही दिनों पहले कही थी।

दिल्ली में कब होगा विधानसभा चुनाव, आज दो बजे चुनाव आयोग करेगा तारीखों का एलान

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दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी, 2025 तक का है। इससे पहले दिल्ली विधानसभा का गठन करने के लिए चुनाव होने हैं। इसके लिए दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की ओर से तैयारियां की जा रही हैं। चुनाव आयोग आज (मंगलवार) 2 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा, जिसमें वो दिल्ली में चुनाव की तारीख का ऐलान करेगा।चुनाव आयोग की ओर से विज्ञान भवन में केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव के शेड्यूल की घोषणा को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई है।

एक ही चरण में चुनाव होने की उम्मीद

दिल्ली चुनाव एक ही चरण में होने की उम्मीद है। संभवतः फरवरी के दूसरे हफ्ते के आसपास चुनाव हो। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की देखरेख में यह अंतिम चुनाव हो सकता है. वह 18 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

दिल्ली में कुल एक करोड़ 55 लाख 24 हजार 858 वोटर

इस बार भी दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा सकता है। सोमवार को ही चुनाव आयोग ने अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी है। इस चुनाव में दो लाख के करीब मतदाता 18 से 19 वर्ष के हैं। वह पहली बार विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इस सूची में कुल एक करोड़ 55,24,858 मतदाता हैं।

1,67,329 नए मतदाता जुड़े

चुनाव आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली में एक महीने में 29 अक्तूबर से 28 नवंबर तक 1,35,089 मतदाताओं ने फार्म- 6 और 83,825 ने फार्म 8 के तहत मतदाता सूचियों में नाम जुड़वाने, पता बदलने, नाम को सूची से हटाने और आपत्तियां और सुझाव के लिए आवेदन किया। चुनाव आयोग के संबंधित अधिकारियों ने सभी आवेदनों को 24 दिसंबर तक सुलझा दिया। इस तरह से अंतिम मतदाता सूची जारी होने तक 3,08,942 नए नाम मतदाता सूचियों में जुड़े। 1,41,613 नाम हटाए गए। इस दौरान कुल 1,67,329 मतदाता नए जुड़े।

चुनाव आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची कांग्रेस, नियमों में बदलाव की मांग

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कांग्रेस चुनाव आयोग के नियमों में बदलाव को लेकर केंद्र सरकार के हालिया फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। दरअसल, केन्द्र की मोदी सरकार ने सीसीटीवी कैमरे और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ-साथ उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोकने के लिए चुनाव से संबंधित नियम में बदलाव किया है, ताकि उनका दुरुपयोग रोका जा सके। अब कांग्रेस ने हाल ही में किए गए इन संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस संबंध में मंगलवार को एक याचिका दायर की। जयराम रमेश ने याचिका दायर करने की जानकारी एक्स पर दी। जयराम रमेश ने याचिका दायर करने के बाद एक्स पर लिखा, "निर्वाचनों का संचालन नियम 1961 में हाल के संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की गई है। चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है। इस पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी है, इसलिए इसे एकतरफा और सार्वजनिक विचार-विमर्श के बिना इतने महत्वपूर्ण नियम में इतनी निर्लज्जता से संशोधन करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। उस परिस्थिति में तो विशेष रूप से नहीं जब वह संशोधन चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने वाली आवश्यक जानकारी तक सार्वजनिक पहुंच को समाप्त करता है। चुनावी प्रक्रिया में सत्यनिष्ठा तेजी से कम हो रही है। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसे बहाल करने में मदद करेगा।"

सरकार ने किन नियमों को बदला?

चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93 अनुबंधों के मुताबिक, चुनाव से संबंधित सभी 'कागजात' सार्वजनिक निरीक्षण के लिए रखे जाएंगे। यानी ये सार्वजनिक स्तर पर उपलब्ध होंगे। अब केंद्र सरकार ने इस नियम में संशोधन किया है। इसके तहत अब नियम 93 की शब्दावली में 'कागजातों' के बाद 'जैसा कि इन नियमों में निर्दिष्ट है' शब्द जोड़े गए हैं।

चुनाव आयोग से मशवरे के बाद केंद्रीय कानून और विधि मंत्रालय की तरफ से किएगए बदलावों के बाद अब चुनाव संबंधी सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक निरीक्षण के लिए नहीं रखा जाएगा। अब आम जनता सिर्फ उन्हीं चुनाव संबंधी दस्तावेजों को देख सकेगी, जिनका जिक्र चुनाव कराने से जुड़े नियमों में पहले से तय होगा।

इसका क्या असर होने वाला है?

चूंकि नामांकन फार्म, चुनाव एजेंट की नियुक्ति, परिणाम और चुनाव खाता विवरण जैसे दस्तावेजों का जिक्र चुनाव संचालन नियमों में किया गया है, इसलिए इन्हें सार्वजनिक निरीक्षण के लिए बरकरार रखा जाएगा। हालांकि, आदर्श आचार संहिता अवधि के दौरान सीसीटीवी कैमरा फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज चुनाव संचालन नियमों के दायरे में नहीं आते हैं। ऐसे में यह दस्तावेज जनता की पहुंच से दूर हो जाएंगे।

लोकसभा में पेश हुआ एक देश एक चुनाव बिल, विपक्ष ने किया विरोध, जेपीसी में भेजेगी सरकार

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वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक आज लोकसभा में पेश हो गया है।केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मंगलवार को लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। इसके बाद, विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए इसे संसद की संयुक्त समिति को भेजा जा सकता है।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कुछ सदस्यों ने बिल के इंट्रोडक्शन पर आपत्ति की है जो ज्यादातर लेजिस्लेटिव पर ही है। एक विषय आया कि आर्टिकल 368 का ये उल्लंघन करता है। ये आर्टिकल संविधान में संशोधन की प्रक्रिया बताता है और संसद को शक्ति देता है। एक विषय आया अनुच्छेद 327 सदन को विधानमंडलों के संबंध में चुनाव के प्रावधान का अधिकार देता है। इसमें कहा गया है कि संविधान के प्रावधान के तहत विधानमंडल के किसी भी चुनाव के संबंध में प्रावधान कर सकती है। ये संवैधानिक है। सभी आवश्यक मामले इसमें शामिल हैं। अनुच्छेद 83 सदनों की अवधि और राज्यों के विधानमंडल के चुनाव की अवधि को पुनर्निधारित किया जा सकता है। संविधा के सातवें अनुच्छेद के प्रावधान का उल्लेख करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि ये केंद्र को शक्ति प्रदान करता है। ये संविधान सम्मत संशोधन है।

जेपीसी में जाएगा वन नेशन वन इलेक्शन बिल

वन नेशन,वन इलेक्शन बिल पर जारी विरोध के बीच विपक्ष ने मांग की कि बिल को जेपीसी में भेजा जाएगा। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बिल को जेपीसी को भेजा जाएगा। जेपीसी में सारी चर्चा होगी। जेपीसी के रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट फिर से चर्चा करेगी। अगर मंत्री जी(अर्जुन राम मेघवाल) ये बताते हैं तो इसे जेपीसी के पास भेजा जा सकता है। तब मेघवाल ने कहा कि रूल 74 के तहत सरकार जेपीसी का प्रस्ताव लाएगी। सरकार की तरफ से ये मंशा भी है।

टीडीपी ने की 'अटूट' समर्थन देने की घोषणा

चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी ने लोकसभा में पेश किए गए एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक को ‘अटूट’ समर्थन देने की घोषणा की है। वहीं शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट ने भी इस बिल का समर्थन किया। वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक का कांग्रेस और सपा ने विरोध किया है। इसके अलावा टीएमसी और डीएमके ने भी बिल का विरोध किया है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, शिवसेना यूबीटी, एआईएमआईएम, सीपीएम और एनसीपी शरद पवार ने बिल का विरोध किया है। टीडीपी ने बिल का समर्थन किया है।

सत्ता को केंद्रीकृत करने का प्रयास है- सुप्रिया सुले

एनसीपी (एसपी)सांसद सुप्रिया सुले ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने “वन नेशन, वन इलेक्शन” विधेयक का विरोध किया है और इसे संघवाद और संविधान की कीमत पर सत्ता को केंद्रीकृत करने का प्रयास बताया है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह इस विधेयक को तुरंत वापस ले या आगे के परामर्श के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेज दे।

असदुद्दीन ओवैसी ने जमकर किया वन नेशन वन इलेक्शन बिल का विरोध

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन बिल का मैं विरोध करता हूं। ये बिल लोकतांत्रिक स्वराज के अधिकारों का उल्लंघन करता है। राज्य विधानसभा का कार्यकाल 5 साल का नहीं होगा। ये अपने आप में संविधान का उल्लंघन है। संघवाद के प्रिसिंपल के खिलाफ है ये बिल।

आप ने दिया कांग्रेस को जोर का झटका, केजरीवाल ने कांग्रेस संग गठबंधन की अटकलों पर लगाया विराम

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दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की अटकलों को अरविंद केजरीवाल ने खारिज किया है। केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी दिल्ली अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन की संभावना नहीं है।

दरअसल, न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से दावा किया था कि आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात अंतिम चरण में है। गठबंधन में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के अलावा इंडिया गठबंधन के कुछ अन्य दलों को भी शामिल करने की बात सामने आई। कहा जा रहा था कि कांग्रेस को 15 सीटें और अन्य इंडिया गठबंधन सदस्यों को 1 या 2 सीटें मिल सकती हैं। बाकी सीटों पर आम आदमी पार्टी खुद चुनाव लड़ेगी।

एएनआई के दावे पर अरविंद केजरीवाल ने खंडन किया है। केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक पर एनआई के पोस्ट पर जवाब देते हुए कहा, 'आम आदमी पार्टी दिल्ली में इस चुनाव में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के साथ गठबंधन को कोई संभावना नहीं है।'

आप-कांग्रेस गठबंधन की लग रहीं थी अटकलें

बता दें कि मंगलवार को आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन की सुगबुगाहट शुरू हुई थी। सूत्रों के हवाले से ये खबर सामने आई थी कि दिल्ली कांग्रेस के नेता आप के साथ गठबंधन करना चाहते हैं। इसके बाद आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के नेता पहुंचे शरद पवार के घर पहुंचे। जिसके बाद ये कयास लगने और तेज हो गए कि दिल्ली में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो सकता है।

कांग्रेस के पास अकेले लड़ने की “ताकत” नहीं

इससे पहले भी अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के साथ गठबंधन से इनकार कर चुके हैं।आम आदमी पार्टी भले ही दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनों से लगातार इनकार कर रही है, लेकिन कांग्रेस अपने सियासी ताकत को समझ रही हैं। कांग्रेस के नेता मान रहे हैं कि अकेले चुनाव लड़ने पर कोई लाभ नहीं होने वाला है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि मुस्लिम और दलित दोनों ही कांग्रेस से छिटक गया है और अपने-अपने कारणों से आम आदमी पार्टी के पास जा चुका है। कांग्रेस के कमजोर होने का सबसे बड़ी वजह यही रही और अब इसके चलते ही कांग्रेस के नेता भी दबी जुबान से मान रहे हैं कि बिना गठबंधन के कोई हल नहीं निकलने वाला, क्योंकि दिल्ली की चुनावी लड़ाई अब बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच केंद्रित हो गई है।

केजरीवाल के लिए आसान नहीं दिल्ली चुनाव

वैसे इस बार दिल्ली विधानसभा का चुनाव अरविंद केजरीवाल के लिए काफी मुश्किल भरा माना जा रहा है। ऐसे में चौथी बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने की रेस में पार्टी को इस बार कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले पांच सालों में पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे, उन्हें जेल भी जाना पड़ा और केजरीवाल को सीएम पद से इस्तीफा देकर अतिशी को कमान सौंपनी पड़ी। ऐसे में आम आदमी पार्टी एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को नजरअंदाज नहीं कर रही है।

एलन मस्क ने क्यों की भारत में चुनाव की तारीफ, जानें क्या कहा?

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माइक्रा ब्‍लॉगिंग साइट के मालिक और दुनिया के सबसे अमीर बिजनेस मैन एलन मस्क ने भारत की चुनाव व्यवस्था की तारीफ की है। यही नहीं मस्क ने अमेरिका की चुनावी प्रक्रिया पर सवाल भी उठाए हैं।मस्क ने कहा है कि भारत ने एक ही दिन में 64 करोड़ वोट गिनकर चुनाव का फैसला सुना दिया। वहीं अमेरिका के कैलिफोर्निया में अभी भी 5 नवंबर को हुए चुनावों के लिए गिनती जारी है। बता दें कि भारत में 23 नवंबर को महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा समेत 13 राज्यों में विधानसभा उप-चुनावों की गिनती हुई। जिसको लेकर मस्क ने ये टिप्पणी की।

एलन मस्क ने भारत के इलेक्‍शन सिस्‍टम का जिक्र अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान कैलिफोर्निया में वोटों की गिनती 18 दिन बाद भी खत्‍म नहीं होने के संदर्भ में किया। मस्क सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट का जवाब दे रहे थे। इस न्‍यूज को शेयर करते हुए उन्‍होंने लिखा “भारत ने एक दिन में 640 मिलियन वोट कैसे गिने”। यूजर द्वारा किए गए पोस्ट के कैप्‍शन में कैलिफोर्निया के नतीजों पर कटाक्ष करते हुए लिखा गया, “इस बीच भारत में, जहां धोखाधड़ी चुनावों का प्राथमिक लक्ष्य नहीं है” पोस्ट का हवाला देते हुए, मस्क ने कहा, “भारत ने 1 दिन में 640 मिलियन वोट गिने। कैलिफोर्निया अभी भी वोटों की गिनती कर रहा है।” एलन मस्‍क ने एक्स पर एक अन्य पोस्ट का जवाब दिया जिसमें कहा गया था, “भारत ने एक ही दिन में 640 मिलियन वोटों की गिनती की। कैलिफोर्निया अभी भी 15 मिलियन वोटों की गिनती कर रहा है…18 दिन बाद।

यूएस में वोटों की गिनती में क्यों लगता है समय?

बता दें कि अमेरिका में ज्यादातर वोटिंग बैलेट पेपर या ईमेल बैलेट से होती है। 2024 के राष्ट्रपति चुनावों में सिर्फ 5% क्षेत्रों में वोटिंग के लिए मशीन का उपयोग किया गया था। ऐसे में यहां काउंटिंग में काफी समय लगता है। कैलिफोर्निया अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य है। यहां 3.9 करोड़ लोग रहते हैं। 5 नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनावों में 1.6 करोड़ लोगों ने वोट डाले थे। मतदान के दो हफ्ते बाद भी अभी तक लगभग 3 लाख वोटों की गिनती होना बाकी है। अमेरिका में हर साल वोटों की गिनती में हफ्ते लग जाते हैं।

रद्द होगी मनसे की मान्यता? महाराष्ट्र में करारी हार के बाद बढ़ी राज ठाकरे के मुश्किलें

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महाराष्ट्र में मिली करारी हार के बाद राज ठाकरे की टेंशन बढ़ गई है। राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) को इस विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। उनके बेटे अमित ठाकरे तक माहिम विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरो पर है कि चुनाव आयोग राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की मान्यता रद्द कर सकती है

चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक अगर किसी पार्टी का एक विधायक चुना जाता है और उसे कुल वोट का 8% वोट मिल जाए, तो उसकी मान्यता बनी रहती है। अगर 2 विधायक चुने जाते हैं और कुल वोट का 6% वोट मिले, अगर 3 विधायक और कुल वोट का 3% वोट मिले, तो ही चुनाव आयोग की शर्तें पूरी होती हैं और पार्टी की मान्यता बनी रहती है। ये शर्तें पूरी नहीं होने पर मान्यता रद्द की जा सकती है।

मनसे को कितने % वोट मिले?

इस चुनाव में मनसे को सिर्फ 1.55 वोट मिले हैं और एक भी सीट नहीं मिली है। महाराष्ट्र चुनाव में मनसे की जमानत जब्त हो गई। राज ठाकरे की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे सहित 125 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन एक भी सीट पर मनसे का खाता नहीं खुला।

इस बीच राज ठाकरे ने आज अपने घर पर पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है। बैठक में चुनाव में खराब प्रदर्शन और आगे की रणनीति पर चर्चा हो सकती है।

किसे कितनी सीटें मिली?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की भाजपा को 132, एनसीपी को 41 और शिवसेना को 57 सीटों (कुल 230) पर जीत हासिल हुई है। वहीं, महाविकास अघाड़ी की शिवसेना (यूबीटी) को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद चंद्र पवार) को 10 (कुल 46) सीटों पर जीत मिली है। बाकी की 12 सीटें अन्य दलों या फिर निर्दलीय ने जीती हैं।

जो काम किया है जनता ने उस पर वोट दिया, मिलकर तय करेंगे सीएम” शिंदे के बयान के क्या हैं मायने?*

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रुझानों में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को बंपर बहुमत मिलता दिख रहा है। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनने की राह पर है और चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, पार्टी 131 सीटों पर आगे चल रही है। इससे साफ है कि महाराष्ट्र की जनता ने एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व पर विश्वास किया है। महायुति गठबंधन के लिए जहां रुझान खुश करने वाले हैं, लेकिन साथ ही महायुति गठबंधन में सीएम पद को लेकर भी पेच फंसता दिख रहा है।

बीजेपी का टेंशन बढ़ाने वाला बयान

महाराष्ट्र में आ रहे चुनावी परिणामों के बीच एकनाथ शिंदे ने प्रतिक्रिया दी है। सीएम शिंदे ने कहा है कि महाराष्ट्र की जनता ने कामों पर मुहर लगा दी है। हमने ढ़ाई साल सिर्फ महाराष्ट्र की जनता के लिए काम किया है, जिसका नतीजा अब सामने आ गया है।

इसी के साथ मुख्यमंत्री शिंदे ने यह कहकर बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है कि ज्यादा सीट जीतने वाली पार्टी के पास ही मुख्यमंत्री का पद हो, यह जरूरी नहीं है। शिंदे ने कहा है कि हम मिलकर तय करेंगे। अभी कुछ भी फाइनल नहीं है।

साथ बैठकर सीएम पद को लेकर फैसला करेंगे-शिंदे

शिंदे ने आगे कहा कि पीएम मोदी हैं, जेपी नड्डा जी हैं, हम सभी साथ मिलकर फैसला करेंगे। एकनाथ शिंदे ने कहा कि जिस तरह से महायुति ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा है उसी तरह सभी एक साथ बैठकर सीएम पद को लेकर फैसला करेंगे।

क्या इस बार भी बीजेपी शिंदे को देगी सीएम की कुर्सी?

बता दें कि 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत किया था, उस वक्त उनके पास सिर्फ 40 विधायक थे। बीजेपी के पास 105 विधायकों का समर्थन था, लेकिन मुख्यमंत्री की कु्र्सी पार्टी ने शिंदे को दे दी।

अभी जो चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। उसमें बीजेपी 130 से ज्यादा सीटों पर बढ़त में है। शिंदे की पार्टी 50 के करीब सीटें जीतती नजर आ रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या 2022 की तरह ही बीजेपी इस बार शिंदे को सीएम की कुर्सी दे देगी?

दरअसल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना ने भी बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है। इससे साफ है कि सीएम पद को लेकर महायुति में खूब माथापच्ची होगी।