शिक्षकों को बच्चों की समस्याओं से होना होगा रूबरू : उप शिक्षा निदेशक/प्राचार्य
संजीव सिंह
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बलिया। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तर प्रदेश के निर्देशन में प्रदेश के सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के एकीकृत संपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षकों की दक्षता और शिक्षण कौशल में वृद्धि हेतु व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, पकवाइनार, बलिया में आज प्रशिक्षण के 9वें बैच का शुभारंभ विधिवत रूप से मां सरस्वती के पूजन-अर्चन के साथ किया गया।इस अवसर पर उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए संस्थान के प्राचार्य शिवम पांडेय ने कहा कि आज के समय में शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। बच्चों की बौद्धिक व भावनात्मक आवश्यकताओं को समझना अब शिक्षक प्रशिक्षण का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को कक्षा प्रबंधन के प्रभावी कौशल विकसित करने होंगे, ताकि प्रत्येक छात्र की सीखने की गति, पृष्ठभूमि और व्यवहारिक अवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जा सके। उन्होंने बताया कि बच्चों की समस्याओं से रूबरू होकर ही शिक्षक उनके समग्र विकास में सहयोगी बन सकते हैं।उन्होंने आगे कहा कि शिक्षक अपने अनुभव आधारित ज्ञान को न केवल शिक्षण प्रक्रिया में लागू करें, बल्कि उपलब्ध संसाधनों और नये शैक्षिक दृष्टिकोणों से उसे जोड़ने का प्रयास करें। प्रभावी अध्यापन के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षक विभिन्न शिक्षण शैलियों से परिचित हों और आत्म-मूल्यांकन की आदत डालें।प्रशिक्षण प्रभारी मृ्त्युंजय सिंह ने शिक्षकों से समय पर प्रशिक्षण में उपस्थिति सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, अतः इसका लाभ तभी संभव है जब सभी सहभागी पूर्ण समर्पण से इसमें भाग लें।डायट के हिंदी विषय प्रवक्ता डॉ. जितेंद्र गुप्ता ने कहा कि संपूर्ण प्रशिक्षण का लक्ष्य शिक्षकों की समग्रता का विकास करना है, ताकि वे बच्चों की सीखने की मनोवैज्ञानिक तथा व्यवहारिक जरूरतों को समझकर अपनी शिक्षण विधियों को सशक्त बना सकें। वहीं डायट प्रवक्ता जानू राम ने शिक्षक योजनाओं के महत्व और उनके उपयोग के माध्यम से विद्यालयी विकास को प्रोत्साहित करने पर अपने विचार रखे।प्रशिक्षण प्रभारी रवि रंजन खरे ने कार्यक्रम की पांच दिवसीय मॉड्यूल योजना का विस्तार से प्रस्तुतीकरण किया। उन्होंने बताया कि 6 अक्टूबर से 13 अक्टूबर 2025 तक चलने वाला यह प्रशिक्षण शिक्षकों की क्षमता संवर्धन, शिक्षण के नवाचार एवं मूल्यांकन तकनीक पर केंद्रित रहेगा। उन्होंने सभी शिक्षकों से आग्रह किया कि वे धैर्यपूर्वक आत्मविकास की इस प्रक्रिया में भाग लें और अपने विद्यालय के बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत बनें।मनोविज्ञान विषय के प्रवक्ता देवेंद्र कुमार सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि बच्चों के मानसिक विचलन और व्यवहारिक समस्याओं को पहचानना व समझना एक संवेदनशील शिक्षक की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से बताया कि शिक्षक यदि बच्चों की भावनाओं को समझते हैं तो वे उन्हें सीखने के प्रति सकारात्मक दिशा में प्रेरित कर सकते हैं।इस प्रशिक्षण में तकनीकी सहयोग के रूप में पूर्व अकादमिक रिसोर्स पर्सन डॉ. शशि भूषण मिश्रा, संतोष कुमार और चंदन मिश्रा द्वारा प्रदान किया जा रहा है, जिनके मार्गदर्शन में प्रशिक्षण अधिक प्रभावशाली और व्यवहारिक रूप ले रहा है।कार्यक्रम में प्रशिक्षण से जुड़े अनेक शिक्षकों ने अपने विचार साझा किए और यह संकल्प लिया कि वे प्रशिक्षण से प्राप्त अनुभवों को अपने विद्यालयों में लागू कर बच्चों के सीखने के वातावरण को अधिक जीवंत और रोचक बनाएंगे।
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Oct 06 2025, 22:01