औरंगाबाद की 54 महिला सामाजिक अंकेक्षण कार्यकर्ता तीन साल से बकाया मानदेय के लिए परेशान
औरंगाबाद: बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के लिए काम करने वाली 54 महिला सामाजिक अंकेक्षण कार्यकर्ता पिछले तीन साल से अपने बकाया मानदेय के लिए भटक रही हैं। इन महिलाओं का कहना है कि उन्होंने 2018-19 में जीविका के माध्यम से सामाजिक अंकेक्षण कार्यकर्ता के रूप में काम करना शुरू किया था, लेकिन अब उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है।
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क्या है मामला?
इन महिलाओं को लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के बाद चुना गया था और उन्हें हर दिन ₹600 के हिसाब से 24 दिनों के लिए काम देने का वादा किया गया था। इस वादे की वजह से उन्होंने अपने पुराने काम (जैसे कि सीएम, लेखापाल, आदि) छोड़ दिए थे, जिनमें उन्हें कम वेतन मिलता था।
महिलाओं का कहना है कि वे अभी भी मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, नल जल योजना और अन्य सरकारी योजनाओं के लिए घर-घर जाकर सत्यापन और सामाजिक अंकेक्षण का काम कर रही हैं। इसके बावजूद, उन्हें पिछले तीन साल से उनका मानदेय नहीं मिला है।
बकाया भुगतान और अन्य मांगें
बकाया भुगतान की मांग को लेकर सामाजिक अंकेक्षण कार्यकर्ता संघ, औरंगाबाद की अध्यक्ष कलावती देवी और अन्य सदस्यों ने मुख्यमंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री और जीविका के अधिकारियों को पत्र लिखा है।
इन महिलाओं की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
बकाया मानदेय का तुरंत भुगतान
दैनिक पारिश्रमिक के बजाय मासिक मानदेय
महंगाई को देखते हुए मासिक मानदेय ₹30,000 से ₹40,000 करना
यात्रा भत्ता और अन्य खर्चों के लिए प्रतिमाह ₹6,000 का भत्ता
सभी कार्यकर्ताओं का जीवन बीमा
विभागीय पहचान पत्र और नियुक्ति पत्र
काम में पारदर्शिता के लिए मोबाइल या टैबलेट उपलब्ध कराना
काम के दौरान निधन होने पर परिवार को मुआवजा
जीविका द्वारा प्रतिदिन ₹40 की कटौती बंद करना
संविदा कर्मी का दर्जा और सभी सुविधाएं देना
नियमित रूप से काम देना
Sep 14 2025, 20:51