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शिबू सोरेन के लिए हुई भारत रत्न की मांग, झारखंड के मंत्री ने बताया क्यों हैं हकदार

झारखंड के दिग्गज नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी के संस्थापक शिबू सोरेन का 4 अगस्त को निधन हो गया. इसी के बाद मंत्री इरफान अंसारी ने दिशोम गुरु के लिए भारत रत्न की मांग की है. शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देने पहुंचे झारखंड के मंत्री इरफान अंसारी ने कहा, “मैं राष्ट्रपति से गुरुजी को भारत रत्न देने की मांग करता हूं. वो इसके सच्चे हकदार हैं. वो एक क्रांतिकारी थे. वो गरीबों की आवाज थे. इसलिए भारत सरकार को तुरंत यह घोषणा करनी चाहिए.

शिबू सोरेन लंबे समय से बीमार थे. वो 19 जून से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे. उनकी हालत को सुधारने के लिए कई डॉक्टर्स लगातार कोशिश कर रहे थे. लेकिन, 81 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.

उनकी कमी पूरी नहीं होगी”

दिशोम गुरु के दुनिया से चले जाने पर झारखंड में दुख की लहर दौड़ गई. मंत्री इरफान अंसारी श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे. उन्होंने इस मौके पर गुरुजी को याद करते हुए कहा, उनकी कमी कभी भी पूरी नहीं होगी, वो हम लोगों को छोड़कर चले गए.

उन्होंने आगे कहा, हेमंत सोरेन मेरे बड़े भाई हैं, बसंत सोरेन, भाभी (कल्पना सोरेन) और मैं – लगता है कि अब वीराना सा हो गया है अब हम किससे आशीर्वाद लेंगे. लेकिन इस दुख की घड़ी में हम सभी चुनौतियों को स्वीकार करेंगे और हर परिस्थिति का सामना करेंगे.

भारत रत्न की मांग

मंत्री ने शिबू सोरेन को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की मांग की. उन्होंने कहा, मैं मांग करूंगा राष्ट्रपति से कि गुरुजी को भारत रत्न दिया जाए, वो सच्चे हकदार हैं. वो जमीन से जुड़े आंदोलनकारी हैं. वो गरीब की आवाज हैं. तो निश्चित तौर पर मांग क्या उनको मानना चाहिए तुरंत घोषणा करनी चाहिए. दिशोम गुरु को भारत रत्न का अवॉर्ड जल्द से जल्द दिया जाए. जो गरीब के लिए लड़ता है, जो गरीब की आवाज बनता है, जो आंदोलन करता है वैसे लोगों को भारत रत्न अवॉर्ड दिया जाए.

आदिवासियों की आवाज बनें

शिबू सोरेन झारखंड के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे. झारखंड के आदिवासियों की आवाज बनने वाले शिबू सोरेन को दिशोम गुरु की उपाधि दी गई. उन्होंने अपने जीवन में आदिवासियों के लिए कई साहसी कदम उठाए. उन्होंने आदिवासियों की हक की आवाज उठाई और सूदखोरों- महाजन प्रथा से रिहा कराया. साथ ही दिशोम गुरु ने झारखंड राज्य के गठन का सपना देखा था. जोकि उन्होंने पूरा भी किया. साथ ही उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी की स्थापना भी की. जिसका नेतृत्व फिलहाल बेटे हेमंत सोरेन कर रहे हैं.

दिशोम गुरु शिबू सोरेन की अंतिम यात्रा आज, रांची में ट्रैफिक व्यवस्था में बड़ा बदलाव; व्यापारियों से दुकानें बंद रखने की अपील

रांची: झारखंड की राजनीति के दिग्गज और 'दिशोम गुरु' शिबू सोरेन की आज मंगलवार को अंतिम यात्रा निकाली जा रही है। उनके पार्थिव शरीर को रांची से उनके पैतृक गांव नेमरा ले जाया जा रहा है, जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके निधन से पूरा राज्य शोक में डूबा हुआ है।

इस यात्रा के मद्देनजर, राजधानी रांची की ट्रैफिक व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं। शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर सुबह मोरहाबादी स्थित उनके आवास से झारखंड विधानसभा ले जाया गया था। अब वहां से पार्थिव शरीर को रामगढ़ स्थित नेमरा के लिए रवाना किया जा रहा है। इस दौरान, काफिले के गुजरने के लिए निर्धारित मार्गों पर यातायात को पूरी तरह रोक दिया जाएगा। इसके अलावा, आज राजभवन से विधानसभा तक और कांके रोड से रिंग रोड तक छोटे-बड़े मालवाहक, ई-रिक्शा और ऑटो का परिचालन पूरी तरह से बंद रहेगा। रांची पुलिस ने नागरिकों से इन रास्तों पर आवागमन से बचने की अपील की है।

दिशोम गुरु के सम्मान में झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स ने भी शोक व्यक्त करते हुए व्यापारियों से आज दोपहर 1 बजे तक अपनी दुकानें स्वेच्छा से बंद रखने की अपील की है। चेंबर ने कहा कि यह गुरुजी के प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट करने का एक तरीका है।

शिबू सोरेन के निधन के चलते, आज राजधानी के अधिकांश निजी स्कूल भी बंद हैं और सरकारी स्कूलों की मासिक जांच परीक्षा स्थगित कर दी गई है। राज्य सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है, जो आज भी जारी है।

पिता के निधन के बाद छलका सीएम हेमंत सोरेन का दर्द, का भावुक कर देने वाले पोस्ट

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दिशोम गुरु शिबू सोरेन अब इस दुनिया में नहीं रहे। शिबू सोरेन के निधन के बाद पूरे राज्य में शोक की लहर है। गुरु जी का अंतिम संस्कार आज रामगढ़ स्थित उनके पैतृक गांव नेमरा में किया जायेगा। पिता की अंतिम यात्रा से पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर एक बेहद भावुक पोस्ट साझा किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर हेमंत ने लिखा, 'मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहा हूं।

सीएम सोरेन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा कि मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुज़र रहा हूं। मेरे सिर से सिर्फ पिता का साया नहीं गया, झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया है। हेमंत सोरेन ने लिखा कि मैं उन्हें सिर्फ बाबा नहीं कहता था। वे मेरे पथ प्रदर्शक थे, मेरे विचारों की जड़ें थे और उस जंगल जैसी छाया थे, जिसने हजारों-लाखों झारखंडियों को धूप और अन्याय से बचाया।

हेमंत सोरेन ने आगे लिखा है कि, मेरे बाबा की शुरुआत बहुत साधारण थी। नेमरा गांव के उस छोटे से घर में जन्मे, जहां गरीबी थी, भूख थी। पर हिम्मत थी।बचपन में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया। जमीदारी के शोषण ने उन्हें एक ऐसी आग दी, जिसने उन्हें पूरी जिंदगी संघर्षशील बना दिया। मैंने उन्हें देखा है, हल चलाते हुए, लोगों के बीच बैठते हुए, सिर्फ भाषण नहीं देते थे, लोगों का दुःख जीते थे।

बाबा ने सिर्फ रास्ता नहीं दिखाया, हमें चलना सिखाया-हेमंत सोरेन

पीता के निधन के बाद टूटे दिल से एक बेटे ने लिखा, बचपन में जब मैं उनसे पूछता था- बाबा, आपको लोग दिशोम गुरु क्यों कहते हैं? तो वे मुस्कुराकर कहते- क्योंकि बेटा, मैंने सिर्फ उनका दुख समझा और उनकी लड़ाई अपनी बना ली। वो उपाधि न किसी किताब में लिखी गई थी, न संसद ने दी, वह झारखंड की जनता के दिलों से निकली थी। ‘दिशोम’ मतलब समाज, ‘गुरु’ मतलब जो रास्ता दिखाए। सच कहूं तो बाबा ने हमें सिर्फ रास्ता नहीं दिखाया, हमें चलना सिखाया।'

मैं डरता था पर बाबा कभी नहीं डरे- हेमंत सोरेन

हेमंत सोरेन ने लिखा कि बचपन में मैंने उन्हें सिर्फ़ संघर्ष करते देखा, बड़े बड़ों से टक्कर लेते देखा। मैं डरता था पर बाबा कभी नहीं डरे। वे कहते थे अगर अन्याय के खिलाफ खड़ा होना अपराध है, तो मैं बार-बार दोषी बनूंगा। बाबा का संघर्ष कोई किताब नहीं समझा सकती। वो उनके पसीने में, उनकी आवाज में और उनकी चप्पल से ढकी फटी एड़ी में था। जब झारखंड राज्य बना, तो उनका सपना साकार हुआ पर उन्होंने कभी सत्ता को उपलब्धि नहीं माना। उन्होंने कहा ये राज्य मेरे लिए कुर्सी नहीं यह मेरे लोगों की पहचान है

झारखंड की हर पगडंडी में आप हो-हेमंत सोरेन

सीएम सोरेन ने आगे लिखा है, आज बाबा नहीं हैं, पर उनकी आवाज़ मेरे भीतर गूंज रही है। मैंने आपसे लड़ना सीखा बाबा, झुकना नहीं। मैंने आपसे झारखंड से प्रेम करना सीखा बिना किसी स्वार्थ के अब आप हमारे बीच नहीं हो, पर झारखंड की हर पगडंडी में आप हो। हर मांदर की थाप में, हर खेत की मिट्टी में, हर गरीब की आंखों में आप झांकते हो।

आपका वचन निभाऊंगा-हेमंत सोरेन

सीएम ने अंत में लिखा है कि आपने जो सपना देखा, अब वो मेरा वादा है। मैं झारखंड को झुकने नहीं दूंगा, आपके नाम को मिटने नहीं दूंगा। आपका संघर्ष अधूरा नहीं रहेगा।बाबा, अब आप आराम कीजिए। आपने अपना धर्म निभा दिया। अब हमें चलना है आपके नक्शे-कदम पर। झारखंड आपका कर्जदार रहेगा। मैं, आपका बेटा, आपका वचन निभाऊंगा। वीर शिबू जिंदाबाद - जिंदाबाद, जिंदाबाद। दिशोम गुरु अमर रहें। जय झारखंड, जय जय झारखंड।

पीएम मोदी के गले लगकर रोए

इसस पहले सोमवार को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिबू सोरेन के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचें थे। इसकी कुछ तस्वीरें पीएम के एक्स अकाउंट से साझा की गयी थी, जिसमें पिता के निधन से दुखी सीएम हेमंत सोरेन भावुक नजर आए थे, उनकी आंखों में आंसू थे। इस दौरान पीएम मोदी ने गले लगाकर हेमंत सोरेन को सांत्वना दी थी।

शिबू सोरेन का आज होगा अंतिम संस्कार, विधानसभा परिसर में अंतिम विदाई की तैयारी

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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली। शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार आज उनके पैतृक गांव नेमरा (रामगढ़ जिला) में होगा। उनके छोटे बेटे बसंत सोरेन मुखाग्नि देंगे। बता दें कि पारंपरिक संथाल रीति-रिवाजों के साथ उनका अंतिम संस्कार बड़का नाला के पास होगा।

अंतिम संस्कार से पहले झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और दिशोम गुरु शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए विधानसभा परिसर में लाया जाएगा। पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि के लिए कुछ देर बाद विधानसभा परिसर में रखा जाएगा, जहां नेता और आम लोग उन्हें अंतिम विदाई देंगे।

खरगे और राहुल अंतिम संस्कार में होंगे शामिल

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नई दिल्ली में कहा है कि वे झारखंड जाएंगे और शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। उनके साथ राहुल गांधी भी होंगे।

मोरहाबादी स्थित आवास पर श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा

पूर्व सीएम शिबू सोरेन के निधन के बाद रांची स्थित उनके आवास पर श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा है। कांग्रेस विधायक अनूप सिंह, जेएससीए अध्यक्ष अजय नाथ शाहदेव, महासचिव सौरभ तिवारी और उपाध्यक्ष संजय पांडे ने दिशोम गुरु को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं, बड़ी संख्या में स्थानीय, मॉर्निंग वॉकर्स भी श्रद्धांजलि दी।

नम आंखों से लोगों ने दी श्रद्धांजलि

सोमवार को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में शिबू सोरेन के निधन के बाद शाम को उनका पार्थिव शरीर रांची लाया गया। बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोग जुटे थे। दिशोम गुरु' को अंतिम विदाई देने पहुंचे हर व्यक्ति की आंखें नम थीं, माहौल गमगीन था और ‘गुरुजी अमर रहें’ के नारे गूंज रहे थे। सीएम हेमंत सोरेन की ओर से दिशोम गुरु अमर रहे के नारे लगाते ही सबकी आंखें नम हो गईं। बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से फूलों से सजे वाहन से उनके पार्थिव शरीर को मोरहाबादी स्थित गुरुजी आवास के लिए रवाना किया गया

आदिवासी आंदोलन के महानायक शिबू सोरेन, जानें क्यों कहलाए 'दिशोम गुरु' ?

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झारखंड के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। शिबू सोरेन ने 81 साल की अवस्था में अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे। शिबू सोरेन 19 जून से अस्पताल में भर्ती थे। उनकी हालत को सुधारने के लिए कई डॉक्टर्स लगातार कोशिश कर रहे थे। लेकिन, 4 अगस्त को आदिवासी आंदोलन के महानायक शिबू सोरेन ने दुनिया को अलविदा कह दिया।

क्यों कहा जाता है दिशोम गुरु

झारखंड के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन को लोग प्यार से "गुरुजी" कहकर बुलाते थे। उन्हें “दिशोम गुरु” भी कहा जाता है। उनको यह उपाधि अपने जीवन में आदिवासियों के लिए अथक साहसी कदम उठाने के चलते मिली। उन्होंने आदिवासियों की हक की आवाज उठाई और संघर्ष का दूसरा नाम बन गए। उन्होंने झारखंड राज्य का सपना देखा था। आदिवासी अस्मिता की इस लड़ाई में उन्हें विजय हासिल हुई और न सिर्फ आदिवासियों को उनका राज्य मिला बल्कि उनकी आवाज बनने के लिए उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी की स्थापना भी की।

आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए आंदोलन किया

शिबू सोरेन ने आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए अनगिनत आंदोलन किए। उन्होंने 18 साल की उम्र में संथाल नवयुवक संघ बनाया और बाद में जेएमएम के जरिए आदिवासियों की जमीन को मनीलेंडर्स और बाहरी लोगों से बचाने के लिए आंदोलन चलाए। शिबू सोरेन का मानना था कि झारखंड की खनिज संपदा और प्राकृतिक संसाधन ही भारत को ‘सोने की चिड़िया’ बनाते थे, जिसे बचाना जरूरी था।

पिता की हत्या के बाद संघर्ष की शुरुआत

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को तत्कालीन हजारीबाग जिले के नेमरा गांव में हुआ था। नेमरा गांव अब रामगढ़ जिले में आता है। उनके पिता शोबरन सोरेन शिक्षक थे। 1960 के दशक में महाजनों ने उनकी हत्या करवा दी। युवा शिबू को इससे गहरा आघात पहुंचा। इस घटना ने आदिवासियों पर हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए उनको प्रेरित किया। पिता की हत्या के बाद, शिबू ने महाजनों और सूदखोरों के खिलाफ ‘धनकटनी आंदोलन’ शुरू कर दिया। इस आंदोलन ने आदिवासियों को अपने हक के लिए एकजुट कर दिया। इसी आंदोलन ने शिबू सोरेन के जीवन की दशा और दिशा दोनों बदल दी। इसके साथ ही अलग झारखंड राज्य के आंदोलन की नींव भी पड़ गयी।

जल, जंगल और जमीन के हक में शुरू किया आंदोलन

1970 के दशक में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की। उनका मुख्य मकसद अलग झारखंड राज्य बनवाना था। इसके लिए उन्होंने जल, जंगल और जमीन के हक में आंदोलन शुरू किया। 1980 में शिबू सोरेन पहली बार लोकसभा सांसद बने। इसके बाद वे कई बार सांसद बने और संसद में आदिवासी समाज की समस्याओं को जोरदार तरीके से उठाया। शिबू सोरेन की मेहनत और आंदोलन के कारण ही साल 2000 में झारखंड को बिहार से अलग करके एक नया राज्य बनाया गया। यह राज्य 15 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया। शिबू सोरेन की पहचान सिर्फ एक राजनेता के रूप में नहीं, बल्कि एक जननायक के रूप में रही है जिन्होंने आदिवासी अस्मिता को पहचान दिलाई।

दिशोम गुरु' शिबू सोरेन के निधन पर देशभर में शोक की लहर, झारखंड विधानसभा सत्र स्थगित; 3 दिन का राजकीय शोक घोषित

रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन के सोमवार को हुए निधन से देशभर में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। उन्हें 'दिशोम गुरु' के नाम से जानने वाले लाखों लोग, विशेषकर आदिवासी समुदाय, उनके निधन से गहरे सदमे में हैं। उनके सम्मान में झारखंड विधानसभा का चल रहा मानसून सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है। इसके साथ ही, राज्य में तीन दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की गई है। झारखंड के तमाम नेता-मंत्री भी गुरुजी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।

प्रमुख हस्तियों ने दी श्रद्धांजलि:

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन को बड़ी क्षति बताते हुए गहरा दुःख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "जनता, विशेषकर आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए किये उनके कामों को सदैव याद रखा जाएगा।"

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए लिखा, "झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक, शिबू सोरेन जी के निधन से मैं दुःखी हूं। उन्होंने अलग झारखंड प्रदेश और वहां के लोगों के जल, जंगल, जमीन के अधिकार और आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए आजीवन संघर्ष किया।"

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने भावुक पोस्ट में कहा, "झारखंड आंदोलन के अगुआ, दिशोम गुरु आदरणीय श्री शिबू सोरेन जी के निधन से मर्माहत हूं, स्तब्ध हूं। उनका जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। वह मेरे पिता तुल्य रहे हैं। सदैव उनका सानिध्य मुझे मिला। उनके मार्गदर्शन में मुझे उपमुख्यमंत्री के पद पर रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।"

झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, "झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं झामुमो के संरक्षक श्री शिबू सोरेन जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। उनका जाना झारखंड के लिए एक अपूरणीय क्षति है। मैं ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति और शोक संतप्त परिवार को यह दुःख सहने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं।"

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पोस्ट किया, "झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक एवं आदिवासी समाज के जाने-माने दिग्गज नेता श्री शिबू सोरेन का आज इलाज के दौरान निधन हो जाने की खबर अति-दुखद। उनके पुत्र तथा वर्तमान में झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व उनके परिवार के साथ-साथ उनके समस्त समर्थकों एवं अनुयाइयों के प्रति मेरी गहरी संवेदना।"

शिबू सोरेन का जाना भारतीय राजनीति, विशेषकर झारखंड के आदिवासी समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है, जिन्होंने अपना जीवन आदिवासियों के अधिकारों और राज्य के विकास के लिए समर्पित कर दिया।

झारखंड विधानसभा: आज पेश होगा 4 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट, मुख्यमंत्री दिल्ली में

रांची, 4 अगस्त 2025: झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र आज भी जारी है, और आज वित्तीय वर्ष 2025-26 का पहला अनुपूरक बजट सदन के पटल पर रखा जाएगा। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर करीब 4 हजार करोड़ रुपये का यह अनुपूरक बजट पेश करेंगे, जिसमें योजना मद में लगभग तीन हजार करोड़ और गैर-योजना मद में एक हजार करोड़ रुपये का प्रावधान होने की संभावना है। बजट की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए वित्त मंत्री ने कल रविवार को अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की थी।

मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति:

इस महत्वपूर्ण वित्तीय कार्य के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली में ही हैं। वह दिशोम गुरु शिबू सोरेन की देखभाल कर रहे हैं, जो पिछले करीब एक महीने से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में इलाजरत हैं। मुख्यमंत्री 1 अगस्त को मानसून सत्र में हिस्सा लेने के लिए रांची आए थे, लेकिन उसी दिन शाम को वे वापस दिल्ली लौट गए थे। उनकी गैरमौजूदगी में ही आज सदन में अनुपूरक बजट पेश होगा। हालांकि, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गुरुजी का स्वास्थ्य ठीक रहने पर मुख्यमंत्री सत्र शुरू होने से पहले रांची लौट सकते हैं।

शिक्षा मंत्री की तबीयत गंभीर, प्रभारी मंत्री करेंगे सवालों का जवाब:

उधर, राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन की तबीयत भी शनिवार सुबह अचानक खराब होने के बाद से गंभीर बनी हुई है। उन्हें दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां ब्रेन स्ट्रोक के बाद उनकी स्थिति पर डॉक्टर लगातार नजर रख रहे हैं। ऐसे में आज सोमवार को मानसून सत्र की पहली पाली में होने वाले प्रश्नकाल में शिक्षा विभागों से जुड़े सवालों का जवाब उच्च शिक्षा मंत्री सुदिव्य देंगे, जिन्हें इसके लिए प्रभारी मंत्री नियुक्त किया गया है।

आज सोमवार को मानसून सत्र की पहली पाली में प्रश्नकाल होंगे, जिसके बाद अनुपूरक बजट पर चर्चा की जाएगी। सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर पक्ष और विपक्ष के बीच गहमागहमी रहने की संभावना है।

झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह का निधन, पत्रकारिता जगत में शोक की लहर

रांची: झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह का आज रविवार को रांची के सैमफोर्ड अस्पताल में निधन हो गया। वे पिछले 10 महीने से लंग्स कैंसर से जूझ रहे थे और मेदांता अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन से पत्रकारिता जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

दोपहर साढ़े तीन बजे कोकर स्थित उनके आवास से शवयात्रा अंतिम संस्कार के लिए निकलेगी। हरिनारायण सिंह ने अपने लंबे और प्रतिष्ठित करियर में प्रभात खबर और दैनिक हिंदुस्तान के रांची संस्करण में स्थानीय संपादक के रूप में कार्य किया था। वे फिलहाल आजाद सिपाही के संपादक के तौर पर कार्यरत थे।

राज्यपाल, सीएम और नेता प्रतिपक्ष ने जताया शोक:

हरिनारायण सिंह के निधन पर झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी समेत कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

राज्यपाल संतोष गंगवार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। उन्होंने अपने दीर्घ पत्रकारिता जीवन में निष्ठा और संवेदनशीलता के साथ समाज और राज्य की सेवा की। शोकाकुल परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।"

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी 'एक्स' पर दुख जताते हुए लिखा, "वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह के निधन का दुखद समाचार मिला। उनका निधन पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। मरांग बुरु दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिजनों को दुःख की यह विषम घड़ी सहन करने की शक्ति दें।"

नेता प्रतिपक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने 'एक्स' पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, "वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह के निधन की सूचना से अत्यंत व्यथित हूं। उन्होंने पत्रकारिता के माध्यम से दशकों तक समाज की सेवा की। उनका निधन पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें एवं शोकाकुल परिजनों को यह अपार दु:ख सहन करने की शक्ति दें।"

हरिनारायण सिंह को झारखंड की पत्रकारिता में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

झारखंड में पर्यटन को बढ़ावा: दो नए चिड़ियाघर और एक टाइगर सफारी को मिली मंजूरी

रांची: झारखंड के पर्यटन और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक बड़ी खुशखबरी आई है। राज्य में जल्द ही दो नए चिड़ियाघर और एक टाइगर सफारी की स्थापना की जाएगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई झारखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 15वीं बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इन परियोजनाओं का उद्देश्य राज्य में पर्यटन को प्रोत्साहित करना, वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देना और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करना है।

गिरिडीह और दुमका में नए चिड़ियाघर:

बोर्ड की बैठक में गिरिडीह और दुमका जिलों में नए चिड़ियाघर बनाने का निर्णय लिया गया है।

गिरिडीह में चिड़ियाघर के लिए कुल 396.22 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है।

दुमका में चिड़ियाघर हिजला पश्चिमी वन क्षेत्र के अंतर्गत कुल 116.35 हेक्टेयर वन भूमि में बनाया जाएगा।

लातेहार में टाइगर सफारी:

वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटकों के लिए लातेहार जिले में एक टाइगर सफारी का भी निर्माण किया जाएगा। लातेहार के पुतवागढ़ संरक्षित वन क्षेत्र में पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बाहर 150 हेक्टेयर में टाइगर सफारी की स्थापना को मंजूरी मिली है। यह सफारी पर्यटकों को बाघों को उनके प्राकृतिक आवास के करीब से देखने का अनूठा अनुभव प्रदान करेगी।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संबंधित विभागों को इन सभी परियोजनाओं का कार्यान्वयन पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। इन नई पहलों से झारखंड में पर्यटन क्षेत्र को नई गति मिलने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलने की उम्मीद है।

झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ब्रेन स्ट्रोक के बाद गंभीर, एयर एंबुलेंस से दिल्ली अपोलो अस्पताल में भर्ती

रांची/दिल्ली: झारखंड के शिक्षा मंत्री और घाटशिला विधायक रामदास सोरेन की तबीयत ब्रेन स्ट्रोक के बाद गंभीर बनी हुई है। शनिवार (2 अगस्त, 2025) को उनकी स्थिति ज्यादा बिगड़ने के बाद उन्हें तत्काल एयर एंबुलेंस के माध्यम से दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनके दोनों पुत्र रोबिन सोरेन, रूपेश सोरेन और बेटी-दामाद भी दिल्ली पहुंच गए हैं।

अपोलो अस्पताल के न्यूरो डिपार्टमेंट के हेड डॉ. सुधीर त्यागी की अगुवाई में चिकित्सकों की एक टीम लगातार मंत्री रामदास सोरेन के स्वास्थ्य पर कड़ी नजर रख रही है। शाम सात बजे (शनिवार को) झामुमो प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने फोन पर बताया कि मंत्री की स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है। हालांकि, सिर के हिस्से को छोड़कर उनके पूरे शरीर में मूवमेंट है, और डॉक्टर लगातार उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रहे हैं।

सुबह से बिगड़ी तबीयत की पूरी कहानी:

शनिवार सुबह 4:30 बजे, शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन रोज की तरह अपने घोड़ाबांधा स्थित आवास के बाथरूम गए थे। करीब 15 मिनट तक जब वे बाहर नहीं आए, तो उनकी पत्नी ने दरवाजे पर दस्तक दी। अंदर झांकने पर देखा कि रामदास बाथरूम के कोने में बेसुध बैठे हुए हैं। पूछने पर उन्होंने सिर्फ इतना बताया कि तबीयत ठीक नहीं लग रही है। इसके बाद उनकी पत्नी और बेटे ने उन्हें बाथरूम से निकालकर कुर्सी पर बैठाया। उन्हें तुरंत अस्पताल चलने को कहा गया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।

हालांकि, कुछ ही देर में उनकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ने लगी, जिसके बाद सुबह करीब 5:30 बजे उन्हें खड़ंगाझाड़ स्थित टाटा मोटर्स अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल पहुंचने के क्रम में ही उन्होंने उल्टी की, जिससे उनकी स्थिति और गंभीर हो गई। इमरजेंसी में भर्ती कराने के बाद उनका ब्लड प्रेशर लगातार गिरने लगा, जिसके बाद उन्हें तुरंत आईसीयू में शिफ्ट किया गया।

सीएम हेमंत सोरेन ने दिखाई तत्परता:

आईसीयू में भर्ती कराने के बाद डॉक्टरों ने परिजनों को तुरंत हायर सेंटर (बेहतर चिकित्सा सुविधा वाले अस्पताल) ले जाने की सलाह दी। परिजनों ने तुरंत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मामले की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने बिना किसी देरी के एयर एंबुलेंस की व्यवस्था करने और उन्हें दिल्ली लाने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी को सौंपी। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से टाटा मोटर्स अस्पताल प्रबंधन को भी निर्देश मिला कि डॉक्टरों की टीम तैयार रखें और इलाजरत शिक्षा मंत्री को सोनारी हवाई अड्डा पहुंचाना है।

ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अस्पताल से एयरपोर्ट तक:

शिक्षा मंत्री को अस्पताल से सोनारी हवाई अड्डा तक पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, जिसके तहत 16 मिनट के भीतर उन्हें हवाई अड्डे तक ले जाया गया। सुबह 8:42 बजे टाटा मोटर्स अस्पताल से एंबुलेंस निकली और सुबह 8:58 बजे सोनारी एयरपोर्ट पहुंच गई। वहां से उन्हें एक विशेष विमान से रांची एयरपोर्ट ले जाया गया, और फिर वहां से एयर एंबुलेंस के माध्यम से दिल्ली के लिए रवाना किया गया। मौसम खराब होने के कारण एयर एंबुलेंस तय समय से कुछ देरी से दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची, जहां से उन्हें सीधे अपोलो अस्पताल ले जाकर भर्ती कराया गया।

समय-समय पर घटनाक्रम:

सुबह 4:30 बजे: घोड़ाबांधा स्थित आवास के बाथरूम में बेसुध पाए गए।

सुबह 5:30 बजे: टाटा मोटर्स अस्पताल ले जाया गया।

सुबह 8:42 बजे: टाटा मोटर्स अस्पताल से एंबुलेंस निकली।

सुबह 8:58 बजे: एंबुलेंस सोनारी एयरपोर्ट पहुंची, जहां से विशेष विमान से रांची और फिर एयर एंबुलेंस से दिल्ली ले जाया गया।

मंत्री रामदास सोरेन के स्वास्थ्य को लेकर पूरे राज्य में चिंता का माहौल है और सभी उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं।