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तहसील समाधान दिवस पर महिला ने आत्मदाह का किया प्रयास, पुलिस ने बचाया
लखनऊ :–लखनऊ के गोसाईगंज थाना क्षेत्र में शनिवार को तहसील समाधान दिवस के दौरान एक महिला ने आत्मदाह का प्रयास किया। महिला सीमा वर्मा (30 वर्ष), निवासी सराय करौरा, अपने साथ एक प्लास्टिक की बोतल में ज्वलनशील पदार्थ लेकर पहुंची थी। मौके पर तैनात पुलिस बल ने तत्परता दिखाते हुए बोतल छीन ली और महिला को सुरक्षित बचा लिया।
थाने लाकर पूछताछ में सीमा वर्मा ने बताया कि वह पति सुशील कुमार यादव और ससुराल पक्ष के व्यवहार से क्षुब्ध थी। उसका आरोप है कि पति और ससुरालीजन उसे घर में नहीं रहने दे रहे और संपत्ति में हिस्सा देने से भी इनकार कर चुके हैं।
पुलिस के अनुसार, सीमा पहले भी किसी अन्य व्यक्ति के साथ विवाहिता रह चुकी हैं और वह समय-समय पर थाना गोसाईगंज में शिकायतें देती रही हैं। पूर्व में मध्यस्थता की कोशिशें भी असफल रहीं। पुलिस का कहना है कि यह मामला दीवानी प्रकृति का है और महिला ने केवल दवाब बनाने के उद्देश्य से आत्मदाह का प्रयास किया था।
थाना गोसाईगंज में मामले में विधिक कार्रवाई की जा रही है।
पहलगाम के अपराधियों को 'मिट्टी में मिलाने' और दुश्मन के घर में घुसकर खात्मा करने का माद्दा रखता है नया भारतः योगी
वाराणसी/लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दुनिया ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत की शक्ति व सामर्थ्य का अहसास किया है। नया भारत पहलगाम के अपराधियों को मिट्टी में मिलाकर और दुश्मन के घर में घुसकर उसका खात्मा करने का माद्दा रखता है। सीएम ने कहा कि पीएम मोदी दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेता हैं। पिछले 11 वर्ष में चार दर्जन से अधिक देशों ने उन्हें अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान समर्पित किया है। लोककल्याण और विश्वकल्याण के लिए दुनिया उनकी दूरदर्शिता का लोहा मानती है। जुलाई में घाना, त्रिनिदाद-टोबैगो, नामीबिया, ब्राजील ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रधानमंत्री जी को समर्पित करके 140 करोड़ भारतवासियों का गौरव बढ़ाया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में ग्रामसभा-बनौली (कालिका धाम), सेवापुरी में आयोजित लोकार्पण/शिलान्यास समारोह को संबोधित किया। सीएम ने ऑपरेशन सिंदूर के उपरांत पावन श्रावण मास में देवाधिदेव महादेव के धाम और अपने संसदीय क्षेत्र काशी में आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत-अभिनंदन किया।

यह पहली बार हो रहा होगा, जब कोई प्रधानमंत्री अपने क्षेत्र में 51वीं बार हुए उपस्थित

सीएम योगी ने कहा कि सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री संसद में इस अविनाशी काशी का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि काशी की आत्मा सनातन और आत्मीयता वैश्विक है। काशी 11 वर्ष में नूतन व पुरातन के साथ आध्यात्मिकता व आधुनिकता के नए संगम के रूप में दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र बनी है। यह पहली बार हो रहा होगा, जब कोई प्रधानमंत्री अपने क्षेत्र में 51वीं बार उपस्थित हुए होंगे।

वाराणसी के लिए स्वीकृत हुईं 51 हजार करोड़ की परियोजनाएं

सीएम योगी ने बताया कि इन वर्षों में वाराणसी के लिए 51 हजार करोड़ की परियोजनाएं स्वीकृत हुईं। इनमें से 34 हजार करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण पीएम के करकमलों से हो गया है, जो समग्र विकास की नई अवधारणा के साथ काशी को पहचान दिला रहे हैं। 16 हजार करोड़ से अधिक की परियोजनाएं प्रगति के अलग-अलग चरणों में हैं। इस बार भी प्रधानमंत्री 2200 करोड़ की परियोजनाओं का उपहार अपनी काशी को दे रहे हैं। यह परियोजनाएं कनेक्टिविटी, जलापूर्ति, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल प्रतिस्पर्धा-गतिविधि, सांस्कृतिक पुनरोत्थान के लिए है।

दिव्यांगजनों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का प्राप्त हो रहा अवसर

सीएम योगी ने कहा कि सक्षम भारत की कल्पना को साकार करने में दिव्यांगजनों का भी बड़ा योगदान है। दिव्यांग प्रधानमंत्री जी द्वारा दिया गया शब्द है। इस आत्मीयता के माध्यम से दिव्यांगजनों के जीवन में आशा और उत्साह का संचार होने के साथ ही उन्हें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त हो रहा है। पीएम के कर कमलों से यहां हजारों दिव्यांगजनों को सहायक उपकरण वितरण का भी कार्यक्रम किया जा रहा है।

आत्मनिर्भर व विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए योगदान दे रहे अन्नदाता किसान

मुख्यमंत्री ने दर्द बयां करते हुए कहा कि 11 वर्ष पहले अन्नदाता किसानों की क्या स्थिति थी। किसान खेती से पलायन करते थे, आत्महत्या के लिए मजबूर होते थे, लोगों के मन में व्यवस्था के प्रति खिन्नता थी परंतु 11 वर्ष में स्वायल हेल्थ कार्ड से लेकर प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, बीज को बाजार तक पहुंचाने की व्यवस्था आदि के साथ ही जो ईकोसिस्टम बनाया गया है, उसका परिणाम है कि यूपी के भी करोड़ों किसान इन योजनाओं से जु़ड़कर आत्मनिर्भर व विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए अपना योगदान देने को तैयार हैं। देश के लगभग 10 करोड़ किसानों को यह सौगात देने के लिए प्रधानमंत्री ने काशी को चुना है। प्रदेश के 2.30 करोड़ और काशी के 2.21 लाख परिवार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 20वीं किस्त प्राप्त कर रहे हैं।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह,  प्रदेश सरकार के मंत्री सूर्य प्रताप शाही, सुरेश खन्ना, अनिल राजभर, रविंद्र जायसवाल, दयाशंकर मिश्र 'दयालु' आदि मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी पहुंचे, एयरपोर्ट पर स्वागत

वाराणसी/ लखनऊ । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एकदिवसीय दौरे पर पहुंचे। बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जैसे ही प्रधानमंत्री का विशेष विमान उतरा, वरिष्ठ नेताओं ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया।जनसभा स्थल पर बने हेलीपैड पर जैसे ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वायुसेना के हेलीकॉप्टर से उतरे मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फूलों का गुलदस्ता देकर उनका स्वागत किया।

यह उनका काशी का 51वां दौरा है

एयरपोर्ट से प्रधानमंत्री मोदी वायुसेना के विशेष चॉपर से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सेवापुरी के बनौली में आयोजित जनसभा के लिए रवाना हो गए। यह उनका काशी का 51वां दौरा है, जिसे लेकर शहर और ग्रामीण इलाकों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।

पीएम किसान सम्मान निधि की 20वीं किस्त जारी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से देश के करोड़ों किसानों को बड़ी सौगात दी। सेवापुरी ब्लॉक के बनौली गांव में आयोजित जनसभा में प्रधानमंत्री ने ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ की 20वीं किस्त के तहत 9.70 करोड़ किसानों के खातों में 20,500 करोड़ रुपये की राशि ऑनलाइन हस्तांतरित की।

2.30 करोड़ किसान 4600 करोड़ रुपये से लाभान्वित हुए

इस योजना से उत्तर प्रदेश के 2.30 करोड़ किसान 4600 करोड़ रुपये से लाभान्वित हुए। वहीं, प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के 2.21 लाख किसानों के खाते में 48 करोड़ रुपये हस्तांतरित हुआ। वाराणसी के अन्नदाताओं को पिछली 19 किस्तों में 850 करोड़ से अधिक की धनराशि खातों में स्थानान्तरित की जा चुकी है।

योगी आदित्यनाथ ने स्मृति चिन्ह देकर उनका अभिनंदन किया

प्रधानमंत्री के मंच पर पहुंचने के पहले ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंच गए। जहां उन्होंने मंच और पंडाल में व्यवस्थाओं का जायजा लिया। प्रधानमंत्री मोदी जैसे ही मंच पर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्मृति चिन्ह देकर उनका अभिनंदन किया।

यह राशि 2000 रुपये की तीन समान किस्तों में दी जाती है

संयुक्त कृषि निदेशक शैलेंद्र कुमार के अनुसार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत सभी पात्र किसानों को समान किस्तों में सालाना सहायता मिलती है। सभी भूमि धारक किसान परिवारों को सालाना 6000 रुपये का वित्तीय लाभ मिलता है। यह राशि 2000 रुपये की तीन समान किस्तों में दी जाती है।
नवीन की हत्या पर लापरवाह पुलिसिया रवैया, अंतिम दर्शन से भी वंचित रहा परिवार

लखनऊ । गोरखपुर निवासी निजी कंपनी कर्मचारी नवीन यादव की हत्या के मामले में लखनऊ पुलिस की लापरवाही ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। न केवल हत्या की सूचना को नजरअंदाज किया गया, बल्कि परिजनों को अंतिम दर्शन का मौका दिए बिना शव को लावारिस बताकर अंतिम संस्कार तक कर दिया गया। पुलिस की इस घोर चूक ने कानून व्यवस्था और जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

परिजन के तहरीर देने पर भी नहीं दर्ज की गई गुमशुदगी

नवीन यादव 25 जुलाई को चारबाग इलाके से संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गए थे। परिजन जब गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने नाका थाने पहुंचे, तो वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने न तो एफआईआर दर्ज की और न ही मामले को गंभीरता से लिया। कई बार गुहार लगाने के बावजूद थाना पुलिस ने टालमटोल रवैया अपनाया। यहां तक कि गोरखपुर के एक पार्षद द्वारा एक पुलिस अधिकारी को फोन कर सूचना देने के बाद भी, थाना स्तर पर सक्रियता नहीं दिखाई गई।

72 घंटे तक शव की शिनाख्त न होने पर कर दिया अंतिम संस्कार

अंततः उच्चाधिकारियों के दखल के बाद 27 जुलाई को नवीन की गुमशुदगी दर्ज की गई। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आलमबाग मेट्रो स्टेशन के पास 25 जुलाई को बरामद एक अज्ञात शव को पुलिस पहचान नहीं सकी। 72 घंटे तक कोई पहचान सामने न आने पर पुलिस ने नियमों के तहत उसका अंतिम संस्कार कर दिया। बाद में जब यह स्पष्ट हुआ कि वही शव नवीन यादव का था, तब परिवार को गहरा सदमा लगा।

नाका थाने के प्रभारी निरीक्षक वीरेंद्र त्रिपाठी लाइन हाजिर

डीसीपी पश्चिमी क्षेत्र विश्वजीत श्रीवास्तव ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए नाका थाने के प्रभारी निरीक्षक वीरेंद्र त्रिपाठी को लाइन हाजिर और चारबाग चौकी इंचार्ज कमल कुमार को निलंबित कर दिया है।इधर, पुलिस ने हत्या में शामिल ई-ऑटो चालक अमित त्रिवेदी और उसके साथी कन्हैया शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया है। इनके पास से लूटा गया मोबाइल, बैग और 15,000 की नकदी बरामद हुई है।लेकिन सवाल यह है कि यदि पुलिस समय रहते हरकत में आती, तो न केवल हत्या के सुराग जल्दी मिल सकते थे, बल्कि परिजन अपने बेटे को अंतिम बार देख भी सकते थे। इस लापरवाही की कीमत एक परिवार को भावनात्मक रूप से चुकानी पड़ी है।
बाबू की संदिग्ध मौत को लेकर परिजनों ने खड़ा किया सवाल, बोले- ये आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

लखनऊ । राजधानी के सुशांत गोल्फ सिटी में तैनात चकबंदी विभाग के वरिष्ठ लिपिक राजकुमार सिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से हुई मौत को लेकर अब परिवार ने इसे साजिशन हत्या करार देते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। गुरुवार को बैकुंठ धाम पर अंतिम संस्कार के दौरान परिजनों ने साफ शब्दों में कहा कि यह आत्महत्या नहीं हो सकती, बल्कि पूरी घटना को आत्महत्या का रूप देकर हत्या को छिपाने की कोशिश की गई है।

परिवार ने सुसाइड नोट की लिखावट की फोरेंसिक जांच कराने की मांग की

राजकुमार सिंह के मौसेरे भाई पंकज सिंह ने बताया कि मृतक मानसिक रूप से मजबूत और जीवन को लेकर सकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति थे। उनके पास आत्महत्या जैसा कोई कारण नहीं था। उन्होंने दावा किया कि पहले पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला था, लेकिन बाद में अचानक एक नोट सामने लाया गया, जिसे न तो परिजनों को दिखाया गया और न ही उस पर कोई पारदर्शिता बरती गई। परिवार ने सुसाइड नोट की लिखावट की फोरेंसिक जांच कराने की मांग की है।

कमरे का पीछे से खुला हुआ था दरवाजा

पंकज सिंह ने यह भी बताया कि शव जिस कमरे में मिला, उस कमरे के पीछे का दरवाजा खुला हुआ था, जिससे अनजान व्यक्ति के प्रवेश की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। इसके अलावा, उन्होंने राजकुमार के मोबाइल की कॉल डिटेल और अंतिम समय की लोकेशन खंगालने की मांग की है, ताकि किसी व्यक्ति विशेष से हुई बातचीत या दबाव की सच्चाई सामने आ सके।

हथियार की भूमिका पर रहस्य बरकरार

परिजनों ने इस बात पर भी गहरी शंका जताई है कि मृतक के हाथ में जो रिवॉल्वर पाई गई, वह उनकी निजी नहीं थी। पहली नजर में वह विदेशी यानी इंग्लिश मेड प्रतीत हो रही थी। यह भी संदेह जताया जा रहा है कि शव मिलने के बाद हथियार को जानबूझकर मृतक के हाथ में रखा गया हो। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि रिवॉल्वर कहां से आई और किससे ली गई थी।पोस्टमार्टम रिपोर्ट में राजकुमार सिंह की दाहिनी कनपटी पर गोली लगने की पुष्टि हुई है।
लखनऊ में एएसपी की पत्नी के मौत मामले में सामने आया भावनात्मक रूप से झकझोर देने वाला वीडियो
लखनऊ । सीआईडी में तैनात एएसपी मुकेश प्रताप सिंह की पत्नी नितेश सिंह (38) की संदिग्ध आत्महत्या के मामले ने गुरुवार को उस समय नया मोड़ ले लिया, जब घर में लगे सीसीटीवी कैमरे का एक वीडियो सामने आया। यह वीडियो न सिर्फ घटना की पृष्ठभूमि पर सवाल खड़े करता है, बल्कि मानसिक तनाव और पारिवारिक कलह के उन पहलुओं की झलक भी देता है, जो अक्सर समाज में नजरअंदाज रह जाते हैं।

बच्चे का मुंह तकिये से दबाने का आया वीडियो

करीब 54 सेकंड के वीडियो में नितेश अपने 12 वर्षीय ऑटिज्म पीड़ित बेटे अनिकेत के साथ बेडरूम में नजर आ रही हैं। वो पहले तकिए से बच्चे का मुंह दबाती हैं, फिर कुछ सेकंड तक गला भी दबाती हैं, लेकिन अंत में रुक जाती हैं और उसके पास बैठ जाती हैं। यह दृश्य साफ तौर पर दर्शाता है कि नितेश मानसिक रूप से बेहद असंतुलित स्थिति में थीं, और उनके भीतर कोई गहरी उथल-पुथल चल रही थी।वीडियो के आने के बाद सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह आत्महत्या मात्र अवसाद का परिणाम थी, या इसके पीछे कोई गंभीर पारिवारिक प्रताड़ना छिपी है।

डेढ़ साल के बेटे ने मां को दी मुखाग्नि

नितेश के भाई प्रमोद कुमार, जो फिरोजाबाद के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हैं, ने आरोप लगाया है कि उनकी बहन एएसपी मुकेश प्रताप सिंह की प्रताड़ना और उनके दूसरी महिला से संबंधों से बेहद आहत थीं। प्रमोद का कहना है कि वे एएसपी के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य जुटा रहे हैं और जल्द ही तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराएंगे। उन्होंने पुलिस और शासन के उच्चाधिकारियों से भी इस मामले में शिकायत की बात कही है।गुरुवार को नितेश का शव परिजनों को सौंपा गया। अंतिम संस्कार फिरोजाबाद में किया गया, जहां डेढ़ साल के बेटे ने मां को मुखाग्नि दी।

अभी तक परिजनों की तरफ से नहीं दी गई है कोई तहरीर

डीसीपी मध्य आशीष कुमार श्रीवास्तव के अनुसार, एएसपी दो दिन की वाराणसी ड्यूटी पर जाने वाले थे, जिसके चलते नितेश के पिता को घर बुलाया गया था। लेकिन बुधवार शाम जब वे पहुंचे, तो बेटी मृत पाई गईं।
वहीं पुलिस का कहना है कि फिलहाल कोई तहरीर नहीं मिली है। तहरीर मिलते ही मामले की जांच की जाएगी।मनोचिकित्सकों की मानें तो वीडियो में नितेश के व्यवहार में अवसाद के लक्षण दिखते हैं, लेकिन उससे यह तय नहीं होता कि वह अपने बेटे को नुकसान पहुंचाना चाहती थीं। यह जरूर संकेत करता है कि वह गंभीर मानसिक तनाव में थीं।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।