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बाबू की संदिग्ध मौत को लेकर परिजनों ने खड़ा किया सवाल, बोले- ये आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

लखनऊ । राजधानी के सुशांत गोल्फ सिटी में तैनात चकबंदी विभाग के वरिष्ठ लिपिक राजकुमार सिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से हुई मौत को लेकर अब परिवार ने इसे साजिशन हत्या करार देते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। गुरुवार को बैकुंठ धाम पर अंतिम संस्कार के दौरान परिजनों ने साफ शब्दों में कहा कि यह आत्महत्या नहीं हो सकती, बल्कि पूरी घटना को आत्महत्या का रूप देकर हत्या को छिपाने की कोशिश की गई है।

परिवार ने सुसाइड नोट की लिखावट की फोरेंसिक जांच कराने की मांग की

राजकुमार सिंह के मौसेरे भाई पंकज सिंह ने बताया कि मृतक मानसिक रूप से मजबूत और जीवन को लेकर सकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति थे। उनके पास आत्महत्या जैसा कोई कारण नहीं था। उन्होंने दावा किया कि पहले पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला था, लेकिन बाद में अचानक एक नोट सामने लाया गया, जिसे न तो परिजनों को दिखाया गया और न ही उस पर कोई पारदर्शिता बरती गई। परिवार ने सुसाइड नोट की लिखावट की फोरेंसिक जांच कराने की मांग की है।

कमरे का पीछे से खुला हुआ था दरवाजा

पंकज सिंह ने यह भी बताया कि शव जिस कमरे में मिला, उस कमरे के पीछे का दरवाजा खुला हुआ था, जिससे अनजान व्यक्ति के प्रवेश की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। इसके अलावा, उन्होंने राजकुमार के मोबाइल की कॉल डिटेल और अंतिम समय की लोकेशन खंगालने की मांग की है, ताकि किसी व्यक्ति विशेष से हुई बातचीत या दबाव की सच्चाई सामने आ सके।

हथियार की भूमिका पर रहस्य बरकरार

परिजनों ने इस बात पर भी गहरी शंका जताई है कि मृतक के हाथ में जो रिवॉल्वर पाई गई, वह उनकी निजी नहीं थी। पहली नजर में वह विदेशी यानी इंग्लिश मेड प्रतीत हो रही थी। यह भी संदेह जताया जा रहा है कि शव मिलने के बाद हथियार को जानबूझकर मृतक के हाथ में रखा गया हो। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि रिवॉल्वर कहां से आई और किससे ली गई थी।पोस्टमार्टम रिपोर्ट में राजकुमार सिंह की दाहिनी कनपटी पर गोली लगने की पुष्टि हुई है।
लखनऊ में एएसपी की पत्नी के मौत मामले में सामने आया भावनात्मक रूप से झकझोर देने वाला वीडियो
लखनऊ । सीआईडी में तैनात एएसपी मुकेश प्रताप सिंह की पत्नी नितेश सिंह (38) की संदिग्ध आत्महत्या के मामले ने गुरुवार को उस समय नया मोड़ ले लिया, जब घर में लगे सीसीटीवी कैमरे का एक वीडियो सामने आया। यह वीडियो न सिर्फ घटना की पृष्ठभूमि पर सवाल खड़े करता है, बल्कि मानसिक तनाव और पारिवारिक कलह के उन पहलुओं की झलक भी देता है, जो अक्सर समाज में नजरअंदाज रह जाते हैं।

बच्चे का मुंह तकिये से दबाने का आया वीडियो

करीब 54 सेकंड के वीडियो में नितेश अपने 12 वर्षीय ऑटिज्म पीड़ित बेटे अनिकेत के साथ बेडरूम में नजर आ रही हैं। वो पहले तकिए से बच्चे का मुंह दबाती हैं, फिर कुछ सेकंड तक गला भी दबाती हैं, लेकिन अंत में रुक जाती हैं और उसके पास बैठ जाती हैं। यह दृश्य साफ तौर पर दर्शाता है कि नितेश मानसिक रूप से बेहद असंतुलित स्थिति में थीं, और उनके भीतर कोई गहरी उथल-पुथल चल रही थी।वीडियो के आने के बाद सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह आत्महत्या मात्र अवसाद का परिणाम थी, या इसके पीछे कोई गंभीर पारिवारिक प्रताड़ना छिपी है।

डेढ़ साल के बेटे ने मां को दी मुखाग्नि

नितेश के भाई प्रमोद कुमार, जो फिरोजाबाद के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हैं, ने आरोप लगाया है कि उनकी बहन एएसपी मुकेश प्रताप सिंह की प्रताड़ना और उनके दूसरी महिला से संबंधों से बेहद आहत थीं। प्रमोद का कहना है कि वे एएसपी के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य जुटा रहे हैं और जल्द ही तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराएंगे। उन्होंने पुलिस और शासन के उच्चाधिकारियों से भी इस मामले में शिकायत की बात कही है।गुरुवार को नितेश का शव परिजनों को सौंपा गया। अंतिम संस्कार फिरोजाबाद में किया गया, जहां डेढ़ साल के बेटे ने मां को मुखाग्नि दी।

अभी तक परिजनों की तरफ से नहीं दी गई है कोई तहरीर

डीसीपी मध्य आशीष कुमार श्रीवास्तव के अनुसार, एएसपी दो दिन की वाराणसी ड्यूटी पर जाने वाले थे, जिसके चलते नितेश के पिता को घर बुलाया गया था। लेकिन बुधवार शाम जब वे पहुंचे, तो बेटी मृत पाई गईं।
वहीं पुलिस का कहना है कि फिलहाल कोई तहरीर नहीं मिली है। तहरीर मिलते ही मामले की जांच की जाएगी।मनोचिकित्सकों की मानें तो वीडियो में नितेश के व्यवहार में अवसाद के लक्षण दिखते हैं, लेकिन उससे यह तय नहीं होता कि वह अपने बेटे को नुकसान पहुंचाना चाहती थीं। यह जरूर संकेत करता है कि वह गंभीर मानसिक तनाव में थीं।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष की संदिग्ध मौत, रिवॉल्वर हाथ में थी, पूर्व सांसद धनंजय सिंह के रहे बेहद करीबी
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया जब चकबंदी निदेशालय मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह का शव शहीद पथ स्थित उनके निजी प्लॉट पर बने एक कमरे में मिला। सिर में गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवॉल्वर थी। घटना की सूचना पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और अन्य राजनेता भी मौके पर पहुंचे। पुलिस इसे प्रारंभिक तौर पर आत्महत्या मान रही है, जबकि परिजन इस मौत को सुनियोजित हत्या बता रहे हैं।

मूल रूप से कानपुर के निगोहां थानाक्षेत्र के रहने वाले थे राजकुमार सिंह

52 वर्षीय राजकुमार सिंह आशियाना के सेक्टर-जे में परिवार के साथ रहते थे। वह मूल रूप से निगोहां क्षेत्र के करनपुर गांव के रहने वाले थे। बुधवार सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अपने निजी चालक केशव राम यादव के साथ घर से निकले। उन्होंने चालक से कहा कि कुछ काम है। पहले वे अंसल गोल्फ सिटी में अपने मित्र एल.एन. ओझा के फ्लैट पर पहुंचे और कुछ देर बातचीत की।वहां से निकलते समय राजकुमार ने कहा कि “नींद पूरी नहीं हुई है, थोड़ा आराम करना है”। इसके बाद वे लगभग दोपहर 1 बजे शहीद पथ स्थित विंड क्लब के पास अपने प्लॉट पर पहुंचे। चालक को कार में बैठा रहने को कहा और खुद कमरे के अंदर चले गए।

फाेन न उठाने पर चालक कमरे में पहुंचा तब हुई जानकारी

कई घंटे बीतने के बाद जब राजकुमार सिंह बाहर नहीं आए तो चालक को चिंता हुई। उसने कई बार उन्हें फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। शाम करीब पांच बजे चालक खुद कमरे के अंदर गया और जो देखा उससे उसके होश उड़ गए  राजकुमार सिंह का शव खून से सना पड़ा था, सिर में गोली लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी।चालक ने तुरंत परिवार को सूचना दी। कुछ ही देर में पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। कमरे की तलाशी ली गई और घटनास्थल से लाइसेंसी रिवॉल्वर बरामद की गई जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शव के पास एक रिवॉल्वर मिली है जो लाइसेंसी प्रतीत होती है। हालांकि, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच की जा रही है।


परिजनों का साफ आरोप,  यह आत्महत्या नहीं, सुनियोजित हत्या है

राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने पुलिस के आत्महत्या के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकते। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “राजकुमार मानसिक रूप से मजबूत थे, उनके जीवन में कोई तनाव नहीं था जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर करे।”परिजनों का कहना है कि मृतक के पास कोई लाइसेंसी असलहा नहीं था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वह रिवॉल्वर आई कहां से? क्या कोई साजिश के तहत यह सब रचा गया? परिजनों ने पुलिस को अभी किसी का नाम नहीं बताया है, लेकिन स्पष्ट रूप से इसे हत्या करार दे रहे हैं।

धनंजय सिंह के माने जाते थे बेहद करीब

राजकुमार सिंह की मौत की सूचना मिलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह और पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह मौके पर पहुंचे। यह जानकारी सामने आई है कि राजकुमार सिंह, धनंजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी राजनीतिक पहुंच और अधिकारियों के बीच मजबूत पकड़ भी रही है। राजकुमार सिंह की रहस्यमयी मौत के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।पुलिस ने मौके से साक्ष्य एकत्र कर लिए हैं और फॉरेंसिक टीम ने रिवॉल्वर, कारतूस, खून के सैंपल सहित अन्य भौतिक साक्ष्यों को कब्जे में लिया है। रिवॉल्वर की फायरिंग स्थिति, उंगलियों के निशान, बारूद के अवशेष और शव की स्थिति के आधार पर आगे की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
50 हजार का इनामी राजेश मोहन गिरफ्तार, कोरोना काल में भाई को ‘मृत’ दिखाकर बेची थी जमीन
लखनऊ । उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक बार फिर बड़ी सफलता हासिल की है। जमीन से जुड़े बड़े धोखाधड़ी के मामले में वांछित चल रहे 50,000 के इनामी अभियुक्त राजेश मोहन पांडेय को एसटीएफ ने गोरखपुर से गिरफ्तार कर लिया। आरोपी ने कोविड काल में अपने सगे भाई को मृत घोषित कर उसके नाम की जमीन फर्जी दस्तावेजों से बेच दी थी। यही नहीं, उसने अपने पिता की संपत्ति भी जालसाजी से हड़पने की कोशिश की थी।

पूरे प्रकरण में चौंकाने वाली बात यह सामने आई

उत्तर प्रदेश एसटीएफ को एक बड़ी सफलता उस समय हाथ लगी, जब उन्होंने 50,000 के इनामी अभियुक्त राजेश मोहन पांडेय को गोरखपुर के थाना गोरखनाथ क्षेत्र स्थित हुमायुंपुरा उत्तरी इलाके से गिरफ्तार किया। राजेश के खिलाफ जनपद देवरिया के थाना रूद्रपुर में दर्ज मुकदमे संख्या 70/2022, धारा 419, 420, 467, 468, 471 आईपीसी के तहत वांछना जारी थी। पूरे प्रकरण में चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि आरोपी ने साल 2019-20 में अपने सगे भाई को मृत घोषित कर उसकी जमीन पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर उसे बेच दिया था। यही नहीं, 2021 में अपने पिता के मकान के भी कूटरचित दस्तावेज बनाकर सौदा कर दिया। इस मामले में गोरखपुर के थाना चिलुआताल में मुकदमा दर्ज हुआ।

कुर्की के डर से छिपकर रह रहा था

एसटीएफ को सूचना मिली थी कि राजेश मोहन गोरखपुर में कहीं छिपा है और बाहर भागने की फिराक में है। इस पर एसटीएफ की टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आरोपी ने सारे आरोपों को स्वीकार किया और बताया कि कुर्की और गिरफ्तारी के डर से वह लुक-छिप कर रह रहा था।गिरफ्तारी के बाद आरोपी को थाना रूद्रपुर, देवरिया में दर्ज मुकदमे में दाखिल किया गया है। स्थानीय पुलिस द्वारा आगे की विधिक कार्रवाई की जा रही है।
स्मृति समारोह में अमर साहित्यकारों को दी गई श्रद्धांजलि


* संगोष्ठी में गूंजे तुलसी, प्रेमचंद, गुलेरी और आचार्य परशुराम चतुर्वेदी के विचार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा बुधवार को लखनऊ के हिन्दी भवन स्थित निराला सभागार में गोस्वामी तुलसीदास, आचार्य परशुराम चतुर्वेदी, उपन्यास सम्राट प्रेमचंद और कथा सम्राट चंद्रधर शर्मा गुलेरी की स्मृति में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन, मां सरस्वती की वंदना और वाणी वंदना के साथ हुई।
कार्यक्रम में डॉ. हरिशंकर मिश्र, असित चतुर्वेदी, नरेन्द्र भूषण और डॉ. अलका पाण्डेय मुख्य वक्ता रहे, जिनका स्वागत संस्थान की प्रधान संपादक डॉ. अमिता दुबे ने स्मृति चिह्न भेंट कर किया। डॉ. मिश्र ने तुलसीदास को “प्रेरणा पुरुष” बताते हुए उनके लोकमंगलकारी साहित्य और संतत्व की महिमा को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “तुलसी का साहित्य गंगा की तरह कल्याणकारी है।”
असित चतुर्वेदी ने आचार्य परशुराम चतुर्वेदी की संत साहित्य पर अमूल्य शोध की चर्चा करते हुए उन्हें “साहित्य साधना में लीन वकील” बताया और उनकी प्रसिद्ध कृति ‘उत्तरी भारत की संत परंपरा’ का उल्लेख किया। प्रेमचंद पर बोलते हुए नरेन्द्र भूषण ने कहा कि उनका साहित्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है। उन्होंने गोदान, गबन, सेवासदन, कायाकल्प जैसी कालजयी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक बदलाव की नींव रखी।
डॉ. अलका पाण्डेय ने चंद्रधर शर्मा गुलेरी की रचना ‘उसने कहा था’ की विशिष्टता बताते हुए उन्हें हिंदी कहानी विधा का शिल्पी कहा। कार्यक्रम के अंत में डॉ. पूनम श्रीवास्तव और उनकी टीम द्वारा तुलसी रचनाओं पर संगीतमय प्रस्तुति दी गई। डॉ. अमिता दुबे ने सभी वक्ताओं, साहित्यप्रेमियों और मीडिया का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम का संचालन किया।
सीएम युवा कॉन्क्लेव एवं एक्सपो-2025 का शुभारंभ: युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, गोमतीनगर, लखनऊ में दो दिवसीय सीएम युवा कॉन्क्लेव एवं एक्सपो-2025 का शुभारंभ किया। यह आयोजन मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान (मुख्यमंत्री युवा) के अंतर्गत किया गया, जिसका उद्देश्य है युवाओं को स्वरोजगार के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त बनाना।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर ‘यू.पी. मार्ट’ पोर्टल का उद्घाटन किया, जो व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए आवश्यक संसाधनों, जानकारी और आपूर्तिकर्ताओं की सीधी पहुँच उपलब्ध कराएगा। उन्होंने एक्सपो में लगे फ्रेंचाइज़ी, बिजनेस ऑन व्हील्स, और मशीनरी ब्रांड्स के स्टॉल्स का अवलोकन किया।
एमएसएमई मंत्री राकेश सचान ने बताया कि योजना के तहत अब तक 67,897 युवाओं को ₹2,751.82 करोड़ का ऋण दिया जा चुका है। चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 39,223 युवाओं को ₹1,607.81 करोड़ का ऋण वितरित किया गया है। योजना के तहत 21 से 40 वर्ष की आयु के प्रशिक्षित युवाओं को ₹5 लाख तक का ब्याजमुक्त, गारंटीमुक्त ऋण और 10% तक का अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है।
कॉन्क्लेव में 150 से अधिक फ्रेंचाइज़ी ब्रांड्स, 75 मशीनरी आपूर्तिकर्ता, 50 मोबाइल बिजनेस मॉडल्स, 25 बैंक, और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों ने भाग लिया। कई एमओयू भी हस्ताक्षरित हुए। कार्यक्रम में योजना के 10 लाभार्थियों को चेक, और 12 को लेटर ऑफ कन्सेंट प्रदान किए गए। कार्यक्रम में सफल उद्यमियों ने प्रेरक कहानियाँ साझा कीं, और विशेषज्ञों ने पैनल चर्चा के माध्यम से व्यवसाय प्रारंभ करने, विपणन, नवाचार और वित्तीय प्रबंधन पर उपयोगी मार्गदर्शन दिया। इस दो दिवसीय आयोजन में प्रदेशभर से आए 5,000 युवाओं ने भाग लिया और स्वरोजगार की संभावनाओं को नज़दीक से देखा व अपनाने की प्रेरणा ली। सरकार ने इसे युवाओं को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूत भागीदारी देने वाला कदम बताया है।