श्रावणी मेले के दूसरे दिन बाबा बैद्यनाथधाम में उमड़ी लाखों श्रद्धालुओं की भीड़, मनोकामना लिंग पर जलार्पण के साथ दिखा भक्ति और आस्था का अद्भुत सं
श्रावणी मेले के दूसरे दिन बाबा बैद्यनाथधाम की पवित्र नगरी में भक्ति और आस्था का अभूतपूर्व संगम देखने को मिला. मंदिर में शनिवार की अहले सुबह 04:14 बजे से जलार्पण शुरू हुआ. इस दौरान श्रद्धालुओं की कतार बीएड कॉलेज तक पहुंची गयी थी. पट बंद होने तक शनिवार को 1,13,402 श्रद्धालुओं ने जलार्पण किया.
बताया जा रहा है कि बाहा अरघा के माध्यम से 29,962, आंतरिक अरघा से 80,532 और शीघ्रदर्शनम के माध्यम से 2908 श्रद्धालुओं ने बाबा का जलाभिषेक किया. इसके बाद रात करीब 7:40 बजे मंदिर का पट बंद हुआ. श्रद्धालुओं ने बाबा पर जलार्पण कर अपने मन की मुरादें बाबा के चरणों में समर्पित की. साथ ही भोलेनाथ का आशीर्वाद ग्रहण किया.
जानकारी के अनुसार, 12 जुलाई को अहले सुबह जब बाबा मंदिर का पट खुला, तो सबसे पहले बाबा पर कांचा जल अर्पित किया गया. इसके बाद पुजारी सुमित झा ने विधिपूर्वक सरदारी पूजा कर मंदिर का द्वार आम भक्तों के लिए खोल दिया. बाबा का पट खुलने से पहले ही तिवारी चौक मोड़ से चिल्ड्रेन पार्क तक कांवरियों की लंबी कतार लग चुकी थी. जैसे-जैसे दिन चढ़ा, पंडित शिवराम झा चौक तक श्रद्धालुओं की भीड़ सिमट गयी.
बाबा बैद्यनाथधाम को मनोकामना लिंग कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दरबार में सच्चे मन से मांगी गयी मुरादें जरूर पूरी होती हैं. यही वजह है कि जलार्पण के बाद श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ व माता पार्वती मंदिर के बीच गठबंधन कराना भी नहीं भूलते हैं. यह परंपरा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आस्था से जुड़ा वैवाहिक विश्वास बन चुकी है. ऐसा माना जाता है कि बाबा-माता के इस प्रतीकात्मक मिलन में भाग लेकर दंपती श्रद्धालु अपने दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने का आशीर्वाद पाते हैं.
मेले में श्रद्धालु रंग-बिरंगे और आकर्षक कांवर के साथ पहुंच रहे हैं, जो आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं. कोई फूलों से सजा कांवर लेकर आ रहा है, तो कोई मूर्ति लगा कांवर लेकर पहुंच रहा है. हालांकि, शनिवार को बारिश नहीं होने के कारण उमस भरे मौसम में कांवरियों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा. लेकिन बाबा के दरबार में पहुंचते ही सारी थकान श्रद्धा और भक्ति में विलीन हो गयी.
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