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JPSC 11वीं मेन्स परीक्षा का आयोग ने जारी किया रिजल्ट, अभ्यर्थियों ने जताया आभार, साथ ही दे डाली चेतावनी

रांची : जेपीएससी सिविल सेवा 11वीं मेन्स परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया गया है। परीक्षा परिणाम लंबे समय से प्रतीक्षित था और इसे लेकर अभ्यर्थियों द्वारा लगातार आंदोलन चलाया जा रहा था। हालांकि अब उनका इंतजार खत्म हो गया है। मेन्स परीक्षा में 864 अभ्यर्थी सफल हुए हैं। गौरतलब है कि यह परीक्षा जून 2023 में विभिन्न सेवाओं के कुल 342 पदों के लिए आयोजित किया गया था। 864 सफल अभ्यर्थियों का 342 पदों के लिए होगा साक्षात्कार। अब सफल अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा, जिसकी तारीख आयोग की ओर से बाद में घोषित की जाएगी।

ज्ञात हो कि अभ्यर्थी पिछले 11 महीनों से इसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। रिजल्ट जारी करने को लेकर जेपीएससी कार्यालय के बाहर अभ्यर्थियों ने लगातार आंदोलन कर रहे थे। भूख हड़ताल भी किया। आंदोलन को समर्थन देते हुए डुमरी विधायक जयराम महतो ने अभ्यर्थियों का अनशन तुड़वाया था और आंदोलनकारियों के साथ मिलकर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से बातचीत की थी। राज्यपाल ने आयोग के अध्यक्ष से मामले में बातचीत की थी और अध्यक्ष ने जल्द रिजल्ट देने को लेकर राज्यपाल को आश्वस्त किया था।

आयोग के द्वारा रिजल्ट जारी करने के बाद अभ्यर्थियों में खुशी देखी गई। उन्होंने आयोग का आभार भी प्रकट किया और साथ ही साथ साक्षात्कार के लिए जल्द नोटिफिकेशन देने को कहा। वही बचे हुए जेपीएससी एग्जाम जल्द से जल्द करने के लिए आयोग से आग्रह भी किया और चेतावनी दे डाली।

रिपोर्टर जयंत कुमार

बोकारो विधायक श्वेता सिंह के नाम दो PAN कार्ड, वोटर आईडी पर उठे सवाल, बीजेपी ने राज्यपाल सौंपा ज्ञापन


रांची : बोकारो विधायक और कांग्रेस नेता श्वेता सिंह सवालों के घेरे में हैं। उनके नाम पर दो पैन कार्ड हैं। जानकारी के अनुसार, दोनों ही पैन कार्ड (C92A और C1SE) में पिता का नाम अलग-अलग दिया हुआ है। इनमें से एक पैन कार्ड रामगढ़ और दूसरा गुरुग्राम से बना है। गुरुग्राम से बने पैन कार्ड में श्वेता के पिता का नाम दिनेश कुमार सिंह लिखा है। जबकि 2010 में रामगढ़ से बने पैन कार्ड में उनके पिता का नाम संग्राम सिंह दर्ज है। अब इस मामले को लेकर भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल आज राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।

भाजपा विधायक सी पी सिंह ने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा चुनाव आयोग में जो हलफनामा दाखिल किया गया उसमें जो उल्लेख है वह गलत है। एक आदमी आखिर दो पैन कार्ड कैसे बना सकता है। इसमें गौर करने वाली बात है यह कि अपने चुनावी हलफनामे में विधायक ने पति के कॉलम के नाम के सामने संग्राम सिंह लिखा है। लेकिन चुनावी शपथ पत्र में दिया गया उनका पैन कार्ड रामगढ़ से बना है, जिसमें उनके पिता का नाम वही है, जो पति का नाम है।

वही बोकारो के पूर्व विधायक बीरांची नारायण भी इस मामले में कहा कि एक पैन कार्ड पर नाम SHWETA SINGH लिखा है। जबकि दूसरे कार्ड में SHWETTAA SINGH लिखा है। मालूम हो कि आयकर अधिनियम के तहत पैन कार्ड में पति का नाम दर्ज करने का प्रावधान नहीं है। पैन कार्ड में हमेशा धारक को अपने पिता का नाम लिखना होता है। पैन कार्ड बनवाने से पहले भरे जानेवाले फॉर्म में भी कहीं भी पति के नाम का कॉलम नहीं होता है। ऐसे में बोकारो विधायक के दो पैन कार्ड वाला मामला कई सवाल खड़े कर रहा हैं।

रिपोर्टर जयंत कुमार

रांची में स्मार्ट मीटर लगाने के बाद 800 घरों की बिजली काटी गई

रांची में स्मार्ट मीटर लगाने के बाद बिजली विभाग ने 800 घरों की बिजली काट दी। इसका मुख्य कारण यह था कि इन घरों के उपभोक्ताओं ने नए स्मार्ट मीटरों के अनुसार बिजली बिल का भुगतान नहीं किया था।

विभाग ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे समय पर अपने बिजली बिल का भुगतान करें ताकि बिजली आपूर्ति बाधित न हो। इस घटना से शहर के कई इलाकों में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

राज्य के 16 नगर निगमों की पेयजल समस्या दूर करने के लिए 2038 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे


झारखंड सरकार ने राज्य के 16 नगर निगमों में रहने वाले हजारों परिवारों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने और बेहतर सीवरेज ट्रीटमेंट के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 

इस दिशा में सरकार 2038 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इन निकायों में रामगढ़, सिमडेगा, बड़की-सरैया, जामताड़ा, महागामा, डोमचांच, रेहला-विश्रामपुर, धनवार, बंशीधर नगर, छतरपुर एवं हरिहरगंज, बरहवा, चास (फेज-टू), गिरिडीह (फेज-टू), कपाली, गुमला, लोहरदगा शामिल हैं। इसमें अंतिम तीन शहरी निकायों में जलापूर्ति योजना पर काम विश्व बैंक से सहायता प्राप्त कर जेएमडीपी और अमृत योजना.2 के तहत किया जाएगा। वहीं, शेष योजनाएं अमृत 2.0 योजना के तहत पूरी होगी।

इस पहल से इन नगर निगमों में पेयजल की कमी दूर होगी और लोगों को स्वच्छ पानी मिल सकेगा। शहरी विकास एवं आवास विभाग इस योजना को कार्यान्वित करेगा, जिससे शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार आएगा।

पीवीयूएनएल पतरातू में श्रम कानूनों पर ज्ञानवर्धक कार्यशाला


पतरातू विद्युत उत्पादक निगम लिमिटेड (पीवीयूएनएल) ने अपने कर्मचारियों और श्रमिकों की कानूनी जागरूकता को बढ़ाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए रशियन हॉस्टल सभागार में एक दिवसीय श्रम कानून कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस कार्यशाला का मुख्य ध्येय कार्यस्थल पर सुचारू संचालन, बेहतर समन्वय और पारदर्शिता को बढ़ावा देना था, जिसके लिए श्रमिकों और संबंधित अधिकारियों को श्रम कानूनों की व्यापक जानकारी प्रदान की गई।

इस ज्ञानवर्धक कार्यशाला में श्रम कानून के विशेषज्ञ डॉ. तनमय पटनायक ने मुख्य वक्ता के रूप में अपनी विशेषज्ञता साझा की। डॉ. पटनायक, जो श्रम कानून में पीएचडी, कॉर्पोरेट लॉ में एलएलएम और एलएलबी की उपाधियाँ रखते हैं, ने भारतीय संविदा अधिनियम, औद्योगिक विवाद अधिनियम, वेतन भुगतान अधिनियम जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण श्रम कानूनों की बारीकियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने प्रतिभागियों के साथ जीवंत संवाद स्थापित करते हुए उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया और कानूनों की जटिलताओं को सरल भाषा में समझाया।

कार्यशाला का शुभारंभ पीवीयूएनएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री आर.के. सिंह, प्रतिष्ठित परियोजना प्रमुख श्री अनुपम मुखर्जी और मानव संसाधन विभाग के प्रमुख श्री जियाउर रहमान की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। इन उच्चाधिकारियों की उपस्थिति ने कार्यशाला के महत्व को और बढ़ाया तथा प्रतिभागियों को प्रेरित किया।

अपने संबोधन में, श्री आर.के. सिंह ने कर्मचारियों के लिए श्रम कानूनों की जानकारी को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि कानूनी प्रावधानों की सही समझ से न केवल कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा होती है, बल्कि कंपनी के भीतर एक स्वस्थ और न्यायपूर्ण कार्य वातावरण भी निर्मित होता है। श्री मुखर्जी ने भी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने में सहायक सिद्ध होंगी। श्री रहमान ने कार्यशाला के आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पीवीयूएनएल अपने सभी कर्मचारियों के हितों के प्रति सजग है और उनकी कानूनी शिक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

डॉ. पटनायक ने अपने सत्र में विभिन्न श्रम कानूनों के महत्वपूर्ण पहलुओं को उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया। उन्होंने कर्मचारियों के भर्ती प्रक्रिया से लेकर सेवा शर्तों, वेतन और भत्तों के भुगतान, औद्योगिक विवादों के समाधान और अन्य संबंधित कानूनी प्रावधानों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने ठेका श्रमिकों के अधिकारों और उनसे जुड़े नियमों की भी जानकारी दी, जो कार्यशाला के प्रतिभागियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी रही।

इस कार्यशाला में पीवीयूएनएल के विभिन्न विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। प्रतिभागियों ने डॉ. पटनायक के ज्ञान और प्रस्तुति शैली की प्रशंसा की और इसे अत्यंत ज्ञानवर्धक बताया। उन्होंने महसूस किया कि इस कार्यशाला से उन्हें श्रम कानूनों की बेहतर समझ मिली है, जिससे वे अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों को अधिक प्रभावी ढंग से जान पाएंगे।

कार्यशाला के अंत में, प्रतिभागियों ने प्रश्नोत्तर सत्र में खुलकर अपनी शंकाओं का समाधान किया।

 डॉ. पटनायक ने धैर्यपूर्वक सभी प्रश्नों के उत्तर दिए और कानूनी प्रावधानों से संबंधित उनकी उलझनों को दूर किया। इस इंटरैक्टिव सत्र ने कार्यशाला को और भी अधिक उपयोगी और प्रभावी बना दिया।

पीवीयूएनएल द्वारा आयोजित यह एक दिवसीय श्रम कानून कार्यशाला निश्चित रूप से कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच एक मजबूत सेतु का काम करेगी। कानूनी जानकारी के सशक्तिकरण से कार्यस्थल पर अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और सौहार्दपूर्ण माहौल बनेगा, जिससे अंततः संगठन के विकास और उत्पादकता में सकारात्मक योगदान मिलेगा। इस सफल आयोजन से पीवीयूएनएल ने अपने कर्मचारियों के व्यावसायिक विकास और कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को एक बार फिर साबित किया है।

20 साल पुराना समान EPIC नंबरों का मुद्दा आखिरकार सुलझा

नई दिल्ली: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने मतदाता सूचियों को त्रुटिमुक्त और अद्यतन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए लगभग 20 साल पुराने एक जटिल मुद्दे को सफलतापूर्वक हल कर लिया है। यह मुद्दा समान निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (EPIC) नंबरों से संबंधित था, जो अनजाने में वास्तविक मतदाताओं को जारी कर दिए गए थे। इसका मुख्य कारण 2005 से विभिन्न निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ERO) द्वारा ऐसे मामलों में समान अल्फ़ान्यूमेरिक श्रृंखला का उपयोग करना था।

इस दीर्घकालिक समस्या के समाधान के लिए, एक व्यापक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया गया। सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और भारत के सभी 4123 विधानसभा क्षेत्रों के ERO ने मिलकर सभी 10.50 लाख मतदान केंद्रों पर फैले 99 करोड़ से अधिक मतदाताओं के विशाल चुनावी डेटाबेस की गहन छानबीन की। औसतन, प्रत्येक मतदान केंद्र पर लगभग 1000 मतदाता हैं। इस विस्तृत खोज में यह पाया गया कि समान EPIC नंबरों की संख्या अपेक्षाकृत नगण्य थी, जो औसतन लगभग 4 मतदान केंद्रों में से 1 मतदान केंद्र पर मौजूद थी।

क्षेत्र स्तर पर किए गए गहन सत्यापन के दौरान एक महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया। यह पाया गया कि जिन मतदाताओं के EPIC नंबर समान थे, वे वास्तव में अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों और विभिन्न मतदान केंद्रों के वास्तविक निवासी थे। तकनीकी त्रुटियों या मुद्रण संबंधी गलतियों के कारण उन्हें गलती से समान नंबर आवंटित हो गए थे। आयोग ने इस विसंगति को दूर करने के लिए त्वरित कार्रवाई की और ऐसे सभी प्रभावित मतदाताओं को नए और अद्वितीय EPIC नंबरों के साथ नए पहचान पत्र जारी किए गए हैं।

इस समस्या की जड़ें 2005 में निहित हैं, जब विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के अनुसार विकेंद्रीकृत तरीके से अलग-अलग अल्फ़ान्यूमेरिक श्रृंखला का उपयोग किया जा रहा था। 2008 में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद, इन श्रृंखलाओं को फिर से समायोजित करने की आवश्यकता हुई। इस अवधि के दौरान, कुछ निर्वाचन क्षेत्रों ने अनजाने में पुरानी श्रृंखला का उपयोग जारी रखा, या मुद्रण संबंधी त्रुटियों के कारण उन्होंने गलती से किसी अन्य निर्वाचन क्षेत्र को आवंटित श्रृंखला का उपयोग कर लिया। इसी कारणवश कुछ मतदाताओं को समान EPIC नंबर जारी हो गए थे।

हालांकि, निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि समान EPIC नंबर जारी होने के बावजूद, इससे किसी भी चुनाव के परिणाम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसका कारण यह है कि प्रत्येक मतदाता का नाम उसी मतदान केंद्र की मतदाता सूची में दर्ज होता है, जहां का वह सामान्य निवासी होता है। समान EPIC नंबर होने के कारण किसी भी व्यक्ति को किसी अन्य मतदान केंद्र पर मतदान करने का अवसर नहीं मिला। मतदाता केवल अपने निर्दिष्ट मतदान केंद्र पर ही अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकता था।

इस 20 साल पुराने मुद्दे का सफलतापूर्वक समाधान भारत निर्वाचन आयोग की मतदाता सूचियों को अधिक पारदर्शी, त्रुटि-मुक्त और विश्वसनीय बनाने की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। आयोग ने इस व्यापक कवायद के माध्यम से न केवल एक पुरानी समस्या का निवारण किया है, बल्कि भविष्य में ऐसी त्रुटियों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए अपनी प्रक्रियाओं को भी मजबूत किया है। यह कदम भारतीय चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और विश्वसनीयता को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

स्वर्णरेखा महिला समिति द्वारा ग्रीष्मकालीन प्याऊ का उद्घाटन,राहगीरों को मिलेगी शीतल जलधारा

पीवीयूएनएल टाउनशिप, स्वर्णरेखा महिला समिति (SMS) ने आज पीवीयूएनएल टाउनशिप के मुख्य द्वार पर एक प्याऊ जल का भव्य उद्घाटन किया। 

ग्रीष्म ऋतु की प्रचंड गर्मी को देखते हुए राहगीरों और पीवीयूएनएल कर्मचारियों को स्वच्छ एवं शीतल पेयजल उपलब्ध कराने के नेक उद्देश्य से यह पहल की गई है।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर स्वर्णरेखा महिला समिति की अध्यक्षा रीता सिंह ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। उनके साथ पीवीयूएनएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आर.के. सिंह भी उपस्थित थे, जिन्होंने इस सामाजिक कार्य के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया। 

लेडीज क्लब की अन्य सक्रिय सदस्याओं ने भी इस उद्घाटन समारोह में उत्साहपूर्वक भाग लिया, जो इस परियोजना की सफलता के लिए उनके समर्पण को दर्शाता है।

उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए रीता सिंह ने समिति के सभी सदस्यों के एकजुट प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए इस प्रकार के छोटे-छोटे प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। श्रीमती सिंह ने लेडीज क्लब की सदस्यों के सक्रिय योगदान की विशेष रूप से प्रशंसा की, जिन्होंने इस पहल को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह प्याऊ ग्रीष्मकाल में आने-जाने वाले लोगों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा।

पीवीयूएनएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आर.के. सिंह ने स्वर्णरेखा महिला समिति के इस मानवीय कार्य की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल न केवल जरूरतमंदों को राहत पहुंचाएगी बल्कि समुदाय में सेवा और करुणा के मूल्यों को भी बढ़ावा देगी। उन्होंने समिति को हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया और भविष्य में भी ऐसे सामाजिक कार्यों में साथ मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की।

इस अवसर पर उपस्थित लेडीज क्लब की सदस्यों में भी खासा उत्साह देखने को मिला। उन्होंने इस परियोजना को सफल बनाने के लिए मिलकर कार्य करने के अपने अनुभव साझा किए और इस पहल के सकारात्मक प्रभाव को लेकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। सदस्यों ने बताया कि प्याऊ की स्थापना का विचार गर्मी के मौसम में लोगों को पानी की समस्या से जूझते हुए देखने के बाद आया था, और तभी से उन्होंने इसे साकार करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे।

यह प्याऊ न केवल स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराएगा, बल्कि यह राहगीरों के लिए एक क्षणिक विश्राम स्थल के रूप में भी कार्य करेगा, जहाँ वे गर्मी से राहत पा सकेंगे। समिति ने प्याऊ की नियमित सफाई और रखरखाव की व्यवस्था भी सुनिश्चित की है, ताकि यह लंबे समय तक लोगों की सेवा कर सके।

कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थितजनों ने स्वर्णरेखा महिला समिति के इस जनकल्याणकारी कार्य की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। उन्होंने समिति के सदस्यों के समर्पण और सेवाभाव की सराहना करते हुए इस पहल को समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत बताया। इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति और पीवीयूएनएल के कर्मचारी भी उपस्थित थे, जिन्होंने समिति के प्रयासों को अपना समर्थन दिया।

स्वर्णरेखा महिला समिति का यह प्रयास निश्चित रूप से ग्रीष्मकाल में पीवीयूएनएल टाउनशिप के आसपास से गुजरने वाले लोगों के लिए एक वरदान साबित होगा। यह पहल समाज में सामूहिक प्रयासों और सेवाभाव के महत्व को भी रेखांकित करती है। समिति ने यह सिद्ध कर दिया है कि छोटे-छोटे कदम भी मिलकर एक बड़ा और सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। यह प्याऊ जल न केवल प्यास बुझाएगा, बल्कि यह मानवीय करुणा और सेवा की भावना का भी प्रतीक बनेगा।

लखाईडीह: नशामुक्ति, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण के पथ पर अग्रसर एक प्रेरणादायक गाँव

झारखंड के सुदूर आदिवासी बहुल गाँव लखाईडीह ने प्रधान कान्हूराम टुडू के दूरदर्शी नेतृत्व में विकास की एक अनूठी गाथा लिखी है। कभी नशीले पदार्थों के गिरफ्त में जकड़ा यह गाँव आज न केवल नशामुक्त हो चुका है, बल्कि शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक समृद्धि के क्षेत्र में भी एक मिसाल बनकर उभरा है। कान्हूराम टुडू के अथक प्रयासों ने इस गाँव की तस्वीर को पूरी तरह से बदल दिया है, जिससे यह अन्य समुदायों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गया है।

लखाईडीह की विकास यात्रा का केंद्रीय बिंदु गाँव के पुरुषों को नशे की लत से मुक्ति दिलाना रहा। प्रधान टुडू ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए प्रभावी रणनीतियाँ अपनाईं। इसके सकारात्मक परिणाम स्वरूप, 1322 ग्रामीणों का यह गाँव आज पूरी तरह से नशामुक्त है। इस सफलता से उत्साहित होकर, कान्हूराम टुडू ने अपने इस अभियान को पड़ोसी राज्यों पश्चिम बंगाल और ओडिशा के सीमावर्ती गाँवों तक विस्तारित किया है, जहाँ उन्होंने लगभग 1238 गाँवों के लाखों आदिवासियों को नशा मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

नशामुक्ति के साथ-साथ, कान्हूराम टुडू ने गाँव में शिक्षा के महत्व को भी स्थापित किया। उनके प्रयासों से गाँव में एक मध्य विद्यालय और एक सरकारी आवासीय विद्यालय सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं, जहाँ पूर्वी सिंहभूम जिले के दूर-दराज के लगभग 160 छात्र-छात्राएँ शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। शिक्षा के प्रसार ने गाँव के बच्चों के भविष्य को नई दिशा दी है।

पर्यावरण संरक्षण लखाईडीह के विकास मॉडल का एक अभिन्न अंग है। घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा यह गाँव अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। प्रधान टुडू के नेतृत्व में ग्रामीणों ने जंगल की रक्षा के लिए टोलियाँ बनाई हैं और प्लास्टिक के उपयोग को त्यागकर पारंपरिक पीतल-कांसा के बर्तन या साल-सखुआ के पत्तों से बनी वस्तुओं का उपयोग करते हैं। यह पहल पर्यावरण के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

आर्थिक रूप से भी लखाईडीह ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। कृषि को बढ़ावा देने के प्रयासों के कारण, गाँव के 74 परिवार आज धान और सब्जी की खेती से सालाना लगभग दो लाख रुपये तक की आय अर्जित कर रहे हैं। आधारभूत संरचना के विकास में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। दुर्गम पहाड़ी रास्तों के बावजूद, गाँव तक पहुँचने के लिए आरसीसी सड़क का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिससे कनेक्टिविटी बेहतर होगी और अन्य सुविधाओं तक ग्रामीणों की पहुँच सुगम हो सकेगी। इस कार्य में आईएएस अधिकारियों का सहयोग भी सराहनीय रहा है।

प्रधान कान्हूराम टुडू की उपलब्धियाँ अद्वितीय हैं। उन्होंने न केवल अपने गाँव को एक नई पहचान दी है, बल्कि एक व्यापक समुदाय को सकारात्मक बदलाव की राह दिखाई है। तकनीक का उपयोग करते हुए ऑनलाइन बैठकों और जनजागरण अभियानों के माध्यम से उन्होंने दूर-दराज के क्षेत्रों तक अपने संदेश को पहुँचाया है। उनके गुरु बनाव मुर्मू से मिली प्रेरणा ने उन्हें इस नेक कार्य के लिए आजीवन समर्पित कर दिया है। लखाईडीह आज विकास, प्रेरणा और सामुदायिक नेतृत्व का एक जीवंत उदाहरण है, जो यह दर्शाता है कि दृढ़ संकल्प और सामूहिक प्रयास से किसी भी दुर्गम लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

सारंडा जंगल में हुआ IED ब्लास्ट, एक जवान घायल, एयरलिफ्ट कर लाया गया रांची, इलाज जारी

रांची : झारखंड सरकार के द्वारा नक्सलियों के खात्मे के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में पश्चिम सिंहभूम जिले के सारंडा क्षेत्र में चल रहे नक्सल विरोधी अभियान के दौरान में आज सोमवार की सुबह सारंडा क्षेत्र के दलाईगढ़ा और मरांगपोंगा के जंगली / पहाड़ी क्षेत्र में सुरक्षा बलों को लक्षित करने के उद्देश्य से नक्सलियों द्वारा पूर्व में लगाये गये I.E.D को विस्फोट किया गया। इसकी चपेट में आने से एक सुरक्षा जवान घायल हो गया। 

घायल जवान झारखण्ड जगुआर बम निरोधक दस्ता का कांस्टेबल मनोज कुमार दमाई है। 

घायल मनोज कुमार के बेहतर इलाज के लिए एयरलिफ्ट कर रांची लाया गया जहां उनकी इलाज एक निजी अस्पताल में चल रही है फिलहाल उनकी स्थिति स्थिर बनी हुई है।

पूरी घटना की जानकारी आईजी अभियान एवी होमकर ने दिया। उन्होंने यह भी बताया कि इस एयर लिफ्ट में खासकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विशेष सहभागिता रही उन्होंने हेलीकॉप्टर की उपलब्धता तुरंत करवाई।

रिपोर्टर जयंत कुमार

राशन वितरण में तेजी लाने को लेकर बरीय पदाधिकारी की गयी बैठक में दिया गया आवश्यक निर्देश

राँची में मोनी कुमारी (विशिष्ट अनुभाजन पदाधिकारी) और प्रदीप भगत (जिला आपूर्ति पदाधिकारी) की अध्यक्षता में एक मीटिंग हुई। इस मीटिंग में राँची जिले के सभी मार्केटिंग ऑफिसर, प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी, गोदाम मैनेजर, राशन ढुलाई करने वाले और लेबर सरदार शामिल थे।

मीटिंग में यह फैसला लिया गया कि मई 2025 में जितना भी राशन आया है, वह सभी लोगों तक जल्द से जल्द पहुँचाया जाए। इसके साथ ही जून और जुलाई 2025 में आने वाले राशन को भी अभी से ही लोगों को देने की तैयारी करने का निर्देश दिया गया।

अधिकारियों ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम के गोदामों से तेजी से राशन निकालकर ज्यादा से ज्यादा गाड़ियों का इस्तेमाल करके राशन की दुकानों तक पहुँचाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जिन दुकानदारों को राशन मिल गया है, वे उसे तुरंत लोगों को बाँटना शुरू कर दें। अगर कोई गड़बड़ी करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।