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डोनाल्ड ट्रंप ने अब फोड़ा वीजा बम, H1-B के लिए अमेरिका लेगा एक लाख डॉलर की फीस

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H1-B वीजा के आवेदन शुल्क में बड़ा बदलाव किया है। ट्रंप ने शुक्रवार को इसके संबंध में घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके बाद H1-B वीजा के लिए सालाना 1 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 88 लाख भारतीय रुपये) आवेदन शुल्क देना होगा। इस कदम का सबसे ज्यादा असर भारतीय कामगारों पर पड़ेगा जो इसके लाभार्थियों में सबसे ज्यादा हैं।

नया H-1B वीजा आवेदन नियम क्या है?

डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को एच-1बी एप्लीकेशन वाले नए कार्यकारी आदेश पर सिग्नेचर कर दिया। इसके तहत अब H-1B वीजा के लिए आवेदन करने वाले किसी भी व्यक्ति को अपने आवेदन को संसाधित करने के लिए हर साल $100,000 का शुल्क देना होगा। भारतीय करेंसी में यह करीब 88 लाख रुपए सालाना होता है। यह नियम नए आवेदनों के साथ-साथ मौजूदा पर भी लागू होता है।

ट्रंप ने क्या कहा?

ट्रंप ने जोर देकर कहा कि तकनीकी उद्योग इस कदम का विरोध नहीं करेगा। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि वे नए वीजा शुल्क से बहुत खुश होंगे। वाणिज्य मंत्री लुटनिक ने कहा, 'एच-1बी वीजा के लिए सालाना 1 लाख डॉलर का भुगतान करना होगा और सभी बड़ी कंपनियां इसके लिए तैयार हैं। हमने उनसे बात की है।' 

क्या है H1-B वीजा कार्यक्रम?

H1-B वीजा कार्यक्रम अमेरिका में हाई-स्किल्ड जॉब्स के लिए सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली विदेशियों को आकर्षित करने के लिए लाया गया था। इसके बजाय यह कार्यक्रम विदेशी कर्मचारियों के लिए एक पाइपलाइन बन गया है, जो अक्सर साला 60,000 डॉलर से भी कम वेतन पर काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं। यह अमेरिकी टेक्निकल वर्कर को आमतौर पर दिए जाने वाले 100,000 डॉलर से अधिक के वेतन के मुकाबले बहुत कम है।

भारतीय होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित

अमेरिका के इस कदम से वहां रहने वाले भारतीय सर्वाधिक प्रभावित होंगे। इस बदलाव से अमेरिका में भारतीय आईटी इंजीनियरों की नौकरियों पर खतरा आएगा। वित्त वर्ष 2023-24 में दो लाख से ज्यादा भारतीयों ने एच1-बी वीजा हासिल किया था। भारत पिछले साल एच-1बी वीजा का सबसे बड़ा लाभार्थी था। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 से 2023 के बीच स्वीकृत वीजा में 73.7 फीसदी वीजा भारतीयों के थे। चीन 16 फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर था। कनाडा 3% के साथ तीसरे स्थान पर, उसके बाद ताइवान (1.3%), दक्षिण कोरिया (1.3%), मैक्सिको (1.2%) और नेपाल, ब्राजील, पाकिस्तान और फिलीपींस (सभी 0.8%) हैं।

पीएम मोदी के जन्मदिन पर ट्रंप का फोन, टैरिफ विवाद के बीच कितना अहम है ये एक कॉल

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भारत-अमेरिका के रिश्तों में पिछले कुछ महीने से तल्खी देखी जा रही थी। टैरिफ विवाद के कारण रिश्ते निम्नतम स्तर पर थे। अब उन रिश्तों को संजीवनी मिली है। कई महीनों की तनातनी के बाद मंगलवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर उन्हें 75वें जन्मदिन की बधाई दी। पीएम मोदी को डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार की शाम को फोन किया और जन्मदिन की शुभकामना दी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ उनकी फोन पर बातचीत ‘बहुत अच्छी’ रही। ट्रंप ने मोदी को फिर से अपना अच्छा दोस्त कहा।

ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'मैंने अपने दोस्त पीएम मोदी से अभी फोन पर बात की। उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। वह बहुत ही शानदार काम कर रहे हैं। नरेंद्र, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रुकवाने में आपके समर्थन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।'

पीएम मोदी ने जन्मदिन पर बधाई के लिए कहा शुक्रिया

वहीं, पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ फोन पर हुई बात की जानकारी एक्स पर पोस्ट कर दी। पीएम मोदी ने अपने पोस्ट में लिखा “मेरे मित्र, राष्ट्रपति ट्रंप, मेरे 75वें जन्मदिन पर आपके फोन कॉल और हार्दिक शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद। आपकी तरह, मैं भी भारत-अमेरिका व्यापक और वैश्विक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हूं। हम यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में आपकी पहल का समर्थन करते हैं।”

ट्रेड डील पर बातचीत जारी

राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी को ऐसे समय में फोन किया है, जब भारत और अमेरिका के प्रतिनिधियों के बीच ट्रेड डील पर बातचीत फिर से शुरु हो गई है। मंगलवार (16 सितंबर) को दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच 7 घंटे लंबी मैराथन मीटिंग हुई थी। बैठक के बाद दोनों देश के प्रतिनिधियों ने बैठक को काफी सकारात्मक कहा है। अमेरिका ने मंगलवार को कहा कि उसके मुख्य वार्ताकार ब्रेंडन लिंच और भारत के वाणिज्य मंत्रालय में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर हुई बातचीत सकारात्मक रही। भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने कहा कि दोनों पक्षों ने नयी दिल्ली में आयोजित एक-दिवसीय बैठक के दौरान व्यापार वार्ता के अगले कदमों पर चर्चा की।

ट्रंप-मोदी के बीच तीन महीने बाद सीधी बात

ट्रंप और मोदी के बीच सीधी बातचीत तीन महीने के बाद हुई है। 17 जून को कनाडा में जी-7 की बैठक के बाद दोनों नेताओं में फोन पर 35 मिनट तक बात हुई थी। इस दौरान पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया था कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान से युद्ध विराम अमेरिका के कारण नहीं, बल्कि पाकिस्तान के आग्रह पर हुआ था। इसमें किसी तीसरे पक्ष का कोई दखल नहीं था। इसके बाद जुलाई में ट्रंप ने भारत पर पहले 25%, फिर अगस्त में 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया। इससे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया था।

आखिरकार ट्रंप ने कबूली सच्चाई, बोले- रूसी तेल पर टैरिफ के फैसले से भारत संग रिश्ते में आई दरार

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अमेरिका और भारत के रिश्तों में पिछले दिनों कड़वाहट देखी गई। हालांकि, अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के पहल ने फिर से रिश्तों को बहाल का है। अब पहली बार ट्रंप ने माना है कि उनकी ओर से लगाए गए टैरिफ से भारत के साथ रिश्ते में तनाव आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में बड़ी बात कही है। उन्होंने इंटरव्यू के दौरान कहा, भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ ने भारत के साथ दरार पैदा की है। इस दौरान ट्रंप ने ये भी स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन विवाद, जिसके सुलझने की उन्हें सबसे आसान उम्मीद थी, अभी तक अनसुलझा है। इसे सभी ने हल्के में ले लिया था।

ट्रंप ने शुक्रवार को एक इंटरव्यू में भारत पर टैरिफ और संबंधों में तनाव पर बात की है। ट्रंप ने स्वीकार किया है कि भारत पर उन्होंने जो 50 फीसदी टैरिफ लगाया, वह सीधे तौर पर रूस से भारत की तेल खरीदारी के कारण था और यही कदम दोनों देशों के रिश्तों में दरार की वजह बना। उन्होंने कहा, भारत रूसी तेल का एक बड़ा ग्राहक है। मैंने इसे रोकने के लिए भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया क्योंकि वे रूस से तेल खरीदते हैं। यह कोई आसान काम नहीं है। यह बड़ी बात है और इससे भारत के साथ रिश्ते में दरार पैदा होती है।

रूस-यूक्रेन विवाद को नहीं सुलझा सकने की बात मानी

भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ पर चर्चा करने से पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि वे रूस-यूक्रेन विवाद को नहीं सुलझा पाए हैं, जो उनके विचार में सबसे आसान होता। उन्होंने फॉक्स न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में कहा, मुझे लगा था कि यूक्रेन और रूस के बीच सबसे आसान होगा। टैंगो के लिए दो लोगों की जरूरत होती है। जब पुतिन ऐसा करना चाहते थे, तो जेलेंस्की नहीं करते थे। जब जेलेंस्की ऐसा करना चाहते थे, तो पुतिन नहीं करते थे। अब जेलेंस्की ऐसा करना चाहते हैं और पुतिन पर सवालिया निशान है। हमें बहुत सख्ती से जवाब देना होगा। पुतिन के साथ मेरे हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं, यही एकमात्र युद्ध है जिसका मैं समाधान नहीं कर पाया हूं। 

भारत-पाक संघर्ष पर बयान

ट्रंप ने एक बार फिर से यह भी दोहराया कि उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में कई युद्ध रुकवा दिए हैं। साक्षात्कार के दौरान उन्होंने अन्य संघर्षों को सुलझाने में अपने रिकॉर्ड को भी दोहराया। ट्रंप ने कहा, 'मैंने सात युद्ध रोके, सात। मैंने पाकिस्तान और भारत समेत कई युद्ध सुलझाए। कुछ तो अनसुलझे थे। कांगो और रवांडा, मैंने सुलझाया। लाखों लोग मारे गए। मैंने ऐसे युद्ध सुलझाए जो अनसुलझे थे।

बता दें कि भारत-पाक संघर्ष पर ट्रंप कई बार ऐसे दावे कर चुके हैं। हालांकि भारत ने उनके दावे को पूरी तरह खारिज किया है।

भारत और अमेरिका के बीच जल्द होगी ट्रेड डील! ट्रंप ने बढ़ाया 'दोस्ती' का हाथ, पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

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भारत और अमेरिका के बीच जारी तनाव कम होता दिख रहा है। भारत और अमेरिका के संबंध पिछले कुछ महीनों से व्यापारिक तनाव से गुजर रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ दिनों में भारत को लेकर अमेरिका के रुख नरम पड़ते दिख रहे हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों से दोनों देशों के बीच संबंध वापस पटरी पर लौटने की उम्मीद बढ़ गई है। इस बीच यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। उन्होंने पीएम मोदी से दोस्ती के संबंध में नया पोस्ट किया है। खास बात ये है कि पीएम मोदी ने भी ट्रंप के पोस्ट पर जवाब दिया है।

ट्रंप ने पोस्ट कर पीएम मोदी को बताया “बहुत अच्छे मित्र”

पहले ट्रंप ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत के लिए उत्सुक हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक्‍स पर लिखा, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और अमेरिका हमारे दोनों देशों के बीच मौजूद व्यापारिक बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत जारी रखे हुए हैं। मैं आने वाले हफ्तों में अपने बहुत अच्छे मित्र प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत करने की प्रतीक्षा कर रहा हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे दोनों महान देशों के लिए इस वार्ता का सफल नतीजा निकालने में कोई कठिनाई नहीं होगी।

ट्रंप को पीएम मोदी का जवाब

ट्रंप की नई सोशल मीडिया पोस्ट पर रिएक्ट करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारी टीमें इन चर्चाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए काम कर रही हैं। मैं राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत के लिए भी उत्सुक हूं। हम दोनों देशों के लोगों के लिए एक उज्जवल और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे।

ट्रंप के तेवर नरम पड़े

यूएस राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले दिनों भारत पर 50 फीसदी तक टैरिफ बढ़ाने को लेकर अहम फैसला लिया। इसी के बाद भारत के साथ अमेरिका के रिश्तों में तनाव की खबरें सामने आई थीं। अब इसे कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अहम ऐलान किया। दोनों सरकारों के सर्वोच्च स्तर पर पहल होने के बाद रिश्तों में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है।

ट्रंप के 'अच्छे दोस्त और ग्रेट प्राइम मिनिस्टर' वाले बयान पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब, रिश्तों में आई नई गर्माहट?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तल्ख तेवर ढीले पड़ने लगे हैं। टैरिफ और रूसी तेल खरीद को लेकर अमेरिका और भारत के रिश्तों में तनाव बना हुआ है। इसे लेकर डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत पर हमलावर थे। हालांकि, अब ट्रंप के सुर बदले- बदले नजर आ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी को अपना अच्छा दोस्त बताया, तो वहीं भारतीय प्रधानमंत्री ने भी इस पर अब जवाब दिया है। पीएम मोदी ने ट्रंप की भारत-अमेरिका संबंधों पर सकारात्मक टिप्पणियों की सराहना की है।

अमेरिका और भारत के रिश्तों को 'बहुत ख़ास' बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'हमेशा दोस्त रहेंगे' और इसमें 'चिंता की कोई बात नहीं' है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के बयान की सराहना की है।उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा, मैं राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और हमारे रिश्तों के बारे में उनके सकारात्मक विचारों की सराहना करता हूं। भारत और अमेरिका के बीच बेहद सकारात्मक और दूरदर्शी व्यापक एवं वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है।

ट्रंप ने क्या कहा था?

इससे पहले शुक्रवार को ओवल ऑफिस में मीडिया से बात करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि 'मैं हमेशा मोदी का दोस्त रहूंगा, वह एक महान प्रधानमंत्री हैं। लेकिन मुझे इस समय उनके द्वारा किए जा रहे काम पसंद नहीं आ रहे हैं। लेकिन भारत और अमेरिका के बीच एक खास रिश्ता है। चिंता की कोई बात नहीं है। हमारे बीच ऐसे पल आ जाते हैं।'ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल पोस्ट पर ‘भारत को खोने’ वाली टिप्पणी पर सफाई देते हुए कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ हुआ है।’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे मोदी के साथ अच्छी तरह घुलमिल जाते हैं।

भारत-रूस को चीन के हाथ खोने की बात कही थी

शुक्रवार को ही ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर पीएम मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि भारत और रूस शायद चीन के साथ चले गए हैं। उन्होंने कहा था कि ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। अब वे साथ मिलकर लंबा और सुखद भविष्य बिताएं।

ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो का आक्रामक रुख

बता दें कि ट्रंप के प्रशासन और समर्थकों की ओर से हाल के दिनों में भारत के खिलाफ बयानबाजी बढ़ी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सबसे भरोसेमंद सलाहकारों में से एक पीटर नवारो पिछले कुछ समय से भारत और पीएम मोदी के बारे में बयान देते हुए आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं।शुक्रवार देर रात पीटर नवारो ने भारत को लेकर अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट लिखी। इसमें उन्होंने लिखा, भारत की ऊंची टैरिफ दरें अमेरिकी नौकरियों पर असर डालती हैं। भारत सिर्फ़ मुनाफा कमाने के लिए रूस से तेल खरीदता है और यह पैसा रूस की जंग मशीन को जाता है। इसमें यूक्रेनी और रूसी लोग मारे जा रहे हैं। अमेरिकी टैक्स देने वालों को और ज़्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है। भारत सच्चाई नहीं मानता और बस कहानी घुमाता है। इससे पहले नवारो रूस और यूक्रेन के टकराव को 'मोदी का युद्ध' बता चुके हैं। 29 अगस्त को उन्होंने एक्स पर लिखा कि रूसी तेल से होने वाली कमाई भारत के राजनीतिक तौर पर जुड़े ऊर्जा कारोबारियों तक पहुंचती है और सीधे पुतिन के युद्ध फ़ंड में भी जाती है।

SCO मीटिंग की सफलता देख अमेरिका ने बदला सुर, ट्रंप के वित्त मंत्री का बड़ा बयान

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चीन में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक की तस्वीरों को देखने का बाद ऐसा लग रहा है, अमेरिका की आंखे खुल गई है। तियानजिन में हुए एससीओ सम्मेलन की सफलता के ठीक अगले दिन अमेरिका ने भारत के साथ संबंधों पर सकारात्मक सुर अपनाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भारत-यूएस संबंधों को लेकर कहा है कि दोनों लोकतंत्रों की बुनियाद मज़बूत है और वे अपने मतभेदों को सुलझाने में सक्षम हैं। जल्द ही वाशिगंटन और नई दिल्ली के रिश्ते पटरी पर लौट आएंगे।

“रूस-चीन से ज्यादा हमारे करीब है भारत”

बेसेंट ने फॉक्स न्यूज के साथ इंटरव्यू में भारत के साथ संबंधों पर बात की है। उनसे सवाल हुआ कि क्या ट्रंप के 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद भारत का झुकाव चीन और रूस की तरफ हो गया है। इस पर उन्होंने अमेरिका और भारत के व्यापारिक मतभेद दूर होने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि दो महान देश मिलकर चीजें सुलझा लेंगे। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। उनके मूल्य चीन की तुलना में हमारे मूल्यों के बहुत करीब हैं और रूस की तुलना में भी वह हमारे करीब है।

एससीओ को लेकर क्या है यूएस की राय?

बेसेंट ने हाल ही में व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग के साथ शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी पर भी बात की। बेसेंट ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक से अमेरिका के लिए चिंता की बात को नकार दिया। उन्होंने कहा कि एससीओ एक दीर्घकालिक बैठक है और यह काफी हद तक औपचारिक है। वर्षों से हो रही इस बैठक का कोई खास असर जमीन पर देखने को नहीं मिलेगा।

भारत की रूस से तेल खरीद की आलोचना

हालांकि, भारत की रूस से तेल खरीद की आलोचना की। अमेरिका का मानना है कि भारत रूस से तेल खरीद कर उसे यूक्रेन जंग के लिए आर्थिक सहायता कर रहा है। बेसेंट ने कहा कि भारतीय रूसी तेल सस्ते में खरीदकर रिफाइन कर बेच रहे हैं, जिससे युद्ध प्रयासों को फंड मिल रहा है। यह टिप्पणी ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ के संदर्भ में आई, जो रूसी तेल आयात और धीमी व्यापार वार्ता पर आधारित हैं।

एससीओ सम्मेलन के बाद बदले यूएस के सुर

बेसेंट का ये बयान एससीओ सम्मेलन के बाद आया है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बेहद गर्मजोशी से मुलाकात की। भारत का रूस के साथ-साथ चीन के करीब जाना पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय बन गया है।

ब्राह्मण मुनाफाखोरी कर रहे हैं’, रूसी तेल खरीद को ट्रंप के सलाहकार ने जाति से जोड़ा

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो लगातार भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। पीटर नवारो ने ब रूस-भारत तेल खरीद पर नया बयान दिया है। पीटर नवारो ने टैरिफ और रूसी तेल खरीद के मुद्दे को भारत की जातीय राजनीति से जोड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भारत में कुछ वर्ग इस रूसी तेल से मुनाफाखोरी कर रहे हैं, जिसका खामियाजा आम नागरिकों को उठाना पड़ रहा है।

फॉक्स न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में नवारो ने कहा कि भारतीय रिफाइनर रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीद रहे हैं। उसे प्रोसेस करने के बाद महंगे दामों पर निर्यात कर रहे हैं। खासतौर से भारत के ब्राह्मण अपने देश के लोगों की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं। वहीं रूस इस पैसे का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में कर रहा है। ऐसे में हमें इसे रोकना होगा। नवारो ने आगे कहा कि मैं भारत के लोगों से कहना चाहता हूं कि समझिए यहां क्या हो रहा है। कुछ ब्राह्मण अपने फायदे के लिए आम लोगों का नुकसान कर रहे हैं, और इसे बंद होना चाहिए।

मोदी-पुतिन और जिनपिंग की तिकड़ी से लगी मिर्ची

नवारो में साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस और चीन के साथ बढ़ती नजदीकियों पर सवाल उठाते हुए कहा, मोदी एक महान नेता हैं, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा कि वह पुतिन और शी जिनपिंग के साथ क्यों खड़े हैं, जबकि वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता हैं। नवारो ने कहा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी नेता शी जिनपिंग वैश्विक स्थिरता को कमजोर कर रहे हैं। नवारो का बयान पीएम मोदी के एससीओ समिट के लिए चीन पहुंचने के बाद आया है। इसे एससीओ समिट पर अमेरिका की बौखलाहट की तरह देखा जा रहा है। पीएम मोदी ने चीन मे प्रेसिडेंट शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात की है।

रूस-यूक्रेन जंग को बढ़ावा दने का आरोप

नवारो ने दावा किया कि फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले भारत की रूस से तेल खरीद बहुत ही कम थी, लेकिन इसके बाद भारत ने आयात कई गुना बढ़ा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत रूसी कच्चे तेल को खरीदकर रिफाइन करता है और फिर उसे अफ्रीका, यूरोप और एशिया के देशों को ऊंचे दाम पर बेचता है, जिससे सीधे तौर पर ‘रूस की युद्ध मशीन’ को ताकत मिल रही है।

टैरिफ के नाम पर दे रहे धमकी

ट्रंप के सलाहकार ने आगे कहा कि अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है, जबकि चीन पर भी इतना ही शुल्क लगाया गया है। उन्होंने कहा, अब सवाल यह है कि इसे और कितना ऊपर ले जाना है। लेकिन भारत की बात करें तो हमें केवल यह याद रखना होगा कि फरवरी 2022 से पहले भारत बहुत ही कम मात्रा में रूसी तेल खरीदता था।

भारत को निशाना बनाना गलत...’ यूक्रेन युद्ध को लेकर बोले जयशंकर

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फिनलैंड के विदेश मंत्री से फोन पर बातचीत में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत को गलत तरीके से निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। भारत हमेशा शांति और बातचीत की वकालत करता रहा है। विदेश मंत्री की इस टिप्पणी को संयुक्त राज्य अमेरिका के उन आरोपों के संदर्भ में देखा जा रहा है, जिसमें कहा गया कि भारत रियायती मूल्य पर रूस से कच्चा तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में मॉस्को की युद्ध मशीन की सहायता कर रहा है।

एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस संबंध में एक पोस्ट किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, फिनलैंड के विदेश मंत्री से फोन पर बात हुई। हमने यूक्रेन जंग और इसके असर पर बात की। इस मामले में भारत को गलत तरीके से निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। हम बातचीत और डिप्लोमेसी के पक्ष में हैं।

यूरोप में भारत की बढ़ती अहमियत

फिनलैंड की विदेश मंत्री वाल्तोनेन के साथ यह बातचीत ऐसे समय हुई है जब यूरोप भारत की भूमिका को लेकर काफी उत्सुक है। यूरोपीय संघ के कई देशों ने साफ कहा है कि उन्हें भारत से ऊर्जा, व्यापार और सुरक्षा के मामलों में संतुलित सहयोग चाहिए। जयशंकर ने अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि भारत को किसी के राजनीतिक नैरेटिव का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए और हमारी प्राथमिकता हमेशा शांति स्थापना ही रहेगी।

अमेरिका का भारत पर गंभीर आरोप

दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प भारत पर रूसी तेल खरीद की वजह से 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया। इसके कुछ ही दिनों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त 25 परसेंट टैरिफ लगाने की घोषणा की। जिसके बाद अमेरिका की ओर से भारत पर लगने वाला अतिरिक्त टैरिफ बढ़कर 50 परसेंट हो गया। ट्रंप का कहना है कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, जिस वजह से पुतिन को यूक्रेन जंग जारी रखने में मदद मिल रही है

ट्रंप के सलाहकार का बेतुका बयान

वहीं, अमेरिका के व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने इस सप्ताह कहा था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय वस्तुओं पर लगाया गया 50 परसेंट टैरिफ सिर्फ भारत के अनुचित व्यापार के बारे में नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य मॉस्को की युद्ध मशीन को नई दिल्ली की ओर से दी गई वित्तीय जीवन रेखा को काटना भी है। हालांकि, भारत पहले ही अमेरिका की ओर से लगाए जा रहे इन आरोपों को खारिज कर चुका है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने आश्चर्यजनक रूप से चीन की आलोचना नहीं की है, जो रूस से तेल क सबसे बड़ा आयातक है।

रूस-यूक्रेन वॉर से भारत का कनेक्शन जोड़ने की कोशिश, ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो का बेतुका बयान

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भारत और अमेरिका के बीच इन दिनों रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप लगातार भारत और पीएम मोदी को लेकर तरह-तरह की बयानबाजी कर रहे हैं। भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद भी अमेरिका की खीज कम होने का नाम नहीं ले रही है। अब अमेरिकी टैरिफ को लेकर व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो का बयान सामने आया है। ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने एक बार फिर बेतुका बयान दिया है। अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध को भारत से जोड़ दिया है। ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने कहा है कि यूक्रेन में शांति का रास्ता दिल्ली से होकर गुजरता है।

“रूसी तेल खरीदने से मॉस्को की आक्रामकता बढ़ी”

नवारो ने दावा किया कि भारत के रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदने से मॉस्को की यूक्रेन में आक्रामकता बढ़ी है और इससे अमेरिकी करदाताओं का बोझ बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर दे तो उसे अमेरिकी टैरिफ में 25% की छूट मिल सकती है। नवारो की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर लगाया गया 25% टैरिफ 27 अगस्त बुधवार (स्थानीय समयानुसार) प्रभावी हो गया है।

यूक्रेन संघर्ष पर बताया भारत का प्रभाव

ब्लूमबर्ग टीवी के साथ एक इंटरव्यू में वॉइट हाउस के ट्रेड सलाहकार पीटर नवारो यूक्रेन संघर्ष पर भारत का प्रभाव बताया और कहा कि शांति का रास्ता कुछ हद तक नई दिल्ली से होकर गुजरता है। इंटरव्यू में पीटर नवार्रो ने कहा, भारत जो कर रहा है उससे हर अमेरिकी को नुकसान हो रहा है। उपभोक्ता, व्यवसायी, श्रमिक सबको नुकसान हो रहा है।भारत के कारण नौकरियों, कारखानों, आय और मजदूरी का नुकसान हो रहा है। करदाताओं पर बोझ बढ़ा है, क्योंकि हमें मोदी के युद्ध के लिए फंड करना पड़ रहा है।

भारतीयों को बताया अहंकारी

ट्रंप के सलाहकार ने यह भी कहा, मैं हैरान हूं, क्योंकि मोदी एक महान नेता हैं। यह एक परिपक्व लोकतंत्र है और इसे परिपक्व लोग चला रहे हैं। नवारो ने टैरिफ पर भारत के रुख पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, मुझे जो बात परेशान करती है, वह यह है कि भारतीय इस बारे में बहुत अहंकारी हैं। वे कहते हैं, अरे, हमारे पास ज़्यादा टैरिफ नहीं हैं। अरे, यह हमारी संप्रभुता है। हम जिसे चाहें तेल खरीद सकते हैं।

पहले भी भारत पर साध चुके हैं निशाना

यह पहली बार नहीं है जब पीटर नवार्रो ने भारत पर निशाना साधा है। उन्होंने पहले भारत को महाराजा ऑफ टैरिफ्स कहा था और

दावा किया था कि 2022 में यूक्रेन आक्रमण से पहले भारत का रूस से तेल व्यापार लगभग शून्य था। अब भारत रूस से 35-40 फीसदी तेल आयात करता है जो प्रतिदिन 1.5-2 मिलियन बैरल है।

ट्रंप ने फिर अपना पुराना राग, बोले- 24 घंटे का दिया था अल्टीमेटम, मोदी ने 5 घंटे में ही कर डाला

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भारत-पाकिस्तान तनाव को खत्म करने में अपनी भूमिका को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपना पुराना राग अलापा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया है कि उन्होंने टैरिफ़ लगाने और ट्रेड डील रद्द करने की धमकी देकर भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवा दिया था। ट्रंप ने दावा किया कि उनके दखल ने पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर किया। ट्रंप ने दावा किया कि इस बातचीत के पांच घंटे के भीतर दोनों पक्ष पीछे हट गए।

ट्रंप के मुताबिक, उन्होंने दोनों देशों को धमकी दी थी कि अगर लड़ाई नहीं रुकी तो अमेरिका व्यापार समझौता नहीं करेगा और पाकिस्तान पर ऊंचे टैरिफ लगाएगा। ट्रंप ने यह दावा व्हाइट हाउस में हुई अपनी कैबिनेट बैठक के दौरान किया। उन्होंने कहा कि, ‘मैंने पीएम मोदी से कहा कि अगर पाकिस्तान के साथ जंग नहीं रुकी तो कोई व्यापार समझौता नहीं होगा। फिर मैंने पाकिस्तान से कहा कि अगर लड़ाई बंद नहीं हुई तो इतने ऊंचे टैरिफ लगाऊंगा कि उनका सिर घूम जाएगा। इसके बाद पांच घंटे में ही सब खत्म हो गया।

भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लागू होने के ठीक पहले ट्रंप का बयान

कैबिनेट की एक बैठक में बोलते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने याद दिलाया कि कैसे उन्होंने यूक्रेन-रूस संघर्ष की शुरुआत में विश्वयुद्ध को टाल दिया था। उन्होंने कहा कि वे युद्ध के लिए तैयार थे और फिर मई में भारत-पाकिस्तान के चरम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बातचीत के बारे में बताया। यह टिप्पणी ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ के लागू होने से कुछ ही घंटे पहले आई है।

सात लडाकू विमान गिराए जाने का दावा भी दोहराया

इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी दोहराया कि दोनों देशों के साथ संघर्ष के दौरान कम से कम सात लड़ाकू विमान गिराए गए। उन्होंने कहा कि मैंने देखा कि वे लड़ रहे हैं, फिर मुझे पता चला कि संघर्ष में सात विमानों को मार गिराया गया। यह अच्छा नहीं है। यह बहुत सारे जेट हैं। 150 मिलियन अमरीकी डॉलर के विमान मार गिराए गए। ट्रंप ने दावा किया कि दोनों देशों ने वास्तविक संख्या की रिपोर्ट भी नहीं की। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह स्पष्ट नहीं किया कि ये विमान दोनों देशों में से किसी एक के गिरे थे या वह दोनों पक्षों के संयुक्त नुकसान की बात कर रहे थे।

डोनाल्ड ट्रंप ने अब फोड़ा वीजा बम, H1-B के लिए अमेरिका लेगा एक लाख डॉलर की फीस

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H1-B वीजा के आवेदन शुल्क में बड़ा बदलाव किया है। ट्रंप ने शुक्रवार को इसके संबंध में घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके बाद H1-B वीजा के लिए सालाना 1 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 88 लाख भारतीय रुपये) आवेदन शुल्क देना होगा। इस कदम का सबसे ज्यादा असर भारतीय कामगारों पर पड़ेगा जो इसके लाभार्थियों में सबसे ज्यादा हैं।

नया H-1B वीजा आवेदन नियम क्या है?

डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को एच-1बी एप्लीकेशन वाले नए कार्यकारी आदेश पर सिग्नेचर कर दिया। इसके तहत अब H-1B वीजा के लिए आवेदन करने वाले किसी भी व्यक्ति को अपने आवेदन को संसाधित करने के लिए हर साल $100,000 का शुल्क देना होगा। भारतीय करेंसी में यह करीब 88 लाख रुपए सालाना होता है। यह नियम नए आवेदनों के साथ-साथ मौजूदा पर भी लागू होता है।

ट्रंप ने क्या कहा?

ट्रंप ने जोर देकर कहा कि तकनीकी उद्योग इस कदम का विरोध नहीं करेगा। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि वे नए वीजा शुल्क से बहुत खुश होंगे। वाणिज्य मंत्री लुटनिक ने कहा, 'एच-1बी वीजा के लिए सालाना 1 लाख डॉलर का भुगतान करना होगा और सभी बड़ी कंपनियां इसके लिए तैयार हैं। हमने उनसे बात की है।' 

क्या है H1-B वीजा कार्यक्रम?

H1-B वीजा कार्यक्रम अमेरिका में हाई-स्किल्ड जॉब्स के लिए सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली विदेशियों को आकर्षित करने के लिए लाया गया था। इसके बजाय यह कार्यक्रम विदेशी कर्मचारियों के लिए एक पाइपलाइन बन गया है, जो अक्सर साला 60,000 डॉलर से भी कम वेतन पर काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं। यह अमेरिकी टेक्निकल वर्कर को आमतौर पर दिए जाने वाले 100,000 डॉलर से अधिक के वेतन के मुकाबले बहुत कम है।

भारतीय होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित

अमेरिका के इस कदम से वहां रहने वाले भारतीय सर्वाधिक प्रभावित होंगे। इस बदलाव से अमेरिका में भारतीय आईटी इंजीनियरों की नौकरियों पर खतरा आएगा। वित्त वर्ष 2023-24 में दो लाख से ज्यादा भारतीयों ने एच1-बी वीजा हासिल किया था। भारत पिछले साल एच-1बी वीजा का सबसे बड़ा लाभार्थी था। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 से 2023 के बीच स्वीकृत वीजा में 73.7 फीसदी वीजा भारतीयों के थे। चीन 16 फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर था। कनाडा 3% के साथ तीसरे स्थान पर, उसके बाद ताइवान (1.3%), दक्षिण कोरिया (1.3%), मैक्सिको (1.2%) और नेपाल, ब्राजील, पाकिस्तान और फिलीपींस (सभी 0.8%) हैं।

पीएम मोदी के जन्मदिन पर ट्रंप का फोन, टैरिफ विवाद के बीच कितना अहम है ये एक कॉल

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भारत-अमेरिका के रिश्तों में पिछले कुछ महीने से तल्खी देखी जा रही थी। टैरिफ विवाद के कारण रिश्ते निम्नतम स्तर पर थे। अब उन रिश्तों को संजीवनी मिली है। कई महीनों की तनातनी के बाद मंगलवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर उन्हें 75वें जन्मदिन की बधाई दी। पीएम मोदी को डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार की शाम को फोन किया और जन्मदिन की शुभकामना दी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ उनकी फोन पर बातचीत ‘बहुत अच्छी’ रही। ट्रंप ने मोदी को फिर से अपना अच्छा दोस्त कहा।

ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'मैंने अपने दोस्त पीएम मोदी से अभी फोन पर बात की। उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। वह बहुत ही शानदार काम कर रहे हैं। नरेंद्र, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रुकवाने में आपके समर्थन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।'

पीएम मोदी ने जन्मदिन पर बधाई के लिए कहा शुक्रिया

वहीं, पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ फोन पर हुई बात की जानकारी एक्स पर पोस्ट कर दी। पीएम मोदी ने अपने पोस्ट में लिखा “मेरे मित्र, राष्ट्रपति ट्रंप, मेरे 75वें जन्मदिन पर आपके फोन कॉल और हार्दिक शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद। आपकी तरह, मैं भी भारत-अमेरिका व्यापक और वैश्विक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हूं। हम यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में आपकी पहल का समर्थन करते हैं।”

ट्रेड डील पर बातचीत जारी

राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी को ऐसे समय में फोन किया है, जब भारत और अमेरिका के प्रतिनिधियों के बीच ट्रेड डील पर बातचीत फिर से शुरु हो गई है। मंगलवार (16 सितंबर) को दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच 7 घंटे लंबी मैराथन मीटिंग हुई थी। बैठक के बाद दोनों देश के प्रतिनिधियों ने बैठक को काफी सकारात्मक कहा है। अमेरिका ने मंगलवार को कहा कि उसके मुख्य वार्ताकार ब्रेंडन लिंच और भारत के वाणिज्य मंत्रालय में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर हुई बातचीत सकारात्मक रही। भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने कहा कि दोनों पक्षों ने नयी दिल्ली में आयोजित एक-दिवसीय बैठक के दौरान व्यापार वार्ता के अगले कदमों पर चर्चा की।

ट्रंप-मोदी के बीच तीन महीने बाद सीधी बात

ट्रंप और मोदी के बीच सीधी बातचीत तीन महीने के बाद हुई है। 17 जून को कनाडा में जी-7 की बैठक के बाद दोनों नेताओं में फोन पर 35 मिनट तक बात हुई थी। इस दौरान पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया था कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान से युद्ध विराम अमेरिका के कारण नहीं, बल्कि पाकिस्तान के आग्रह पर हुआ था। इसमें किसी तीसरे पक्ष का कोई दखल नहीं था। इसके बाद जुलाई में ट्रंप ने भारत पर पहले 25%, फिर अगस्त में 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया। इससे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया था।

आखिरकार ट्रंप ने कबूली सच्चाई, बोले- रूसी तेल पर टैरिफ के फैसले से भारत संग रिश्ते में आई दरार

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अमेरिका और भारत के रिश्तों में पिछले दिनों कड़वाहट देखी गई। हालांकि, अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के पहल ने फिर से रिश्तों को बहाल का है। अब पहली बार ट्रंप ने माना है कि उनकी ओर से लगाए गए टैरिफ से भारत के साथ रिश्ते में तनाव आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में बड़ी बात कही है। उन्होंने इंटरव्यू के दौरान कहा, भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ ने भारत के साथ दरार पैदा की है। इस दौरान ट्रंप ने ये भी स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन विवाद, जिसके सुलझने की उन्हें सबसे आसान उम्मीद थी, अभी तक अनसुलझा है। इसे सभी ने हल्के में ले लिया था।

ट्रंप ने शुक्रवार को एक इंटरव्यू में भारत पर टैरिफ और संबंधों में तनाव पर बात की है। ट्रंप ने स्वीकार किया है कि भारत पर उन्होंने जो 50 फीसदी टैरिफ लगाया, वह सीधे तौर पर रूस से भारत की तेल खरीदारी के कारण था और यही कदम दोनों देशों के रिश्तों में दरार की वजह बना। उन्होंने कहा, भारत रूसी तेल का एक बड़ा ग्राहक है। मैंने इसे रोकने के लिए भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया क्योंकि वे रूस से तेल खरीदते हैं। यह कोई आसान काम नहीं है। यह बड़ी बात है और इससे भारत के साथ रिश्ते में दरार पैदा होती है।

रूस-यूक्रेन विवाद को नहीं सुलझा सकने की बात मानी

भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ पर चर्चा करने से पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि वे रूस-यूक्रेन विवाद को नहीं सुलझा पाए हैं, जो उनके विचार में सबसे आसान होता। उन्होंने फॉक्स न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में कहा, मुझे लगा था कि यूक्रेन और रूस के बीच सबसे आसान होगा। टैंगो के लिए दो लोगों की जरूरत होती है। जब पुतिन ऐसा करना चाहते थे, तो जेलेंस्की नहीं करते थे। जब जेलेंस्की ऐसा करना चाहते थे, तो पुतिन नहीं करते थे। अब जेलेंस्की ऐसा करना चाहते हैं और पुतिन पर सवालिया निशान है। हमें बहुत सख्ती से जवाब देना होगा। पुतिन के साथ मेरे हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं, यही एकमात्र युद्ध है जिसका मैं समाधान नहीं कर पाया हूं। 

भारत-पाक संघर्ष पर बयान

ट्रंप ने एक बार फिर से यह भी दोहराया कि उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में कई युद्ध रुकवा दिए हैं। साक्षात्कार के दौरान उन्होंने अन्य संघर्षों को सुलझाने में अपने रिकॉर्ड को भी दोहराया। ट्रंप ने कहा, 'मैंने सात युद्ध रोके, सात। मैंने पाकिस्तान और भारत समेत कई युद्ध सुलझाए। कुछ तो अनसुलझे थे। कांगो और रवांडा, मैंने सुलझाया। लाखों लोग मारे गए। मैंने ऐसे युद्ध सुलझाए जो अनसुलझे थे।

बता दें कि भारत-पाक संघर्ष पर ट्रंप कई बार ऐसे दावे कर चुके हैं। हालांकि भारत ने उनके दावे को पूरी तरह खारिज किया है।

भारत और अमेरिका के बीच जल्द होगी ट्रेड डील! ट्रंप ने बढ़ाया 'दोस्ती' का हाथ, पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

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भारत और अमेरिका के बीच जारी तनाव कम होता दिख रहा है। भारत और अमेरिका के संबंध पिछले कुछ महीनों से व्यापारिक तनाव से गुजर रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ दिनों में भारत को लेकर अमेरिका के रुख नरम पड़ते दिख रहे हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों से दोनों देशों के बीच संबंध वापस पटरी पर लौटने की उम्मीद बढ़ गई है। इस बीच यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। उन्होंने पीएम मोदी से दोस्ती के संबंध में नया पोस्ट किया है। खास बात ये है कि पीएम मोदी ने भी ट्रंप के पोस्ट पर जवाब दिया है।

ट्रंप ने पोस्ट कर पीएम मोदी को बताया “बहुत अच्छे मित्र”

पहले ट्रंप ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत के लिए उत्सुक हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक्‍स पर लिखा, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और अमेरिका हमारे दोनों देशों के बीच मौजूद व्यापारिक बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत जारी रखे हुए हैं। मैं आने वाले हफ्तों में अपने बहुत अच्छे मित्र प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत करने की प्रतीक्षा कर रहा हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे दोनों महान देशों के लिए इस वार्ता का सफल नतीजा निकालने में कोई कठिनाई नहीं होगी।

ट्रंप को पीएम मोदी का जवाब

ट्रंप की नई सोशल मीडिया पोस्ट पर रिएक्ट करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारी टीमें इन चर्चाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए काम कर रही हैं। मैं राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत के लिए भी उत्सुक हूं। हम दोनों देशों के लोगों के लिए एक उज्जवल और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे।

ट्रंप के तेवर नरम पड़े

यूएस राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले दिनों भारत पर 50 फीसदी तक टैरिफ बढ़ाने को लेकर अहम फैसला लिया। इसी के बाद भारत के साथ अमेरिका के रिश्तों में तनाव की खबरें सामने आई थीं। अब इसे कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अहम ऐलान किया। दोनों सरकारों के सर्वोच्च स्तर पर पहल होने के बाद रिश्तों में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है।

ट्रंप के 'अच्छे दोस्त और ग्रेट प्राइम मिनिस्टर' वाले बयान पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब, रिश्तों में आई नई गर्माहट?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तल्ख तेवर ढीले पड़ने लगे हैं। टैरिफ और रूसी तेल खरीद को लेकर अमेरिका और भारत के रिश्तों में तनाव बना हुआ है। इसे लेकर डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत पर हमलावर थे। हालांकि, अब ट्रंप के सुर बदले- बदले नजर आ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी को अपना अच्छा दोस्त बताया, तो वहीं भारतीय प्रधानमंत्री ने भी इस पर अब जवाब दिया है। पीएम मोदी ने ट्रंप की भारत-अमेरिका संबंधों पर सकारात्मक टिप्पणियों की सराहना की है।

अमेरिका और भारत के रिश्तों को 'बहुत ख़ास' बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'हमेशा दोस्त रहेंगे' और इसमें 'चिंता की कोई बात नहीं' है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के बयान की सराहना की है।उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा, मैं राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और हमारे रिश्तों के बारे में उनके सकारात्मक विचारों की सराहना करता हूं। भारत और अमेरिका के बीच बेहद सकारात्मक और दूरदर्शी व्यापक एवं वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है।

ट्रंप ने क्या कहा था?

इससे पहले शुक्रवार को ओवल ऑफिस में मीडिया से बात करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि 'मैं हमेशा मोदी का दोस्त रहूंगा, वह एक महान प्रधानमंत्री हैं। लेकिन मुझे इस समय उनके द्वारा किए जा रहे काम पसंद नहीं आ रहे हैं। लेकिन भारत और अमेरिका के बीच एक खास रिश्ता है। चिंता की कोई बात नहीं है। हमारे बीच ऐसे पल आ जाते हैं।'ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल पोस्ट पर ‘भारत को खोने’ वाली टिप्पणी पर सफाई देते हुए कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ हुआ है।’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे मोदी के साथ अच्छी तरह घुलमिल जाते हैं।

भारत-रूस को चीन के हाथ खोने की बात कही थी

शुक्रवार को ही ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर पीएम मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि भारत और रूस शायद चीन के साथ चले गए हैं। उन्होंने कहा था कि ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। अब वे साथ मिलकर लंबा और सुखद भविष्य बिताएं।

ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो का आक्रामक रुख

बता दें कि ट्रंप के प्रशासन और समर्थकों की ओर से हाल के दिनों में भारत के खिलाफ बयानबाजी बढ़ी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सबसे भरोसेमंद सलाहकारों में से एक पीटर नवारो पिछले कुछ समय से भारत और पीएम मोदी के बारे में बयान देते हुए आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं।शुक्रवार देर रात पीटर नवारो ने भारत को लेकर अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट लिखी। इसमें उन्होंने लिखा, भारत की ऊंची टैरिफ दरें अमेरिकी नौकरियों पर असर डालती हैं। भारत सिर्फ़ मुनाफा कमाने के लिए रूस से तेल खरीदता है और यह पैसा रूस की जंग मशीन को जाता है। इसमें यूक्रेनी और रूसी लोग मारे जा रहे हैं। अमेरिकी टैक्स देने वालों को और ज़्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है। भारत सच्चाई नहीं मानता और बस कहानी घुमाता है। इससे पहले नवारो रूस और यूक्रेन के टकराव को 'मोदी का युद्ध' बता चुके हैं। 29 अगस्त को उन्होंने एक्स पर लिखा कि रूसी तेल से होने वाली कमाई भारत के राजनीतिक तौर पर जुड़े ऊर्जा कारोबारियों तक पहुंचती है और सीधे पुतिन के युद्ध फ़ंड में भी जाती है।

SCO मीटिंग की सफलता देख अमेरिका ने बदला सुर, ट्रंप के वित्त मंत्री का बड़ा बयान

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चीन में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक की तस्वीरों को देखने का बाद ऐसा लग रहा है, अमेरिका की आंखे खुल गई है। तियानजिन में हुए एससीओ सम्मेलन की सफलता के ठीक अगले दिन अमेरिका ने भारत के साथ संबंधों पर सकारात्मक सुर अपनाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भारत-यूएस संबंधों को लेकर कहा है कि दोनों लोकतंत्रों की बुनियाद मज़बूत है और वे अपने मतभेदों को सुलझाने में सक्षम हैं। जल्द ही वाशिगंटन और नई दिल्ली के रिश्ते पटरी पर लौट आएंगे।

“रूस-चीन से ज्यादा हमारे करीब है भारत”

बेसेंट ने फॉक्स न्यूज के साथ इंटरव्यू में भारत के साथ संबंधों पर बात की है। उनसे सवाल हुआ कि क्या ट्रंप के 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद भारत का झुकाव चीन और रूस की तरफ हो गया है। इस पर उन्होंने अमेरिका और भारत के व्यापारिक मतभेद दूर होने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि दो महान देश मिलकर चीजें सुलझा लेंगे। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। उनके मूल्य चीन की तुलना में हमारे मूल्यों के बहुत करीब हैं और रूस की तुलना में भी वह हमारे करीब है।

एससीओ को लेकर क्या है यूएस की राय?

बेसेंट ने हाल ही में व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग के साथ शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी पर भी बात की। बेसेंट ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक से अमेरिका के लिए चिंता की बात को नकार दिया। उन्होंने कहा कि एससीओ एक दीर्घकालिक बैठक है और यह काफी हद तक औपचारिक है। वर्षों से हो रही इस बैठक का कोई खास असर जमीन पर देखने को नहीं मिलेगा।

भारत की रूस से तेल खरीद की आलोचना

हालांकि, भारत की रूस से तेल खरीद की आलोचना की। अमेरिका का मानना है कि भारत रूस से तेल खरीद कर उसे यूक्रेन जंग के लिए आर्थिक सहायता कर रहा है। बेसेंट ने कहा कि भारतीय रूसी तेल सस्ते में खरीदकर रिफाइन कर बेच रहे हैं, जिससे युद्ध प्रयासों को फंड मिल रहा है। यह टिप्पणी ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ के संदर्भ में आई, जो रूसी तेल आयात और धीमी व्यापार वार्ता पर आधारित हैं।

एससीओ सम्मेलन के बाद बदले यूएस के सुर

बेसेंट का ये बयान एससीओ सम्मेलन के बाद आया है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बेहद गर्मजोशी से मुलाकात की। भारत का रूस के साथ-साथ चीन के करीब जाना पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय बन गया है।

ब्राह्मण मुनाफाखोरी कर रहे हैं’, रूसी तेल खरीद को ट्रंप के सलाहकार ने जाति से जोड़ा

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो लगातार भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। पीटर नवारो ने ब रूस-भारत तेल खरीद पर नया बयान दिया है। पीटर नवारो ने टैरिफ और रूसी तेल खरीद के मुद्दे को भारत की जातीय राजनीति से जोड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भारत में कुछ वर्ग इस रूसी तेल से मुनाफाखोरी कर रहे हैं, जिसका खामियाजा आम नागरिकों को उठाना पड़ रहा है।

फॉक्स न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में नवारो ने कहा कि भारतीय रिफाइनर रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीद रहे हैं। उसे प्रोसेस करने के बाद महंगे दामों पर निर्यात कर रहे हैं। खासतौर से भारत के ब्राह्मण अपने देश के लोगों की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं। वहीं रूस इस पैसे का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में कर रहा है। ऐसे में हमें इसे रोकना होगा। नवारो ने आगे कहा कि मैं भारत के लोगों से कहना चाहता हूं कि समझिए यहां क्या हो रहा है। कुछ ब्राह्मण अपने फायदे के लिए आम लोगों का नुकसान कर रहे हैं, और इसे बंद होना चाहिए।

मोदी-पुतिन और जिनपिंग की तिकड़ी से लगी मिर्ची

नवारो में साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस और चीन के साथ बढ़ती नजदीकियों पर सवाल उठाते हुए कहा, मोदी एक महान नेता हैं, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा कि वह पुतिन और शी जिनपिंग के साथ क्यों खड़े हैं, जबकि वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता हैं। नवारो ने कहा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी नेता शी जिनपिंग वैश्विक स्थिरता को कमजोर कर रहे हैं। नवारो का बयान पीएम मोदी के एससीओ समिट के लिए चीन पहुंचने के बाद आया है। इसे एससीओ समिट पर अमेरिका की बौखलाहट की तरह देखा जा रहा है। पीएम मोदी ने चीन मे प्रेसिडेंट शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात की है।

रूस-यूक्रेन जंग को बढ़ावा दने का आरोप

नवारो ने दावा किया कि फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले भारत की रूस से तेल खरीद बहुत ही कम थी, लेकिन इसके बाद भारत ने आयात कई गुना बढ़ा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत रूसी कच्चे तेल को खरीदकर रिफाइन करता है और फिर उसे अफ्रीका, यूरोप और एशिया के देशों को ऊंचे दाम पर बेचता है, जिससे सीधे तौर पर ‘रूस की युद्ध मशीन’ को ताकत मिल रही है।

टैरिफ के नाम पर दे रहे धमकी

ट्रंप के सलाहकार ने आगे कहा कि अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है, जबकि चीन पर भी इतना ही शुल्क लगाया गया है। उन्होंने कहा, अब सवाल यह है कि इसे और कितना ऊपर ले जाना है। लेकिन भारत की बात करें तो हमें केवल यह याद रखना होगा कि फरवरी 2022 से पहले भारत बहुत ही कम मात्रा में रूसी तेल खरीदता था।

भारत को निशाना बनाना गलत...’ यूक्रेन युद्ध को लेकर बोले जयशंकर

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फिनलैंड के विदेश मंत्री से फोन पर बातचीत में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत को गलत तरीके से निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। भारत हमेशा शांति और बातचीत की वकालत करता रहा है। विदेश मंत्री की इस टिप्पणी को संयुक्त राज्य अमेरिका के उन आरोपों के संदर्भ में देखा जा रहा है, जिसमें कहा गया कि भारत रियायती मूल्य पर रूस से कच्चा तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में मॉस्को की युद्ध मशीन की सहायता कर रहा है।

एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस संबंध में एक पोस्ट किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, फिनलैंड के विदेश मंत्री से फोन पर बात हुई। हमने यूक्रेन जंग और इसके असर पर बात की। इस मामले में भारत को गलत तरीके से निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। हम बातचीत और डिप्लोमेसी के पक्ष में हैं।

यूरोप में भारत की बढ़ती अहमियत

फिनलैंड की विदेश मंत्री वाल्तोनेन के साथ यह बातचीत ऐसे समय हुई है जब यूरोप भारत की भूमिका को लेकर काफी उत्सुक है। यूरोपीय संघ के कई देशों ने साफ कहा है कि उन्हें भारत से ऊर्जा, व्यापार और सुरक्षा के मामलों में संतुलित सहयोग चाहिए। जयशंकर ने अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि भारत को किसी के राजनीतिक नैरेटिव का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए और हमारी प्राथमिकता हमेशा शांति स्थापना ही रहेगी।

अमेरिका का भारत पर गंभीर आरोप

दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प भारत पर रूसी तेल खरीद की वजह से 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया। इसके कुछ ही दिनों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त 25 परसेंट टैरिफ लगाने की घोषणा की। जिसके बाद अमेरिका की ओर से भारत पर लगने वाला अतिरिक्त टैरिफ बढ़कर 50 परसेंट हो गया। ट्रंप का कहना है कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, जिस वजह से पुतिन को यूक्रेन जंग जारी रखने में मदद मिल रही है

ट्रंप के सलाहकार का बेतुका बयान

वहीं, अमेरिका के व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने इस सप्ताह कहा था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय वस्तुओं पर लगाया गया 50 परसेंट टैरिफ सिर्फ भारत के अनुचित व्यापार के बारे में नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य मॉस्को की युद्ध मशीन को नई दिल्ली की ओर से दी गई वित्तीय जीवन रेखा को काटना भी है। हालांकि, भारत पहले ही अमेरिका की ओर से लगाए जा रहे इन आरोपों को खारिज कर चुका है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने आश्चर्यजनक रूप से चीन की आलोचना नहीं की है, जो रूस से तेल क सबसे बड़ा आयातक है।

रूस-यूक्रेन वॉर से भारत का कनेक्शन जोड़ने की कोशिश, ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो का बेतुका बयान

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भारत और अमेरिका के बीच इन दिनों रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप लगातार भारत और पीएम मोदी को लेकर तरह-तरह की बयानबाजी कर रहे हैं। भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद भी अमेरिका की खीज कम होने का नाम नहीं ले रही है। अब अमेरिकी टैरिफ को लेकर व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो का बयान सामने आया है। ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने एक बार फिर बेतुका बयान दिया है। अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध को भारत से जोड़ दिया है। ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने कहा है कि यूक्रेन में शांति का रास्ता दिल्ली से होकर गुजरता है।

“रूसी तेल खरीदने से मॉस्को की आक्रामकता बढ़ी”

नवारो ने दावा किया कि भारत के रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदने से मॉस्को की यूक्रेन में आक्रामकता बढ़ी है और इससे अमेरिकी करदाताओं का बोझ बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर दे तो उसे अमेरिकी टैरिफ में 25% की छूट मिल सकती है। नवारो की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर लगाया गया 25% टैरिफ 27 अगस्त बुधवार (स्थानीय समयानुसार) प्रभावी हो गया है।

यूक्रेन संघर्ष पर बताया भारत का प्रभाव

ब्लूमबर्ग टीवी के साथ एक इंटरव्यू में वॉइट हाउस के ट्रेड सलाहकार पीटर नवारो यूक्रेन संघर्ष पर भारत का प्रभाव बताया और कहा कि शांति का रास्ता कुछ हद तक नई दिल्ली से होकर गुजरता है। इंटरव्यू में पीटर नवार्रो ने कहा, भारत जो कर रहा है उससे हर अमेरिकी को नुकसान हो रहा है। उपभोक्ता, व्यवसायी, श्रमिक सबको नुकसान हो रहा है।भारत के कारण नौकरियों, कारखानों, आय और मजदूरी का नुकसान हो रहा है। करदाताओं पर बोझ बढ़ा है, क्योंकि हमें मोदी के युद्ध के लिए फंड करना पड़ रहा है।

भारतीयों को बताया अहंकारी

ट्रंप के सलाहकार ने यह भी कहा, मैं हैरान हूं, क्योंकि मोदी एक महान नेता हैं। यह एक परिपक्व लोकतंत्र है और इसे परिपक्व लोग चला रहे हैं। नवारो ने टैरिफ पर भारत के रुख पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, मुझे जो बात परेशान करती है, वह यह है कि भारतीय इस बारे में बहुत अहंकारी हैं। वे कहते हैं, अरे, हमारे पास ज़्यादा टैरिफ नहीं हैं। अरे, यह हमारी संप्रभुता है। हम जिसे चाहें तेल खरीद सकते हैं।

पहले भी भारत पर साध चुके हैं निशाना

यह पहली बार नहीं है जब पीटर नवार्रो ने भारत पर निशाना साधा है। उन्होंने पहले भारत को महाराजा ऑफ टैरिफ्स कहा था और

दावा किया था कि 2022 में यूक्रेन आक्रमण से पहले भारत का रूस से तेल व्यापार लगभग शून्य था। अब भारत रूस से 35-40 फीसदी तेल आयात करता है जो प्रतिदिन 1.5-2 मिलियन बैरल है।

ट्रंप ने फिर अपना पुराना राग, बोले- 24 घंटे का दिया था अल्टीमेटम, मोदी ने 5 घंटे में ही कर डाला

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भारत-पाकिस्तान तनाव को खत्म करने में अपनी भूमिका को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपना पुराना राग अलापा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया है कि उन्होंने टैरिफ़ लगाने और ट्रेड डील रद्द करने की धमकी देकर भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवा दिया था। ट्रंप ने दावा किया कि उनके दखल ने पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर किया। ट्रंप ने दावा किया कि इस बातचीत के पांच घंटे के भीतर दोनों पक्ष पीछे हट गए।

ट्रंप के मुताबिक, उन्होंने दोनों देशों को धमकी दी थी कि अगर लड़ाई नहीं रुकी तो अमेरिका व्यापार समझौता नहीं करेगा और पाकिस्तान पर ऊंचे टैरिफ लगाएगा। ट्रंप ने यह दावा व्हाइट हाउस में हुई अपनी कैबिनेट बैठक के दौरान किया। उन्होंने कहा कि, ‘मैंने पीएम मोदी से कहा कि अगर पाकिस्तान के साथ जंग नहीं रुकी तो कोई व्यापार समझौता नहीं होगा। फिर मैंने पाकिस्तान से कहा कि अगर लड़ाई बंद नहीं हुई तो इतने ऊंचे टैरिफ लगाऊंगा कि उनका सिर घूम जाएगा। इसके बाद पांच घंटे में ही सब खत्म हो गया।

भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लागू होने के ठीक पहले ट्रंप का बयान

कैबिनेट की एक बैठक में बोलते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने याद दिलाया कि कैसे उन्होंने यूक्रेन-रूस संघर्ष की शुरुआत में विश्वयुद्ध को टाल दिया था। उन्होंने कहा कि वे युद्ध के लिए तैयार थे और फिर मई में भारत-पाकिस्तान के चरम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बातचीत के बारे में बताया। यह टिप्पणी ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ के लागू होने से कुछ ही घंटे पहले आई है।

सात लडाकू विमान गिराए जाने का दावा भी दोहराया

इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी दोहराया कि दोनों देशों के साथ संघर्ष के दौरान कम से कम सात लड़ाकू विमान गिराए गए। उन्होंने कहा कि मैंने देखा कि वे लड़ रहे हैं, फिर मुझे पता चला कि संघर्ष में सात विमानों को मार गिराया गया। यह अच्छा नहीं है। यह बहुत सारे जेट हैं। 150 मिलियन अमरीकी डॉलर के विमान मार गिराए गए। ट्रंप ने दावा किया कि दोनों देशों ने वास्तविक संख्या की रिपोर्ट भी नहीं की। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह स्पष्ट नहीं किया कि ये विमान दोनों देशों में से किसी एक के गिरे थे या वह दोनों पक्षों के संयुक्त नुकसान की बात कर रहे थे।