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डोनाल्ड ट्रंप को मिले शांति का नोबेल…पाकिस्तान के बाद दोस्त नेतन्याहू ने की बड़ी डिमांड

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इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका के दौरे पर हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को उनके लिए व्हाइट हाउस में डिनर का आयोजन किया था। इस मौके पर नेतन्याहू अपने दोस्त ट्रंप के लिए एक खास तोहफा लेकर पहुंचे। दरअसल, इजराइली पीएम ने डोनाल्ड ट्रंप को एक पत्र सौंपा, जो उनकी सरकार की ओर से नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा गया है। इस पत्र में डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्रयासों को बताते हुए उनको नोबेल पीस प्राइज देने की सिफारिश की गई है।

गाजा में संघर्ष विराम की कोशिशों के बीच इस्राइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में डिनर पर मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने ट्रंप को बताया कि उन्होंने नोबेल पुरस्कार के लिए ट्रंप को नामित करने की सिफारिश की थी। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा गया वही पत्र ट्रंप को भेंट भी किया।

ट्रंप को बताया नोबेल प्राइज का हकदार

इजराइल के पीएम नेतन्याहू ने कहा कि मैं आपको नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा गया पत्र दिखाना चाहता हूं। इसमें आपको शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है, जिसके आप हकदार हैं। इस पर ट्रंप ने नेतन्याहू को धन्यवाद दिया। ट्रंप ने कहा- मुझे इस बारे में नहीं पता था, आपका बहुत बहुत धन्यवाद। यह बहुत सार्थक है।

पाकिस्तान भी कर चुका है ट्रंप के लिए नोबेल प्राइज की मांग

बता दें कि इस साल जनवरी में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद बेंजामिन नेतन्याहू की अमेरिका की यह तीसरी यात्रा है। नेतन्याहू की इस यात्रा का मकसद गाजा में सीजफायर पर चर्चा करना है। इससे पहले पाकिस्तान की ओर से भी ट्रंप को नोबेल पुरस्कार दिए जाने की बात की गई थी। मुनीर ने हाल ही में अमेरिका के दौरे के बाद ट्रंप के लिए नोबेल की मांग उठाई थी।

फिर भारत-पाक संघर्ष विराम का श्रेय लेने की कोशिश

इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम का श्रेय लेते दिखे। नेतन्याहू से उन्होंने कहा कि हमने बहुत सी लड़ाइयां रोकी हैं, इनमें सबसे बड़ी लड़ाई भारत और पाकिस्तान के बीच थी। हमने व्यापार के मुद्दे पर इसे रोका है। हम भारत और पाकिस्तान के साथ काम कर रहे हैं। हमने कहा था कि अगर आप लड़ने वाले हैं तो हम आपके साथ बिल्कुल भी काम नहीं करेंगे। वे शायद परमाणु स्तर पर जाकर जंग लड़ना चाहते थे। इसे रोकना वाकई महत्वपूर्ण था।

ट्रंप ने जापान-दक्षिण कोरिया समेत 14 देशों पर लगाया नया टैरिफ, जवाबी कार्रवाई न करने की धमकी भी दी

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ब्रिक्स देशों पर अतिरिक्त दस फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जापान एवं दक्षिण कोरिया समेत 14 देशों पर नए टैरिफ (व्यापारिक दरों) का ऐलान कर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। उन्होंने इन दोनों देशों के साथ लगातार व्यापार असंतुलन का हवाला देते हुए यह शुल्क लगाया है। ट्रंप ने एक अगस्त से लागू होने वाले शुल्क की सूचना सोशल मीडिया मंच 'ट्रुथ' पर पोस्ट करके दी। 

14 देशों पर टैरिफ का ऐलान

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर 14 देशों को भेजे गए लेटर शेयर किए हैं। इनमें थाईलैंड, म्यांमार, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, जापान, मलेशिया, कजाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, लाओस, इंडोनेशिया, ट्यूनीशिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, सर्बिया और कंबोडिया शामिल हैं।

नए टैरिफ के साथ चेतावनी भी जारी

ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, यह अन्य क्षेत्रीय टैरिफ से अलग होगा। अगर कोई देश ऊंचे टैरिफ से बचने के लिए माल को दूसरी जगह से भेजता है, तो उस देश पर भी ऊंचा टैरिफ लागू होगा। ट्रंप ने चेतावनी दी कि वह अपने आयात करों में वृद्धि करके जवाबी कार्रवाई न करें। ऐसा करने पर ट्रंप प्रशासन आयात करों में और वृद्धि कर देगा, जिससे जापान व द. कोरिया के ऑटो व इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों को नुकसान हो सकता है, जो चीन के प्रभाव का मुकाबला करने में अमेरिका के दो अहम साझेदार हैं।

म्यांमार और लाओस पर सबसे अधिक टैरिफ

ट्रंप ने म्यांमार और लाओस पर सबसे अधिक 40 प्रतिशत शुल्क लगाने का ऐलान किया है, जबकि जापान और दक्षिण कोरिया पर 25% टैरिफ लगाया गया है। जापान और दक्षिण कोरिया अमेरिका के करीबी एशियाई सहयोगी हैं। ट्रंप ने उनके साथ लंबे समय से चले आ रहे व्यापार असंतुलन को 25% टैरिफ लगाने का कारण बताया। वहीं मलेशिया और कजाकिस्तान अमेरिका को इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा और औद्योगिक धातुओं का निर्यात करते हैं। उनपर भी 25% टैरिफ लगाया गया है। थाईलैंड और कंबोडिया पर 36% टैरिफ, बांग्लादेश और सर्बिया पर 35%, इंडोनेशिया पर 32%, दक्षिण अफ्रीका और बोस्निया पर 30% शुल्क लगाने का ऐलान किया गया है।

ब्रिक्स देशों को ट्रंप की चेतावनी, 10% अतिरिक्‍त टैरिफलगाने की धमकी, क्या भारत की बढ़ने वाली है परेशानी?

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ब्रिक्स देशों को धमकाने की कोशिश की है। ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को बड़ी चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा कि अगर ब्रिक्स देश अमेरिका विरोधी नीति का समर्थन करते हैं तो उन पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। ब्रिक्स सम्मेलन में ईरान पर अमेरिका और इजराइल के हमलों की निंदा किए जाने के बाद ट्रंप ने नाराजगी जताते हुए ब्रिक्स देशों को चेताया।

यह बयान उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर साझा किया। डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, ‘ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीतियों से जुड़ने वाले किसी भी देश पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इस नीति में कोई अपवाद नहीं होगा। इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद!’

अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हमले और टैरिफ की निंदा की

दरअसल, ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल देशों ने अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हुए हालिया हमले और व्यापार शुल्क (टैरिफ) की निंदा की। इजराइल की मध्य पूर्व में की जा रही सैन्य कार्रवाई की आलोचना की गई। सम्मेलन के पहले ब्रिक्स देशों ने अमेरिका पर सीधा हमला नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि बढ़ते टैरिफ (शुल्क) से वैश्विक व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है और यह डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ है।

क्या भारत के लिए है बड़ा संदेश

हालांकि, ट्रंप ने इस बयान में यह स्पष्ट नहीं किया कि वह ‘अमेरिका विरोधी नीतियां’ किसे मानते हैं। यही कारण है कि इसके व्याख्या को लेकर भ्रम की स्थिति है। हालांकि उन्होंने जिस अपवाद की बात की है वह सीधे तौर पर भारत है। खासकर भारत जैसे देशों के लिए जो ब्रिक्स का हिस्सा भी हैं और अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी भी निभा रहे हैं।

भारत के लिए बड़ी चुनौती

डोनाल्ड ट्रंप ब्रिक्स को 'एंटी अमेरिका' मानते हैं और उन्हें डर है कि ब्रिक्स देश डॉलर के खिलाफ नई करेंसी जारी कर सकते हैं, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। ऐसे में भारत के लिए यह स्थिति काफी ज्यादा संवेदनशील और मुश्किल हो जाती है, क्योंकि वह अमेरिका का करीबी सहयोगी भी है और ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य भी। ऐसे में ट्रंप की धमकी भारत के लिए थोड़ी मुश्किल हो जाती है। इसका असर भारत-अमेरिका कारोबार पर भी पड़ता है। अब जब वे खुलेआम अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी दे रहे हैं, तो यह सवाल उठता है कि भारत जैसे देश इस आर्थिक दबाव से कैसे निपटेंगे?

भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका में

ब्रिक्स की शुरुआत 2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन के साथ हुई थी, बाद में दक्षिण अफ्रीका और 2023 में ईरान, सऊदी अरब, यूएई, मिस्र, इंडोनेशिया और इथियोपिया जैसे देश भी इस समूह में शामिल हो गए। ब्रिक्स के भीतर भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका भी निभा रहा है। भारत ने हमेशा इस मंच का उपयोग बहुपक्षीयता, वैश्विक दक्षिण की आवाज उठाने और विकासशील देशों के लिए समावेशी व्यवस्था की मांग करने के लिए किया है। हालांकि, चीन और रूस जैसे देशों के कारण ब्रिक्स पर "पश्चिम विरोधी" छवि भी चिपक गई है।

ईरान ने ट्रंप और नेतन्याहू के खिलाफ जारी किया फतवा, कहा-ये अल्लाह के दुश्मन हैं

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इजराइल और अमेरिका में जारी तनाव के बीच ईरान के टॉप शिया मौलवी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ फतवा जारी किया है और उन्हें अल्लाह का दुश्मन कहा है। ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु अयातुल्ला नसेर माकारेम शिराजी के फतवे में दुनिया भर के मुसलमानों से एकजुट होने और इस्लामी गणतंत्र नेतृत्व को धमकी देने वाले अमेरिकी और इजरायली नेताओं को गिराने का आह्वान किया गया।

ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु अयातुल्ला नासर मकरम शिराजी की ओर से जारी फतवे में कहा गया है कि कोई व्यक्ति या शासन जो नेता या मरजा (इस्लामी वरिष्ठ विद्वान) को धमकी देता है,उसे सरदार या मोहरेब माना जाता है। ईरानी कानून के मुताबिक मोहरेब वह व्यक्ति होता है जो ईश्वर के खिलाफ युद्ध शुरू करता है और ऐसे व्यक्ति को मौत, सूली पर चढ़ाने, अंग काटने और निर्वासित किए जाने का प्रावधान है।  

यह धार्मिक फतवा 13 जून को शुरू हुए 12 दिवसीय युद्ध के रुकने के बाद आया है। 13 जून को इजरायल ने ईरान में बमबारी अभियान शुरू किया जिसमें शीर्ष सैन्य कमांडर और उसके परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिक मारे गए। ईरान ने इसके जवाब में ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3 शुरू किया और इजराइल के बुनियादी ढांचे के खिलाफ मिसाइल और ड्रोन हमले किए। फिर अमेरिका ने भी दोनों के युद्ध में एंट्री ली और ईरान के तीन परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर सटीक हमले किए। जिसके बाद ट्रंप ने ईरान और इजराइल के बीच युद्धविराम समझौते की घोषणा की।

भारत-अमेरिका के बीच बड़ी ट्रेड डील की उम्मीद, ट्रंप ने दिए संकेत, जानें क्या कहा?

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भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक 'बड़ी' ट्रेड डील होने वाली है। इस बात के संकेत खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिए हैं।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में हुए 'बिग ब्यूटीफुल बिल' इवेंट में बताया कि अमेरिका ने हाल ही में चीन के साथ व्यापार समझौता किया है और अब भारत के साथ भी ऐसा ही कुछ बड़ा होने वाला है।

हर कोई एक डील करना चाहता है-ट्रंप

ट्रंप ने अपनी स्पीच में कहा, हर कोई एक डील करना चाहता है और उसका हिस्सा होना चाहता है। कुछ को हम बस एक चिट्ठी भेजेंगे, जिसमें लिखा होगा, बहुत-बहुत धन्यवाद। आपको 25, 35, 45 फीसदी देना होगा।

हम भारत के साथ बहुत बड़ी डील कर रहे-ट्रंप

हमने कल ही चीन के साथ एक डील पर हस्ताक्षर किए हैं। हम कुछ बड़े समझौते कर रहे हैं। इसी के बाद हम एक डील शायद भारत के साथ कर रहे हैं। इस डील के बारे में बात करते हुए ट्रंप ने कहा, हम भारत के साथ बहुत बड़ी डील कर रहे हैं।

हम हर किसी के साथ डील नहीं करने जा रहे-ट्रंप

ट्रंप ने कहा हम भारत के दरवाजे खोलने जा रहे हैं। ये वे चीजें हैं जो पहले कभी संभव नहीं थीं। इसी के साथ ट्रंप ने आगे कहा, किसी भी दूसरे देश के साथ डील नहीं की जाएगी। हम हर किसी के साथ डील नहीं करने जा रहे हैं

लगातार मिल रहे बड़ी डील के संकेत

इस महीने की शुरुआत में, यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम में बोलते हुए, अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापार समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है. उन्होंने कहा था, मुझे लगता है कि हम इसके बहुत करीब आ गए हैं और आपको आने वाले भविष्य में अमेरिका और भारत के बीच एक समझौते की उम्मीद करनी चाहिए। वहीं, 10 जून को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और अमेरिका एक निष्पक्ष और न्यायसंगत व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा।

अपने हितों से समझौता नहीं करेगा भारत

अमेरिका जहां यह समझौता जल्‍द से जल्‍द करने के मूड में है, वहीं भारत किसी तरह की हड़बड़ी में नहीं है और साफ कर दिया है कि वह अपने हितों से समझौता नहीं करेगा। 26% टैरिफ के संभावित खतरे के बावजूद भारत किसी भी हालत में झुकने के मूड में नहीं है। टैरिफ के लिए ट्रंप द्वारा रखी गई डेडलाइन 9 जुलाई को समाप्‍त हो जाएगी।

इजराइल-ईरान के बीच सीजफायर! डोनाल्ड ट्रंप ने किया ऐलान, खामेनेई का अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे से इनकार

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच 12 दिन से जारी युद्ध को खत्म कराने का दावा कर दिया। उन्होंने दोनों देशों के बीच ‘पूर्ण सीजफायर’ की करते हुए इसे ‘12 डे वॉर’ का अंत बताया। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए। इनमें उन्होंने यह भी बताया कि यह संघर्ष विराम कैसे हुआ और क्यों इसका एलान ट्रंप ने किया। ट्रंप के इस ऐलान पर इजरायल की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं आई है। धर ईरानी सुप्रीम लीडर ने कहा है कि ईरान सरेंडर करने वाला मुल्क नहीं।

ट्रंप ने क्या कहा?

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को सोशल मीडिया पर कहा कि सभी को बधाई! इजराइल और ईरान के बीच पूरी तरह से सहमति बन गई है। इजराइल और ईरान 24 घंटे में युद्ध विराम करने पर सहमत हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्रुथ सोशल पर कहा कि युद्ध विराम से युद्ध का आधिकारिक अंत होगा, जो कि तीन ईरानी परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले के बाद शत्रुता में एक बड़ा बदलाव है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि मैं दोनों देशों, इजराइल और ईरान को बधाई देना चाहूंगा कि उनके पास वह सहनशक्ति, साहस और बुद्धिमत्ता है।

ईरान आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं- खामेनेई

अयातुल्लाह खामेनेई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा, जो ईरानी लोगों और उनके इतिहास को जानते हैं, वे जानते हैं कि ईरानी राष्ट्र आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं है।

इजराइल हमले बंद करता है तो ईरान भी शांत बैठेगा-अराघची

वहीं, ईरान के विदेश मंत्री ने मंगलवार को कहा कि अगर इस्राइल स्थानीय समयानुसार सुबह 4 बजे तक अपने हवाई हमले बंद कर देता है तो तेहरान भी अपने हमले बंद कर देगा।अराघची ने तेहरान समयानुसार सुबह 4:16 बजे सोशल प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपना संदेश भेजा। अराघची ने लिखा, 'अभी तक किसी भी युद्ध विराम या सैन्य अभियानों को रोककने पर कोई समझौता नहीं हुआ है। हालांकि, बशर्ते कि इस्राइली शासन ईरानी लोगों के खिलाफ अपने अवैध आक्रमण को तेहरान समय के अनुसार सुबह 4 बजे से पहले बंद कर दे, उसके बाद हमारा जवाबी कार्रवाई जारी रखने का कोई इरादा नहीं है। अराघची ने कहा कि हमारे सैन्य अभियानों को रोकने पर अंतिम निर्णय बाद में लिया जाएगा।

ट्रंप को नोबेल नामांकन पर पाकिस्तान में ही घिरी शहबाज सरकार, जानें पूरा मामला

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने के फैसले के बाद पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार अपने ही लोगों के निशाने पर आ गई है। पाकिस्तान के कुछ नेताओं और प्रमुख हस्तियों ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के हमले के बाद सरकार से 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम की सिफारिश करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कह रहे हैं।

पाकिस्तान सरकार ने शुक्रवार को अचानक घोषणा की थी कि भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव कम करने में डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका को देखते हुए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया जाएगा। इसके लिए उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने नॉर्वे में नोबेल कमेटी को सिफारिश पत्र भी भेज दिया। 

ट्रंप के लिए इस सिफारिश के कुछ घंटों बाद ही अमेरिका ने ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों पर हमला बोल दिया, जिसके बाद पाकिस्तान में सरकार की कड़ी आलोचना शुरू हो गई। देश के कुछ प्रमुख राजनेताओं ने सरकार से नवीनतम घटनाक्रम के मद्देनजर अपने फैसले की समीक्षा करने की मांग की है। 

शहबाज सरकार से फैसला वापस लेने की मांग

जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) के प्रमुख वरिष्ठ नेता मौलाना फजलुर रहमान ने मांग की कि सरकार अपना फैसला वापस ले। फजल ने रविवार को मरी में पार्टी की एक बैठक में कार्यकर्ताओं से कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप का शांति का दावा झूठा साबित हुआ है। नोबेल पुरस्कार के लिए प्रस्ताव वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की हाल में पाकिस्तान के सेना प्रमुख, फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के साथ बैठक और दोनों के साथ में भोजन करने से ‘पाकिस्तानी शासकों को इतनी खुशी हुई’ कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करने की सिफारिश कर दी।

‘अफगानों और फिलिस्तीनियों का खून लगा’

फजल ने सवाल किया, ट्रंप ने फिलिस्तीन, सीरिया, लेबनान और ईरान पर इजराइल के हमलों का समर्थन किया है। यह शांति का संकेत कैसे हो सकता है?' उन्होंने कहा, जब अमेरिका के हाथों पर अफगानों और फिलिस्तीनियों का खून लगा हो, तो वह शांति का समर्थक होने का दावा कैसे कर सकता है?'

ट्रंप कोई शांति दूत नहीं- पूर्व सांसद

पूर्व सांसद मुशाहिद हुसैन ने ट्रंप की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ट्रंप अब कोई 'शांति दूत' नहीं, बल्कि 'युद्ध का समर्थक' बन चुके हैं। उन्होंने पाकिस्तान सरकार से नोबेल की सिफारिश को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि ट्रंप ने खुद को इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और युद्ध लॉबी के चंगुल में फंसा लिया है।

पाकिस्तान आर्मी चीफ ने ट्रंप के लिए मांगा नोबेल पुरस्कार, व्हाइट हाउस में लंच से पहले सीजफायर पर भी की बात

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक उच्च-स्तरीय कूटनीतिक कदम के तहत बुधवार को व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असिम मुनीर के साथ एक बंद दरवाजे के लंच का आयोजन किया। मुनीर और ट्रंप के लंच पर भारत समेत पूरी दुनिया की नजर थी। भारत में सवाल उठ रहे थे कि ट्रंप जिनका हमारे साथ अच्छा संबंध है, आखिर वह दुश्मन देश के सेना प्रमुख को इतनी तवज्जो क्यों दे रहे हैं। इसके पीछे की वजह पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग की है। उन्होंने यह पुरस्कार भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम कराने में ट्रंप की भूमिका के लिए मांगा।

व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एना केली ने कहा कि ट्रंप, मुनीर की मेजबानी करेंगे क्योंकि मुनीर ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग की है। केली ने कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध को रोकने के लिए राष्ट्रपति को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने का आह्वान किया है।

ट्रंप ने मुनीर को कहा शुक्रिया

वहीं, ट्रंप ने मुनीर को इसके लिए शुक्रिया कहा। उन्होंने कहा- मुझे पाकिस्तान से प्यार है। ट्रंप ने कहा- मुनीर से मिलकर सम्मानित महसूस हुआ। उन्होंने भारत के साथ युद्ध रोकने में अहम भूमिका निभाई।

ट्रंप ने अपने दावे को फिर दोहराया

यही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक बार फिर दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया है। ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत में मोदी को एक शानदार व्यक्ति' बताया और कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने बुधवार को कहा, 'मैंने युद्ध रुकवाया है... मैं पाकिस्तान को पसंद करता हूं। मुझे लगता है कि मोदी एक शानदार इंसान हैं। मैंने कल रात उनसे बात की। हम भारत के मोदी के साथ व्यापार समझौता करने जा रहे हैं, लेकिन मैंने पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध रुकवा दिया है।

पीएम मोदी की ट्रंप दो टूक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फोन पर बातचीत करने के कुछ घंटे बाद ही ट्रंप ने अपने दावे को दोहराया। इससे पहले पीएम मोदी ने फोन पर बातचीत के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' को पाकिस्तान के अनुरोध के बाद रोका गया था। इसमें अमेरिकी मध्यस्थता या व्यापार सौदे की पेशकश जैसी कोई वजह नहीं थी। यही नहीं पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के निमंत्रण को भी ठुकरा दिया और कहा कि कनाडा से लौटते समय उनका वाशिंगटन में रुकना संभव नहीं है।

भारत-पाक के बीच सीजफायर में अमेरिकी ने मध्यस्थता नहीं थी', पीएम मोदी ने ट्रंप को कर दिया साफ

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कनाडा में आयोजित जी7 शिखर सम्मलेन को बीच में ही छोड़कर अमेरिका लौटे डोनाल्ड ट्रंप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बात की है। पीएम मोदी और ट्रंप के बीच फोन पर बातचीत हुई। दोनों के बीच 35 मिनट तक वार्ता हुई। इस बातचीत के दौरान ट्रंप के दावे पर पीएम मोदी ने दो टूक जवाब दिया है। पीएम मोदी ने ट्रंप को बताया कि भारत ने ना कभी मध्यस्थता स्वीकार की थी, न करता है और न ही कभी करेगा। दरअसल, ट्रंप कई बार ये दावा कर चुके हैं कि उन्होंने पिछले महीने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान मध्यस्थता की थी।

ट्रंप ने यूएस आने का दिया न्योता

ट्रंप ने पीएम मोदी से पूछा कि क्या वह कनाडा से लौटने पर अमेरिका आ सकते हैं? प्रधानमंत्री ने पूर्व कार्यक्रमों का हवाला देते हुए ऐसा करने में असमर्थता जताई।

‘भारत-पाक संघर्ष में किसी की भी मध्यस्थता नहीं थी’

इस दौरान आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बात हुई। इस दौरान पीएम मोदी ने साफ किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पड़ोसी मुल्क के आह्वान के बाद दोनों देशों की आपसी सहमति से ही हुआ। इसमें किसी की भी मध्यस्थता नहीं थी और न ही किसी ट्रेड डील पर बात हुई थी।

कनाडा में दोनों नेताओं में होनी थी मुलाकात

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर हुई करीब 35 मिनट तक हुई इस बातचीत के बारे में विस्तार से बताया है। मिसरी ने बताया कि G7 समिट से इतर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात होनी तय थी। हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप को जल्दी वापस अमेरिका लौटना पड़ा, जिस कारण यह मुलाकात नहीं हो पाई। इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप के आग्रह पर आज दोनों लीडर्स की फोन पर बात हुई। उन्होंने बताया कि यह बातचीत लगभग 35 मिनट चली, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद भारत-पाकिस्तान तनाव पर विस्तार से चर्चा हुई।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G-7 समिट बीच में ही छोड़ा, खुद ही बताई वजह

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जी-7 समिट को बीच में ही छोड़कर चले गए। इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वह इजरायल ईरान के बीच संघर्ष विराम की बातचीत को लेकर वापस वॉशिंगटन लौट गए हैं। लेकिन उन्होंने ऐसे किसी भी कयास को अफवाह बताया है। ट्रंप ने कहा कि कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन से उनके जल्दी जाने के पीछे इजरायल और ईरान के बीच संभावित युद्ध विराम वजह नहीं है, बल्कि वास्तव में "इससे कहीं ज्यादा बड़ा" है।

मैक्रों के बयान पर भड़के अमेरिकी राष्ट्रपति

दरअसल, ट्रंप के जाने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ट्रंप पर तंज कसते हुए कहा था कि वे इजरायल और ईरान के बीच सीजफायर पर काम करने के लिए गए हैं। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि अगले कुछ घंटों में चीजें बदल जाएंगी, लेकिन "चूंकि अमेरिका ने आश्वासन दिया है कि वे युद्धविराम करेंगे और चूंकि वे इजरायल पर दबाव डाल सकते हैं, इसलिए चीजें बदल सकती हैं।" इमैनुएल मैक्रों के इसी बयान के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति भड़क गये।

इमैनुएल हमेशा गलत ही होते हैं-ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर अपनी भड़ास निकालते हुए लिखा है कि "गलत... इमैनुएल मैक्रों को कोई आइडिया नहीं है कि मैं वॉशिंगटन क्यों जा रहा हूं। लेकिन ये निश्चित तौर पर युद्धविराम से नहीं जुड़ा हुआ है। उससे भी ज्यादा कोई बड़ी बात है। चाहे जानबूझकर हो या अनजाने में, इमैनुएल हमेशा गलत ही होते हैं। बने रहिए!"

ईरान को दी चेतावनी

ट्रम्प ने ईरान के लोगों से तेहरान को खाली करने के लिए भी कहा है। ट्रंप ने कहा है कि अगर ईरान अमेरिका के साथ परमाणु समझौते पर सहमत होता है, तो मौजूदा संकट से बचा जा सकता था। उन्होंने कहा कि यह समझौता गतिरोध पर पहुंच गया है। ट्रंप का कहना है कि जब तक तनाव कम करने की दिशा में कदम नहीं उठाया जाता तब तक संघर्ष और ज्यादा बढ़ने का खतरा बना रहेगा।

आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन को नाटकीय ढंग से एक दिन पहले ही छोड़ दिया और वाशिंगटन वापस चले गए।

डोनाल्ड ट्रंप को मिले शांति का नोबेल…पाकिस्तान के बाद दोस्त नेतन्याहू ने की बड़ी डिमांड

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इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका के दौरे पर हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को उनके लिए व्हाइट हाउस में डिनर का आयोजन किया था। इस मौके पर नेतन्याहू अपने दोस्त ट्रंप के लिए एक खास तोहफा लेकर पहुंचे। दरअसल, इजराइली पीएम ने डोनाल्ड ट्रंप को एक पत्र सौंपा, जो उनकी सरकार की ओर से नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा गया है। इस पत्र में डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्रयासों को बताते हुए उनको नोबेल पीस प्राइज देने की सिफारिश की गई है।

गाजा में संघर्ष विराम की कोशिशों के बीच इस्राइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में डिनर पर मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने ट्रंप को बताया कि उन्होंने नोबेल पुरस्कार के लिए ट्रंप को नामित करने की सिफारिश की थी। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा गया वही पत्र ट्रंप को भेंट भी किया।

ट्रंप को बताया नोबेल प्राइज का हकदार

इजराइल के पीएम नेतन्याहू ने कहा कि मैं आपको नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा गया पत्र दिखाना चाहता हूं। इसमें आपको शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है, जिसके आप हकदार हैं। इस पर ट्रंप ने नेतन्याहू को धन्यवाद दिया। ट्रंप ने कहा- मुझे इस बारे में नहीं पता था, आपका बहुत बहुत धन्यवाद। यह बहुत सार्थक है।

पाकिस्तान भी कर चुका है ट्रंप के लिए नोबेल प्राइज की मांग

बता दें कि इस साल जनवरी में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद बेंजामिन नेतन्याहू की अमेरिका की यह तीसरी यात्रा है। नेतन्याहू की इस यात्रा का मकसद गाजा में सीजफायर पर चर्चा करना है। इससे पहले पाकिस्तान की ओर से भी ट्रंप को नोबेल पुरस्कार दिए जाने की बात की गई थी। मुनीर ने हाल ही में अमेरिका के दौरे के बाद ट्रंप के लिए नोबेल की मांग उठाई थी।

फिर भारत-पाक संघर्ष विराम का श्रेय लेने की कोशिश

इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम का श्रेय लेते दिखे। नेतन्याहू से उन्होंने कहा कि हमने बहुत सी लड़ाइयां रोकी हैं, इनमें सबसे बड़ी लड़ाई भारत और पाकिस्तान के बीच थी। हमने व्यापार के मुद्दे पर इसे रोका है। हम भारत और पाकिस्तान के साथ काम कर रहे हैं। हमने कहा था कि अगर आप लड़ने वाले हैं तो हम आपके साथ बिल्कुल भी काम नहीं करेंगे। वे शायद परमाणु स्तर पर जाकर जंग लड़ना चाहते थे। इसे रोकना वाकई महत्वपूर्ण था।

ट्रंप ने जापान-दक्षिण कोरिया समेत 14 देशों पर लगाया नया टैरिफ, जवाबी कार्रवाई न करने की धमकी भी दी

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ब्रिक्स देशों पर अतिरिक्त दस फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जापान एवं दक्षिण कोरिया समेत 14 देशों पर नए टैरिफ (व्यापारिक दरों) का ऐलान कर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। उन्होंने इन दोनों देशों के साथ लगातार व्यापार असंतुलन का हवाला देते हुए यह शुल्क लगाया है। ट्रंप ने एक अगस्त से लागू होने वाले शुल्क की सूचना सोशल मीडिया मंच 'ट्रुथ' पर पोस्ट करके दी। 

14 देशों पर टैरिफ का ऐलान

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर 14 देशों को भेजे गए लेटर शेयर किए हैं। इनमें थाईलैंड, म्यांमार, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, जापान, मलेशिया, कजाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, लाओस, इंडोनेशिया, ट्यूनीशिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, सर्बिया और कंबोडिया शामिल हैं।

नए टैरिफ के साथ चेतावनी भी जारी

ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, यह अन्य क्षेत्रीय टैरिफ से अलग होगा। अगर कोई देश ऊंचे टैरिफ से बचने के लिए माल को दूसरी जगह से भेजता है, तो उस देश पर भी ऊंचा टैरिफ लागू होगा। ट्रंप ने चेतावनी दी कि वह अपने आयात करों में वृद्धि करके जवाबी कार्रवाई न करें। ऐसा करने पर ट्रंप प्रशासन आयात करों में और वृद्धि कर देगा, जिससे जापान व द. कोरिया के ऑटो व इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों को नुकसान हो सकता है, जो चीन के प्रभाव का मुकाबला करने में अमेरिका के दो अहम साझेदार हैं।

म्यांमार और लाओस पर सबसे अधिक टैरिफ

ट्रंप ने म्यांमार और लाओस पर सबसे अधिक 40 प्रतिशत शुल्क लगाने का ऐलान किया है, जबकि जापान और दक्षिण कोरिया पर 25% टैरिफ लगाया गया है। जापान और दक्षिण कोरिया अमेरिका के करीबी एशियाई सहयोगी हैं। ट्रंप ने उनके साथ लंबे समय से चले आ रहे व्यापार असंतुलन को 25% टैरिफ लगाने का कारण बताया। वहीं मलेशिया और कजाकिस्तान अमेरिका को इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा और औद्योगिक धातुओं का निर्यात करते हैं। उनपर भी 25% टैरिफ लगाया गया है। थाईलैंड और कंबोडिया पर 36% टैरिफ, बांग्लादेश और सर्बिया पर 35%, इंडोनेशिया पर 32%, दक्षिण अफ्रीका और बोस्निया पर 30% शुल्क लगाने का ऐलान किया गया है।

ब्रिक्स देशों को ट्रंप की चेतावनी, 10% अतिरिक्‍त टैरिफलगाने की धमकी, क्या भारत की बढ़ने वाली है परेशानी?

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ब्रिक्स देशों को धमकाने की कोशिश की है। ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को बड़ी चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा कि अगर ब्रिक्स देश अमेरिका विरोधी नीति का समर्थन करते हैं तो उन पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। ब्रिक्स सम्मेलन में ईरान पर अमेरिका और इजराइल के हमलों की निंदा किए जाने के बाद ट्रंप ने नाराजगी जताते हुए ब्रिक्स देशों को चेताया।

यह बयान उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर साझा किया। डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, ‘ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीतियों से जुड़ने वाले किसी भी देश पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इस नीति में कोई अपवाद नहीं होगा। इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद!’

अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हमले और टैरिफ की निंदा की

दरअसल, ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल देशों ने अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हुए हालिया हमले और व्यापार शुल्क (टैरिफ) की निंदा की। इजराइल की मध्य पूर्व में की जा रही सैन्य कार्रवाई की आलोचना की गई। सम्मेलन के पहले ब्रिक्स देशों ने अमेरिका पर सीधा हमला नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि बढ़ते टैरिफ (शुल्क) से वैश्विक व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है और यह डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ है।

क्या भारत के लिए है बड़ा संदेश

हालांकि, ट्रंप ने इस बयान में यह स्पष्ट नहीं किया कि वह ‘अमेरिका विरोधी नीतियां’ किसे मानते हैं। यही कारण है कि इसके व्याख्या को लेकर भ्रम की स्थिति है। हालांकि उन्होंने जिस अपवाद की बात की है वह सीधे तौर पर भारत है। खासकर भारत जैसे देशों के लिए जो ब्रिक्स का हिस्सा भी हैं और अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी भी निभा रहे हैं।

भारत के लिए बड़ी चुनौती

डोनाल्ड ट्रंप ब्रिक्स को 'एंटी अमेरिका' मानते हैं और उन्हें डर है कि ब्रिक्स देश डॉलर के खिलाफ नई करेंसी जारी कर सकते हैं, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। ऐसे में भारत के लिए यह स्थिति काफी ज्यादा संवेदनशील और मुश्किल हो जाती है, क्योंकि वह अमेरिका का करीबी सहयोगी भी है और ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य भी। ऐसे में ट्रंप की धमकी भारत के लिए थोड़ी मुश्किल हो जाती है। इसका असर भारत-अमेरिका कारोबार पर भी पड़ता है। अब जब वे खुलेआम अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी दे रहे हैं, तो यह सवाल उठता है कि भारत जैसे देश इस आर्थिक दबाव से कैसे निपटेंगे?

भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका में

ब्रिक्स की शुरुआत 2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन के साथ हुई थी, बाद में दक्षिण अफ्रीका और 2023 में ईरान, सऊदी अरब, यूएई, मिस्र, इंडोनेशिया और इथियोपिया जैसे देश भी इस समूह में शामिल हो गए। ब्रिक्स के भीतर भारत ग्लोबल साउथ के नेतृत्व की भूमिका भी निभा रहा है। भारत ने हमेशा इस मंच का उपयोग बहुपक्षीयता, वैश्विक दक्षिण की आवाज उठाने और विकासशील देशों के लिए समावेशी व्यवस्था की मांग करने के लिए किया है। हालांकि, चीन और रूस जैसे देशों के कारण ब्रिक्स पर "पश्चिम विरोधी" छवि भी चिपक गई है।

ईरान ने ट्रंप और नेतन्याहू के खिलाफ जारी किया फतवा, कहा-ये अल्लाह के दुश्मन हैं

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इजराइल और अमेरिका में जारी तनाव के बीच ईरान के टॉप शिया मौलवी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ फतवा जारी किया है और उन्हें अल्लाह का दुश्मन कहा है। ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु अयातुल्ला नसेर माकारेम शिराजी के फतवे में दुनिया भर के मुसलमानों से एकजुट होने और इस्लामी गणतंत्र नेतृत्व को धमकी देने वाले अमेरिकी और इजरायली नेताओं को गिराने का आह्वान किया गया।

ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु अयातुल्ला नासर मकरम शिराजी की ओर से जारी फतवे में कहा गया है कि कोई व्यक्ति या शासन जो नेता या मरजा (इस्लामी वरिष्ठ विद्वान) को धमकी देता है,उसे सरदार या मोहरेब माना जाता है। ईरानी कानून के मुताबिक मोहरेब वह व्यक्ति होता है जो ईश्वर के खिलाफ युद्ध शुरू करता है और ऐसे व्यक्ति को मौत, सूली पर चढ़ाने, अंग काटने और निर्वासित किए जाने का प्रावधान है।  

यह धार्मिक फतवा 13 जून को शुरू हुए 12 दिवसीय युद्ध के रुकने के बाद आया है। 13 जून को इजरायल ने ईरान में बमबारी अभियान शुरू किया जिसमें शीर्ष सैन्य कमांडर और उसके परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिक मारे गए। ईरान ने इसके जवाब में ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3 शुरू किया और इजराइल के बुनियादी ढांचे के खिलाफ मिसाइल और ड्रोन हमले किए। फिर अमेरिका ने भी दोनों के युद्ध में एंट्री ली और ईरान के तीन परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर सटीक हमले किए। जिसके बाद ट्रंप ने ईरान और इजराइल के बीच युद्धविराम समझौते की घोषणा की।

भारत-अमेरिका के बीच बड़ी ट्रेड डील की उम्मीद, ट्रंप ने दिए संकेत, जानें क्या कहा?

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भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक 'बड़ी' ट्रेड डील होने वाली है। इस बात के संकेत खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिए हैं।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में हुए 'बिग ब्यूटीफुल बिल' इवेंट में बताया कि अमेरिका ने हाल ही में चीन के साथ व्यापार समझौता किया है और अब भारत के साथ भी ऐसा ही कुछ बड़ा होने वाला है।

हर कोई एक डील करना चाहता है-ट्रंप

ट्रंप ने अपनी स्पीच में कहा, हर कोई एक डील करना चाहता है और उसका हिस्सा होना चाहता है। कुछ को हम बस एक चिट्ठी भेजेंगे, जिसमें लिखा होगा, बहुत-बहुत धन्यवाद। आपको 25, 35, 45 फीसदी देना होगा।

हम भारत के साथ बहुत बड़ी डील कर रहे-ट्रंप

हमने कल ही चीन के साथ एक डील पर हस्ताक्षर किए हैं। हम कुछ बड़े समझौते कर रहे हैं। इसी के बाद हम एक डील शायद भारत के साथ कर रहे हैं। इस डील के बारे में बात करते हुए ट्रंप ने कहा, हम भारत के साथ बहुत बड़ी डील कर रहे हैं।

हम हर किसी के साथ डील नहीं करने जा रहे-ट्रंप

ट्रंप ने कहा हम भारत के दरवाजे खोलने जा रहे हैं। ये वे चीजें हैं जो पहले कभी संभव नहीं थीं। इसी के साथ ट्रंप ने आगे कहा, किसी भी दूसरे देश के साथ डील नहीं की जाएगी। हम हर किसी के साथ डील नहीं करने जा रहे हैं

लगातार मिल रहे बड़ी डील के संकेत

इस महीने की शुरुआत में, यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम में बोलते हुए, अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापार समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है. उन्होंने कहा था, मुझे लगता है कि हम इसके बहुत करीब आ गए हैं और आपको आने वाले भविष्य में अमेरिका और भारत के बीच एक समझौते की उम्मीद करनी चाहिए। वहीं, 10 जून को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और अमेरिका एक निष्पक्ष और न्यायसंगत व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा।

अपने हितों से समझौता नहीं करेगा भारत

अमेरिका जहां यह समझौता जल्‍द से जल्‍द करने के मूड में है, वहीं भारत किसी तरह की हड़बड़ी में नहीं है और साफ कर दिया है कि वह अपने हितों से समझौता नहीं करेगा। 26% टैरिफ के संभावित खतरे के बावजूद भारत किसी भी हालत में झुकने के मूड में नहीं है। टैरिफ के लिए ट्रंप द्वारा रखी गई डेडलाइन 9 जुलाई को समाप्‍त हो जाएगी।

इजराइल-ईरान के बीच सीजफायर! डोनाल्ड ट्रंप ने किया ऐलान, खामेनेई का अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे से इनकार

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच 12 दिन से जारी युद्ध को खत्म कराने का दावा कर दिया। उन्होंने दोनों देशों के बीच ‘पूर्ण सीजफायर’ की करते हुए इसे ‘12 डे वॉर’ का अंत बताया। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए। इनमें उन्होंने यह भी बताया कि यह संघर्ष विराम कैसे हुआ और क्यों इसका एलान ट्रंप ने किया। ट्रंप के इस ऐलान पर इजरायल की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं आई है। धर ईरानी सुप्रीम लीडर ने कहा है कि ईरान सरेंडर करने वाला मुल्क नहीं।

ट्रंप ने क्या कहा?

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को सोशल मीडिया पर कहा कि सभी को बधाई! इजराइल और ईरान के बीच पूरी तरह से सहमति बन गई है। इजराइल और ईरान 24 घंटे में युद्ध विराम करने पर सहमत हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्रुथ सोशल पर कहा कि युद्ध विराम से युद्ध का आधिकारिक अंत होगा, जो कि तीन ईरानी परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले के बाद शत्रुता में एक बड़ा बदलाव है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि मैं दोनों देशों, इजराइल और ईरान को बधाई देना चाहूंगा कि उनके पास वह सहनशक्ति, साहस और बुद्धिमत्ता है।

ईरान आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं- खामेनेई

अयातुल्लाह खामेनेई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा, जो ईरानी लोगों और उनके इतिहास को जानते हैं, वे जानते हैं कि ईरानी राष्ट्र आत्मसमर्पण करने वाला राष्ट्र नहीं है।

इजराइल हमले बंद करता है तो ईरान भी शांत बैठेगा-अराघची

वहीं, ईरान के विदेश मंत्री ने मंगलवार को कहा कि अगर इस्राइल स्थानीय समयानुसार सुबह 4 बजे तक अपने हवाई हमले बंद कर देता है तो तेहरान भी अपने हमले बंद कर देगा।अराघची ने तेहरान समयानुसार सुबह 4:16 बजे सोशल प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपना संदेश भेजा। अराघची ने लिखा, 'अभी तक किसी भी युद्ध विराम या सैन्य अभियानों को रोककने पर कोई समझौता नहीं हुआ है। हालांकि, बशर्ते कि इस्राइली शासन ईरानी लोगों के खिलाफ अपने अवैध आक्रमण को तेहरान समय के अनुसार सुबह 4 बजे से पहले बंद कर दे, उसके बाद हमारा जवाबी कार्रवाई जारी रखने का कोई इरादा नहीं है। अराघची ने कहा कि हमारे सैन्य अभियानों को रोकने पर अंतिम निर्णय बाद में लिया जाएगा।

ट्रंप को नोबेल नामांकन पर पाकिस्तान में ही घिरी शहबाज सरकार, जानें पूरा मामला

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने के फैसले के बाद पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार अपने ही लोगों के निशाने पर आ गई है। पाकिस्तान के कुछ नेताओं और प्रमुख हस्तियों ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के हमले के बाद सरकार से 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम की सिफारिश करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कह रहे हैं।

पाकिस्तान सरकार ने शुक्रवार को अचानक घोषणा की थी कि भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव कम करने में डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका को देखते हुए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया जाएगा। इसके लिए उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने नॉर्वे में नोबेल कमेटी को सिफारिश पत्र भी भेज दिया। 

ट्रंप के लिए इस सिफारिश के कुछ घंटों बाद ही अमेरिका ने ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों पर हमला बोल दिया, जिसके बाद पाकिस्तान में सरकार की कड़ी आलोचना शुरू हो गई। देश के कुछ प्रमुख राजनेताओं ने सरकार से नवीनतम घटनाक्रम के मद्देनजर अपने फैसले की समीक्षा करने की मांग की है। 

शहबाज सरकार से फैसला वापस लेने की मांग

जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) के प्रमुख वरिष्ठ नेता मौलाना फजलुर रहमान ने मांग की कि सरकार अपना फैसला वापस ले। फजल ने रविवार को मरी में पार्टी की एक बैठक में कार्यकर्ताओं से कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप का शांति का दावा झूठा साबित हुआ है। नोबेल पुरस्कार के लिए प्रस्ताव वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की हाल में पाकिस्तान के सेना प्रमुख, फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के साथ बैठक और दोनों के साथ में भोजन करने से ‘पाकिस्तानी शासकों को इतनी खुशी हुई’ कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करने की सिफारिश कर दी।

‘अफगानों और फिलिस्तीनियों का खून लगा’

फजल ने सवाल किया, ट्रंप ने फिलिस्तीन, सीरिया, लेबनान और ईरान पर इजराइल के हमलों का समर्थन किया है। यह शांति का संकेत कैसे हो सकता है?' उन्होंने कहा, जब अमेरिका के हाथों पर अफगानों और फिलिस्तीनियों का खून लगा हो, तो वह शांति का समर्थक होने का दावा कैसे कर सकता है?'

ट्रंप कोई शांति दूत नहीं- पूर्व सांसद

पूर्व सांसद मुशाहिद हुसैन ने ट्रंप की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ट्रंप अब कोई 'शांति दूत' नहीं, बल्कि 'युद्ध का समर्थक' बन चुके हैं। उन्होंने पाकिस्तान सरकार से नोबेल की सिफारिश को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि ट्रंप ने खुद को इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और युद्ध लॉबी के चंगुल में फंसा लिया है।

पाकिस्तान आर्मी चीफ ने ट्रंप के लिए मांगा नोबेल पुरस्कार, व्हाइट हाउस में लंच से पहले सीजफायर पर भी की बात

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक उच्च-स्तरीय कूटनीतिक कदम के तहत बुधवार को व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असिम मुनीर के साथ एक बंद दरवाजे के लंच का आयोजन किया। मुनीर और ट्रंप के लंच पर भारत समेत पूरी दुनिया की नजर थी। भारत में सवाल उठ रहे थे कि ट्रंप जिनका हमारे साथ अच्छा संबंध है, आखिर वह दुश्मन देश के सेना प्रमुख को इतनी तवज्जो क्यों दे रहे हैं। इसके पीछे की वजह पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग की है। उन्होंने यह पुरस्कार भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम कराने में ट्रंप की भूमिका के लिए मांगा।

व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एना केली ने कहा कि ट्रंप, मुनीर की मेजबानी करेंगे क्योंकि मुनीर ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग की है। केली ने कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध को रोकने के लिए राष्ट्रपति को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने का आह्वान किया है।

ट्रंप ने मुनीर को कहा शुक्रिया

वहीं, ट्रंप ने मुनीर को इसके लिए शुक्रिया कहा। उन्होंने कहा- मुझे पाकिस्तान से प्यार है। ट्रंप ने कहा- मुनीर से मिलकर सम्मानित महसूस हुआ। उन्होंने भारत के साथ युद्ध रोकने में अहम भूमिका निभाई।

ट्रंप ने अपने दावे को फिर दोहराया

यही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक बार फिर दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया है। ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत में मोदी को एक शानदार व्यक्ति' बताया और कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने बुधवार को कहा, 'मैंने युद्ध रुकवाया है... मैं पाकिस्तान को पसंद करता हूं। मुझे लगता है कि मोदी एक शानदार इंसान हैं। मैंने कल रात उनसे बात की। हम भारत के मोदी के साथ व्यापार समझौता करने जा रहे हैं, लेकिन मैंने पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध रुकवा दिया है।

पीएम मोदी की ट्रंप दो टूक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फोन पर बातचीत करने के कुछ घंटे बाद ही ट्रंप ने अपने दावे को दोहराया। इससे पहले पीएम मोदी ने फोन पर बातचीत के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' को पाकिस्तान के अनुरोध के बाद रोका गया था। इसमें अमेरिकी मध्यस्थता या व्यापार सौदे की पेशकश जैसी कोई वजह नहीं थी। यही नहीं पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के निमंत्रण को भी ठुकरा दिया और कहा कि कनाडा से लौटते समय उनका वाशिंगटन में रुकना संभव नहीं है।

भारत-पाक के बीच सीजफायर में अमेरिकी ने मध्यस्थता नहीं थी', पीएम मोदी ने ट्रंप को कर दिया साफ

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कनाडा में आयोजित जी7 शिखर सम्मलेन को बीच में ही छोड़कर अमेरिका लौटे डोनाल्ड ट्रंप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बात की है। पीएम मोदी और ट्रंप के बीच फोन पर बातचीत हुई। दोनों के बीच 35 मिनट तक वार्ता हुई। इस बातचीत के दौरान ट्रंप के दावे पर पीएम मोदी ने दो टूक जवाब दिया है। पीएम मोदी ने ट्रंप को बताया कि भारत ने ना कभी मध्यस्थता स्वीकार की थी, न करता है और न ही कभी करेगा। दरअसल, ट्रंप कई बार ये दावा कर चुके हैं कि उन्होंने पिछले महीने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान मध्यस्थता की थी।

ट्रंप ने यूएस आने का दिया न्योता

ट्रंप ने पीएम मोदी से पूछा कि क्या वह कनाडा से लौटने पर अमेरिका आ सकते हैं? प्रधानमंत्री ने पूर्व कार्यक्रमों का हवाला देते हुए ऐसा करने में असमर्थता जताई।

‘भारत-पाक संघर्ष में किसी की भी मध्यस्थता नहीं थी’

इस दौरान आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बात हुई। इस दौरान पीएम मोदी ने साफ किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पड़ोसी मुल्क के आह्वान के बाद दोनों देशों की आपसी सहमति से ही हुआ। इसमें किसी की भी मध्यस्थता नहीं थी और न ही किसी ट्रेड डील पर बात हुई थी।

कनाडा में दोनों नेताओं में होनी थी मुलाकात

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर हुई करीब 35 मिनट तक हुई इस बातचीत के बारे में विस्तार से बताया है। मिसरी ने बताया कि G7 समिट से इतर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात होनी तय थी। हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप को जल्दी वापस अमेरिका लौटना पड़ा, जिस कारण यह मुलाकात नहीं हो पाई। इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप के आग्रह पर आज दोनों लीडर्स की फोन पर बात हुई। उन्होंने बताया कि यह बातचीत लगभग 35 मिनट चली, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद भारत-पाकिस्तान तनाव पर विस्तार से चर्चा हुई।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G-7 समिट बीच में ही छोड़ा, खुद ही बताई वजह

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जी-7 समिट को बीच में ही छोड़कर चले गए। इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वह इजरायल ईरान के बीच संघर्ष विराम की बातचीत को लेकर वापस वॉशिंगटन लौट गए हैं। लेकिन उन्होंने ऐसे किसी भी कयास को अफवाह बताया है। ट्रंप ने कहा कि कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन से उनके जल्दी जाने के पीछे इजरायल और ईरान के बीच संभावित युद्ध विराम वजह नहीं है, बल्कि वास्तव में "इससे कहीं ज्यादा बड़ा" है।

मैक्रों के बयान पर भड़के अमेरिकी राष्ट्रपति

दरअसल, ट्रंप के जाने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ट्रंप पर तंज कसते हुए कहा था कि वे इजरायल और ईरान के बीच सीजफायर पर काम करने के लिए गए हैं। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि अगले कुछ घंटों में चीजें बदल जाएंगी, लेकिन "चूंकि अमेरिका ने आश्वासन दिया है कि वे युद्धविराम करेंगे और चूंकि वे इजरायल पर दबाव डाल सकते हैं, इसलिए चीजें बदल सकती हैं।" इमैनुएल मैक्रों के इसी बयान के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति भड़क गये।

इमैनुएल हमेशा गलत ही होते हैं-ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर अपनी भड़ास निकालते हुए लिखा है कि "गलत... इमैनुएल मैक्रों को कोई आइडिया नहीं है कि मैं वॉशिंगटन क्यों जा रहा हूं। लेकिन ये निश्चित तौर पर युद्धविराम से नहीं जुड़ा हुआ है। उससे भी ज्यादा कोई बड़ी बात है। चाहे जानबूझकर हो या अनजाने में, इमैनुएल हमेशा गलत ही होते हैं। बने रहिए!"

ईरान को दी चेतावनी

ट्रम्प ने ईरान के लोगों से तेहरान को खाली करने के लिए भी कहा है। ट्रंप ने कहा है कि अगर ईरान अमेरिका के साथ परमाणु समझौते पर सहमत होता है, तो मौजूदा संकट से बचा जा सकता था। उन्होंने कहा कि यह समझौता गतिरोध पर पहुंच गया है। ट्रंप का कहना है कि जब तक तनाव कम करने की दिशा में कदम नहीं उठाया जाता तब तक संघर्ष और ज्यादा बढ़ने का खतरा बना रहेगा।

आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन को नाटकीय ढंग से एक दिन पहले ही छोड़ दिया और वाशिंगटन वापस चले गए।