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ड्रग्स तस्करी फॉलोअप: राजधानी का डिलीवरी पॉइंट, व्हाट्सएप और टेलीग्राम, कौन हैं वो 170 नाम?

रायपुर-  छत्तीसगढ़ में सूखे नशे का कारोबार कहा से फुल फल रहा है ? ड्रग्स सप्लाई के पीछे आखिर कौन लोग है? राजधानी रायपुर के अंदर ड्रग्स के साथ क्लब्स, होटल और फार्म हाउस में पार्टियां कैसे होती है ? इन पार्टियों में शामिल होने वाले युवा कौन है? क्या इसके पीछे ? कहीं से कोई संरक्षण है ? आखिर ड्रग्स का नेटवर्क छत्तीसगढ़ में किस स्तर तक फ़ैल चुका है ! इन तमाम सवालों के जवाब पुलिस भी ढूंढ रही है. लेकिन ड्रग्स की सप्लाई करते पकड़े गए तीन तस्करो से प्रारंभिक पूछताछ में जो जानकारी सामने आई है वह थोड़ी हैरान करने वाली भी है और व्यवस्थाओं पर सवाल उठाने वाली भी है.

दरअसल, रायपुर पुलिस शनिवार रात वीआईपी रोड के राम मंदिर रोड पर छापेमार कार्रवाई कर तीन पैडलरों को ड्रग्स की सप्लाई करते हुए रंगे हाथों पकड़ा था. आरोपियों से पूछताछ में पुलिस को ये जानकारी मिली है कि ड्रग्स की सप्लाई के पीछे एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है. पुलिस पैडलर्स के मोबाइल फोन से करीबन से 170 से अधिक लोगों के सम्पर्क की जानकारी मिली है. उनके नाम की सूची मिली है. बताया जा रहा है इसमें कुछ बड़े कारोबारी, अधिकारी और रसूखदार परिवार से ताल्लुक रखने वाले युवक-युवतियां शामिल हैं. पुलिस अब उन तक पहुंचने की कोशिश कर रही है जो ऐसी बड़े नशे की पार्टियों में शामिल होते रहते हैं. इतना ही नहीं पैडलर का संपर्क रायपुर समेत मुंबई, गोवा और दिल्ली जैसे बड़े शहरों से भी हैं, जहां से ड्रग्स की सप्लाई यहां तक की जाती है.

डिलीवरी पॉइंट और वीकेंड की पार्टियां

पुलिस की प्रारंभिक जांच पड़ताल में यह भी पाया है की रायपुर का वीआईपी रोड का इलाका ड्रग्स की डिलीवरी पॉइंट के रूप में सामने आ रहा है इसके पीछे की जो वजह सामने आई है, इसमें कई बड़े क्लब्स, होटल, कैफे और फार्म हाउस हैं. इतना ही नहीं जानकारी के मुताबिक ड्रग्स की ज्यादातर पार्टियां वीकेंड में आयोजित हो रही है, जिसमें रायपुर ही नहीं बल्कि दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर, रायगढ़ और अंबिकापुर जैसे शहर से भी लोग पहुंच रहे हैं.

ड्रग्स के साथ और क्या-क्या ?

पुलिस की शुरुआती जानकारी में पाया है की सिर्फ ड्रग्स की ही पार्टिया नहीं हो रही है. बल्कि सूखे नशे से जुड़े अन्य सामनों को परोसा जा रहा है. जिसमे चरस, गांजा, मेडिकल ड्रग्स समेत अन्य चीजे शामिल हैं. साढ़ ही यह भी जानकारी सामने आई है की ऐसी पार्टीज में स्टूडेंट भी बड़ी संख्या में शामिल होते है. जिसमे कॉलेज के लिए अन्य शहरों से पढ़ने आए युवक युवतियां होती है.

टेलीग्राम और व्हाट्सएप में चल रहा नेटवर्क

पुलिस जाँच में खुला हुआ की ड्रिग्स तस्करी का बड़ा खेल टेलीग्राम और व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए संचालित किया जा रहा था. आरोपी ग्राहको को ब्रॉडकास्ट ऑफ़ टेलीग्राम ग्रुप में सप्लाई और डिमांड की सूचना लेते थे. इससे पहले भी प्रोफेसर गैंग के लोगों का खुलासा भी टेलीग्राम ग्रुप से हुआ था. आरोपी नशे की डिमांड पूछकर ड्रग्स का ऑर्डर करते हैं. इतना ही नहीं कोड वर्ड से ऑर्डर लेकर नियमित स्थान पर डिलीवरी भी की जाती है. ऐसे नशे की पार्टियों का आयोजन करने वाले लोग पहले ही ड्रग्स का ऑर्डर दे देते हैं. नशेड़ियों के बीच कोकीन की ज़्यादा डिमांड देखी जाती है. फिलहाल, चैट रिपोर्ट और ब्रॉडकास्ट की जानकारी निकाल ली गई है.

जड़ तक रायपुर पुलिस – एसएसपी

एसएसपी डॉ. लाल उमेंद सिंह ने बताया की ड्रग्स का नेटवर्क खत्म किए जा रहे हैं. पुलिस तस्करों के विरुद्ध अभियान चलाकर बड़ी कार्रवाई कर रही है. सभी लोग पुलिस की निगरानी में हैं. पूरे मामले पर जांच जारी है.

विवादित ‘पोलावरम’ का निकलेगा हल!, छत्तीसगढ़ सहित चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों की पीएम मोदी लेंगे बैठक

रायपुर- विवादित पोलावरम परियोजना को लेकर एक बार फिर सरगर्मी है. परियोजना को लेकर छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को अहम उच्चस्तरीय बैठक करने जा रहे हैं. इसमें छत्तीसगढ़ सहित चार अन्य राज्यों – ओडिशा, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्री मौजूद रहेंगे.

यह पहली बार होगा जब प्रधानमंत्री के साथ परियोजना से जुड़े चारों राज्य के मुख्यमंत्रियों की बैठक हो रही है. बैठक में चारों राज्यों के मुख्यमंत्री, उनके जल संसाधन मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे. साथ ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग और पोलावरम परियोजना प्राधिकरण के शीर्ष अधिकारी भी बैठक में भाग लेंगे.

जानकारी के अनुसार, बैठक में भूमि डूब, आदिवासी विस्थापन और पुनर्वास जैसे मुद्दे पर बढ़ते अंतर-राज्यीय तनाव का सवर्मान्य समाधान खोजना है. इस गतिरोध को तोड़ने की दिशा में प्रधानमंत्री मोदी की सीधी मध्यस्थता निर्णायक साबित हो सकती है.

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री की इस पहल से अंतर- राज्यीय मतभेद दूर होंगे और परियोजना के कार्य में तेजी आएगी, जो बार – बार बाधित हो रहा है. पोलावरम परियोजना को आंध्र प्रदेश के विभाजन के समय राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया गया था। हालांकि, परियोजना के निर्माण से ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमावर्ती आदिवासी आबादी प्रभावित हो रही है.

क्या है छत्तीसगढ़ की आपत्ति

छत्तीसगढ़ का आरोप है कि परियोजना से कई गांवों में जल डूब की स्थिति उत्पन्न होगी, जिससे आदिवासी परिवारों का विस्थापन होगा. इन मुद्दों पर केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं ओडिशा की भी आपत्ति है. यही नहीं इस विषय को लेकर इन राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर कर रखी हैं.

पोलावरम बांध पर पूर्ववर्ती डॉ. रमन सिंह सरकार के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ विधानसभा में अशासकीय संकल्प पारित हुआ था. मरवाही विधायक अमित जोगी ने संकल्प में केंद्र सरकार से इंदिरा सागर अंतर्राज्यीय परियोजना के तहत आंध्र प्रदेश की गोदावरी नदी पर बनने वाले पोलावरम बांध की ऊंचाई को 150 फीट तक रखने का अनुरोध किया गया था.

पोलावरम सिंचाई परियोजना

पोलावरम परियोजना, आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी, विशाखापत्तनम, पश्चिम गोदावरी और कृष्णा जिलों में सिंचाई, जल विद्युत और पेयजल सुविधाओं के विकास के लिए गोदावरी नदी पर एक बहुउद्देश्यीय प्रमुख टर्मिनल जलाशय परियोजना है.

आंध्रप्रदेश के पोलावरम मंडल के रामय्यापेटा गांव के पास गोदावरी नदी पर स्थित पोलावरम परियोजना कोव्वुर-राजमुंदरी सड़क-सह-रेल पुल से लगभग 34 किमी ऊपर और सर आर्थर कॉटन बैराज से 42 किमी ऊपर निर्माणाधीन है, जहां नदी पूर्वी घाट की अंतिम सीमा से निकलकर आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले के मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है.

इस बहुउद्देशीय प्रमुख सिंचाई परियोजना का उद्देश्य 4,36,825 हेक्टेयर की सकल सिंचाई क्षमता का विकास करना है. इस परियोजना में 960 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन, 611 गांवों में 28.50 लाख की आबादी को पेयजल आपूर्ति और 80 टीएमसी पानी को कृष्णा नदी बेसिन में मोड़ना भी शामिल है.

चित्रकोट पर्यटन स्थल पर बवाल, नाका, ग्राम सभा और एसडीएम पर सवाल

जगदलपुर- छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में स्थित सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल चित्रकोट पर सोमवार को बवाल मच गया. लोहंडीगुड़ा एसडीएम नीतीश वर्मा ने समिति द्वारा संचालित नाका को अवैध बताते हुए सील कर दिया. दरअसल, गांव के लोगों की एक समिति इस नाके का संचालन करती है. चित्रकोट पर्यटन स्थल घूमने आने वाले पर्यटकों से वाहन प्रवेश और पार्किंग के नाम पर समिति लंबे समय से शुल्क वसूलता आ रहा है. एसडीएम ने उक्त समिति को अवैध करार देते हुए नाका को ही सील कर दिया, जिसके बाद आक्रोशित नाका समिति ने गांव के सरपंच भंवर मौर्य के नेतृत्व में मारडूम चौक में चित्रकोट मार्ग को जाम कर दिया और प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया.

सरपंच भंवर मौर्य का कहना है कि मार्च महीने में ही ग्राम सभा कर नई समिति को नाका की जिम्मेदारी दी गई थी, जबकि पुरानी समिति द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया गया. पुरानी समिति पर कोई कार्यवाही न करते हुए नई समिति के काम पर प्रतिबंध लगाने का काम किया गया. सरपंच मौर्य ने लोहंडीगुड़ा एसडीएम के मेहमानों के लिए उचित व्यवस्था समिति द्वारा नहीं किए जाने के चलते यह कार्यवाही करने का आरोप लगाया. तकरीबन 5 घंटे तक समिति के सदस्य कड़ी धूप में सड़क के बीचोबीच प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे.  

इस दौरान चित्रकोट घूमने आए पर्यटक को भी सड़क जाम के चलते परेशान होना पड़ा. मौके पर लोहंडीगुड़ा एसडीएम नीतीश वर्मा, तहसीलदार कैलाश पोयम, एसडीओपी ईश्वर त्रिवेदी, लोहंडीगुड़ा थाना प्रभारी रवि कुमार बैगा ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को काफी मनाने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारी डटे रहे. बात नहीं मानने पर एसडीएम के आदेश पर पुलिस को बल प्रयोग कर सड़क से हटाने का आदेश दिया गया. पुलिसकर्मियों ने देखते ही देखते महज कुछ मिनट में ही प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटा कर लोहंडीगुड़ा थाने पहुंचा दिया.

एसडीएम नीतीश वर्मा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर कहा कि पर्यटन स्थल में नाका का संचालन गैर कानूनी तरीके से किया जा रहा था. इसको लेकर उनके पास शिकायत की गई थी. इस संबंध में वर्तमान समिति को उन्होंने सूचना भी दी. समिति पंजीकृत भी नहीं थी, कथित तौर पर जिस ग्राम सभा में नई समिति को नाका संचालन का आदेश दिया गया, उस ग्राम सभा में महज 25 लोगों के ही दस्तखत है. इनमें से अधिकतर समिति संचालक है. 

22 दिन बाद फिर चला डोंगरगढ़ का रोपवे

डोंगरगढ़- 24 अप्रैल को हुए रोपवे हादसे के 22 दिन बाद डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर का रोपवे एक बार फिर शुरू कर दिया गया है. तकनीकी सुधार और सुरक्षा जांच की औपचारिकताओं के बाद संचालन तो शुरू हो गया, लेकिन सबसे बड़ा सवाल अब भी हवा में झूल रहा है कि आखिर ट्रॉली पलटी क्यों? और गलती किसकी थी?

हादसे के वक्त बीजेपी प्रदेश महामंत्री भरत वर्मा समेत कई लोग ट्रॉली में सवार थे. जैसे ही ट्रॉली स्टेशन पहुंची, वह अचानक पलट गई. भरत वर्मा गंभीर रूप से घायल हुए और अब भी रायपुर के अस्पताल में उनका इलाज जारी है. घटना के बाद प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए रोपवे बंद करवा दिया, जांच के आदेश दिए, एफआईआर भी दर्ज हुई लेकिन 22 दिन बीत जाने के बाद भी कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि हादसे की असली वजह क्या थी.

मंदिर ट्रस्ट, रोपवे संचालक कंपनी और जिला प्रशासन सभी ने एक स्वर में कहा कि तकनीकी जांच हुई, सुधार किए गए और रोपवे अब सुरक्षित है. ट्रस्ट की मानें तो एनआईटी रायपुर और दामोदर रोपवे कंपनी की टीम ने मिलकर जांच की और जिन बिंदुओं पर खामियां मिलीं, उन्हें ठीक कर दिया गया. लेकिन जब सवाल दोषियों पर आता है, तो जवाब में सिर्फ खामोशी मिलती है. पुलिस भी अब तक सिर्फ सीसीटीवी फुटेज देखने और कर्मचारियों के बयान लेने तक ही सीमित है. कोई चार्जशीट नहीं, कोई गिरफ्तारी नहीं. वहीं एसडीएम साहब का कहना है कि “रिपोर्ट ऊपर भेज दी गई है.” यानि हादसे की जिम्मेदारी अब ‘ऊपरवाले’ के भरोसे छोड़ दी गई है. ऊपरवाले से मतलब प्रशासनिक ‘ऊपर’ है या भगवान, ये समझना जनता के जिम्मे है.

22 दिन बाद भले ही रोपवे दोबारा शुरू हो गया हो, लेकिन जनता के मन में डर और सवाल दोनों अब भी जिंदा हैं. हादसे के बाद जो सुधार किए गए, वे तकनीकी होंगे मगर सिस्टम में जो सुस्ती और जिम्मेदारी से भागने की आदत है, उसमें सुधार कब होगा? बहरहाल डोंगरगढ़ का रोपवे तो फिर से चल पड़ा है पर क्या इंसाफ की ट्रॉली अब भी कहीं अटकी हुई है?

19 साल बाद पूर्व चिकित्सा शिक्षा संचालक डॉ. आदिले के खिलाफ कोर्ट में पेश हुआ चालान, मेडिकल कॉलेज में फर्जी तरीके से एडमिशन कराने का है आरोप…

रायपुर- स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन शिक्षा संचालक डॉ. एसएन आदिले के खिलाफ 19 साल बाद फर्जी तरीके से एडमिशन दिलाने के प्रकरण में कोर्ट चालान पेश किया गया है. 14 मई को करीब 100 पन्नों का चालान पेश किया गया. इसमें बताया गया है कि किस तरह से पद का दुरुपयोग करते हुए दस्तावेजों की हेराफेरी कर 2006 में जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलाया गया.

चालान में आरोप लगाया गया था कि डॉ. आदिले ने अपनी पुत्री और उनकी सहेलियों को फर्जी तरीके से एडमिशन कराया. शिकायत के बाद रायपुर की गोलबाजार पुलिस ने 4 साल तक जांच करने के बाद 2010 में प्राथमिकी दर्ज की. साथ ही पूरे प्रकरण की 10 साल तक जांच करने के बाद 2020 में चालान तैयार किया. लेकिन इतने साल तक जांच करने के बाद भी तकनीकी त्रुटि के चलते इसे पेश नहीं किया गया.

बता दें कि इस मामले का खुलासा डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआई) के पूर्व सदस्य डॉ. अनिल खाखरिया ने सूचना अधिकार कानून के तहत मिलने के बाद किया था. उन्होंने सूचना कानून के तहत प्रवेश के आधार के संबंध में जानकारी मांगी थी.

छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य शिक्षा संचालक द्वारा अखिल भारतीय कोटे में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अपनी पुत्री और अन्य को एमबीबीएस में प्रवेश दिलाया था. जिसका खुलासा होने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्रवाई करने का आदेश दिया था. इसके बाद कार्रवाई नहीं हुई थी.

सूत्रों का कहना है कि पूरे मामले में लीपापोती करने के लिए सिंडीकेट सक्रिय हो गया था. इसके चलते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. बता दें कि डॉ. आदिले के खिलाफ विभाग की एक महिला ने दुष्कर्म करने का आरोप भी लगाया था. हालांकि, इस प्रकरण में किसी भी तरह का साक्ष्य नहीं मिलने पर 13 मई को बरी कर दिया गया है.

25 लोगों को बनाया है गवाह

पुलिस द्वारा पेश किए गए चालान में करीब 25 लोगों को पुलिस ने गवाह बनाया है. कोर्ट में चालान पेश किए जाने के बाद जल्दी ही इसकी सुनवाई शुरू होगी. इसमें आरोपी बनाए गए स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन शिक्षा संचालक डॉ. एसएन आदिले सहित अन्य को समन जारी कर सुनवाई की जाएगी. साथ ही अभियोजन और बचाव पक्ष का तर्क और पेश किए गए साक्ष्य का परीक्षण किया जाएगा.

कवासी लखमा के करीबियों के यहां EOW-ACB की रेड, स्टील कारोबारी के घर सहित 20 से अधिक ठिकानों पर कार्रवाई जारी

दुर्ग/रायपुर- आबकारी घोटाला मामले में जेल में बंद मंत्री कवासी लखमा के करीबियों पर ईओडब्ल्यू ने कार्रवाई की है. प्रदेश के 20 से अधिक स्थानों पर दबिश दी गई है. दुर्ग, भिलाई, महासमुंद, धमतरी और रायपुर के कई ठिकानों पर कार्रवाई जारी है. सबसे बड़ी कार्रवाई दुर्ग में चल रही है. दुर्ग में आम्रपाली सोसाइटी स्थित अशोक अग्रवाल और भाई विनय अग्रवाल के निवास, जो स्टील इंडस्ट्री से भी जुड़े हुए हैं, उनके यहां कार्रवाई चल रही है. अशोक अग्रवाल के भाई विनय अग्रवाल के घर भी छापा पड़ा है. इसके साथ ही दुर्ग जिले के दो अन्य करीबियों के निवास पर भी कार्रवाई जारी है.

अशोक अग्रवाल के निवास पर एसीबी के 9 अधिकारी मौजूद हैं. बैंक खातों के डिटेल्स की जांच की जा रही है. साथ ही स्टील कारोबार से जुड़े दस्तावेज भी टीम खंगाल रही है.

एसीबी-ईओडब्लयू की छापेमार कार्रवाई में उद्योगपतियों और नामी हॉस्पिटल के डायरेक्टर भी शामिल हैं. नहरू नगर स्थित स्पर्श हॉस्पिटल के डायरेक्टर संजय गोयल के निवास, उद्योगपति बंसी अग्रवाल और विशाल केजरीवाल के निवास पर भी छापा पड़ा है. वहीं शनिचरी बाजार में बिल्डर्स विश्वजीत गुप्ता के निवास पर भी रेड पड़ी है. अधिकारियों की टीम दस्तावेजों की जांच कर रही है.

इसके अलावा एसीबी-ईओडब्लयू की टीम महासमुंद पहुंची है, यहां दो जगह पर छापा मारा गया है. सांकरा में कैलाश अग्रवाल और बसना में जय भगवान अग्रवाल के ठिकानों पर ईओडब्लू ने छापा मारा है. दो वाहनो में 20 अधिकारी-कर्मचारियों की टीम पहुंची और रिकॉर्ड खंगालने में जुटी है.  

जमीन रजिस्ट्री के नए नियमों से फर्जीवाड़े पर लगेगा अंकुश, रिकॉर्ड भी होगा तत्काल अपडेट, कार्यशाला में राजस्व मंत्री वर्मा ने दी जानकारी

रायपुर- राज्य सरकार द्वारा रजिस्ट्री के नये नियमों और सम्पत्तियों के पंजीयन में शुरू किए गए 10 क्रांतिकारी परिवर्तनों पर आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में खुद राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने नई सुविधाओं और तकनीकों के बारे में जानकारी दी.

राजस्व मंत्री ने जमीनों की रजिस्ट्री के लिए नये नियमों को ऐतिहासिक व साहसिक निर्णय बताते हुए कहा कि समय की जरूरत के हिसाब से आमजनों की सुविधा के लिए बनाए गए हैं। रजिस्ट्री के नये नियमों से फर्जीवाड़े में रोक लगेगी। बंधक जमीनें नहीं बिक पाएंगी और कोई भी दूसरा आदमी किसी और की जगह पर खड़े होकर जमीनों की रजिस्ट्री नहीं करा सकेगा। राजस्व मंत्री टंकराम ने कहा कि पंजीयन विभाग में नयी सुविधाओं के लिए तकनीक का उपयोग कर लोगों को स्वयं रजिस्ट्री ऑफिस जाकर बायोमेट्रिक्स के द्वारा आधार सत्यापन कराना होगा।

उन्होंने बताया कि नई सुविधाओं में जमीन के रिकॉर्ड को आधार कार्ड से जोड़ने का भी काम किया जा रहा है। सरकार सुगम एप का संचालन कर आमजनों को जमीनों की खरीदी-बिक्री की आसान सुविधा दे रही है। इसके साथ ही बिक्री वाली भूमि में लगे पेड़ों पर पंजीयन शुल्क को शून्य कर दिया गया है।

राजस्व मंत्री ने सभी राजस्व रिकॉर्डों को डिजीटलाईज करने की प्रक्रिया के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्ववर्ती नियम को परिवर्तित करते हुए त्रुटि सुधार का अधिकार अब एसडीएम से छीनकर तहसीलदारों को दे दिया है। राज्य में जमीनों की जियो रिफ्रेसिंग का काम तेजी से किया जा रहा है। इसके पूरा हो जाने पर सीमा विवाद खत्म होंगे। मंत्री वर्मा ने यह भी बताया कि राजस्व पखवाड़ों का आयोजन कर राज्य में राजस्व संबंधी प्रकरणों का तेजी से निपटारा किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि अब राज्य या केंद्र सरकार की किसी भी परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के मामले पर कड़े नियम बनाए जा रहे हैं। परियोजना के प्रस्तावित होने के समय से ही उस क्षेत्र में जमीनों की खरीदी-बिक्री, सीमांकन-बटांकन सभी पर रोक लगा दी जाएगी। इस कार्यशाला में धमतरी विधायक ओंकार साहू, महापौर रामू रोहरा, जिला पंचायत अध्यक्ष अरूण सार्वा, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष नेहरू निषाद, प्रकाश बैस, पूर्व विधायक इंदर चंद चोपड़ा, रंजना साहू सहित कलेक्टर अबिनाश मिश्रा, एसपी सूरज सिंह परिहार अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारी, कर्मचारी, पत्रकार भी उपस्थित रहे।

पंजीयन विभाग ने आम जनता की सुविधा और दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए सॉफ्टवेयर में 10 नई सुविधाएं शुरू भी की हैं। इनमें फर्जी रजिस्ट्री रोकने के लिए आधार सत्यापन सुविधा से क्रेता-विक्रेता की पहचान सीधे आधार नंबर और बायोमैट्रिक के माध्यम से की जाएगी, जिससे फर्जी रजिस्ट्री की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण संभव होगा। रजिस्ट्री खोज एवं डाउनलोड सुविधा से खसरा नंबर दर्ज कर संपति की पूर्व रजिस्ट्री की जानकारी देखी जा सकती है और रजिस्ट्री दस्तावेज डाउनलोड किए जा सकते हैं। इससे क्रेताओं को विवादित या बंधक जमीन की जानकारी पहले ही प्राप्त हो जाएगी। ऑनलाइन भारमुक्त प्रमाण पत्र सुविधा से संपत्ति पर ऋण, बंधक या पूर्व विक्रय की स्थिति अब ऑनलाइन भारमुक्त प्रमाण-पत्र के माध्यम से आसानी से ज्ञात की जा सकती है। कई शासकीय कार्यों एवं बैंक से लोन प्राप्त करने के लिए यह प्रमाण पत्र अनिवार्य होता है। स्टाम्प एवं रजिस्ट्री शुल्कों को कैशलेस भुगतान से अब स्टाम्प शुल्क और पंजीयन शुल्क का एक साथ यूपीआई, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग आदि से कैशलेस रूप से भुगतान किया जा सकता है। पहले दोनों का भुगतान अलग-अलग स्थान पर नकदी में किया जाता था। रजिस्ट्री के लिए स्लॉट बुकिंग, दस्तावेज की स्थिति, पंजीयन पूर्ण होने की सूचना एवं रजिस्ट्री की प्रति व्हाट्सअप के माध्यम से स्वतः प्राप्त होगी। इसके साथ ही व्हाट्सअप के माध्यम से रजिस्ट्री से संबंधित शिकायतें एवं फीडबैक भी दिया जा सकेगा। डिजीलॉकर सेवाये पंजीकृत दस्तावेज अब डिजीलॉकर में डिजिटल रूप में संरक्षित रहेंगे, जिन्हें आवश्यकता नुसार कभी भी डाउनलोड किया जा सकेगा।

पक्षकार अपने रजिस्ट्री दस्तावेज अब स्वयं ही बना सकेंगे। इसके लिए उन्हें डिजी डॉक सेवा पर जानकारी भरना होगा। जानकारी भरने के पश्चात रजिस्ट्री दस्तावेज स्वतः जनरेट होगा एवं उप पंजीयक को डिजिटल रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।

इसके साथ ही डिजीडॉक सेवा के माध्यम से किरायानामा, शपथ पत्र, अनुबंध जैसे गैर-पंजीकृत दस्तावेज अब घर बैठे डिजिटल स्टाम्प के साथ ऑनलाइन तैयार किये जा सकते हैं। अब पक्षकारों को घर बैठे रजिस्ट्री की सुविधा भी मिलनी शुरू हो गई है। दस्तावेज निर्माण, स्टाम्प भुगतान और रजिस्ट्री प्रक्रिया अब पूरी तरह ऑनलाईन होकर घर से ही पूर्ण की जा सकती है। अभी यह सेवा 10 प्रकार के दस्तावेजों जैसे रेंट एग्रीमेंट, मोर्गेज डीड आदि में शुरू की गई है। होम विजिट के माध्यम से पंजीयन कराए जाने की सुविधा तथा तत्काल आपाइंटमेंट सहित पारिवारिक दान, हक त्याग आदि में पंजीयन फीस मात्र 500 रुपए लिए जाने का प्रावधान है। रजिस्ट्री के साथ स्वतः नामांतरण भी हो जाएगा। रजिस्ट्री प्रक्रिया पूर्ण होते ही संबंधित क्रेता का नाम राजस्व रिकॉर्ड में स्वतः दर्ज हो जाएगा। इसके लिए अलग से नामांतरण आवेदन, शुल्क या लंबी प्रतीक्षा की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे नागरिकों के समय, प्रयास और खर्च तीनों की बचत होगी।

रजिस्ट्री के नए नियमों से ये फायदे होंगे

क्रेता-विक्रेता की पहचान सीधे आधार नंबर और बायोमैट्रिक के माध्यम से की जाएगी जिससे फर्जी रजिस्ट्री पर प्रभावी नियंत्रण संभव होगा। खसरा नंबर दर्ज कर पूर्व रजिस्ट्री की जानकारी देखी जा सकती है और दस्तावेज डाउनलोड किए जा सकते हैं। इससे विवादित या बंधक जमीन की जानकारी पहले ही प्राप्त हो जाएगी। संपत्ति पर ऋण बंधक या पूर्व विक्रय की स्थिति अब आनलाइन भारमुक्त प्रमाण पत्र के माध्यम से ज्ञात की जा सकती है। कई शासकीय कार्यों एवं लोन के लिए यह प्रमाण पत्र अनिवार्य होता है। स्टाम्प शुल्क और पंजीयन शुल्क का एक साथ यूपीआइए डेबिट कार्ड नेट बैंकिंग आदि से कैशलेस रूप से भुगतान किया जा सकता है। पहले दोनों का भुगतान अलग-अलग स्थान पर नकदी में किया जाता था। रजिस्ट्री के लिए स्लाट बुकिंग दस्तावेज की स्थिति पंजीयन पूर्ण होने की सूचना एवं रजिस्ट्री की प्रति वाट्सएप के माध्यम से स्वतः प्राप्त होगी।

मुख्यमंत्री श्री साय ने मुंगेली प्रेस क्लब के नवनिर्मित भवन का किया लोकार्पण, पत्रकारों को दी बधाई

रायपुर-   मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज जिला मुख्यालय मुंगेली में 8.89 लाख रुपए की लागत से नवनिर्मित प्रेस क्लब भवन का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने पत्रकार को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और पत्रकारों की भूमिका समाज निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि इस नवनिर्मित प्रेस क्लब भवन से पत्रकारों को एक सर्वसुविधायुक्त भवन मिलेगा, जहां वे रचनात्मक कार्य कर सकेंगे।

मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि यह भवन पत्रकारों की कार्यक्षमता को और सशक्त बनाएगा। कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों और जिलेभर से आए पत्रकारों की उपस्थिति रही। प्रेस क्लब के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए इसे पत्रकारों के लिए ऐतिहासिक दिन बताया।

इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू, उप मुख्यमंत्री अरुण साव, मुंगेली विधायक पुन्नूलाल मोहले, बिलासपुर संभागायुक्त सुनील जैन, आईजी संजीव शुक्ला, कलेक्टर कुन्दन कुमार, पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल सहित प्रशासनिक अधिकारी और बड़ी संख्या में पत्रकारगण उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री साय ने किया मुंगेली में सीसीटीवी कैमरा नेटवर्क और उन्नत पुलिस कंट्रोल रूम का लोकार्पण

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मुंगेली जिला मुख्यालय में स्मार्ट सुरक्षा प्रणाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए 33.15 लाख रुपये की लागत से तैयार अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरा नेटवर्क और उन्नत पुलिस कंट्रोल रूम का लोकार्पण किया।

नगर के 17 प्रमुख चौक-चौराहों पर कुल 62 अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए गए हैं, जिन्हें एक केंद्रीकृत पुलिस कंट्रोल रूम से रियल-टाइम मॉनिटर किया जा सकता है। उन्नत तकनीकों से सुसज्जित यह कंट्रोल रूम पुलिस प्रशासन को त्वरित, प्रभावी और सटीक कार्रवाई करने में सहायक सिद्ध होगा।

मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर कहा कि यह प्रणाली केवल निगरानी तक सीमित नहीं, बल्कि यह शहर की कानून-व्यवस्था, ट्रैफिक प्रबंधन और आपातकालीन प्रतिक्रिया को भी सुदृढ़ बनाएगी। उन्होंने कहा कि स्मार्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग सुशासन की रीढ़ बनेगा।

इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू, उप मुख्यमंत्री अरुण साव, मुंगेली विधायक पुन्नूलाल मोहले, मुख्यमंत्री के सचिव पी दयानंद, बिलासपुर संभागायुक्त सुनील जैन, आईजी संजीव शुक्ला, कलेक्टर कुन्दन कुमार, पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।

सुशासन तिहार : एक्शन में CM साय, कलेक्टर को लगाई फटकार, DEO और ईई को निलंबित करने के दिए निर्देश

रायपुर-  सुशासन तिहार के दौरान मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने काम में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करते हुए दो बड़े निर्णय लिए।

मुख्यमंत्री ने मुंगेली जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता आर.के. मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि मनियारी जलाशय और पथरिया जलाशय जैसी महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाएं वर्षों से अधूरी पड़ी हैं, जो लापरवाही का स्पष्ट प्रमाण हैं।

मुख्यमंत्री श्री साय ने गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के जिला शिक्षा अधिकारी जगदीश कुमार शास्त्री को पद से हटाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बोर्ड परीक्षा में जिले का अत्यंत खराब प्रदर्शन जिले में शिक्षा व्यवस्था की गंभीर खामी को दर्शाता है और ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

मुख्यमंत्री श्री साय के इस तीखे रुख से स्पष्ट है कि सरकारी कार्यों में शिथिलता और जवाबदेही से बचने का युग समाप्त हो चुका है। मुख्यमंत्री ने आज मुंगेली कलेक्टोेरेट के सभाकक्ष में आयोजित बैठक में गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, बिलासपुर और मुंगेली जिले में योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा के दौरान कार्रवाई के निर्देश दिएग्रामीण इलाकों का निरंतर दौरा करें अधिकारी-

मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि सुशासन का आशय अच्छा शासन होता है। जिस विश्वास के साथ जनता ने हमें शासन में बिठाया है, उस विश्वास को और मजबूत करना है। सुशासन तिहार के दौरान प्राप्त आवेदनों के निराकरण में अधिकारियों ने अच्छा काम किया है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अधिक से अधिक ग्रामीण इलाकों का दौरा करें। इससे मैदानी जानकारी मिलने के साथ-साथ प्रशासनिक कसावट भी आती है।

भीषण गर्मी में किसी को न हो पेयजल की दिक्कत -

मुख्यमंत्री ने कहा कि गर्मी का मौसम चरम पर है। पेयजल की समस्या किसी को ना हो इसे अधिकारी देखें। लोगों को पेयजल उपलब्ध कराना हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए पुख्ता कार्य योजना तैयार कर अमल करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अधिकारी सचेत रहें और कहीं पर भी बीमारी की सूचना मिलती है, तो तुरंत वहां पहुंचकर इलाज की व्यवस्था करें। राज्य में खाद बीज की पर्याप्त उपलब्धता है। खाद बीज की दिक्कत किसानों को नहीं होनी चाहिए।

अटल डिजिटल सेवा केंद्र का संचालन सुचारू रूप से हो-

श्री साय ने कहा की अटल डिजिटल सेवा केंद्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी का एक अनिवार्य हिस्सा है। पूरे प्रदेश में 1460 केंद्र खुल चुके हैं। सभी में पैसे के ट्रांजेक्शन सहित अच्छा काम हो रहा है। ये सभी केंद्र नियमित रूप से काम करें, यह देखने का काम कलेक्टर का है। उन्होंने कहा कि अगले 6 माह में 5000 और अटल सेवा केंद्र खुलेंगे। अगले साल 24 अप्रैल तक हर ग्राम पंचायत में अटल डिजिटल सेवा केंद्र शुरू हो जाएगा । यह भी ध्यान रखें कि लोगों को छोटे-छोटे काम के लिए लंबी दूरी तय न करनी पड़े। मुख्यमंत्री ने कहा की भूमि की रजिस्ट्री के संबंध में हमारी सरकार ने 10 नए क्रांतिकारी कदम उठाए हैं। भूमि दान सहित अन्य कामकाज को सरल किया है। इनका लाभ ग्रामीणों और किसानों को मिलना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास के अधूरे कामों को बरसात के पहले अभियान चलाकर पूर्ण करने के निर्देश दिए ताकि लोगों को बरसात में रहने के लिए पक्के मकान मिल सकें। श्री साय ने कहा कि सभी अधिकारियों के कार्यों का मूल्यांकन शिविर में हम कर रहे हैं।घर जाकर करें लंबित मजदूरी का भुगतान-

मुख्यमंत्री ने कहा की शासकीय योजनाओं के अंतर्गत मजदूरी भुगतान में विलंब नहीं करना चाहिए। मरवाही वन मंडल में वन विभाग का मजदूरी भुगतान काफी दिनों से लंबित होने पर उन्होंने नाराजगी जाहिर की और मजदूर के घर पहुंचकर तत्काल भुगतान करने के निर्देश दिए। बिलासपुर जिले में राजस्व प्रकरण की ज्यादा संख्या में लंबित होने पर इनका अभियान चलाकर निपटारा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अपने मातहत राजस्व अधिकारियों की सतत मॉनिटरिंग करें। उन्होंने पक्षकारों को पेशी में बार-बार नहीं बुलाने के निर्देश भी दिए। मुख्यमंत्री ने अचानकमार रिजर्व क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वयन में विलंब होने का कारण पूछा और इसे समन्वय स्थापित करते हुए समय सीमा में पूरा करने के निर्देश दिए। महिला समूह को सैंटरिंग प्लेट का प्रशिक्षण भी देने को कहा ताकि बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री आवास में उन्हें रोजगार मिल सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिलासपुर जिले में 5 लाख से ज्यादा लोगों का आयुष्मान कार्ड अभी तक नहीं बना है, मुख्यमंत्री ने सीएमएचओ को इसके लिए फटकार लगाई। उन्होंने बिलासपुर में शुरू किए गए सिम्स के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की भी जानकारी ली। उन्होंने कहा की इसे पीपीपी मोड पर चलने पर भी विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने इसके लिए जिला कलेक्टर को एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।बरसात में हर तालाब भरें लबालब-

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब हम सभी को वाटर रिचार्जिंग पर ध्यान देना होगा। उन्होंने राजनांदगांव में हुए कार्यों की प्रशंसा करते हुए इस तरह के प्रयास बिलासपुर एवं आसपास के जिलों में भी करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बरसात आने वाली है तालाबों में पानी के आगमन स्थल कई जगह अतिक्रमित हुए हैं। इससे तालाबों में पानी नहीं भरता, उन्होंने जन भागीदारी से ऐसा प्रयास करने को कहा कि सभी तालाब भर जाएं। उन्होंने शहरी विकास, कृषि, पंचायत विभागों को मिलकर इस संबंध में एक कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने सिंचाई विभाग के कार्यों की धीमी प्रगति पर गहरी नाराजगी जाहिर की और इसमें आने वाली बाधाओं को दूर करने के निर्देश कलेक्टर को दिए। उन्होंने किसानों की सहमति से फसल चक्र परिवर्तन को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने बैठक में अचानकमार टाइगर रिजर्व में आने वाली ग्रामों के विस्थापन पर वन विभाग के प्रस्तुतीकरण का भी अवलोकन किया। विस्थापित होने वाले ग्रामीणों को विश्वास में लेकर समय सीमा में इस कार्य को पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने अचानकमार टाइगर रिजर्व में पर्यटन की दृष्टि से भी काम करने के निर्देश दिए।

बैठक में केन्द्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू, उप मुख्यमंत्री अरूण साव, विधायक धरमलाल कौशिक और पुन्नूलाल मोहले, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीकांत पांडे, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव पी. दयानंद, संभागायुक्त सुनील जैन सहित तीनों जिलों के कलेक्टर, एसपी, डीएफओ और विभागीय अधिकारी उपस्थित थे ।