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मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने झारखंड की मतदाता सूची की सराहना क़ी

रांची : भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार ने आज नई दिल्ली स्थित भारत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रबंधन संस्थान (आईआईआईडीईएम) में झारखंड के बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ), बीएलओ पर्यवेक्षकों, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ईआरओ), जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) एवं बूथ जागरूकता समूह/ बूथ स्तरीय स्वयंसेवकों (बीएलवी) के लिए आयोजित दो-दिवसीय क्षमता-निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर उन्होंने झारखंड में तैयार की गई मतदाता सूची की सराहना करते हुए कहा कि विगत मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रमों के बाद इसके विरुद्ध एक भी अपील दायर नहीं हुई है, जो एक सराहनीय उपलब्धि है।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि भारत निर्वाचन आयोग संविधान और निर्वाचन नियमों में वर्णित दिशा-निर्देशों का अक्षरशः पालन करता है। उन्होंने विभिन्न राज्यों के अपने दौरों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें जमीनी स्तर पर कार्यरत कर्मियों की कार्यशैली को करीब से देखने का अवसर मिला, जिससे प्रेरित होकर देश के विभिन्न राज्यों के बीएलओ को दिल्ली बुलाकर प्रशिक्षण देने की पहल की गई है।

झारखंड के अपने हालिया दौरे को याद करते हुए श्री कुमार ने दशम जलप्रपात की बीएलओ दीदियों से अपनी मुलाकात का विशेष उल्लेख किया और उनकी निर्वाचन संबंधी विषयों की गहरी जानकारी को प्रभावशाली बताया। उन्होंने झारखंड में निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़े सभी हितधारकों के कार्यों की सराहना की। इस संदर्भ में उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि पिछले मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रमों के उपरांत झारखंड में बनी मतदाता सूची के विरुद्ध एक भी अपील दर्ज नहीं हुई है। उन्होंने इसे एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए सभी मतदाताओं को इस बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया कि यदि वे मतदाता सूची में किसी प्रकार की त्रुटि या विसंगति से असहमत हैं, तो वे जिला निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष अपील कर सकते हैं और यदि वे उनके निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं, तो मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के स्तर पर भी अपील की जा सकती है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य सभी नागरिकों को जागरूक करते हुए एक ऐसी त्रुटिहीन मतदाता सूची तैयार करना है, जो शत प्रतिशत संतुष्टि प्रदान करे और जिसकी चमक हीरे की तरह बनी रहे।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि इस पहल का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य मतदाताओं के बीच मतदान प्रक्रिया और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के प्रति किसी भी प्रकार की गलत धारणा को दूर करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ईवीएम और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) का मिलान पांच करोड़ से भी अधिक बार किया जा चुका है और आज तक उनमें एक भी गलती नहीं पाई गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित हैं और वही परिणाम देते हैं जो मतदाता चाहते हैं।

श्री ज्ञानेश कुमार ने निर्वाचन आयोग की विशालता और कार्यप्रणाली पर भी बात की। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय निर्वाचन आयोग अन्य विभागों के कर्मचारियों को डेपुटेशन पर शामिल करते हुए दुनिया की सबसे बड़ी संस्था बन जाती है और देश के 10.5 लाख मतदान केंद्रों पर एक समान प्रक्रिया के तहत सफलतापूर्वक मतदान संपन्न कराती है। उन्होंने मतदाता सूची तैयार करने में बीएलओ और राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंटों के बीच समन्वय और सहयोग की भी सराहना की।

दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले दिन प्रतिभागियों ने योगाभ्यास में भाग लिया और एक समूह तस्वीर भी खिंचवाई। इसके बाद चुनाव विशेषज्ञ डॉ. शशि शेखर रेड्डी, श्री देव दास दत्ता, श्री चंद किशोर शर्मा और श्री प्रभास दत्ता ने निर्वाचन प्रक्रिया से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया।

इस अवसर पर आईआईआईडीईएम के महानिदेशक श्री राकेश कुमार वर्मा, वरीय उप निर्वाचन आयुक्त मनीष गर्ग, उप निर्वाचन आयुक्त श्री अजीत कुमार, उप निर्वाचन आयुक्त श्री संजय कुमार और झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री के. रवि कुमार सहित झारखंड के निर्वाचन विभाग के कई प्रमुख अधिकारी और हितधारक उपस्थित थे। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम झारखंड में निर्वाचन प्रक्रिया को और अधिक सुदृढ़ बनाने और मतदाता सूची की सटीकता को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने चिलगू-चाकुलिया में दिवंगत झारखंड आंदोलनकारी और सामाजिक कार्यकर्ता कपूर कुमार टुडू को दी श्रद्धांजलि

सरायकेला-खरसावां, झारखंड: मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने आज अपनी धर्मपत्नी एवं विधायक श्रीमती कल्पना सोरेन के साथ सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल स्थित चिलगू-चाकुलिया में दिवंगत झारखंड आंदोलनकारी और सामाजिक कार्यकर्ता कपूर कुमार टुडू (कपूर बागी) के पैतृक आवास पर पहुंचकर शोक संवेदना व्यक्त की। कपूर बागी, जो मुख्यमंत्री के फुफेरे भाई थे, का 6 मई 2025 को निधन हो गया था।

मुख्यमंत्री ने दिवंगत कपूर बागी की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने शोकाकुल परिवार से मिलकर उन्हें सांत्वना दी और ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और परिवार को इस दुख की घड़ी में शक्ति देने की प्रार्थना की। कपूर बागी अपने पीछे अपनी मां, पत्नी, दो पुत्र और एक पुत्री को छोड़ गए हैं।

कपूर कुमार टुडू, जिन्हें कपूर बागी के नाम से भी जाना जाता था, झारखंड आंदोलन में एक सक्रिय भागीदार थे। उन्होंने राज्य के गठन के लिए संघर्ष किया और स्थानीय समुदायों के अधिकारों के लिए अथक प्रयास किए। उनकी सामाजिक सक्रियता ने उन्हें क्षेत्र में एक सम्मानित व्यक्ति बना दिया था।

कपूर बागी का निधन क्षेत्र के लिए एक बड़ी क्षति है, और उनकी स्मृति को स्थानीय लोगों द्वारा हमेशा याद रखा जाएगा। मुख्यमंत्री ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि कपूर बागी ने हमेशा समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए काम किया और उनका जीवन दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

श्रीमती कल्पना सोरेन ने भी दिवंगत कपूर बागी के परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और कहा कि उनकी सामाजिक सेवा और समर्पण को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उन्होंने परिवार को इस दुख की घड़ी में धैर्य रखने की सलाह दी।

मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी ने परिवार के साथ कुछ समय बिताया और उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हमेशा उनके साथ खड़ी है और उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार है।

दिवंगत कपूर कुमार टुडू के परिवार ने मुख्यमंत्री और श्रीमती सोरेन के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उनके शब्दों ने उन्हें इस दुख की घड़ी में शक्ति प्रदान की है।

इस अवसर पर स्थानीय प्रशासन के अधिकारी और कई गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे, जिन्होंने दिवंगत कपूर बागी को श्रद्धांजलि अर्पित की। क्षेत्र में शोक की लहर है, और लोग उनके योगदान को याद कर रहे हैं।

कपूर बागी का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में पूरे सम्मान के साथ किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। उनके निधन से क्षेत्र में एक सामाजिक शून्य पैदा हो गया है, जिसे भरना मुश्किल होगा।

झारखंड में खुलेगा एनआईपीसीसीडी का क्षेत्रीय केंद्र, हर बच्चे को मिलेगा न्याय : अन्नपूर्णा देवी का आह्वान

धनबाद, झारखंड: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने घोषणा की है कि झारखंड में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के तहत राष्ट्रीय बाल संरक्षण एवं बाल कल्याण संस्थान (एनआईपीसीसीडी) का एक क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस केंद्र की स्थापना से राज्य के प्रत्येक बच्चे को न्याय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी और बाल संरक्षण के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू होगा।

श्रीमती अन्नपूर्णा देवी आज धनबाद में एक जनसभा को संबोधित कर रही थीं, जहाँ उन्होंने इस महत्वपूर्ण पहल की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि झारखंड जैसे राज्य में, जहाँ जनजातीय और वंचित समुदायों की एक बड़ी आबादी है, बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें न्याय दिलाना अत्यंत आवश्यक है। एनआईपीसीसीडी का क्षेत्रीय केंद्र इसी दिशा में एक ठोस कदम साबित होगा।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यह क्षेत्रीय केंद्र बाल संरक्षण से जुड़े विभिन्न हितधारकों जैसे कि सरकारी अधिकारी, गैर-सरकारी संगठन, बाल कल्याण समितियाँ और किशोर न्याय बोर्ड के सदस्यों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करेगा। इससे बाल संरक्षण कानूनों और प्रक्रियाओं की बेहतर समझ विकसित होगी और जमीनी स्तर पर काम करने वाले लोगों को अधिक प्रभावी ढंग से बच्चों की सहायता करने में सक्षम बनाया जा सकेगा।

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र बाल अधिकारों के उल्लंघन के मामलों की निगरानी और हस्तक्षेप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि बच्चों के खिलाफ किसी भी प्रकार के अपराध या शोषण की शिकायत पर त्वरित और उचित कार्रवाई की जाए। श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने जोर देकर कहा कि सरकार बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझती है और उनके सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस अवसर पर उन्होंने राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन से भी इस पहल में पूर्ण सहयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बाल संरक्षण एक सामूहिक जिम्मेदारी है और सभी के मिलकर काम करने से ही हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ प्रत्येक बच्चा सुरक्षित महसूस करे और उसे विकास के समान अवसर मिलें।

श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने पिछली सरकारों पर बाल कल्याण के मुद्दों पर पर्याप्त ध्यान न देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है और एनआईपीसीसीडी का क्षेत्रीय केंद्र इसी संकल्प का प्रमाण है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह केंद्र झारखंड में बाल संरक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा और राज्य के लाखों बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगा।

सभा में उपस्थित लोगों ने केंद्रीय मंत्री की इस घोषणा का तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस केंद्र की स्थापना से झारखंड में बाल अधिकारों के संरक्षण और बच्चों को न्याय दिलाने के प्रयासों को नई गति मिलेगी। यह पहल निश्चित रूप से राज्य के उन बच्चों के लिए आशा की किरण लेकर आएगी जो किसी न किसी प्रकार के शोषण या अन्याय का शिकार हुए हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव: महागठबंधन में तकरार, झामुमो का 'एकला चलो' का संकेत

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान बढ़ती दिख रही है। झारखंड की सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने महागठबंधन में उचित सम्मान न मिलने पर बिहार की 12 से 15 सीमावर्ती सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का संकेत दिया है। झामुमो का आरोप है कि महागठबंधन की बैठकों में उसे नजरअंदाज किया जा रहा है और 21 सदस्यीय समन्वय समिति में भी जगह नहीं दी गई है।

झामुमो के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में उन्होंने राजद को छह सीटें दी थीं और सरकार में एक मंत्री पद भी दिया था। लेकिन, बिहार में उन्हें उचित तवज्जो नहीं मिल रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अभी भी राजद नेता तेजस्वी यादव से सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत कर रहे हैं, लेकिन अगर उन्हें सम्मानजनक सीटें नहीं मिलती हैं, तो पार्टी अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।

झामुमो ने हाल ही में अपने महाधिवेशन में राष्ट्रीय पार्टी के रूप में विस्तार करने का प्रस्ताव पारित किया है। इसके तहत बिहार, असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने की योजना है। झामुमो महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि पार्टी महागठबंधन में समन्वय बनाने का पूरा प्रयास कर रही है, लेकिन अगर उचित सम्मान नहीं मिलता है, तो वे अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे।

बिहार में झामुमो के प्रभाव की बात करें तो पार्टी ने 2010 में चकाई सीट से जीत हासिल की थी। उस समय सुमित कुमार सिंह ने झामुमो के टिकट पर जीत दर्ज की थी। वर्तमान में सुमित कुमार सिंह चकाई से निर्दलीय विधायक हैं और सरकार में मंत्री भी हैं। झामुमो का मानना है कि बिहार की दर्जनभर सीटों पर उनका प्रभाव है, खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों में।

झामुमो के इस रुख से बिहार के राजनीतिक समीकरण में बदलाव आ सकता है। अगर झामुमो अकेले चुनाव लड़ता है, तो महागठबंधन के वोटों का विभाजन हो सकता है, जिससे अन्य दलों को फायदा हो सकता है। झामुमो के इस कदम से महागठबंधन में दरार पड़ने की संभावना भी बढ़ गई है।

झामुमो के इस फैसले से बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। अब देखना यह होगा कि महागठबंधन इस स्थिति से कैसे निपटता है और झामुमो का अगला कदम क्या होता है।

नीलांबर पीतांबर विवि में एमबीए छात्रों के साथ सिस्टम का मजाक, बुनियादी सुविधाओं का अभाव, वीसी ने दिए जांच के आदेश

झारखंड के नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय (Nilamber Pitamber University - NPU) में एमबीए (MBA) के छात्रों के साथ शिक्षा व्यवस्था का भद्दा मजाक सामने आया है। विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभाग में एमबीए के छात्रों के लिए न तो नियमित कक्षाएं संचालित हो रही हैं और न ही बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियां उपलब्ध हैं। छात्रों को फर्श पर बैठकर या खड़े होकर पढ़ाई करने को मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे उनकी शिक्षा की गुणवत्ता और विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

इस गंभीर समस्या की जानकारी तब सामने आई जब कुछ छात्रों ने अपनी व्यथा विश्वविद्यालय के कुलपति (Vice-Chancellor - VC) तक पहुंचाई। छात्रों ने बताया कि एमबीए विभाग में शैक्षणिक सत्र शुरू हुए काफी समय बीत चुका है, लेकिन उनकी नियमित कक्षाएं अभी तक शुरू नहीं हो पाई हैं। जो इक्का-दुक्का कक्षाएं आयोजित भी होती हैं, उनमें छात्रों की संख्या के अनुपात में कुर्सियां उपलब्ध नहीं होती हैं। नतीजतन, कई छात्रों को या तो क्लास के बाहर खड़े रहना पड़ता है या फिर फर्श पर बैठकर ही लेक्चर सुनना पड़ता है।

छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने कई बार विभाग के अधिकारियों और शिक्षकों से इस समस्या के बारे में शिकायत की, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन की इस उदासीनता से छात्रों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि जब एक प्रतिष्ठित व्यावसायिक पाठ्यक्रम के छात्रों को बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं, तो विश्वविद्यालय उनसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उम्मीद कैसे कर सकता है।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कुलपति ने तत्काल संज्ञान लिया है और जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे तत्काल इस मामले की विस्तृत जांच करें और रिपोर्ट सौंपें। कुलपति ने यह भी आश्वासन दिया है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जांच के आदेश जारी होने के बाद छात्रों में थोड़ी उम्मीद जगी है। उनका कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि कुलपति इस मामले में हस्तक्षेप कर उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे और उन्हें जल्द ही नियमित कक्षाएं और बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियां उपलब्ध कराई जाएंगी। छात्रों ने यह भी मांग की है कि विश्वविद्यालय प्रशासन भविष्य में इस तरह की लापरवाही न बरते और छात्रों की मूलभूत आवश्यकताओं का ध्यान रखे।

यह घटना नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है। एक ऐसे समय में जब उच्च शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण और सुलभ बनाने की बात की जा रही है, विश्वविद्यालय में एमबीए जैसे महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम के छात्रों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। यह न केवल छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है, बल्कि विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को भी धूमिल करता है। अब देखना यह है कि कुलपति के जांच के आदेश के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन इस दिशा में क्या ठोस कदम उठाता है और छात्रों को कब तक उनकी बुनियादी सुविधाएं मिल पाती हैं।

झारखंड के स्कूली शिक्षा में बड़ा बदलाव,नए सिलेबस में स्थानीय नायकों और संस्कृति पर जोर


रांची:- झारखंड के स्कूली शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। राज्य सरकार ने फैसला किया है कि अब स्कूलों के सिलेबस को बदला जाएगा, जिसमें स्थानीय नायकों और राज्य की संस्कृति को अधिक महत्व दिया जाएगा। 

नए सिलेबस में छात्रों को झारखंड के महान स्वतंत्रता सेनानी शिबू सोरेन और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी जैसी शख्सियतों के बारे में विस्तार से जानने का अवसर मिलेगा। 

इसके अलावा, पाठ्यक्रम में झारखंड की समृद्ध कला, संस्कृति, इतिहास और भूगोल से संबंधित अधिक जानकारी शामिल की जाएगी।

सरकार का मानना है कि इससे छात्रों को अपनी जड़ों से जुड़ने और राज्य के प्रति गर्व की भावना विकसित करने में मदद मिलेगी। यह नया सिलेबस अगले शैक्षणिक सत्र से लागू होने की संभावना है।

बिरजिया जनजाति के पारंपरिक स्वास्थ्य ज्ञान पर होगा शोध, CUJ प्रोफेसर को मिली 18 लाख की ग्रांट

झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (CUJ) के मानवशास्त्र एवं जनजातीय अध्ययन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. शमशेर आलम को झारखंड की विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) बिरजिया जनजाति पर शोध करने के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है। उन्हें भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) की ओर से इस महत्वपूर्ण शोध परियोजना के लिए 18 लाख रुपये की अनुसंधान ग्रांट स्वीकृत हुई है। यह परियोजना अगले दो वर्षों तक चलेगी और इसका मुख्य ध्यान बिरजिया समुदाय के पारंपरिक स्वास्थ्य ज्ञान और चिकित्सा पद्धतियों का गहन अध्ययन करना होगा।

डॉ. शमशेर आलम की इस शोध परियोजना का शीर्षक “Continuity, Challenges and Confluence of Health Policies and Modernization on Indigenous Medicinal Knowledge and Health Practices of Birjias of Jharkhand” है। 

इस परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य झारखंड के इस अत्यंत संवेदनशील और कम आबादी वाले बिरजिया समुदाय से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न पहलुओं को गहराई से समझना है। शोध के निष्कर्षों से नीति निर्माताओं को इस विशिष्ट समुदाय की स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुरूप नीतियां बनाने में महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त, यह शोध बिरजिया समुदाय के सदियों पुराने पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान को लिपिबद्ध और संरक्षित करने में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा, जो आधुनिकता की दौड़ में कहीं खोता जा रहा है।

बिरजिया जनजाति, जो झारखंड की सबसे छोटी जनजातीय आबादी में से एक है, भारत सरकार द्वारा PVTG श्रेणी में शामिल की गई है। यह श्रेणी उन जनजातियों को दी जाती है जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से अत्यधिक पिछड़े हुए हैं। ऐसे में, इस समुदाय के स्वास्थ्य और चिकित्सा पद्धतियों पर शोध करना न केवल अकादमिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इस समुदाय के समग्र विकास के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।

इस शोध परियोजना के अंतर्गत, डॉ. आलम और उनकी शोध टीम बिरजिया समुदाय के पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत दस्तावेजीकरण करेंगे। इसमें उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियाँ, पारंपरिक उपचार विधियाँ और स्वास्थ्य संबंधी मान्यताएँ शामिल होंगी। इसके साथ ही, शोध में बिरजिया समुदाय द्वारा वर्तमान में सामना की जा रही स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का भी विश्लेषण किया जाएगा। आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के बीच समन्वय की संभावनाओं का भी गहन अध्ययन किया जाएगा। शोधकर्ता यह पता लगाने का प्रयास करेंगे कि किस प्रकार आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली में बिरजिया समुदाय के पारंपरिक ज्ञान को शामिल किया जा सकता है, जिससे उन्हें बेहतर और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें।

डॉ. शमशेर आलम को मिली यह ग्रांट न केवल उनके व्यक्तिगत शोध करियर के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि यह झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के मानवशास्त्र एवं जनजातीय अध्ययन विभाग के लिए भी एक गौरव का विषय है। यह शोध परियोजना विश्वविद्यालय को जनजातीय अध्ययन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी।

इस शोध के संभावित परिणामों को लेकर शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह है। यह उम्मीद की जा रही है कि इस अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष न केवल बिरजिया समुदाय के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए ठोस कदम उठाने में सहायक होंगे, बल्कि अन्य जनजातीय समुदायों के पारंपरिक ज्ञान को समझने और संरक्षित करने के लिए भी एक मॉडल के रूप में काम करेंगे। यह शोध आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और पारंपरिक ज्ञान के बीच एक सेतु बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हो सकता है।

गोड्डा के युवा आजसू प्रभारी डॉ निर्मल कुमार ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया

गोड्डा : आजसू पार्टी के केंद्रीय समिति सदस्य सह गोड्डा के युवा आजसू प्रभारी डॉ निर्मल कुमार ने आज रविवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को पत्र लिखकर निजी कारणों से इस्तीफा देने की बात कही. इसके अलावा उन्होंने पार्टी द्वारा सौंपे दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ होने की भी बात कही.

इस्तीफा पत्र में दिया ये कारण

निर्मल कुमार ने अपने इस्तीफा पत्र में लिखा, मैं अपने व्यक्तिगत कारणों से पार्टी द्वारा सौंपे गये दायित्वों को पूरा करने में खुद को असमर्थ पा रहा हूं. आजसू पार्टी के साथ जुड़कर मैंने न केवल राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में अनुभव प्राप्त किया बल्कि अनेक प्रेरणादायक क्षण भी जिया है.

डिजिटल क्रांति से सशक्त हुईं झारखंड की आंगनबाड़ी सेविकाएं

रांची: झारखंड में डिजिटल परिवर्तन की लहर अब गांवों तक पहुंच रही है। राज्य सरकार ने हाल ही में 37,810 आंगनबाड़ी सेविकाओं को स्मार्टफोन वितरित किए हैं, जिससे वे तकनीकी रूप से सशक्त हुई हैं और लाभार्थियों को सेवाएं प्रदान करने में अधिक आत्मनिर्भर बन गई हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पहल को महिला सशक्तिकरण और समाज कल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।

स्मार्टफोन मिलने से आंगनबाड़ी सेविकाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। कांके प्रखंड की सेविका सरिता कुमारी बताती हैं कि अब वे स्वयं लाभार्थियों की तस्वीरें खींच सकती हैं, आधार प्रमाणीकरण कर सकती हैं और टीएचआर जैसी सेवाएं समय पर दे सकती हैं। इस तकनीकी सशक्तिकरण का सीधा प्रभाव आईसीडीएस सेवाओं की गुणवत्ता पर दिख रहा है। मार्च 2023 में जहां केवल 48.03% लाभार्थियों का आधार सत्यापन हुआ था, वहीं मार्च 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 97.22% हो गया है। वर्तमान में राज्य के 38,523 आंगनबाड़ी केंद्रों में सेविकाएं डिजिटल माध्यम से सेवाएं दे रही हैं।

स्मार्टफोन के माध्यम से एकत्रित आंकड़ों से योजनाओं की प्रगति की जिला और राज्य स्तर पर निगरानी संभव हो रही है। इससे सेवा वितरण में पारदर्शिता आई है और बुनियादी ढांचे के सुधार तथा संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में मदद मिल रही है। राज्य सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। 

सभी केंद्रों को आवश्यक बर्तन उपलब्ध कराए गए हैं, और पहले चरण में 16,775 केंद्रों को एलईडी टीवी, आरओ वाटर प्यूरीफायर, बिजली कनेक्शन, पंखे, शौचालय और सुरक्षित पेयजल जैसी सुविधाओं से लैस किया गया है।

सरकार आदिवासी बहुल 1,200 से अधिक गांवों में नए आंगनबाड़ी केंद्र स्थापित करने जा रही है, जहां जनजातीय समुदायों को पोषण, स्वास्थ्य और प्रारंभिक शिक्षा जैसी सेवाएं मिलेंगी। इन केंद्रों में जल्द ही सेविका और सहायिका की नियुक्तियां भी की जाएंगी। झारखंड के आंगनबाड़ी केंद्र अब केवल सेवा वितरण केंद्र नहीं रह गए हैं, बल्कि सामुदायिक विकास और महिला सशक्तिकरण के केंद्र के रूप में विकसित हो रहे हैं। 'अबुआ सरकार' की यह पहल समावेशी विकास का प्रतीक है, जो तकनीक और सेवा के संगम से ग्रामीण झारखंड की तस्वीर बदल रही है।

रांची की बेटी साक्षी जैन ने फोर्ब्स अंडर-30 एशिया लिस्ट में लहराया परचम, सोशल मीडिया पर सिखाती हैं पैसे बनाने के गुर

रांची: झारखंड की राजधानी रांची की एक प्रतिभाशाली बेटी, साक्षी जैन ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंटेंट क्रिएटर साक्षी को प्रतिष्ठित फोर्ब्स मैग्जीन की अंडर-30 एशिया सूची में शामिल किया गया है। यह उपलब्धि उन्हें सोशल मीडिया, मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग कैटेगरी 2025 के लिए मिली है, जिससे न केवल रांची बल्कि पूरे झारखंड में खुशी की लहर दौड़ गई है। अपर बाजार, रांची की निवासी साक्षी ने अपनी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया है।

एक चार्टर्ड अकाउंटेंट होकर भी साक्षी का मीडिया, मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। इंस्टाग्राम पर उनके 1.7 मिलियन फॉलोअर्स हैं, जबकि यूट्यूब पर उनके सब्सक्राइबर्स की संख्या 6.90 लाख है। प्रोफेशनल नेटवर्किंग साइट लिंक्डइन पर भी उनके 1.50 लाख फॉलोअर्स हैं। इन आंकड़ों से उनकी लोकप्रियता और उनके कंटेंट की पहुंच का अंदाजा लगाया जा सकता है।

साक्षी की प्रारंभिक शिक्षा रांची में ही हुई। उन्होंने नामकुम स्थित बिशप वेस्टकोट गर्ल्स स्कूल से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की और फिर डीपीएस रांची से बारहवीं की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद, उन्होंने 2021 में रांची के प्रतिष्ठित सेंट जेवियर्स कॉलेज से बीकॉम की डिग्री हासिल की। अपनी शैक्षणिक पृष्ठभूमि को मजबूत करने के बाद, साक्षी ने एक अलग राह चुनी, जिसने उन्हें आज इस प्रतिष्ठित मुकाम पर पहुंचाया है।

साक्षी जैन सोशल मीडिया के माध्यम से वित्तीय साक्षरता (Financial Literacy) पर विशेष रूप से काम कर रही हैं। सरल शब्दों में कहें तो वह आम लोगों को पैसे बनाने के तरीके सिखाती हैं। वह विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वीडियो बनाती हैं और यह जानकारी साझा करती हैं कि लोग बाजार में किस प्रकार निवेश करके अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। उनका मानना है कि सही जानकारी के अभाव में बहुत से लोग बाजार की संभावनाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं। यही कारण है कि उन्होंने इस क्षेत्र को चुना और लोगों को वित्तीय रूप से सशक्त बनाने का बीड़ा उठाया है।

फोर्ब्स अंडर-30 एशिया सूची में अपना नाम दर्ज होने से साक्षी बेहद उत्साहित हैं। उनका मानना है कि इस पहचान के बाद युवा पीढ़ी का उन पर विश्वास और भी बढ़ेगा। उन्हें उम्मीद है कि इसका लाभ न केवल उन्हें मिलेगा, बल्कि उन सभी लोगों को भी मिलेगा जो बाजार में अपने पैसे को बढ़ाना चाहते हैं। साक्षी का यह प्रयास निश्चित रूप से युवा पीढ़ी को वित्तीय मामलों में अधिक जागरूक और आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिद्ध होगा।

अपनी पेशेवर यात्रा के बारे में बात करते हुए साक्षी ने बताया कि चार्टर्ड अकाउंटेंट की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने बेंगलुरु स्थित एक बड़ी कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर काम करना शुरू किया था। हालांकि, इस नौकरी में उनका मन अधिक समय तक नहीं रमा और उन्होंने मात्र तीन महीने के भीतर ही कुछ अलग और अपना खुद का करने का निर्णय ले लिया। यह निर्णय उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जिसने उन्हें आज इस सफलता के शिखर पर पहुंचाया है।

साक्षी का यह सफर कई युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है, जो पारंपरिक करियर विकल्पों से हटकर अपनी पहचान बनाना चाहते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि यदि आपके पास जुनून और सही दिशा में प्रयास करने का जज्बा हो तो किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है। एक चार्टर्ड अकाउंटेंट होते हुए भी उन्होंने सोशल मीडिया की ताकत को पहचाना और इसका उपयोग लोगों को वित्तीय रूप से साक्षर बनाने के लिए किया। उनका यह अनूठा दृष्टिकोण उन्हें औरों से अलग बनाता है और उन्हें इस प्रतिष्ठित सूची में जगह दिलाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।

फोर्ब्स की इस सूची में शामिल होना साक्षी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन यह उनके काम का अंत नहीं है। वह भविष्य में भी वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने और अधिक से अधिक लोगों को पैसे बनाने के सही तरीके सिखाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका लक्ष्य है कि युवा पीढ़ी वित्तीय रूप से मजबूत हो और देश के विकास में अपना योगदान दे सके।

साक्षी जैन की इस सफलता पर उनके परिवार और रांची के लोगों में गर्व की लहर है। उनकी इस उपलब्धि ने झारखंड का नाम विश्व पटल पर रोशन किया है और यह साबित कर दिया है कि प्रतिभा किसी विशेष क्षेत्र या पृष्ठभूमि की मोहताज नहीं होती। यदि सही दिशा में प्रयास किया जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। साक्षी की कहानी उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी यात्रा यह सिखाती है कि लीक से हटकर भी सफलता की नई राहें बनाई जा सकती हैं।

यह गर्व की बात है कि रांची की एक बेटी ने अपनी मेहनत और समर्पण से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। साक्षी जैन की यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि यह झारखंड के युवाओं के लिए भी एक संदेश है कि वे भी अपनी प्रतिभा और क्षमता के बल पर किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते हैं। फोर्ब्स अंडर-30 एशिया सूची में साक्षी का नाम दर्ज होना निश्चित रूप से उन्हें और अधिक ऊंचाइयों तक ले जाएगा और वित्तीय साक्षरता के क्षेत्र में उनके प्रयासों को नई ऊर्जा प्रदान करेगा।