न्यायिक जीत के बाद भी भटक रहे सहायक शिक्षक, डिप्टी सीएम साव से लगाई गुहार, कहा – जल्द बहाल की जाए नियुक्ति
रायपुर- छत्तीसगढ़ में न्यायालय के आदेश की अवहेलना करना या कहे न्यायालय के आदेश को नजरअंदाज करना अब आम बात हो चुकी है. SI भर्ती परीक्षा, D.ed -B.ed भर्ती विवाद में पहले भी देखा गया है कि किस प्रकार कोर्ट के निर्देश का समय सीमा पर राज्य सरकार पालन करने से पीछे हटती आई है. ऐसा ही एक मामला है नगरीय प्रशासन द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति का, जिसमें सहायक शिक्षकों को अकारण नौकरी से निकाल दिया गया. अब न्यायिक जीत हासिल करने के बाद भी शिक्षक अपनी बहाली के लिए दर-दर भटक रहे हैं, क्योंकि सरकार कोर्ट का आदेश मानने में कोताही कर रही है.
दरअसल उपमुख्यमंत्री एवं नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव से मुलाकात करने प्रदेशभर के विभिन्न जिलों से सहायक शिक्षक पहुंचे थे. ये शिक्षक पूरे प्रक्रिया के तहत 2014 में निगम स्कूलों में नियुक्त किए गए थे, जिन्हें महज 50 दिन के अंदर बिना कारण निकाल दिया गया. हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से अपने पक्ष में फैसला होने के बाद भी ये आज बेरोजगार हैं. साव से मुलाकात कर सभी ने 15 अप्रैल 2025 में जो फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दिया है उसके अनुसार उनकी नियुक्ति करने की मांग की है.
सिलसिलेवार समझिए कब क्या हुआ
- 2 जून 2013 में नगरीय प्रशासन विभाग ने नगर निगम स्कूलों में सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 98 पदों पर विज्ञापन जारी किया.
- 43-46 चयनित लोगों का 15 अक्टूबर 2014 को नियुक्ति आदेश जारी किया गया.
- 45 दिन बाद 29/11/2014 को विभाग ने सभी 45 लोगों के सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया.
- याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई, जिसमें सिंगल बेच आदेश ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं के पक्ष में 16/04/2019 को नियुक्ति का आदेश जारी किया.
- राज्य सरकार ने फिर हाइकोर्ट की डबल बेंच में याचिका दायर की. 2/03/2022 को सुनवाई में फिर से नियुक्ति का कोर्ट ने निर्देश दिया.
- हाई कोर्ट के फैसले से असंतुष्ट राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई, जिसमें 15/04/2025 को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी नियुक्त शिक्षकों को नौकरी में बहाल किया जाना चाहिए.
रमन सिंह, भूपेश बघेल के बाद साय सरकार में भी नहीं मिल रहा न्याय
दरअसल जब विज्ञापन जारी किया गया था तब नगर निगम, पालिका और पंचायतों के स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति नगरीय प्रशासन विभाग के अंतर्गत होती थी, लेकिन साल 2019 में नियमों में बदलाव हुए. सभी स्कूल शिक्षा विभाग को हैंडओवर हो गए. कोर्ट में लगी याचिका निगम प्रशासन द्वारा निकाले गये विज्ञापन के तहत चयनित शिक्षकों की नौकरी से हटाने के ख़िलाफ़ था. अब इन दो विभागों के बीच 45 शिक्षक कुछ इस तरह फंसे हुए हैं, जो कोर्ट का आदेश भी निकालने में असमर्थ नजर आता है. बीजेपी की रमन सरकार, भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार के बाद अब बीजेपी की साय सरकार में भी इन शिक्षकों को न्याय मिलता नजर नहीं आ रहा है. एक उम्मीद के साथ प्रदेश के धमतरी, बलौदाबाज़ार और गरियाबंद सहित कई ज़िलों से उपमुख्यमंत्री अरुण साव के पास ये सहायक शिक्षक ज्ञापन लेकर पहुंचे, जहां उन्होंने अनुरोध किया कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार उनकी नियुक्ति बहाल की जाए.
न्यायिक लड़ाई लड़ने के बाद भी हमारे अधिकार से वंचित किया
उपमुख्यमंत्री अरुण साव से मिलने पहुंचे गवेन्द्र कुमार साहू ने बताया, 2013 में 98 पोस्ट निकले गए थे, जिसमें 43-45 लोंगों का चयन हुआ, लेकिन बिना कारण और नोटिस दिए हमें निकाल दिया गया. इतने लंबे समय से न्यायिक लड़ाई लड़ने के बाद भी हमें हमारे अधिकार से वंचित किया जा रहा है इसलिए कोर्ट के आदेशानुसार हमें जल्दी से जल्दी नियुक्ति देने की मांग लेकर सरकार से कर रहे हैं.
May 15 2025, 13:24
इन सभी पर आरोप है कि वे अहेरी स्थित कल्याण कॉलेज के पास एक किराए के मकान में पिछले कई महीनों से सेक्स रैकेट चला रहे थे.
ग्रामीणों को था कई महीनों से शक
बता दें, कल्याण कॉलेज के पास स्थित एक मकान में बीते कुछ महीनों से लगातार अनजान लोगों का आना-जाना लगा हुआ था. इससे ग्रामीणों को शक हुआ कि वहां कोई अवैध गतिविधि चल रही है. जब स्थिति असहज लगने लगी तो ग्रामीणों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी और कार्रवाई की मांग की.
न्यायालय में किया पेश
पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ BNS की धारा 170/126, 135(3) के तहत मामला दर्ज किया है. आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय भिलाई-03 में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
ग्रामीणों ने की कड़ी सजा की मांग
घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखने को मिला. उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे अवैध कृत्य गांव के माहौल को खराब कर रहे हैं. ग्रामीणों ने आरोपियों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.
फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस गिरोह में और कौन-कौन लोग शामिल हो सकते हैं.