*अब तक शुरू नहीं हुई नाली की सफाई* *जून के दूसरे सप्ताह में प्री मानसून की दस्तक,नाला साफ न होने से डूबेंगे मोहल्ले*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। हर साल माॅनसून सत्र में जल जमाव होने से निकाय प्रशासन के दावे की पोल खुल जाती है। इसके बाद भी अधिकांश नगर निकायों में प्री मानसून के पहले नालियों की सफाई दुरूस्त नहीं कराई जा सकी है। जून के दूसरे सप्ताह में प्री मॉनसून दस्तक देता है। अब तक निकाय प्रशासन की तैयारी कागजों पर है। सुरियावां, गोपीगंज, नई बाजार, घोसिया जैसी नगर निकायों में अब तक नाले की सफाई कार्य शुरु नहीं किए गए हैं। जिले में दो नगर पालिका गोपीगंज, भदोही है। इसके अलावा पांच नगर पंचायत ज्ञानपुर, नई बाजार, सुरियावां, घोसिया, खमरिया है। निकायों में करीब तीन से साढ़े लाख की आबादी है। निकायों में सफाई के साथ अन्य समस्याओं के समाधान की जिम्मेदारी निकाय प्रशासन की होती है। बारिश में हर साल निकायों के कई मोहल्लों में जलजमाव की समस्या देखने को मिलती है। नालियों की सफाई न होने से यह समस्या और भी विकराल हो जाती है। ऐसे में हर साल प्री-मानसून के पहले ही नालियों की सफाई के इंतजाम किए जाते हैं। इस साल निकायों की तैयारी कहां तक पहुंची है। इसकी हकीकत जानने के लिए अमर उजाला ने सातों निकायों की पड़ताल की। भदोही नगर पालिका में बारिश में जलभराव से बचने के लिए पालिका ने नाली, नालों की साफ सफाई शुरू करा दी है। इसके लिए जेसीबी मशीन से औराई रोड, चौरी रोड, ज्ञानपुर रोड पर सफाई शुरू है। 10 जून तक नालों को साफ करने की समय सीमा तय है। बारिश में भदोही नगर के स्टेशन रोड, तकिया कल्लन शाह, अहमदगंज गजिया में प्रमुख रूप से पानी भर जाता है। स्टेशन रोड पर पानी लगने से चलन दूश्वार रहता है। ईओ धर्मराज सिंह ने बताया कि प्री मानसून के एक सप्ताह पहले ही तैयारी पूर्ण होगी। इसी तरह खमरिया और ज्ञानपुर में नालियों के सफाई का कार्य शुरू हो चुका है। खमरिया नगर पंचायत के दक्षिणी छोर पर 10 से 15 फीट जमीन नीचे हैं, जो की मिर्जापुर जिले में पड़ता है। बरसात का पानी निकल जाता है। ज्ञानपुर ईओ राजेंद्र दूबे ने बताया कि दुर्गागंज त्रिमुहानी, मिश्रा गली, बालीपुर आदि स्थानों पर नाली सफाई कार्य हो चुका है। शीतल पाल तिराहा, पुरानी कलेक्ट्रेट से होते हुये बालीपुर तक नाली निर्माण कराया जा रहा है। *डूबेगी घोसिया, नहीं है जल निकासी की व्यवस्था* माॅनसून को लेकर घोसिया नगर पंचायत में कुछ खास तैयारी नहीं है। यहां पानी निकासी की व्यवस्था ही नहीं है। हाईवे से सिन्हा रोड जाने वाली सड़क बारहों महीने पानी में डूबी रहती है। यह सड़क बारिश के दिनों में झील में तब्दील हो जाती है। ईओ अनूप कुमार ने बताया कि सिंनहा रोड की सड़क ज्यादा नीचे हैं। टेंडर करके जल निकासी की व्यवस्था की जाएगी। प्री मानसून को लेकर तैयारी चल रही है। यही हाल सुरियावां का है। जहां गल्ला मंडी, नेहरु नगर, पुरानी बाजार, कुंडेपुर आदि स्थानों पर पानी लगता है। प्री मानूसन को लेकर यहां कोई तैयारी नहीं है। ईओ सुजीत कुमार ने बताया कि प्री मॉनसून से पहले तैयारी पूर्ण होगी। यहीं हाल गोपीगंज नगर पालिका का है। नगर में मिर्जापुर रोड, सिनेमा हॉल तिराहा से लेकर खर हट्टी मोहाल के अलावा बड़े शिव मार्ग पर जलजमाव की समस्या होती है। अब तक नालियों की सफाई शुरू नहीं है। ईओ सुजीत कुमार ने दावा किया कि नगर में कहीं भी नाली जाम की समस्या नहीं है। प्री मानसून के एक सप्ताह पहले ही तैयारी पूर्ण होगी। इसी तरह खमरिया और ज्ञानपुर में नालियों के सफाई का कार्य शुरू हो चुका है। खमरिया नगर पंचायत के दक्षिणी छोर पर 10 से 15 फीट जमीन नीचे है, जो की मिर्जापुर जिले में पड़ता है। इओ धर्मराज सिंह

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जिले में हरियाली का ग्राफ बढ़ाने के लिए अब किसानों को प्रति पेड़ 400 से 450 रुपये दिए जाएंगे। कार्बन क्रेडिट योजना के तहत किसानों को जोड़कर रोपित पौधों का संरक्षण किया जाएगा। योजना के तहत किसान एक पौधे रोपित कर उसे पांच सालों तक सहेजना होगा। इसके बाद पौधों का सत्यापन होगा। पांच साल बाद हर साल किसानों को पांच डॉलर यानी लगभग 400 से 450 रुपये मिलेंगे। जिले में हर साल 10 से 12 लाख पौधों का रोपण किया जाता है, लेकिन देखरेख के अभाव में हर साल केवल 10 से 12 फीसदी पौधे ही बच पाते हैं। इससे पौधरोपण का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता है। बढ़ते कांक्रीट के जंगलों के कारण पर्यावरण भी प्रभावित हो रहा है। वहीं गर्मी का असर भी बढ़ने लगा है। ऐसे पौधों को सहेजने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। किसान पांच साल तक पौधों को सहेज कर प्रति पेड़ 400 से 450 रुपये कमा सकते हैं। कार्बन क्रेडिट योजना के तहत किसानों को जोड़ा जाएगा। इसके बाद किसानों के रोपित किए पौधों की संख्या समेत अन्य आंकड़े वन विभाग रख लेगा। पांच साल बाद विभाग पेड़ों का सत्यापन करेगा। यदि पेड़ जीवित अवस्था में मिले तो उन्हें इस योजना का लाभ दिया जाएगा। सत्यापन के दौरान टीम यह भी देखेगी कि कौन सा पेड़ किसान कार्बन अवशोषित कर रहा है। उसी के अनुसार किसानों को प्रति पेड़ चार से पांच डॉलर हर साल दिए जाएंगे। किसानों ने अगर 50 पेड़ रोपित कर उसे पांच साल तक सहेज लिया तो उसे 20 से 25 हजार रुपये महीना मिल सकेगा। किसानों को सागौन, यूकेलिप्टस, शीशम, नीम के पेड़ लगाने होंगे। वैज्ञानिक फार्मूले से पेड़ों के कार्बन अवशोषित करने की जांच होगी।
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
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May 11 2025, 18:26
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