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वक्फ मालमे में आज भी नहीं आया फैसला, अगली तारीख 15 मई तय, नए सीजेआई करेंगे सुनवाई

#waqflawhearing

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 15 मई तक के लिए स्थगित कर दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई नए न्यायमूर्ति बीआर गवई के समक्ष निर्धारित की है। बीआर गवई देश के अगले मुख्य न्यायधीश होंगे। ऐसे में याचिका अब उनके सामने ही रखी जाएगी। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि इस मामले में विस्तार से सुनवाई की जरूरत है। अब अगले चीफ जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई के सामने मामला लगेगा।

वक्फ संशोधन कानून पर देश के मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ इस मामले को सुन रही है। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ जैसे ही सुनवाई के लिए बैठी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अगले हफ्ते तक सुनवाई टालने के लिए पीठ से आग्रह किया। पीठ उनकी मांग पर राजी हो गई।

केंद्र के हलफनामे पर क्या बोले सीजेआई?

आज की सुनवाई के दौरान देश के मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना ने कहा कि वह हलफनामे में बहुत गहराई में नहीं गए, लेकिन उसमें वक्फ बाय यूजर के रजिस्ट्रेशन को लेकर कुछ पॉइंट उठाए गए हैं और कुछ विवादित आंकड़े भी दिए गए हैं, जिन पर विचार करने की जरूरत है कि कुछ ऐसे पहलू हैं, जिनसे आप (केंद्र) निपट चुके हैं, लेकिन उस पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। अदालत ने कहा कि रजिस्ट्रेशन और कुछ आंकड़ों के आधार पर मुद्दे उठाए गए हैं, जिन पर याचिकाकर्ताओं ने सवाल उठाया है। अदालत ने कहा कि चूंकि सीजेआई खन्ना के रिटायरमेंट के दिन नजदीक हैं, वो अंतिम चरण में भी कोई निर्णय या आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहते। ऐसे में, अब इस मामले को अगले गुरूवार को देश के सीजेआई होने जा रहे जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ सुनेगी।

केस दूसरी पीठ के समक्ष रखा

बता दें कि सीजेआई संजीव खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और इसी को देखते हुए उन्होंने कहा कि वे कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने ये केस दूसरी पीठ के समक्ष रखा है। पिछली सुनवाई 17 अप्रैल को हुई थी, जिसमें कोर्ट ने सरकार से कहा था कि पहले से पंजीकृत या अधिसूचना के माध्यम से घोषित वक्फ संपत्तियों, जिनमें वक्फ बाय यूजर भी शामिल है, को अगली सुनवाई की तारीख तक न तो छेड़ा जाएगा और न ही गैर अधिसूचित किया जाएगा, साथ ही वक्फ बोर्ड में कोई नई नियुक्ति न हो।

वक्फ कानून के बारे में

वक्फ संपत्तियों को रेगुलेट और मैनेज करने के लिए सरकार ने 1995 के वक्फ कानून में कुछ संशोधन किया था। जिसको धार्मिक और मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में विपक्षी पार्टियों और मुस्लिम संगठनों ने याचिका दायर किया है। इस कानून को लोकसभा से तीन अप्रैल को जबकि राज्यसभा से चार अप्रैल को पारित कराया गया। 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की सहमति मिल जाने के बाद संशोधन लागू हो गया। इसके बाद कई राजनीतिक दल जैसे डीएमके, वाईएसआरसीपी, एआईएमआईएम, वामपंथी दल समेत कई एनजीओ, मुस्लिम निकाय और अन्य ने अधिनियम की वैधता को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ रूस, पुतिन ने पीएम मोदी से की फोन पर बात

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भारत के सबसे करीबी दोस्त रूस ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के समर्थन का ऐलान किया है। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को फोन किया। पुतिन ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का साथ देने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की और हमले में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की। इससे पहले भी पुतिन ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी को संदेश भेजकर संवेदना व्यक्त की थी।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने यह जानकारी दी। रणधीर जायसवाल ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी को फोन किया। उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने निर्दोष लोगों की जान जाने पर गहरा दुख जताया। पुतिन ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को पूरा समर्थन देने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस घिनौने हमले के अपराधियों और उनके समर्थकों को न्याय के कटघरे में लाना ही होगा।

प्रधानमंत्री ने विजय दिवस की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर राष्ट्रपति पुतिन को शुभकामनाएं दीं और उन्हें इस वर्ष के अंत में भारत में आयोजित होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया। पुतिन का यह फोन ऐसे समय में आया है जब भारत में आतंकी हमले की वजह से तनाव है। रूस ने हमेशा भारत का साथ दिया है। इस मुश्किल घड़ी में पुतिन का समर्थन भारत के लिए बहुत मायने रखता है।

इससे पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने रविवार को भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर चिंता जताई थी। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी जारी है। इस बीच रूसी विदेश मंत्री ने दोनों देशों से संयम बरतने और किसी भी तरह की बढ़त को रोकने की अपील की थी।

कराची पहुंचा तुर्की का युद्धपोत, पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के लिए उमड़ रहा “प्यार”

#turkeysentwarshiptohelp_pakistan

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जंग के से हालात पैदा हो गए हैं। पाक को दिन रात भारत की तरफ से जवाबी कार्रवाई का डर सता रहा है। इस बीच बीच तुर्की का प्रेम पाकिस्तान के लिए उमड़ रहा है। पाकिस्तान की एक अपील पर तुर्की का नौसैनिक जहाज टीसीजी बुयुकाडा कराची पहुंच गया है। हालांकि तुर्की इसे भारत के साथ तनाव के बीच उठाया गया कदम नहीं बता रहा है, लेकिन पाकिस्तान ऐसे ही संदेश दे रहा है।

पाकिस्तानी ने बताया- तुर्की ने क्यों भेजा युद्धपोत?

पाकिस्तानी नौसेना के आधिकारिक बयान में टीसीजी बुयुकाडा की यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग को मजबूत करना है। भले ही पाकिस्तान की तरफ से दोनों देशों की सहयोग की बात की जा रही है, लेकिन जाहिर तौर पर वो भारत को संदेश देना चाहता है कि तुर्की उसके साथ है। और तुर्की भी ऐसा ही करने की कोशिश कर रहा है।।

तुर्की कोई साजिश तो नहीं रच रहा?

तुर्की का युद्धपोत टीसीजी बुयुकडा ऐसे समय में कराची पहुंचा, जब पहलगाम हमले को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी है। पिछले हफ्ते वायुसेना के उच्च अधिकारियों को भेजने के बाद अब तुर्की ने पाकिस्तान में अपने युद्धपोत को भेजा है। अंकारा से तुर्की वायुसेना के सी-130 विमान के कराची में उतरने के कुछ दिनों बाद, तुर्की नौसेना का एक युद्धपोत रविवार को कराची बंदरगाह पर पहुंचा। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक जहाज का आना तुर्की के राजदूत डॉ. इरफान नेजीरोग्लू द्वारा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात कर ‘पाकिस्तान के साथ अंकारा की एकजुटता’ व्यक्त करने के एक दिन बाद हुआ है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि तुर्की कोई साजिश तो नहीं रच रहा है। इससे पहले तुर्की ने पाकिस्तान की अगोस्टा 90B कैटेगरी की पनडुब्बियों को अपडेट करने में भी सहायता किया और ड्रोन समेत सैन्य उपकरण दिए।

क्या है तुर्की के युद्धपोत की खासियत?

टीसीजी बुयुकाडा तुर्की नौसेना का पनडुब्बी रोधी युद्ध कोरवेट की एडा-क्लास सिरीज का दूसरा जहाज है। इसे 2013 में कमीशन किया गया था। इन जहाजों को सतही युद्ध, पनडुब्बी रोधी अभियानों और गश्ती मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है। जहाज एडवांस रडार सिस्टम, 76 मिमी नौसैनिक बंदूक, जहाज एंटी मिसाइलों और टारपीडो लांचर से सुसज्जित है। इसमें समुद्री विमानन संचालन का समर्थन करने के लिए एक हेलीकॉप्टर लैंडिंग पैड और हैंगर भी है। यह कार्वेट खुले समुद्र में काम कर सकता है और इसकी रेंज विस्तारित क्षेत्रीय मिशनों के लिए काफी है।

पहलगाम अटैक के बाद भारत-पाक में बढ़ा तनाव

भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के गुनहगारों को सजा देने की कसम खा रखी है और आशंका है कि भारत, पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू कर सकता है। भारत सरकार ने सेना को फ्री हैंड दे दिया है और तय सेना को करना है कि पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई के लिए उसकी स्ट्रैटजी क्या होगी। तब तक के लिए भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता सस्पेंड करते हुए पाकिस्तानी जहाजों को भारतीय बंदरगाहों में प्रवेश करने से रोक दिया, पाकिस्तानी एयरलाइंस के भारतीय एयरस्पेस में दाखिल होने पर पाबंदी लगा दी गई है। पाकिस्तान ने भी ऐसा ही किया है।

कनाडा में अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे खालिस्तानी, निकाली हिंदू विरोधी परेड, भारतीयों को वापस भेजने की मांग

#khalistanisheldantihinduparadeincanada

कनाडा में जस्टिन ट्रूडो के सत्ता से हटने के बाद मार्क कार्नी प्रधानमंत्री बने थे। तब उम्मीद जताई जा रही थी कि वह खालिस्तानियों पर लगाम लगाएंगे और भारत के साथ रिश्ते अच्छे होंगे। हालांकि, ऐसा होता तो नहीं दिख रहा है। रविवार को एक बार फिर कनाडा में खालिस्तानियों ने हिंदू-विरोधी रैली निकाली।कनाडा के टोरंटो में माल्टन गुरुद्वारे से यह रैली निकाली। इस रैली में कई खालिस्तान समर्थकों ने हिस्सा लिया। इस रैली के वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं।

कनाडा के एक पत्रकार डेनियल बोर्डमैन ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया है। इस वीडियो में खालिस्तानी कट्टरपंथी टोरंटो के एक गुरुद्वारे में हिंदू विरोधी परेड निकालते दिखाई दे रहे हैं। इस दौरान खालिस्तानियों ने कनाडा से सभी हिंदुओं को निर्वासित करने की मांग भी की।

कनाडाई पत्रकार डैनियल बोर्डमैन ने रविवार को कहा कि जिहादी हमारे सड़कों पर उत्पात मचा रहे हैं, यहूदी समुदाय को धमका रहे हैं और सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रहे हैं, लेकिन खालिस्तानी समाज के लिए सबसे खतरनाक खतरा बन गए हैं। क्या कार्नी का कनाडा ट्रूडो से अलग होगा? उन्होंने शॉन बिंडा नामक एक एक्स यूजर के पोस्ट पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें कहा गया था कि खालिस्तानी आतंकवादी समूह ने ‘हिंदू विरोधी नफरत’ के कारण यह विरोध प्रदर्शन किया।

नई सरकार के बाद भी हालात जस के तस

यह हिंदू विरोधी परेड टोरंटो के माल्टन गुरुद्वारे में निकाली गई। यह परेड ऐसे समय निकाली गई, जब हाल ही में कनाडा में चुनाव हुए हैं। कनाडा में चुनाव के बाद एक बार फिर लिबरल पार्टी को जीत हासिल हुई है और मार्क कार्नी ने सत्ता संभाली है। हालांकि, इस बार के चुनाव में देश में प्रमुख सिख नेता और खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह की करारी हार हुई और साथ ही उनकी पार्टी ने भी काफी खराब प्रदर्शन किया। चुनाव के नतीजों को देखने के बाद लगा कि अब देश में खालिस्तानी गतिविधियों को भी झटका लगेगा। लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं।

कनाडा में रह रहे हिंदुओं के खिलाफ रैली

कनाडा में चुनाव के तुरंत बाद फिर खालिस्तान समर्थकों ने हिंदुओं के खिलाफ जहर उगला। इस विरोध परेड का वीडियो सामने आया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर के पिंजरे में बंद पुतले भी दिखाए गए। इस रैली में खालिस्तानियों ने कनाडा में रह रहे करीब 8 लाख हिंदुओं को देश से निकालने की मांग की। यह रैली भारत सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि कनाडा में रह रहे हिंदुओं के खिलाफ निकाली गई।

क्या कार्नी खालिस्तानियों के खिलाफ लेंगे एक्शन?

कनाडा में जब जस्टिन ट्रूडो की सरकार थी, तब खालिस्तानियों को काफी संरक्षण मिला। इससे पहले कनाडा में कई मदिरों को क्षतिग्रस्त करने और मंदिर की दीवारों पर खालिस्तानी नारे लिखने की कई घटनाएं सामने आई हैं। हालांकि अभी तक इन घटनाओं के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। अब मार्क कार्नी देश के पीएम हैं। ऐसे में उनकी सरकार कनाडा में खालिस्तानियों के खिलाफ कोई एक्शन लेंगे या नहीं, यह देखना होगा।

कराची और लाहौर में बनाएंगे अगला गुरुकुल', योग गुरु बाबा रामदेव का बयान

#baba_ramdev_claims_next_gurukul_will_be_in_karachi_and_lahore

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के हालात बने हुए हैं। आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को भारत की तरफ से हमले का डर सता रहा है। इसके बीच योग गुरु बाबा रामदेव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में रामदेव ने पाकिस्तान को असफल राष्ट्र बताते हुए निशाना साधा है। योग गुरु बाबा रामदेव ने पाकिस्तान की ताकत को लेकर कहा कि पाकिस्तान में इतनी ताकत भी नहीं है कि वो भारत के सामने युद्ध में 4 दिन भी खड़ा हो जाए। यही नहीं, रामदेव ने कहा है कि वह अगला गुरुकुल लाहौर और कराची में बनाएंगे।

बाबा रामदेव से दोनों देशों के मौजूदा हालातों पर सवाल किया गया था, जिस पर उन्होंने कहा, पाकिस्तान तो नापाक देश वैसे ही है, वो खुद ही टूटने जा रहा है। उधर, पख्तून उसको तोड़ने में लगे हैं। बलूचिस्तान के लोग अपनी आजादी की मांग कर रहे हैं। पीओके में हालात और खराब हैं तो वो भारत से लड़ने का सामर्थ्य कहां रखता है। रामदेव ने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ चान दिन भी खड़ा नहीं हो सकता है।

बाबा रामदेव ने आगे कहा, मुझे तो लगता है कि हमें अगला गुरुकुल, कराची और लाहौर में बनाना पड़ेगा और वहीं से हमारे गुरुकुल की संस्कृति प्रारंभ हुई थी। वहीं, से ये अभियान अब वापस चलेगा तो तीन गुरुकुल पूजीय आचार्य जी यहां बनाएंगे और हम अगला गुरुकुल कराची और लाहौर में बनाएंगे।

अब गैर-अमेरिकी फिल्मों पर चला ट्रंप का “चाबुक”, लगाया 100 प्रतिशत टैरिफ

#donaldtrumpannounces100tariffformoviesproducedoutside

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी टैरिफ को लेकर दुनियाभर में हाहाकार मचा है। तमाम देश ट्रंप के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका से बाहर बनने वाली फिल्मों पर 100% का टैरिफ लगाने का ऐलान किया है।उन्होंने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका में फिल्म इंडस्ट्री तेजी से खत्म हो रही है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया और कहा कि हम फिर से अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने यह जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर दी। अपने पोस्ट में, उन्होंने दावा किया कि उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि को इस तरह के टैरिफ को तुरंत शुरू करने के लिए अधिकृत किया है। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पोस्ट में कहा, यह अन्य देशों द्वारा एक ठोस प्रयास है और इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। बाकी सब चीज़ों के अलावा, यह मैसेंजिंग और प्रोपेगेंडा भी है!

अमेरिका में फिल्म इंडस्ट्री बहुत तेजी से मर रही-ट्रंप

ट्रंप ने लिखा अमेरिका में फिल्म इंडस्ट्री बहुत तेजी से मर रही है। अन्य देश हमारे फिल्म प्रोड्यूसर्स और स्टूडियो को अमेरिका से दूर खींचने के लिए हर तरह का प्रोत्साहन दे रहे हैं। हॉलीवुड और यूएसए के कई अन्य क्षेत्र तबाह हो रहे हैं। यह अन्य राष्ट्रों का एक ठोस प्रयास है और इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। यह, बाकी सब चीजों के अलावा, मैसेंजिंग और प्रोपेगैंडा है! इसलिए, मैं डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स और अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि को हमारे देश में आने वाली किसी भी और विदेशी भूमि में निर्मित सभी फिल्मों पर 100% टैरिफ लगाने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने के लिए अधिकृत कर रहा हूं। हम दोबारा अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं!

हम फिर से अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं-ट्रंप

ट्रंप ने अपनी पोस्ट में आगे 100 प्रतिशत टैरिफ का जिक्र किया। उन्होंने लिखा, मैं वाणिज्य विभाग और संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि को तुरंत हमारे देश में आने वाली सभी फिल्मों पर 100% टैरिफ लगाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अधिकृत कर रहा हूं, जो विदेशी भूमि में बनाई गई हैं। हम फिर से अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं!

ट्रंप ने दो अप्रैल को लगाया था जवाबी टैरिफ

बता दें कि ट्रंप ने इससे पहले 2 अप्रैल को भारत और चीन सहित दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाया था, जिसके बाद से दुनिया भर की स्टॉक मार्केट पर भी इसका असर देखने को मिला था। हालांकि, इसके बाद नौ अप्रैल को ट्रंप चीन और हॉन्गकॉन्ग को छोड़कर नौ जुलाई तक टैरिफ को 90 दिनों के लिए निलंबित करने की घोषणा की थी। क्योंकि लगभग 75 देशों ने व्यापार सौदों के लिए अमेरिका से संपर्क किया था। हालांकि इन देशों पर लगाया गया 10 प्रतिशत का बेसलाइन टैरिफ अभी भी प्रभावी है। इसके अलावा स्टील, एल्युमीनियम और ऑटो कलपुर्जों पर 25 प्रतिशत शुल्क भी लागू है। ट्रंप के टैरिफ से सबसे ज्यादा चीन प्रभावित हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट में नए वक्फ कानून पर आज सुनवाई, सांविधानिक वैधता मामले में हो सकता है फैसला

#waqfamendmentactsupremecourt_hearing

सुप्रीम कोर्ट आज वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। पिछली सुनवाई में अदालत ने कानून के दो मुख्य पहलुओं पर रोक लगा दी थी। पिछली सुनवाई में अदालत ने कानून के दो मुख्य पहलुओं पर रोक लगा दी थी। 17 अप्रैल को सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार व जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ को केंद्र की ओर से आश्वासन दिया गया था कि वह 5 मई तक न तो वक्फ बाय यूजर समेत वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करेगा, न ही केंद्रीय वक्फ परिषद व बोर्डों में कोई नियुक्ति करेगा।

याचिकाओं पर हो सकती है अंतिम सुनवाई

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच इस मामले की अंतिम सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट आज यह तय करेगा कि वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोई अंतरिम आदेश जारी किया जाए या नहीं। सीजेआई संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर होने वाले हैं, इसलिए उनके पास समय कम है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार की ओर से कई वकीलों को सुनना होगा।

वक्फ संपत्तियों में 20 लाख एकड़ से ज्यादा के इजाफा का दावा

केंद्र सरकार ने याचिकाओं के जवाब में 1,300 पेज का हलफनामा दाखिल किया है। केंद्र ने 25 अप्रैल को दायर हलफनामे में कहा कि कानून पूरी तरह संवैधानिक है। यह संसद से पास हुआ है, इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। हलफनामे में सरकार ने दावा किया 2013 के बाद से वक्फ संपत्तियों में 20 लाख एकड़ से ज्यादा का इजाफा हुआ। इस वजह से कई बार निजी और सरकारी जमीनों पर विवाद हुआ। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सरकार के आंकड़ों को गलत बताया और कोर्ट से झूठा हलफनामा देने वाले वाले अधिकारी पर कार्रवाई की मांग की।

नए कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 70 से ज्यादा याचिकाएं दायर

बता दें कि पांच अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद केंद्र ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को पिछले महीने अधिसूचित किया था। वक्फ (संशोधन) विधेयक को लोकसभा ने 288 सदस्यों के समर्थन से पारित किया, जबकि 232 सांसद इसके खिलाफ थे। राज्यसभा में इसके पक्ष में 128 और इसके खिलाफ 95 सदस्यों ने मतदान किया। वहीं, इसके पास होने के बाद कई राजनीतिक दलों और मुस्लिम संगठनों ने अधिनियम की वैधता को शीर्ष अदालत में चुनौती दिया था। नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 70 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई हैं, लेकिन कोर्ट सिर्फ पांच मुख्य याचिकाओं पर ही सुनवाई करेगा। याचिकाओं के इस समूह में एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दायर एक याचिका भी शामिल है।

अगर सिंधु नदी का पानी रोका तो हम हमला कर देंगे” पाकिस्तानी रक्षा मंत्री की भारत को गीदड़भभकी

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जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत सरकार की ओर से पाकिस्तान से सिंधु जल संधि, आयात-निर्यात और किसी भी तरह के पब्लिक इंगेजमेंट पर पाबंदी लगाई गई है। वहीं, इससे पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और बार-बार गीदड़भभकी दे रहा है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ ने भारत को चेतावनी दी है कि अगर उसने 'पाकिस्तान के पानी को रोकने या उसकी दिशा बदलने के लिए कोई ढांचा या निर्माण किया तो पाकिस्तान हमला करेगा और इसे नष्ट कर दिया जाएगा।

पानी रोकने को युद्ध की कार्रवाई बताया

जियो न्यूज से बात करते हुए आसिफ ने कहा, अगर भारत किसी तरह का ढांचा (बांध) बनाने की कोशिश करता है तो हम बिल्कुल उस पर हमला करेंगे। ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि अगर भारत सिंधु नदी पर किसी तरह का बांध बनाकर पानी रोकने की कोशिश की यह पाकिस्तान पर सीधा हमला माना जाएगा। सिंधु नदी पर बांध का निर्माण दोनों देशों के बीच जल समझौते का उल्लंघन होगा। भारत अगर ऐसा कुछ करता है तो पाकिस्तान चुप नहीं बैठेगा और उसपर हमला कर देगा।

सिंधु जल संधि का उल्लंघन करना आसान नहीं-आसिफ

आसिफ ने कहा कि सिंधु जल संधि का उल्लंघन करना आसान नहीं है, यह पाकिस्तान के ख़िलाफ जंग की घोषणा होगी। कोई हमला सिर्फ तोप के गोले या बंदूक चलाने तक ही सीमित नहीं है, इसके कई रूप हैं, जिनमें से एक यह भी है। इससे देश के लोग भूख या प्यास से मर सकते हैं।

भारत कर रहा है नाटक- आसिफ

आसिफ ने भारत पर लगातार उन्हें उकसाने का आरोप लगाते हुए कहा कि भारत नाटक कर रहा है और पहलगाम आतंकी हमले के मामले में पाकिस्तान पर झूठे इल्ज़ाम लगा रहा है। आसिफ ने कहा कि भारत ने अभी तक इस बात के ठोस सबूत पेश नहीं किए हैं कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ था।

बिलावलने खून बहाने की कही थी बात

इससे पहले सिंधु जल समझौते पर पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सुक्खर में आयोजित एक रैली में कहा था कि या तो सिंधु नदी से हमारा पानी बहेगा या उनका ख़ून बहेगा। उनके बयान पर भारत के केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल समेत कई बड़े नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

भारत-पाकिस्तान के बीच इन चीजों का होता है इम्पोर्ट, आयात-निर्यात बंद होने से दोनों देशों पर क्या पड़ेगा असर?

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफा अधिक बढ़ गया है। भारत ने पाकिस्तान पर बड़ा एक्शन लेते हुए पाकिस्तान से आने वाले या पाकिस्तान को जाने वाले सभी सामानों पर तुरंत रोक लगा दी है। यह रोक सीधे तौर पर या किसी और तरीके से आने-जाने वाले सभी सामानों पर लागू होगी। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग बंद हो गया है।

हर साल हजारों करोड़ का सामान करते हैं एक्सपोर्ट

बीच व्यापार बहुत ज्यादा नहीं है। दोनों देशों के बीच व्यापार में भारत पाकिस्तान को एक्सपोर्ट ज्यादा करता है। हम पाकिस्तान को हर साल हजारों करोड़ रुपये का सामान भेजते हैं। हालांकि, हम पाकिस्तान से बहुत कम सामान खरीदते हैं। 2019 के पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से सामान खरीदना काफी कम कर दिया है। इस तरह पाकिस्तान से आयात नहीं के बराबर है। उधर भारत का पाकिस्तान को एक्सपोर्ट साल 2020 के मुकाबले साल 2024 तक 300 फीसदी बढ़ गया।

ऐसे में जानते हैं पाकिस्तान से भारत क्या-क्या सामान आता था?

भारत पाकिस्तान से क्या आयात करता है?

पाकिस्तान से भारत में आयात होने वाली वस्तुओं की मात्रा पहले की तुलना में काफी कम हो गई है, लेकिन कुछ खास सामान अभी भी भारतीय बाजारों में अपनी जगह बनाए हुए हैं।

सेंधा नमक: व्रत में इस्तेमाल होने वाला सेंधा नमक भारत में बड़े पैमाने पर पाकिस्तान से आयात होता है। पाकिस्तान में रॉक सॉल्ट की प्रचुरता इसे इसका बड़ा निर्यातक बनाती है।

ड्राई फ्रूट्स और फल: भारत पाकिस्तान से ताजे फल जैसे आम, केला, संतरा, और ड्राई फ्रूट्स आयात करता है। 2017 में भारत ने लगभग 90 मिलियन डॉलर के फल पाकिस्तान से खरीदे थे।

चमड़ा और कपड़ा: पाकिस्तान से चमड़े के सामान और कॉटन का आयात होता है। लाहौर के कुर्ते और पेशावरी चप्पलें भी भारतीय बाजारों में लोकप्रिय हैं।

सीमेंट और निर्माण सामग्री: बिनानी सीमेंट, जिसका उत्पादन पाकिस्तान में होता है, भारत में बिकता है। इसके अलावा, चूना, पत्थर, और गंधक भी आयात किए जाते हैं।

सौंदर्य प्रसाधन और अन्य सामान: मुल्तानी मिट्टी, जो सौंदर्य प्रसाधनों में इस्तेमाल होती है, और चश्मों के ऑप्टिकल्स भी पाकिस्तान से आते हैं।

धातु और रसायन: तांबा, स्टील, गैर-कार्बनिक रसायन, और मेटल कंपाउंड भी पाकिस्तान से आयात होते हैं।

2019 के बाद भारत ने पाकिस्तानी उत्पादों पर 200% टैरिफ लगा दिया, जिससे आयात में भारी कमी आई है। 2022 में पाकिस्तान से भारत का कुल निर्यात केवल 18.1 मिलियन डॉलर था।

पाकिस्तान क्या भेजता है भारत?

भारत पाकिस्तान से कई चीजें आयात करता है। इसमें ड्राई फ्रूट्स, तरबूज और अन्य फल, सीमेंट, सेंधा नमक, पत्थर, चूना, मुल्तानी मिट्टी, चश्मों का ऑप्टिकल्स, कॉटन, स्टील, कार्बनिक केमिकल्स, चमड़े का सामान आदि शामिल हैं। पाकिस्तान से आयात बैन होने के कारण अब वहां से न तो ड्राई फ्रूट्स आएंगे और न सेंधा नमक। भारत में सेंधा नमक का इस्तेमाल व्रत के समय काफी मात्रा में किया जाता है।

मणिपुर हिंसा के दो साल, हाई अलर्ट के बीच मैतेई-कुकी ने बंद का किया ऐलान

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मणिपुर में जातीय हिंसा के आज दो साल पूरे हो गए। इसको लेकर मैतेई और कुकि समुदायों ने राज्यभर में शटडाउन का आह्वान किया। इस दौरान जहां मैतेई समुदाय की एक संगठन ने इंफाल में 'मणिपुर पीपल्स कन्वेंशन' आयोजित किया, वहीं कुकी समुदाय ने 'डे ऑफ सेपरेशन' मनाया। मणिपुर में लगभग सभी जगह आज बाजार, दुकानें और स्कूल-कॉलेज बंद हैं और सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। इधर, राज्य में तनाव को देखते हुए सुरक्षाबलों ने इम्फाल, चुराचांदपुर और कंगपोकपी में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है।

सुरक्षाबलों ने 20 किमी किया फ्लैग मार्च

मणिपुर हिंसा की दूसरी बरसी से एक दिन पहले (2 मई) सुरक्षाबलों ने फ्लैग मार्च किया। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 34 बटालियन के डीआईजी सुशांकर उपाध्याय ने बताया कि इस फ्लैग मार्च से लोगों में एक भरोसा पैदा होगा। लोगों को लगेगा कि हालात पर काबू पाने के लिए यहां एक न्यूट्रल (किसी के पक्ष में नहीं) फोर्स है।

डीआईजी उपाध्याय ने ये भी बताया कि फ्लैग मार्च में 1000 जवान शामिल हुए। हमने इसे इम्फाल पुलिस के साथ कोऑर्डिनेशन में आयोजित किया था। हमने करीब 20 किमी का मार्च निकाला। हम लोगों में एक तरह का विश्वास और उपद्रवियों को चेतावनी देना चाहते थे।

13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन, नई सरकार की मांग तेज

मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन है, लेकिन मौजूदा विधानसभा भंग नहीं हुई है। सिर्फ निलंबित है। इसलिए कई नागरिक संगठन इसके विरोध में उतर आए हैं। सियासी ताकत पूर्व सीएम एन. वीरेन सिंह के हाथ में है, क्योंकि यहां भाजपा बिखरी हुई है। चार-पांच दिन पहले ही 21 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर राज्य में तत्काल लोकप्रिय सरकार बनाने की मांग की थी। पत्र पर भाजपा के 14 विधायकों ने साइन किए हैं।

हिंसा में 260 से अधिक लोग मारे गए

मणिपुर में दो साल पहले मैतेई और कुकि समुदायों के बीच जातीय हिंसा शुरू हुई थी, जिसमें 260 से अधिक लोग मारे गए थे और 70,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए थे। इस मामले में 6 हजार एफआईआर दर्ज हुईं, उनमें करीब 2500 में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी।