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पहलगाम हमले पर बड़ा खुलासाःआतंकियों ने की थी बैसरन के अलावा इन 3 जगहों की

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जम्मू-कश्मीर के ‘मिनी स्विटजरलैंड’ कहे जाने वाले पहलगाम में आतंकी हमले के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपनी जांच शुरू कर दी है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। जांच के दौरान हो रहे खुलासे से यह बात सामने आई है कि आतंकी अचानक वहां नहीं पहुंचे। जिन आतंकियों ने इस घटना को अंजाम दिया है वे 15 अप्रैल को ही पहलगाम पहुंच गए थे। इन आतंकियों की मदद करने वाले लोगों से एनआईए को ये भी पता चला है कि आतंकियों के टारगेट पर पहलगाम के अलावा तीन और स्थान भी थे। हमले से पहले घाटी में तीन सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया गया था।

किन जगहों की रेकी

बताया गया है कि आतंकियों ने 22 अप्रैल से पहले पहलगाम और आसपास के इलाके की रेकी शुरू की थी। बैसरन, आरु वैली और बेताब वैली संग लोकल एम्यूज़मेंट पार्क की रेकी करने के बाद हमले के लिए बैसरन को चुना गया था।जांच में गिरफ्तार किए गए एक ओवर ग्राउंड वर्कर ने बताया कि आतंकी घटना से दो दिन पहले बैसारन घाटी में मौजूद थे। आतंकियों ने 15 अप्रैल को पहलगाम पहुंचकर रेकी की थी। इनमें बैसरन घाटी, आरु घाटी, स्थानीय एम्यूज़मेंट पार्क और बेताब घाटी शामिल थे। सुरक्षा कड़ी होने की वजह से आतंकी इन जगहों पर हमला नहीं कर पाए।

ओवर ग्राउंड वर्कर्स की पूछताछ में खुलासा

जम्मू-कश्मीर से उठाए गए 80 ओवरग्राउंड वर्कर्स समेत कई लोगों से पूछताछ में यह बात सामने आई है।इसमें से 20 के करीब ओवर ग्राउंड वर्कर्स की पहचान भी हो चुकी है। इसमें कुछ ओवर ग्राउंड वर्कर्स को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। सूत्रों के मुताबिक 4 ओवर ग्राउंड वर्कर्स ने पाकिस्तानी आतंकियों को घाटी में रेकी करने में मदद की थी।

ओवर ग्राउंड वर्कर ने की आतंकियों की मदद

जांच में पता चला है कि कम से कम चार ओवर ग्राउंड वर्कर ने आतंकियों को रेकी और जरूरी सामान पहुंचाने में मदद की। हमले से पहले इलाके में तीन सैटेलाइन फोन के इस्तेमाल के सबूत भी मिले हैं। इनमें से दो डिवाइस के सिग्नल को ट्रैस कर लिया गया है। एनआईए और खुफिया एजेंसियां अब तक 2,500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर चुकी हैं। फिलहाल 186 लोगों को आगे की पूछताछ के लिए हिरासत में रखा गया है।

जंग की आहट से ख़ौफ़ज़दा पाकिस्तान, 2022 से खाली पड़े एनएसए के पद पर आनन-फानन की नियुक्ति

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पाकिस्तान को भारत की ओर से हमले का डर सता रहा है। खौफजदा पाकिस्तान ने आधी रात को बड़ा कदम उठाया। आनन-फानन में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद असीम मलिक को पाकिस्तान का नया राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) नियुक्त किया गया है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि मलिक को अतिरिक्त प्रभार के तौर पर एनएसए का पद दिया गया है। उनकी नियुक्ति के बारे में एक औपचारिक अधिसूचना भी जारी की गई है।

इतिहास में पहली बार

भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच अपने आधी रात को एक नोटिफिकेशन जारी किया। इसके मुताबिक, खुफिया एजेंसी आईएसआई यानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद आसिम मलिक को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। आसिम मलिक पाकिस्तान के 10वें NSA हैं, लेकिन यह पहली बार है, जब एक मौजूदा आईएसआई प्रमुख को दोनों महत्वपूर्ण पदों पर एक साथ काम करने की जिम्मेदारी दी गई है।

2022 से यह पद खाली था पद

पहलगाम हमले के बाद बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) नियुक्त किया है। 2022 से यह पद खाली था। तब मुईद यूसुफ ने पद से इस्तीफा दे दिया था। मलिक की नियुक्ति 29 अप्रैल को की गई है, लेकिन मीडिया में इसकी जानकारी बुधवार देर रात आई। इससे एक दिन पहले ही यानी 30 अप्रैल को भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन किया। खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी को इसका अध्यक्ष बनाया।

कौन है आसिम मलिका?

मुहम्मद आसिम मलिक पिछले साल सितंबर 2024 से आईएसआई का प्रमुख है। वह अपनी रणनीतिक विशेषज्ञता और सैन्य अनुभव के लिए जाना जाता है। वह पाकिस्तान में जासूसों का सरदार है। वह पाकिस्तान सैन्य अकादमी के 80वें लॉन्ग कोर्स के दौरान स्वॉर्ड ऑफ ऑनर विजेता रह चुका है। अमेरिका के फोर्ट लेवनवर्थ और यूके के रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज से ट्रेंड है। उसने बलूचिस्तान और वजीरिस्तान में अहम सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया है। इसलिए पाकिस्तान ने एक बार फिर उस पर भरोसा जताया है।

भारत के कहर से डरा पाक

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से ही पाकिस्तान छटपटा रहा है। उसे डर है कि भारत आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा। आतंकवाद का पनाहगार होने के नाते भारत का कहर उस पर ही बरसेगा। उसके कई मंत्री ऐसे बयान भी दे चुके हैं कि भारत उस पर कभी भी हमला कर सकता है। इस बीच भारतीय सेना को फ्री हैंड दे दिया गया है और बीते दिनों भारत सरकार द्वारा कई बैठकें की गईं। इसे लेकर पाकिस्तान प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।

पहलगाम के हर दोषी को सजा दिलाकर रहेंगे', अमेरिकी विदेश मंत्री से बातचीत में जयशंकर ने साफ की मंशा

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पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान अब चारों तरफ से घिरता दिख रहा है। अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट (विदेश मंत्री) मार्को रुबियो ने इस आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से बात की है। इस बातचीत के दौरान रुबियो ने इस आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी बात की है।मार्को रुबियो ने पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के प्रति दुख व्यक्त किया और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ सहयोग करने की अमेरिका की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।

जयशंकर की चेतावनी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को साफ तौर पर कह दिया है कि पहलगाम आतंकी हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरें में लाया जाना चाहिए। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने 'एक्स' पर पोस्ट कर लिखा, 'कल अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ पहलगाम आतंकवादी हमले पर चर्चा की। इसके अपराधियों, समर्थकों और योजनाकारों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।'

यूएस ने की तनाव कम करने की अपील

इससे पहले अमेरिका ने पाकिस्तान से भारत के साथ बढ़ते तनाव को कम करने का आह्वान किया। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के पीएम से इस अमानवीय हमले की जांच में हर संभव सहयोग देने की बात कही है। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को भारत से बढ़ते तनाव को कम करने, बातचीत फिर से स्थापित करने और दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित भी किया है।

क्या भारत करेगा पाकिस्तान के साथ सहयोग

हालांकि, आतंकवाद के पनाहगार के तौर पर जगजाहिर देश पाकिस्तान के साथ सहयोग की किसी भी गुंजाइश से भारत ने किनारा कर रखा है। उसका एकमात्र मकसद आतंकवाद का जड़ से सफाया और पहलगाम के पीड़ितों को न्याय दिलाना है।

भारतीय एयरस्पेस में पाकिस्तान की नो एंट्री, पड़ोसा देश के खिलाफ मोदी सरकार एक और एक्शन

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद बढ़े तनाव के बीच भारत ने अब पाकिस्‍तान के लिए अपना एयरस्‍पेस बंद कर दिया है। पाकिस्‍तान के विमान अब भारत से होकर नहीं गुजर पाएंगे। भारत ने पाकिस्‍तान के लिए 23 मई 2025 तक अपना एयरस्‍पेस बंद करने का फैसला किया है। इससे पहले पाकिस्‍तान ने भी भारत के लिए अपना एयरस्‍पेस बंद कर दिया था। अब भारत ने भी पाकिस्‍तान के विमानों की एंट्री पर रोक लगा दी है।

30 अप्रैल से 23 मई तक के लिए नोटम जारी

केन्द्र सरकार ने नोटिस टू एयरमैन यानि नोटम जारी किया किया गया है। 30 अप्रैल से 23 मई तक के लिए नोटम जारी किया गया है। इस दौरान पाकिस्तान रजिस्टर्ड कोई भी विमान या मिलिट्री एयरक्राफ्ट भारतीय एयरस्पेस में नहीं घुस सकता।

नोटम एक तरह का सूचना तंत्र होता है जो काफी गोपनीय होता है। इसके द्वारा किसी भी संकट के दौरान या संवेदनशील स्थिति में पायलट और एयरलाइंस संचालक को सूचना आदान प्रदान की जाती है. नोटम का इस्तेमाल सरकारी संकाय द्वारा ही की जाती है।

पाक पहले ही लगा चुका है पाबंदी

पिछले सप्ताह पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइन्स के लिए अपने हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी थी। भारत की ओर से यह जवाबी कार्रवाई है। भारतीय हवाई क्षेत्र में पाकिस्तान में पंजीकृत विमान, पाकिस्तानी एयरलाइंस या ऑपरेटरों द्वारा संचालित या पट्टे पर दिए गए विमान और सैन्य विमान सभी पर यह पाबंदी लगाई गई है।

पहलगाम पहले के बाद पीएम ने दिया था संदेश

भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर पाकिस्तानी एयरलाइन्स के लिए अपने हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है। बता दें कि पीएम मोदी ने पहलगाम में आतंकी हमले के दिन सऊदी अरब से भारत आते समय पाकिस्तानी एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं किया था। जबकि वह पाकिस्तानी एयरस्पेस से ही सऊदी के दौरे पर गए थे।

बिहार चुनाव से पहले जात‍ि जनगणना का एलान, राहुल के हाथ से निकला बड़ा मुद्दा

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देश में आजादी के बाद पहली बार जाति जनगणना कराई जाएगी। केंद्रीय कैबिनेट ने जाति जनगणना को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इसे मूल जनगणना के साथ ही कराया जाएगा। केन्द्र की मोदी सरकार ने बिहार विधानसभा चुनाव के पहले ये बड़ा दांव खेला है। दरअसल, राहुल गांधी जातिगत जनगणना को लेकर लगातार आक्रामक रुख अपनाते आ रहे थे। ऐसे में चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बन सकता था। लेकिन केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का वादा कर कांग्रेस के हाथ से यह मुद्दा छीन लिया है।

फिलहाल देश में पहलगाम हमले के कारण माहौल गर्म है। ऐसे समय में मोदी सरकार ने बहुत बड़ा राजनीतिक फैसला लिया है। एनडीए सरकार ने तय किया है कि वह 2026 में होने वाली जनगणना के साथ ही देश भर में जातीय जनगणना भी कराएगी। कांग्रेस और खासकर इसके नेता राहुल गांधी 2024 के लोकसभा चुनावों से ही इसकी मांग कर रहे थे और इसे उन्होंने अपना सबसे बड़ा मुद्दा बना लिया था। लेकिन, मोदी सरकार ने अप्रत्याशित रूप से जातीय जनगणना की बात कहकर देश की राजनीति को पूरी तरह से नया मोड़ दे दिया है। इसका सबसे पहला प्रभाव बिहार विधानसभा चुनाव पड़ सकता है।

2024 के लोकसभा चुनावों में खासकर के उत्तर प्रदेश में इंडिया ब्लॉक को इसका फायदा भी मिला था। बीजेपी को उसके ओबीसी और दलित वोट बैंक का नुकसान भी हुआ। क्योंकि, तब कांग्रेस और सहयोगियों ने यह जोरदार प्रचार किया था कि बीजेपी इसीलिए 400 सीटें मांग रही है, ताकि वह संविधान बदलकर आरक्षण को खत्म कर सके। बाद में उन्होंने तेलंगाना और कर्नाटक में कांग्रेस की अपनी सरकारों पर भी इस तरह की जनगणना की रिपोर्ट जारी करने का दबाव बनाया। इससे भी कांग्रेस यह संदेश देने में सफल रही है कि यदि वह केंद्र में सत्ता में आती है तो वह पूरे देश में जातिगत जनगणना कराएगी। अब जिस तरह से सरकार ने परिस्थितियां पलटने की कोशिश की है, उसके बाद राहुल अपने एजेंडे का किस हद तक फायदा उठा सकेंगे, यह बड़ा सवाल है।

कयास लगाए जा रहे हैं कि जाति जनगणना की शुरुआत सितंबर में की जा सकती है। हालांकि जनगणना की प्रोसेस पूरी होने में एक साल लगेगा। ऐसे में जनगणना के अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में मिल सकेंगे। देश में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। इसे हर 10 साल में किया जाता है। इस हिसाब से 2021 में अगली जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था।

राहुल जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 2023 में सबसे पहले जाति जनगणना की मांग की थी। इसके बाद वे देश-विदेश की कई सभाओं और फोरम पर केंद्र से जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं। नीचे ग्राफिक में देखें राहुल ने कब और कहां जाति जनगणना की मांग दोहराई

बाबरी की पहली ईंट पाक सिपाही लगाएगा, आसिम मुनीर देंगे अजान”, आपने सुना पाक सांसद का बड़बोलापन

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भारत के हमले की आशंका से पाकिस्तानी राजनेता बौखलाए हुए हैं। बिलावल भुट्टो, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, विदेश मंत्री इशाक डार के बाद अब पाकिस्तान की एक संसद ने बकवास किया है। बिलावल भुट्टो की पार्टी की नेता पलवाशा खान ने पाकिस्तानी संसद में भारत के खिलाफ जगह उगला है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनाएंगे और पाक सेना का एक-एक सिपाही मस्जिद की बुनियाद में ईंट रखेगा। सेना प्रमुख आसिम मुनीर पहली अजान देंगे।

और कितनी गीदड़भभकी देगा पाकिस्तान?

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के हालात पैदा हो गए हैं। पड़ोसी मुल्क से इसे और हवा दी जा रही है। अब बिलावल भुट्टो की ही पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) की सीनेटर पलवाशा खान ने कहा है कि वो वक्त दूर नहीं है, जब बाबरी मस्जिद की पहली ईंट की बुनियाद में पिंडी से आम सिपाही लगाएगा और उसमें पहली अजान पाकिस्तान का सिपहसालार असीम मुनीर देगा।

लाल किले के मैदान को खून से रंगने की धमकी

इतना ही नहीं पलवाशा खान आगे कहा कि पाकिस्तान सिर्फ अपनी 7 लाख सैनिकों की सेना पर निर्भर नहीं है, बल्कि उसके पास 25 करोड़ देशभक्त नागरिकों का समर्थन भी है। कर्जों पर पलने वाले पाकिस्तान की ये नेता दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश भारत को चेतावनी देती है कि यदि भारत ने पाकिस्तान पर कोई आक्रमण करने की कोशिश की, तो दिल्ली के लाल किले के मैदान खून से रंगे जाएंगे।

सिख सिपाही पाकिस्तान से नहीं करेगा जंग

पलवाशा आगे कहती हैं कि पाकिस्तान की ओर बुरी नजर डालेगा, उसकी आंखें निकाल ली जाएंगी। इतना ही नहीं पलवाशा खान ये भी बोलती है कि भारतीय सेना विभाजित है। कोई भी भारतीय सिख सैनिक, पाकिस्तान से नहीं लड़ेगा, क्योंकि यह गुरु नानक की धरती है।

गुरपतवंत सिंह पन्नू की तारीफ

बात इतने पर खत्म नहीं हुई। बिलावल की सांसद ने फिर पाकिस्तानी के आतंक परस्त होने का सबूत दे दिया। पाकिस्तानी सांसद पलवशा खान ने खालिस्तानी समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू की तारीफ की। उन्होंने पन्नू को साहसी आवाज बताया। बता दें कि खालिस्तानी समर्थक पन्नू ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान का साथ देने का ऐलान किया था। खालिस्तानी समर्थक पन्नू ने कहा था कि पंजाब के जरिए भारत को पाकिस्तान पर हमला नहीं करने दिया जाएगा।

जाति जनगणना कराएगी मोदी सरकार, मूल जनगणना के साथ ही होगी गिनती, कैबिनेट में बड़ा फैसला

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का एलान कर दिया है। यह जनगणना मूल जनगणना के साथ ही कराई जाएगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बात की जानकारी दी। अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट ब्रीफिंग में बताया कि सरकार ने फैसला लिया है कि जनगणना साथ जातियों की गणना भी होगी।

कांग्रेस ने जातियों का इस्तेमाल वोट बैंक के लिए किया- वैष्णव

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए। वैष्णव ने कहा कि 1947 से जाति जनगणना नहीं की गई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों ने हमेशा से ही जातिगत जनगणना का विरोध किया है। आजादी के बाद से ही जाति को जनगणना की किसी भी प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया। वैष्णव ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा जातियों का इस्तेमाल वोट बैंक के लिए किया है।

जाति जनगणना को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया- वैष्णव

वैष्णव ने कहा, 2010 में दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि जाति जनगणना के मामले पर कैबिनेट में विचार किया जाना चाहिए। इस विषय पर विचार करने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया गया था। अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति जनगणना की सिफारिश की है। इसके बावजूद, कांग्रेस सरकार ने जाति का सर्वेक्षण या जाति जनगणना कराने का फैसला किया। यह अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने जाति जनगणना को केवल एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है।

जाति जनगणना, मूल जनगणना में ही शामिल होगी- वैष्णव

वैष्णव ने आगे कहा जाति जनगणना केवल केंद्र का विषय है। कुछ राज्यों ने यह काम सुचारू रूप से किया है। कुछ अन्य ने केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से गैर-पारदर्शी तरीके से ऐसे सर्वेक्षण किए हैं। ऐसे सर्वेक्षणों ने समाज में संदेह पैदा किया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि राजनीति से हमारा सामाजिक ताना-बाना खराब न हो, सर्वेक्षण के बजाय जाति गणना को जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए। मोदी सरकार ने फैसला किया है कि जाति जनगणना, मूल जनगणना में ही शामिल होगी।

रूस नहीं जाएंगे पीएम मोदी, पाकिस्तान से तनाव के बीच रद्द किया दौरा, विक्ट्री डे परेड में नहीं होंगे शामिल

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पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान खौफ में है कि भारत की तरफ से हमले किए जा सकते हैं। इधर, दिल्ली में पीएम मोदी लगातार बैठकें कर रहे हैं। माना जा रहा है कि भारत आतंकवाद पर बड़े एक्शन की तैयारी में है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस दौरा रद्द हो गया है। पीएम मोदी को 9 मई को मॉस्को में आयोजित विजय दिवस समारोह में शामिल होना था। लेकिन अब वे विक्ट्री डे परेड में शामिल नहीं होंगे। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने ये जानकारी दी है।

अब कौन करेगा भारत का प्रतिनिधित्व?

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बुधवार को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी अगले महीने मॉस्को में आयोजित होने वाले विजय दिवस की 80वीं वर्षगांठ समारोह में शामिल नहीं होंगे। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी भले ही उपस्थित नहीं होंगे, लेकिन भारत का प्रतिनिधित्व एक अलग राजनयिक प्रतिनिधिमंडल के जरिए किया जाएगा।

हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की जगह कौन इस समारोह में शामिल होंगे। वहीं, स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार 9 मई के कार्यक्रम में पीएम मोदी की जगह भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।

भारत-पाक तनाव के बीच बड़ा फैसला

पहलगाम अटैक के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव चरम पर है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को उनके आवास पर हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति यानी सीसीएस की बैठक हुई। यह महत्वपूर्ण बैठक 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा स्थिति और भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा पर निर्णय लेने वाली शीर्ष समिति की बैठक प्रधानमंत्री के आवास पर दूसरी बार बुलाई गई थी। इससे पहले 23 अप्रैल को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीएस) की बैठक हुई थी, जिसमें आतंकी हमले की निंदा की गई थी।

जर्मनी पर विजय का जश्न

बता दें कि रूस नौ मई को द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर विजय का जश्न मनाता है और इस वर्ष उसने 80वीं वर्षगांठ के समारोह में भाग लेने के लिए चुनिंदा मित्र देशों के नेताओं को आमंत्रित किया है। पुतिन ने इस खास मौके के लिए अपने मित्र नरेन्द्र मोदी को भी न्योता भेजा था। उस समय रूस के उपविदेश मंत्री आंद्रे रुडेंको ने बताया था कि इस जश्न के लिए पीएम मोदी को निमंत्रण भेजा जा चुका है। हालांकि, अब जानकारी मिल रही कि पीएम मोदी मॉस्को में होने वाले विक्ट्री डे परेड में शामिल नहीं होंगे।

मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की बढ़ी मुश्किल, क्लासरूम-घोटाले में मामला दर्ज

#casefiledagainstsisodiaandsatyendrajain

आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और दिल्ली के पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब इन दोनों आप नेताओं के खिलाफ करप्शन का मामला दर्ज किया गया है। करप्शन का यह मामला क्लासरूम और स्कूल बिल्डिंग के निर्माण से जुड़ा है। सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ 2 हजार करोड़ के बड़े घोटाले का मामला दर्ज हुआ है। एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) ने एफआईआर दर्ज की गई है।

2000 करोड़ रुपये का घोटाला

भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने आप नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, दिल्ली के पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ अत्यधिक लागत पर कक्षाओं के निर्माण में भ्रष्टाचार के संबंध में मामला दर्ज किया है। 12,748 क्लासरूम और भवनों के निर्माण में कथित 2000 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़ा यह मामला है। एंटी करप्शन ब्रांच की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि दिल्ली में आप सरकार के शासनकाल में 12,748 कक्षाओं और भवनों के निर्माण में 2,000 करोड़ का भारी घोटाला सामने आया है।

एक क्लासरूप बनाने में पांच गुना ज्यादा पैसे दिए गए

एंटी करप्शन ब्रांच का कहना है कि क्लासरूम बनाने के लिए बहुत ज्यादा पैसे दिए गए। एक क्लासरूम बनाने में 24.86 लाख रुपये खर्च किए गए। एसीबी के अनुसार, आमतौर पर दिल्ली में एक क्लासरूम 5 लाख रुपये में बन जाता है। मतलब लगभग पांच गुना ज्यादा पैसे दिए गए। आरोप पत्र के अनुसार, इन कक्षाओं के निर्माण में घटिया गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया गया, लेकिन इसका पैसा बेहतर आरसीसी निर्माण तकनीकी की दर से वसूल किया गया। एजेंसी का आरोप है कि इस मामले में भारी वित्तीय गड़बड़ी की गई है।

कंसलटेंट-आर्किटेक्ट की नियुक्ति मनमाने ढंग से

एंटी करप्शन ब्रांच की जांच में पता चला है कि क्लासरूम/बिल्डिंग के निर्माण की लागत बढ़ाकर दर्शाई गई थी। इसके अलावा निर्धारित अवधि के भीतर एक भी काम पूरा नहीं हुआ था। निर्माण कार्य के लिए कंसलटेंट और आर्किटेक्ट की नियुक्ति भी मनमाने ढंग से की गई थी। एंटी करप्शन ब्यूरो ने यह भी आरोप लगाया है कि इन कक्षाओं के निर्माण में जिन 34 ठेकेदारों को निर्माण का ठेका दिया गया था, उनमें से ज्यादातर आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए लोग शामिल थे। इन्हीं के जरिए निर्माण की लागत बढ़ाई गई।

मनोज तिवारी ने लगाया था आरोप

बता दें कि भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने भी 2019 में जोन 23, 24 और 28 के सरकारी स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण में करप्शन का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। बीजेपी सांसद ने अपनी शिकायत में कहा था कि सरकार ने एक क्लासरूम में 28 लाख रुपए खर्च किए, जबकि एक क्लासरूम के निर्माण में 5 लाख रुपए ही लगते हैं।

बांग्लादेश के हिंदू संत चिन्मय दास को मिली जमानत, देशद्रोह के आरोप में जेल में थे बंद*

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बांग्लादेश के ढाका हाईकोर्ट ने जेल में बंद हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को बुधवार को जमानत दे दी। चिन्मय दास पिछले 5 महीनों से देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद हैं। बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार ने इसकी पुष्टि की है। द डेली स्टार ने चिन्मय दास के वकील के हवाले से बताया है कि अभी चिन्मय की रिहाई तय नहीं हुई है। अगर बांग्लादेशी सुप्रीम कोर्ट इस फैसले पर रोक नहीं लगाता है तो चिन्मय को रिहा कर दिया जाएगा।

हिंदुओं के खिलाफ अत्याचारों के विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व

इस्कॉन के पूर्व नेता चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर 2024 को बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया था। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचारों के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले साधु चिन्मय कृष्ण दास को ढाका पुलिस की जासूसी शाखा ने 25 नवंबर को ढाका हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया था। उन पर देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप लगे थे। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इसे "न्यायिक उत्पीड़न" करार दिया था। भारत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर बांग्लादेश के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया था।

चिन्मय पर देशद्रोह का मामला क्यों दर्ज हुआ?

25 अक्टूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में नातन जागरण मंच ने 8 सूत्री मांगों को लेकर एक रैली की थी। इसे चिन्मय कृष्ण दास ने भी संबोधित किया था। इस दौरान न्यू मार्केट चौक पर कुछ लोगों ने आजादी स्तंभ पर भगवा ध्वज फहराया था। इस ध्वज पर आमी सनातनी लिखा हुआ था।

रैली के बाद 31 अक्टूबर को बेगम खालिदा जिया की बीएनपी पार्टी के नेता फिरोज खान ने चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 लोगों के खिलाफ चटगांव में राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। उन पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है

जेल में बीमार और पीड़ित थे

इस्कॉन और अन्य हिंदू संगठनों द्वारा उनकी गिरफ्तारी की व्यापक निंदा किए जाने के बाद उनकी जमानत याचिका कई बार खारिज की गई। उन्हें 26 नवंबर को जेल भेज दिया गया और 11 दिसंबर को उनकी याचिका खारिज कर दी गई। ऐसी भी खबरें थीं कि वह गंभीर रूप से बीमार थे और जेल में उनका उचित इलाज नहीं किया गया।चिन्मय दास के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने आरोप लगाया था कि उनके मुवक्किल बिना किसी सुनवाई के कारावास के दौरान बीमार और पीड़ित थे।